और ब्यान जी का गालियों से स्वागत किया मेरी ननद ने गीतों में गालियां देनी शुरू की। बोली,
ब्याहीजी वाली न मोरयो लेग्यो, बागां में जार पफेड़ी र
हां बागां में जार पफेड़ी र।
खेत-खेत का चणा रुखाल्या पालर पाणी पीदो रे हां पालर पाणी पीदो रे
बारा बारा बरसा परणया क रहगी तो ही ठालड़ रेगी र, हां तो ही ठालड़ रेगी र
एक रात म्हारा खसम क रहजा झटपट लालो लेजा ये, हां झटपट लालो ले जा ये
काणी छोरी हो तो थारी जेलू भूर्यो बेटो हो तो मारो ये, हां भूर्यो बेटो हो तो मारो ये।
एक रात म्हारा खसम क रहजा झटपट लालो लेजा ये, हां झटपट लालो ले जा ये।
ब्यानजी से मस्ती तो चालू थी। साथ मे सगाई का प्रोग्राम भी चालू हो गया था। रिंग सेरेमनी हुई। फिर खाने का प्रोग्राम । अब हम सब ब्यानजी की मनुहार करने लगे खाने की। मैने सबसे पहले पहले एक बड़ा गुलाब जामुन
उनके मुंह मे ठूस दिया वो अंदर नही गया उसके पहले ही दूसरा भी ठूस दिया। अब तो ब्यानजी का मुंह पूरा भर गया कुछ बोला क्या कुछ निगला भी नही जा रहा था। पास में से कोई बोली ब्यानजी मोटा मोटा लॉलीपाप लियेड़ा हैं मुंह मे ये तो आराम से कहा ले ई । ओर सब हँसने लगी । फिर सबने कुछ न कुछ खिलाके ब्यान की मनुहार की।
मेरी ननद कहा कम थी वो ब्यानजी के पेटिकोट में हाथ डालकर उनकी रसभरी पर गुलाब जामुन लगा कर बोली ब्यानजी आता से मीठो मुंह करलो। पास में से कोई बोली अटे तो मोटा मोटा मूसल सु मीठो मुंह करे ब्यानजी। खाने
के टाइम भी बहुत छेड़ा ब्यानजी को चैन से खाना भी नही खाने दिया खूब मस्ती की। अब सोने की बारी थी सब जेंट्स को ऊपर छत पर सुला दिया उनके साथ आई रिश्तेदार औरतों को पास के कमरे में सुलाया पर केवल ब्यानजी
के लिए सोने की अलग व्यवस्था थी। केवल उन्हें हमारे पास सुलाया ताकि रात भर उनकी रगड़ाई कर सके। एक बड़े डबल बेड पर में मेरी ननद ओर बीच मे हमारी नई ब्यान थी और कमरे में मेरी 5,6 रिश्तेदार थी हम 7,8 थी और मेरी
बयान अकेली।अब धीमे धीमे ब्यानजी से हंसी मजाक होने लगी मेरी ननद ने ब्यानजी की रसभरी को सहला के पूछा
ब्यानजी कितना को घोंटी या। ब्यानजी थोड़ी देर चुप रही तो दूसरी बोली ब्यानजी गिन रिये कितना को ली है और फिर सब हँसने लगी। अब हमें मैन काम करना था क्योंकि फ्री होते होते वेसे ही बहुत टाइम हो गया था। अब मैने बोला ब्यानजी गर्मी हो री होइ लाओ थाका कपड़ा उतार देवा।मेरी ननद बोली भोजाई पहली ब्यान है कपडा उतारा कोनी फाड़ा। ओर अब ब्यानजी कस वस्त्रहरण चालू हो गया। पहले ब्यानजी की साड़ी खुली ।ब्यानजी ने भी काफी बचाव किया पर वो अकेली थी उनका बस कहा पे चलता। अब मेरी ननद ने सीधे उनके पेटिकोट में हाथ डालके उनकी चड्डी को खीच के बाहर निकाल दिया और उनके सामने ही उनकी चड्डी फाड् दी जैसे कह रही हो कि जैसे उनकी चड्डी फटी है वैसे उनकी भी फटने वाली है। अब ब्यानजी छटपटाने लगी पर एक हाथ से मैने उनकी पेटिकोट की दरार को पकड़ा और दोनों हाथों से जोर लगा के उनके पेटिकोट को चर्र की आवाज के साथ फाड् दिया। अब बेचारी ब्यान केवल ब्रा में थी अब ओर अपने दोनों हाथो से अपनी रसभरी को हमसे छुपा रखा था। ओर बोल रही थी। ब्यानजी मानो कई इज्जत लूट री हो म्हारी।पर आज तो ब्यानजी की इज्ज़त तार तार होने वाली थी। अब ब्यानजी की बची ब्रा भी हमने फाड् दी। अब हमारी नई ब्यान हमारे सामने पूरी नंगी थी। अब कोई ब्यान की गांड में उंगली कर रही थी तो कोई उनके बोबे दबा रही थी। और उन्हें बोल रही थी कितनो से डब्वाया है जो इतने मोटे मोठे हो गये। अब एक तरफ में एक तरफ मेरी ननद ओर बीच मे मेरी ब्यानजी। ब्यानजी का एक बोबा मेरे मुंह मे तो एक मेरी ननद के, दोनों उनके बच्चो जैसे दूदू पी रहे थे। और हमारे पड़ोस में रहने वाली रश्मि भाभी उनकी टाँगों के बीच
उनकी रसभरी को अपनी उंगली से चोद रही थी।