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शाम होने को थी सुमन आज सारा काम धाम ख़त्म करके गौतम के पास आई औऱ स्टडी टेबल के आगे चेयर पर बैठे गौतम के सर को सहला कर प्यार से उसके माथे पर चुम्बन करके बोली.. चाय बना दू?
गौतम - हां..
सुमन वहा से रसोई में आ गई औऱ चाय बनाने लगी गौतम फिर अपनी किताब बंद करके टेबल पर रखकर खड़ा हो गया औऱ अपने फ़ोन पर आपने दोस्त आदिल का फ़ोन आते देख उसे तुरंत उठा लिया औऱ बात करने लगा..
गौतम - हेलो..
आदिल - हां कहाँ है रंडी?
गौतम - वही जहाँ हमेशा रहता हूँ.. तेरी अम्मी के भोसड़े में..
आदिल - बकचोदी मत कर रंडी.. आज फ्री है तो बता?
गौतम - आज किसकी दिलवा रहा है भाई?
आदिल - माँ के लोडे हवसी, हमेशा लेने की सोचा कर तू..
गौतम - अरे तो बोल ना, क्या काम है?
आदिल - शादी में चलना है.. चलेगा?
गौतम - किसकी शादी में?
आदिल - उससे अपने को क्या करना है? शादी का कार्ड आया हुआ पड़ा है अब्बू शहर से बाहर है, घर से औऱ कोई जा नहीं रहा तो सोचा मैं ही चला जाता हूँ. तू चलेगा तो बता? दोनों भाई मिलकर लड़किया ताड़ेंगे..
गौतम - भाई बाइक में तेल डलवा देना फिर चाहे अमेरिका ले चल मुझे, मैं तो फ्री हूँ..
आदिल - ठीक है रंडी.. शाम को सात बजे घर आ जाना औऱ लेट मत करना..
गौतम - ठीक है चल, रखता हूँ..
गौतम आदिल से बात करके नहाने चला जाता है औऱ सुमन चाय लेकर कमरे में आ जाती है..
सुमन - ग़ुगु...
गौतम बाथरूम से - हाँ माँ..
सुमन - बच्चा.. नहा रहा है क्या?
गौतम - हाँ माँ..
सुमन - पर सुबह नहाया तो था ना..
गौतम - कहीं जाना है माँ..
सुमन - कहाँ?
गौतम - दोस्त के भाई की शादी है.. बुलाया है उसने..
सुमन - ठीक है मैं कपडे निकाल देती हूँ बेटू..
गौतम - माँ कोई पीला गुलाबी मत निकाल देना..
सुमन - अरे नहीं, तेरी बुआ जो लाई थी तेरे लिए उनमे निकलती हूँ..
सुमन अलमीरा खोलकर नीचे पड़े बैग से सभी कपडे औऱ जूते जो पिंकी गौतम के लिए आई थी निकालकर बेड पर पटक लेती औऱ उनमे से गौतम के लिए कपडे निकालने लगती है..
सुमन मन में - हम्म.. पिंकी कितनी भी ऐयाश औऱ कमिनी क्यू ना हो.. ग़ुगु के लिए हमेशा दिल खोल के खर्चा करती है.. अब इनमे से क्या निकालू.. ये सब अच्छे लगेंगे मेरे ग़ुगु पर.. ये ठीक रहेगा..
सुमन एक ब्लैक शर्ट औऱ लाइट ब्लू जीन्स निकाल कर बेड पर एक तरफ रख देती औऱ उसके साथ ही ब्लैक शूज भी रख देती है, बाकी कपडे औऱ जूते बैग से निकालकर अलमीरा में जमा के रख देती है फिर कमरे से बाहर चली जाती है..
गौतम नहाकर बाथरूम से बाहर निकलता है औऱ बेड के किनारे रखी चाय की चुस्की लेकर कपडे पहनने लगता है.. चाय पीते हुए कपडे पहनकर गौतम कमरे से बाहर आ जाता है औऱ रसोई में सब्जी काट रही सुमन को पीछे से बाहों में भर लेता है..
सुमन - अरे.. आज क्या बात है? बहुत प्यार आ रहा है अपनी माँ पर मेरे ग़ुगु को..
गौतम - आज मतलब? मुझे तो हमेशा आता है अपनी खूबसूरत माँ पर प्यार? अपनी माँ से प्यार करना गलत है?
सुमन - बिलकुल भी नहीं.. मैं चाहती हूँ मेरा ग़ुगु मुझसे हमेशा प्यार करें.. अच्छा ये बताओ सच में शादी में जा रहे हो ना? किसी गर्लफ्रेंड से मिलने तो नहीं जा रहे?
गौतम - एक काम करो आप साथ चलकर तस्सली कर लो.. आपको तो आजकल मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं होता?
सुमन - अच्छा ठीक है बाबा.. वैसे अगर गर्लफ्रेंड से मिलो तो थोड़ा ख्याल रखना औऱ कुछ करो कंडोम जरूर पहन लेना.. समझें?
गौतम - पहली बात तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. औऱ दूसरी बात, आपको शर्म नहीं आती अपने जवान बेटे से इस तरह की बात करने में?
सुमन हसते हुए - जवान औऱ तु? क्या बात है? पहले मेरा दूदू पीना छोड़ दे फिर जवाँ होने की बात कहना..
गौतम - आपने ही तो पिलाया था.. मेरी क्या गलत इसमें?
सुमन हस्ते हुए - अच्छा औऱ उस दिन शाम को कौन आया था मेरे पास दूदू के लिए? माँ बस पांच मिनट पीला दो... वैसे आज बहुत अच्छी खुश्बू आ रही है कोनसा परफ्यूम लगाया है?
गौतम - पता नहीं बुआ लेके आई थी.. मैंने नेट पर सर्च किया था *** नाम है, पर माँ बहुत महँगा परफ्यूम है बुआ ने फालतू में इतना खर्चा कर दिया..
सुमन - ग़ुगु.. सिर्फ परफ्यूम ही नहीं तेरे कपडे जूते औऱ बाकी सामान ज़ी बुआ ने दिया है सबकुछ बहुत महँगा है.. चलो उस पिंकी को किसी का तो ख्याल है. तेरे लिए तो हमेशा उसकी जेब खुली रहती है..
गौतम - हाँ.. वो बात तो है माँ, जेब के अलावा भी बहुत कुछ खुला रहता है.. बिना कुछ बोले सबकुछ ले आती है मेरे लिए बुआ.. वैसे आप उनसे इतना क्यू गुरेज करती हो? वो तो आपसे बहुत प्यार करती है..
सुमन - प्यार औऱ वो? वो तो बस पैसो से प्यार करती है.. पैसो के लिए अपने से इतने बड़े आदमी से शादी करके बैठी है.. यहां भी मुझे या तेरे पापा से मिलने नहीं बल्कि तुझसे मिलने आती है. उसे बस तेरी परवाह है.
गौतम - उनको मेरी परवाह है तो फिर आप इतना बैर क्यू रखती हो बुआ से?
सुमन - क्युकी.. उसका कोई भरोसा नहीं.. हवस में अंधी होकर तेरे साथ.. मैं तो उसकी जान ही ले लू..
गौतम - आप ना इस चार दिवारी में रहकर पागल हो रही हो.. बुआ के मन में ऐसा कुछ नहीं है वो तो मुझे बच्चों की जैसे प्यार करती है.. खामखा आप गलतफेहमी पालकर रिस्ते मत खराब करो.. मैं चलता हूँ, अपना ख्याल रखना.. रात को आने में थोड़ी देर हो जायेगी..
गौतम ये कहते हुए सुमन के गालो को वापस चुम लेता औऱ मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखकर घर से बाहर चला जाता है फिर अपनी बाइक स्टार्ट करके आदिल के घर के बाहर आ जाता है वही सुमन गौतम और पिंकी के बारे जानते हुए भी दोनों से ये बात छुपाने मेंसबकी भलाई और फ़ायदा समझती है..
गौतम आदिल के घर के बाहर आकर खड़ा ही हुआ था कि उसे सामने से बुरका पहने आती हुई एक औरत दिखी जिसके बड़े और तने हुए बूब्स बुर्के में भी साफ हिलते हुए नज़र आ रहे थे.. गौतम से उसे देखकर छेड़े बिना रहा ना गया औऱ वो उस औरत को देखकर जोर से बोला..
गौतम - हिला हिला चलती हो चुचे.. क्या मार डालोगी?
जानेमन हमें नहीं चूसाओगी तो क्या आचार डालोगी?
औरत गौतम कि बात सुनकर उसके करीब आ जाती है औऱ अपने बुर्के का पर्दा उठाकर गौतम का हाथ पकड़ते हुए बोलती है..
औरत - अंदर आजा चूसाती हूँ तुझे.. बहुत जवानी चढ़ी है.. हरामजादे..
औरत ने जैसे ही बुर्के का पर्दा उठाकर अपनी शकल दिखाई गौतम कि सिट्टी पिट्टी सब गुल हो गयी.. उसके सामने आदिल कि माँ शबाना खड़ी थी जिसे गौतम ने कोई अनजान औरत समझके छेड़ दिया था..
गौतम - आंटी आंटी माफ कर दो.. गलती से मुंह से निकल गया.. मुझे पता नहीं था आप हो..
शबाना - एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सब पता चल जाएगा तुझे.. अभी ठीक से दाढ़ी-मुछ भी नहीं आई औऱ लड़की छेड़ने लगे है नवाबसाब.. सूरत से इतने मासूम है औऱ सीरत से शैतान के भी अब्बा हो गए है..
गौतम - आंटी. आप इतनी सेक्सी लग रही थी आते हुए कि अपनेआप मुंह से निकल गया.. माफ़ कर दो..
शबाना - बेशर्म अपनी जबान को काबू में रख, अपने दोस्त कि अम्मी पर लाइन मारता है कमीना..
गौतम - अब आप हो ही इतनी खूबसूरत मैं क्या करू? अपनेआप आपकी तारीफ़ जुबान से निकल जाती है..
शबाना गौतम कि बातें सुनकर मन ही मन उसके प्रति आकर्षित होने लगती है, उसके बेरंग बड़े जीवन औऱ सुनेपन में आज कई बरसो बाद किसी ने मीठे शब्दों कि चाशनी मिलाई थी.. शबाना गौतम के मासूम से चेहरे औऱ उसकी शहद सी बातो पर दिल हारने लगी थी कि उसे अपने औऱ गौतम बीच का फर्क याद आ गया औऱ वो ऊपर से सख्त बनने का नाटक करके उसे जवाब देती है..
शबाना - तेरी जुबान खींचकर गले में लपेट दूंगी समझा.. बड़ा आया तारीफ करने वाला.. अभी से ये हाल है आगे नजाने क्या गुल खिलायेंगे..
गौतम - बुरा क्यू मानती हो आंटी? मैं भी तो आपके लिए आदिल जैसा हूँ.. अपना बच्चा समझके माफ़ कर दो.. वैसे कल आपने जो मटन बनाया था बेहद लज़ीज़ था.. मैंने आदिल से भी कहा अगर आंटी मेरे सामने होती तो मैं उनके हाथ चुम लेता..
ये कहते हुए गौतम ने शबाना के हाथ को पकड़के अपने होंठों से चुम लिया.. गौतम के ऐसा करने पर शबाना हैरानी से इधर उधर देखने लगी औऱ अपना हाथ खींचते हुए बोली..
शबाना - जरा भी शर्म नहीं है क्या तुझमे? तेरी अम्मी जैसी हूँ छोड़.. कोई देख लेगा तो हंगामा हो जाएगा..
गौतम - अरे देख लेगा तो देख लेने दो.. मुझमे औऱ आदिल में कोई फर्क थोड़ी है.. वैसे आंटी.. आप जितनी खूबसूरत औऱ हसीन दिखती हो उतना ही लज़ीज़ खाना भी बनाती हो.. आपके हाथों का बनाया मटन वापस खाने कि इच्छा वापस हो रही है..
शबाना अपनी तारीफ सुनकर इस बार थोड़ी नरम पड़ जाती है औऱ मुस्कुराते हुए बोलती है - मेरी छोड़ अपनी देख.. जितनी प्यारी तेरी शकल है ना, मेरी जगह कोई औऱ होती तो अपने सलवार में पूरा घुसा लेती तुझे.. औऱ मटन तो जब भी तुझे खाना हो बोल देना आदिल को, मैं बना के भिजवा दूंगी..
गौतम - मैं तो कब से तैयार बैठा हूँ आंटी कहीं घुसने के लिए.. आप मौका तो देकर देखो.. कसम से कहता हूँ काबड़ीवाले को भूल जाओगी..
शबाना गुस्से में - बेटा मेरे अंदर घुसने के लिए के लिए तुझे खुदा से अगला जन्म लेना पड़ेगा..
गौतम - हाय.. आंटी आपके लिए अभी अपनी नस काट कर मर जाऊ मैं..
शबाना गौतम का कान खींचकर - क्या?
गौतम - उफ्फ्फ आंटी.. कितनी ज़ालिम हो आप.. मुझ जैसे बच्चे पर जरा भी रहम नहीं आता आपको..
शबाना मुस्कुराते हुए - क्या हुआ? अभी तो बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे.. कान खींचते ही अकल आ गयी?
गौतम कान छुड़वाते हुए - अच्छा माफ़ कर दो.. बस? अब नहीं बोलता कुछ भी आपसे.. आदिल को बुला दो..
शबाना को गौतम की मासूमियत से भरे लहज़े में कही हुई बात सुनकर उसपर प्यार आने लगता है औऱ वो गौतम के होंठों पर लगे छोटे से चुविंगम के टुकड़े को अपनी उंगलियों से हटाकर बोलती है - आदिल घर पर नहीं है दूकान पर है.. अब जा यहाँ से.. आगे कुछ औऱ बोलेगा तो मार खायेगा मुझसे.. शबाना ने ये बात नरमी औऱ प्यार भरे लहज़े में गौतम के होंठों को अपनी उंगलियों से पकड़कर कहीं थी.. फिर वो घर के अंदर जाने लगी..
गौतम - सुनो आंटी...
शबाना घर के अंदर जाते हुए रूककर - अब क्या है बोल..
गौतम - आदिल अगर मेरा दोस्त नहीं होता तो आज मैं चूहा बनकर आपके बिल में घुस जाता..
शबाना गुस्से में - चुपचाप चला जा कमीने वरना तेरी लुल्ली पकड़ के उखाड़ लुंगी..
गौतम - लुल्ली तो काबड़ीवाले की है शबाना बेगम... मेरा तो लोडा है लोडा...
गौतम में नजाने कहाँ से इतनी हिम्मत औऱ बेशर्मी आ गई थी औऱ वो ये बात बोलकर अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए जोर से आवाज लगता है.. कबाड़ी वाले.... औऱ शबाना को देखता हुआ वहा से चला जाता है..
शबाना भी दरवाजे पर खड़ी हुई गौतम को जाते हुए देख रही थी उसकी नज़र आज गौतम से नहीं हट रही थी गौतम पहले भी कई बार उससे मिला था लेकिन जिस तरह से आज वो शबाना से मिला उसका असर शबाना के ऊपर अलग तरह से हुआ था..
शबाना के होंठो पर मुस्कुराहट थी आज सालों बाद किसी ने उसके साथ इस तरह की मसखरी औऱ मज़ाक़ किया था जिससे उसे औरत होने का अहसास हुआ था वरना वो कब से घर की चार दिवारी में बंद किसी परिंदे सी उड़ने की कला ही भूल चुकी थी.. अपने पति के साथ उसका सम्बन्ध बिस्तर पर ख़त्म हुए कई साल बीत गए थे.. शबाना मुस्कुराते हुए घर का दरवाजा लगाकर अंदर आ गयी औऱ गौतम की कही एक एक बात उसे अजीब सी ख़ुशी दे रही थी.. उसने कई बार अपने ख्यालों को काबू करने की कोशिश की मगर उसके दिल में गौतम के लिए जगह बन चुकी थी.. औरत को मर्द से थोड़ा इश्क़ इज़्ज़त औऱ संभाल मिल जाए तो वो मर्द को अपनी पलकों पर बैठा लेती है.. शबाना के साथ भी कुछ ऐसा ही होने लगा था.. गौतम ने इस बार उसके दिल पर गहरी छाप छोड़ दी थी..
गौतम दूकान पहुँचता है - 7 बजे का कहा था ना गांडू, अब खुद लेट करवा रहा है..
आदिल - अरे यार अब्बू बाहर गए है औऱ वो रामु चुतीया अब तक बिल लेकर नहीं आया.. वो आये तो दूकान बंद करू..
गौतम - मैंने पहले कहा था साले मत रख उसको काम पर.. आलसी औऱ ढीला है बिल्किल.. अग्रवाल के यहां तो दिनभर सोता रहता था..
आदिल - अब्बू ने रखा है यार मैंने थोड़ी..
गौतम - अच्छा जाना कहाँ है औऱ किसकी शादी है ये तो बता?
आदिल - वो विपुल गोयल है ना जो हर महीने अपनी फैक्ट्री का वेस्ट माल अब्बू को बेचते है.. गाँधी नगर वाले? जिनके पास तू गया था मेरे साथ एक बार?
गौतम - अच्छा वो साला अंधालंड.. जो सीढ़ियों से गिर गया था..
आदिल - हाँ उसी के बेटे का रिसेप्शन है.. मालदार पार्टी है.. वेज नॉनवेज सब है मेनू में.. औऱ देखने लायक़ सामान भी.. तेरे लिए आंटीया भी होंगी साले मिल्फ लवर..
गौतम - अच्छा सुन.. एक काम कर दे यार..
आदिल - क्या?
गौतम - दारू पीला दे भाई..
आदिल - झांट के बाल बियर तो संभालती नहीं तुझसे दारु पियेगा तू..
गौतम - तेरी कसम भाई आज कुछ नहीं करूंगा.. बहुत तलब लग रही है.. 1-2 बियर की बात है..
आदिल - तू रहने दे यही फ़ैल जाएगा..
गौतम - आज औकात दिखा रहा है ना? बेटा मैं भी याद रखूँगा सब..
आदिल - पी लेना रंडी.. मंगाऊ किस्से वो मादरचोद रामु आये तो..
गौतम - वो आ रहा है सामने से..
आदिल - बहनचोद तेरी किस्मत जबरदस्त है कोई भी काम नहीं अटकता..
गौतम - चल अब भेज इसको जल्दी..
आदिल रामु से - बहन के लंड एक बिल लाने में सारा दिन कर दिया तूने..
रामु - अग्रवाल ज़ी ने रोक लिया था..
गौतम - क्यू उनको तेरी गांड पसंद आ गयी थी क्या? कितनी बार मरवाई?
आदिल - चल अब ठेके पर जा औऱ एक बीयर लिया जल्दी से..
गौतम - सुन... ये बाइक लेजा.. औऱ ठेके पर किसी से गांड मत मरवाने लग जाना, जल्दी आना कहीं जाना है हमें..
रामु पैसे लेकर ठेके पर चला जाता है औऱ एक बियर लेकर वापस आ जाता है..
आदिल गौतम को देते हुए - ले भाई.. पिले अंदर बहुत जगह है.. औऱ रामु तू ये सारा माल दूकान के अंदर रख.. बंद करनी है दूकान..
रामु - पर अभी तो नो नहीं बजे..
आदिल - आज तेरी जल्दी छूटी रामु..
गौतम बियर पीके ख़त्म कर देता है औऱ फिर से हलके नशे की चपेट में आ जाता है..
आदिल - चल लोडे आठ बज गए, चलते है शादी में..
गौतम - लोडे किसको बोला गांडु? अब तो अब्बू जान बोल तभी जाऊँगा तेरे साथ..
आदिल - रंडी.. आ गया ना औकात पर तू फिर से?
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ भाई.. अब क्या अब्बू अपने आदिल बेटे से मज़ाक़ भी नहीं कर सकते.. चल चलते है..
आदिल - भोस्डिके तरीके से रह जा.. वहा जाकर कोई हरकत मत कर देना.. तेरा ठुल्ला बाप भी नहीं बचा पायेगा..
गौतम - अब अपने अब्बू को समझायेगा तू मादरचोद?
आदिल - हट बहनचोद.. जाना ही नहीं.. गलत बुला लिया तुझे..
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ गांडु.. चल चलते है.. आज कुछ नहीं करूँगा..
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - तेरी कसम..
आदिल गौतम के साथ शादी की जगह के लिए निकल पड़ता है..
गौतम - भाई यार आज मन बहुत उदास है..
आदिल - क्या हुआ रंडी.. किसकी याद आ रही है..
गौतम - भाई वो सलमा आपा नहीं रहती थी तुम्हारी किराएदार.. यार उसकी बहुत याद आ रही है..
आदिल - उसकी याद क्यू आ रही तुझे? वो तो खुद तेरी इज़्ज़त लूटने में थी ईद वाले दिन, वो तो मैं सही टाइम पर आ गया वरना तुझे तो वो कच्चा खा जाती..
गौतम - सही नहीं साले गलत टाइम पर आया था तू.. सलमा आपा मेरा पहला प्यार है.. काश सलमा आपा मेरी इज़्ज़त लूट लेती उस दिन..
आदिल - कितना वहशी है मादरचोद तू.. वैसे तूने बताया नहीं कभी उस दिन वो सब हुआ कैसे तुम्हारे बीच में..
गौतम - 1 बियऱ और लगेगी बताने में, ठेके पर रोक दोनों एक एक लेटे है...
आदिल बाइक आगे एक ठेके पर रोक कर दो बियर ले लेता है औऱ दोनों ठेके के पीछे जाकर पिने लगते है...
आदिल - बता क्या हुआ था?
गौतम - यार मैं उस दिन तुम्हारे घर की छत पर बाथरूम में हिला रहा था.. पता नहीं कहाँ से अचानक सलमा आपा वहां आ गई औऱ उसने मुझे हिलाते हुए पकड़ लिया..
आदिल - फिर क्या हुआ?
गौतम - फिर वही हुआ जो सोचके मैं हिला रहा था..
आदिल - क्या हुआ?
गौतम - रुक यार मूत के आता हूँ.. गौतम बियर ख़त्म करके मूतने चला गया फिर साइड में एक थड़ी वाले के पास जाकर एक बड़ी एडवांस सिगरेट वही लटक रहे लाइटर से जलाकर कश लेता हुआ वापस आ गया..
गौतम - 1 बियर औऱ पीनी है मुझे..
आदिल - भोस्डिके 2 हो गई तीसरी में भंड हो जाएगा और यही सो जाएगा.. आँखे देख कैसे लाल हो रही है..
गौतम कश लेता हुआ - लाना है तो ला गांडु, ज्यादा ज्ञान मत चोदे..
आदिल - चल लाता हूँ.. आदिल एक बियर औऱ लेके आ गया औऱ गौतम को देते हुए बोला.. आगे क्या हुआ फिर..
गौतम बियर की घूंठ लेकर - सलमा आपा मुस्कुराते हुए मेरे सामने बैठ गई औऱ पहली बार मुझे पता चला की लोडा चूसाने में कितना मज़ा आता है.. हाय.. आज भी याद है कितनी प्यार से सलमा आपा ने मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसा था..
आदिल - उसके बाद क्या हुआ?
गौतम बियर की औऱ दो घूंठ मारके सिगरेट का कश लेकर बोला - फिर उसके बाद तू अपनी अम्मी चुदाने आ गया था चुत की शकल के.. थोड़ी देर बाद नहीं आ सकता था कबाड़ी की औलाद..
आदिल - इस कबाड़ी की औलाद के टुकड़ो पर पल रहा है तू.. ठुल्ले के मूत..
गौतम - बुरा मत मान भाई.. बस मेरा काम कर दे..
आदिल - क्या?
गौतम - सलमा आपा कहाँ रहती है बस उनका एड्रेस कबाड के देदे यार.. कसम से ऐसी चुत दिलवाऊंगा याद रखेगा जिंदगी भर.. मेरे गुण गायेगा तू...
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - इस बियर की कसम..
गौतम बियर की आखिरी घूंठ पीके ख़त्म करता है औऱ लड़खड़ाते कदमो के साथ वहा से सडक पर आ जाता है फिर दोनों बाइक स्टार्ट करके शादी वाली जगह की पार्किंग में बाइक लगा के गार्डन की तरफ आ जाते है, गार्डन के गेट पर चौकीदार ने रोककर पूछा तो आदिल ने फ़ोन में कार्ड दिखाकर गौतम के साथ एंट्री कर ली..
गौतम - बहनचोद ये शादी है या क्या है?
आदिल - वो डायलॉग है ना.. बड़े बड़े लोग बड़ी बड़ी बातें..
गौतम नशे में था मगर शादी की रौनक उसे साफ दिखाई दे रही थी..
आदिल - चल भाई नॉनवेज में कुछ चेपते है..
गौतम - तू खा भिखारी.. मैं तो चला नाचने..
आदिल - रंडी तो नाच-गाना है करेंगी..
गौतम सामने बज रहे dj के पास डांस फ्लोर पर चला जाता है वहा नाच रहे लोगों के साथ मिलकर है नाचने लगता है वही आदिल खाने पर टूट पड़ता है..
देसी देहाती औऱ बॉलीवुड के डांस नंबर पर गौतम नाचने में इतना मशगूल हो गया था की उसे पता ही है नहीं चला की वो नाचते नाचते कब एक औरत के करीब आ गया था औऱ दोनों मिलकर डांस फ्लोर पर आग लगा रहे थे..
जब दूल्हे औऱ दुल्हन की एंट्री के टाइम गाना रुका तो गौतम को अहसास हुआ की डांस में वो इतना लीन हो गया था की एक 36 की औरत के साथ बाहों में बाहे डालकर नाचने लगा था.. गाना बंद होने के बाद उस औरत ने गौतम को अपने साथ आने का इशारा किया..
गौतम भी खुद ब खुद उसके पीछे पीछे कोने में एक खाली जगह पर आ गया जहाँ बिलकुल भीड़ नहीं थी..
औरत ने पर्स से एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगा ली औऱ लाइटर से जलाते हुए एक लम्बा कश लेकर धुआँ बाहर छोड़ते हुए गौतम को देखकर बोली - उम्र क्या है तुम्हारी?
गौतम को सुरूर औऱ नशा था मगर थोड़ा सा होश भी.. गौतम ने जवाब में कड़क आवाज बनाते हुए कहा- 28 साल..
औरत ने वापस एक कश लेकर हँसते हुए कहा - 28 या 18? सच बताओ?
इस बार गौतम ने औरत की उंगलियों में सुलगती सिगरेट छीन ली औऱ लम्बा कश भरके असली उम्र बताते हुए कहा - 20 साल..
औरत थोड़ी हैरानी से - शराब कितनी पी रखी है तुमने?
गौतम - 3 बियर..
औऱत गौतम से वापस सिगरेट लेकर बोलती है - मेरा नाम माधुरी है.. तुम्हारा?
गौतम - गौतम..
माधुरी - सेक्स करोगे मेरे साथ..
इस बार गौतम का आधा नशा काफूर हो गया एक खूबसूरत औरत उसके सामने खड़ी हुई थी औऱ उससे इस तरह सेक्स के लिए पूछ रही जैसे लोग चाय कॉफी के लिए लोग पूछते है..
गौतम हकलाते हुए कहने लगा - ककक्या?
माधुरी हँसते हुए - बियर उतर गई?
गौतम - तुमने मज़ाक़ है ऐसा किया..
माधुरी सिगरेट का आखिरी कश लेकर फेंकती हुई कहती है - पर मैंने तो मज़ाक़ किया है नहीं..
माधुरी की बात सुनकर गौतम के चेहरे पर एक साथ इतने सारे भाव आ गए थे जिसे कहा पाना मुश्किल था..
गौतम - मतलब?
माधुरी - मतलब ये कि क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना चहते हो?
गौतम - पर यहां जगह कहा है?
माधुरी गौतम कि बात सुनकर खिलखिलाती हुई हस्ने लगी औऱ फिर एक चूमा उसके होंठों पर करके उसका हाथ पकड़ कर कहीं ले जाने लगी..
रिसेप्शन हॉल के दायी तरफ बनी सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर मधुरी गौतम को एक रूम में ले आई जहा आते है उसने दरवाजा लगा दिया.. औऱ गौतम के गले में हाथ डालकर बोली..
माधुरी - तुम लड़की कि तरफ से आये हो या लड़के की तरफ से?
गौतम - दोस्त की तरफ से..
माधुरी - मतलब?
गौतम - मतलब मैं किसी की तरफ से नहीं हूँ, मेरा एक दोस्त लेके आया है मुझे यहां.. आप किसकी तरफ से हो?
माधुरी - लड़की की तरफ से.. मेरी दूर की रिस्तेदार की बेटी है जिसकी ये रिसेप्शन है..
माधुरी औऱ गौतम के बीच बातचीत हो ही रही थी कि माधुरी का फ़ोन बजने लगा जिसे उठाते हुए माधुरी गौतम से थोड़ी दूर चली गई..
माधुरी - हेलो? हाँ.. बोलो.. ठीक है.. नहीं नहीं आने कि जरुरत नहीं है मैं खुद आ जाउंगी.. ठीक है काम करो तुम.. फ़ोन रखती हूँ..
गौतम - किसका फ़ोन था?
माधुरी - मेरे पति का.. ये छोडो.. ये बताओ पहले कभी किसी के साथ किया है?
गौतम - अब तक तो नहीं..
माधुरी - मतलब नोसीखिया हो.. ठीक है तुम फ़िक्र मत करो मैं तुम्हे सब सीखा दूंगी..
गौतम - एक बात पुछु, बुरा ना लगे तो?
माधुरी गौतम के ऊपर आते हुए - पूछो..
गौतम - आपके पति आपको खुश नहीं रखते?
मधुरी - मुझे क्या वो किसी को खुश रखने लायक़ नहीं है..
गौतम - क्यू?
माधुरी - कितने सवाल करते हो तुम गौतम? इतना समझा लो कि मेरे पति के हैंडपम्प से अब कोई पानी नहीं भर सकता.. अब मेरा मूंड मत खराब करो.. वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे जैसा कच्चा माल नहीं चखा..
गौतम - मतलब अभी तक आपके बच्चा भी नहीं है? माधुरी - नहीं है... अब आओ मुझे kiss करो..
ये कहकर माधुरी गौतम के होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम भी भरपूर उसका साथ दे देता है.. दोनों एक दूसरे को ऐसे चुम रहे थे जैसे रेगिस्तान में प्यासा पानी को चूमता है.. होंठों औऱ जीभ की इस लड़ाई में माधुरी औऱ गौतम को भरपूर मज़ा आ रहा था..
माधुरी बार बार गौतम के होंठों को दांतो से खींचती हुई चूमती है औऱ फिर उसकी आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए आँख मारके उसे छेड़ती है.. गौतम भी अब तक नशे से आधा बाहर आ चूका था उसके होंठों तो माधुरी के होंठों की गिरफ्त में थे मगर गौतम ने अपने हाथ से माधुरी के आम पकड़ लिए औऱ उन्हें मसलने लगा जिससे माधुरी पर औऱ ज्यादा काम का असर होने लगा..
कुछ देर में ही दोनों ने एक दूसरे के सारे कपडे उतार दिए औऱ माधुरी गौतम का लंड देखकर हैरान हो गई.. गौतम ने उसके हैरान चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसके मुंह में दाल दिया..
माधुरी लंड मिलने पर पागलो की तरफ उस पर टूट पड़ी जैसे चींटी मीठे पर टूट पडती है..
गौतम को अचानक मिली इस औरत से जन्नत का मज़ा आ रहा था.. लोडा चुस्ती माधुरी गौतम को किसी अप्सरा जैसी लग रही थी गौतम का आधे से ज्यादा लंड उसके मुंह में था औऱ वो पूरी शिद्दत से लंड को चूस रही थी.. गौतम ने माधुरी के बाल पकड़ कर लंड चूसाते हुए अपना माल उसके मुंह में भर दिया जिससे माधुरी हक्कीबक्की रह गई औऱ मज़बूरी में उसे सारा माल गले के नीचे उतार लेना पड़ा..
गौतम लंड चूसाने के बाद औऱ अपना माल माधुरी को पिलाने के बाद उसकी झाटों से विहीन चिकनी चुत पर मुंह लगाते हुए माधुरी को स्वर्ग की सेर पर ले गया जहाँ से उतारते उतारते माधुरी ने भी गौतम के मुंह में अपना सारा माल झाड़ दिया..
गौतम ने अब देर ना करते हुए माधुरी की चिकनी चुत पर अपने लंड सेट करके एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे माधुरी पूरी आवाज के साथ चिल्ला पड़ी लेकिन नीचे बजते dj औऱ लोगों की आवाज में उसकी आवाज दबकर रह गयी.. माधुरी मुहफट ऐयाश दिलफेंक औरत थी जिसने कई मर्दो के साथ सेक्स किया था मगर किसी में भी वो दम नहीं था जो आज उसने गौतम के अंदर देखा था.. पहले झटके में ही गौतम ने माधुरी जैसी खेली खाई औरत की चिंख निकलवा कर अपनी मर्दानगी साबित कर दी औऱ फिर माधुरी की चुत के साथ साथ उसके दिल का दरवाजा भी खोलके अंदर घुस गया..
माधुरी आहे औऱ सिस्कारिया भरती हुई गौतम के नीचे पड़ी पड़ी ऐसे चुद रही थी जैसे गाँव के खेतो में भाभियाँ अपने देवरों से चुद जाती है.. गौतम ने कुछ देर उसी तरह माधुरी को चोदकर उसे पलट दिया औऱ घोड़ी बनाकर चोदने लगा..
इस घुड़सावारी में गौतम को जो मज़ा आ रहा था वो अतुलनीय औऱ अद्भुत था उसके सामने एक खूबसूरत औऱ कसे हुए बदन की औरत गांड फैलाये थी औऱ वो उस औरत के बाल पकड़कर अपने लोडे से धक्के पर धक्के मारे जा रहा था जिससे उस औरत का सारा बदन किसी तार पर लटके कपडे के हवा में हिलने के समान हिल रहा था..
माधुरी झड़ चुकी थी मगर गौतम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.. माधुरी उस कमरे के गद्दे पर झड़ चुकी थी औऱ अभी अभी चुदाई के बीच में उसका मूत भी निकल गया था.. चुत के माल औऱ मूत से सने उस गद्दे पर अब भी माधुरी की चुदाई चल रही थी..
गौतम से रहा ना गया तो वो माधुरी को अपनी गोद में उठाकर हवा में उछालते हुए चोदने लगा.. माधुरी गौतम की चुदाई कला से आज जितनी प्रभावित हो चुकी थी उससे तय था की वो अब गौतम से दूर नहीं रह पाएगी..
एक घंटे तक चली इस चुदाई के बाद जब गौतम झड़ने को हुआ तो उसने दिवार से माधुरी को चिपका दिया औऱ उसकी दोनों टांग हाथों से उठाकर अपना सारा माल उनकी चुत में भर दिया.. माधुरी ने काम के बस में वापस गौतम को चूमना चालू कर दिया औऱ इस बार एक लम्बे चुम्बन में गौतम को बाँध लिया..
आदिल पेट भरके खाना खा चूका था औऱ शादी में लड़किया ताड़े जा रहा था.. उसके बाद जब उसने गौतम को फ़ोन किया तो गौतम माधुरी की बाहों में था..
आदिल - भाई चलना नहीं है क्या? कहाँ है तू?
गौतम - भाई तू चला जा मैं बाद में आऊंगा..
आदिल - भोसड़ीवाले क्यू दिमाग खराब कर है? है कहाँ तू..
गौतम माधुरी का बोबा चूसता हुआ - जन्नत में हूँ गांडु.. मुझे टाइम लगेगा..
आदिल - बहन के लंड यहां कोनसी रंडी मिल गयी तुझे? औऱ साले रंडी के चक्कर में दोस्त को औकात दिखा रहा है.. अगर तू 5 मिनट में नहीं आया तो दोस्ती ख़त्म समझ..
गौतम निप्पल्स दातो से काटते हुए - दोस्ती ख़त्म गांडु अब जा.. औऱ फ़ोन काट देता है.. आदिल फ़ोन से बाइक बुक करके घर चला जाता है..
माधुरी प्यार से छेड़ते हुए - गौतम ज़ी.. मेरे बूब्स चूसकर आपका मन भर गया हो तो मुझे घर तक छोड़ दोगे..
गौतम - बहुत मज़ा आया भाभी आपके साथ..
माधुरी - मज़ा तो मुझे दिया है तुमने.. मैं प्यार में ही पड़ गई तुम्हारे.. अब तो बार बार मिलना पड़ेगा तुमसे..
गौतम - अब चलो यार बहुत भूख लगी है मुझे तो..
माधुरी - भूख तो लगेगी ही इतनी मेहनत जो की है तुमने मुझपर, चाल ढाल सब बदल दिया मेरा.. बच्चा समझ रही थी तुमको पर तुम तो जोनी सीन्स निकले..
गौतम - आप भी कम कहा हो भाभी.. पहली मुलाक़ात में ही लंड पर बैठ गई..
माधुरी - अब मेरा तुम्हारे लंड पर बैठना उठना चलता ही रहेगा गौतम.. सच बोलती हूँ प्यार हो गया तुझसे..
गौतम - मुझसे या मेरे इस लंड से?
माधुरी - दोनों से मेरी जान..
गौतम - चलो यार भाभी नीचे चलते है.. भूक लग रही है..
गौतम औऱ माधुरी नीचे आकर बातें करते हुए खाना खाने लगते है औऱ फिर माधुरी गौतम से नम्बर एक्सचेंज करती है की तभी गौतम को माधुरी के फ़ोन पर एक तस्वीर दिखाई देती है औऱ वो चकित रह जाता है औऱ माधुरी से पूछता है..
गौतम - ये तस्वीर किसकी है?
माधुरी - अच्छा ये.. यही तो मेरे पति है.. जिसकी बात तुम कर रहे थे.. चलो अब मुझे घर छोड़ दो.. बहुत नींद आ रही है..
माधुरी को नींद आ रही थी मगर गौतम की नींद उड चुकी थी औऱ उसका सारा नशा भी हवा हो चूका था..
माधुरी - अब खड़े खड़े ये तस्वीर क्या देख रहे हो चलो..
गौतम माधुरी के साथ अपनी बाइक पर बैठकर उसे छोड़ने चल पड़ता है औऱ मन में बहुत कुछ सोचने लगता है.. उसके सारे ख्याल इधर उधर थे.. उसे बहुत गुस्सा भी आ रहा था..
माधुरी - यहां से राइट..
गौतम बिना कुछ बोले माधुरी के बताये रास्ते पर चल पड़ता है और उसके घर तक पहुँचता है..
माधुरी - अंदर आ जाओ..
गौतम रूखेपन से - नहीं मैं अब चलता हूँ.. आपके पति को अच्छा नहीं लगेगा..
माधुरी - अरे उसकी चिंता तुम मत करो.. वो शहर से बाहर गए हुए है कल आएंगे.. तुम अंदर चलो मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ..
गौतम - मैं चाय पिता हूँ, वैसे एक बात पुछु?
माधुरी - हम्म.. पूछो..
गौतम - आपकी शादी को कितने साल हो गए?
माधुरी - 15 साल हो गए.. वो पुलिस में थे और मैं एक कंप्लेंट लिखवाने पुलिस स्टेशन गई थी.. वही पर उसने मुझे अपने जाल में फंसा लिया और फिर शादी कर ली..
गौतम - जाल में फंसा लिया मतलब?
माधुरी - मतलब की कमीना पहले से शादी शुदा था.. एक बच्चा भी उसको.. सुना है बच्चे का नाम भी गौतम है..
गौतम - फिर आपने क्या किया, ये सब जानकार?
माधुरी - क्या कर सकती थी मैं? अकेली थी घर से भागी हुई.. वापस घर नहीं जा सकती थी तो इसे अपनी किस्मत मानकर रहने लगी.. वैसे भी ये मेरे पति अपनी सारी कमाई मुझ पर खर्चा कर देते है और ये घर भी उन्होंने मेरे लिए ख़रीदा है.. पहली पत्नी तो आज भी एक छोटे से पुलिस क्वाटर में अपने बेटे के साथ पड़ी हुई है..
गौतम - कभी मिलने की कोशिश नहीं की आपने उन लोगों से?
माधुरी - मिलकर क्या करती? जैसा चल रहा है ठीक है.. अगर कुछ करती तो सबके लिए हालात खराब ही होते..
गौतम को अपने पिता जगमोहन और माधुरी ओर गुस्सा आ रहा था वो समझा नहीं पास रहा था कि वो क्या करें? आज उसके ऊपर एक पहाड़ टुटा था आज उसे समझा आ गया था कि जगमोहन क्यों बार बार घर से इतना गायब रहता है और घर में पैसे कि कमी क्यों है.. गौतम ने कुछ देर सोच फिर माधुरी के बदन को ऊपर से नीचे तक देखकर कहा..
गौतम चाय पीते हुए - भाभी..
माधुरी - हम्म और क्या पूछना है तुम्हे..
गौतम - बेडरूम कहाँ है?
माधुरी गौतम का इशारा समझ जाती है और उसका हाथ पकड़ कर बैडरूम में ले जाती है जहाँ सुबह तक गौतम अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी की जमकर चुदाई करता है और इस कंडोम नहीं पहनता.. गौतम अपना सारा गुस्सा माधुरी को चोदकर ठंडा करता है वही माधुरी गौतम के लिए पूरी तरह खुल चुकी थी.. गौतम ने रातभर 3 बार माधुरी की बच्चेदानी में उसे प्रेग्नेंट करने की नियत से अपना वीर्य छोड़ा था.. सुबह होने पर दोनों का सम्भोग और पर प्रगाड़ और मधुर बन जाता है..
गौतम - अब जाने दो माधुरी..
गौतम अपने बाप की तस्वीर के सामने घुटनो पर बैठकर अपना लंड चुस्ती अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी से कहता है जो मुंह से लंड निकालकर गौतम को जवाब देती है..
माधुरी - थोड़ी देर और रुक जाओ ना गौतम..
गौतम - माधुरी तुम्हारा पति आ गया तो अटैक से मर जाएगा तुम्हे इस तरह देखकर..
मधुरी मुस्कुराते हुए - मरता है तो मरने दो.. जो होगा देखा जाएगा..
गौतम - माधुरी यार अब जाने दो प्लीज.. फिर कभी आ जाऊंगा तब प्यार कर लेना जीभरके..
माधुरी - मन नहीं कर रहा गौतम तुम्हारे इस लंड को मुंह से निकालने का.. पहली बार औरत बार का अहसास दिलाया है तुमने..
गौतम मुस्कुराते हुए - रात से अब तक मन नहीं भरा तुम्हारा?
माधुरी - मेरा तो कभी मन ना भरे ऐसे लंड से..
गौतम - चलो अब जाने दो.. वरना तुम्हारा पति आ गया तो मुसीबत हो जायेगी मेरे लिए..
माधुरी मुंह से लंड निकालकर - अच्छा बाबा ठीक है.. मगर वादा करो जल्दी आओगे.. मैं massage करूंगी..
गौतम - कितनी सेक्स की भूखी हो तुम माधुरी? ठीक से चला भी नहीं जा रहा तुमसे और अब भी तुम्हे लंड लेने की पड़ी है.. अब जाने भी दो..
माधुरी - तुम्हारे मुंह से मेरा नाम कितना प्यारा लगता है.. आई लव यू.. गौतम..
गौतम हस्ते हुए - अच्छा ज़ी प्यार हो गया मुझसे? अब तो वापस जरूर मिलना पड़ेगा..
गौतम माधुरी से मिलकर उसके यहां से चल देता और अपने घर की तरफ आ जाता है जहाँ पहुंचने में उसे डेढ़ घंटा लग जाता है..
गौतम घर पहुंचकर देखता है की उसका बाप जगमोहन सो रहा है और सुमन सुबह सुबह नल से पानी भर रही है.. गोईटम को अपने बाप पर बहुत गुस्सा आता है मगर वो सच्चाई को छिपा के रखने में ही सबकी भलाई समझता है..
सुमन गौतम को देखकर गुस्से में - कहाँ था रातभर तू? और ये तेरे होंठों को क्या हुआ है? इतने लाल क्यू है.. सुमन गौतम की हालात देखकर सारा माजरा समझा जाती है की गौतम रात को किसी ना किसी लड़कि के साथ जरूर था..
गौतम - कुछ नहीं माँ.. रात को दोस्त के घर चला गया था.. मुझे नींद आ रही है, सोना है..
गौतम सुमन को अनसुना करके अपने कमरे में चला जाता है और बिस्तर पर लेटते हुए उसकी आँख लग जाती है..
सुमन का दिल बहुत जोर से दुखता है की गौतम ने रात को एक दफा भी उसे फ़ोन करके बताना जरुरी नहीं समझा.. वो अपनेआप को कोसती हुई और गौतम को बुरा भला कहती हुई घर के काम में लग गई.. सुबह जगमोहन भी नास्ता करके काम पर चला गया और अब दोपहर हो चुकी थी..
गौतम की नींद खुलती है तो वो आँख मलता हुआ रसोई में बर्तन साफ कर रही सुमन को पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लेटा है और उसके गाल पर एक चुम्मा कर देता है जिसके जवाब में सुमन गौतम के होंठों को जोर से अपनी उंगलियों में पकड़ कर पूछती है..
सुमन - ये किस चुड़ैल की लिपस्टिक के निशान है तेरे होंठों पर? हम्म? सुबह शराब की बू भी आ रही थी तेरे मुंह से.. शराब भी पिने लगा है तू? रातभर कहाँ मुंह काला कर रहा था अपना? एक फ़ोन भी करना जरुरी नहीं समझा मुझे?
गौतम जैसे तैसे अपने होंठों को सुमन की उंगलियों की पकड़ से छुड़वा कर सुमन से कहता है - माँ.. लिपस्टिक नहीं है मेरे होंठ तो वैसे भी लाल है.. और शराब से आप भी जानती हो मैं दूर रहता हूँ..
सुमन - झूठ भी बोलने लगा है तू अपनी माँ से? मैं ना तुझसे बात ही नहीं करुँगी अब..
गौतम - इतना गुस्सा अपने ग़ुगु से?
ये कहते हुए गौतम ने फिर से सुमन को पीछे से बाहों में भरके उसके गर्दन और गाल पर अपने होंठो से चुम्बन वर्षा कर दी और पेट में गुदगुदी करने लगा जिससे सुमन खिलखिलाकर मुस्कुराने लगी...
सुमन - पहले नहा ले जाकर.. पता नहीं किस डायन के साथ था रातभर..
गौतम कोई जवाब नहीं देता और नहाने चला जाता है वही सुमन एक चाय बनाकर गौतम के रूम में आ जाती है जहाँ गौतम कपडे बदल रहा होता है.. सुमन गौतम के पीठ और सीने पर लगे दांतो और नाखुनो के निशान देखकर उसे पकड़ लेती है और पूछती है..
सुमन - ग़ुगु ये सब क्या है? पता नहीं किस डायन की नियत खराब थी तेरे ऊपर जो इतनी बुरी तरह से नोचा है मेरे बच्चे को.. सच बता किसके साथ था?
गौतम - माँ... वो एक दोस्त के साथ था..
सुमन - दोस्त लड़कि थी ना ?
गौतम नज़र नीची करके - हम्म्म...
सुमन - तूने कंडोम तो पहना था ना ग़ुगु?
गौतम शरमाते हुए - माँ...
सुमन - रातभर लड़की के साथ मुंह काला करने में शर्म नहीं आई और अब अपनी माँ से शर्मा रहा है..
गौतम - छोडो, कपडे पहनने दो..
सुमन - पहले बता.. तूने कंडोम पहन के सेक्स किया था या नहीं..
गौतम - हम्म..
सुमन - हम्म का मतलब क्या? कंडोम पहना था या नहीं?
गौतम - हाँ माँ पहना था बस अब खुश?
सुमन - लड़की कौन थी?
गौतम - यार माँ.. आप भी ना.. कहते हुए गौतम शर्ट पहन कर आस्तीन चढ़ाते हुए चाय का कप हाथ में लेकर रूम से बाहर आ जाता है..
सुमन भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाती है और उसे पुकारती हुई कहती है - ग़ुगु... ग़ुगु.. बता ना..
गौतम रूककर - छोडो ना मैं भी नहीं जानता.. शादी में मिली थी..
सुमन - तो पहली मुलाक़ात में ही सेक्स हो गया? तुम्हारी जनरेशन सच में वो क्या कहते है लोग.. निक्कमी है..
गौतम - पापा कहा गए?
सुमन - वो तो सुबह ही चले गए थे.. कहा रहे थे कुछ काम है do-teen दिन बाहर ही रहेंगे..
गौतम - सही है.. कभी यहां कभी वहा..
सुमन - मतलब
गौतम - मतलब कुछ नहीं.. आज मूवी देखने चलोगी आप? आपके फेवरेट हीरो की मूवी लगी है..
सुमन - रिश्वत दे रहा है अपनी माँ को?
गौतम - वही समझ लो.. लेनी है तो बोलो वरना जाने दो..
सुमन - ठीक है ज़िल्लेइलाही.. जैसा आप कहो.. कब चलना है?
गौतम - अभी... बस ये काम वाली बाई जैसे कपडे बदल लो..
सुमन - क्या पहनू?
गौतम - बिकिनी..
सुमन हँसते हुए - चल हट बदमाश कहीं का..
गौतम - कोई सूट पहन लो.. अच्छा सा..
गौतम सुमन को मूवी दिखाने ले जाता है और बाहर खाना खिला कर अपनी मां से प्यार भरी मीठी बातें करते हुए उसे हंसाने और खुश रखने का प्रयास करता है जिसका सुमन को पूरा-पूरा अंदाजा होता है और वह खुद भी गौतम के इस तरह के व्यवहार से अपने आपको तसल्ली देते हुए गौतम के साथ मुस्कुराते हुए समय बिताती है..
शाम होने को थी सुमन आज सारा काम धाम ख़त्म करके गौतम के पास आई औऱ स्टडी टेबल के आगे चेयर पर बैठे गौतम के सर को सहला कर प्यार से उसके माथे पर चुम्बन करके बोली.. चाय बना दू?
गौतम - हां..
सुमन वहा से रसोई में आ गई औऱ चाय बनाने लगी गौतम फिर अपनी किताब बंद करके टेबल पर रखकर खड़ा हो गया औऱ अपने फ़ोन पर आपने दोस्त आदिल का फ़ोन आते देख उसे तुरंत उठा लिया औऱ बात करने लगा..
गौतम - हेलो..
आदिल - हां कहाँ है रंडी?
गौतम - वही जहाँ हमेशा रहता हूँ.. तेरी अम्मी के भोसड़े में..
आदिल - बकचोदी मत कर रंडी.. आज फ्री है तो बता?
गौतम - आज किसकी दिलवा रहा है भाई?
आदिल - माँ के लोडे हवसी, हमेशा लेने की सोचा कर तू..
गौतम - अरे तो बोल ना, क्या काम है?
आदिल - शादी में चलना है.. चलेगा?
गौतम - किसकी शादी में?
आदिल - उससे अपने को क्या करना है? शादी का कार्ड आया हुआ पड़ा है अब्बू शहर से बाहर है, घर से औऱ कोई जा नहीं रहा तो सोचा मैं ही चला जाता हूँ. तू चलेगा तो बता? दोनों भाई मिलकर लड़किया ताड़ेंगे..
गौतम - भाई बाइक में तेल डलवा देना फिर चाहे अमेरिका ले चल मुझे, मैं तो फ्री हूँ..
आदिल - ठीक है रंडी.. शाम को सात बजे घर आ जाना औऱ लेट मत करना..
गौतम - ठीक है चल, रखता हूँ..
गौतम आदिल से बात करके नहाने चला जाता है औऱ सुमन चाय लेकर कमरे में आ जाती है..
सुमन - ग़ुगु...
गौतम बाथरूम से - हाँ माँ..
सुमन - बच्चा.. नहा रहा है क्या?
गौतम - हाँ माँ..
सुमन - पर सुबह नहाया तो था ना..
गौतम - कहीं जाना है माँ..
सुमन - कहाँ?
गौतम - दोस्त के भाई की शादी है.. बुलाया है उसने..
सुमन - ठीक है मैं कपडे निकाल देती हूँ बेटू..
गौतम - माँ कोई पीला गुलाबी मत निकाल देना..
सुमन - अरे नहीं, तेरी बुआ जो लाई थी तेरे लिए उनमे निकलती हूँ..
सुमन अलमीरा खोलकर नीचे पड़े बैग से सभी कपडे औऱ जूते जो पिंकी गौतम के लिए आई थी निकालकर बेड पर पटक लेती औऱ उनमे से गौतम के लिए कपडे निकालने लगती है..
सुमन मन में - हम्म.. पिंकी कितनी भी ऐयाश औऱ कमिनी क्यू ना हो.. ग़ुगु के लिए हमेशा दिल खोल के खर्चा करती है.. अब इनमे से क्या निकालू.. ये सब अच्छे लगेंगे मेरे ग़ुगु पर.. ये ठीक रहेगा..
सुमन एक ब्लैक शर्ट औऱ लाइट ब्लू जीन्स निकाल कर बेड पर एक तरफ रख देती औऱ उसके साथ ही ब्लैक शूज भी रख देती है, बाकी कपडे औऱ जूते बैग से निकालकर अलमीरा में जमा के रख देती है फिर कमरे से बाहर चली जाती है..
गौतम नहाकर बाथरूम से बाहर निकलता है औऱ बेड के किनारे रखी चाय की चुस्की लेकर कपडे पहनने लगता है.. चाय पीते हुए कपडे पहनकर गौतम कमरे से बाहर आ जाता है औऱ रसोई में सब्जी काट रही सुमन को पीछे से बाहों में भर लेता है..
सुमन - अरे.. आज क्या बात है? बहुत प्यार आ रहा है अपनी माँ पर मेरे ग़ुगु को..
गौतम - आज मतलब? मुझे तो हमेशा आता है अपनी खूबसूरत माँ पर प्यार? अपनी माँ से प्यार करना गलत है?
सुमन - बिलकुल भी नहीं.. मैं चाहती हूँ मेरा ग़ुगु मुझसे हमेशा प्यार करें.. अच्छा ये बताओ सच में शादी में जा रहे हो ना? किसी गर्लफ्रेंड से मिलने तो नहीं जा रहे?
गौतम - एक काम करो आप साथ चलकर तस्सली कर लो.. आपको तो आजकल मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं होता?
सुमन - अच्छा ठीक है बाबा.. वैसे अगर गर्लफ्रेंड से मिलो तो थोड़ा ख्याल रखना औऱ कुछ करो कंडोम जरूर पहन लेना.. समझें?
गौतम - पहली बात तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. औऱ दूसरी बात, आपको शर्म नहीं आती अपने जवान बेटे से इस तरह की बात करने में?
सुमन हसते हुए - जवान औऱ तु? क्या बात है? पहले मेरा दूदू पीना छोड़ दे फिर जवाँ होने की बात कहना..
गौतम - आपने ही तो पिलाया था.. मेरी क्या गलत इसमें?
सुमन हस्ते हुए - अच्छा औऱ उस दिन शाम को कौन आया था मेरे पास दूदू के लिए? माँ बस पांच मिनट पीला दो... वैसे आज बहुत अच्छी खुश्बू आ रही है कोनसा परफ्यूम लगाया है?
गौतम - पता नहीं बुआ लेके आई थी.. मैंने नेट पर सर्च किया था *** नाम है, पर माँ बहुत महँगा परफ्यूम है बुआ ने फालतू में इतना खर्चा कर दिया..
सुमन - ग़ुगु.. सिर्फ परफ्यूम ही नहीं तेरे कपडे जूते औऱ बाकी सामान ज़ी बुआ ने दिया है सबकुछ बहुत महँगा है.. चलो उस पिंकी को किसी का तो ख्याल है. तेरे लिए तो हमेशा उसकी जेब खुली रहती है..
गौतम - हाँ.. वो बात तो है माँ, जेब के अलावा भी बहुत कुछ खुला रहता है.. बिना कुछ बोले सबकुछ ले आती है मेरे लिए बुआ.. वैसे आप उनसे इतना क्यू गुरेज करती हो? वो तो आपसे बहुत प्यार करती है..
सुमन - प्यार औऱ वो? वो तो बस पैसो से प्यार करती है.. पैसो के लिए अपने से इतने बड़े आदमी से शादी करके बैठी है.. यहां भी मुझे या तेरे पापा से मिलने नहीं बल्कि तुझसे मिलने आती है. उसे बस तेरी परवाह है.
गौतम - उनको मेरी परवाह है तो फिर आप इतना बैर क्यू रखती हो बुआ से?
सुमन - क्युकी.. उसका कोई भरोसा नहीं.. हवस में अंधी होकर तेरे साथ.. मैं तो उसकी जान ही ले लू..
गौतम - आप ना इस चार दिवारी में रहकर पागल हो रही हो.. बुआ के मन में ऐसा कुछ नहीं है वो तो मुझे बच्चों की जैसे प्यार करती है.. खामखा आप गलतफेहमी पालकर रिस्ते मत खराब करो.. मैं चलता हूँ, अपना ख्याल रखना.. रात को आने में थोड़ी देर हो जायेगी..
गौतम ये कहते हुए सुमन के गालो को वापस चुम लेता औऱ मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखकर घर से बाहर चला जाता है फिर अपनी बाइक स्टार्ट करके आदिल के घर के बाहर आ जाता है वही सुमन गौतम और पिंकी के बारे जानते हुए भी दोनों से ये बात छुपाने मेंसबकी भलाई और फ़ायदा समझती है..
गौतम आदिल के घर के बाहर आकर खड़ा ही हुआ था कि उसे सामने से बुरका पहने आती हुई एक औरत दिखी जिसके बड़े और तने हुए बूब्स बुर्के में भी साफ हिलते हुए नज़र आ रहे थे.. गौतम से उसे देखकर छेड़े बिना रहा ना गया औऱ वो उस औरत को देखकर जोर से बोला..
गौतम - हिला हिला चलती हो चुचे.. क्या मार डालोगी?
जानेमन हमें नहीं चूसाओगी तो क्या आचार डालोगी?
औरत गौतम कि बात सुनकर उसके करीब आ जाती है औऱ अपने बुर्के का पर्दा उठाकर गौतम का हाथ पकड़ते हुए बोलती है..
औरत - अंदर आजा चूसाती हूँ तुझे.. बहुत जवानी चढ़ी है.. हरामजादे..
औरत ने जैसे ही बुर्के का पर्दा उठाकर अपनी शकल दिखाई गौतम कि सिट्टी पिट्टी सब गुल हो गयी.. उसके सामने आदिल कि माँ शबाना खड़ी थी जिसे गौतम ने कोई अनजान औरत समझके छेड़ दिया था..
गौतम - आंटी आंटी माफ कर दो.. गलती से मुंह से निकल गया.. मुझे पता नहीं था आप हो..
शबाना - एक थप्पड़ पड़ेगा ना तो सब पता चल जाएगा तुझे.. अभी ठीक से दाढ़ी-मुछ भी नहीं आई औऱ लड़की छेड़ने लगे है नवाबसाब.. सूरत से इतने मासूम है औऱ सीरत से शैतान के भी अब्बा हो गए है..
गौतम - आंटी. आप इतनी सेक्सी लग रही थी आते हुए कि अपनेआप मुंह से निकल गया.. माफ़ कर दो..
शबाना - बेशर्म अपनी जबान को काबू में रख, अपने दोस्त कि अम्मी पर लाइन मारता है कमीना..
गौतम - अब आप हो ही इतनी खूबसूरत मैं क्या करू? अपनेआप आपकी तारीफ़ जुबान से निकल जाती है..
शबाना गौतम कि बातें सुनकर मन ही मन उसके प्रति आकर्षित होने लगती है, उसके बेरंग बड़े जीवन औऱ सुनेपन में आज कई बरसो बाद किसी ने मीठे शब्दों कि चाशनी मिलाई थी.. शबाना गौतम के मासूम से चेहरे औऱ उसकी शहद सी बातो पर दिल हारने लगी थी कि उसे अपने औऱ गौतम बीच का फर्क याद आ गया औऱ वो ऊपर से सख्त बनने का नाटक करके उसे जवाब देती है..
शबाना - तेरी जुबान खींचकर गले में लपेट दूंगी समझा.. बड़ा आया तारीफ करने वाला.. अभी से ये हाल है आगे नजाने क्या गुल खिलायेंगे..
गौतम - बुरा क्यू मानती हो आंटी? मैं भी तो आपके लिए आदिल जैसा हूँ.. अपना बच्चा समझके माफ़ कर दो.. वैसे कल आपने जो मटन बनाया था बेहद लज़ीज़ था.. मैंने आदिल से भी कहा अगर आंटी मेरे सामने होती तो मैं उनके हाथ चुम लेता..
ये कहते हुए गौतम ने शबाना के हाथ को पकड़के अपने होंठों से चुम लिया.. गौतम के ऐसा करने पर शबाना हैरानी से इधर उधर देखने लगी औऱ अपना हाथ खींचते हुए बोली..
शबाना - जरा भी शर्म नहीं है क्या तुझमे? तेरी अम्मी जैसी हूँ छोड़.. कोई देख लेगा तो हंगामा हो जाएगा..
गौतम - अरे देख लेगा तो देख लेने दो.. मुझमे औऱ आदिल में कोई फर्क थोड़ी है.. वैसे आंटी.. आप जितनी खूबसूरत औऱ हसीन दिखती हो उतना ही लज़ीज़ खाना भी बनाती हो.. आपके हाथों का बनाया मटन वापस खाने कि इच्छा वापस हो रही है..
शबाना अपनी तारीफ सुनकर इस बार थोड़ी नरम पड़ जाती है औऱ मुस्कुराते हुए बोलती है - मेरी छोड़ अपनी देख.. जितनी प्यारी तेरी शकल है ना, मेरी जगह कोई औऱ होती तो अपने सलवार में पूरा घुसा लेती तुझे.. औऱ मटन तो जब भी तुझे खाना हो बोल देना आदिल को, मैं बना के भिजवा दूंगी..
गौतम - मैं तो कब से तैयार बैठा हूँ आंटी कहीं घुसने के लिए.. आप मौका तो देकर देखो.. कसम से कहता हूँ काबड़ीवाले को भूल जाओगी..
शबाना गुस्से में - बेटा मेरे अंदर घुसने के लिए के लिए तुझे खुदा से अगला जन्म लेना पड़ेगा..
गौतम - हाय.. आंटी आपके लिए अभी अपनी नस काट कर मर जाऊ मैं..
शबाना गौतम का कान खींचकर - क्या?
गौतम - उफ्फ्फ आंटी.. कितनी ज़ालिम हो आप.. मुझ जैसे बच्चे पर जरा भी रहम नहीं आता आपको..
शबाना मुस्कुराते हुए - क्या हुआ? अभी तो बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे.. कान खींचते ही अकल आ गयी?
गौतम कान छुड़वाते हुए - अच्छा माफ़ कर दो.. बस? अब नहीं बोलता कुछ भी आपसे.. आदिल को बुला दो..
शबाना को गौतम की मासूमियत से भरे लहज़े में कही हुई बात सुनकर उसपर प्यार आने लगता है औऱ वो गौतम के होंठों पर लगे छोटे से चुविंगम के टुकड़े को अपनी उंगलियों से हटाकर बोलती है - आदिल घर पर नहीं है दूकान पर है.. अब जा यहाँ से.. आगे कुछ औऱ बोलेगा तो मार खायेगा मुझसे.. शबाना ने ये बात नरमी औऱ प्यार भरे लहज़े में गौतम के होंठों को अपनी उंगलियों से पकड़कर कहीं थी.. फिर वो घर के अंदर जाने लगी..
गौतम - सुनो आंटी...
शबाना घर के अंदर जाते हुए रूककर - अब क्या है बोल..
गौतम - आदिल अगर मेरा दोस्त नहीं होता तो आज मैं चूहा बनकर आपके बिल में घुस जाता..
शबाना गुस्से में - चुपचाप चला जा कमीने वरना तेरी लुल्ली पकड़ के उखाड़ लुंगी..
गौतम - लुल्ली तो काबड़ीवाले की है शबाना बेगम... मेरा तो लोडा है लोडा...
गौतम में नजाने कहाँ से इतनी हिम्मत औऱ बेशर्मी आ गई थी औऱ वो ये बात बोलकर अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए जोर से आवाज लगता है.. कबाड़ी वाले.... औऱ शबाना को देखता हुआ वहा से चला जाता है..
शबाना भी दरवाजे पर खड़ी हुई गौतम को जाते हुए देख रही थी उसकी नज़र आज गौतम से नहीं हट रही थी गौतम पहले भी कई बार उससे मिला था लेकिन जिस तरह से आज वो शबाना से मिला उसका असर शबाना के ऊपर अलग तरह से हुआ था..
शबाना के होंठो पर मुस्कुराहट थी आज सालों बाद किसी ने उसके साथ इस तरह की मसखरी औऱ मज़ाक़ किया था जिससे उसे औरत होने का अहसास हुआ था वरना वो कब से घर की चार दिवारी में बंद किसी परिंदे सी उड़ने की कला ही भूल चुकी थी.. अपने पति के साथ उसका सम्बन्ध बिस्तर पर ख़त्म हुए कई साल बीत गए थे.. शबाना मुस्कुराते हुए घर का दरवाजा लगाकर अंदर आ गयी औऱ गौतम की कही एक एक बात उसे अजीब सी ख़ुशी दे रही थी.. उसने कई बार अपने ख्यालों को काबू करने की कोशिश की मगर उसके दिल में गौतम के लिए जगह बन चुकी थी.. औरत को मर्द से थोड़ा इश्क़ इज़्ज़त औऱ संभाल मिल जाए तो वो मर्द को अपनी पलकों पर बैठा लेती है.. शबाना के साथ भी कुछ ऐसा ही होने लगा था.. गौतम ने इस बार उसके दिल पर गहरी छाप छोड़ दी थी..
गौतम दूकान पहुँचता है - 7 बजे का कहा था ना गांडू, अब खुद लेट करवा रहा है..
आदिल - अरे यार अब्बू बाहर गए है औऱ वो रामु चुतीया अब तक बिल लेकर नहीं आया.. वो आये तो दूकान बंद करू..
गौतम - मैंने पहले कहा था साले मत रख उसको काम पर.. आलसी औऱ ढीला है बिल्किल.. अग्रवाल के यहां तो दिनभर सोता रहता था..
आदिल - अब्बू ने रखा है यार मैंने थोड़ी..
गौतम - अच्छा जाना कहाँ है औऱ किसकी शादी है ये तो बता?
आदिल - वो विपुल गोयल है ना जो हर महीने अपनी फैक्ट्री का वेस्ट माल अब्बू को बेचते है.. गाँधी नगर वाले? जिनके पास तू गया था मेरे साथ एक बार?
गौतम - अच्छा वो साला अंधालंड.. जो सीढ़ियों से गिर गया था..
आदिल - हाँ उसी के बेटे का रिसेप्शन है.. मालदार पार्टी है.. वेज नॉनवेज सब है मेनू में.. औऱ देखने लायक़ सामान भी.. तेरे लिए आंटीया भी होंगी साले मिल्फ लवर..
गौतम - अच्छा सुन.. एक काम कर दे यार..
आदिल - क्या?
गौतम - दारू पीला दे भाई..
आदिल - झांट के बाल बियर तो संभालती नहीं तुझसे दारु पियेगा तू..
गौतम - तेरी कसम भाई आज कुछ नहीं करूंगा.. बहुत तलब लग रही है.. 1-2 बियर की बात है..
आदिल - तू रहने दे यही फ़ैल जाएगा..
गौतम - आज औकात दिखा रहा है ना? बेटा मैं भी याद रखूँगा सब..
आदिल - पी लेना रंडी.. मंगाऊ किस्से वो मादरचोद रामु आये तो..
गौतम - वो आ रहा है सामने से..
आदिल - बहनचोद तेरी किस्मत जबरदस्त है कोई भी काम नहीं अटकता..
गौतम - चल अब भेज इसको जल्दी..
आदिल रामु से - बहन के लंड एक बिल लाने में सारा दिन कर दिया तूने..
रामु - अग्रवाल ज़ी ने रोक लिया था..
गौतम - क्यू उनको तेरी गांड पसंद आ गयी थी क्या? कितनी बार मरवाई?
आदिल - चल अब ठेके पर जा औऱ एक बीयर लिया जल्दी से..
गौतम - सुन... ये बाइक लेजा.. औऱ ठेके पर किसी से गांड मत मरवाने लग जाना, जल्दी आना कहीं जाना है हमें..
रामु पैसे लेकर ठेके पर चला जाता है औऱ एक बियर लेकर वापस आ जाता है..
आदिल गौतम को देते हुए - ले भाई.. पिले अंदर बहुत जगह है.. औऱ रामु तू ये सारा माल दूकान के अंदर रख.. बंद करनी है दूकान..
रामु - पर अभी तो नो नहीं बजे..
आदिल - आज तेरी जल्दी छूटी रामु..
गौतम बियर पीके ख़त्म कर देता है औऱ फिर से हलके नशे की चपेट में आ जाता है..
आदिल - चल लोडे आठ बज गए, चलते है शादी में..
गौतम - लोडे किसको बोला गांडु? अब तो अब्बू जान बोल तभी जाऊँगा तेरे साथ..
आदिल - रंडी.. आ गया ना औकात पर तू फिर से?
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ भाई.. अब क्या अब्बू अपने आदिल बेटे से मज़ाक़ भी नहीं कर सकते.. चल चलते है..
आदिल - भोस्डिके तरीके से रह जा.. वहा जाकर कोई हरकत मत कर देना.. तेरा ठुल्ला बाप भी नहीं बचा पायेगा..
गौतम - अब अपने अब्बू को समझायेगा तू मादरचोद?
आदिल - हट बहनचोद.. जाना ही नहीं.. गलत बुला लिया तुझे..
गौतम - अरे मज़ाक़ कर रहा हूँ गांडु.. चल चलते है.. आज कुछ नहीं करूँगा..
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - तेरी कसम..
आदिल गौतम के साथ शादी की जगह के लिए निकल पड़ता है..
गौतम - भाई यार आज मन बहुत उदास है..
आदिल - क्या हुआ रंडी.. किसकी याद आ रही है..
गौतम - भाई वो सलमा आपा नहीं रहती थी तुम्हारी किराएदार.. यार उसकी बहुत याद आ रही है..
आदिल - उसकी याद क्यू आ रही तुझे? वो तो खुद तेरी इज़्ज़त लूटने में थी ईद वाले दिन, वो तो मैं सही टाइम पर आ गया वरना तुझे तो वो कच्चा खा जाती..
गौतम - सही नहीं साले गलत टाइम पर आया था तू.. सलमा आपा मेरा पहला प्यार है.. काश सलमा आपा मेरी इज़्ज़त लूट लेती उस दिन..
आदिल - कितना वहशी है मादरचोद तू.. वैसे तूने बताया नहीं कभी उस दिन वो सब हुआ कैसे तुम्हारे बीच में..
गौतम - 1 बियऱ और लगेगी बताने में, ठेके पर रोक दोनों एक एक लेटे है...
आदिल बाइक आगे एक ठेके पर रोक कर दो बियर ले लेता है औऱ दोनों ठेके के पीछे जाकर पिने लगते है...
आदिल - बता क्या हुआ था?
गौतम - यार मैं उस दिन तुम्हारे घर की छत पर बाथरूम में हिला रहा था.. पता नहीं कहाँ से अचानक सलमा आपा वहां आ गई औऱ उसने मुझे हिलाते हुए पकड़ लिया..
आदिल - फिर क्या हुआ?
गौतम - फिर वही हुआ जो सोचके मैं हिला रहा था..
आदिल - क्या हुआ?
गौतम - रुक यार मूत के आता हूँ.. गौतम बियर ख़त्म करके मूतने चला गया फिर साइड में एक थड़ी वाले के पास जाकर एक बड़ी एडवांस सिगरेट वही लटक रहे लाइटर से जलाकर कश लेता हुआ वापस आ गया..
गौतम - 1 बियर औऱ पीनी है मुझे..
आदिल - भोस्डिके 2 हो गई तीसरी में भंड हो जाएगा और यही सो जाएगा.. आँखे देख कैसे लाल हो रही है..
गौतम कश लेता हुआ - लाना है तो ला गांडु, ज्यादा ज्ञान मत चोदे..
आदिल - चल लाता हूँ.. आदिल एक बियर औऱ लेके आ गया औऱ गौतम को देते हुए बोला.. आगे क्या हुआ फिर..
गौतम बियर की घूंठ लेकर - सलमा आपा मुस्कुराते हुए मेरे सामने बैठ गई औऱ पहली बार मुझे पता चला की लोडा चूसाने में कितना मज़ा आता है.. हाय.. आज भी याद है कितनी प्यार से सलमा आपा ने मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसा था..
आदिल - उसके बाद क्या हुआ?
गौतम बियर की औऱ दो घूंठ मारके सिगरेट का कश लेकर बोला - फिर उसके बाद तू अपनी अम्मी चुदाने आ गया था चुत की शकल के.. थोड़ी देर बाद नहीं आ सकता था कबाड़ी की औलाद..
आदिल - इस कबाड़ी की औलाद के टुकड़ो पर पल रहा है तू.. ठुल्ले के मूत..
गौतम - बुरा मत मान भाई.. बस मेरा काम कर दे..
आदिल - क्या?
गौतम - सलमा आपा कहाँ रहती है बस उनका एड्रेस कबाड के देदे यार.. कसम से ऐसी चुत दिलवाऊंगा याद रखेगा जिंदगी भर.. मेरे गुण गायेगा तू...
आदिल - सच बोल रहा है?
गौतम - इस बियर की कसम..
गौतम बियर की आखिरी घूंठ पीके ख़त्म करता है औऱ लड़खड़ाते कदमो के साथ वहा से सडक पर आ जाता है फिर दोनों बाइक स्टार्ट करके शादी वाली जगह की पार्किंग में बाइक लगा के गार्डन की तरफ आ जाते है, गार्डन के गेट पर चौकीदार ने रोककर पूछा तो आदिल ने फ़ोन में कार्ड दिखाकर गौतम के साथ एंट्री कर ली..
गौतम - बहनचोद ये शादी है या क्या है?
आदिल - वो डायलॉग है ना.. बड़े बड़े लोग बड़ी बड़ी बातें..
गौतम नशे में था मगर शादी की रौनक उसे साफ दिखाई दे रही थी..
आदिल - चल भाई नॉनवेज में कुछ चेपते है..
गौतम - तू खा भिखारी.. मैं तो चला नाचने..
आदिल - रंडी तो नाच-गाना है करेंगी..
गौतम सामने बज रहे dj के पास डांस फ्लोर पर चला जाता है वहा नाच रहे लोगों के साथ मिलकर है नाचने लगता है वही आदिल खाने पर टूट पड़ता है..
देसी देहाती औऱ बॉलीवुड के डांस नंबर पर गौतम नाचने में इतना मशगूल हो गया था की उसे पता ही है नहीं चला की वो नाचते नाचते कब एक औरत के करीब आ गया था औऱ दोनों मिलकर डांस फ्लोर पर आग लगा रहे थे..
जब दूल्हे औऱ दुल्हन की एंट्री के टाइम गाना रुका तो गौतम को अहसास हुआ की डांस में वो इतना लीन हो गया था की एक 36 की औरत के साथ बाहों में बाहे डालकर नाचने लगा था.. गाना बंद होने के बाद उस औरत ने गौतम को अपने साथ आने का इशारा किया..
गौतम भी खुद ब खुद उसके पीछे पीछे कोने में एक खाली जगह पर आ गया जहाँ बिलकुल भीड़ नहीं थी..
औरत ने पर्स से एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगा ली औऱ लाइटर से जलाते हुए एक लम्बा कश लेकर धुआँ बाहर छोड़ते हुए गौतम को देखकर बोली - उम्र क्या है तुम्हारी?
गौतम को सुरूर औऱ नशा था मगर थोड़ा सा होश भी.. गौतम ने जवाब में कड़क आवाज बनाते हुए कहा- 28 साल..
औरत ने वापस एक कश लेकर हँसते हुए कहा - 28 या 18? सच बताओ?
इस बार गौतम ने औरत की उंगलियों में सुलगती सिगरेट छीन ली औऱ लम्बा कश भरके असली उम्र बताते हुए कहा - 20 साल..
औरत थोड़ी हैरानी से - शराब कितनी पी रखी है तुमने?
गौतम - 3 बियर..
औऱत गौतम से वापस सिगरेट लेकर बोलती है - मेरा नाम माधुरी है.. तुम्हारा?
गौतम - गौतम..
माधुरी - सेक्स करोगे मेरे साथ..
इस बार गौतम का आधा नशा काफूर हो गया एक खूबसूरत औरत उसके सामने खड़ी हुई थी औऱ उससे इस तरह सेक्स के लिए पूछ रही जैसे लोग चाय कॉफी के लिए लोग पूछते है..
गौतम हकलाते हुए कहने लगा - ककक्या?
माधुरी हँसते हुए - बियर उतर गई?
गौतम - तुमने मज़ाक़ है ऐसा किया..
माधुरी सिगरेट का आखिरी कश लेकर फेंकती हुई कहती है - पर मैंने तो मज़ाक़ किया है नहीं..
माधुरी की बात सुनकर गौतम के चेहरे पर एक साथ इतने सारे भाव आ गए थे जिसे कहा पाना मुश्किल था..
गौतम - मतलब?
माधुरी - मतलब ये कि क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना चहते हो?
गौतम - पर यहां जगह कहा है?
माधुरी गौतम कि बात सुनकर खिलखिलाती हुई हस्ने लगी औऱ फिर एक चूमा उसके होंठों पर करके उसका हाथ पकड़ कर कहीं ले जाने लगी..
रिसेप्शन हॉल के दायी तरफ बनी सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर मधुरी गौतम को एक रूम में ले आई जहा आते है उसने दरवाजा लगा दिया.. औऱ गौतम के गले में हाथ डालकर बोली..
माधुरी - तुम लड़की कि तरफ से आये हो या लड़के की तरफ से?
गौतम - दोस्त की तरफ से..
माधुरी - मतलब?
गौतम - मतलब मैं किसी की तरफ से नहीं हूँ, मेरा एक दोस्त लेके आया है मुझे यहां.. आप किसकी तरफ से हो?
माधुरी - लड़की की तरफ से.. मेरी दूर की रिस्तेदार की बेटी है जिसकी ये रिसेप्शन है..
माधुरी औऱ गौतम के बीच बातचीत हो ही रही थी कि माधुरी का फ़ोन बजने लगा जिसे उठाते हुए माधुरी गौतम से थोड़ी दूर चली गई..
माधुरी - हेलो? हाँ.. बोलो.. ठीक है.. नहीं नहीं आने कि जरुरत नहीं है मैं खुद आ जाउंगी.. ठीक है काम करो तुम.. फ़ोन रखती हूँ..
गौतम - किसका फ़ोन था?
माधुरी - मेरे पति का.. ये छोडो.. ये बताओ पहले कभी किसी के साथ किया है?
गौतम - अब तक तो नहीं..
माधुरी - मतलब नोसीखिया हो.. ठीक है तुम फ़िक्र मत करो मैं तुम्हे सब सीखा दूंगी..
गौतम - एक बात पुछु, बुरा ना लगे तो?
माधुरी गौतम के ऊपर आते हुए - पूछो..
गौतम - आपके पति आपको खुश नहीं रखते?
मधुरी - मुझे क्या वो किसी को खुश रखने लायक़ नहीं है..
गौतम - क्यू?
माधुरी - कितने सवाल करते हो तुम गौतम? इतना समझा लो कि मेरे पति के हैंडपम्प से अब कोई पानी नहीं भर सकता.. अब मेरा मूंड मत खराब करो.. वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे जैसा कच्चा माल नहीं चखा..
गौतम - मतलब अभी तक आपके बच्चा भी नहीं है? माधुरी - नहीं है... अब आओ मुझे kiss करो..
ये कहकर माधुरी गौतम के होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम भी भरपूर उसका साथ दे देता है.. दोनों एक दूसरे को ऐसे चुम रहे थे जैसे रेगिस्तान में प्यासा पानी को चूमता है.. होंठों औऱ जीभ की इस लड़ाई में माधुरी औऱ गौतम को भरपूर मज़ा आ रहा था..
माधुरी बार बार गौतम के होंठों को दांतो से खींचती हुई चूमती है औऱ फिर उसकी आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए आँख मारके उसे छेड़ती है.. गौतम भी अब तक नशे से आधा बाहर आ चूका था उसके होंठों तो माधुरी के होंठों की गिरफ्त में थे मगर गौतम ने अपने हाथ से माधुरी के आम पकड़ लिए औऱ उन्हें मसलने लगा जिससे माधुरी पर औऱ ज्यादा काम का असर होने लगा..
कुछ देर में ही दोनों ने एक दूसरे के सारे कपडे उतार दिए औऱ माधुरी गौतम का लंड देखकर हैरान हो गई.. गौतम ने उसके हैरान चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसके मुंह में दाल दिया..
माधुरी लंड मिलने पर पागलो की तरफ उस पर टूट पड़ी जैसे चींटी मीठे पर टूट पडती है..
गौतम को अचानक मिली इस औरत से जन्नत का मज़ा आ रहा था.. लोडा चुस्ती माधुरी गौतम को किसी अप्सरा जैसी लग रही थी गौतम का आधे से ज्यादा लंड उसके मुंह में था औऱ वो पूरी शिद्दत से लंड को चूस रही थी.. गौतम ने माधुरी के बाल पकड़ कर लंड चूसाते हुए अपना माल उसके मुंह में भर दिया जिससे माधुरी हक्कीबक्की रह गई औऱ मज़बूरी में उसे सारा माल गले के नीचे उतार लेना पड़ा..
गौतम लंड चूसाने के बाद औऱ अपना माल माधुरी को पिलाने के बाद उसकी झाटों से विहीन चिकनी चुत पर मुंह लगाते हुए माधुरी को स्वर्ग की सेर पर ले गया जहाँ से उतारते उतारते माधुरी ने भी गौतम के मुंह में अपना सारा माल झाड़ दिया..
गौतम ने अब देर ना करते हुए माधुरी की चिकनी चुत पर अपने लंड सेट करके एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे माधुरी पूरी आवाज के साथ चिल्ला पड़ी लेकिन नीचे बजते dj औऱ लोगों की आवाज में उसकी आवाज दबकर रह गयी.. माधुरी मुहफट ऐयाश दिलफेंक औरत थी जिसने कई मर्दो के साथ सेक्स किया था मगर किसी में भी वो दम नहीं था जो आज उसने गौतम के अंदर देखा था.. पहले झटके में ही गौतम ने माधुरी जैसी खेली खाई औरत की चिंख निकलवा कर अपनी मर्दानगी साबित कर दी औऱ फिर माधुरी की चुत के साथ साथ उसके दिल का दरवाजा भी खोलके अंदर घुस गया..
माधुरी आहे औऱ सिस्कारिया भरती हुई गौतम के नीचे पड़ी पड़ी ऐसे चुद रही थी जैसे गाँव के खेतो में भाभियाँ अपने देवरों से चुद जाती है.. गौतम ने कुछ देर उसी तरह माधुरी को चोदकर उसे पलट दिया औऱ घोड़ी बनाकर चोदने लगा..
इस घुड़सावारी में गौतम को जो मज़ा आ रहा था वो अतुलनीय औऱ अद्भुत था उसके सामने एक खूबसूरत औऱ कसे हुए बदन की औरत गांड फैलाये थी औऱ वो उस औरत के बाल पकड़कर अपने लोडे से धक्के पर धक्के मारे जा रहा था जिससे उस औरत का सारा बदन किसी तार पर लटके कपडे के हवा में हिलने के समान हिल रहा था..
माधुरी झड़ चुकी थी मगर गौतम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.. माधुरी उस कमरे के गद्दे पर झड़ चुकी थी औऱ अभी अभी चुदाई के बीच में उसका मूत भी निकल गया था.. चुत के माल औऱ मूत से सने उस गद्दे पर अब भी माधुरी की चुदाई चल रही थी..
गौतम से रहा ना गया तो वो माधुरी को अपनी गोद में उठाकर हवा में उछालते हुए चोदने लगा.. माधुरी गौतम की चुदाई कला से आज जितनी प्रभावित हो चुकी थी उससे तय था की वो अब गौतम से दूर नहीं रह पाएगी..
एक घंटे तक चली इस चुदाई के बाद जब गौतम झड़ने को हुआ तो उसने दिवार से माधुरी को चिपका दिया औऱ उसकी दोनों टांग हाथों से उठाकर अपना सारा माल उनकी चुत में भर दिया.. माधुरी ने काम के बस में वापस गौतम को चूमना चालू कर दिया औऱ इस बार एक लम्बे चुम्बन में गौतम को बाँध लिया..
आदिल पेट भरके खाना खा चूका था औऱ शादी में लड़किया ताड़े जा रहा था.. उसके बाद जब उसने गौतम को फ़ोन किया तो गौतम माधुरी की बाहों में था..
आदिल - भाई चलना नहीं है क्या? कहाँ है तू?
गौतम - भाई तू चला जा मैं बाद में आऊंगा..
आदिल - भोसड़ीवाले क्यू दिमाग खराब कर है? है कहाँ तू..
गौतम माधुरी का बोबा चूसता हुआ - जन्नत में हूँ गांडु.. मुझे टाइम लगेगा..
आदिल - बहन के लंड यहां कोनसी रंडी मिल गयी तुझे? औऱ साले रंडी के चक्कर में दोस्त को औकात दिखा रहा है.. अगर तू 5 मिनट में नहीं आया तो दोस्ती ख़त्म समझ..
गौतम निप्पल्स दातो से काटते हुए - दोस्ती ख़त्म गांडु अब जा.. औऱ फ़ोन काट देता है.. आदिल फ़ोन से बाइक बुक करके घर चला जाता है..
माधुरी प्यार से छेड़ते हुए - गौतम ज़ी.. मेरे बूब्स चूसकर आपका मन भर गया हो तो मुझे घर तक छोड़ दोगे..
गौतम - बहुत मज़ा आया भाभी आपके साथ..
माधुरी - मज़ा तो मुझे दिया है तुमने.. मैं प्यार में ही पड़ गई तुम्हारे.. अब तो बार बार मिलना पड़ेगा तुमसे..
गौतम - अब चलो यार बहुत भूख लगी है मुझे तो..
माधुरी - भूख तो लगेगी ही इतनी मेहनत जो की है तुमने मुझपर, चाल ढाल सब बदल दिया मेरा.. बच्चा समझ रही थी तुमको पर तुम तो जोनी सीन्स निकले..
गौतम - आप भी कम कहा हो भाभी.. पहली मुलाक़ात में ही लंड पर बैठ गई..
माधुरी - अब मेरा तुम्हारे लंड पर बैठना उठना चलता ही रहेगा गौतम.. सच बोलती हूँ प्यार हो गया तुझसे..
गौतम - मुझसे या मेरे इस लंड से?
माधुरी - दोनों से मेरी जान..
गौतम - चलो यार भाभी नीचे चलते है.. भूक लग रही है..
गौतम औऱ माधुरी नीचे आकर बातें करते हुए खाना खाने लगते है औऱ फिर माधुरी गौतम से नम्बर एक्सचेंज करती है की तभी गौतम को माधुरी के फ़ोन पर एक तस्वीर दिखाई देती है औऱ वो चकित रह जाता है औऱ माधुरी से पूछता है..
गौतम - ये तस्वीर किसकी है?
माधुरी - अच्छा ये.. यही तो मेरे पति है.. जिसकी बात तुम कर रहे थे.. चलो अब मुझे घर छोड़ दो.. बहुत नींद आ रही है..
माधुरी को नींद आ रही थी मगर गौतम की नींद उड चुकी थी औऱ उसका सारा नशा भी हवा हो चूका था..
माधुरी - अब खड़े खड़े ये तस्वीर क्या देख रहे हो चलो..
गौतम माधुरी के साथ अपनी बाइक पर बैठकर उसे छोड़ने चल पड़ता है औऱ मन में बहुत कुछ सोचने लगता है.. उसके सारे ख्याल इधर उधर थे.. उसे बहुत गुस्सा भी आ रहा था..
माधुरी - यहां से राइट..
गौतम बिना कुछ बोले माधुरी के बताये रास्ते पर चल पड़ता है और उसके घर तक पहुँचता है..
माधुरी - अंदर आ जाओ..
गौतम रूखेपन से - नहीं मैं अब चलता हूँ.. आपके पति को अच्छा नहीं लगेगा..
माधुरी - अरे उसकी चिंता तुम मत करो.. वो शहर से बाहर गए हुए है कल आएंगे.. तुम अंदर चलो मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ..
गौतम - मैं चाय पिता हूँ, वैसे एक बात पुछु?
माधुरी - हम्म.. पूछो..
गौतम - आपकी शादी को कितने साल हो गए?
माधुरी - 15 साल हो गए.. वो पुलिस में थे और मैं एक कंप्लेंट लिखवाने पुलिस स्टेशन गई थी.. वही पर उसने मुझे अपने जाल में फंसा लिया और फिर शादी कर ली..
गौतम - जाल में फंसा लिया मतलब?
माधुरी - मतलब की कमीना पहले से शादी शुदा था.. एक बच्चा भी उसको.. सुना है बच्चे का नाम भी गौतम है..
गौतम - फिर आपने क्या किया, ये सब जानकार?
माधुरी - क्या कर सकती थी मैं? अकेली थी घर से भागी हुई.. वापस घर नहीं जा सकती थी तो इसे अपनी किस्मत मानकर रहने लगी.. वैसे भी ये मेरे पति अपनी सारी कमाई मुझ पर खर्चा कर देते है और ये घर भी उन्होंने मेरे लिए ख़रीदा है.. पहली पत्नी तो आज भी एक छोटे से पुलिस क्वाटर में अपने बेटे के साथ पड़ी हुई है..
गौतम - कभी मिलने की कोशिश नहीं की आपने उन लोगों से?
माधुरी - मिलकर क्या करती? जैसा चल रहा है ठीक है.. अगर कुछ करती तो सबके लिए हालात खराब ही होते..
गौतम को अपने पिता जगमोहन और माधुरी ओर गुस्सा आ रहा था वो समझा नहीं पास रहा था कि वो क्या करें? आज उसके ऊपर एक पहाड़ टुटा था आज उसे समझा आ गया था कि जगमोहन क्यों बार बार घर से इतना गायब रहता है और घर में पैसे कि कमी क्यों है.. गौतम ने कुछ देर सोच फिर माधुरी के बदन को ऊपर से नीचे तक देखकर कहा..
गौतम चाय पीते हुए - भाभी..
माधुरी - हम्म और क्या पूछना है तुम्हे..
गौतम - बेडरूम कहाँ है?
माधुरी गौतम का इशारा समझ जाती है और उसका हाथ पकड़ कर बैडरूम में ले जाती है जहाँ सुबह तक गौतम अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी की जमकर चुदाई करता है और इस कंडोम नहीं पहनता.. गौतम अपना सारा गुस्सा माधुरी को चोदकर ठंडा करता है वही माधुरी गौतम के लिए पूरी तरह खुल चुकी थी.. गौतम ने रातभर 3 बार माधुरी की बच्चेदानी में उसे प्रेग्नेंट करने की नियत से अपना वीर्य छोड़ा था.. सुबह होने पर दोनों का सम्भोग और पर प्रगाड़ और मधुर बन जाता है..
गौतम - अब जाने दो माधुरी..
गौतम अपने बाप की तस्वीर के सामने घुटनो पर बैठकर अपना लंड चुस्ती अपने बाप की दूसरी बीवी माधुरी से कहता है जो मुंह से लंड निकालकर गौतम को जवाब देती है..
माधुरी - थोड़ी देर और रुक जाओ ना गौतम..
गौतम - माधुरी तुम्हारा पति आ गया तो अटैक से मर जाएगा तुम्हे इस तरह देखकर..
मधुरी मुस्कुराते हुए - मरता है तो मरने दो.. जो होगा देखा जाएगा..
गौतम - माधुरी यार अब जाने दो प्लीज.. फिर कभी आ जाऊंगा तब प्यार कर लेना जीभरके..
माधुरी - मन नहीं कर रहा गौतम तुम्हारे इस लंड को मुंह से निकालने का.. पहली बार औरत बार का अहसास दिलाया है तुमने..
गौतम मुस्कुराते हुए - रात से अब तक मन नहीं भरा तुम्हारा?
माधुरी - मेरा तो कभी मन ना भरे ऐसे लंड से..
गौतम - चलो अब जाने दो.. वरना तुम्हारा पति आ गया तो मुसीबत हो जायेगी मेरे लिए..
माधुरी मुंह से लंड निकालकर - अच्छा बाबा ठीक है.. मगर वादा करो जल्दी आओगे.. मैं massage करूंगी..
गौतम - कितनी सेक्स की भूखी हो तुम माधुरी? ठीक से चला भी नहीं जा रहा तुमसे और अब भी तुम्हे लंड लेने की पड़ी है.. अब जाने भी दो..
माधुरी - तुम्हारे मुंह से मेरा नाम कितना प्यारा लगता है.. आई लव यू.. गौतम..
गौतम हस्ते हुए - अच्छा ज़ी प्यार हो गया मुझसे? अब तो वापस जरूर मिलना पड़ेगा..
गौतम माधुरी से मिलकर उसके यहां से चल देता और अपने घर की तरफ आ जाता है जहाँ पहुंचने में उसे डेढ़ घंटा लग जाता है..
गौतम घर पहुंचकर देखता है की उसका बाप जगमोहन सो रहा है और सुमन सुबह सुबह नल से पानी भर रही है.. गोईटम को अपने बाप पर बहुत गुस्सा आता है मगर वो सच्चाई को छिपा के रखने में ही सबकी भलाई समझता है..
सुमन गौतम को देखकर गुस्से में - कहाँ था रातभर तू? और ये तेरे होंठों को क्या हुआ है? इतने लाल क्यू है.. सुमन गौतम की हालात देखकर सारा माजरा समझा जाती है की गौतम रात को किसी ना किसी लड़कि के साथ जरूर था..
गौतम - कुछ नहीं माँ.. रात को दोस्त के घर चला गया था.. मुझे नींद आ रही है, सोना है..
गौतम सुमन को अनसुना करके अपने कमरे में चला जाता है और बिस्तर पर लेटते हुए उसकी आँख लग जाती है..
सुमन का दिल बहुत जोर से दुखता है की गौतम ने रात को एक दफा भी उसे फ़ोन करके बताना जरुरी नहीं समझा.. वो अपनेआप को कोसती हुई और गौतम को बुरा भला कहती हुई घर के काम में लग गई.. सुबह जगमोहन भी नास्ता करके काम पर चला गया और अब दोपहर हो चुकी थी..
गौतम की नींद खुलती है तो वो आँख मलता हुआ रसोई में बर्तन साफ कर रही सुमन को पीछे से जाकर अपनी बाहों में भर लेटा है और उसके गाल पर एक चुम्मा कर देता है जिसके जवाब में सुमन गौतम के होंठों को जोर से अपनी उंगलियों में पकड़ कर पूछती है..
सुमन - ये किस चुड़ैल की लिपस्टिक के निशान है तेरे होंठों पर? हम्म? सुबह शराब की बू भी आ रही थी तेरे मुंह से.. शराब भी पिने लगा है तू? रातभर कहाँ मुंह काला कर रहा था अपना? एक फ़ोन भी करना जरुरी नहीं समझा मुझे?
गौतम जैसे तैसे अपने होंठों को सुमन की उंगलियों की पकड़ से छुड़वा कर सुमन से कहता है - माँ.. लिपस्टिक नहीं है मेरे होंठ तो वैसे भी लाल है.. और शराब से आप भी जानती हो मैं दूर रहता हूँ..
सुमन - झूठ भी बोलने लगा है तू अपनी माँ से? मैं ना तुझसे बात ही नहीं करुँगी अब..
गौतम - इतना गुस्सा अपने ग़ुगु से?
ये कहते हुए गौतम ने फिर से सुमन को पीछे से बाहों में भरके उसके गर्दन और गाल पर अपने होंठो से चुम्बन वर्षा कर दी और पेट में गुदगुदी करने लगा जिससे सुमन खिलखिलाकर मुस्कुराने लगी...
सुमन - पहले नहा ले जाकर.. पता नहीं किस डायन के साथ था रातभर..
गौतम कोई जवाब नहीं देता और नहाने चला जाता है वही सुमन एक चाय बनाकर गौतम के रूम में आ जाती है जहाँ गौतम कपडे बदल रहा होता है.. सुमन गौतम के पीठ और सीने पर लगे दांतो और नाखुनो के निशान देखकर उसे पकड़ लेती है और पूछती है..
सुमन - ग़ुगु ये सब क्या है? पता नहीं किस डायन की नियत खराब थी तेरे ऊपर जो इतनी बुरी तरह से नोचा है मेरे बच्चे को.. सच बता किसके साथ था?
गौतम - माँ... वो एक दोस्त के साथ था..
सुमन - दोस्त लड़कि थी ना ?
गौतम नज़र नीची करके - हम्म्म...
सुमन - तूने कंडोम तो पहना था ना ग़ुगु?
गौतम शरमाते हुए - माँ...
सुमन - रातभर लड़की के साथ मुंह काला करने में शर्म नहीं आई और अब अपनी माँ से शर्मा रहा है..
गौतम - छोडो, कपडे पहनने दो..
सुमन - पहले बता.. तूने कंडोम पहन के सेक्स किया था या नहीं..
गौतम - हम्म..
सुमन - हम्म का मतलब क्या? कंडोम पहना था या नहीं?
गौतम - हाँ माँ पहना था बस अब खुश?
सुमन - लड़की कौन थी?
गौतम - यार माँ.. आप भी ना.. कहते हुए गौतम शर्ट पहन कर आस्तीन चढ़ाते हुए चाय का कप हाथ में लेकर रूम से बाहर आ जाता है..
सुमन भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाती है और उसे पुकारती हुई कहती है - ग़ुगु... ग़ुगु.. बता ना..
गौतम रूककर - छोडो ना मैं भी नहीं जानता.. शादी में मिली थी..
सुमन - तो पहली मुलाक़ात में ही सेक्स हो गया? तुम्हारी जनरेशन सच में वो क्या कहते है लोग.. निक्कमी है..
गौतम - पापा कहा गए?
सुमन - वो तो सुबह ही चले गए थे.. कहा रहे थे कुछ काम है do-teen दिन बाहर ही रहेंगे..
गौतम - सही है.. कभी यहां कभी वहा..
सुमन - मतलब
गौतम - मतलब कुछ नहीं.. आज मूवी देखने चलोगी आप? आपके फेवरेट हीरो की मूवी लगी है..
सुमन - रिश्वत दे रहा है अपनी माँ को?
गौतम - वही समझ लो.. लेनी है तो बोलो वरना जाने दो..
सुमन - ठीक है ज़िल्लेइलाही.. जैसा आप कहो.. कब चलना है?
गौतम - अभी... बस ये काम वाली बाई जैसे कपडे बदल लो..
सुमन - क्या पहनू?
गौतम - बिकिनी..
सुमन हँसते हुए - चल हट बदमाश कहीं का..
गौतम - कोई सूट पहन लो.. अच्छा सा..
गौतम सुमन को मूवी दिखाने ले जाता है और बाहर खाना खिला कर अपनी मां से प्यार भरी मीठी बातें करते हुए उसे हंसाने और खुश रखने का प्रयास करता है जिसका सुमन को पूरा-पूरा अंदाजा होता है और वह खुद भी गौतम के इस तरह के व्यवहार से अपने आपको तसल्ली देते हुए गौतम के साथ मुस्कुराते हुए समय बिताती है..