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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update 9

शाम के 6 बजे का वक़्त था और सुमन बेड पर बैठी हुई गौतम के घर आने का इंतज़ार कर रही थी. कुछ पलो में ही गौतम घर के दरवाजे पर आ चूका था और अंदर आ रहा था..
सुमन - कब का गया हुआ है. इतनी देर कैसे लगी तुझे?
गौतम - माँ वो दोस्त मिल गए थे, उनके साथ बैठ गया.. बाइक कैसी है..
सुमन बाइक देखकर मुस्कुराते हुए - मेरे ग़ुगु जैसी.. चल अब जल्दी से कपडे बदल.. रूपा आंटी के चलना है..
गौतम - माँ यार मैं थक गया, आप चली जाओ ना..
सुमन - पूरा दिन दोस्तों के साथ आवारागर्दी करेगा तो थकेगा ही.. मैं कुछ नहीं जानती.. कपडे निकाले हुए है जाकर बदलो.. और चलो मेरे साथ.. कितने प्यार से बुलाया है उसने.. नहीं जाएंगे तो बुरा लगेगा..
गौतम - वही नीला पीला निकाला होगा आपने..
सुमन - अब जल्दी कर.. सुबह भी फ़ोन किया था रूपा ने..
गौतम - हम्म देख रहा हूँ.. दो दिन में जादू कर दिया आप पर.. थोड़ा बचके.. चुड़ैल लगती है मुझे तो वो रूपा आंटी..
सुमन - कुछ भी बोलता है बदमाश.. चल अब..

सुमन गौतम के साथ रूपा के घर जाने को निकल पडती है..
सुमन - ग़ुगु रास्ते में स्वीट का डब्बा भी लेना है याद से किसी दूकान पर बाइक रोक लेना..
गौतम - स्वीट का क्या करना है अब?
सुमन - पहली बार किसी के घर जा रहे है ऐसे खाली हाथ जाएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा बेटू..
गौतम - जैसा आप बोलो माँ.. पर वैसे मुझे रूपा आंटी कुछ ख़ास पसंद नहीं आई..
सुमन - क्यों? इतनी अच्छी तो है वो.. तुझे क्यों पसंद नहीं आई?
गौतम - अब पहली मुलाक़ात में ही कोई किसीको अपने घर थोड़ी बुला लेटा है.. और डाइवोर्स भी हुआ है उनका.. मुझे तो कुछ अजीब लगती है..
सुमन हस्ते हुए - तू भी ना बिलकुल बुद्धू है.. मुझे तो रूपा दिल की साफ लगी.. कितनी प्यार से बात कर रही थी हमसे..
गौतम - हमसे कहाँ माँ? वो तो आपसे ही बात कर रही थी मुझपर तो ध्यान भी नहीं था आंटी का..
सुमन - तो इसलिए मेरे ग़ुगु को रूपा आंटी अजीब लग रही है.. चलो मैं उससे कहती हूँ तुझसे भी दिल खोल कर बात करें..
गौतम - मुझे नहीं करनी बात वात.. और मैं बस आपके कहने पर साथ आया हूँ.. वरना मेरा मूंड भी नहीं था आने का..
सुमन - अच्छा ज़ी..
स्वीट शॉप के आगे बाइक रोक कर..
गौतम - बताओ क्या लेना है?
सुमन पैसे देते हुए - कुछ भी जो तुझे पसंद हो.. ले..
गौतम दूकान से एक स्वीट का डब्बा लेकर वापस आ जाता है और दोनों फिर से रूपा के घर की और चल पड़ते है..
सुमन - ग़ुगु.. रास्ते से एक गुलदस्ता भी लेले?
गौतम - अब इस वक़्त शाम को गुलदस्ता कहा मिलेगा? और वैसे आप ज्यादा नहीं सोच रही रूपा आंटी के बारे में? देख रहा हूँ कल जब से वो आपसे मिली है आप पर जादू कर दिया है उन्होंने.. फ़ोन पर आपकी काफी बात होने लगी है.. मेरा तो ध्यान भी नहीं आपको.. कल से बात तक नहीं की ठीक से..
सुमन गौतम की गर्दन चूमकर - अच्छा ज़ी.. इसीलिए मेरे ग़ुगु को रूपा आंटी पसंद नहीं आ रही.. चलो इस बार माफ़ कर दो अपनी माँ को.. अब मैं अपने ग़ुगु का पूरा ख्याल रखूंगी..
गौतम - माँ वैसे एक बात पुछु? रूपा आंटी इतनी क्यों अच्छी लगी आपको?
सुमन - अच्छे लगने की कोई वजह थोड़ी होती है. वैसे भी तेरे अलावा मेरा है की कौन जिससे मैं अपने दिल की बात कर सकूँ? एक भी तो दोस्त नहीं है मेरा यहां.. पहली बार किसी ने इतने अपनेपन से और इतनी मीठी बातें की है.. लगता है जैसे रूपा मेरी बहुत पुरानी सहेली हो..
गौतम - अच्छा अच्छा बस बस.. मुझे और नहीं सुनना. मुझे तो अब डर लगने लगा है कहीं वो औरत मुझसे आपको छीनकर ना ले जाए..
सुमन हसते हुए - चल पागल कहीं का.. कभी ऐसा भी हो सकता है भला.. तू तो मेरी जान है.. तेरे लिए सो गुनाह भी माफ़ है..
ये कहते हुए सुमन गौतम के कंधे पर एक चुम्बन कर देती है और प्यार से उसका कन्धा सहलाती है..
गौतम - चलो आ गए आपकी सहेली के घर.. इसी बिल्डिंग की चौथी मंज़िल पर रहती है आपकी रूपा..
सुमन - जगह तो काफी अच्छी है.. बिल्डिंग भी सुन्दर है.. ग़ुगु..
गौतम - हाँ?
सुमन - मेरी साडी अच्छी लग रही है ना..
गौतम - साडी के साथ आप भी बहुत अच्छी लग रही हो अब चलो.. इतना शर्माओ मत.. आपके लिए लड़का देखने नहीं आये आपकी फ़्रेंड से मिलने आये है..

शहर के बीच बसी एक रिहायशी कॉलोनी में एक 11 मंज़िला ईमारत के नीचे गौतम अपनी बाइक लगा कर अपनी माँ सुमन का हाथ पकडे उसके साथ सीढ़ियों की तरफ आ जाता है और ऊपर चढ़ने लगता है.. सुमन सीढ़िया चढ़ते हुए अपने आप को देखे जा रही थी कभी अपना पल्लू ठीक करती कभी बाल कभी कुछ और जिसे देखकर गौतम मुस्कुराते हुए उसे छेड़ रहा था.. गौतम जब सुमन के साथ बिल्डिंग की चौथी मंज़िल पर पंहुचा तब सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ कर रोक लिया और उसकी शर्ट और बाल ठीक करती हुई बोली..
सुमन - आंटी से कोई उल्टी सीधी बात मत कह बैठना.. समझा..
गौतम - ठीक है अब डोरबेल बजा दू?
सुमन - हम्म.. काफी महंगा फ्लेट लगता है..
गौतम बेल बजाकर सुमन से - सही औरत से दोस्ती की है अपने. एक दिन किडनेप करके सारा पैसा लूट लेने आंटी का..
सुमन - चल बदमाश.. कुछ भी बोलता है..

रूपा बेसब्री से सुमन और गौतम का इंतज़ार कर रही थी. उसने सुबह ही अपना सारा सामान इस फ्लेट में शिफ्ट कर लिया था और 2BHK के इस फ्लेट को अच्छे से सजा लिया था.. रूपा की आम घेरलु महिला की तरह ही साडी पहनें अपने ख़्वाब को पूरा करने के ख्यालों में खोई हुई थी और आज का सारा दिन उसने इसी तयारी में गुज़ार दिया था की सुमन और गौतम जब शाम को आएंगे तब वो क्या क्या करेगी.. जितनी बेसब्री सुमन को थी उससे कहीं ज्यादा रूपा को थी..

शाम के 7 बजे जैसे ही घर की डोरबेल बजी रूपा की साँसे तेज़ हो गई.. वो हॉल में सोफे पर से खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ बढ़ गई.. एक लम्बी गहरी सांस दरवाजे के अंदर खड़ी रूपा ने ली तो उसकी तरह बाहर ख़डी सुमन ने भी वही किया.. रूपा ने दरवाजा खोलके सामने देखा तो सामने गौतम और रूपा थे.
आज संजोग से दोनों ने हूबहू एक ही रंग की एक जैसी साडी पहनी थी.. रूपा ने साडी को जयपुर के किसी शोरूम से ख़रीदा था जबकि सुमन को वो साडी उसकी ननद पिंकी ने जयपुर के उसी शोरूम से खरीद कर तोहफ़े में दिया था..

दरवाजा खुलने के बाद सुमन और रूपा एक दूसरे को बड़ी हैरानी और अचरज के भाव चेहरे पर लाकर देख रहे थे उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था लेकिन गौतम ने दोनों को यूँ बूत बनकर खड़े देखा तो वो कदम बढाकर घर अंदर आता हुआ बोला..
गौतम - खुशबु तो बहुत अच्छी आ रही है क्या बनाया है?
गौतम की बात से सुमन और रूपा दोनों का ध्यान टूट गया और दोनों जमीन की तरफ देखकर अपने बाल कान के पीछे करने लगी.. रूप ने सुमन को घर के अंदर बुलाया और दरवाजा बंद करते हुए गौतम की बात का जवाब दिया.
रूपा - बिरयानी बनाई है.. दीदी बता रही थी तुम्हे बहुत पसंद है..
गौतम - मुझे तो बहुत पसंद है पर माँ को पसंद नहीं.. वो नॉनवेज नहीं खाती..
रूपा - ये भी उन्होंने मुझे बताया है.. तुम चिंता मत करो बिरयानी के अलावा भी बहुत कुछ है..
गौतम - ओह.. तो अब आप दोनों के बीच ये सब बातें भी होने लगी है.. बड़ी फ़ास्ट हो आप तो..
सुमन स्वीट का डब्बा देते हुए - रूपा ये..
रूपा - दीदी इसकी क्या जरुरत थी?
सुमन - जरुरत कैसे नहीं थी? पहली बार आई हूँ खाली थोड़े ही आती.
रूपा - शुक्रिया दीदी.. आप आइये ना बैठिये..
रूपा सुमन और गौतम को हॉल में रखे एक बड़े से सोफे पर बैठती है और खुद रसोई की तरफ चली जाती है.. सुमन हाल में बैठी हुई घर को देखने लगती है और सोचने लगती है कि काश उसके पास भी ऐसा ही एक अपना घर होता.. गौतम सुमन के मन की बात उसकी आंखों से पढ़ लेता है और उसके करीब आकर उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ गाल चुमकर कहता है..
गौतम - क्या हुआ?
सुमन - कुछ नहीं.. घर बहुत अच्छा है..
गौतम - हम्म.. आपके लिए इससे अच्छा घर खरीदूँगा.. प्रॉमिस..
ये कहकर गौतम सुमन के गाल पर वापस एक प्यारी सी चुम्मी कर देता जो रूपा रसोई से देख रही होती है और सुमन और गौतम के इस माँ बेटे के प्यार से नाचाहते हुए भी जलन की आग में झूलस जाती है.. रूपा एक पल को सुमन की जगह अपने आप को सोचने लगती है और गौतम के मासूम चेहरे को चूमने का ख्वाब अपनी खुली आँखों से देखने लगती है तभी उसकी ख़्वाब भरी आँखे फ्रिज पर पडती है और वो अंदर से पानी की बोतल निकालकर दो ग्लास में पानी भरते हुए रसोई से बाहर आ जाती है.. रूपा सुमन और गौतम को पानी देते हुए..
रूपा - क्या हो रहा है माँ बेटे के बीच? हम्म?
गौतम - कुछ नहीं.. मैं तो अपनी माँ को बस किस्सी कर रहा था..
सुमन पानी लेते हुए - अरे तुम इसे छोडो, ये तो कुछ भी बोलता है.. और ऐसे ही मुझसे चिपका रहता है..
रूपा - अब अपनी माँ को गले नहीं लगाएगा तो किसे लगाएगा दीदी? इतना प्यारा बेटा दिया ऊपर वाले ने आपको.. काश मुझे भी दिया.. मैं भी अपने गले से लगाकर रखती..
गौतम उठकर रूपा के गले लगता हुआ - मैं हूँ ना.. आंटी..
रूपा गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए सुमन की तरफ देखती है. सुमन गौतम की इस हरकत पर शर्मिंदा होती हुई उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लेती है और रूपा से कहती है..
सुमन - रूपा ये तो पागल है.. तुम इसका बुरा मत मानना..
रूपा मुस्कुराते हुए सुमन के पास बैठकर - बुरा किस बात का दीदी? मुझे तो अच्छा लगा ग़ुगु ने मुझे अपनी माँ कहकर मुझे गले लगाया.. मैं भी तो उसकी माँ और आपकी बहन जैसी हूँ..
सुमन मुस्कुराते हुए - तुम सही कह रही हो रूपा.. वैसे घर बहुत अच्छा है तुम्हारा.. महंगा लगता है काफी..
रूपा - हाँ दीदी वो डाइवोर्स लेते हुए मेरे पति ने मेरे नाम किया था.. और हर महीने खर्चा भी भेजते है..
सुमन - मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा रूपा.. तुम्हारे जैसी इतनी प्यारी और खूबसूरत बीवी को कोई कैसे छोड़ सकता है..
रूपा उदासी - ये बातें छोडो दीदी, आप बताओ.. जीजा को साथ क्यों नहीं लाई?
सुमन - रूपा वो इनकी ड्यूटी होती है ना.. सरकारी नोकर है घर पर भी बहुत कम ही रहते है.. सुबह ही किसी सरकारी काम से शहर से बाहर गए है 2-3 दिन बाद आएंगे..
रूपा - आप बहुत लकी हो दीदी.. इतना अच्छी फॅमिली है आपके पास.. एक प्यारा सा बेटा और पति.
सुमन - हम्म.. बेटा तो बहुत प्यारा है मेरी जान है.. पर पति..
रूपा - क्या दीदी? आप सुबह भी फ़ोन पर कुछ कहते कहते रुक गई थी..
सुमन - कुछ नहीं रूपा.. छोडो..
रूपा - दीदी अब मुझे अपना कह दिया है तो अपना मान भी लो.. अपना दुख मुझसे तो बाँट ही सकती हो..
सुमन - कुछ नहीं रूपा.. बस इतना समझ लो तुम्हारे पति तुम्हरे साथ नहीं है और मेरे होकर भी नहीं है..
रूपा - मतलब दीदी.. मैं समझी नहीं..
सुमन - रूपा.. कई सालों से मेरे और उनके बीच कुछ नहीं हुआ.. अब वो बस काम ही करते है.. उसका होना उसके ना होने जैसा ही है..
रूपा - दीदी.. अगर कुछ प्रॉब्लम है तो उसका इलाज़ भी हो सकता है..
सुमन उदासी से - छोडो इन बातों को रूपा.. अरे गौतम कहा गया?
रूपा - यही होगा मैं देखती हूँ.. दीदी वो रहा..
गौतम रसोई में रूपा और सुमन की बातों से बेखबर फ़ोन पर किसीसे बात करते हुए बिरयानी खाने में मशगूल था..
सुमन मुस्कुराते - भूख तो बर्दाश्त ही नहीं होती इसे..
रूपा भी मुस्कुराते हुए - बच्चा है दी.. बच्चे तो ऐसे ही होते है.. खाना खाते हुए कितना प्यारा लगता है आपका ग़ुगु.. बिलकुल आप पर गया है..
सुमन - अब तो यही है मेरे पास..
रूपा - दीदी आओ ना मेरे साथ..
सुमन - कहा?
रूपा - अपना कमरा दिखाती हूँ आपको..
रूपा सुमन का हाथ पकड़कर अपने साथ रूम में ले जाती जहाँ पीछे पीछे गौतम भी आ जाता है..
गौतम - माँ..
रूपा और सुमन एक साथ उसकी बात का जवाब देते हुए कहती है..
सुमन और रूपा - हाँ..
फिर दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा बैठती है और सुमन गौतम से कहती है..
सुमन - क्या हुआ ग़ुगु..
गौतम - मेरा एक फ्रेंड पास में रहता है मैं उससे मिलके आता हूँ..
सुमन - मगर ग़ुगु..
रूपा - जाने दो ना दीदी.. फ्रेंड से मिलकर अच्छा लगेगा ग़ुगु को..
सुमन - ठीक है मगर ज्यादा देर मत करना..
गौतम - ठीक है माँ..
गौतम सुमन और रूपा को वही रूम में छोड़कर घर से बाहर आ जाता है और कहीं जाने लगता है, वही रूपा अलमारी में से वोटका की बोतल निकाल कर सुमन से कहती है..
रूपा - दीदी एक-एक हल्का लेते है..
सुमन - नहीं मैं शराब नहीं पीती रूपा.. तुम पीती हो?
रूपा - अकेली औरत का दुख शराब के नशे से गहरा होता है दीदी.. एक छोटा सा ले लो कुछ नहीं होगा.. ग़ुगु भी बाहर गया है..
सुमन - पर रूपा मैंने कभी शराब नहीं पी..
रूपा - तो क्या हुआ दीदी.. आज पहली बार अपनी इस छोटी बहन का साथ देने के लिए पी लो.. 1-2 पेग में तो कुछ होता भी नहीं है..
सुमन - जैसा तुम कहो..

रूपा अपने और सुमन के लिए एक एक पेग बनाकर हाथ में लेले थी और सुमन से बात करते हुए पिने लगती है.. सुमन भी रूपा के साथ खुलकर बातें करने लगी थी जिससे दोनों के बीच अब झिझक ख़त्म सी होने लगती है और रूपा दूसरा पेग बनाकर वापस सुमन को देती हुई कहती है..
रूपा - दीदी.. एक बात पुछु?
सुमन बिना किसी ना नुकुर के पेग हाथ में ले लेती है और पीते हुए कहती है..
सुमन - पूछो ना.. अब कैसी झिझक..
रूपा - अगर जीजा ज़ी आपसे सालों से दूर है तो आपका मन नहीं किया कभी कहीं बार किसी और के साथ कुछ करने का..
सुमन - रूपा.. तुम भी औरत हो और जानती हो इस उम्र में हर औरत का कितना मन करता है की कोई उसे प्यार करें उसका ख्याल रखे.. बच्चों की तरह उसे संभाले.. मेरे मन में बहुत बार ऐसे ख्याल आ चुके है पर मैं नहीं चाहती मेरे ग़ुगु पर इसका असर पड़े.. इसलिए मैंने उन ख्यालों को मन में ही जला के राख़ कर दिया..
सुमन की बात के साथ साथ उसका दूसरा पेग भी ख़त्म हो गया और उसकी आँखों के साथ उसके बर्ताव और बदन में भी नशा घुलता हुआ रूपा ने देख लिया..
रूपा मुस्कुराते हुए सुमन को देखने लगी - सही कहा रही हो दीदी.. कई बार अपनों के लिए अपनी चाहत का गला घोंटना ही पड़ता है..
ये कहते हुए रूपा ने बेड के किनारे रखे दराज में से एक सिगरेट का पैकेट और लाइटर निकाल लिया और उसमे से एक सिगरेट अपने होंठों ओर लगा कर सुलगा ली और एक कश लेकर सिगरेट सुमन की तरफ बढ़ाते हुए कहा..
रूपा - लो.. दीदी.. अपने दुखो को आज धुए में उड़ा कर हवा कर दो..
सुमन ने नशे में रूपा से सिगरेट लेकर होने होंठों से लगा ली और एक कश लिया मगर पहली बार सिगरेट पिने के कारण सुमन के मुंह से खासी निकल गयी..
रूपा ने सुमन को सँभालते हुए उसे सिगरेट पिने का तरीका बताया और फिर सुमन अगले कश से सिगरेट ऐसे पिने लगी जैसे वो बहुत पहले से पीती आ रही हो..
सुमन - रूपा तुमने तलाक़ के बाद किसीसे कुछ..
रूपा हसते हुए - नहीं दीदी.. अब धोखा खाने की हिम्मत नहीं है..
सुमन ने सिगरेट का कश लेकर रूपा को पकड़ा दी और बोली - काश तुम मुझे पहले मिली होती रूपा..
रूपा कश लेकर - हाँ दीदी मुझे भी इस बात का दुख है.. काश मैं आपसे पहले मिली होती.. रूपा की साडी का पल्लू सरक चूका था जिससे उसके ब्लाउज और बोबे पर बना टट्टू थोड़ा सा रूपा को दिख गया..
सुमन - टट्टू बनवाया है तुमने?
रूपा अपना ब्लाउज लूज़ करके अपना टट्टू सुमन को दिखाती हुई - हाँ दीदी देखो.. केसा है? बहुत पहले बनवाया था..
सुमन - गौतम..
रूपा सिगरेट का आखिर कश लेकर सिगरेट बुझाते हुए - हाँ दीदी.. मेरे पति का नाम भी गौतम था.. उसको खुश करने के लिए ही बनवाया था..
सुमन नशे - रूपा सच मुझे तुम्हारे लिए दुख हो रहा है.. कितना पत्थर दिल होगा वो आदमी..
रूपा और सुमन बेड पर करीब करीब जुड़कर ही बैठे थे और रूपा समझ चुकी थी की अब सुमन को नशा हो चूका है.. रूपा सुमन के गले में हाथ डाल लेती है और उसका चेहरा अपनी तरफ करके कहती है..
रूपा - दीदी आप दिल की बहुत साफ हो.. इस लिए आपको किसी और का दुख भी चुबता है..
सुमन रूपा की बात सुनकर मुस्कुरा देती है और रूपा की आँखों में देखती है उसी पल रूपा सुमन के लबों को अपने लबों को क़ैद में गिरफ्तार कर चूमने लगती है जिससे सुमन सन्न रह जाती है और उसे समझ नहीं आता की वो अब क्या करें? नशे में उसे रूपा की इस हरकत पर कुछ भी करने का होश नहीं था.. मगर रूपा ने इस प्यार से सुमन के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया था की सुमन भी अपने आप को उस प्यार में बहकने से नहीं रोक पाई..

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रूपा ने चूमते हुए सुमन के पुरे मुंह का स्वाद लेकर उसे अपना स्वाद चखा दिया था सुमन को भी इसमें असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे नहीं लगा था की किसी औरत के साथ वो कभी कुछ ऐसा भी करेगी और उसे उतना सुख मिलेगा.. कुछ ही पलो के बाद सुमन ने भी रूपा का साथ निभाना शुरू कर दिया और भर भरके रूपा के लबों को चूमने लगी जिससे रूपा सुमन की मानोभावना को समझ गई और मन ही मन में मुस्कुराते हुए इस पल का मज़ा लेने लगी..

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रूपा ने चूमते हुए सुमन के कपडे उतरना शुरू कर दिया उसकी साडी के बाद उसके ब्लाउज के बटन भी खोल दिए सुमन ने रूपा को मना नहीं किया और खुद भी उसके साथ काम के सागर में गोते खाने लगी. रूपा ने सुमन को चूमते हुए उसके गर्दन और उसके गाल से लेकर उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए उसके बूब्स को अपने हाथों से मसलते हुए दबाने लगी जिसे सुमन पुरी जोश में आ गई और वह भी रूपा के अंगों के साथ खेलने लगी. काफी लंबे समय से चल रहे इस चुम्बन को रूपा ने तोड़ दिया और अपने पर्स को उठाकर उसमें से एक गोली निकलते हुए अपने मुंह में रख ली और उसे गोली को अपने मुंह में रखकर वापस सुमन को अपने होठों से लगा लिया और उसके होंठ चूसने लगी दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते हुए दोनों एक दूसरे को चूमते हुए उसे गोली को चाटने और चूसने लगे धीरे-धीरे दोनों ने उसे गोली को चाट चाटकर आधा-आधा अपने अंदर उसका रस ले लिया जिससे उनके काम की प्यास और बढ़ गई और दोनों एक दूसरे में समा जाने को आतुर हो गई.

रूपा ने इस बार सुमन को देरी ना करते हुए पूरा नंगा कर लिया और बिस्तर पर लेटा दिया और खुद भी उसके ऊपर आ गई अपने कपड़े उतार कर रूपा ने नीचे नंगी पड़ी सुमन को वापस अपने आगोश में ले लिया और चूमने लगी उसकी गर्दन पर हल्के हल्के दांतों से निशान छोड़ने लगी जिसमें सुमन को अकाल्पनीय आनंद की प्राप्ति होने लगी और वह रूपा को अपनी बाहों में भरकर खुद भी ऐसा ही करने लगी जिससे रूपा को सुमन की मन की हालत पता चल गई और वह सुमन को अपने बाहों में भरकर और प्यार करने लगी.

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रूपा ने चुंबन के बाद में सुमन की छाती को अपना शिकार बना लिया और अपने दांतों से सुमन के निपल्स को काटते हुए चूसने लगी और मसलने लगी सुमन आहे भर्ती हुई नशे में मस्त होकर रूपा को अपने और खींचने लगी और उसे भर भर के अपने बूब्स चूसने लगी. सुमन रूपा को अपनी और खींच रही थी और उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी वह चाहती थी कि आज रूपा उसे संतुष्ट कर दे नशे के मारे सुमन क्या कर रही थी उसे खुद भी नहीं पता था मगर जो वह कर रही थी उसे उसे बहुत आनंद मिल रहा था और वह सोच रही थी कि काश यह पल यही थम जाए.

सुमन ने पिछली रात जो गौतम और पिंकी को एक साथ देखा था उसके बाद से वह कामुक हो गई थी और उसी का असर अब तक उसके अंदर बाकी था जिससे उसे रूपा के साथ बहकने में मदद मिली थी. वह अपने काम की तृप्ति रूपा के द्वारा आज कर लेना चाहती थी सुमन रूपा को किसी भी चीज के लिए नहीं रोक रही थी और दोनों एक दूसरे को इस तरह से अपने आगोश में लिए हुए चुंम और चाट रहे थे एक दूसरे के उरोजो को दबा के कस रहे थे जैसे दोनों जन्मो के प्यासे हो और एक दूसरे के लिए बने हो. कल रात से जो आग सुमन के अंदर जल रही थी उसे रूपा ने और बढ़ा दिया था और दोनों उस आग में झुलस चुके थे रूपा ने सुमन के नीचे आते हुए अपने होंठ उसकी टांगों के जोड़ पर लगा दिया और एक बार सुमन को देखकर मुस्कुराती हुई उसके नारीत्व को अपने मुख से चूमने लगी..

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रूपा के होंठ जैसे ही सुमन के नारीत्व/चुत पर लगे सुमन के मुंह से बाहर निकल पड़ी और वह बिस्तर पर चादर को अपनी दोनों हथेलियां में पकड़ कर मुट्ठी बंद करते हुए सिसकियाँ लेने लगी. रूपा सुमन को देखकर मुस्कुराते हुए बड़े मजे के साथ उसके जांघों के जोड़ पर अपने मुंह को लगाए हुए उसकी चुत को चाट रही थी. रूपा की कामकला से सुमन कुछ ही देर में अपने झरने को बहा बैठी और झड़कर फारीक हो गइ. उसके बाद रूपा ने फिर से सुमन को अपने आगोश में लेकर चुमना शुरू कर दिया और इस बार वापस सुमन रूपा को चूमने लगी. इस बार सुमन ने रूपा के नारीत्व पर प्रहार किया और उसकी चुत को अपने होठों में भरने का प्रयास करने लगी. सुमन के ऐसा करने पर रूपा ने सुमन के सर पर हाथ रखकर उसका सर अपने चुत पर दबा लिया. और उसे अपनी चुत चूसाने का आनंद भोगने लगे. कुछ ही देर बाद रूप ने भी अपने नारीत्व से झरना बहा दिया और वह भी झाड़कर साफ हो गई.

इतना होने के बाद जब दोनों ने एक दूसरे को देखा तो सुमन शर्म से आंख चुराते हुए मुस्कुराने लगी और हंसते हुए रूपा बिस्तर से उठ खड़ी हुई और सुमन को देखने लगी. सुमन भी रूपा को देखे जा रही थी. दोनों की आंखों ही आंखों में जो बात हो रही थी वह कहना लफ्जों में मुश्किल है. दोनों पर गोली का असर था असर था नशे का खुमार.. रूपा ने मुस्कुराते हुए यह मोन तोड़कर सुमन से अगला पैक बनाने के लिए पूछा तो सुमन ने हां में सर हिला दिया और फिर रूप ने वोडका के और दो पैक बनाएं और एक समान को देखकर एक खुद पीने लगी. दोनों के जिस्म पर अभी एक भी कपड़ा नहीं था और दोनों ने अब शर्म उतार दी थी दोनों के बीच की दोस्ती जो कल शुरू हुई थी वह आज बिस्तर पर और प्रगाड़ हो चुकी थी दोनों को एक दूसरे के साथ इतना आनंद मिला जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी सुमन तो जैसे रूपा की दीवानी हो चुकी थी वह रूपा में अपनी सहेली और अपने गम की साथी दोनों तलाश करने लगी थी.

रूपा सिगरेट जलाते हुए एक काश लेकर सिगरेट को सुमन की तरफ बढ़ा दिया जिसे इस बार सुमन ने बिना किसी नानुकुर के अपने उंगलियों में थाम लिया और अपने होठों से लगाकर एक लम्बा कश लेकर रुपा को देखने लगी. रूपा और सुमन दोनों पर ही गोली का असर था. और दोनों के अंदर की आग भड़क रही थी सुमन तो अपने अंदर इतनी गर्मी महसूस कर रही थी जिसको उसे आज तक एहसास नहीं हुआ था. सिगरेट के दो-तीन कश लेकर सुमन ने सिगरेट वापस रूपा को दे दी और अपना पैक खत्म करते हुए बिस्तर से खड़ी हो गई रूपा के करीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया. रूप ने सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट बुझा दी और फिर सुमन को अपने होठों का जाम पिलाकर वापस उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसकी आंखों में देखने लगी. रूपा को सुमन की आंखों में काम की प्यास साफ दिखाई दे रही थी..

रूपा सुमन की चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी जिससे घर्शन पैदा हो रहा था और दोनों को ही आंनद आ रहा था जिससे दोनों आँख बंद करके महसूस कर रही थी.
कुछ देर के बाद रूपा ने सुमन को वहीं छोड़ दिया और बिस्तर से उठकर उसे देखने लगी. सुमन इस तरह बीच में ही रूपा को उठा देखकर हैरानी से उसे अपने पास बुलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया मगर रूपा उसे देखती हुई खड़ी ही रही.. दोनों की नजरों में काम की प्यास थी मगर सुमन इस बात को अपने होठों से नहीं कह सकती थी. रूपा ने सुमन की प्यास को पढ़ लिया था और अब वह बिस्तर से उठकर दूर जाते हुए एक अलमारी खोलकर ऊपर से कुछ सामान उतारने लगी.

रूपा को देखकर सुमन की आंखें फटी की फटी रह गई और वह एकटक रूपा को देखने लगी रूपा अलमारी से समान उतार कर अपने बदन पर कुछ पहने लगी जिसे देखकर सुमन हैरान थी और काम से भरा होने के कारण उसकी आंखों में शर्म जो होनी चाहिए थी वह कहीं गुम थी. रूपा ने एक सेक्स टॉय अपने कमर पर बांध लिया था और अब वह बिस्तर पर आ चुकी थी. रूपा ने चूमते हुए सुमन को वापस वैसे ही लेटा दिया और सेक्स टॉय को सुमन की चुत पर रगड़ने लगी. सुमन को इसमें सुख मिल रहा था वह रूपा को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए चूम रही थी और अपने पैर को फेलाकर उसे सेक्स टॉय को अपनी चुत पर रगड़वा रही थी. रूप ने ज्यादा देर ना करते हुए सुमन की गीली हो चुकी चुत पर उसे सेक्स टॉय को सेट किया और धक्का देते हुए उसे अंदर घुसने लगी जिसमें सुमन को दर्द होने लगा और वह सिसकियाँ लेती हुई तिल मिलाकर रुपा से लिपट गई.

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रूपा ने अपना काम जारी रखा और सुमन की चुत में सेक्स टॉय घुसने का प्रयास करती रही. कुछ पलों में रूपा को अपने काम में सफलता मिल गई और आधे से ज्यादा सेक्स टॉय सुमन की चुत में घुस चुका था. सुमन कई सालों बाद इस तरह अपनी चुत में लंड जैसा सेक्स टॉय लेकर आहे भरती हुई सुख भोग रही थी.. धीरे-धीरे रूपा ने सुमन को सेक्स टॉय की मदद से चोदना शुरू कर दिया. सुमन सिसकियाँ लेती हुई रूपा के नीचे लेटकर सेक्स टॉय की मदद से चुदवाती हुई मजे लेने लगी. उसे आज कई सालों बाद में इस तरह का मजा मिल रहा था सुमन आज अपनी प्यास बुझा लेना चाहती थी.

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कुछ ही देर के बाद में रूपा ने सुमन को घोड़ी बना लिया और घोड़ी बनाकर उसकी चुत में सेक्स टॉय को पेलते हुए चोदने लगी.. रूपा कैसा करने पर सुमन की हालत ऐसी थी जैसे कई सालों बाद चुद रही किसी लड़की की होती है उसे जो मजा मिल रहा था वह खुद भी बयान नहीं कर सकती थी और रूपा चाहती भी यही थी कि वह सुमन के साथ इतना गहरा रिश्ता कायम कर ले कि उसे और गौतम को फिर सुमन की चिंता ना करनी पड़े. इस वक्त जिस नशे और काम सुख के अंदर सुमन डूबी हुई थी उसे गौतम का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था वह यह भी भूल गई थी कि गौतम वापस भी आ सकता है वह तो बस रूपा के माध्यम से अपनी प्यास बुझा देना चाहती थी और वैसा ही कर भी रही थी वह अब खुलकर रूपा का साथ देने लगी थी और खुद भी रूपा को अपनी प्यास बुझाने के लिए बोल रही थी.

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दोनों ने काम के अभीभूत होकर एक दूसरे को अपना लिया था और एक दूसरे की जरूरत समझते हुए एक दूसरे को अपना सहारा बना लिया था.

दोनों का यह संभोग रात भर चलता रहा और दोनों ही रात भर एक दूसरे को बिस्तर में हारने का प्रयास करती रहे जबकि इस प्रयास में दोनों को ही सुख मिल रहा था सुमन तो इस तरह इस सुख में डूबी हुई थी कि उसे याद ही नहीं रहा कि कब रात के 3:00 चुके थे. कई बार झड़ने और नशे के साथ गोली का असर कम होने के बाद जब सुमन की काम की भूख कम हुई तब उसे गौतम का ख्याल आया और वह तुरंत अपने कपड़े पहन कर रूपा से गौतम के बारे में बात करने लगी जिसपर पर रूपा ने मुस्कुराते हुए उसके लबों को चूम कर उसे शांत होने को कहा और फिर गौतम को फोन करने लगी. गौतम का फोन करने पर कमरे में गौतम के फोन के रिंग की आवाज आने लगी जिससे वह दोनों समझ गई कि गौतम वापस आ चुका है सुमन ने कपड़े पहनकर कमरे से बाहर देखा तो पाया कि गौतम बाहर सोफे पर ही लेटा हुआ सो रहा था और उसका फोन सोफे के सामने पड़ी टेबल पर रखा हुआ बज रहा था जिससे सुमन की जान में जान आई और वह रूप को देख कर मुस्कुराती हुई वापस उसके गले से लिपट गई.

रूपा - दीदी आप भी फिज़ूल चिंता कर रही थी.. देखो कितने प्यार से ग़ुगु सो रहा है.. कितना प्यारा लग रहा है सोते हुए.
सुमन - रूपा दीदी नहीं.. मुझे सुमन ही कहकर पुकारो.. और आप वाप छोडो गैरों जैसा लगता है तुम कह कर बुलाओ रूपा..
रूपा - जैसा तुम बोलो.. अब इधर आओ.. मुझे थोड़ा सा प्यार और करना है तुमको..
सुमन - सच में रूपा, तुम कोई जादूगरनी हो.. दो दिनों में ऐसा असर कर दिया है लगता है पिछले जन्म की सखी हो..
रूपा - तुम हो ही इतनी अच्छी दीदी.. तुम्हे देखते है मन बहकने लगता है.. मन करता है तुम्हे अपनी बाहों में लेकर प्यार करती रहु..
सुमन - तो करो ना रूपा.. मैं तो कब से प्यार की प्यासी हूँ.. मैं तुम्हे रोकूंगी नहीं.. और वापस दीदी?
रूपा - माफ़ करना.. पर मैं तुम्हे दीदी ही बुलाऊंगी..
सुमन - अच्छा ठीक है मेरी रूपा..


दोनों पर गोली का असर अभी था और दोनों अभी काम की आग में सुलग रही थी कई बार झड़ने के बाद भी बची हुई इस हवास को पूरा करने के लिए रूप ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे बिस्तर पर पटक लिया और उसके ऊपर चढ़ते हुए वापस उसकी गर्दन को चूमने लगी और सेक्स स्टोरी की मदद से वापस उसे चोदने लगी. सुमन मैं भी रूपा के बाद उसे सेक्स टॉय से चोदने का प्रयास किया मगर गौतम का लंड ले चुकी रूपा को 6 इंच के उस सेक्स टॉय से चुदकर कहा शांति मिलती? फिर भी वो सुमन की खातिर ऐसा कर रही थी और पुरे मज़े दे रही थी..

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सुबह की पहली किरण निकल चुकी थी और रूपा अभी भी सुमन के साथ बिस्तर में लिपटी हुई थी.. इस बार रूपा नीचे और सुमन उसके ऊपर थी और बड़े चाव से रूपा की मुंह का रस पी रही थी.. सुमन एक रात में ही रूपा के साथ इतनी खुल चुकी थी की उसे अब रूपा के साथ किसी भी बात को कहने या सुनने में कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थी.. दोनों में प्रेम भी बढ़ चूका था और सुमन तो रूपा से पूरी तरह प्रभावित हो चुकी थी..

सुमन ने कुछ देर बाद चुम्बन तोड़ दिया और रूपा से बोली - सुबह हो गई रूपा.. अब मुझे चलना चाहिए..
रूपा - दीदी .. थोड़ी देर और नहीं ठहर सकती तुमको?
सुमन मुस्कुराते हुए - रूपा मेरा मन तो बहुत है रुकने का पर अगर ग़ुगु ने हमें ऐसी हालात में देख लिया तो ना जाने क्या सोचेगा..
रूपा - अच्छा ठीक है.. चलो नहा लेते है..
सुमन - हम्म.. तुम नहा लो मैं तुम्हारे बाद नहा लुंगी..
रूपा - बाद में नहीं दीदी.. मेरे साथ नहाना पड़ेगा.. चलो..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा ज़ी.. चलो तो फिर.. एक साथ नहाते है..

रूपा सुमन को बाथरूम में ले जाती है और अपने हाथ से नहलाने लती हैं सुमन भी अपने अंग पर रूपा के हाथ का स्पर्श पा कर उत्तेजित होने लगती है और बदले में रूपा के बदन को मसलने और चूमने लगती हैं. रूपा एक बार फिर से सुमन को हल्का करने में कामयाब रहती है और दोनों कुछ देर बाद नहा कर बाथरूम से निकल जाते हैं.

ग़ुगु.. ग़ुगु.. यहां क्यों सो गए? अंदर सो जाते ना.. रूपा ने ग़ुगु को जगाते हुए कहा..
ग़ुगु अपनी आँखे मलता हुआ उठा तो उसने देखा की उसके सामने रूपा बैठी है और उसकी माँ सुमन रसोई में चाय बना रही है..
वो रात को बहुत नींद आ रही थी तो बस लेटते ही नींद आ गई..
सुमन चाय लाते हुए.. अच्छा ज़ी नींद आ गई थी? कबतक बाहर था तू.. कहा था ना जल्दी आ जाना. फिर भी देर हो गई थी..
गौतम चाय लेते हुए - माँ वो खाना ज्यादा हो गया था इसलिए कब नींद आई पता ही नहीं चला.. रात को बिरयानी बहुत अच्छी मनाई थी आंटी ने..
रूपा - ऐसी बात है तो मैं वापस गर्म कर देती हूँ तेरे लिए..
सुमन हस्ते हुए गौतम के बाल सहला कर - मेरा भुक्कड़ बेटा..
गौतम - आप दोनों ने रात भर क्या क्या बातें की?
रूपा मुस्कुराते हुए - हमने क्या क्या किया है वो तुझे क्यों बताये? वो तो हमारा सीक्रेट है..
सुमन - हाँ.. तू किस दोस्त के पास गया था तूने बताया हमें? फिर हम क्यों बताये?
गौतम - अच्छा ठीक है मत बताओ मुझे जानने का शोक भी नहीं है.. मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा था..
कहते हुए गौतम वही का कप टेबल पर रख कर बाथरूम चला जाता है और सुमन खाली कप लेकर रसोई की तरफ. सुमन के पीछे पीछे रूपा भी रसोई में चली जाती है और उसे कसके अपनी बाहों में भरती हुई वापस चूमने लगती है..

सुमन - रूपा ग़ुगु यही है.. देख लेगा तो जवाब देते नहीं बनेगा..
रूपा - आप हो ही इतनी प्यारी दीदी... मुझसे रहा ही नहीं गया..
गौतम के आने की आहट से दोनों एकदूसरे से थोड़ा दूर खड़े हो जाते है..
गौतम - मुझे वापस भूक लगी है.. आपने बिरयानी गर्म नहीं की अभी तक?
रूपा - अरे बाबा अभी गर्म कर देती हूँ..
सुमन - तुम्हे तो जरुरी फ़ोन करना था ना रूपा.. तुम पहले वो कर लो मैं कर देती हूँ गर्म..
रूपा - ठीक है दीदी.. मैं आती हूँ..
गौतम - वाह क्या बात है आपको नॉनवेज देखना भी पसंद नहीं था अब ये क्या है?
सुमन - मेरे ग़ुगु के लिए कुछ भी चलेगा..
गौतम - अच्छा तो फिर थोड़ा सा खाना भी पड़ेगा अपने ग़ुगु के साथ.. बोलो खाओगी?
सुमन - छी..
गौतम - छी.. क्या? रहने दो फिर चलते है मुझे भी नहीं खाना..
सुमन बिरयानी प्लेट पर ड़ालते हुए - लो अब नाटक मत करो..
गौतम - केसा नाटक? आप मेरे साथ खाओगी तभी मैं खाऊंगा वरना वापस रख दो इसे...
सुमन - अच्छा बाबा एक चम्मच खिला दे ला..
गौतम - बिरयानी चम्मच से नहीं खाते माँ.. लो मुंह खोलो.. आ करो..
सुमन - उम्म्म्म...
गौतम - कैसी लगी?
सुमन मुंह से छोटी सी हड्डी निकलती हुई - ये क्यों खिलाया..
गौतम - माँ आप भी ना अब बिरयानी में पीस तो अता है.. लो एक और खाओ..
सुमन - आराम से ग़ुगु... तुमको भी खाओ अब..
गौतम - खा रहा हूँ ना.. कैसी लगी आपको? अच्छी है ना?
सुमन - हाँ.. बहुत अच्छी है..

कुछ देर के बाद सुमन गौतम को लेकर रूपा से विदा लेती हुई उसके घर से निकल जाती है और अपने घर आ जाती है.






Shaandar super hot erotic update 🔥 🔥 🔥 🔥 🔥
 

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शाम होने को थी सुमन आज सारा काम धाम ख़त्म करके गौतम के पास आई औऱ स्टडी टेबल के आगे चेयर पर बैठे गौतम के सर को सहला कर प्यार से उसके माथे पर चुम्बन करके बोली.. चाय बना दू?
गौतम - हां..
सुमन वहा से रसोई में आ गई औऱ चाय बनाने लगी गौतम फिर अपनी किताब बंद करके टेबल पर रखकर खड़ा हो गया औऱ अपने फ़ोन पर आपने दोस्त आदिल का फ़ोन आते देख उसे तुरंत उठा लिया औऱ बात करने लगा..
गौतम - हेलो..
आदिल - हां कहाँ है रंडी?
गौतम - वही जहाँ हमेशा रहता हूँ.. तेरी अम्मी के भोसड़े में..
आदिल - बकचोदी मत कर रंडी.. आज फ्री है तो बता?
गौतम - आज किसकी दिलवा रहा है भाई?
आदिल - माँ के लोडे हवसी, हमेशा लेने की सोचा कर तू..
गौतम - अरे तो बोल ना, क्या काम है?
आदिल - शादी में चलना है.. चलेगा?
गौतम - किसकी शादी में?
आदिल - उससे अपने को क्या करना है? शादी का कार्ड आया हुआ पड़ा है अब्बू शहर से बाहर है, घर से औऱ कोई जा नहीं रहा तो सोचा मैं ही चला जाता हूँ. तू चलेगा तो बता? दोनों भाई मिलकर लड़किया ताड़ेंगे..
गौतम - भाई बाइक में तेल डलवा देना फिर चाहे अमेरिका ले चल मुझे, मैं तो फ्री हूँ..
आदिल - ठीक है रंडी.. शाम को सात बजे घर आ जाना औऱ लेट मत करना..
गौतम - ठीक है चल, रखता हूँ..

गौतम आदिल से बात करके नहाने चला जाता है औऱ सुमन चाय लेकर कमरे में आ जाती है..
सुमन - ग़ुगु...
गौतम बाथरूम से - हाँ माँ..
सुमन - बच्चा.. नहा रहा है क्या?
गौतम - हाँ माँ..
सुमन - पर सुबह नहाया तो था ना..
गौतम - कहीं जाना है माँ..
सुमन - कहाँ?
गौतम - दोस्त के भाई की शादी है.. बुलाया है उसने..
सुमन - ठीक है मैं कपडे निकाल देती हूँ बेटू..
गौतम - माँ कोई पीला गुलाबी मत निकाल देना..
सुमन - अरे नहीं, तेरी बुआ जो लाई थी तेरे लिए उनमे निकलती हूँ..

सुमन अलमीरा खोलकर नीचे पड़े बैग से सभी कपडे औऱ जूते जो पिंकी गौतम के लिए आई थी निकालकर बेड पर पटक लेती औऱ उनमे से गौतम के लिए कपडे निकालने लगती है..
सुमन मन में - हम्म.. पिंकी कितनी भी ऐयाश औऱ कमिनी क्यू ना हो.. ग़ुगु के लिए हमेशा दिल खोल के खर्चा करती है.. अब इनमे से क्या निकालू.. ये सब अच्छे लगेंगे मेरे ग़ुगु पर.. ये ठीक रहेगा..

सुमन एक ब्लैक शर्ट औऱ लाइट ब्लू जीन्स निकाल कर बेड पर एक तरफ रख देती औऱ उसके साथ ही ब्लैक शूज भी रख देती है, बाकी कपडे औऱ जूते बैग से निकालकर अलमीरा में जमा के रख देती है फिर कमरे से बाहर चली जाती है..
गौतम नहाकर बाथरूम से बाहर निकलता है औऱ बेड के किनारे रखी चाय की चुस्की लेकर कपडे पहनने लगता है.. चाय पीते हुए कपडे पहनकर गौतम कमरे से बाहर आ जाता है औऱ रसोई में सब्जी काट रही सुमन को पीछे से बाहों में भर लेता है..

सुमन - अरे.. आज क्या बात है? बहुत प्यार आ रहा है अपनी माँ पर मेरे ग़ुगु को..
गौतम - आज मतलब? मुझे तो हमेशा आता है अपनी खूबसूरत माँ पर प्यार? अपनी माँ से प्यार करना गलत है?
सुमन - बिलकुल भी नहीं.. मैं चाहती हूँ मेरा ग़ुगु मुझसे हमेशा प्यार करें.. अच्छा ये बताओ सच में शादी में जा रहे हो ना? किसी गर्लफ्रेंड से मिलने तो नहीं जा रहे?
गौतम - एक काम करो आप साथ चलकर तस्सली कर लो.. आपको तो आजकल मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं होता?
सुमन - अच्छा ठीक है बाबा.. वैसे अगर गर्लफ्रेंड से मिलो तो थोड़ा ख्याल रखना औऱ कुछ करो कंडोम जरूर पहन लेना.. समझें?
गौतम - पहली बात तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. औऱ दूसरी बात, आपको शर्म नहीं आती अपने जवान बेटे से इस तरह की बात करने में?
सुमन हसते हुए - जवान औऱ तु? क्या बात है? पहले मेरा दूदू पीना छोड़ दे फिर जवाँ होने की बात कहना..
गौतम - आपने ही तो पिलाया था.. मेरी क्या गलत इसमें?
सुमन हस्ते हुए - अच्छा औऱ उस दिन शाम को कौन आया था मेरे पास दूदू के लिए? माँ बस पांच मिनट पीला दो... वैसे आज बहुत अच्छी खुश्बू आ रही है कोनसा परफ्यूम लगाया है?
गौतम - पता नहीं बुआ लेके आई थी.. मैंने नेट पर सर्च किया था *** नाम है, पर माँ बहुत महँगा परफ्यूम है बुआ ने फालतू में इतना खर्चा कर दिया..
सुमन - ग़ुगु.. सिर्फ परफ्यूम ही नहीं तेरे कपडे जूते औऱ बाकी सामान ज़ी बुआ ने दिया है सबकुछ बहुत महँगा है.. चलो उस पिंकी को किसी का तो ख्याल है. तेरे लिए तो हमेशा उसकी जेब खुली रहती है..
गौतम - हाँ.. वो बात तो है माँ, जेब के अलावा भी बहुत कुछ खुला रहता है.. बिना कुछ बोले सबकुछ ले आती है मेरे लिए बुआ.. वैसे आप उनसे इतना क्यू गुरेज करती हो? वो तो आपसे बहुत प्यार करती है..
सुमन - प्यार औऱ वो? वो तो बस पैसो से प्यार करती है.. पैसो के लिए अपने से इतने बड़े आदमी से शादी करके बैठी है.. यहां भी मुझे या तेरे पापा से मिलने नहीं बल्कि तुझसे मिलने आती है. उसे बस तेरी परवाह है.
गौतम - उनको मेरी परवाह है तो फिर आप इतना बैर क्यू रखती हो बुआ से?
सुमन - क्युकी.. उसका कोई भरोसा नहीं.. हवस में अंधी होकर तेरे साथ.. मैं तो उसकी जान ही ले लू..
गौतम - आप ना इस चार दिवारी में रहकर पागल हो रही हो.. बुआ के मन में ऐसा कुछ नहीं है वो तो मुझे बच्चों की जैसे प्यार करती है.. खामखा आप गलतफेहमी पालकर रिस्ते मत खराब करो.. मैं चलता हूँ, अपना ख्याल रखना.. रात को आने में थोड़ी देर हो जायेगी..

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गौतम ये कहते हुए सुमन के गालो को वापस चुम लेता औऱ मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखकर घर से बाहर चला जाता है फिर अपनी बाइक स्टार्ट करके आदिल के घर के बाहर आ जाता है वही सुमन गौतम और पिंकी के बारे जानते हुए भी दोनों से ये बात छुपाने मेंसबकी भलाई और फ़ायदा समझती है..

गौतम आदिल के घर के बाहर आकर खड़ा ही हुआ था कि उसे सामने से बुरका पहने आती हुई एक औरत दिखी जिसके बड़े और तने हुए बूब्स बुर्के में भी साफ हिलते हुए नज़र आ रहे थे.. गौतम से उसे देखकर छेड़े बिना रहा ना गया औऱ वो उस औरत को देखकर जोर से बोला..
गौतम - हिला हिला चलती हो चुचे.. क्या मार डालोगी?
जानेमन हमें नहीं चूसाओगी तो क्या आचार डालोगी?

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औरत गौतम कि बात सुनकर उसके करीब आ जाती है औऱ अपने बुर्के का पर्दा उठाकर गौतम का हाथ पकड़ते हुए बोलती है..
औरत - अंदर आजा चूसाती हूँ तुझे.. बहुत जवानी चढ़ी है.. हरामजादे..
औरत ने जैसे ही बुर्के का पर्दा उठाकर अपनी शकल दिखाई गौतम कि सिट्टी पिट्टी सब गुल हो गयी.. उसके सामने आदिल कि माँ शबाना खड़ी थी जिसे गौतम ने कोई अनजान औरत समझके छेड़ दिया था..

गौतम - आंटी आंटी माफ कर दो.. गलती से मुंह से निकल गया.. मुझे पता नहीं था आप हो..
शबाना - एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सब पता चल जाएगा तुझे.. अभी ठीक से दाढ़ी-मुछ भी नहीं आई औऱ लड़की छेड़ने लगे है नवाबसाब.. सूरत से इतने मासूम है औऱ सीरत से शैतान के भी अब्बा हो गए है..
गौतम - आंटी. आप इतनी सेक्सी लग रही थी आते हुए कि अपनेआप मुंह से निकल गया.. माफ़ कर दो..
शबाना - बेशर्म अपनी जबान को काबू में रख, अपने दोस्त कि अम्मी पर लाइन मारता है कमीना..
गौतम - अब आप हो ही इतनी खूबसूरत मैं क्या करू? अपनेआप आपकी तारीफ़ जुबान से निकल जाती है..

शबाना गौतम कि बातें सुनकर मन ही मन उसके प्रति आकर्षित होने लगती है, उसके बेरंग बड़े जीवन औऱ सुनेपन में आज कई बरसो बाद किसी ने मीठे शब्दों कि चाशनी मिलाई थी.. शबाना गौतम के मासूम से चेहरे औऱ उसकी शहद सी बातो पर दिल हारने लगी थी कि उसे अपने औऱ गौतम बीच का फर्क याद आ गया औऱ वो ऊपर से सख्त बनने का नाटक करके उसे जवाब देती है..

शबाना - तेरी जुबान खींचकर गले में लपेट दूंगी समझा.. बड़ा आया तारीफ करने वाला.. अभी से ये हाल है आगे नजाने क्या गुल खिलायेंगे..
गौतम - बुरा क्यू मानती हो आंटी? मैं भी तो आपके लिए आदिल जैसा हूँ.. अपना बच्चा समझके माफ़ कर दो.. वैसे कल आपने जो मटन बनाया था बेहद लज़ीज़ था.. मैंने आदिल से भी कहा अगर आंटी मेरे सामने होती तो मैं उनके हाथ चुम लेता..
ये कहते हुए गौतम ने शबाना के हाथ को पकड़के अपने होंठों से चुम लिया.. गौतम के ऐसा करने पर शबाना हैरानी से इधर उधर देखने लगी औऱ अपना हाथ खींचते हुए बोली..
शबाना - जरा भी शर्म नहीं है क्या तुझमे? तेरी अम्मी जैसी हूँ छोड़.. कोई देख लेगा तो हंगामा हो जाएगा..
गौतम - अरे देख लेगा तो देख लेने दो.. मुझमे औऱ आदिल में कोई फर्क थोड़ी है.. वैसे आंटी.. आप जितनी खूबसूरत औऱ हसीन दिखती हो उतना ही लज़ीज़ खाना भी बनाती हो.. आपके हाथों का बनाया मटन वापस खाने कि इच्छा वापस हो रही है..
शबाना अपनी तारीफ सुनकर इस बार थोड़ी नरम पड़ जाती है औऱ मुस्कुराते हुए बोलती है - मेरी छोड़ अपनी देख.. जितनी प्यारी तेरी शकल है ना, मेरी जगह कोई औऱ होती तो अपने सलवार में पूरा घुसा लेती तुझे.. औऱ मटन तो जब भी तुझे खाना हो बोल देना आदिल को, मैं बना के भिजवा दूंगी..
गौतम - मैं तो कब से तैयार बैठा हूँ आंटी कहीं घुसने के लिए.. आप मौका तो देकर देखो.. कसम से कहता हूँ काबड़ीवाले को भूल जाओगी..
शबाना गुस्से में - बेटा मेरे अंदर घुसने के लिए के लिए तुझे खुदा से अगला जन्म लेना पड़ेगा..
गौतम - हाय.. आंटी आपके लिए अभी अपनी नस काट कर मर जाऊ मैं..
शबाना गौतम का कान खींचकर - क्या?
गौतम - उफ्फ्फ आंटी.. कितनी ज़ालिम हो आप.. मुझ जैसे बच्चे पर जरा भी रहम नहीं आता आपको..
शबाना मुस्कुराते हुए - क्या हुआ? अभी तो बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे.. कान खींचते ही अकल आ गयी?
गौतम कान छुड़वाते हुए - अच्छा माफ़ कर दो.. बस? अब नहीं बोलता कुछ भी आपसे.. आदिल को बुला दो..

शबाना को गौतम की मासूमियत से भरे लहज़े में कही हुई बात सुनकर उसपर प्यार आने लगता है औऱ वो गौतम के होंठों पर लगे छोटे से चुविंगम के टुकड़े को अपनी उंगलियों से हटाकर बोलती है - आदिल घर पर नहीं है दूकान पर है.. अब जा यहाँ से.. आगे कुछ औऱ बोलेगा तो मार खायेगा मुझसे.. शबाना ने ये बात नरमी औऱ प्यार भरे लहज़े में गौतम के होंठों को अपनी उंगलियों से पकड़कर कहीं थी.. फिर वो घर के अंदर जाने लगी..
गौतम - सुनो आंटी...
शबाना घर के अंदर जाते हुए रूककर - अब क्या है बोल..
गौतम - आदिल अगर मेरा दोस्त नहीं होता तो आज मैं चूहा बनकर आपके बिल में घुस जाता..
शबाना गुस्से में - चुपचाप चला जा कमीने वरना तेरी लुल्ली पकड़ के उखाड़ लुंगी..
गौतम - लुल्ली तो काबड़ीवाले की है शबाना बेगम... मेरा तो लोडा है लोडा...

गौतम में नजाने कहाँ से इतनी हिम्मत औऱ बेशर्मी आ गई थी औऱ वो ये बात बोलकर अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए जोर से आवाज लगता है.. कबाड़ी वाले.... औऱ शबाना को देखता हुआ वहा से चला जाता है..

शबाना भी दरवाजे पर खड़ी हुई गौतम को जाते हुए देख रही थी उसकी नज़र आज गौतम से नहीं हट रही थी गौतम पहले भी कई बार उससे मिला था लेकिन जिस तरह से आज वो शबाना से मिला उसका असर शबाना के ऊपर अलग तरह से हुआ था..
शबाना के होंठो पर मुस्कुराहट थी आज सालों बाद किसी ने उसके साथ इस तरह की मसखरी औऱ मज़ाक़ किया था जिससे उसे औरत होने का अहसास हुआ था वरना वो कब से घर की चार दिवारी में बंद किसी परिंदे सी उड़ने की कला ही भूल चुकी थी.. अपने पति के साथ उसका सम्बन्ध बिस्तर पर ख़त्म हुए कई साल बीत गए थे.. शबाना मुस्कुराते हुए घर का दरवाजा लगाकर अंदर आ गयी औऱ गौतम की कही एक एक बात उसे अजीब सी ख़ुशी दे रही थी.. उसने कई बार अपने ख्यालों को काबू करने की कोशिश की मगर उसके दिल में गौतम के लिए जगह बन चुकी थी.. औरत को मर्द से थोड़ा इश्क़ इज़्ज़त औऱ संभाल मिल जाए तो वो मर्द को अपनी पलकों पर बैठा लेती है.. शबाना के साथ भी कुछ ऐसा ही होने लगा था.. गौतम ने इस बार उसके दिल पर गहरी छाप छोड़ दी थी..

गौतम दूकान पहुँचता है - 7 बजे का कहा था ना गांडू, अब खुद लेट करवा रहा है..
आदिल - अरे यार अब्बू बाहर गए है औऱ वो रामु चुतीया अब तक बिल लेकर नहीं आया.. वो आये तो दूकान बंद करू..
गौतम - मैंने पहले कहा था साले मत रख उसको काम पर.. आलसी औऱ ढीला है बिल्किल.. अग्रवाल के यहां तो दिनभर सोता रहता था..
आदिल - अब्बू ने रखा है यार मैंने थोड़ी..
गौतम - अच्छा जाना कहाँ है औऱ किसकी शादी है ये तो बता?
आदिल - वो विपुल गोयल है ना जो हर महीने अपनी फैक्ट्री का वेस्ट माल अब्बू को बेचते है.. गाँधी नगर वाले? जिनके पास तू गया था मेरे साथ एक बार?
गौतम - अच्छा वो साला अंधालंड.. जो सीढ़ियों से गिर गया था..
आदिल - हाँ उसी के बेटे का रिसेप्शन है.. मालदार पार्टी है.. वेज नॉनवेज सब है मेनू में.. औऱ देखने लायक़ सामान भी.. तेरे लिए आंटीया भी होंगी साले मिल्फ लवर..
गौतम - अच्छा सुन.. एक काम कर दे यार..
आदिल - क्या?
गौतम - दारू पीला दे भाई..
आदिल - झांट के बाल बियर तो संभालती नहीं तुझसे दारु पियेगा तू..
गौतम - तेरी कसम भाई आज कुछ नहीं करूंगा.. बहुत तलब लग रही है.. 1-2 बियर की बात है..
आदिल - तू रहने दे यही फ़ैल जाएगा..
गौतम - आज औकात दिखा रहा है ना? बेटा मैं भी याद रखूँगा सब..
आदिल - पी लेना रंडी.. मंगाऊ किस्से वो मादरचोद रामु आये तो..
गौतम - वो आ रहा है सामने से..
आदिल - बहनचोद तेरी किस्मत जबरदस्त है कोई भी काम नहीं अटकता..
गौतम - चल अब भेज इसको जल्दी..
आदिल रामु से - बहन के लंड एक बिल लाने में सारा दिन कर दिया तूने..
रामु - अग्रवाल ज़ी ने रोक लिया था..
गौतम - क्यू उनको तेरी गांड पसंद आ गयी थी क्या? कितनी बार मरवाई?
आदिल - चल अब ठेके पर जा औऱ एक बीयर लिया जल्दी से..
गौतम - सुन... ये बाइक लेजा.. औऱ ठेके पर किसी से गांड मत मरवाने लग जाना, जल्दी आना कहीं जाना है हमें..
रामु पैसे लेकर ठेके पर चला जाता है औऱ एक बियर लेकर वापस आ जाता है..
आदिल गौतम को देते हुए - ले भाई.. पिले अंदर बहुत जगह है.. औऱ रामु तू ये सारा माल दूकान के अंदर रख.. बंद करनी है दूकान..
रामु - पर अभी तो नो नहीं बजे..
आदिल - आज तेरी जल्दी छूटी रामु..

गौतम बियर पीके ख़त्म कर देता है औऱ फिर से हलके नशे की चपेट में आ जाता है..
आदिल - चल लोडे आठ बज गए, चलते है शादी में..
गौतम - लोडे किसको बोला गांडु? अब तो अब्बू जान बोल तभी जाऊँगा तेरे साथ..
आदिल - रंडी.. आ गया ना औकात पर तू फिर से?
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ भाई.. अब क्या अब्बू अपने आदिल बेटे से मज़ाक़ भी नहीं कर सकते.. चल चलते है..
आदिल - भोस्डिके तरीके से रह जा.. वहा जाकर कोई हरकत मत कर देना.. तेरा ठुल्ला बाप भी नहीं बचा पायेगा..
गौतम - अब अपने अब्बू को समझायेगा तू मादरचोद?
आदिल - हट बहनचोद.. जाना ही नहीं.. गलत बुला लिया तुझे..
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ गांडु.. चल चलते है.. आज कुछ नहीं करूँगा..
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - तेरी कसम..

आदिल गौतम के साथ शादी की जगह के लिए निकल पड़ता है..
गौतम - भाई यार आज मन बहुत उदास है..
आदिल - क्या हुआ रंडी.. किसकी याद आ रही है..
गौतम - भाई वो सलमा आपा नहीं रहती थी तुम्हारी किराएदार.. यार उसकी बहुत याद आ रही है..
आदिल - उसकी याद क्यू आ रही तुझे? वो तो खुद तेरी इज़्ज़त लूटने में थी ईद वाले दिन, वो तो मैं सही टाइम पर आ गया वरना तुझे तो वो कच्चा खा जाती..
गौतम - सही नहीं साले गलत टाइम पर आया था तू.. सलमा आपा मेरा पहला प्यार है.. काश सलमा आपा मेरी इज़्ज़त लूट लेती उस दिन..
आदिल - कितना वहशी है मादरचोद तू.. वैसे तूने बताया नहीं कभी उस दिन वो सब हुआ कैसे तुम्हारे बीच में..
गौतम - 1 बियऱ और लगेगी बताने में, ठेके पर रोक दोनों एक एक लेटे है...
आदिल बाइक आगे एक ठेके पर रोक कर दो बियर ले लेता है औऱ दोनों ठेके के पीछे जाकर पिने लगते है...
आदिल - बता क्या हुआ था?
गौतम - यार मैं उस दिन तुम्हारे घर की छत पर बाथरूम में हिला रहा था.. पता नहीं कहाँ से अचानक सलमा आपा वहां आ गई औऱ उसने मुझे हिलाते हुए पकड़ लिया..
आदिल - फिर क्या हुआ?
गौतम - फिर वही हुआ जो सोचके मैं हिला रहा था..
आदिल - क्या हुआ?
गौतम - रुक यार मूत के आता हूँ.. गौतम बियर ख़त्म करके मूतने चला गया फिर साइड में एक थड़ी वाले के पास जाकर एक बड़ी एडवांस सिगरेट वही लटक रहे लाइटर से जलाकर कश लेता हुआ वापस आ गया..
गौतम - 1 बियर औऱ पीनी है मुझे..
आदिल - भोस्डिके 2 हो गई तीसरी में भंड हो जाएगा और यही सो जाएगा.. आँखे देख कैसे लाल हो रही है..
गौतम कश लेता हुआ - लाना है तो ला गांडु, ज्यादा ज्ञान मत चोदे..
आदिल - चल लाता हूँ.. आदिल एक बियर औऱ लेके आ गया औऱ गौतम को देते हुए बोला.. आगे क्या हुआ फिर..
गौतम बियर की घूंठ लेकर - सलमा आपा मुस्कुराते हुए मेरे सामने बैठ गई औऱ पहली बार मुझे पता चला की लोडा चूसाने में कितना मज़ा आता है.. हाय.. आज भी याद है कितनी प्यार से सलमा आपा ने मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसा था..
आदिल - उसके बाद क्या हुआ?
गौतम बियर की औऱ दो घूंठ मारके सिगरेट का कश लेकर बोला - फिर उसके बाद तू अपनी अम्मी चुदाने आ गया था चुत की शकल के.. थोड़ी देर बाद नहीं आ सकता था कबाड़ी की औलाद..
आदिल - इस कबाड़ी की औलाद के टुकड़ो पर पल रहा है तू.. ठुल्ले के मूत..
गौतम - बुरा मत मान भाई.. बस मेरा काम कर दे..
आदिल - क्या?
गौतम - सलमा आपा कहाँ रहती है बस उनका एड्रेस कबाड के देदे यार.. कसम से ऐसी चुत दिलवाऊंगा याद रखेगा जिंदगी भर.. मेरे गुण गायेगा तू...
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - इस बियर की कसम..

गौतम बियर की आखिरी घूंठ पीके ख़त्म करता है औऱ लड़खड़ाते कदमो के साथ वहा से सडक पर आ जाता है फिर दोनों बाइक स्टार्ट करके शादी वाली जगह की पार्किंग में बाइक लगा के गार्डन की तरफ आ जाते है, गार्डन के गेट पर चौकीदार ने रोककर पूछा तो आदिल ने फ़ोन में कार्ड दिखाकर गौतम के साथ एंट्री कर ली..
गौतम - बहनचोद ये शादी है या क्या है?
आदिल - वो डायलॉग है ना.. बड़े बड़े लोग बड़ी बड़ी बातें..
गौतम नशे में था मगर शादी की रौनक उसे साफ दिखाई दे रही थी..
आदिल - चल भाई नॉनवेज में कुछ चेपते है..
गौतम - तू खा भिखारी.. मैं तो चला नाचने..
आदिल - रंडी तो नाच-गाना है करेंगी..

गौतम सामने बज रहे dj के पास डांस फ्लोर पर चला जाता है वहा नाच रहे लोगों के साथ मिलकर है नाचने लगता है वही आदिल खाने पर टूट पड़ता है..
देसी देहाती औऱ बॉलीवुड के डांस नंबर पर गौतम नाचने में इतना मशगूल हो गया था की उसे पता ही है नहीं चला की वो नाचते नाचते कब एक औरत के करीब आ गया था औऱ दोनों मिलकर डांस फ्लोर पर आग लगा रहे थे..

जब दूल्हे औऱ दुल्हन की एंट्री के टाइम गाना रुका तो गौतम को अहसास हुआ की डांस में वो इतना लीन हो गया था की एक 36 की औरत के साथ बाहों में बाहे डालकर नाचने लगा था.. गाना बंद होने के बाद उस औरत ने गौतम को अपने साथ आने का इशारा किया..

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गौतम भी खुद ब खुद उसके पीछे पीछे कोने में एक खाली जगह पर आ गया जहाँ बिलकुल भीड़ नहीं थी..
औरत ने पर्स से एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगा ली औऱ लाइटर से जलाते हुए एक लम्बा कश लेकर धुआँ बाहर छोड़ते हुए गौतम को देखकर बोली - उम्र क्या है तुम्हारी?

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गौतम को सुरूर औऱ नशा था मगर थोड़ा सा होश भी.. गौतम ने जवाब में कड़क आवाज बनाते हुए कहा- 28 साल..
औरत ने वापस एक कश लेकर हँसते हुए कहा - 28 या 18? सच बताओ?
इस बार गौतम ने औरत की उंगलियों में सुलगती सिगरेट छीन ली औऱ लम्बा कश भरके असली उम्र बताते हुए कहा - 20 साल..
औरत थोड़ी हैरानी से - शराब कितनी पी रखी है तुमने?
गौतम - 3 बियर..
औऱत गौतम से वापस सिगरेट लेकर बोलती है - मेरा नाम माधुरी है.. तुम्हारा?
गौतम - गौतम..
माधुरी - सेक्स करोगे मेरे साथ..

इस बार गौतम का आधा नशा काफूर हो गया एक खूबसूरत औरत उसके सामने खड़ी हुई थी औऱ उससे इस तरह सेक्स के लिए पूछ रही जैसे लोग चाय कॉफी के लिए लोग पूछते है..
गौतम हकलाते हुए कहने लगा - ककक्या?
माधुरी हँसते हुए - बियर उतर गई?
गौतम - तुमने मज़ाक़ है ऐसा किया..
माधुरी सिगरेट का आखिरी कश लेकर फेंकती हुई कहती है - पर मैंने तो मज़ाक़ किया है नहीं..
माधुरी की बात सुनकर गौतम के चेहरे पर एक साथ इतने सारे भाव आ गए थे जिसे कहा पाना मुश्किल था..
गौतम - मतलब?
माधुरी - मतलब ये कि क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना चहते हो?
गौतम - पर यहां जगह कहा है?

माधुरी गौतम कि बात सुनकर खिलखिलाती हुई हस्ने लगी औऱ फिर एक चूमा उसके होंठों पर करके उसका हाथ पकड़ कर कहीं ले जाने लगी..

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रिसेप्शन हॉल के दायी तरफ बनी सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर मधुरी गौतम को एक रूम में ले आई जहा आते है उसने दरवाजा लगा दिया.. औऱ गौतम के गले में हाथ डालकर बोली..
माधुरी - तुम लड़की कि तरफ से आये हो या लड़के की तरफ से?
गौतम - दोस्त की तरफ से..
माधुरी - मतलब?
गौतम - मतलब मैं किसी की तरफ से नहीं हूँ, मेरा एक दोस्त लेके आया है मुझे यहां.. आप किसकी तरफ से हो?
माधुरी - लड़की की तरफ से.. मेरी दूर की रिस्तेदार की बेटी है जिसकी ये रिसेप्शन है..

माधुरी औऱ गौतम के बीच बातचीत हो ही रही थी कि माधुरी का फ़ोन बजने लगा जिसे उठाते हुए माधुरी गौतम से थोड़ी दूर चली गई..
माधुरी - हेलो? हाँ.. बोलो.. ठीक है.. नहीं नहीं आने कि जरुरत नहीं है मैं खुद आ जाउंगी.. ठीक है काम करो तुम.. फ़ोन रखती हूँ..
गौतम - किसका फ़ोन था?
माधुरी - मेरे पति का.. ये छोडो.. ये बताओ पहले कभी किसी के साथ किया है?
गौतम - अब तक तो नहीं..
माधुरी - मतलब नोसीखिया हो.. ठीक है तुम फ़िक्र मत करो मैं तुम्हे सब सीखा दूंगी..
गौतम - एक बात पुछु, बुरा ना लगे तो?
माधुरी गौतम के ऊपर आते हुए - पूछो..
गौतम - आपके पति आपको खुश नहीं रखते?
मधुरी - मुझे क्या वो किसी को खुश रखने लायक़ नहीं है..
गौतम - क्यू?
माधुरी - कितने सवाल करते हो तुम गौतम? इतना समझा लो कि मेरे पति के हैंडपम्प से अब कोई पानी नहीं भर सकता.. अब मेरा मूंड मत खराब करो.. वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे जैसा कच्चा माल नहीं चखा..
गौतम - मतलब अभी तक आपके बच्चा भी नहीं है? माधुरी - नहीं है... अब आओ मुझे kiss करो..

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ये कहकर माधुरी गौतम के होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम भी भरपूर उसका साथ दे देता है.. दोनों एक दूसरे को ऐसे चुम रहे थे जैसे रेगिस्तान में प्यासा पानी को चूमता है.. होंठों औऱ जीभ की इस लड़ाई में माधुरी औऱ गौतम को भरपूर मज़ा आ रहा था..
माधुरी बार बार गौतम के होंठों को दांतो से खींचती हुई चूमती है औऱ फिर उसकी आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए आँख मारके उसे छेड़ती है.. गौतम भी अब तक नशे से आधा बाहर आ चूका था उसके होंठों तो माधुरी के होंठों की गिरफ्त में थे मगर गौतम ने अपने हाथ से माधुरी के आम पकड़ लिए औऱ उन्हें मसलने लगा जिससे माधुरी पर औऱ ज्यादा काम का असर होने लगा..

कुछ देर में ही दोनों ने एक दूसरे के सारे कपडे उतार दिए औऱ माधुरी गौतम का लंड देखकर हैरान हो गई.. गौतम ने उसके हैरान चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसके मुंह में दाल दिया..
माधुरी लंड मिलने पर पागलो की तरफ उस पर टूट पड़ी जैसे चींटी मीठे पर टूट पडती है..

गौतम को अचानक मिली इस औरत से जन्नत का मज़ा आ रहा था.. लोडा चुस्ती माधुरी गौतम को किसी अप्सरा जैसी लग रही थी गौतम का आधे से ज्यादा लंड उसके मुंह में था औऱ वो पूरी शिद्दत से लंड को चूस रही थी.. गौतम ने माधुरी के बाल पकड़ कर लंड चूसाते हुए अपना माल उसके मुंह में भर दिया जिससे माधुरी हक्कीबक्की रह गई औऱ मज़बूरी में उसे सारा माल गले के नीचे उतार लेना पड़ा..

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गौतम लंड चूसाने के बाद औऱ अपना माल माधुरी को पिलाने के बाद उसकी झाटों से विहीन चिकनी चुत पर मुंह लगाते हुए माधुरी को स्वर्ग की सेर पर ले गया जहाँ से उतारते उतारते माधुरी ने भी गौतम के मुंह में अपना सारा माल झाड़ दिया..

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गौतम ने अब देर ना करते हुए माधुरी की चिकनी चुत पर अपने लंड सेट करके एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे माधुरी पूरी आवाज के साथ चिल्ला पड़ी लेकिन नीचे बजते dj औऱ लोगों की आवाज में उसकी आवाज दबकर रह गयी.. माधुरी मुहफट ऐयाश दिलफेंक औरत थी जिसने कई मर्दो के साथ सेक्स किया था मगर किसी में भी वो दम नहीं था जो आज उसने गौतम के अंदर देखा था.. पहले झटके में ही गौतम ने माधुरी जैसी खेली खाई औरत की चिंख निकलवा कर अपनी मर्दानगी साबित कर दी औऱ फिर माधुरी की चुत के साथ साथ उसके दिल का दरवाजा भी खोलके अंदर घुस गया..

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माधुरी आहे औऱ सिस्कारिया भरती हुई गौतम के नीचे पड़ी पड़ी ऐसे चुद रही थी जैसे गाँव के खेतो में भाभियाँ अपने देवरों से चुद जाती है.. गौतम ने कुछ देर उसी तरह माधुरी को चोदकर उसे पलट दिया औऱ घोड़ी बनाकर चोदने लगा..

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इस घुड़सावारी में गौतम को जो मज़ा आ रहा था वो अतुलनीय औऱ अद्भुत था उसके सामने एक खूबसूरत औऱ कसे हुए बदन की औरत गांड फैलाये थी औऱ वो उस औरत के बाल पकड़कर अपने लोडे से धक्के पर धक्के मारे जा रहा था जिससे उस औरत का सारा बदन किसी तार पर लटके कपडे के हवा में हिलने के समान हिल रहा था..

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माधुरी झड़ चुकी थी मगर गौतम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.. माधुरी उस कमरे के गद्दे पर झड़ चुकी थी औऱ अभी अभी चुदाई के बीच में उसका मूत भी निकल गया था.. चुत के माल औऱ मूत से सने उस गद्दे पर अब भी माधुरी की चुदाई चल रही थी..
गौतम से रहा ना गया तो वो माधुरी को अपनी गोद में उठाकर हवा में उछालते हुए चोदने लगा.. माधुरी गौतम की चुदाई कला से आज जितनी प्रभावित हो चुकी थी उससे तय था की वो अब गौतम से दूर नहीं रह पाएगी..

एक घंटे तक चली इस चुदाई के बाद जब गौतम झड़ने को हुआ तो उसने दिवार से माधुरी को चिपका दिया औऱ उसकी दोनों टांग हाथों से उठाकर अपना सारा माल उनकी चुत में भर दिया.. माधुरी ने काम के बस में वापस गौतम को चूमना चालू कर दिया औऱ इस बार एक लम्बे चुम्बन में गौतम को बाँध लिया..

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आदिल पेट भरके खाना खा चूका था औऱ शादी में लड़किया ताड़े जा रहा था.. उसके बाद जब उसने गौतम को फ़ोन किया तो गौतम माधुरी की बाहों में था..
आदिल - भाई चलना नहीं है क्या? कहाँ है तू?
गौतम - भाई तू चला जा मैं बाद में आऊंगा..
आदिल - भोसड़ीवाले क्यू दिमाग खराब कर है? है कहाँ तू..
गौतम माधुरी का बोबा चूसता हुआ - जन्नत में हूँ गांडु.. मुझे टाइम लगेगा..

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आदिल - बहन के लंड यहां कोनसी रंडी मिल गयी तुझे? औऱ साले रंडी के चक्कर में दोस्त को औकात दिखा रहा है.. अगर तू 5 मिनट में नहीं आया तो दोस्ती ख़त्म समझ..
गौतम निप्पल्स दातो से काटते हुए - दोस्ती ख़त्म गांडु अब जा.. औऱ फ़ोन काट देता है.. आदिल फ़ोन से बाइक बुक करके घर चला जाता है..
माधुरी प्यार से छेड़ते हुए - गौतम ज़ी.. मेरे बूब्स चूसकर आपका मन भर गया हो तो मुझे घर तक छोड़ दोगे..
गौतम - बहुत मज़ा आया भाभी आपके साथ..
माधुरी - मज़ा तो मुझे दिया है तुमने.. मैं प्यार में ही पड़ गई तुम्हारे.. अब तो बार बार मिलना पड़ेगा तुमसे..
गौतम - अब चलो यार बहुत भूख लगी है मुझे तो..
माधुरी - भूख तो लगेगी ही इतनी मेहनत जो की है तुमने मुझपर, चाल ढाल सब बदल दिया मेरा.. बच्चा समझ रही थी तुमको पर तुम तो जोनी सीन्स निकले..
गौतम - आप भी कम कहा हो भाभी.. पहली मुलाक़ात में ही लंड पर बैठ गई..
माधुरी - अब मेरा तुम्हारे लंड पर बैठना उठना चलता ही रहेगा गौतम.. सच बोलती हूँ प्यार हो गया तुझसे..
गौतम - मुझसे या मेरे इस लंड से?
माधुरी - दोनों से मेरी जान..
गौतम - चलो यार भाभी नीचे चलते है.. भूक लग रही है..

गौतम औऱ माधुरी नीचे आकर बातें करते हुए खाना खाने लगते है औऱ फिर माधुरी गौतम से नम्बर एक्सचेंज करती है की तभी गौतम को माधुरी के फ़ोन पर एक तस्वीर दिखाई देती है औऱ वो चकित रह जाता है औऱ माधुरी से पूछता है..
गौतम - ये तस्वीर किसकी है?
माधुरी - अच्छा ये.. यही तो मेरे पति है.. जिसकी बात तुम कर रहे थे.. चलो अब मुझे घर छोड़ दो.. बहुत नींद आ रही है..
माधुरी को नींद आ रही थी मगर गौतम की नींद उड चुकी थी औऱ उसका सारा नशा भी हवा हो चूका था..
माधुरी - अब खड़े खड़े ये तस्वीर क्या देख रहे हो चलो..
गौतम माधुरी के साथ अपनी बाइक पर बैठकर उसे छोड़ने चल पड़ता है औऱ मन में बहुत कुछ सोचने लगता है.. उसके सारे ख्याल इधर उधर थे.. उसे बहुत गुस्सा भी आ रहा था..

माधुरी - यहां से राइट..
गौतम बिना कुछ बोले माधुरी के बताये रास्ते पर चल पड़ता है और उसके घर तक पहुँचता है..
माधुरी - अंदर आ जाओ..
गौतम रूखेपन से - नहीं मैं अब चलता हूँ.. आपके पति को अच्छा नहीं लगेगा..
माधुरी - अरे उसकी चिंता तुम मत करो.. वो शहर से बाहर गए हुए है कल आएंगे.. तुम अंदर चलो मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ..
गौतम - मैं चाय पिता हूँ, वैसे एक बात पुछु?
माधुरी - हम्म.. पूछो..
गौतम - आपकी शादी को कितने साल हो गए?
माधुरी - 15 साल हो गए.. वो पुलिस में थे और मैं एक कंप्लेंट लिखवाने पुलिस स्टेशन गई थी.. वही पर उसने मुझे अपने जाल में फंसा लिया और फिर शादी कर ली..
गौतम - जाल में फंसा लिया मतलब?
माधुरी - मतलब की कमीना पहले से शादी शुदा था.. एक बच्चा भी उसको.. सुना है बच्चे का नाम भी गौतम है..
गौतम - फिर आपने क्या किया, ये सब जानकार?
माधुरी - क्या कर सकती थी मैं? अकेली थी घर से भागी हुई.. वापस घर नहीं जा सकती थी तो इसे अपनी किस्मत मानकर रहने लगी.. वैसे भी ये मेरे पति अपनी सारी कमाई मुझ पर खर्चा कर देते है और ये घर भी उन्होंने मेरे लिए ख़रीदा है.. पहली पत्नी तो आज भी एक छोटे से पुलिस क्वाटर में अपने बेटे के साथ पड़ी हुई है..
गौतम - कभी मिलने की कोशिश नहीं की आपने उन लोगों से?
माधुरी - मिलकर क्या करती? जैसा चल रहा है ठीक है.. अगर कुछ करती तो सबके लिए हालात खराब ही होते..

गौतम को अपने पिता जगमोहन और माधुरी ओर गुस्सा आ रहा था वो समझा नहीं पास रहा था कि वो क्या करें? आज उसके ऊपर एक पहाड़ टुटा था आज उसे समझा आ गया था कि जगमोहन क्यों बार बार घर से इतना गायब रहता है और घर में पैसे कि कमी क्यों है.. गौतम ने कुछ देर सोच फिर माधुरी के बदन को ऊपर से नीचे तक देखकर कहा..
गौतम चाय पीते हुए - भाभी..
माधुरी - हम्म और क्या पूछना है तुम्हे..
गौतम - बेडरूम कहाँ है?

माधुरी गौतम का इशारा समझ जाती है और उसका हाथ पकड़ कर बैडरूम में ले जाती है जहाँ सुबह तक गौतम अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी की जमकर चुदाई करता है और इस कंडोम नहीं पहनता.. गौतम अपना सारा गुस्सा माधुरी को चोदकर ठंडा करता है वही माधुरी गौतम के लिए पूरी तरह खुल चुकी थी.. गौतम ने रातभर 3 बार माधुरी की बच्चेदानी में उसे प्रेग्नेंट करने की नियत से अपना वीर्य छोड़ा था.. सुबह होने पर दोनों का सम्भोग और पर प्रगाड़ और मधुर बन जाता है..

गौतम - अब जाने दो माधुरी..
गौतम अपने बाप की तस्वीर के सामने घुटनो पर बैठकर अपना लंड चुस्ती अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी से कहता है जो मुंह से लंड निकालकर गौतम को जवाब देती है..

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माधुरी - थोड़ी देर और रुक जाओ ना गौतम..
गौतम - माधुरी तुम्हारा पति आ गया तो अटैक से मर जाएगा तुम्हे इस तरह देखकर..
मधुरी मुस्कुराते हुए - मरता है तो मरने दो.. जो होगा देखा जाएगा..
गौतम - माधुरी यार अब जाने दो प्लीज.. फिर कभी आ जाऊंगा तब प्यार कर लेना जीभरके..
माधुरी - मन नहीं कर रहा गौतम तुम्हारे इस लंड को मुंह से निकालने का.. पहली बार औरत बार का अहसास दिलाया है तुमने..
गौतम मुस्कुराते हुए - रात से अब तक मन नहीं भरा तुम्हारा?
माधुरी - मेरा तो कभी मन ना भरे ऐसे लंड से..
गौतम - चलो अब जाने दो.. वरना तुम्हारा पति आ गया तो मुसीबत हो जायेगी मेरे लिए..
माधुरी मुंह से लंड निकालकर - अच्छा बाबा ठीक है.. मगर वादा करो जल्दी आओगे.. मैं massage करूंगी..
गौतम - कितनी सेक्स की भूखी हो तुम माधुरी? ठीक से चला भी नहीं जा रहा तुमसे और अब भी तुम्हे लंड लेने की पड़ी है.. अब जाने भी दो..
माधुरी - तुम्हारे मुंह से मेरा नाम कितना प्यारा लगता है.. आई लव यू.. गौतम..
गौतम हस्ते हुए - अच्छा ज़ी प्यार हो गया मुझसे? अब तो वापस जरूर मिलना पड़ेगा..

गौतम माधुरी से मिलकर उसके यहां से चल देता और अपने घर की तरफ आ जाता है जहाँ पहुंचने में उसे डेढ़ घंटा लग जाता है..
गौतम घर पहुंचकर देखता है की उसका बाप जगमोहन सो रहा है और सुमन सुबह सुबह नल से पानी भर रही है.. गोईटम को अपने बाप पर बहुत गुस्सा आता है मगर वो सच्चाई को छिपा के रखने में ही सबकी भलाई समझता है..

सुमन गौतम को देखकर गुस्से में - कहाँ था रातभर तू? और ये तेरे होंठों को क्या हुआ है? इतने लाल क्यू है.. सुमन गौतम की हालात देखकर सारा माजरा समझा जाती है की गौतम रात को किसी ना किसी लड़कि के साथ जरूर था..
गौतम - कुछ नहीं माँ.. रात को दोस्त के घर चला गया था.. मुझे नींद आ रही है, सोना है..
गौतम सुमन को अनसुना करके अपने कमरे में चला जाता है और बिस्तर पर लेटते हुए उसकी आँख लग जाती है..

सुमन का दिल बहुत जोर से दुखता है की गौतम ने रात को एक दफा भी उसे फ़ोन करके बताना जरुरी नहीं समझा.. वो अपनेआप को कोसती हुई और गौतम को बुरा भला कहती हुई घर के काम में लग गई.. सुबह जगमोहन भी नास्ता करके काम पर चला गया और अब दोपहर हो चुकी थी..
गौतम की नींद खुलती है तो वो आँख मलता हुआ रसोई में बर्तन साफ कर रही सुमन को पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लेटा है और उसके गाल पर एक चुम्मा कर देता है जिसके जवाब में सुमन गौतम के होंठों को जोर से अपनी उंगलियों में पकड़ कर पूछती है..
सुमन - ये किस चुड़ैल की लिपस्टिक के निशान है तेरे होंठों पर? हम्म? सुबह शराब की बू भी आ रही थी तेरे मुंह से.. शराब भी पिने लगा है तू? रातभर कहाँ मुंह काला कर रहा था अपना? एक फ़ोन भी करना जरुरी नहीं समझा मुझे?
गौतम जैसे तैसे अपने होंठों को सुमन की उंगलियों की पकड़ से छुड़वा कर सुमन से कहता है - माँ.. लिपस्टिक नहीं है मेरे होंठ तो वैसे भी लाल है.. और शराब से आप भी जानती हो मैं दूर रहता हूँ..
सुमन - झूठ भी बोलने लगा है तू अपनी माँ से? मैं ना तुझसे बात ही नहीं करुँगी अब..
गौतम - इतना गुस्सा अपने ग़ुगु से?
ये कहते हुए गौतम ने फिर से सुमन को पीछे से बाहों में भरके उसके गर्दन और गाल पर अपने होंठो से चुम्बन वर्षा कर दी और पेट में गुदगुदी करने लगा जिससे सुमन खिलखिलाकर मुस्कुराने लगी...
सुमन - पहले नहा ले जाकर.. पता नहीं किस डायन के साथ था रातभर..

गौतम कोई जवाब नहीं देता और नहाने चला जाता है वही सुमन एक चाय बनाकर गौतम के रूम में आ जाती है जहाँ गौतम कपडे बदल रहा होता है.. सुमन गौतम के पीठ और सीने पर लगे दांतो और नाखुनो के निशान देखकर उसे पकड़ लेती है और पूछती है..
सुमन - ग़ुगु ये सब क्या है? पता नहीं किस डायन की नियत खराब थी तेरे ऊपर जो इतनी बुरी तरह से नोचा है मेरे बच्चे को.. सच बता किसके साथ था?
गौतम - माँ... वो एक दोस्त के साथ था..
सुमन - दोस्त लड़कि थी ना ?
गौतम नज़र नीची करके - हम्म्म...
सुमन - तूने कंडोम तो पहना था ना ग़ुगु?
गौतम शरमाते हुए - माँ...
सुमन - रातभर लड़की के साथ मुंह काला करने में शर्म नहीं आई और अब अपनी माँ से शर्मा रहा है..
गौतम - छोडो, कपडे पहनने दो..
सुमन - पहले बता.. तूने कंडोम पहन के सेक्स किया था या नहीं..
गौतम - हम्म..
सुमन - हम्म का मतलब क्या? कंडोम पहना था या नहीं?
गौतम - हाँ माँ पहना था बस अब खुश?
सुमन - लड़की कौन थी?
गौतम - यार माँ.. आप भी ना.. कहते हुए गौतम शर्ट पहन कर आस्तीन चढ़ाते हुए चाय का कप हाथ में लेकर रूम से बाहर आ जाता है..
सुमन भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाती है और उसे पुकारती हुई कहती है - ग़ुगु... ग़ुगु.. बता ना..
गौतम रूककर - छोडो ना मैं भी नहीं जानता.. शादी में मिली थी..
सुमन - तो पहली मुलाक़ात में ही सेक्स हो गया? तुम्हारी जनरेशन सच में वो क्या कहते है लोग.. निक्कमी है..
गौतम - पापा कहा गए?
सुमन - वो तो सुबह ही चले गए थे.. कहा रहे थे कुछ काम है do-teen दिन बाहर ही रहेंगे..
गौतम - सही है.. कभी यहां कभी वहा..
सुमन - मतलब
गौतम - मतलब कुछ नहीं.. आज मूवी देखने चलोगी आप? आपके फेवरेट हीरो की मूवी लगी है..
सुमन - रिश्वत दे रहा है अपनी माँ को?
गौतम - वही समझ लो.. लेनी है तो बोलो वरना जाने दो..
सुमन - ठीक है ज़िल्लेइलाही.. जैसा आप कहो.. कब चलना है?
गौतम - अभी... बस ये काम वाली बाई जैसे कपडे बदल लो..
सुमन - क्या पहनू?
गौतम - बिकिनी..
सुमन हँसते हुए - चल हट बदमाश कहीं का..
गौतम - कोई सूट पहन लो.. अच्छा सा..

गौतम सुमन को मूवी दिखाने ले जाता है और बाहर खाना खिला कर अपनी मां से प्यार भरी मीठी बातें करते हुए उसे हंसाने और खुश रखने का प्रयास करता है जिसका सुमन को पूरा-पूरा अंदाजा होता है और वह खुद भी गौतम के इस तरह के व्यवहार से अपने आपको तसल्ली देते हुए गौतम के साथ मुस्कुराते हुए समय बिताती है..
 
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