प्रिया कि जुबानी
नन्दोई जी से चुदवा कर मैं घर तो आ गयी पर अभी भी लग रहा था की नन्दोईजी की गाढ़ी मलाई मेरी रसभरी मे हीं झलक रही है। सब बोल रही थी लेट कैसे हो गयी, पर उन्हें क्या बताती नन्दोईजी से चुदवाने मे लेट हो गयी। खैर मेरी ननंद दीया पूछने लगी क्या क्या हुआ वहा फिर मैं बोली इतनी भी क्या जल्दी हैं मेरी ननंद रानी रात क़ो सोते टाइम तुम्हे नंगी करके एक दो उंगलिया अग़वाड़े और एक दो पीछे डालकर सब बताउंगी। सोने के टाइम मैं और मेरी ननंद, दोनों मेरी ननंद वाले रूम मे सो रहे थे।
मैंने मेरे बेटे क़ो सुलाया और अब अपनी चुदाईकथा अपनी ननंद क़ो सुनानी थी। मेरी ननंद बोली भाभी बताओ तो क्या क्या हुआ आपके साथ कही मेरी ननंद,सास नें मिलकर रगड तो नही दिया आपको। मैं बोली, वो क्या रगड़ेगी, मैं तो पहली बार हीं गयी थी तुम्हारे ससुराल और वहा तो पहली बार हीं तगड़ी ठुकाई हुई है मेरी। मैंने मेरी ननंद का हाथ साड़ी के ऊपर से हीं अपनी रसबरी पर रखते हुए बोली। मेरी ननंद मेरी रसभरी क़ो भींचते हुए बोली भाभी किस का लेके आयी हो। बताओ तो किसने मेरी भाभी की ठुकाई की हैं.। मैं बोली मेरे होने वाले नन्दोई जी नें अपने लम्बे मोटे मुसल से तुम्हारी भाभी क़ो जमकर पेला। इतने बेसबरे नन्दोईजी अभी तो पक्के नन्दोई भी नही बने और पहले हीं अपनी सलहज क़ो चोद दिया। मेरी ननंद नें सुनकर सीधा हाथ मेरे पेटीकोट में डाला वहा तो पैंटी भी नही थी। मेरी फांको के बिच नन्दोई जी के रस की कुछ बुँदे अभी थी वहां पर।
मेरी ननंद मेरी रसभरी क़ो रगड़ते हुए बोली सच्ची बताओ ना भाभी क्या सही मे तुम्हारे नन्दोईजी नें डाला क्या यहां पर.। मैं बोली हाँ मेरी लाड़ो तेरे होने वाले बिन्द से चुदकर आयी है तेरी भाभी।
अब तो ननंद और पीछे पड़ गयी। की भाभी बताओ कैसे कैसे हुआ। मैं अपनी चुदाई की गाथा सुंनाने लगी। बिच बिच मे हम दोनों गर्म होने लगी। और एक दूसरे क़ो पूरी नंगी कर एक दूसरे के रसभरी क़ो सहला रही थी। कभी कभी किस भी कर रही थी। स्टोरी खत्म होते होते दोनों नें एक दूसरे क़ो झड़ा दिया। मैं बोली मेरी ननंद रानी अब देखना सुहागरात पर तेरी सील पैक चूत का कैसे चबूतरा बनेगा। मेरी ननंद बोली भाभी सही मे इतना मोटा तगड़ा है क्या उनका डंडा। मेरी तो किस्मत खुल जाएगी रोज रात क़ो डाल के सोऊँगी।हाय मेरी प्यारी भाभी क़ो हि चोद दिया उन्होंने तो। भाभी आप तो हल्दी लगाने गयी थी पर खुद हीं चुदकर आ गयी वो भी अपने होने वाले ननन्दोई से। भाभी शादी क़ो दो दिन है पर मेरी रसभरी में तो अभी से चिंटिया चल रही है। मैं बोली डलवा लो तो किसी का पीछे का दरवाजा तो कब का खोल रखा हैं। भानु का हीं डलवा लो जिसने हीं तुम्हारे पिछवाड़े का मुहूर्त किया है। दीया बोली, भाभी वो तो यहां है भी नही नी तो सही में उससे अपनी मरवा लेती फिलहाल तो आप हीं हो भाभी एक बार चूस चाट कर झड़वा दो ना फिर सो जाउंगी मै।
फिर मैंने मेरी ननंद रानी की चूस चूस कर झडवाई फिर दोनों ऐसे हीं सो गयी।
दीया की जुबानी
अब आते है दिया के पास उसकी शादी है तो उसकी जुबानी सुनते है आगे का हाल।
सुबह उठने पर भी मेरे तो यही मन में चल रहा था की कैसे मेरे होने वाले पति नें मेरी भाभी क़ो पेला होगा। उनकी खेली खिलाई चूत की चटनी बनाई। वैसे मैंने कई बार विराज मेरे होने वाले पतिदेव से फ़ोन सेक्स किया है। कई बार अपनी न्यूड फोटो भेजी है और उनके लौड़े के भी दर्शन किये है। एक बार तो विराज से फ़ोन पे बात करते हुए अपने बॉयफ्रेंड यश से अपने पिछवाड़े का बाजा भी बजवा लिया था।और वैसे भी मेरी चूत तो सील पैक थी पर मेरी गांड में कई लण्ड घुस चुके थे।पर अब तो बहुत दिन हो गए थे। ना फोन सेक्स हुआ ना हीं किसी का लौड़ा मेरे पिछवाड़े में गया। अब मेरी शादी का दिन भी आ गया। शादी में मेरी बेस्टफ्रेंड जिया और मेरा बॉयफ्रेंड यश भी आया था। दिन के टाइम यश और जिया दोनों मिले मुझसे मेरे रूम में उस वक्त कोई नही था। मैंने यश क़ो हग किया और उसे रूम के कोने में ले गयी और हम दोनों एक दूसरे क़ो चुम रहे थे यश के हाथ भी कभी मेरे कुल्हो पर तो कभी मेरे बोबो पर थे। जिया लाइव ये सब देख रही थी। मन तो मेरा बहुत कुछ करने क़ो कर रहा था पर इतनी हीं देर में रूम में किसी के आने कई आहट हुई और हम दोनों हट गए। यश की पैंट में खड़ा उसका लौड़ा भी यही बता रहा था की शादी के पहले एक बार और वो मेरी लेना चाह रहा है पर उस टाइम उसे वह मौका नही मिला।
खैर शाम का टाइम होने लगा। मेरी सब सहेलियों नें मुझे तैयार किया बिना पार्लर हीं मैं दुल्हन की ड्रेस में परियो जैसी लग रही थी।
मेरा रूम हमारे घर की छत पर है जहाँ मैं अपनी सहेलियों से घिरी हुई बैठी थी। रात को बैंड वालों का शोर सुनकर पता चला कि मेरे विराज बारात लेकर आ रहे है। मेरी सहेलियाँ दौड़ कर खिड़की से झाँकने लगी। वहाँ अँधेरा होने से किसी की नजर ऊपर खिड़की पर नहीं पड़ती थी।
अब मेरी सहेलियाँ वहाँ से एक-एक कर के निचे उत्तर गयी । वो और पास जाकर दूल्हा और बारात देखना चाहती थी । मैं कुछ देर के लिये बिल्कुल अकेली पड़ गयी। तभी अचानक यश मेरे सामने आ गया । मैं इस वक्त उसे देख कर एक दम चौँक गयी। उसने आकर बाहर के दरवाजे को बँद कर दिया।
मैंने बोला यश तुम यहां, वो बोला दीया तुम इस दुल्हन के जोड़े में कितनी सुंदर लग रही हो, तुम मेरी दुल्हन तो नही बन पायी पर आखिर बार तुम्हे दुल्हन बने हुए प्यार करना चाहता हु प्लीज मना मत करना दीया iloveu...
" आज इतनी सुंदर लग रही हो कि तुमसे मिले बिना नहीं रह पाया। बस एक बार प्यार कर लेने दो।"
मैं भी उसे मना नही कर पायी और
वो आकर मुझसे लिपट गया। मैं उससे अपने को अलग नहीं कर पा रही थी। डर तो था कई सारा मेक-अप खराब नहीं हो जाये। यश ने मेरे बूब्स पर हल्के से हाथ फिराये। शायद उसे भी मेक-अप बिगड़ जाने का डर था। "आज तुझे इस वक्त एक बार प्यार करना चाहता हूँ" कहकर उसने मेरे लहँगे को पकड़ा। मैं उसका मतलब समझ गयी
और उसने मेरे लहँगे को कमर तक उठा दिया। फिर उसने मेरी पिंक रंग की पारदर्शी पैंटी को खींच कर निकाल दिया जो बिलकुल नई मैंने विराज के लिए पहनी थी। पर उसे तो यश नें उतार दी।और उसे अपनी पैंट की जेब में भर लिया। फिर मुझे खुली हुई खिड़की पर झुका कर मेरे पीछे से सट गया।उसने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपने खड़े लौड़े को मेरी गांड के छेद में ठेल दिया।बिना कुछ लगाए मेरी सुखी गांड में अपना लौड़ा फ़सा दीया।मैं खिड़की की चौखट को पकड़ कर झुकी हुई थी और वो पीछे से मेरी गांड मार रहा था।
सामने बारात आ रही थी और उसके स्वागत में भीड़ उमड़ी पड़ी थी। और मैं - दुल्हन - अपने बॉयफ्रेंड से मरवा रही थी। अँधेरा होने के कारण किसी की नज़र वहाँ नहीं पड़ रही थी । सामने नाच गाना चल रहा था। सब उसे देखने में व्यस्त थे और हम किसी और काम में। मुझे तो विराज भी दिख गया घोड़ी पर बैठे हुए पर उसकी होने वाली लुगाई खुद घोड़ी बनकर गांड मरवा रही थी। यश ताबड़तोड़ धक्के मार रहा था। मैं भी इतने दिन बाद लण्ड ले रही थी। और दुल्हन की ड्रेस में दूल्हे के अलावा किसी और से मराने का एक्सपीरियंस भी अलग था। ओह यश तूनें क्या कर दीया। हाय यश मेरी सुहागरात तो कल है तू तो आज हीं मेरी मार लेगा। हाँ मेरी दीया डार्लिंग आज का एक्सपीरियंस तो हमेशा याद रहेगा की तुम्हे दुल्हन की ड्रेस में प्यार किया था।कुछ देर में हीं यश ने ढेर सारा वीर्य मेरी गांड के छेद में झाड़ दिया। मेरा भी उसके साथ ही चूत-रस निकल गया। बारात अंदर आ चुकी थी। तभी किसी के आने कई आहट हुई । यश रूम के बाहर आकर निकल गया पर मेरी पैंटी भी उसके पास हीं रह गयी।
सब मुझे ले गए जय माला के लिये। यश का वीर्य बहता हुआ मेरी गांड से मेरे घुटनों तक आ रहा था। पैंटी नहीं होने के कारण दोनों जाँघें चिपचिपी हो रही थी। मैंने उसी हालत में शादी की।
आगे जारी दीया की सुहागरात