malikarman
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सुमन (43)
अजमेर के पश्चिमी इलाके में बने पुलिस क्वाटर के छोटे से कमरे में गौतम रात को इतिहास की किताब पढ़ते हुए कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला. सुबह जब उसकी माँ सुमन चाय का कप हाथ में लेकर आई और गौतम को अपना हाथ लगाकर नहीं जगा दिया तब तक गौतम की नींद नहीं खुली थी.
सुबह के साढ़े आठ बजे का समय हो चूका था और गौतम के पिता जगमोहन जो पुलिस में हेड कांस्टेबल थे अपनी वर्दी पहन के थाने के लिए निकल चुके थे, सुमन भी घर का सारा काम आज जल्दी निपटाकर बैठ गई थी और अब गौतम जिसे सुमन प्यार से ग़ुगु कहकर पुकारती थी जगाने आ गई गई और चाय का कप बेड के किनारे रख कर प्यार से गौतम को जगा रही थी..
गौतम - सोने दो ना माँ..
सुमन - बहुत सो चुके नवाबसाब.. अब उठो और जल्दी से त्यार हो जाओ. कल बताया था ना आज बाबाज़ी के थान पर जाना है माथा टेकने.
सुमन ने गौतम के गालो सहलाते हुए कहा और उसके बगल में जो किताब पड़ी थी उसे उठाकर साइड में स्टडी टेबल पर रख दिया.
गौतम - कब तक इन पाखंडी बाबाओ के चक्कर में रहोगी माँ. कुछ फ़ायदा नहीं है वहा जाने से, उन्हें तो बस चढावे के पैसो से मतलब है, अन्धविश्वास फैलाते है और लोगों को लुटते है.
गौतम ने तकिये को अपने सीने से लगाकर आँख बंद किये हुए ही ये बात सुमन से कही जिसके जवाब में सुमन ने गौतम के हाथों से वो तकिया खींच लिया और हाथ पकड़कर उठाते हुए बोली..
सुमन - मेरा अन्धविश्वास है तो अंधविश्वास ही सही. तुम अंदर मत जाना मैं जाकर बाबाजी को माथा टेक आउंगी. बाबाजी के कारण ही ये गृहस्थी खुशहाल चल रही है वरना ना जाने क्या होता? मेरी सुनी कोख भी तो उनके आशीर्वाद से हरी हुई थी डाक्टर तक ने जवाब दे दिया था कि मैं बाँझ ही रहूंगी पर बाबाजी के आशीर्वाद से मुझे मेरा ग़ुगु मिला और तेरे पापा जब ससपेंड हुए थे तब भी बाबाजी के करम से ही वापस उनकी बहाली हुई.
सुमन कि बातों से गौतम चिढ़ते हुए अंगड़ाई लेकर उठ गया और सुमन का हाथ पकड़ते हुए बोला..
गौतम - अच्छा ठीक है माँ आपको मानना है तो मानो पर कह देता हूँ मैं कभी ऐसे बाबा-वाबा के चक्कर में नहीं आऊंगा. आप तो वैसे भी इतनी भोली हो कि कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर अपने उल्लू सीधा कर सकता है. गौतम ने चाय का कप लिया और एक सिप लेकर वापस कहा माँ.. सुबह सुबह आपके हाथो कि अदरक वाली चाय ना मिले तो सुबह सुबह जैसी नहीं लगती.
सुमन गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए उसके पास आई और एक प्यार से भरा हुआ ममतामई चुम्बन गौतम के गाल पर करके बोली - अब ये मस्का लगाना बंद कर और जल्दी से नाहधो कर त्यार होजा मैं नास्ता लगाती हूँ.
सुमन इतना कहकर कमरे से भर आ गई और गौतम चाय की चुस्की लेटे हुए खड़ा होकर खिड़की से बाहर सडक के दूसरी तरफ अपने काम से आते जाते लोगों को देखने लगा.. इतने मे गौतम की नज़र टेबल पर पड़े अपने फ़ोन पर चली गई जो साइलेंट पर था और कब से उसमे किसीका फ़ोन आ रहा था.
गौतम ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ उसका दोस्त आदिल था जो हड़बड़ी में था.
आदिल - भोस्डिके रंडी.. कब से फ़ोन कर रहा हूँ गांड में डालके बैठा था क्या? उठाया क्यू नहीं? क्या कर रहा था?
गौतम - तेरी अम्मी चोद रहा था घोड़ी बनाके गांडु. वैसे सुबह सुबह क्यू फ़ोन कर रहा है? गांड देने का इरादा है क्या?
आदिल - मज़ाक़ मत कर, सुन एक बिहारन भाभी है मस्त सिर्फ 4 हज़ार में फुल नाईट सर्विस देने को त्यार है. आज रात दोनों भाई मचका देते है बता क्या बोलता है? बुक करू?
गौतम - पैसे कौन तेरा कबाड़ी बाप देगा मेरी रांडबाजी के लिए?
आदिल - अबे तुझे दो हज़ार का ही तो जुगाड़ करना है सोच ले. ऐसा माल बार बार नहीं मिलता. सिर्फ दो हज़ार की बात है.
गौतम - साले 5G के जमाने मैं कीपैड वाला 2G फ़ोन इस्तेमाल कर रहा हूँ और तू बोल रहा है 2 हज़ार की बात है.
आदिल - अबे इससे ज्यादा तो तेरा बाप एक दिन में ऊपर की कमाई कर लेता होगा. तू बहनचोद फिर भी ऐसे रो रहा है.
गौतम - भाई मेरा बाप जितना भी कमाता है अपनी गांड में छुपा के रखता है मुझे दो टाइम की रोटी के अलावा कुछ नहीं देता. सो रुपए भी मांगूगा तो दस सवाल पूछेगा. मेरे पास तो पैसे नहीं है फ्री दिलाये तो बता देना.
आदिल - फ्री में मेरा लंड लेले साले भिखारी. बहनचोद हर बार का तेरा यही रंडी रोना होता है.
गौतम - लंड है तेरे पास गांडु? साले हर बार बस पांच मिनट में जड़ जाता है और फिर चोदने की जगह बस हिलाके आ जाता है. मेरे पास तो नहीं है कुछ, भी तू करावाये तो बता देना.
आदिल - हां साले बचपन से अब तक मैने ही पाला है तुझे. चल देखता हूँ पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर लूंगा.
गौतम - थोड़ा एक्स्ट्रा जुगाड़ करना भाई बहुत दिन हो गए नवाबवाले की बिरयानी भी खाके आएंगे.
आदिल - भोस्डिके अब ऊँगली पकड़ा दी तो कंधे पर चढ़कर कान में मत मूत. पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर दूंगा वरना हिला के सोजाना अपनी फेवरेट tisca chopda पर साले आंटी लवर.
गौतम चाय पीकर कप टेबल पर रखते हुए आदिल से कहता है
गौतम - साले सुबह सुबह उसका नाम लेना जरुरी था क्या? मेरा नाग वैसे ही खड़ा होकर फुफकार रहा है अब तो हिलना ही पड़ेगा.
आदिल हँसते हुए - साले वहशी 50 साल की बुढ़िया है वो, तेरे जैसे बच्चे को निम्बू की तरह निचोड़ देगी.
गौतम - भाई 50 की उम्र में भी पूरी माल लगती है साली. ऐसी बुढ़िया के लिए तो ख़ुशी खुशी निम्बू की तरह नीचुड़ जाऊ, अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त लुटवा दूँ. चल अब रखता हूँ.
आदिल - भाई पूरा हवसी है तू. ठीक है मिलते है शाम को.
आदिल का फ़ोन कटने पर गौतम टॉवल के साथ बाथरूम चला गया और पहले अपनी पसंदीदा एक्ट्रेस tisca chopda को cum ट्रिब्यूट दिया और फिर नहाने लगा. सुमन नास्ता त्यार कर वापस गौतम के कमरे में आई और जब उसने देखा की गौतम अब तक नहीं नहाया है तो उसने बाथरूम का दरवाजा बजाते हुए गौतम से कहा.
सुमन - ग़ुगु.. ग़ुगु..
नहाते हुए ही गौतम ने अपनी माँ सुमन का जवाब दिया
गौतम - हां माँ..
सुमन - ग़ुगु और कितनी देर लगाएगा बाबू? जरा जल्दी कर ना. शाम से पहले वापस भी आना है.
गौतम - आ गया बस पांच मिनट और.
सुमन - अच्छा ठीक है मैं तेरे कपडे निकाल कर बेड पर रख देती हूँ तू जरा जल्दी कर.
सुमन ने बेड के सामने दिवार से सटी हुई एक पुरानी सी लड़की की अलमीरा का दरवाजा खोला और उसमे गौतम के कपडो को टटोलने लगी ज्यादातर लवर टीशर्ट ही उसे दिखी और नीचे कुछ जीन्स शर्ट भी नज़र आई सबकुछ इतना अव्यवस्थित था की सुमन को समझ नहीं आया वो कोनसे कपडे निकाले और कोनसे नहीं, इतने में उसकी नज़र नीचे इस्त्री किये हुए एक जोड़े पर पड़ी जो उसीने गौतम को दिलाई थी मगर गौतम ने एक भी बार उन कपड़ो को नहीं पहना था. सुमन ने वो डस्टी ऑफ ग्रे जीन्स और उसके साथ ही डार्क पिंक डेनिम शर्ट निकालकर बेड पर रख दी इतने में गौतम नहाकर तौलिया लपेटे बाहर आ गया और कपडे देखकर सुमन से कहने लगा..
गौतम - माँ ये पिंक शर्ट रहने दो लड़कियों वाला कलर लगता है.
सुमन - अच्छा? रंग में कब से लड़की और लड़का होने लगा? तेरे ऊपर गुलाबी रंग खिलता है इसलिए निकाला है चुपचाप पहन ले समझा?
सुमन इतना कहकर बाहर आ गयी और गौतम ने उन कपड़ो को पहनकर नीचे स्पोर्ट शूज डाल लिये और बाल बनाकर कमरे से बाहर निकलकर रसोई में आ गया.
कॉलेज के आखिरी साल में पढ़ रहे गौतम की उम्र करीब 20 साल थी, रंग सुमन के जैसा ही गोरा और नयननक्ष भी सुमन की तरह मनमोहक और आकर्षक थे कद करीब 6 फुट और बाल हलके से घूँघराले थे जो उसके चेहरे को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम कर रहे थे.. सुमन ने जब गौतम को उन कपड़ो में देखा तो देखती रह गई गौतम किसी फ़िल्मी हीरो से ज्यादा ही अच्छा लग रहा था.
सुमन ने नास्ते की प्लेट गौतम के आगे करते हुए कहा..
सुमन - लीजिये राजासाहब आपकी सल्तनत में आज ये बना है खाने को..
गौतम सुमन से नास्ते की प्लेट लेकर रसोई में बनी मार्बल की पट्टी पर उछलकर बैठ गया और सुमन की बात का जवाब देते हुए कहा..
गौतम - काहे का राजा माँ.. एक फ़ोन के लिए बोला था वो तो नहीं दिलाया अभी तक आपने? और आज भी नास्ते में पोहे बना दिए? कम से कम पराठे बना देती.
सुमन बर्तन साफ करती हुई - पराठे शाम को खा लेना और वैसे फ़ोन कितने तक का आएगा तुम्हारा?
गौतम खुश होकर - ज्यादा महँगा नहीं चाहिए बस 30-35 हज़ार तक दिला दो..
सुमन 30-35 हज़ार सुनकर चौंकते हुए बोली - इतना महंगा? बेटा इसके तो तेरे पापा से बात कर, मुझे तो चोरी करनी पड़ेगी या डाका डालना पड़ेगा तुझे उतना महँगा फ़ोन दिलाने के लिए. कोई 10-15 हज़ार वाला लेना हो तो दिला सकती हूँ..
गौतम - पापा से क्या बात करू? वो मुझे फ़ोन क्या चार्जर तक नहीं दिलाने वाले और 10-15 हज़ार वाले फ़ोन ज्यादा दिनो तक चलते नहीं है.
सुमन - फिर तो बेटू ज़ी इसी से काम चलाओ.
गौतम - माँ..
सुमन - हम्म?
गौतम - एक काम हो सकता है.
सुमन - क्या?
गौतम - आप इंस्टालमेंट पर फ़ोन दिला दो. हर मैंने 2-3 हज़ार तो आप पापा से जुगाड़ ही लोगी उसके लिए.
सुमन - बदले में मुझे क्या मिलेगा.
गौतम - बदले में मैं आपका एक अकाउंट बना दूंगा इंस्टा पर वहां आप रील्स में गाना गा कर लोगों को अपनी मीठी आवाज सुना सकती है जैसे किसी फंक्शन में आप गाती हो. लोग अगर ज्यादा फॉलो करेंगे तो उससे पैसे भी मिलते है और आप फेमस भी हो जाओगी.
सुमन - वो क्या होता है?
गौतम - एक ऐप होती है व्हाट्सप्प की तरह. बस ज्यादातर कुछ नहीं करना होता.
सुमन - चल ठीक है.. दिला दूंगी अब खुश?
गौतम - पक्का ना?
सुमन - हां पक्का, बाबाजी के से आते हुए ले लेंगे फ़ोन बस.
गौतम ख़ुशी से सुमन को गले लगाकर उसके गालो पर चुम्बन करते हुए कहता है..
गौतम - थैंक यू माँ.. यू आर बेस्ट.. ई लव यू..
सुमन शरमाते हुए - चल हट, बदमाश कहीं का. माँ को आई लव यू बोलता है.
गौतम - तो क्या हुआ सब बोलते है. इसमें क्या बुरा है.
सुमन गौतम की शर्ट का एक्स्ट्रा खुला हुआ बटन बंद करते हुए कहती है..
सुमन - हां हां अग्रेज की औलाद.. समझ गई मैं. मैंने ही तेरे पापा से ज़िद करके तुझे बड़ी वाली इंग्लिश मेडियम स्कूल में भिजवाया था. अब अंग्रेजो वाले लक्षण तो आयेंगे ही.
गौतम नास्ते की प्लेट रखते हुए मज़ाकिया ढंग से - अच्छा तो मैं अंग्रेजो की औलाद हूँ?
सुमन शरमाते हुए गुस्से में - चुप बेशर्म.. कुछ भी बोलता है. अब चल वरना आते आते पक्का शाम हो जायेगी, पाता नहीं कितनी भीड़ बैठी होगी बाबाजी के सामने.
गौतम - चलो तो..
सुमन - कमरे की खिड़की बंद है ना?
गौतम - हां
सुमन - ठीक है जाके बाइक स्टार्ट कर मैं ताला लगा के आती हूँ.
गौतम सुमन की बात मानकर घर के बाहर आ जाता है और घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाई तरफ खड़ी एक पुरानी स्प्लेंडर को स्टार्ट के सुमन का इंतजार करने लगता है वही सुमन घर के मुख्य दरवाजे पर डबल लॉक लगा कर गौतम के पीछे बैठ जाती है और दोनों शहर से बाहर एक पहाड़ी के ऊपर बने छोटे मगर बहुत पुराने मन्दिरनुमा ढांचे पर जाने के लिए निकल जाते है.. थोड़ी दूर जाकर ही गौतम पीछे बैठी सुमन से कहता है..
गौतम - माँ..
सुमन - हां.
गौतम - पेट्रोल ख़त्म होने वाला है.
सुमन - ठीक है आगे भरवा लेना.
गौतम सुमन की बात सुनकर चुपचाप गाडी चलाता है और आगे एक पेट्रोल पंप के सामने गाडी रोक लेता है
गौतम - माँ आप यही रुको मैं तेल डलवा के आता हूँ..
सुमन एक 500 का नोट देते हुए - ठीक है ले डलवा ला.
गौतम पैसे लेकर पम्प के सामने आ जाता है.
गौतम भईया - 100 का डाल दो..
गौतम 100 का तेल डलवा कर बाकी अपनी जेब में रख लेटा है और वापस सुमन के पास आ जाता है..
गौतम - माँ बैठो..
सुमन - हां रुक.
गौतम - माँ वापस भूक लगी है आगे कोटा कचोरी वाले के रोक लूँ? कचोरी खाके चलते है.
सुमन - अच्छा ठीक है मेरे भुक्कड़ बेटू.. सुमन ने गौतम के दोनों गालो को अपने एक हाथ से पिचकाते हुए प्यार से कहा और वापस बाइक पर बैठ गई.
गौतम थोड़ा आगे चलकर बाइक को किनारे लगा देता है और सुमन से 100 रुपए लेकर दो कचोरी ले आता है.
गौतम - कैसी है माँ कचोरी?
सुमन - अच्छी है पर थोड़ा जल्दी कर ग़ुगु बाबाजी के पहुंचना भी है.
गौतम - अब वो पाखंडी बाबा इतनी दूर अपनी दूकान खोलके बैठा है तो मैं क्या करू? समय तो लगता ही है जाने मैं.
सुमन - ग़ुगु तमीज से, क्या अनाप शनाप फालतू बात कर रहा है. पागल लड़का.
गौतम - पागल मैं नहीं हूँ. पागल आपके बाबाजी सबको बनाते है. चलो अब, पता नहीं आज कोनसा टोना टोटका बताएगा वो बाबा. क़ब्र में पैर है फिर भी ये सब कर रहा है.
सुमन गौतम के पीछे बैठ गयी और अपने हाथ को आगे लेजाकर गौतम को पकड़ते हुए उसकी गर्दन पर चुम लिया प्यार से वापस बोली.
सुमन - बड़े लोग सही कहकर गए है ज्यादा पढ़ाई लिखाई मति भ्र्स्ट कर देती है. तुझे किसी छोटे स्कूल ही भेजना चाहिए था.
गौतम ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और बाइक को चलाने लगा. इस बार उसने पहाड़ी के नीचे एक बरगद के बड़े से पेड़ के पास बाइक रोक दी जहाँ और भी बहुत सी गाड़िया खड़ी थी. थोड़ा आगे से टूटी फूटी सीढ़िया ऊपर की तरफ जा रही थी और ऊपर एक तरह का बड़ा सा हॉल बना हुआ था जिसके चारो तरफ पत्थर की दिवार और छत पर लोहे की पट्टीया लगी हुई थी देखने से मंदिरनुमा लगने वाला ये ढांचा अंदर से खाली था बस एक तरफ एक बूढा आदमी हाथ में लकड़ी की डंडी लिए आसान पर बैठा था और बहुत से लोग कतार लगाए सामने बैठे थे और बारी बारी से अपना दुखड़ा लेकर उस बूढ़े आदमी के सामने जाते थे.
गौतम - चलो अब सीढिया चढ़ो, बहुत शोक है ना बाबाजी के पास जाने का.
सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ा और उसकी बात का जवाब देते हुए बोली - चलना तो तुझे भी पड़ेगा मेरे साथ बिगड़ैल शहजादे..
सुमन ये कहकर गौतम के साथ सीढिया चढ़ने लगी और एक के बाद एक 250 सीढ़िया चढ़कर उस ढाचे के सामने पहुंच गई..
गौतम - लो माँ पानी..
सुमन पानी की बोतल लेकर पानी के दो घूंट लगाती है और दो चार मिनट सांस लेकर बोतल वापस गौतम को दे देती है..
गौतम - जाओ जब फ्री हो जाओ बता देना मैं यही हूँ..
सुमन मज़ाकिया अंदाज़ में - जैसी आपकी आज्ञा. और उस ढाचे के अंदर जाकर उस कतार में बैठ गई. करीब 50 लोग सुमन से आगे कतार में थे और सब अपनी अपनी बात बूढ़े आदमी को बताते थे और बूढा आदमी उनकी समस्या का निवारण करने के लिए कोई ना कोई तरतीब पर्चे पर लिखकर सुझा देता था.
गौतम बाहर टहलता हुआ वहां से बाई तरफ आ गया और पहाड़ी पर से उतरने के बने हुए दूसरे कच्चे रास्ते पर थोड़ा नीचे जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया जहा से पीछे का जंगल साफ दिखाई देता था, वहां से गौतम हर बार की तरह जंगल के अंदर बने एक तलब को देखने लगा जहा नीलगाय और बाकी जानवर पानी पी रहे थे. उसका मन वहा जाकर उस तलब को पास से देखने का होता मगर जंगल में कौन जाए? कहीं कोई जानवर सामने आ गया तो क्या होगा? और अगर उसे कुछ हो गया तो उसकी माँ सुमन का क्या हाल होगा? कितना लाड करती है वो गौतम से. गौतम यही सब सोचते हुए उस पेड़ के नीचे बैठकर जंगल की खूबसूरती देखने रहा था मगर कुछ देर बाद उसे नीचे से किसी के ऊपर पहाड़ी पर आने की आवाज सुनाई दी उसने देखा एक बूढा सा दिखने वाला आदमी जिसके तन पर एक मैली धोती लिपटी थी वो ऊपर चले आ रहा था.
बूढ़े ने गौतम को देखा तो वो वही ठहर गया और गौतम से पिने के लिए पानी मांगा. गौतम ने बिना कुछ सोचे समझें उस बूढ़े को अपने पास रखी पानी की बोतल पकड़ा दी और वापस जंगल की और देखने लगा. बूढ़े ने थोड़ा सा पानी अपनी हथेली पर लेकर अपने सर पर छिड़का और फिर थोड़ा पानी पीकर बोतल रख दी.
बूढा - यहां बैठके किसे देख रहा है? कुछ चाहिए तो जा बाबाजी से बोल वो तुझे कोई ना कोई रास्ता बता देंगे.
गौतम - तुमसे मतलब? जिसे देखो वही बाबाजी कर रहा है यहा.
बूढा हसते हुए - अच्छा ठीक है, गुस्सा क्यू करता है सच कहु मुझे भी ये बाबा ढोंगी नज़र आता है.
गौतम - तुम्हे जो लगता है उससे मुझे क्या मतलब?जाके अपना काम करो.
बूढा - वही तो करने ऊपर आया हूँ. मैंने बहुत बार तुझे इस तरह यही पर इसी पेड़ के नीचे बैठकर जंगल को देखते हुए देखा है, आज सोचा आकर तुझसे कुछ बात करू की तू क्या देखता है और क्या तेरे मन में है?
गौतम ने एक नज़र बूढ़े को ऊपर से नीचे की तरफ देखा.. मैली कुचेली धोती को बदन पर लपेटे 70 साल का देखने वाला वो बूढा सर और दादी के सारे बाल सफ़ेद करवा चूका था जिनमे से आधे से ज्यादा झड़ भी चुके थे पैरों में पुरानी सी चप्पल जो मानो एक दूसरे से बिलकुल जुदा थी शायद अलग अलग साइज की भी होंगी. बूढ़े की ऐसी हालात और उसपर उसकी जटिल बातें गौतम के सर के ऊपर से ही जा रही थी गौतम को वो बूढा कोई सठयाया हुआ पागल मालूम पड़ता था.
गौतम - देख बुड्ढे ऐसी बात है 250 सीढ़ी चढ़कर आया हूँ पहले ही दिमाग खराब है तू और मत कर. जा यहां से.
बूढा- जाता हूँ लेकिन तूने मुझे पानी पिलाया है बदले में अगर तुझे कुछ चाहिए तो बता? मैं अभी दे देता हूँ.
गौतम बूढ़े की बात सुनके ओर ज्यादा झुंझला गया, एक तो बूढा फटीचर और फटेहाल ऊपर से बाते ऐसी की किसी सल्तनत का सुल्तान हो. गौतम ने गुस्से में आकर चिल्लाते हुए बूढ़े से कहा..
गौतम - ऐसा लोडा चाहिए जो हर औरत को दीवाना बना दे. देगा? चल भाग यहां से पागल बूढा, कब से सर खाये जा रहा है.
बूढ़े ने हँसते हुए गौतम से कहा - अच्छा अच्छा गुस्सा मत कर बच्चे, मैं चलता हूँ पर वहा उस पेड़ से थोड़े जामुन तोड़कर देदे इस उम्र में मुझसे नहीं तोड़े जाते..
गौतम का मन किया की उस बूढ़े को वापस कोई उल्टा जवाब दे दे मगर उसकी हालात और देखने से साफ दिखती बदन की हड्डिया देखकर गौतम को उसपर तरस आ गया और वो जाकर जामुन तोड़ लाया और उस बूढ़े को जो धोती के छोर को झोली बनाये खड़ा था दे देता है.
बुड्ढा - एक जामुन तू भी खा ले बेटा. इस पेड़ के जामुन बहुत स्वादिस्ट है.
इस बार गौतम बुड्ढे से बहस करने के मूंड में नहीं था उसने एक जामुन उसकी झोली से उठाया और पानी से धोकर अपने मुंह में डाल लिया. बुड्ढा ये देखकर मुस्कुराते हुए वापस नीचे चला गया और गौतम उस जामुन की गुठली को थूकते हुए वापस पहाड़ी के ऊपर आ गया जहा वही के एक पुराने आदमी ने गौतम से पूछा..
आदमी - वो बड़े बाबाजी क्या बात कर रहे थे तुमसे?
गौतम - पता नहीं क्या बकवास रहा था बुड्ढा. मुझे तो पागल-वागल लग रहा था.
आदमी - लड़के जबान संभाल के. जानता है वो कौन है? वो हमारे बाबाजी के बड़े भाई है, सालों से नीचे जंगल में रहते है उनकी वही कुटिया है. बाबाजी भी उनके चरण छूते है.
गौतम - जो भी हो मुझे उनसे क्या मतलब? हालात से भिखारी लग रहे थे.
आदमी - लड़के तू किस्मत वाला है जो बड़े बाबाजी ने तुझसे बात की है वरना लोग तरसते है उनसे मिलने के लिए. बाबा जी खुद भी कई-कई दिनो तक कई बार तो महीनों तक उनसे मिलने के लिए इंतजार करते है..
गौतम आदमी की बाते सुनकर वहा से जाता हुआ - लगता है यहां सारे लोग पागल है और फिर अपनेआप से बात करता हुआ गौतम वापस वही आ जाता है जहा उसने सुमन को छोड़ा था..
सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन की बारी आते आते दोपहर के डेढ़ बज गए..
सुमन हाथ जोड़कर - प्रणाम बाबाजी.
बुढ़ा - बोल बिटिया अब क्या चाहिए है?
सुमन - बाबाजी आपकी कृपा से एक प्यारासा बेटा मिला है पति की नोकरी वापस मिली है और गृहस्थी भी अच्छी चल रही है बस अब एक छोटे से घर की कमी है. सालों से सरकारी क्वाटर में गुजर हो रही है जहाँ ना सामान रखने की जगह है ना रहने की. आशीर्वाद दीजिये बाबाजी घर का कोई इंतज़ाम हो जाए.
बुढ़ा - घर का संजोग इस बरस के आखिर में बनता दिख रहा है बिटिया. तुझे दो काम करने होंगे, कर पाएगी?
सुमन - मैं करूंगी बाबाजी, जो आप कहोगे वैसा ही करुँगी. बस अपना खुदका एक छोटा सा घर बन जाए बाबाजी.
बुढ़ा - तो ठीक है मैं पर्चे पर दोनों काम लिख देता हूँ तू पढ़ने के बाद पर्चा बाहर आग में जाला देना.
सुमन - जैसा आप बोलो.
बुढ़ा पर्चा लिखते हुए - अगले छः माह तक ये दोनो काम तुझे बिना रुके करने होंगे..
बुढ़ा से पर्चा लेकर सुमन उठ जाती है बाहर आकर पर्चा पढ़ने लगती है.. पर्चे में पहला काम लिखा था की सुमन को हर पूर्णिमा लाल रंग के कपडे पहनने होंगे और दूसरा उसे पूर्णिमा वाले दिन ही अपने बेटे को अपना स्तनपान कराना होगा.
सुमन ने पर्चा पढ़कर यही एक जलती गोबर के उपलों की आग में डालकर स्वाह कर दिया और गौतम को देखने लगती है जो सामने ही एक पत्थर पर बैठा नीचे की तरफ देख रहा था.
सुमन - चले?
गौतम - शुक्र है पिछली बार की तरह शाम नहीं हुई.
सुमन - हां आज भीड़ थोड़ी कम थी.
दोनों एक साथ सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बात करने लगते है..
गौतम - तो कितना चढ़ावा दिया आज बाबाज़ी को?
सुमन - बाबाजी कहा कुछ मांगते है लोग तो अपनी इच्छा से देते है जो देना है.
गौतम - तो आज क्या इच्छा थी आपकी?
सुमन - तू भी ना बहुत उल्टी सीधी बातें करने लगा है आजकल. कोई और बात नहीं सूझती तुझे? जब देखो हर चीज में दोष निकालता रहता है. कभी किसी चीज में कुछ अच्छा नहीं दीखता?
गौतम - मुझे तो अच्छा बुरा सब दीखता है. पर आपको बस सबमे अच्छा ही दीखता है. कभी किसी बुरी चीज नहीं दिखती.
सुमन - चल अब जल्दी घर चल, तेरे पापा का फ़ोन आया था उनको सुबह कुछ साथ में ले जाना था जो घर छूट गया तू थाने जाकर दे आना..
गौतम बाइक के किक मारते हुए - छूटा नहीं होगा जानबूझ कर छोड़ गए होंगे. उन्हें तो मज़ा आता मुझे घुमाने में.
सुमन - अच्छा? तू सबको अपना दुश्मन मानता है..
गौतम - लो अब इस कबाड को स्टार्ट कर लो.. एक न्यू बाइक लेने के लिए कहा था ये सेकंड हेंड खटारा लाकर दे दी.. बिना दस लात खाये स्टार्ट होने का नाम ही नहीं लेती.
सुमन - ग़ुगु प्यार से करो हो जायेगी, देखो हो गई ना.
गौतम - माँ अब चलो बैठो इससे पहले की ये वापस अपना दम तोड़ दे..
सुमन बाइक पर बैठकर - चल. गुस्से में तेरी ऐसे लाल होती है जैसे टमाटर. और भी प्यारा लगता है मेरा बच्चा.
गौतम और सुमन शहर की गलियों में दाखिल हो जाते है और गौतम एक दूकान के आगे गाडी रोक लेता है.
सुमन - क्या हुआ?
गौतम - क्या मतलब? याद नहीं आपने क्या कहा था फ़ोन दिलाओगी?
सुमन - अरे मैं तो वो भूल ही गई थी.
गौतम - पर मुझे सब याद है.
सुमन - अच्छा चल ले ले जो चाहिए.
गौतम - आप भी चलो..
दूकान में कई फ़ोन देखने और परखने के बाद गौतम ने एक फ़ोन पसंद किया और उसे कुछ डाउनपेमेंट देकर इनस्टॉलमेंट पर खरीद लिया..
सुमन - ज्यादा महंगा नहीं ले लिया? तेरे पापा को पता चलेगा तो तेरे साथ मुझे भी कच्चा चबा जाएंगे.
गौतम - उन्हें कीमत बताएगा कौन? आप कह देना 15 हज़ार का है. उनको कोनसा पता चलेगा?
सुमन - तू मुझसे पता नहीं क्या क्या करवाएगा? अगर उन्होंने झूठ पकड़ लिया तो शामत पक्की है. कहीं देखकर ना पहचान ले की फ़ोन 15 नहीं 35 का है.
गौतम - आप अगर इस तरह हड़बड़ाकर बताओगी तो उन्हें बिना देखे पता चल जाएगा. बिलकुल वैसे कहना जैसे बुआ कहती है.
सुमन - हम्म अब वही डायन बची है नक़ल करने के लिए?
गौतम - चलो अब खोलो इस ताज़महल का दरवाजा या मैं खुल जा सिम सिम बोलू?
सुमन चाबी निकालकर - तू ना पिटेगा मुझसे पक्का.
गौतम - अंदर चलकर पिट लेना वैसे भी गब्बर सिंह का दो बार फ़ोन आ चूका है आज ना जाने कोनसी फ़ाइल भूल गए जल्दी से दे आता हूँ..
सुमन दरवाजा खोलकर - जा अलमारी में नीचे की तरफ पड़ी होगी ले आ मैं तब तक तेरे लिए एक ग्लास निम्बू पानी बना देती हूँ.
गौतम अपने माँ पापा के कमरे में चला जाता है और अलमीरा खोलके फ़ाइल देखने लगता है. कपड़ो और बाकी चीज़ो से लबालब भरी अलमीरा में जब गौतम सामने की तरफ इधर उधर देखता है तो उसे फ़ाइल नहीं मिलती और उसे याद आता है की सुमन ने उसे नीचे की तरफ फ़ाइल होने की बात कही थी मगर जैसे ही वो झुकने लगता है तब तेह किये हुए तौलिये के बीच गौतम को कुछ काला सा दिखाई देता है जिसे वो जब हाथ बढ़ाकर निकालकर देखता है तो उसकी आँखे फटी रह जाती और वो झट से उस कंडोम के पैकेट को वापस उसी जगह रख देता है और नीचे से फ़ाइल लेकर वापस बाहर आ जाता है..
सुमन - मिल गई फ़ाइल? ले निम्बू पानी पिले गर्मी में थक गया होगा.
गौतम निम्बू पानी का ग्लास लेकर एक सांस में पी जाता है और बिना कुछ बोले फ़ाइल लेकर बाहर आ जाता है. बाइक स्टार्ट कर गौतम सीधे थाने की तरफ चल देता है जहा पहुंचकर वो अपने पिता जगमोहन के साथी रामपाल से मिलता है जो उसे फ़ाइल इंचार्ज मैडम को देने के लिए कहते हुए बाहर चला जाता है..
फ़ाइल लेकर गौतम इंचार्ज मैडम रजनी के चेम्बर के बाहर आकर खड़ा हो जाता है और डोर नॉक करता है..