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Danny69

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Update 9

शाम के 6 बजे का वक़्त था और सुमन बेड पर बैठी हुई गौतम के घर आने का इंतज़ार कर रही थी. कुछ पलो में ही गौतम घर के दरवाजे पर आ चूका था और अंदर आ रहा था..
सुमन - कब का गया हुआ है. इतनी देर कैसे लगी तुझे?
गौतम - माँ वो दोस्त मिल गए थे, उनके साथ बैठ गया.. बाइक कैसी है..
सुमन बाइक देखकर मुस्कुराते हुए - मेरे ग़ुगु जैसी.. चल अब जल्दी से कपडे बदल.. रूपा आंटी के चलना है..
गौतम - माँ यार मैं थक गया, आप चली जाओ ना..
सुमन - पूरा दिन दोस्तों के साथ आवारागर्दी करेगा तो थकेगा ही.. मैं कुछ नहीं जानती.. कपडे निकाले हुए है जाकर बदलो.. और चलो मेरे साथ.. कितने प्यार से बुलाया है उसने.. नहीं जाएंगे तो बुरा लगेगा..
गौतम - वही नीला पीला निकाला होगा आपने..
सुमन - अब जल्दी कर.. सुबह भी फ़ोन किया था रूपा ने..
गौतम - हम्म देख रहा हूँ.. दो दिन में जादू कर दिया आप पर.. थोड़ा बचके.. चुड़ैल लगती है मुझे तो वो रूपा आंटी..
सुमन - कुछ भी बोलता है बदमाश.. चल अब..

सुमन गौतम के साथ रूपा के घर जाने को निकल पडती है..
सुमन - ग़ुगु रास्ते में स्वीट का डब्बा भी लेना है याद से किसी दूकान पर बाइक रोक लेना..
गौतम - स्वीट का क्या करना है अब?
सुमन - पहली बार किसी के घर जा रहे है ऐसे खाली हाथ जाएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा बेटू..
गौतम - जैसा आप बोलो माँ.. पर वैसे मुझे रूपा आंटी कुछ ख़ास पसंद नहीं आई..
सुमन - क्यों? इतनी अच्छी तो है वो.. तुझे क्यों पसंद नहीं आई?
गौतम - अब पहली मुलाक़ात में ही कोई किसीको अपने घर थोड़ी बुला लेटा है.. और डाइवोर्स भी हुआ है उनका.. मुझे तो कुछ अजीब लगती है..
सुमन हस्ते हुए - तू भी ना बिलकुल बुद्धू है.. मुझे तो रूपा दिल की साफ लगी.. कितनी प्यार से बात कर रही थी हमसे..
गौतम - हमसे कहाँ माँ? वो तो आपसे ही बात कर रही थी मुझपर तो ध्यान भी नहीं था आंटी का..
सुमन - तो इसलिए मेरे ग़ुगु को रूपा आंटी अजीब लग रही है.. चलो मैं उससे कहती हूँ तुझसे भी दिल खोल कर बात करें..
गौतम - मुझे नहीं करनी बात वात.. और मैं बस आपके कहने पर साथ आया हूँ.. वरना मेरा मूंड भी नहीं था आने का..
सुमन - अच्छा ज़ी..
स्वीट शॉप के आगे बाइक रोक कर..
गौतम - बताओ क्या लेना है?
सुमन पैसे देते हुए - कुछ भी जो तुझे पसंद हो.. ले..
गौतम दूकान से एक स्वीट का डब्बा लेकर वापस आ जाता है और दोनों फिर से रूपा के घर की और चल पड़ते है..
सुमन - ग़ुगु.. रास्ते से एक गुलदस्ता भी लेले?
गौतम - अब इस वक़्त शाम को गुलदस्ता कहा मिलेगा? और वैसे आप ज्यादा नहीं सोच रही रूपा आंटी के बारे में? देख रहा हूँ कल जब से वो आपसे मिली है आप पर जादू कर दिया है उन्होंने.. फ़ोन पर आपकी काफी बात होने लगी है.. मेरा तो ध्यान भी नहीं आपको.. कल से बात तक नहीं की ठीक से..
सुमन गौतम की गर्दन चूमकर - अच्छा ज़ी.. इसीलिए मेरे ग़ुगु को रूपा आंटी पसंद नहीं आ रही.. चलो इस बार माफ़ कर दो अपनी माँ को.. अब मैं अपने ग़ुगु का पूरा ख्याल रखूंगी..
गौतम - माँ वैसे एक बात पुछु? रूपा आंटी इतनी क्यों अच्छी लगी आपको?
सुमन - अच्छे लगने की कोई वजह थोड़ी होती है. वैसे भी तेरे अलावा मेरा है की कौन जिससे मैं अपने दिल की बात कर सकूँ? एक भी तो दोस्त नहीं है मेरा यहां.. पहली बार किसी ने इतने अपनेपन से और इतनी मीठी बातें की है.. लगता है जैसे रूपा मेरी बहुत पुरानी सहेली हो..
गौतम - अच्छा अच्छा बस बस.. मुझे और नहीं सुनना. मुझे तो अब डर लगने लगा है कहीं वो औरत मुझसे आपको छीनकर ना ले जाए..
सुमन हसते हुए - चल पागल कहीं का.. कभी ऐसा भी हो सकता है भला.. तू तो मेरी जान है.. तेरे लिए सो गुनाह भी माफ़ है..
ये कहते हुए सुमन गौतम के कंधे पर एक चुम्बन कर देती है और प्यार से उसका कन्धा सहलाती है..
गौतम - चलो आ गए आपकी सहेली के घर.. इसी बिल्डिंग की चौथी मंज़िल पर रहती है आपकी रूपा..
सुमन - जगह तो काफी अच्छी है.. बिल्डिंग भी सुन्दर है.. ग़ुगु..
गौतम - हाँ?
सुमन - मेरी साडी अच्छी लग रही है ना..
गौतम - साडी के साथ आप भी बहुत अच्छी लग रही हो अब चलो.. इतना शर्माओ मत.. आपके लिए लड़का देखने नहीं आये आपकी फ़्रेंड से मिलने आये है..

शहर के बीच बसी एक रिहायशी कॉलोनी में एक 11 मंज़िला ईमारत के नीचे गौतम अपनी बाइक लगा कर अपनी माँ सुमन का हाथ पकडे उसके साथ सीढ़ियों की तरफ आ जाता है और ऊपर चढ़ने लगता है.. सुमन सीढ़िया चढ़ते हुए अपने आप को देखे जा रही थी कभी अपना पल्लू ठीक करती कभी बाल कभी कुछ और जिसे देखकर गौतम मुस्कुराते हुए उसे छेड़ रहा था.. गौतम जब सुमन के साथ बिल्डिंग की चौथी मंज़िल पर पंहुचा तब सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ कर रोक लिया और उसकी शर्ट और बाल ठीक करती हुई बोली..
सुमन - आंटी से कोई उल्टी सीधी बात मत कह बैठना.. समझा..
गौतम - ठीक है अब डोरबेल बजा दू?
सुमन - हम्म.. काफी महंगा फ्लेट लगता है..
गौतम बेल बजाकर सुमन से - सही औरत से दोस्ती की है अपने. एक दिन किडनेप करके सारा पैसा लूट लेने आंटी का..
सुमन - चल बदमाश.. कुछ भी बोलता है..

रूपा बेसब्री से सुमन और गौतम का इंतज़ार कर रही थी. उसने सुबह ही अपना सारा सामान इस फ्लेट में शिफ्ट कर लिया था और 2BHK के इस फ्लेट को अच्छे से सजा लिया था.. रूपा की आम घेरलु महिला की तरह ही साडी पहनें अपने ख़्वाब को पूरा करने के ख्यालों में खोई हुई थी और आज का सारा दिन उसने इसी तयारी में गुज़ार दिया था की सुमन और गौतम जब शाम को आएंगे तब वो क्या क्या करेगी.. जितनी बेसब्री सुमन को थी उससे कहीं ज्यादा रूपा को थी..

शाम के 7 बजे जैसे ही घर की डोरबेल बजी रूपा की साँसे तेज़ हो गई.. वो हॉल में सोफे पर से खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ बढ़ गई.. एक लम्बी गहरी सांस दरवाजे के अंदर खड़ी रूपा ने ली तो उसकी तरह बाहर ख़डी सुमन ने भी वही किया.. रूपा ने दरवाजा खोलके सामने देखा तो सामने गौतम और रूपा थे.
आज संजोग से दोनों ने हूबहू एक ही रंग की एक जैसी साडी पहनी थी.. रूपा ने साडी को जयपुर के किसी शोरूम से ख़रीदा था जबकि सुमन को वो साडी उसकी ननद पिंकी ने जयपुर के उसी शोरूम से खरीद कर तोहफ़े में दिया था..

दरवाजा खुलने के बाद सुमन और रूपा एक दूसरे को बड़ी हैरानी और अचरज के भाव चेहरे पर लाकर देख रहे थे उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था लेकिन गौतम ने दोनों को यूँ बूत बनकर खड़े देखा तो वो कदम बढाकर घर अंदर आता हुआ बोला..
गौतम - खुशबु तो बहुत अच्छी आ रही है क्या बनाया है?
गौतम की बात से सुमन और रूपा दोनों का ध्यान टूट गया और दोनों जमीन की तरफ देखकर अपने बाल कान के पीछे करने लगी.. रूप ने सुमन को घर के अंदर बुलाया और दरवाजा बंद करते हुए गौतम की बात का जवाब दिया.
रूपा - बिरयानी बनाई है.. दीदी बता रही थी तुम्हे बहुत पसंद है..
गौतम - मुझे तो बहुत पसंद है पर माँ को पसंद नहीं.. वो नॉनवेज नहीं खाती..
रूपा - ये भी उन्होंने मुझे बताया है.. तुम चिंता मत करो बिरयानी के अलावा भी बहुत कुछ है..
गौतम - ओह.. तो अब आप दोनों के बीच ये सब बातें भी होने लगी है.. बड़ी फ़ास्ट हो आप तो..
सुमन स्वीट का डब्बा देते हुए - रूपा ये..
रूपा - दीदी इसकी क्या जरुरत थी?
सुमन - जरुरत कैसे नहीं थी? पहली बार आई हूँ खाली थोड़े ही आती.
रूपा - शुक्रिया दीदी.. आप आइये ना बैठिये..
रूपा सुमन और गौतम को हॉल में रखे एक बड़े से सोफे पर बैठती है और खुद रसोई की तरफ चली जाती है.. सुमन हाल में बैठी हुई घर को देखने लगती है और सोचने लगती है कि काश उसके पास भी ऐसा ही एक अपना घर होता.. गौतम सुमन के मन की बात उसकी आंखों से पढ़ लेता है और उसके करीब आकर उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ गाल चुमकर कहता है..
गौतम - क्या हुआ?
सुमन - कुछ नहीं.. घर बहुत अच्छा है..
गौतम - हम्म.. आपके लिए इससे अच्छा घर खरीदूँगा.. प्रॉमिस..
ये कहकर गौतम सुमन के गाल पर वापस एक प्यारी सी चुम्मी कर देता जो रूपा रसोई से देख रही होती है और सुमन और गौतम के इस माँ बेटे के प्यार से नाचाहते हुए भी जलन की आग में झूलस जाती है.. रूपा एक पल को सुमन की जगह अपने आप को सोचने लगती है और गौतम के मासूम चेहरे को चूमने का ख्वाब अपनी खुली आँखों से देखने लगती है तभी उसकी ख़्वाब भरी आँखे फ्रिज पर पडती है और वो अंदर से पानी की बोतल निकालकर दो ग्लास में पानी भरते हुए रसोई से बाहर आ जाती है.. रूपा सुमन और गौतम को पानी देते हुए..
रूपा - क्या हो रहा है माँ बेटे के बीच? हम्म?
गौतम - कुछ नहीं.. मैं तो अपनी माँ को बस किस्सी कर रहा था..
सुमन पानी लेते हुए - अरे तुम इसे छोडो, ये तो कुछ भी बोलता है.. और ऐसे ही मुझसे चिपका रहता है..
रूपा - अब अपनी माँ को गले नहीं लगाएगा तो किसे लगाएगा दीदी? इतना प्यारा बेटा दिया ऊपर वाले ने आपको.. काश मुझे भी दिया.. मैं भी अपने गले से लगाकर रखती..
गौतम उठकर रूपा के गले लगता हुआ - मैं हूँ ना.. आंटी..
रूपा गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए सुमन की तरफ देखती है. सुमन गौतम की इस हरकत पर शर्मिंदा होती हुई उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लेती है और रूपा से कहती है..
सुमन - रूपा ये तो पागल है.. तुम इसका बुरा मत मानना..
रूपा मुस्कुराते हुए सुमन के पास बैठकर - बुरा किस बात का दीदी? मुझे तो अच्छा लगा ग़ुगु ने मुझे अपनी माँ कहकर मुझे गले लगाया.. मैं भी तो उसकी माँ और आपकी बहन जैसी हूँ..
सुमन मुस्कुराते हुए - तुम सही कह रही हो रूपा.. वैसे घर बहुत अच्छा है तुम्हारा.. महंगा लगता है काफी..
रूपा - हाँ दीदी वो डाइवोर्स लेते हुए मेरे पति ने मेरे नाम किया था.. और हर महीने खर्चा भी भेजते है..
सुमन - मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा रूपा.. तुम्हारे जैसी इतनी प्यारी और खूबसूरत बीवी को कोई कैसे छोड़ सकता है..
रूपा उदासी - ये बातें छोडो दीदी, आप बताओ.. जीजा को साथ क्यों नहीं लाई?
सुमन - रूपा वो इनकी ड्यूटी होती है ना.. सरकारी नोकर है घर पर भी बहुत कम ही रहते है.. सुबह ही किसी सरकारी काम से शहर से बाहर गए है 2-3 दिन बाद आएंगे..
रूपा - आप बहुत लकी हो दीदी.. इतना अच्छी फॅमिली है आपके पास.. एक प्यारा सा बेटा और पति.
सुमन - हम्म.. बेटा तो बहुत प्यारा है मेरी जान है.. पर पति..
रूपा - क्या दीदी? आप सुबह भी फ़ोन पर कुछ कहते कहते रुक गई थी..
सुमन - कुछ नहीं रूपा.. छोडो..
रूपा - दीदी अब मुझे अपना कह दिया है तो अपना मान भी लो.. अपना दुख मुझसे तो बाँट ही सकती हो..
सुमन - कुछ नहीं रूपा.. बस इतना समझ लो तुम्हारे पति तुम्हरे साथ नहीं है और मेरे होकर भी नहीं है..
रूपा - मतलब दीदी.. मैं समझी नहीं..
सुमन - रूपा.. कई सालों से मेरे और उनके बीच कुछ नहीं हुआ.. अब वो बस काम ही करते है.. उसका होना उसके ना होने जैसा ही है..
रूपा - दीदी.. अगर कुछ प्रॉब्लम है तो उसका इलाज़ भी हो सकता है..
सुमन उदासी से - छोडो इन बातों को रूपा.. अरे गौतम कहा गया?
रूपा - यही होगा मैं देखती हूँ.. दीदी वो रहा..
गौतम रसोई में रूपा और सुमन की बातों से बेखबर फ़ोन पर किसीसे बात करते हुए बिरयानी खाने में मशगूल था..
सुमन मुस्कुराते - भूख तो बर्दाश्त ही नहीं होती इसे..
रूपा भी मुस्कुराते हुए - बच्चा है दी.. बच्चे तो ऐसे ही होते है.. खाना खाते हुए कितना प्यारा लगता है आपका ग़ुगु.. बिलकुल आप पर गया है..
सुमन - अब तो यही है मेरे पास..
रूपा - दीदी आओ ना मेरे साथ..
सुमन - कहा?
रूपा - अपना कमरा दिखाती हूँ आपको..
रूपा सुमन का हाथ पकड़कर अपने साथ रूम में ले जाती जहाँ पीछे पीछे गौतम भी आ जाता है..
गौतम - माँ..
रूपा और सुमन एक साथ उसकी बात का जवाब देते हुए कहती है..
सुमन और रूपा - हाँ..
फिर दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा बैठती है और सुमन गौतम से कहती है..
सुमन - क्या हुआ ग़ुगु..
गौतम - मेरा एक फ्रेंड पास में रहता है मैं उससे मिलके आता हूँ..
सुमन - मगर ग़ुगु..
रूपा - जाने दो ना दीदी.. फ्रेंड से मिलकर अच्छा लगेगा ग़ुगु को..
सुमन - ठीक है मगर ज्यादा देर मत करना..
गौतम - ठीक है माँ..
गौतम सुमन और रूपा को वही रूम में छोड़कर घर से बाहर आ जाता है और कहीं जाने लगता है, वही रूपा अलमारी में से वोटका की बोतल निकाल कर सुमन से कहती है..
रूपा - दीदी एक-एक हल्का लेते है..
सुमन - नहीं मैं शराब नहीं पीती रूपा.. तुम पीती हो?
रूपा - अकेली औरत का दुख शराब के नशे से गहरा होता है दीदी.. एक छोटा सा ले लो कुछ नहीं होगा.. ग़ुगु भी बाहर गया है..
सुमन - पर रूपा मैंने कभी शराब नहीं पी..
रूपा - तो क्या हुआ दीदी.. आज पहली बार अपनी इस छोटी बहन का साथ देने के लिए पी लो.. 1-2 पेग में तो कुछ होता भी नहीं है..
सुमन - जैसा तुम कहो..

रूपा अपने और सुमन के लिए एक एक पेग बनाकर हाथ में लेले थी और सुमन से बात करते हुए पिने लगती है.. सुमन भी रूपा के साथ खुलकर बातें करने लगी थी जिससे दोनों के बीच अब झिझक ख़त्म सी होने लगती है और रूपा दूसरा पेग बनाकर वापस सुमन को देती हुई कहती है..
रूपा - दीदी.. एक बात पुछु?
सुमन बिना किसी ना नुकुर के पेग हाथ में ले लेती है और पीते हुए कहती है..
सुमन - पूछो ना.. अब कैसी झिझक..
रूपा - अगर जीजा ज़ी आपसे सालों से दूर है तो आपका मन नहीं किया कभी कहीं बार किसी और के साथ कुछ करने का..
सुमन - रूपा.. तुम भी औरत हो और जानती हो इस उम्र में हर औरत का कितना मन करता है की कोई उसे प्यार करें उसका ख्याल रखे.. बच्चों की तरह उसे संभाले.. मेरे मन में बहुत बार ऐसे ख्याल आ चुके है पर मैं नहीं चाहती मेरे ग़ुगु पर इसका असर पड़े.. इसलिए मैंने उन ख्यालों को मन में ही जला के राख़ कर दिया..
सुमन की बात के साथ साथ उसका दूसरा पेग भी ख़त्म हो गया और उसकी आँखों के साथ उसके बर्ताव और बदन में भी नशा घुलता हुआ रूपा ने देख लिया..
रूपा मुस्कुराते हुए सुमन को देखने लगी - सही कहा रही हो दीदी.. कई बार अपनों के लिए अपनी चाहत का गला घोंटना ही पड़ता है..
ये कहते हुए रूपा ने बेड के किनारे रखे दराज में से एक सिगरेट का पैकेट और लाइटर निकाल लिया और उसमे से एक सिगरेट अपने होंठों ओर लगा कर सुलगा ली और एक कश लेकर सिगरेट सुमन की तरफ बढ़ाते हुए कहा..
रूपा - लो.. दीदी.. अपने दुखो को आज धुए में उड़ा कर हवा कर दो..
सुमन ने नशे में रूपा से सिगरेट लेकर होने होंठों से लगा ली और एक कश लिया मगर पहली बार सिगरेट पिने के कारण सुमन के मुंह से खासी निकल गयी..
रूपा ने सुमन को सँभालते हुए उसे सिगरेट पिने का तरीका बताया और फिर सुमन अगले कश से सिगरेट ऐसे पिने लगी जैसे वो बहुत पहले से पीती आ रही हो..
सुमन - रूपा तुमने तलाक़ के बाद किसीसे कुछ..
रूपा हसते हुए - नहीं दीदी.. अब धोखा खाने की हिम्मत नहीं है..
सुमन ने सिगरेट का कश लेकर रूपा को पकड़ा दी और बोली - काश तुम मुझे पहले मिली होती रूपा..
रूपा कश लेकर - हाँ दीदी मुझे भी इस बात का दुख है.. काश मैं आपसे पहले मिली होती.. रूपा की साडी का पल्लू सरक चूका था जिससे उसके ब्लाउज और बोबे पर बना टट्टू थोड़ा सा रूपा को दिख गया..
सुमन - टट्टू बनवाया है तुमने?
रूपा अपना ब्लाउज लूज़ करके अपना टट्टू सुमन को दिखाती हुई - हाँ दीदी देखो.. केसा है? बहुत पहले बनवाया था..
सुमन - गौतम..
रूपा सिगरेट का आखिर कश लेकर सिगरेट बुझाते हुए - हाँ दीदी.. मेरे पति का नाम भी गौतम था.. उसको खुश करने के लिए ही बनवाया था..
सुमन नशे - रूपा सच मुझे तुम्हारे लिए दुख हो रहा है.. कितना पत्थर दिल होगा वो आदमी..
रूपा और सुमन बेड पर करीब करीब जुड़कर ही बैठे थे और रूपा समझ चुकी थी की अब सुमन को नशा हो चूका है.. रूपा सुमन के गले में हाथ डाल लेती है और उसका चेहरा अपनी तरफ करके कहती है..
रूपा - दीदी आप दिल की बहुत साफ हो.. इस लिए आपको किसी और का दुख भी चुबता है..
सुमन रूपा की बात सुनकर मुस्कुरा देती है और रूपा की आँखों में देखती है उसी पल रूपा सुमन के लबों को अपने लबों को क़ैद में गिरफ्तार कर चूमने लगती है जिससे सुमन सन्न रह जाती है और उसे समझ नहीं आता की वो अब क्या करें? नशे में उसे रूपा की इस हरकत पर कुछ भी करने का होश नहीं था.. मगर रूपा ने इस प्यार से सुमन के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमना शुरू कर दिया था की सुमन भी अपने आप को उस प्यार में बहकने से नहीं रोक पाई..

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रूपा ने चूमते हुए सुमन के पुरे मुंह का स्वाद लेकर उसे अपना स्वाद चखा दिया था सुमन को भी इसमें असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी उसे नहीं लगा था की किसी औरत के साथ वो कभी कुछ ऐसा भी करेगी और उसे उतना सुख मिलेगा.. कुछ ही पलो के बाद सुमन ने भी रूपा का साथ निभाना शुरू कर दिया और भर भरके रूपा के लबों को चूमने लगी जिससे रूपा सुमन की मानोभावना को समझ गई और मन ही मन में मुस्कुराते हुए इस पल का मज़ा लेने लगी..

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रूपा ने चूमते हुए सुमन के कपडे उतरना शुरू कर दिया उसकी साडी के बाद उसके ब्लाउज के बटन भी खोल दिए सुमन ने रूपा को मना नहीं किया और खुद भी उसके साथ काम के सागर में गोते खाने लगी. रूपा ने सुमन को चूमते हुए उसके गर्दन और उसके गाल से लेकर उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए उसके बूब्स को अपने हाथों से मसलते हुए दबाने लगी जिसे सुमन पुरी जोश में आ गई और वह भी रूपा के अंगों के साथ खेलने लगी. काफी लंबे समय से चल रहे इस चुम्बन को रूपा ने तोड़ दिया और अपने पर्स को उठाकर उसमें से एक गोली निकलते हुए अपने मुंह में रख ली और उसे गोली को अपने मुंह में रखकर वापस सुमन को अपने होठों से लगा लिया और उसके होंठ चूसने लगी दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते हुए दोनों एक दूसरे को चूमते हुए उसे गोली को चाटने और चूसने लगे धीरे-धीरे दोनों ने उसे गोली को चाट चाटकर आधा-आधा अपने अंदर उसका रस ले लिया जिससे उनके काम की प्यास और बढ़ गई और दोनों एक दूसरे में समा जाने को आतुर हो गई.

रूपा ने इस बार सुमन को देरी ना करते हुए पूरा नंगा कर लिया और बिस्तर पर लेटा दिया और खुद भी उसके ऊपर आ गई अपने कपड़े उतार कर रूपा ने नीचे नंगी पड़ी सुमन को वापस अपने आगोश में ले लिया और चूमने लगी उसकी गर्दन पर हल्के हल्के दांतों से निशान छोड़ने लगी जिसमें सुमन को अकाल्पनीय आनंद की प्राप्ति होने लगी और वह रूपा को अपनी बाहों में भरकर खुद भी ऐसा ही करने लगी जिससे रूपा को सुमन की मन की हालत पता चल गई और वह सुमन को अपने बाहों में भरकर और प्यार करने लगी.

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रूपा ने चुंबन के बाद में सुमन की छाती को अपना शिकार बना लिया और अपने दांतों से सुमन के निपल्स को काटते हुए चूसने लगी और मसलने लगी सुमन आहे भर्ती हुई नशे में मस्त होकर रूपा को अपने और खींचने लगी और उसे भर भर के अपने बूब्स चूसने लगी. सुमन रूपा को अपनी और खींच रही थी और उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी वह चाहती थी कि आज रूपा उसे संतुष्ट कर दे नशे के मारे सुमन क्या कर रही थी उसे खुद भी नहीं पता था मगर जो वह कर रही थी उसे उसे बहुत आनंद मिल रहा था और वह सोच रही थी कि काश यह पल यही थम जाए.

सुमन ने पिछली रात जो गौतम और पिंकी को एक साथ देखा था उसके बाद से वह कामुक हो गई थी और उसी का असर अब तक उसके अंदर बाकी था जिससे उसे रूपा के साथ बहकने में मदद मिली थी. वह अपने काम की तृप्ति रूपा के द्वारा आज कर लेना चाहती थी सुमन रूपा को किसी भी चीज के लिए नहीं रोक रही थी और दोनों एक दूसरे को इस तरह से अपने आगोश में लिए हुए चुंम और चाट रहे थे एक दूसरे के उरोजो को दबा के कस रहे थे जैसे दोनों जन्मो के प्यासे हो और एक दूसरे के लिए बने हो. कल रात से जो आग सुमन के अंदर जल रही थी उसे रूपा ने और बढ़ा दिया था और दोनों उस आग में झुलस चुके थे रूपा ने सुमन के नीचे आते हुए अपने होंठ उसकी टांगों के जोड़ पर लगा दिया और एक बार सुमन को देखकर मुस्कुराती हुई उसके नारीत्व को अपने मुख से चूमने लगी..

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रूपा के होंठ जैसे ही सुमन के नारीत्व/चुत पर लगे सुमन के मुंह से बाहर निकल पड़ी और वह बिस्तर पर चादर को अपनी दोनों हथेलियां में पकड़ कर मुट्ठी बंद करते हुए सिसकियाँ लेने लगी. रूपा सुमन को देखकर मुस्कुराते हुए बड़े मजे के साथ उसके जांघों के जोड़ पर अपने मुंह को लगाए हुए उसकी चुत को चाट रही थी. रूपा की कामकला से सुमन कुछ ही देर में अपने झरने को बहा बैठी और झड़कर फारीक हो गइ. उसके बाद रूपा ने फिर से सुमन को अपने आगोश में लेकर चुमना शुरू कर दिया और इस बार वापस सुमन रूपा को चूमने लगी. इस बार सुमन ने रूपा के नारीत्व पर प्रहार किया और उसकी चुत को अपने होठों में भरने का प्रयास करने लगी. सुमन के ऐसा करने पर रूपा ने सुमन के सर पर हाथ रखकर उसका सर अपने चुत पर दबा लिया. और उसे अपनी चुत चूसाने का आनंद भोगने लगे. कुछ ही देर बाद रूप ने भी अपने नारीत्व से झरना बहा दिया और वह भी झाड़कर साफ हो गई.

इतना होने के बाद जब दोनों ने एक दूसरे को देखा तो सुमन शर्म से आंख चुराते हुए मुस्कुराने लगी और हंसते हुए रूपा बिस्तर से उठ खड़ी हुई और सुमन को देखने लगी. सुमन भी रूपा को देखे जा रही थी. दोनों की आंखों ही आंखों में जो बात हो रही थी वह कहना लफ्जों में मुश्किल है. दोनों पर गोली का असर था असर था नशे का खुमार.. रूपा ने मुस्कुराते हुए यह मोन तोड़कर सुमन से अगला पैक बनाने के लिए पूछा तो सुमन ने हां में सर हिला दिया और फिर रूप ने वोडका के और दो पैक बनाएं और एक समान को देखकर एक खुद पीने लगी. दोनों के जिस्म पर अभी एक भी कपड़ा नहीं था और दोनों ने अब शर्म उतार दी थी दोनों के बीच की दोस्ती जो कल शुरू हुई थी वह आज बिस्तर पर और प्रगाड़ हो चुकी थी दोनों को एक दूसरे के साथ इतना आनंद मिला जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी सुमन तो जैसे रूपा की दीवानी हो चुकी थी वह रूपा में अपनी सहेली और अपने गम की साथी दोनों तलाश करने लगी थी.

रूपा सिगरेट जलाते हुए एक काश लेकर सिगरेट को सुमन की तरफ बढ़ा दिया जिसे इस बार सुमन ने बिना किसी नानुकुर के अपने उंगलियों में थाम लिया और अपने होठों से लगाकर एक लम्बा कश लेकर रुपा को देखने लगी. रूपा और सुमन दोनों पर ही गोली का असर था. और दोनों के अंदर की आग भड़क रही थी सुमन तो अपने अंदर इतनी गर्मी महसूस कर रही थी जिसको उसे आज तक एहसास नहीं हुआ था. सिगरेट के दो-तीन कश लेकर सुमन ने सिगरेट वापस रूपा को दे दी और अपना पैक खत्म करते हुए बिस्तर से खड़ी हो गई रूपा के करीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया. रूप ने सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट बुझा दी और फिर सुमन को अपने होठों का जाम पिलाकर वापस उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसकी आंखों में देखने लगी. रूपा को सुमन की आंखों में काम की प्यास साफ दिखाई दे रही थी..

रूपा सुमन की चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी जिससे घर्शन पैदा हो रहा था और दोनों को ही आंनद आ रहा था जिससे दोनों आँख बंद करके महसूस कर रही थी.
कुछ देर के बाद रूपा ने सुमन को वहीं छोड़ दिया और बिस्तर से उठकर उसे देखने लगी. सुमन इस तरह बीच में ही रूपा को उठा देखकर हैरानी से उसे अपने पास बुलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया मगर रूपा उसे देखती हुई खड़ी ही रही.. दोनों की नजरों में काम की प्यास थी मगर सुमन इस बात को अपने होठों से नहीं कह सकती थी. रूपा ने सुमन की प्यास को पढ़ लिया था और अब वह बिस्तर से उठकर दूर जाते हुए एक अलमारी खोलकर ऊपर से कुछ सामान उतारने लगी.

रूपा को देखकर सुमन की आंखें फटी की फटी रह गई और वह एकटक रूपा को देखने लगी रूपा अलमारी से समान उतार कर अपने बदन पर कुछ पहने लगी जिसे देखकर सुमन हैरान थी और काम से भरा होने के कारण उसकी आंखों में शर्म जो होनी चाहिए थी वह कहीं गुम थी. रूपा ने एक सेक्स टॉय अपने कमर पर बांध लिया था और अब वह बिस्तर पर आ चुकी थी. रूपा ने चूमते हुए सुमन को वापस वैसे ही लेटा दिया और सेक्स टॉय को सुमन की चुत पर रगड़ने लगी. सुमन को इसमें सुख मिल रहा था वह रूपा को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए चूम रही थी और अपने पैर को फेलाकर उसे सेक्स टॉय को अपनी चुत पर रगड़वा रही थी. रूप ने ज्यादा देर ना करते हुए सुमन की गीली हो चुकी चुत पर उसे सेक्स टॉय को सेट किया और धक्का देते हुए उसे अंदर घुसने लगी जिसमें सुमन को दर्द होने लगा और वह सिसकियाँ लेती हुई तिल मिलाकर रुपा से लिपट गई.

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रूपा ने अपना काम जारी रखा और सुमन की चुत में सेक्स टॉय घुसने का प्रयास करती रही. कुछ पलों में रूपा को अपने काम में सफलता मिल गई और आधे से ज्यादा सेक्स टॉय सुमन की चुत में घुस चुका था. सुमन कई सालों बाद इस तरह अपनी चुत में लंड जैसा सेक्स टॉय लेकर आहे भरती हुई सुख भोग रही थी.. धीरे-धीरे रूपा ने सुमन को सेक्स टॉय की मदद से चोदना शुरू कर दिया. सुमन सिसकियाँ लेती हुई रूपा के नीचे लेटकर सेक्स टॉय की मदद से चुदवाती हुई मजे लेने लगी. उसे आज कई सालों बाद में इस तरह का मजा मिल रहा था सुमन आज अपनी प्यास बुझा लेना चाहती थी.

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कुछ ही देर के बाद में रूपा ने सुमन को घोड़ी बना लिया और घोड़ी बनाकर उसकी चुत में सेक्स टॉय को पेलते हुए चोदने लगी.. रूपा कैसा करने पर सुमन की हालत ऐसी थी जैसे कई सालों बाद चुद रही किसी लड़की की होती है उसे जो मजा मिल रहा था वह खुद भी बयान नहीं कर सकती थी और रूपा चाहती भी यही थी कि वह सुमन के साथ इतना गहरा रिश्ता कायम कर ले कि उसे और गौतम को फिर सुमन की चिंता ना करनी पड़े. इस वक्त जिस नशे और काम सुख के अंदर सुमन डूबी हुई थी उसे गौतम का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था वह यह भी भूल गई थी कि गौतम वापस भी आ सकता है वह तो बस रूपा के माध्यम से अपनी प्यास बुझा देना चाहती थी और वैसा ही कर भी रही थी वह अब खुलकर रूपा का साथ देने लगी थी और खुद भी रूपा को अपनी प्यास बुझाने के लिए बोल रही थी.

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दोनों ने काम के अभीभूत होकर एक दूसरे को अपना लिया था और एक दूसरे की जरूरत समझते हुए एक दूसरे को अपना सहारा बना लिया था.

दोनों का यह संभोग रात भर चलता रहा और दोनों ही रात भर एक दूसरे को बिस्तर में हारने का प्रयास करती रहे जबकि इस प्रयास में दोनों को ही सुख मिल रहा था सुमन तो इस तरह इस सुख में डूबी हुई थी कि उसे याद ही नहीं रहा कि कब रात के 3:00 चुके थे. कई बार झड़ने और नशे के साथ गोली का असर कम होने के बाद जब सुमन की काम की भूख कम हुई तब उसे गौतम का ख्याल आया और वह तुरंत अपने कपड़े पहन कर रूपा से गौतम के बारे में बात करने लगी जिसपर पर रूपा ने मुस्कुराते हुए उसके लबों को चूम कर उसे शांत होने को कहा और फिर गौतम को फोन करने लगी. गौतम का फोन करने पर कमरे में गौतम के फोन के रिंग की आवाज आने लगी जिससे वह दोनों समझ गई कि गौतम वापस आ चुका है सुमन ने कपड़े पहनकर कमरे से बाहर देखा तो पाया कि गौतम बाहर सोफे पर ही लेटा हुआ सो रहा था और उसका फोन सोफे के सामने पड़ी टेबल पर रखा हुआ बज रहा था जिससे सुमन की जान में जान आई और वह रूप को देख कर मुस्कुराती हुई वापस उसके गले से लिपट गई.

रूपा - दीदी आप भी फिज़ूल चिंता कर रही थी.. देखो कितने प्यार से ग़ुगु सो रहा है.. कितना प्यारा लग रहा है सोते हुए.
सुमन - रूपा दीदी नहीं.. मुझे सुमन ही कहकर पुकारो.. और आप वाप छोडो गैरों जैसा लगता है तुम कह कर बुलाओ रूपा..
रूपा - जैसा तुम बोलो.. अब इधर आओ.. मुझे थोड़ा सा प्यार और करना है तुमको..
सुमन - सच में रूपा, तुम कोई जादूगरनी हो.. दो दिनों में ऐसा असर कर दिया है लगता है पिछले जन्म की सखी हो..
रूपा - तुम हो ही इतनी अच्छी दीदी.. तुम्हे देखते है मन बहकने लगता है.. मन करता है तुम्हे अपनी बाहों में लेकर प्यार करती रहु..
सुमन - तो करो ना रूपा.. मैं तो कब से प्यार की प्यासी हूँ.. मैं तुम्हे रोकूंगी नहीं.. और वापस दीदी?
रूपा - माफ़ करना.. पर मैं तुम्हे दीदी ही बुलाऊंगी..
सुमन - अच्छा ठीक है मेरी रूपा..


दोनों पर गोली का असर अभी था और दोनों अभी काम की आग में सुलग रही थी कई बार झड़ने के बाद भी बची हुई इस हवास को पूरा करने के लिए रूप ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे बिस्तर पर पटक लिया और उसके ऊपर चढ़ते हुए वापस उसकी गर्दन को चूमने लगी और सेक्स स्टोरी की मदद से वापस उसे चोदने लगी. सुमन मैं भी रूपा के बाद उसे सेक्स टॉय से चोदने का प्रयास किया मगर गौतम का लंड ले चुकी रूपा को 6 इंच के उस सेक्स टॉय से चुदकर कहा शांति मिलती? फिर भी वो सुमन की खातिर ऐसा कर रही थी और पुरे मज़े दे रही थी..

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सुबह की पहली किरण निकल चुकी थी और रूपा अभी भी सुमन के साथ बिस्तर में लिपटी हुई थी.. इस बार रूपा नीचे और सुमन उसके ऊपर थी और बड़े चाव से रूपा की मुंह का रस पी रही थी.. सुमन एक रात में ही रूपा के साथ इतनी खुल चुकी थी की उसे अब रूपा के साथ किसी भी बात को कहने या सुनने में कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थी.. दोनों में प्रेम भी बढ़ चूका था और सुमन तो रूपा से पूरी तरह प्रभावित हो चुकी थी..

सुमन ने कुछ देर बाद चुम्बन तोड़ दिया और रूपा से बोली - सुबह हो गई रूपा.. अब मुझे चलना चाहिए..
रूपा - दीदी .. थोड़ी देर और नहीं ठहर सकती तुमको?
सुमन मुस्कुराते हुए - रूपा मेरा मन तो बहुत है रुकने का पर अगर ग़ुगु ने हमें ऐसी हालात में देख लिया तो ना जाने क्या सोचेगा..
रूपा - अच्छा ठीक है.. चलो नहा लेते है..
सुमन - हम्म.. तुम नहा लो मैं तुम्हारे बाद नहा लुंगी..
रूपा - बाद में नहीं दीदी.. मेरे साथ नहाना पड़ेगा.. चलो..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा ज़ी.. चलो तो फिर.. एक साथ नहाते है..

रूपा सुमन को बाथरूम में ले जाती है और अपने हाथ से नहलाने लती हैं सुमन भी अपने अंग पर रूपा के हाथ का स्पर्श पा कर उत्तेजित होने लगती है और बदले में रूपा के बदन को मसलने और चूमने लगती हैं. रूपा एक बार फिर से सुमन को हल्का करने में कामयाब रहती है और दोनों कुछ देर बाद नहा कर बाथरूम से निकल जाते हैं.

ग़ुगु.. ग़ुगु.. यहां क्यों सो गए? अंदर सो जाते ना.. रूपा ने ग़ुगु को जगाते हुए कहा..
ग़ुगु अपनी आँखे मलता हुआ उठा तो उसने देखा की उसके सामने रूपा बैठी है और उसकी माँ सुमन रसोई में चाय बना रही है..
वो रात को बहुत नींद आ रही थी तो बस लेटते ही नींद आ गई..
सुमन चाय लाते हुए.. अच्छा ज़ी नींद आ गई थी? कबतक बाहर था तू.. कहा था ना जल्दी आ जाना. फिर भी देर हो गई थी..
गौतम चाय लेते हुए - माँ वो खाना ज्यादा हो गया था इसलिए कब नींद आई पता ही नहीं चला.. रात को बिरयानी बहुत अच्छी मनाई थी आंटी ने..
रूपा - ऐसी बात है तो मैं वापस गर्म कर देती हूँ तेरे लिए..
सुमन हस्ते हुए गौतम के बाल सहला कर - मेरा भुक्कड़ बेटा..
गौतम - आप दोनों ने रात भर क्या क्या बातें की?
रूपा मुस्कुराते हुए - हमने क्या क्या किया है वो तुझे क्यों बताये? वो तो हमारा सीक्रेट है..
सुमन - हाँ.. तू किस दोस्त के पास गया था तूने बताया हमें? फिर हम क्यों बताये?
गौतम - अच्छा ठीक है मत बताओ मुझे जानने का शोक भी नहीं है.. मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा था..
कहते हुए गौतम वही का कप टेबल पर रख कर बाथरूम चला जाता है और सुमन खाली कप लेकर रसोई की तरफ. सुमन के पीछे पीछे रूपा भी रसोई में चली जाती है और उसे कसके अपनी बाहों में भरती हुई वापस चूमने लगती है..

सुमन - रूपा ग़ुगु यही है.. देख लेगा तो जवाब देते नहीं बनेगा..
रूपा - आप हो ही इतनी प्यारी दीदी... मुझसे रहा ही नहीं गया..
गौतम के आने की आहट से दोनों एकदूसरे से थोड़ा दूर खड़े हो जाते है..
गौतम - मुझे वापस भूक लगी है.. आपने बिरयानी गर्म नहीं की अभी तक?
रूपा - अरे बाबा अभी गर्म कर देती हूँ..
सुमन - तुम्हे तो जरुरी फ़ोन करना था ना रूपा.. तुम पहले वो कर लो मैं कर देती हूँ गर्म..
रूपा - ठीक है दीदी.. मैं आती हूँ..
गौतम - वाह क्या बात है आपको नॉनवेज देखना भी पसंद नहीं था अब ये क्या है?
सुमन - मेरे ग़ुगु के लिए कुछ भी चलेगा..
गौतम - अच्छा तो फिर थोड़ा सा खाना भी पड़ेगा अपने ग़ुगु के साथ.. बोलो खाओगी?
सुमन - छी..
गौतम - छी.. क्या? रहने दो फिर चलते है मुझे भी नहीं खाना..
सुमन बिरयानी प्लेट पर ड़ालते हुए - लो अब नाटक मत करो..
गौतम - केसा नाटक? आप मेरे साथ खाओगी तभी मैं खाऊंगा वरना वापस रख दो इसे...
सुमन - अच्छा बाबा एक चम्मच खिला दे ला..
गौतम - बिरयानी चम्मच से नहीं खाते माँ.. लो मुंह खोलो.. आ करो..
सुमन - उम्म्म्म...
गौतम - कैसी लगी?
सुमन मुंह से छोटी सी हड्डी निकलती हुई - ये क्यों खिलाया..
गौतम - माँ आप भी ना अब बिरयानी में पीस तो अता है.. लो एक और खाओ..
सुमन - आराम से ग़ुगु... तुमको भी खाओ अब..
गौतम - खा रहा हूँ ना.. कैसी लगी आपको? अच्छी है ना?
सुमन - हाँ.. बहुत अच्छी है..

कुछ देर के बाद सुमन गौतम को लेकर रूपा से विदा लेती हुई उसके घर से निकल जाती है और अपने घर आ जाती है.






Haaaay daaaaya...
Kiya Jabardas Update ha yaaar....
Itni acchi Lesbian scene....
Haaaay.....

Basa har Aurto ko Lesbian karni cahiya....
Is sa unki Real ma Chudai vi nhi hoti...
Or Aurta Sati Sabitri vi raha jati ha....

Or Mummy log asa Cheating kara to maja aa jaya...
Is sa Mummy logo ki Chudai vi jaya or unki pabitra ta vi bach jaya....
jis Chudai ma land chut ma na ghusa oo to Chudai nhi hui...
Or Dildo sa Chudka ka Mummy or Aunty ya Puri tarha sa Sanskari Loyal Wife hi raha jati ha...
Haaaay....
Horny Mummy logo ko Lesbian try karni cahiya....


Gugu ka to mauj ha...
Rupa uska Incest ka rasta clear kar rahi ha....
Rupa Suman ko to Chod diya...
Ab jaldi hi Gugu sa vi Chudba dega.....
Maja aa gaya...


❤❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍👍🤤🤤🤤🤤
 

Iron Man

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Luckyloda

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Bhut shandaar update..... pahli chudi huyi mohabbat मिलने की बहुत बहुत बधाई




Ye aarti aur ऋतु ka bhi kuch karo yaar...... bhut maja dengi ye bhi
 
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Reactions: moms_bachha
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