ब्यानजी की डब्बल चुदाई के बाद तो मेरे मन को बड़ी तसल्ली हुई।और लगा कि अब मेरा बदला भी पूरा हो गया जो ब्यानजी ने अपने पति का मूसल डलवाकर मेरी फाड़ी दी। आज तो दो दो लौड़े एक ही बार ब्यानजी के मैने घुस्वा दिए।सुबह ब्यानजी बिल्कुल नँगी अपने दोनों ब्याही के बीच पड़ी थी। रातभर की ठुकाई से ब्यानजी काफी थक गई थी । दोनो ब्याही ने ब्यानजी को साथ मे चोदने के बाद एक एक राउंड सिंगल खेला था और उसमें भी ब्यानजी की खूब पेलाई हुई थी ।ब्यानजी कि चूत गांड सब उन दोनो के काम रस से भरे हुए थे ब्यानजी के बदन पर कई जगह वीर्य का लेप हुआ पड़ा था। चुत मुंह फाडे खुली थी और गांड का छेद ऐसा होगया की बिना जोर लगाए ब्यानजी आसानी से संडास जा सकती थी।पूरा बदन टूटा हुआ पड़ा था। शायद उनकी पहले ऐसी दुर्गति उनकी सुहागरात के दिन ही हुई थी और अब।सबसे पहले मेरे पति की नींद खुली , पास में अपनी ब्यान को नँगा सोया देखकर एक बार तो उनका मन वापस ब्यानजी की लेने को करा। पर रात भर दो दो लौडो को झेलकर ब्यानजी की जो हालत हुई थी उसे देखकर मेरे पति ने उन्हें आराम करने देना ही बेहतर समझा और अब बेटे की शादी की तैयारियां भी देखनी थी तो मेरे पति उठकर रूम के बाहर आ गए । थोड़ी देर बाद ब्यानजी कि आंख खुली वो पूरी नँगी मेरे नन्दोईजी के साथ सो रही थी वो भी पूरे नंगे थे।ब्यानजी कि नजर मेरे नन्दोईजी के मुररझाये लौड़े पर थी । ब्यानजी मन ही मन मुस्काई और सो ची रातभर जो इतना कड़क होकर उनकी फाड़ता रहा वो अब कैसे ढीला हुआ पड़ा था। ब्यानजी उठी और साइड पे पड़ा चादर लपेट कर बाथरूम में चली गयी। वहाँ अच्छी तरह से रातभर चली ठुकाई का जायजा अपने बदन से ले ले रही थी । ब्यानजी के गर्दन बोबो पर काफी लव बाईट थी ।बोबे भी दब दब कर लटक गए थे । बिना हाथो के फैलाये चूत चौड़ी हुई लग रही थी।ब्यानजी को अब भी अहसास हो रहा था थी अभी भी दो दो लौड़े उनके छेदो में जा रहे थे।ब्यानजी ने ये सोचकर हीअपने होंठो को दांतों से भीच लिया। भले ही उनका पूरा बदन टूट रहा हो पर इस चुदाई ने ब्यानजी को भी खूब मजे दिये । और पहली बार एक साथ दोनो छेदो कि कभी न भूलने वाली ठुकाई।।ब्यानजी काफी देर बाद बाथरूम से निकली वापस चादर लपेट कर ।पर अब रूम से नन्दोईजी जा चुके थे औऱ रूम में मै और मेरी ननद आ गए थे ब्यानजी को छेड़ने के लिये।ब्यानजी मुझे देखते ही गाली देते हुए बोलीम्हारी ब्यानजी की लोड़ी कांई करवा दियो म्हारे पूरी फड़वा दी म्हारी तो , रात भर सु धकमपेल चाल रिये थोड़ो भी आराम कोनी।बस चोद चोद कर चौबारों बना दियो म्हारो।
मेरी ननद ब्यानजी का चद्दर खीचते हुए बोली आ ब्यान दिखा तो सरी कितनी चौड़ी हुई।और चद्दर के साथ ही ब्यानजी भी हमारे पास आ गयी। मेरी ननद ने चद्दर हटा दिया और ब्यान का नँगा बदन हमारे सामने था। बोबो कंधो गर्दन पर पड़े लाल निशान उनकी कल की चुदाई की दास्तान कह रहे थे।मैने अपना हाथ सीधा ब्यानजी की रसभरी पर टिका दिया उनकी पंखुड़िया खुली हुई थी ।मै बोली ब्यानजीऔर चावे की। ब्यानजी हाथ जोड़ते हुए बोली अब तो बस कर म्हारी ब्यान। चुद चुद कर धाप गई म्हे तो आराम करबा दीजो अब तो । अब मत घुसवाजो म्हारे। एक कि जगह जगह अब तो दो दो घुसवा दिया म्हारे अब तो ब्यान रेबा दे। मै बोली हाँ म्हारी ब्यानजी अब तो थे आराम करो नहालो धौलो ,अब नई चुदावा थाने थे तो शादी को मजो लो।और अब हमने ब्यानजी को बक्श दिया ।
शादी को अभी तीन दिन थे, मेरी होने वाली बहु दीया के वहाँ रिवाज है कि दुल्हन की भाभी दूल्हे के हल्दी लगाने दूल्हे के घर जाती है। इसलिए दीया की भाभी प्रिया को भी हमारे घर आना था।
इधर दीया के घर पर प्रिया दीया के होने वाले ससुराल यानी महिमा के घर जाने की तैयारी कर रही थी
प्रिया उसकी ननद दीया को छेड़ते हुए बोली म्हारी बन्नो नन्दोईजी के खूब रगड़ रगड़ कर हल्दी लगाऊ सब जगह।दीया बोली थांका ननदोई ह खूब लगाजो। प्रिया बोली हाँ कोई भी चीज काली नई रेबा देउ। चड्डी के अंदर भी। और नाप चोख भी लेर आउ कितरो मोटो लम्बो ह फेर आर बताऊ।
दीया बोली बीका तो दर्शन कर लिया मैं विडियोकॉल पर और तीन दिन बाद तो अंदर भी ले लेउ। प्रिया बोली वाह म्हारी ननद बाईजी बहुत बढ़िया।दीया बोली भाभी जल्दी जाओ और वापस जल्दी आओ और आकर एक एक चीज के बारे में बताजो कांई कांई हुए।
प्रिया अपने बच्चे को लेकर साथ गयी थी क्योंकि अभी वह छोटा ही था साढ़े तीन साल का ही।प्रिया वहा दिन तक ही पहुँच गयी और फिर लेट नाईट वापस आ गयी रात में प्रिया और दीया दोनो साथ सो रहे थे।दीया पीछे पड़ रही थी प्रिया के ,वहा क्या हुआ सब बताने को लेकर।
ऐसा क्या हुआ होगा प्रिया के साथ किसी को आइडिया हो तो बताये नही तो प्रिया खुद ही बता देगी