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Erotica चुदकड ब्यानजी

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सगाई के बाद अब शादी में भी बहुत कम दिन बचे थे और शादी की तैयारियों में लगना पड़ा। हमारे यहाँ शादी पे पहला इन्विटेशन ब्याहीजी ब्यानजी को देते है। तो हम दोनों ब्याहीजी को इनविटेशन देने गए ।मेरी तो फट रही थी जाने में, की मैंने ब्यानजी की इतनी रगड़ाई करी है अकेले में पता नही वो क्या करेंगी।हम पहुंचे मैं ओर मेरी ब्यान दूसरे रूम में थे। आज तो गले लग के राम राम किया पर गांड में उँगली नही की बस सहला कर ही रह गयी वो।ब्यानजी बोल रही थी।आछि रगड़ाई करी ब्यानजी म्हारी दो ब्यान औऱ है म्हारी, जीकी तो खूब ली हु मैं पर थे तो म्हारी ही ले ली । कोई कोणि ब्याना में तो चलती रेवे इसान की।बस ऐसे ही बाते हुई और थोड़ी देर बाद हम निकल गए। मेरी ब्यान ने कुछ नही किया था मेरे साथ। ये तो तूफान के पहले की शांति थी ।ब्यान चुप तो बैठने वाली थी नही वो आज नही तो कल मेरी बजा ने वाली थी।हमारे यहा लड़की की शादी के बाद लड़की की माँ उसे लेने जाती है और कम से कम एक रात तो उसे रोकते है। मुझे भी लग रहा था कि ब्यान उस दिन का इंतजार कर रही है । अब जो भी होगा देखा जाएगा।शादी के फंक्शन शुरू हो गए थे रोज रात को गीत होते थे फिर नाच गाना चलता था खूब मस्ती होती थी।मै ओर मेरी ननद रोज किसी न किसी का घाघरा फाड़ के उसके मजे लेते थे। कभी पड़ोस वाली कभी किसी रिश्तेदार की, एक बार रश्मि भाभी हत्थे चढ़ गई जब हम रात को नाच गाके फ्री हुए रश्मि भाभी जाने लगी। मेरी ननंद ने उसे रोक लिया बोली एक दिन भाईसाहब को केलो नही खाओं तो भी चाली, फिर हम उसे ऊपर छत पर ले गए जहाँ सब साथ मे सोते थे। अब तो पहले उसका घाघरा फ़ाडा फिर पूरी रात उसे नंगी करके उसकी बज्जी लेते रहे। एक बार तो सब ने मिलकर मेरा नम्बर ले लिया जिनकी लीडर मेरी ननंद थी। बोली बेटी की शादी में माँ नंगी नी होइ तो शादी किसान होइ पेहली महाके सामने फिर खुद का ब्याही के सामने । पूरी रात मुझे नंगी करके मस्ती करती रही और सुबह, रात की बाते याद दिलाक़े सब के सामने छेड़ने लगी। शादी की तैयारियों में मैंने भी इतने दिनों से केला नही खाया था। और इनको तो काम से ही फुर्सत नही और घर भी मेहमानों से भरा था कोई चांस नही ओर तो और मेरे नंदोईजी भी अभी तक नही आये थे वो काम की वजह से बाद में आने वाले थे। नही तो उनके नीचे ही आ जाती।कल रात की मस्ती ने मेरी चुदास बढ़ा दी । कल बस उंगलियों से ही छेड़खानी हुई थी। पर मेरा मन तो उसे लेने का हो रहा था जो मेरी ननंद लायी थी, डिलडो। मैंने मेरी ननंद को बताया मेरी ननंद बोली वा भोजाई काल ही तो थारी गीली करी। मैं बोली थे ही उकसाया अब थे ही इलाज करो। अब हम स्टोर रूम में आ गए जहाँ शादी के समान थे। मेरी ननंद उसका हथियार भी लिया। रूम में एक सोफ़ा था हमारी रासलीला वही होनी थी।मैंने बोला ननद बाईजी कोई आ नई जावे। उसने रूम बन्द किया और बोली कोई नी आवे भौजाई तू चुद बा का मजा ले। में सोफे पे लेट गयी मेरी ननंद ने डिलडो सेट किया ओर मेरे ऊपर आ गई मैं बोली बाईजी इसान लग रिये यो थांको ही ह। ओर हम दोनों हँसने लगी। मेरी रसभरी में तो चीटियां काट रही थी। मेरी ननंद ने मेरी चड्डी निकाली और घाघरा ऊपर कर के अपनामुँह मेरे घाघरे में दिया। मेरी ननंद की जीभ मेरीरसभरी पे थी। आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह बाई जी... अह्ह्ह्ह्ह…! कई कर रिया हो। म्हारी तो पेली ही गीली ह अब तो बस यो डाल दो म्हारे। सही में में बहुत चूदासी हो गयी थी।मुझे तो बस वो चाहिए था। पर मेरी ननंद तड़फ़ा रही थी ।अब वो ऊपर आयी और अपना डिल्डो मेरी चूत में डालने लगी।हाँ ... बाईजी. ...डाल दो... इने।मेरी ननंद बोली ठीक ह भाभी थांकी बढ़िया से चुदाई करू। पर गालियां में बात करनी पड़ी लण्ड चुत सब बोलणो पड़ी।हाँ बाई जी सब बोलू थे घुसेडो अब मत तरसाओ थाकि भौजाई ने। ओर धीमे धीमे डिल्डो अंदर जाने लगा डिल्डो था भी लम्बा मोटा नंदोईजी के लण्ड जैसा।औऱ दो चार झटको में डिल्डो पूरा अंदर था। अब मेरी ननंद झटके मार कर मेरी चुदाई कर रही थी।हाँ बाईजी इसान ही करो आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह।कई करू भौजाई पुरो बोल नई तो रुक जाऊ। नही बाईजी मत रुको इसान ही चोदो थांकी भौजाई ने हाँ इसान हि लण्ड डालो थांको।ह..... हाँ … उफ़्फ़ … स्ससह हह हहह … आह चोदो … चोदो … चोददो … चोद ननंदबाईजी जोर जोर से … मार लो म्हारी चूत मैं इतनी चूदासी हो गयी कि कुछ भी अंट शंट बके जा रही थी। और मेरी ननंद धक्के पे धक्के दिए जा रही थी। ल म्हारी भौजाई ल और ल और इसान ही चोदिया नी थारा नंदोई तने इसान ही लण्ड डालिया नी थारे। हाँ बाईजी .....अह्ह्ह्ह्ह…! करो आःह्ह्ह आउच… इसान ही चोदिया मने।इसान ही चुदाई करी थांकी भौजाई की। और चुदाजो नी बाईजी नंदोईजी से। हाँ भौजाई ओर लण्ड घूसेडवाउ थांके। इतनी देर की धकमपेल ओर गंदी गंदी बातो से में झड़ने वाली थी।उफ़्फ़ … स्ससह हह हहह बाईजी हाँ औऱ लण्ड डालो आज तो थांकी भौजाई की फाड् दो।हाँ भौजाई आज चोद चोद कर फाड़ देऊ थारीआज तो भौजाई को बोसडो बना देऊ।आःह्ह्ह आअह्ह हह्हह उफ्फ ओह्ह ह्हह्ह…हाँ बनादो म्हारो बोसडो ओर मेरी ननंद को जोर सेभीचते हुए मेरीरसभरी ने सारा रस निकाल दिया।आआईईई अ...रे...बाईजी चोद दी मनै तो. . .में तो फ्री हो गयी अब मेरी ननंद को फ्री करना था वो भी फुल गर्म हो चुकी थी। मैंने उसके वहा से डिल्डो हटाया औऱ अब मैं उसके घाघरे में घुसी ओर एक दो मिनट की मेरी जीभ की मेहनत ने मेरी ननंद का भी पानी निकाल दिया।हर शाम को हल्दी के टाइम भी मस्ती होती थी दुल्हन को कम और एक दूसरे के घाघरे ओर ब्लाउज में ज्यादा हल्दी लगती थी।अब शादी का दिन भी आ गया धूमधाम से बिटिया की विदाई करी।
अब तीन दिन हो चुके थे अब बिटिया को लाने के लिए मुझे जाना था। डर लग रहा था ब्यानजी से पर जाना तो था ही। मैँ वहा पहुची औऱ वेसे ही ब्यान ओर बाकी सब ने मेरा स्वागत किया गले लग के किसी ने गांड में उंगली करी तो किसी ने बोबे दबाये किसी ने गांड दबाई। स्वागत से ही लग गया कि आज क्या होगा मेरा। सब छेड़ रही थी।एक बोल रही थी ब्यान खूब मराती दिखे इका तो सब फुलेडा लाग रिये।केवल ब्याहीजी के केला सु मन नहि भरतों दिखे क्यों ब्यानजी कितना डुबकी लगा राखिया है थांका कुंवा में। फिर एक बोली क्यों ब्यानजी गिनती भी है या बिना गिनती के केला खायेडा है। और फिर सब हँसने लगी मेरी तो चुप रहने में ही भलाई थी नही तोएक जवाब के दस उत्तर मिलते फिर भी मैने हिम्मत करके बोला यो तो बस थांका ब्याही के ही केला को कमाल है जिके बाद दूसरा केला की जरूरत ही नी पड़े थे भी चख कर देखजो म्हारा ब्याही का केला ने भी भूल जाओ। ऐसे ही मस्ती मजाक चल रही थी फिर ब्यान बोली आओ ब्यानजी केला से पेली थाने खानों ख़िलावा।खाना हुआ। खाने में भी सब जम के ठूसा मेरे मुंह मे जैसे दो दिन का एक्स्ट्रा में खिला दिया हो मुझे। सब बोल रही थी खालो मेहनत भी तो करनी है अभी।खाने के बाद अब ब्यानजी बोली, ब्यानजी देखो थे तो म्हारे कई कई घुसेडिया कई कई चटाया पूरी रगड़ कर रख दी मंनै पर मैं तो कुछ ज्यादा नी करा ब्यानजी खीरा मोमबत्ती कई नी घुसेड़ा थांके बस थाकि सुहागरात मना रिया म्हारा मर्द मतलब थांका ब्याहीजी के साथ।में तो बस थांके, थांका ही ब्याही को डंडो घुसेड़ा। मैं बोली नही ब्यानजी नहीं, थे कई भी डाल दो लेकिन ब्याहीजी के साथ मत करवाओ पर अब ब्यान कहा मानने वाली थी वो बोली क्यू ब्याही को लेबा में शर्म आ रिये कई। फिक्र मत करो थांके ब्याहीजी को केलो खूब लम्बो चौडो है थांकी खूब चौड़ी कर देइ।चोद चोद बोस्यो बना देइ थांकी रसभरी को।खूब बढ़िया से सुहागरात मनाई।वो सब को बोली कि ब्यानजी ने सुहागरात के लिए तैयार करो और सब मुझ पर टूट पड़ी। अब सब मेरे कपड़े खोलने में लग गयी। रगड़म रगड़ाई शुरू हो गयी मेरी । उनके हाथ अब कहाँ कहाँ पहुच रहे थे मेरे, किसी का हाथ मेरी रसभरी पे था तो किसी का मेरे बोबो पर धीरे धीरे हाथ अंदर बढ़ने लगे पैंटी में ब्रा में । मेरी ब्यान का हाथ मेरी रसभरी के ऊपर था उसकी उंगलियां मेरीरसभरी की फांको को खोल रही थी तो उसका अंगूठा मेरी क्लिट को रगड़ रहा था मैं झटपटा रही थी। पर मै अकेली, ओर वो सब थी फिर किसी ने पूरी उंगली मेरे गांड के छेद में घुसेड़ दी ।आह..ह! नईं … नहीं … ब्यानजी! प्लीज़ नहीं … न … न करो … नई … ईं … ईं … ईं … ईं … ! मेरे पीछे तो दर्द के मारे बुरा हाल था।अब मेरी ब्यान ने भी अपनी दो उँगली मेरी रसभरी में दाल दी। और आगे पीछे करने लगी और मेरी रसभरी भी पनिया गयी में भी चूदासी होने लगी मन कर रहा था कि खुद आगे हो के बोलू ब्यानजी अब मत तड़फाओ ओर चलवा दो ब्याहीजी की जेसीबी ओर करवाडो म्हारी खुदाई ।अब धीरे धीरे मेरे कपड़े खुलने लगे मेरी साड़ी फिर पेटिकोट ब्लाउज अब मैं केवल ब्रा पेन्टी में थी पर वो सब वो भी कहा छोड़ने वाली थी अब ब्रा लास्ट में पैंटी अब मैं बिल्कुल नंगी थी ।मेरी क्लीन शेव रसभरी देखकर ब्यान बोली ब्यानजी तो पूरी तैयार होकर आयी ह चुदबा के लिए ओर सब हँसने लगी।अब ब्यान तेल लेके आयी और अब नंगी करके मेरी तेल मालिश होने लगी। इतना सारा तेल, मालिश तो बहाना थी कोई बोबे दबा रही थी तो कोई मेरी रसभरी मसल रही थी।थोड़ी देर बाद ब्यान बोली ब्यानजी तैयार है चुदबा के लिए और मुझे ऐसे ही केवल एक ओढ़नी में दूसरे रूम में ले गए जो पूरा सजा हुआ था जैसे सुहागरात के टाइम होता है पूरा बिस्तर पे भी पूरे फूल बिखरे थे।मुझे पलंग पे बैठाया ओर मेरी ब्यान बोली ब्यानजी पूरी रात है और थे और थांका ब्याहीजी, मन भर चुदाजो फिर हँसती हुई चली गयी और मेरी हालत ऐसी थी मुंह से आवाज भी नही निकल रही थी।
 
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ब्याहीजी के साथ सुहागरात

20201118-233935

ब्याहीजी के साथ सुहागरात


अब रूम में मैं अकेली थी बिल्कुल नंगी बस एक ओढ़नी ओढा रखी थी मुझे। एक अजीब सी घबराहट बैचैनी हो रही थी अब तो ब्याहीजी का भी अंदर जाने वाला था। इसके पहले बस अपने पति और नंदोईजी का ही लिया था। ब्याहीजी तो लगते ही लम्बे चौडे है उनका हथियार ज्यादा बड़ा निकला तो मेरी तो हालत खराब होने वाली थी। ब्यान भी तो बोल रही थी कि खूब लंबा चौड़ा है।।मैने तो बस ब्यान के खीरा मोमबत्ती घुसेड़ी थी पर अब ब्यान अपने पति का मोटा मूसल मेरे अन्दर डलवा के अपना बदला पूरा कर रही थी। अब ब्याहीजी भी अंदर आ गए।पर बाहर से ही उन्हें निर्देश मिल रहे थे कि लाइट ऑफ मत करना औऱ ब्यानजी की रगड़ रगड़ कर लेना,ब्यान को पूरी रात जगाना, ब्यान की चीखें बाहर तक आनी चाहिए। ब्याहीजी ने दरवाजा बंद कर लिया लाइट ऑन थी और मै पूरी नंगी एक ओढ़नी में जिसमे सब कुछ ऐसे ही दिख रहा था।मुझे ऐसी हालत में देख के उनका पोपट भी अपनी उड़ान भरने को तैयार था।ब्याहीजी पास आये मुझे ऐसे देख कर वो भी बेसबरे दिखे उन्होंने पीछे से कमर से पकड़ कर अपनी बाँहो में लिया। मै झटपटाई पर उन्होंने कस के पकड़ लिया। उनकी मजबूत बाँहो में मैं हिल दुल भी नही पा रही थी। मेने बोला ब्याहीजी लाइट।वो बोले जलने दो ब्यान जी फिर थांने किसान देखूं म्हारी लाडकडी ब्यान ने, मैं बुरी तरह शर्मा गयी मुझे असहज देख वो समझ गए और लाइट बंद कर दी।पर एक बड़ी मोमबत्ती जलादि जिसकी रोशनी में हम एक दूसरे को देख पा रहे थे।फिर वापस वेसे ही पकड़ लिया।और बोले राम राम ब्यानजी। मैने भी धीमे से बोला राम राम।वो बोले ब्यानजी आज काई है। मैं कुछ बोल नही पायी फिर वो ही बोलें ब्यानजी आज कुण की सुहागरात ह। मेरे से शर्म के मारे कुछ बोला ही नही जा रहा था। फिर वो बोले कोई बात नही आपा ही मना लेवा। ओर हल्के से मेरी ओढ़नी हटा दी । और मुझे अपनी बाहों में ले लिया अब तो मै पूरी नंगी अपने ब्याही की बाँहो में थी।उन्होंने मजबूती से अपनी बाँहो में जकड़ा था मुझे। उनके सीने के घने बाल मेरे कोमल बोबो पे घिस रहे थे।वे बोले म्हारी जानु ब्यान जबसे तने देखी तबसे ही म्हारो हथियार थाने देखकर सलामी देबा लग जावे। आज इतना दिन बाद मने म्हारी ब्यान मिली ह खूब लाड़ लड़ाऊँ इके।अब उन्होने मुझे लेटाया और खुद के कपड़े खोलने लगे और पूरे नंगे हो गये ।जब उन्होनें अपना अंडरवियर उतारा तब मोमबत्ती की रोशनी में उनका विशालकाय लौड़ा मेरे आंखों के सामने चमक रहा था।मेरी तो देख ते ही फट गई ये तो मेरे पति और मेरे नंदोईजी के बड़े लण्डो से भी बड़ा और मोटा था इसलिए मेरी ब्यान की मार मार कर इतनी ढीली कर रखी ह।अब ब्याहीजी मेरे ऊपर आ गए।अपने दोनों हाथों की उंगलियां मेरे दोनो हाथो की उंगलियों से गुथमगुथा थी।अब उन्होंने अपने होंठो को मेरे होंठो पे रख दिया। ओर बड़े प्यार से चूमने लगे । मेरे होंठो का सारा रस आज ब्याहीजी पी रहे थे। कभी मेरे ऊपर वाले होंठ कभी मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठो के बीच मे रख के ऐसे चूसते जैसे कुछ भी नही छोड़ने वाले आज।उनका ध्यान मेरे होंठों पे था लेकिन मेरा सारा ध्यान तो नीचे था क्योंकि उनका लंबा मोटा मूसल मेरी रसभरी को रगड़ रहा था। सही में कितना बड़ा लग रहा था।।उनका मूसल मेरी रसभरी पर बुरी तरह से गड़ रहा था।उफ़्फ़ … फ़..फ़ … !! आह … !! सस्स … सीईईईई … ! ब्य ... ब्याही ...जी... आह..ह..ह … ह! अब उनका एक हाथ मेरे बूब्स पर था ।जिन्हें अब उनका हाथ सहला के हल्का सा दबा रहा था और मेरे निप्पल को भी अपनी उंगलियों से दबा रहा था।अब मैं भी काफी गरम हो चुकी थी। ब्याहीजी कर भी तो ऐसे ही रहे थे एक साथ वो कई हमले कर रहे थे ऊपर नीचे सब तरफ।तभी उनके होंठ मेरे बूब्स पर आ गए और चूसने लग गए। उनकी जीभ निप्पल पे लगते ही मैँ सिसकी ।आह अह .. ब्याही ...जी... आह..ह..ह … ह! ।पर वो तो अपने काम मे मगन थे।अब वो जैसे आम को दबा कर उसका जूस निकाल कर पीते है वैसे ही मेरेबोबो को चूस कर उनका दुध पी रहे थे । वो अपने एक हाथ से दबाकर मेरा एक बोबा चूस रहे थे तो उनका दूसरा हाथ मेरे दूसरे बोबे को दबा रहा था। उनके दाँतो के बीच जब मेरा निप्पल आता तो मैं दर्द से दोहरी हो जाती ।बस … बस … ना करो … नईं..ईं … ईं … आ … ह … ! आ … आ … आ … ह … आह … !!एक बोबे का पूरा रस निचोड़ कर अब वो दूसरे बोबे पर आ गए। उनकी जीभ मेरे बोबो पर चल रही थी पर असर मेरी रसभरी पर हो रहा था। अब उनका एक हाथ मेरी रसभरी पर था में उनका हाथ हटाने का असफल प्रयास करती रही पर उन्होंने अपने पूरे हाथ से रसभरी को ढंक दिया जैसे गर्म भट्टी पर अपना हाथ सेंक रहे हैं। और अब उनका हाथ उसे धीरे धीरे सहला रहा था। मेरी उतेजना काफी बढ़ गयी पहले तो उनका मूसलचंद, अब उनका हाथ मेरी रसभरी पर। मेरी रसभरी तो पानी पानी हुई जा रही थी। अब मेरे ब्याही ने मेरा एक हाथ पकड़ा और नीचे अपने मूसल पर रख दिया मैंने हाथ हटाना चाहा पर उन्होंने मजबूती से अपना मुसलचंद पकड़ा दिया। गर्मागरम लौड़ा मेरे हाथों में था। इतना कडक हो रहा था पूछो मत । मेरी पूरी मुट्टी में बड़ी मुश्किल से समा रहा था। मेने ब्याहीजी के लौड़े को मुट्टी में भिचना चालू किया , मैं जितना भीचती उतना ही ओर फूल जाता। मैं अब उसे जोर से भीच कर ऊपर नीचे कर रही थी। में इतनी गर्म हो गयी थी उनका मूसल पकड़ के की ऐसा लग रहा था उनका मूसल पकड़ के ही मैं झड़ जाऊंगी।अब वो लेट गये उन्होंने मुझे ऊपर कर दिया और खुद मेरे नीचे आ गए।मैं अब भी उनके लौड़े को मसल रही थी और उनके दोनों हाथ मेरी गांड की दोनो फांको पर थे। वे भी बड़ी बेरहमी से उन्हें मसल रहे थे। उनकी एक उँगली मेरी गांड के छेद के पास थी और धीरे धीरे अंदर जा रही थी। ब्याही ...जी... आह..ह..ह … ह! अटे.... न ना .... करो ..।पर उंगली मेरी गांड के अंदर चली गयी। आःह्ह्ह आउच… ब्याहीजी अब न उनके लौड़े से रहा जा रहा था ना मेरीरसभरी से।। उन्होंने वापस मुझे लेटाया ओर खुद मेरे ऊपर आ गए।अब वो भी मेरी चढाई करने वाले थे। वे अपने मूसल को मेरी चूत की पंखुड़ियों के बीच रगड़ रहे थे। मन कर रहा था बोल दु ब्याहीजी तड़फाओ मत ओर पेल दो थांकी ब्यान की चूत में।अब उन्होने अपने मूसल को सेट किया और उनका मोटा सुपाड़ा मेरी रसभरी के अंदर था। उन्होंने मेरे होंठो पर चुम्मो की झड़ी लगा दी मैं भी उन्हें चूमे जा रही थी। आज वो ही थे मेरी चुत के राजा। वो ही फाड़ने वाले थे मेरी चूत को । अब धीरे धीरे वो अपना खूँटा मेरे अंदर करने लगे । मेरी गीली रसभरी उनके लौड़े के स्वागत के लिए खुल गयी और एक ही झटके में उनका नागराज मेरी चुत की दीवारों से रगड़ता हुआ मेरी चुत में समा गया। अब उनका आधे से ज्यादा लौड़ा मेरे अंदर था।अब एक ओर जोरदार झटके से उन्होने अपना खूँटा मेरे जड़ तक रोप दिया। आआईईई अ...रे...बाई...रे..आआह्ह ह्ह् बचा लो आआह्ह्ह आराम से... अह्ह्ह्ह्ह…! आःह्ह्ह आउच… ब्याहीजी आराम से… दर्द हो.......रियो.. है… आःह्ह्ह आअह्ह हह्हह उफ्फ ओह्ह ह्हह्ह… ओर उनका लंबा मोटा मुसलचंद मेरी रसभरी में गरमागरम एहसास करा रहा था मेरी चुदी चुदाई चुत में भी दर्द का एहसास करा दिया था ब्याहीजी के लौड़े ने।।ब्याहीजी मुझे चुम के बोले म्हारी लाडकडी ब्यान जब से देखियो तब से ही अपना नागराज ने थांके बिल में घुसाबा को सपनो हो आज घुसा ही दियो। मैं भी उन्हें चुम के बोली हा म्हारा ब्याहीजी करलो थानकों सपनो पुरो करलो ।अब वो अपने मूसल को अंदर बाहर करके मेरी चुदाई करने लगे ।उनकी रेलगाड़ी मेरी पटरियों पर सरपट सरपट दौड़ने लगी।जैसे एक गर्म लोहे की रॉड मेरी चुत में अंदर बाहर अंदर बाहर होने लगी।पहले तो उनकी स्पीड नॉर्मल थी फिर उनकी स्पीड बढ़ने लगी। अब तो उनके तेज झटको से मेरी रसभरी में भी हल्का हल्का दर्द होने लगा।पर वो तो दनादन दनादन लंड पेले जा रहे थे। आःह्ह्ह आउच… ब्याहीजी आराम से… आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह आराम से... अह्ह्ह्ह्ह…! आःह्ह्ह आउच…ब्याहिजी आराम से करो थाकि वाली की जीसान फ़ाटेडी थोड़ी है।फिर एक जोर का झटका लगाया ब्याहीजी ने ओर बोले कोई बात नही ब्यानजी थाकि भी फाड् देवा।मेरी रसभरी भी लंड के झटकों से अब गीली हो रही थी।ओर पूरे रूम में फच फच फच की आवाजें औऱ मेरी सिसकारियां ओर पलंग के चर्र चर्र की आवाजें आ रही थी। और बाहर से ब्यानों के हंसी टट्टे की आवाज सुनाई दे रही थी । मेरी ब्यान जो चाहती थी वो ही हो रहा था उनका मर्द मेरी चीखे निकाल कर जोर जोर से मेरी चुदाई कर रहा था।
ब्याहीजी एक हाथ से मेरा बोबे दबाकर लंड पेल रहे थे औऱ मुझे चुम रहे थे। मैं भी उनकी पीठ में नाखून गड़ो रही थी उनके बालो में हाथ फेर रही थी और अपनी हो रही चुदाई के मजे ले रही थी। अब मेरी रसभरी जो पहले भी धीमे धीमे अपना रस छोड़ रही थी अब वापस अपना फवारा छोड़ने को तैयार थी । आख़िर में मेरी रसभरी ने ब्याहीजी के लंड के आगे घुटने टेक दिये।और ब्याहीजी को जोर से हग करके मेने सारा रस निकाल दिया।. . . आआईईई आआह्ह ह्ह् म्हारा ब्यहिजी आआह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह…! कांई कर दिया आःह्ह्ह आःह्ह्ह अब तो मानो आअह्ह हह्हह उफ्फ ओह्ह ह्हह्ह। ब्याहीजी अभी भी पेले जा रहे थे।फ़चक … फ़च … फ़चक … फ़च.. फ़चक … । मेरी गीली चुत में ब्याहीजी का लौड़ा गचागच गचागच अंदर हो रहा था। बीच बीच मे ब्याहीजी एक जोर का झटका लगाते ओर उनका मूसल मेरी रसभरी की गहराइयों को चीरता औऱ मैं चीख उठती आआईईई अ...रे...ब्याही . . . रे. ...रे..आआह्ह ह्ह् आआह्ह्ह आराम से... अह्ह्ह्ह्ह…! करो आःह्ह्ह आउच… ब्याहीजी आराम से… करो। ओर लगभग 20 मीनट की जोरदार चुदाई हो चुकी थी।अब ब्याहीजी ओर ज्यादा जोर से चोद रहे थे पूरा रूम चुदाई की मादक आवाजो से गूंज रहा था। टप्प … टप्प … टप्पा … टप्प टप्प … टप्प … टप्पा … टप्प! टप्प … टप्प … टप्पा … टप्प! उनके हरेक झटको के साथ ये आवाजे ओर बढ़ रही थी।ब्याहीजी का लंड दर्द और मजा दोनो दे रहा था।मैं भी मस्ती में बड़बड़ाने लगी ब्याहीजी ह..... हाँ … उफ़्फ़ … स्ससह हह हहह … आह हाँ इसान …औऱ … हाँ … जोर से … मार लो मैदान कर लो किलों फतेह ।अब मैँ भी अपनी गांड उठाकर अपने ब्याही के हर झटके का जवाब दे रही थी आअहह…….हाइईईईईई….मैय्ाआ…. उफफफ्फ़…ये कर डॅलायया…. अब ... ऐसी.. हीईिइ…अब ब्याहीजी का हरेक झटका सीधे मेरी बच्चेदानी पे चोट कर रहा था। मैं दर्द से पागल हुई जा रही थी।आईईईई….माआ.. आहह….हाईए….ब्याहीजी. धीरी…प्लीज़….बस करो..उईई…माआ….में तो गाइिईईईईईईई…रीई….ब्याहीजी ने 5,6 जोरदार झटके लगाए ओर अपना गरमागरम माल मेरी रसभरी में छोड़ दिया। ऊहह… म्म्माआ… मार्र..डाल्लाअ…उउउफफफ्फ़…आहह…!उनके साथ ही में भी वापस झड़ गयी ब्याहीजी ने तो पूरा बदन तोड़ के रख दिया था। पर अभी तो पूरी रात बाकी थी। अभी तो और चुदाई बाकी थी।
 

Mass

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Super update...thanks..looking forward to reading the next part soon..hope to get an early update...thank you.
 
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