सगाई के बाद अब शादी में भी बहुत कम दिन बचे थे और शादी की तैयारियों में लगना पड़ा। हमारे यहाँ शादी पे पहला इन्विटेशन ब्याहीजी ब्यानजी को देते है। तो हम दोनों ब्याहीजी को इनविटेशन देने गए ।मेरी तो फट रही थी जाने में, की मैंने ब्यानजी की इतनी रगड़ाई करी है अकेले में पता नही वो क्या करेंगी।हम पहुंचे मैं ओर मेरी ब्यान दूसरे रूम में थे। आज तो गले लग के राम राम किया पर गांड में उँगली नही की बस सहला कर ही रह गयी वो।ब्यानजी बोल रही थी।आछि रगड़ाई करी ब्यानजी म्हारी दो ब्यान औऱ है म्हारी, जीकी तो खूब ली हु मैं पर थे तो म्हारी ही ले ली । कोई कोणि ब्याना में तो चलती रेवे इसान की।बस ऐसे ही बाते हुई और थोड़ी देर बाद हम निकल गए। मेरी ब्यान ने कुछ नही किया था मेरे साथ। ये तो तूफान के पहले की शांति थी ।ब्यान चुप तो बैठने वाली थी नही वो आज नही तो कल मेरी बजा ने वाली थी।हमारे यहा लड़की की शादी के बाद लड़की की माँ उसे लेने जाती है और कम से कम एक रात तो उसे रोकते है। मुझे भी लग रहा था कि ब्यान उस दिन का इंतजार कर रही है । अब जो भी होगा देखा जाएगा।शादी के फंक्शन शुरू हो गए थे रोज रात को गीत होते थे फिर नाच गाना चलता था खूब मस्ती होती थी।मै ओर मेरी ननद रोज किसी न किसी का घाघरा फाड़ के उसके मजे लेते थे। कभी पड़ोस वाली कभी किसी रिश्तेदार की, एक बार रश्मि भाभी हत्थे चढ़ गई जब हम रात को नाच गाके फ्री हुए रश्मि भाभी जाने लगी। मेरी ननंद ने उसे रोक लिया बोली एक दिन भाईसाहब को केलो नही खाओं तो भी चाली, फिर हम उसे ऊपर छत पर ले गए जहाँ सब साथ मे सोते थे। अब तो पहले उसका घाघरा फ़ाडा फिर पूरी रात उसे नंगी करके उसकी बज्जी लेते रहे। एक बार तो सब ने मिलकर मेरा नम्बर ले लिया जिनकी लीडर मेरी ननंद थी। बोली बेटी की शादी में माँ नंगी नी होइ तो शादी किसान होइ पेहली महाके सामने फिर खुद का ब्याही के सामने । पूरी रात मुझे नंगी करके मस्ती करती रही और सुबह, रात की बाते याद दिलाक़े सब के सामने छेड़ने लगी। शादी की तैयारियों में मैंने भी इतने दिनों से केला नही खाया था। और इनको तो काम से ही फुर्सत नही और घर भी मेहमानों से भरा था कोई चांस नही ओर तो और मेरे नंदोईजी भी अभी तक नही आये थे वो काम की वजह से बाद में आने वाले थे। नही तो उनके नीचे ही आ जाती।कल रात की मस्ती ने मेरी चुदास बढ़ा दी । कल बस उंगलियों से ही छेड़खानी हुई थी। पर मेरा मन तो उसे लेने का हो रहा था जो मेरी ननंद लायी थी, डिलडो। मैंने मेरी ननंद को बताया मेरी ननंद बोली वा भोजाई काल ही तो थारी गीली करी। मैं बोली थे ही उकसाया अब थे ही इलाज करो। अब हम स्टोर रूम में आ गए जहाँ शादी के समान थे। मेरी ननंद उसका हथियार भी लिया। रूम में एक सोफ़ा था हमारी रासलीला वही होनी थी।मैंने बोला ननद बाईजी कोई आ नई जावे। उसने रूम बन्द किया और बोली कोई नी आवे भौजाई तू चुद बा का मजा ले। में सोफे पे लेट गयी मेरी ननंद ने डिलडो सेट किया ओर मेरे ऊपर आ गई मैं बोली बाईजी इसान लग रिये यो थांको ही ह। ओर हम दोनों हँसने लगी। मेरी रसभरी में तो चीटियां काट रही थी। मेरी ननंद ने मेरी चड्डी निकाली और घाघरा ऊपर कर के अपनामुँह मेरे घाघरे में दिया। मेरी ननंद की जीभ मेरीरसभरी पे थी। आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह बाई जी... अह्ह्ह्ह्ह…! कई कर रिया हो। म्हारी तो पेली ही गीली ह अब तो बस यो डाल दो म्हारे। सही में में बहुत चूदासी हो गयी थी।मुझे तो बस वो चाहिए था। पर मेरी ननंद तड़फ़ा रही थी ।अब वो ऊपर आयी और अपना डिल्डो मेरी चूत में डालने लगी।हाँ ... बाईजी. ...डाल दो... इने।मेरी ननंद बोली ठीक ह भाभी थांकी बढ़िया से चुदाई करू। पर गालियां में बात करनी पड़ी लण्ड चुत सब बोलणो पड़ी।हाँ बाई जी सब बोलू थे घुसेडो अब मत तरसाओ थाकि भौजाई ने। ओर धीमे धीमे डिल्डो अंदर जाने लगा डिल्डो था भी लम्बा मोटा नंदोईजी के लण्ड जैसा।औऱ दो चार झटको में डिल्डो पूरा अंदर था। अब मेरी ननंद झटके मार कर मेरी चुदाई कर रही थी।हाँ बाईजी इसान ही करो आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह।कई करू भौजाई पुरो बोल नई तो रुक जाऊ। नही बाईजी मत रुको इसान ही चोदो थांकी भौजाई ने हाँ इसान हि लण्ड डालो थांको।ह..... हाँ … उफ़्फ़ … स्ससह हह हहह … आह चोदो … चोदो … चोददो … चोद ननंदबाईजी जोर जोर से … मार लो म्हारी चूत मैं इतनी चूदासी हो गयी कि कुछ भी अंट शंट बके जा रही थी। और मेरी ननंद धक्के पे धक्के दिए जा रही थी। ल म्हारी भौजाई ल और ल और इसान ही चोदिया नी थारा नंदोई तने इसान ही लण्ड डालिया नी थारे। हाँ बाईजी .....अह्ह्ह्ह्ह…! करो आःह्ह्ह आउच… इसान ही चोदिया मने।इसान ही चुदाई करी थांकी भौजाई की। और चुदाजो नी बाईजी नंदोईजी से। हाँ भौजाई ओर लण्ड घूसेडवाउ थांके। इतनी देर की धकमपेल ओर गंदी गंदी बातो से में झड़ने वाली थी।उफ़्फ़ … स्ससह हह हहह बाईजी हाँ औऱ लण्ड डालो आज तो थांकी भौजाई की फाड् दो।हाँ भौजाई आज चोद चोद कर फाड़ देऊ थारीआज तो भौजाई को बोसडो बना देऊ।आःह्ह्ह आअह्ह हह्हह उफ्फ ओह्ह ह्हह्ह…हाँ बनादो म्हारो बोसडो ओर मेरी ननंद को जोर सेभीचते हुए मेरीरसभरी ने सारा रस निकाल दिया।आआईईई अ...रे...बाईजी चोद दी मनै तो. . .में तो फ्री हो गयी अब मेरी ननंद को फ्री करना था वो भी फुल गर्म हो चुकी थी। मैंने उसके वहा से डिल्डो हटाया औऱ अब मैं उसके घाघरे में घुसी ओर एक दो मिनट की मेरी जीभ की मेहनत ने मेरी ननंद का भी पानी निकाल दिया।हर शाम को हल्दी के टाइम भी मस्ती होती थी दुल्हन को कम और एक दूसरे के घाघरे ओर ब्लाउज में ज्यादा हल्दी लगती थी।अब शादी का दिन भी आ गया धूमधाम से बिटिया की विदाई करी।
अब तीन दिन हो चुके थे अब बिटिया को लाने के लिए मुझे जाना था। डर लग रहा था ब्यानजी से पर जाना तो था ही। मैँ वहा पहुची औऱ वेसे ही ब्यान ओर बाकी सब ने मेरा स्वागत किया गले लग के किसी ने गांड में उंगली करी तो किसी ने बोबे दबाये किसी ने गांड दबाई। स्वागत से ही लग गया कि आज क्या होगा मेरा। सब छेड़ रही थी।एक बोल रही थी ब्यान खूब मराती दिखे इका तो सब फुलेडा लाग रिये।केवल ब्याहीजी के केला सु मन नहि भरतों दिखे क्यों ब्यानजी कितना डुबकी लगा राखिया है थांका कुंवा में। फिर एक बोली क्यों ब्यानजी गिनती भी है या बिना गिनती के केला खायेडा है। और फिर सब हँसने लगी मेरी तो चुप रहने में ही भलाई थी नही तोएक जवाब के दस उत्तर मिलते फिर भी मैने हिम्मत करके बोला यो तो बस थांका ब्याही के ही केला को कमाल है जिके बाद दूसरा केला की जरूरत ही नी पड़े थे भी चख कर देखजो म्हारा ब्याही का केला ने भी भूल जाओ। ऐसे ही मस्ती मजाक चल रही थी फिर ब्यान बोली आओ ब्यानजी केला से पेली थाने खानों ख़िलावा।खाना हुआ। खाने में भी सब जम के ठूसा मेरे मुंह मे जैसे दो दिन का एक्स्ट्रा में खिला दिया हो मुझे। सब बोल रही थी खालो मेहनत भी तो करनी है अभी।खाने के बाद अब ब्यानजी बोली, ब्यानजी देखो थे तो म्हारे कई कई घुसेडिया कई कई चटाया पूरी रगड़ कर रख दी मंनै पर मैं तो कुछ ज्यादा नी करा ब्यानजी खीरा मोमबत्ती कई नी घुसेड़ा थांके बस थाकि सुहागरात मना रिया म्हारा मर्द मतलब थांका ब्याहीजी के साथ।में तो बस थांके, थांका ही ब्याही को डंडो घुसेड़ा। मैं बोली नही ब्यानजी नहीं, थे कई भी डाल दो लेकिन ब्याहीजी के साथ मत करवाओ पर अब ब्यान कहा मानने वाली थी वो बोली क्यू ब्याही को लेबा में शर्म आ रिये कई। फिक्र मत करो थांके ब्याहीजी को केलो खूब लम्बो चौडो है थांकी खूब चौड़ी कर देइ।चोद चोद बोस्यो बना देइ थांकी रसभरी को।खूब बढ़िया से सुहागरात मनाई।वो सब को बोली कि ब्यानजी ने सुहागरात के लिए तैयार करो और सब मुझ पर टूट पड़ी। अब सब मेरे कपड़े खोलने में लग गयी। रगड़म रगड़ाई शुरू हो गयी मेरी । उनके हाथ अब कहाँ कहाँ पहुच रहे थे मेरे, किसी का हाथ मेरी रसभरी पे था तो किसी का मेरे बोबो पर धीरे धीरे हाथ अंदर बढ़ने लगे पैंटी में ब्रा में । मेरी ब्यान का हाथ मेरी रसभरी के ऊपर था उसकी उंगलियां मेरीरसभरी की फांको को खोल रही थी तो उसका अंगूठा मेरी क्लिट को रगड़ रहा था मैं झटपटा रही थी। पर मै अकेली, ओर वो सब थी फिर किसी ने पूरी उंगली मेरे गांड के छेद में घुसेड़ दी ।आह..ह! नईं … नहीं … ब्यानजी! प्लीज़ नहीं … न … न करो … नई … ईं … ईं … ईं … ईं … ! मेरे पीछे तो दर्द के मारे बुरा हाल था।अब मेरी ब्यान ने भी अपनी दो उँगली मेरी रसभरी में दाल दी। और आगे पीछे करने लगी और मेरी रसभरी भी पनिया गयी में भी चूदासी होने लगी मन कर रहा था कि खुद आगे हो के बोलू ब्यानजी अब मत तड़फाओ ओर चलवा दो ब्याहीजी की जेसीबी ओर करवाडो म्हारी खुदाई ।अब धीरे धीरे मेरे कपड़े खुलने लगे मेरी साड़ी फिर पेटिकोट ब्लाउज अब मैं केवल ब्रा पेन्टी में थी पर वो सब वो भी कहा छोड़ने वाली थी अब ब्रा लास्ट में पैंटी अब मैं बिल्कुल नंगी थी ।मेरी क्लीन शेव रसभरी देखकर ब्यान बोली ब्यानजी तो पूरी तैयार होकर आयी ह चुदबा के लिए ओर सब हँसने लगी।अब ब्यान तेल लेके आयी और अब नंगी करके मेरी तेल मालिश होने लगी। इतना सारा तेल, मालिश तो बहाना थी कोई बोबे दबा रही थी तो कोई मेरी रसभरी मसल रही थी।थोड़ी देर बाद ब्यान बोली ब्यानजी तैयार है चुदबा के लिए और मुझे ऐसे ही केवल एक ओढ़नी में दूसरे रूम में ले गए जो पूरा सजा हुआ था जैसे सुहागरात के टाइम होता है पूरा बिस्तर पे भी पूरे फूल बिखरे थे।मुझे पलंग पे बैठाया ओर मेरी ब्यान बोली ब्यानजी पूरी रात है और थे और थांका ब्याहीजी, मन भर चुदाजो फिर हँसती हुई चली गयी और मेरी हालत ऐसी थी मुंह से आवाज भी नही निकल रही थी।