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Erotica चुदकड ब्यानजी

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दिया की सुहागरात से पहले चलते है हमारी मुख्य किरदार महिमा के पास
और अब आगे

महिमा की जुबानी

मेरी रवीना ब्यान की तसल्ली से ली थी हमने मेरे एक लौडा डलवाया तो मैंने दो लौड़े डलवाकर बदला पूरा किया। पर अभी कहाँ ब्यानजी क़ो छोड़ देते अभी तो और मजे लेने थे उनके। हमारे यहाँ रीवाज है की लडके की शादी में बारात जाने के बाद रात क़ो लडके के घर की औरते मस्ती करती है। नकली शादी का स्वांग रचते है।तो हमारे यहाँ भी यही हुआ। और मेरी ननंद शर्ट पैंट पहन कर दूल्हा बनी और हमने ब्यानजी क़ो और रगड़ने के लिए उन्हें दुल्हन बनाया।

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ब्यानजी मना करती रही पर हम कहाँ मानने वालीं थी ब्यानजी बड़ी मुश्किल से पकड़ में आयी थी उन्हें ऐसे कैसे छोड़ देते। उनके झूठ मुठ के फेरे हुए फिर मेरी ननंद दुल्हन बनी ब्यान क़ो ब्याह कर ले आयी। सब औरते गीत गा रही थी ब्यानजी क़ो छेड रही थी। कुछ तों बोल रही थी ये दुल्हन तों पहले से हीं दो दो से मरा कर आयी है। कोई बोल रहीं थीं ये तों पहले से हीं पेट से लग रहीं है। मेरी ननंद भी सब के सामने ब्यानजी के बोबे दबा देती कभी गांड पे चपेट मार देती। और बोलती जल्दी रस्म पूरी करदयो मारी लुगाई की चुदाई करनी है। अब तों बस इनकी सुहागरात हीं बाकि थीं। ब्यानजी क़ो तों पता था क्या होने वाला था उनकी फिर से ली जाने वाली थीं। रूम में सजे हुए पलंग पर ननंद नें ब्यानजी क़ो पटक दीया और उनपर चढ़ गयी जैसे कोई मर्द किसी औरत के ऊपर चढ़ता है.

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।और उनको मसलने लगी गांड बोबे सब रगड रगड कर मसल रहीं थीं। हम सब उनकी लाइव सुहागरात देख कर ब्यानजी की हालत देखकर हँस रहे थे। मेरी ननंद तों सही में हीं ब्यानजी क़ो चोदने वाली थीं उसने अपनी पैंट में स्ट्रिप ऑन डिलडो पहन रखा था।
मेरी ननंद नें अपने होठ ब्यानजी के होंठो से मिला दिए। ब्यानजी बचने के लिए सर इधर उधर कर रहीं थीं। मेरी ननंद नें दांतो से होंठो पर काट लिया। अब ब्यानजी के घाघरे का नाड़ा खोल दीया।


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ब्यानजी तों जबसे यहाँ आयी तब से उन्हें ब्रा चड्डी तों हमने पहनने हीं नहीं दि थीं। अब मेरी ननंद नें ब्यानजी के ब्लाउज के हुक तोड़ते हुए ब्लाउज खोल दीया और ब्यान के बोबे सबके सामने आ गए। ब्यानजी के घाघरे का नाड़ा भी खोल दिया। और ब्यानजी के नंगे बोबे मसलने लगी। आह छोड़ म्हारी ब्यान दुखे ब्यानजी मेरी ननंद क़ो मना करती हुई बोली। मेरी ननंद ब्यानजी की गांड पर एक चपेट लगाते हुए बोली खसम बोल म्हारी परणी। अब मेरी ननंद नें ब्यानजी क़ो अपने ऊपर ले लिया।पर ब्यानजी का घाघरा अभी भी उनके ढूंगो में अटका था। मैंने जाके उनका घाघरा पूरा निचे कर के हटा दिया और उनके ढूंगो क़ो मस्का दिया। मेरी ननंद बोली म्हारी लुगाई की गांड कुण छेड रिये, परायी लुगाई की गांड छेड़ता नें शर्म कोनी आवे इने तों बस मैं हीं रगड सकू। और हम सब हसने लग गयी। अब मेरी ननंद नें ब्यान जी क़ो कुतिया बना दिया। और पीछे से उनकी गांड में डिल्डो घुसेड़ दिया। ब्यानजी कराहने लगी,... अरे ब्रारे काई कर दि ब्यान फाड़ दि म्हारी....


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बिस्तर पर ब्यानजी कुतिया की तरह झुकी हुई थी और मेरी ननंद ब्यानजी की गांड में ताबड़तोड़ धक्के मार रही थी.
ब्यानजी पूरी मस्ती में कराह और सिसक रही थी और मेरी ननंद के चेहरे पर खूंखार भाव दिख रहे थे.
मेरी ननंद लगातार एक ही लय में ब्यानजी की गांड में धक्के मारे जा रही थी और ब्यानजी भी उसी लय में कराहती हुई धक्कों का मजा ले रही थी.

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कुछ देर के बाद तो माहौल और भी गर्म हो गया.
अब मेरी ननंद बिगड़ी सांडनी की तरह, गुस्से से और तेज घस्से मार ने लगी
मेरी ननंद ब्यानजी के बालों को एक हाथ से पकड़ खींचती हुई उनके मोटे मोटे ढूंगो पर चांटे पर चांटे मारे जा रही थी.
इस समय तों मेरी ननंद ने अपने धक्के को और अधिक जोर से मारने लगी और ब्यानजी क़ो गालियां देते हुए उनकी गांड पर चपेट मारने लगी।

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मेरी ननंद बोल रहीं थीं....ल म्हारी सौत रांड , ल ब्यानजी की लौड़ी, ल मालजादी फट्या बोस्या की ब्यान म्हारा लोग क़ो लौड़ो खाई आज म्हारो भी खाले
फिर और कुछ धक्के मार कर दोबारा बोली- ब्यान रांड आज तू म्हारी गंड़कड़ी है, बोल म्हारी गंड़कड़ी … मजो आ रिये तन्ने चुदबा में!
ब्यानजी कराहती सिसकती आवाज में बोली- अहहह … ह्म्म्म …म्हारी लौड़ी ब्यान मजो आ रिये है. और कितरो चोदी मन्ने बस भी कर म्हारी जामण आह अब तों बस कर पूरी फ़ाड़ी कांई..
ब्यानजी की कराहें सिसकारियां और चीखें निकलती रहीं.
साथ में मेरी ननंद के हांफने और गालियों की भी आवाज आती रही.कुछ हीं देर में दोनों ढेर हो गयी।
 
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दीया, विराज की शादी हो गयी अब बारात दुल्हन क़ो लेकर वापस घर आ गयी.. इस नए घर में दीया दुल्हन बन कर आ गयी


अब आगे उसकी ही जुबानी

दीया की जुबानी....



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अब वो रात भी आ गयी ज़ब मेरी सील टूटने वाली थी।मैं सुहागरात के रूम में थी और वो बाहर से रूम में आ रहे थे मेरी ननंद रूम के बाहर ख़डी होकर नेग मांगने लगी। बाकि औरते भी बोल रही थी "ईसान हीं नी मिल जावे लुगाई की पेली नेग तो दे दें"।नेग देकर विराज रूम में आये। तब तक पलंग पर हीं बैठी थी रूम बंद हुआ और वो मेरे पास आये बोले दीया मेरी जान आज वो रात आ हीं गयी आज ना तुम्हे सोने दूंगा ना मैं सोऊंगा। और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया।हम दोनों पलंग पर बैठे बैठे आगे का खेल खेलने की तैयारी करने लगे।

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धीरे धीरे वो मेरे गहने खोलने लगे। मेरे गले पर हल्के हल्के अपने होंठ लगाने लगे।विराज बोले फोन मैं तो कर लिया आज रियल में करेंगे आज तो तुम्हारी फटेगी । मैं बोली विराज सही में फाड़ोगे क्या आराम आराम से करना मेरे जानू अब तो मैं आपकी हु दिन रात सुबह शाम कभी भी बज्जी ले लेना अपनी दीया की ।
विराज बोला जानू एक बार तुम्हारी सील तोड़ दू फिर सारे घर में नंगी घुमा-घुमा कर चोदुन्गा तुम्हे . हम दोनों हंसने लगे।
अब विराज नें मेरी ओढ़नी हटा दि पीछे से मेरी ब्लाउज की डोर खोल दि।और बिना देर करे मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।
विराज ने जैसे ही मेरी कसी हुई लाल ब्रा का हुक खोला, मेरे दोनों कड़े फूले हुये बूब्स कूद कर आज़ाद होते हुए विराज की छाती पर आ गिरे।

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मेरे बोबो के स्पर्श से उनकी चौड़ी छाती भरपूर गुदगुदा गई और उनका लौड़ा सनसनाते हुए भक से कड़ा, मोटा और पथरीला हो गया।और उनका पायजामा तम्बू बन गया।
वो एक निपल को चूस रहे थे और दूसरी चूची
को अपनी हथेली मे भर कर मसल रहे थे।


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पहले धीरे धीरे
मसले मगर कुच्छ ही देर मे दोनो बोबो को पूरी ताक़त से मसल
मसल कर लाल कर दिए. उनका पूरा कचुंबर बना दिया।
वो बीच बीच मे मेरे फूले हुए निपल्स को दन्तो से काट रहे थे.

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जीभ से निपल को छेड़ने लगते. मैं "सीईई…..
आआअहह…ममम्मी … विराज धीमे काटो मेरी जान निकलोगे क्या " जैसी आवाज़ें निकालने से नही रोक पा
रही थी. उनके होंठ दोनों बोबो पर घूमने लगे. जगह जगह
मेरे बोबो को काट काट कर सुहागरात की निशानी छ्चोड़ने लगे. पूरे बोबो पर लाल लाल दन्तो के निशान उभर आए. मैं दर्द और उत्तेजना मे
सिसकियाँ ले रही थी. और अपने हाथों से अपने बोबो को उठाकर
उनके मुँह मे दे रही थी।
निपल्स लगातार चूस्ते रहने के
कारण दुखने लगे थे. बोबो पर जगह जगह उनके दन्तो से काटने के
लाल लाल निशान उभरने लगे थे. मैं काफ़ी चुदासी हो गयी थी। इतने बॉयफ्रेंड से अपनी गांड का बाजा बजवाया था पर यहां अपनी सुहागरात पर मैं सती सावित्री बन रही थी।

अब उन्होंने मेरी लहंगे का नाड़ा खोल दिया। और मैं पूरी नंगी हो गयी विराज के सामने क्योंकि पैंटी तो यश ले गया था उसके बाद तो मैंने पहनी हीं नहीं थी।
ओह जानू तुमने तों मुझे पूरी नंगी कर दिया।
अब विराज निचे
मेरी नंगी फाको पर उंगली चलाते हुए मेरी चूचियों को बारी बारी से अदल बदल कर दबाने लगे .....मैं सिसक रही थी.....चुदास के मारे अपनी जाँघे भींचने लगी

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वो दोनो चूंचीयों को बारी बारी से मसलते.....चूत की फाकॉ के बीच अपनी आग लगाने वाली उंगलियों को रगड़ रहे थे .....मैं तो आँखे बंद करके इस मजे का लुत्फ़ उठा रही थी ....तभी उन्होंने अपने गर्म होंठ मेरे तपते लबो से चिपका दिए.... चूसने लगे


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उन्होने मुझे इस तरह
चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों।

मुझसे तो अब बिलकुल भी नहीं रुका जा रहा था। ....नीचे विराज की उंगलियाँ मेरी चूत की कुँवारी होंठों के साथ छेड़ छाड़ कर रही थी.... उपर और नीचे दोनो जगह की होंठों के साथ एक साथ छेड़छाड़ का मज़ा भी अलग था....

वो मेरी लाल हो चुकी फाँको को फैला कर देखने लगे .. हाए !!!....विराज ...क्या कर रहे हो...मेरा पूरा बदन काँपने लगा था....मेरी आँखे बंद हो गयी थी..
विराज ने मेरी चूत के फांको को फैला के लेकिस्स कर लीया .. हाए विराज मैं मरी !!!...मेरे मूह से सिसकारी निकल गयी....अब तो मैं विराज के लौड़े क़ो अपनी चूत में भींचने क़ो आतुर हो गयी थी..हाए !!!...जानू ...बहुत अचााआअ.....आअहह.. लग रहा है ..विराज ने अपना मूह मेरी नंगी चूत पे रख दीया .....मेरा पूरा बदन...सनसना गया...बदन ऐंठ ने लगा.. और मैने विराज के सर को...पकड़ ...अपनी लाल चूत पे ज़ोर से दबा दिया...और ..मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया
आआहह … ऊऊऊ … … विराज … उम्म्ह … अहह … हय … याह … … आह्ह विराज … आई लव यू जान।
..उफ़फ्फ़ मम्मी ..मै तो पागल होकर..शर्मो हया छोड़ ..विराज के मुसल लंड..को...उसके कपडे के उपर से पकड़ मसलने लगी....अब उसने भी कपड़े खोल ...अपने मूसल जैसे तने हुए लौड़े को मेरे सामने कर दिया ...मेरा हाथ पकड़ कर..अपने सख़्त लौड़े पर रख दिया...उफफफ्फ़..कितना गरम और लोहे की तरह सख़्त था..विराज का..लंड...वो मेरी हाथ मे फुदक रहा था...मैने विराज के सख़्त लौड़े को पकड़ कर ...आगे पीछे करना शुरू कर दिया...

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विराज नें अपना लंड..मेरे मूह के पास लाकर ...मेरी चूचियों को मसलता हुआ...बोला. दीया मेरी जान अब तुम्हारी बारी। मेरे तो मन मे कबसे यही इच्छा हो रही थी की कब...विराज का मोटा लौडा चूसने क़ो मिलेगा। विराज ने लंड..मेरे गुलाबी होंठो के बीच..रख दिया...मैने भी अपनी गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों मे विराज के खड़े लौड़े को दबा ....उसके चिकने फूले ...सुपाड़े पर हलके से जीभ चलाई...आआहह... मेरी जान... विराज के मूह से...सिसकारी निकल गयी.

मैने उनके लौड़े को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और
अपनी जीभ निकाल उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी
जीभ से उनके लौड़े के एकदम नीचे से उपर तक चाट रही थी.

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मैं काफ़ी देर तक उनके
लौड़े को तरह तरह से चाटती रही. उनका लौडा काफ़ी मोटा था इसलिए मैं
मुँह के अंदर ज़्यादा नही ले पा रही थी इसलिए जीभ से चाट चाट
कर ही उसे गीला कर दिया था।


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विराज बोले इतना मस्त लौडा चूसना कहाँ से सीखा। मैं अब उन्हें क्या बोलती की कितनो के लौड़े चूस कर लण्ड चुसाई में एक्सपर्ट बनी हूँ......पर मैं बोली......पोर्न देखकर।
अब विराज नें दोनो हाथो से मेरी दोनो चूचियों को अपनी हथेली में भर मसल दिया.....उफफफ्फ़....विराज इतनी जोर से भी कोई मसलता है क्या भला...
पर उसने अनसुना कर दिया....अपना चेहरा झुकते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर मेरी चूचियों को और कस कस कर मसलने लगा......हम दोनो आपस में एक दूसरे से लिपट गये....
..उफ़फ्फ़..विराज का गरम ..सख़्त लंड मेरी चूत को टच करने लगा ....उसके लंड की रगड़ाई का अहसास मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था.....मैं भी उसको नोचने लगी....उसके होंठों को अपनी दाँत से काट ते हुए हाथो को उसके कुल्हो पर ले गई....कुल्हो के भरे माँस को अपनी हथेली में भर कर मसलती.....दोनो कुल्हो के बीच उसकी गाँड की दरार में उपर से नीचे तक अपनी हथेली चला रही थी....अब तो हम दोनों बेकाबू हो चुके थे..... मेरी धडकनें और तेज़ हो गयी........एक हाथ से वो भी मेरे मांसल ढूंगो की गहराइयों मे उंगली चला रहा था......चूची अब भी उसके मुँह में थी.....मैं तड़प रही थी.....
कुछ देर तक इसी तरह चूसते रहने के बाद....उसने होठों को अलग किया......होंठों और गालो को चूसते हुए धीरे धीरे नीचे की चूचियों को चूमने के बाद मेरे पेट पर अपनी जीभ फिरते हुए नीचे बढ़ता चला गया....गुदगुदी और सनसनी की वजह से मैं अपने बदन को सिकोड़ रही थी......जाँघो को भीच रही थी....तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरी जाँघो को फैला दिया..
अब विराज थोड़ा पीछे खिसक मेरी चूत के उपर झुकता चला गया...

मैं समझ गई की अब मेरी चूत की चटाई होने वाली है ....दोनो जाँघो को फैला मैं उसको होंठों का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.....विराज जीभ निकाल चूत के उपरी सिरे पर फिरते हुए.....लाल नुकीले चूत के दाने से जैसे ही उसकी जीभ टकराई....मेरी साँसे रुक गई....बदन ऐंठ गया........मैं आँखे बंद किए इस मज़े का रस चख रही थी....तभी विराज नें मेरी चूत को लपर लपर चाटना शुरू कर दिया....विराज लॅप लॅप करते हुए चाट रहा था....
" हाआअँ और अंदर जानू . ऊऊ ओह उउउउउईईईइ मममम्मी..
विराज नें जीभ क़ो नुकीला कर चप से जब चूत में घुसाया अंदर बाहर किया तो....मैं मदहोश हो उसके सिर के बालो को पकड़ अपनी बुर पर दबा चिल्ला उठी....चूस चुस्स्स्स्सस्स हीईीईईईईईईई हाए !!!


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....विराज ....ये क्या कर रहे हो.......उईईईई....मेरी जान लोगे क्या .......उईईई.....सीईईईई.....चूस्स्स्स्सस्सो ...चा... आअट ... हाए !!! मेरी रसभरी में जीभ.....ओह म मम्मम्मी .... हाए !!!ईिइ....विराज .....बहुत मजो आवे .....उफफफ्फ़ चााअटतत्त ल म्हारा विराज थारी दीया की......उत्तेजना में मेरी मारवाड़ी भी निकल रही थी।

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विराज तो लगातार चाट रहा था....चूत में कच कच जीभ पेल रहा था.....मैं भी नीचे से कमर उचका कर उसकी जीभ अपनी चूत में ले रही थी...तभी उसने चूत की दरार में से जीभ निकाल लिया .. आह ब्रारे मम्मी ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .विराज ...अब अपना लौडा मेरी चूत मे डाल दो मुझे चोद दो... जैसे मेरी भाभी क़ो चौदा आज उनकी ननंद की भी चुदाई कर दो..मस्ती और मदहोशी मे मै बके जा रही थी।....विराज ने मेरी टाँगों को चौड़ी...करते हुए...मेरी टाँगों के बीच बैठ ....अपने लंड के फूले सुपाड़े को मेरी लपलपाति चूत के गुलाबी छेड़ पर...रख..रगड़ने लगा....उफफफ्फ़...उईईइ..मम्मीम्मी .....


जानू ...पेल डालो अपनी लुगाई क़ो .. ...उईईइ...बहुत जल रही है...अचानक विराज ने कच से जोरदार झटका..देते हुए...मेरी ...चूत मे अपने लंड को पेल दिया...उईईईईईई मम्मी मी...मै मरररर गयी.. हाए !!!..विराज .....मै दर्द से बिलबिला उठी...लग रहा था..कोई सख़्त लोहे का गरम रोड मेरी चूत को चीरता हुआ घुस गया है...विराज ...मेरे उपर लेट ...मेरे निप्पल को मूह मे ले कर चूसने लगा..और एक हाथ मेरी चूतड़ों के नीचे डा ल...दरारों मे उंगली डाल चलाने लगा...

।मैं मारे खुशी और कुँवारेपन के सील टूटने के दर्द से चीत्कार कर उठी।आह ब्रारे विराज फाड़ दि मम्मी.... इतरा साल तक बचाई आज टूट गी म्हारी सील आह मम्मी थांको जवाई म्हारी सील तोड़ दि रे ....

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मैं अपनी फटती हुए चूत के दर्द पर कराहती रही


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ज़ल्द ही मुझे चूत दर्द का एहसास कम और मस्त चुदाई का नशा कहीं ज़्यादा होना प्रारम्भ हो गया।
विराज नें ना जाने कब अपना चूतड़ उठा..एक ज़ोर का झटका मार..मेरी चूत में अपने पूरे लंड क़ो पेल दिया...मै..बोल नही पा रही थी..

बस मेरे मूह से गु गु की आवाज़ निकाल रही थी...विराज ने मेरे होंठो को चूसना चालू कर रखा..और एक हाथ से मेरी चूची को मसल रहा था...कुछ देर..मे मुझे खुद मस्ती का एहसास होने लगा...मै...भी निचे से अपनी गांड उठाने लगी ....विराज भी अब..अपने लंड को धीरे धीरे..मेरी चूत मे अंदर बाहर करने लगा

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मैं नीचे से अपनी चूत उछाल-उछाल कर पूरी रफ़्तार में चूत सिकोड़ती-ढील देती उनके लौड़े को गपागप निगलती रही,
आँखें बन्द कर धकाधक-धकाधक चुदती-चुदवाती रही।
...आआहह...जानू ...करो...पूरा अन्दर तक ..हम दोनों की तेज सांसो से पूरा कमरा ...गूँज रहा था...पेलाई जोरो से चालू थी...विराज ..अब मेरी कमर को पकड़ मेरी चूत मे सटा सट..अपना लंड पेले जा रहा था...मै अपनी गाँड को उठा उठा..कर गोल गोल नाचती...उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी...

मेरी जान कैसा लग रहा है विराज बोला.।।.. मैं बोली हाए !!! विराज ...उईईई...पेलते रहो...अपनी दीया की चूत क़ो ..अब तो रोज चोदना मेरी इस रसभरी को...बहुत खुजली करती है साली...आअहह....ज़ोर से चोदा ना...
आह्हह … विराज … क्या लौडा है तुम्हारा! आह्ह … तुम तो सच में कमाल हो … मेरी तों किस्मत खुल गयी.… आह्ह चोदो … जानू … और जोर से चोदो … आईई … आह्ह और तेज।

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मै बड़बड़ा रही थी..विराज भी कस कस के कुछ कुछ मेरी बुर को पेल रहा था....ह..विराज ऐसे हीं।..मै अपने गाँड को खूब गोल गोल घुमा ...उसके लंड को अपन्नी चूत की गहराइयों तक ले रही थी..उईईई...मम्मीम्मी ..आह भाभी देखो थांका नन्दोईजी आज थांकी ननंद की सील तोड़ दी मैने बड़बड़या....
विराज ...उईईईईईईईई..... मेरा ......छूटने ....वालाआआ ....हैं विराज ....सीईए.. . और मै झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....विराज अब भी अपने लंड से कच कच मेरी चूत को मार रहा था...उसके धक्के तेज होते जा थे...आहह...मेरी जान ...मैं भी आ गया ... फच्च फच्च करते हुए मेरी चूत मे हीं झड़ने लगा...उसका वीर्य..जैसे मेरी चूत मे..लग रहा था की...पानी की गरम धार..गिर रही हो...मुझे एक सुखद एहसास हो रहा था..

विराज भी झड़ कर मेरे उपर लेट... हाँफ रहा था और मै भी....कुछ देर हम...वैसे हे पड़े रहे...फिर मैने विराज को अपने उपर से धकेला...और उठ कर बैठ गयी...मेरी चूत से..रस..टपक रहा था..जो शायद .दोनो का था..मैने झुक कर अपनी चूत का..मुआयना किया...वो काफ़ी सूज गयी थी..लाल...खून जैसी...और वीर्य भी सफेद की जगह लाल और मटमैला हो गया था..मेरी चूत .फट चुकी थी..
मैंने उठने की कोशिश की...लेकिन..उठा नही जा रहा था..
लेकिन अभी भी मन नहीं भरा था रात क़ो और विराज नें मुझे घोड़ी बनाकर चोदा था।

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सवेरे हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गये।


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हमारे बिस्तर की चादर पर पड़ी हुई खून और वीर्य की बूंदें मेरी कुंवारी चूत और रात के खेल की सारी कहानी बयान कर रहे थे।पर अब चूत क़ो लाइसेंस मिल चूका था दूसरे लौड़े खाने का......
 
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छा गए स्नेहिल भाई। मुझे तो ब्यान वाले पार्ट बहुत ही ज्यादा कामुक लगते है। डेली अपडेट देते रहा करो
ऐसे ही बताते रहे क्या ज्यादा अच्छा लगता है क्या नहीं...
 
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