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Incest चुदक्कड़ गाँव की रासलीला

Nasn

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update 19

रामू के लन्ड के झटकों से चंपा की चूत इतनी चिकनी हो गई थी कि हर धक्के के साथ फच फच की आवाज आ रही थी काफी समय तक रामू चंपा को चोदता रहता है , चंपा थक जाती है और एक बार झड़ जाती है

चंपा - आह रामू थोड़ा आराम करने दे मार देगा क्या ? आह

रामू - आह आह करके दो चार धक्के देता है और चंपा के ऊपर ढेर हो जाता है

चंपा की चूत से दोनों के प्रेम रस बेहने लगते हैं

चंपा रामू के बाल सहलाते हुए - बड़ा जानदार है रे तू रामू , चल अब जा यहां से मुझे भूख लगी है

रामू - इतनी जल्दी ! चल पहले मेरा लन्ड चूसके खड़ा कर मुझे एक बार फिर से तेरी सुराख भरनी है

चंपा बहुत चुदासी औरत थी वो थकने वालो में से नहीं थी

चंपा - अच्छा ठीक है देखती हूं कितना दम है तेरे लन्ड में

रामू - बहन की लौड़ी , दम की बात करती है , काफी दिनों से तेरी फुरसत से चुदाई नहीं हुई , साली अब देख तेरा क्या हाल करता हूं

ऐसा बोलते ही रामू अपना लन्ड चंपा के बालों को पकड़ के उसके मुंह में ठूंस देता है और चंपा बड़े ही चाव से उसका लन्ड चूसने लगती है फिर धीरे धीरे रामू का लन्ड फिर से कड़ा होने लगता है रामू के लन्ड से चंपा की चूत कि खुशबू आ रही थी जिसकी वजह से चंपा की चूत के दोनों होंठ लपलपा रहे थे

रामू चंपा को अपनी गोदी में उठाकर बिस्तर पर घोड़ी बना देता है

चंपा - रुक जा रामू क्या कर रहा है , ऊपर आ ना

रामू - चुप साली रण्डी , काम पीछे का है

चंपा - नहीं नहीं रामू देख ऐसा मत कर । वहां बहुत दर्द होता है मर जाऊंगी मैं

रामू चंपा की गान्ड पर हल्के हल्के थप्पड़ मारकर मसलते हुए कहता है - साली पहली बार ले रही है क्या ! खेतों में कितनी बार तेरी गान्ड मार चुका हूं फिर भी इतने नखरे दिखा रही है

चंपा - आह आह नहीं आह

रामू के थप्पड़ अब चंपा की गान्ड पर कुछ ज़्यादा ही जोर से पड़ने लगे थे जिससे उसके चूतड़ लाल हो जाते हैं वो अब मना तो नहीं कर रही थी बस सिसकियां भर रही थी

रामू अपनी दो उंगलिया चंपा की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगता है जिससे वो चिपचिपी हो जाती है और फौरन वो उन्हें पीछे से चंपा की गान्ड में घुसाने लगता है चंपा का मुंह खुलता चला जाता है और गान्ड की सुराख भी

चंपा - आह रामू मेरे राजा मत कर , रात भर खड़ा करके मार मेरी चूत मै कुछ नहीं बोलूंगी पर गान्ड में मत दाल रामू आह

रामू की दोनों उंगलियां अब जोर जोर से जल्दी जल्दी चंपा की गान्ड में अंदर बाहर होने लगती है और चंपा की सुराख खुलती चली जाती है

चंपा किसी तरह रामू की दो उंगलियों को बर्दाश्त कर रही थी पर रामू बिना कोई चेतावनी दिए ही अपने लन्ड का सूपड़ा चंपा की गान्ड के छेद पर लगा देता है और अपनी उंगलियां बाहर खींचकर अपने लन्ड को अंदर की तरफ पेल देता है

चंपा - आह हरामजादे मर गई रे

चंपा चीख पड़ती है उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं पर बेरहम रामू नहीं रुकता वो अपने लुनद को और गहराई में उतारता चला जाता है

रामू अपने लन्ड को बाहर खींच के अंदर की तरफ ठोक देता है और फिर चंपा की गान्ड मारने लगता है रामू जानता था कि ये साली पहले बहुत चिल्लाती है पर जब इसकी गान्ड एक बार अच्छे से खुल जाती है तो और मारने के लिए कहती है

चंपा धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी जोर जोर से चीखने वाली चंपा की आवाज अब सिसकियों में बदल गई थी

चंपा अपनी कमर को और पीछे करके - आह आह मां करके सिसक रही थी , रामू का हर धक्का उसको आगे की तरफ धकेलता पर वो फिर से अपने गान्ड उछालते हुए पीछे की तरफ हो जाती

रामू की रफ्तार अब बढ़ती जा रही थी , रामू आगे की तरफ झुककर चंपा की बड़ी बड़ी चूचियों को पीछे से अपने हाथों में थामकर सटासट अपना लन्ड चंपा की गान्ड में घुसाता चला जाता है - आह मेरी जान चंपा तेरी चूत से ज़्यादा गरम और नरम तो तेरी गान्ड है बहुत मज़ा आ रहा आह ये ले ।

चंपा - आह आह मार ले। मेरे राजा मै तुझे अपना सब कुछ दे चुकी हूं कभी भूलना मत मुझे , अपनी चंपा को ऐसे ही प्यार करना , नहीं रह पाऊंगी मै तेरे लन्ड के बिना आह

रामू का लन्ड चंपा की गान्ड में तूफान मचाने लगता है कुछ समय बाद वो हांफते हुए चंपा की गान्ड में झड़ने लगता है और झड़ने के बाद वो अपने लन्ड को गान्ड से बाहर खींचता है , चंपा की गान्ड की सुराख रामू के प्रेम रस से भरी हुई थी और चंपा बेहोश होके बिस्तर पर पड़ी हुई थी। रामू अपने कपड़े पहन कर चंपा को सीधा करता है और उसके होंठों को चूम कर अपने घर की तरफ निकल जाता है
Excellent update
 

Tyler herro

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Update 20

सुबह रामू करीब ७ बजे सो के उठता है और नहा धोकर नाश्ता करने आंगन में आता है तो देखता है कि सविता के चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे और बेला भी बड़ी उदास दिखाई दे रही थी

रामू - क्या बात है मां आप दोनों इतनी उदास क्यों दिखाई दे रही हो?

सविता - रामू तेरे मौसा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई है अभी सुबह - सुबह तेरी धन्नो मौसी का फोन आया था , मेरा मन बड़ा घबरा रहा है

रामू - आप चिंता क्यों करती हो मां मै आपको धन्नो मौसी के घर छोड़ आता हूं आपको उनसे बात करके अच्छा लगेगा

बेला - हां मां रामू सही बोल रहा है आप एक बार हो आओ धन्नो मौसी के घर।

सविता - तू भी चलेगा मेरे साथ मै अकेली नहीं जाऊंगी ।

रामू - अच्छा ठीक है पर कितने दिन रहना पड़ेगा?

सविता - १ हफ्ता कम से कम ।

रामू कुछ सोचता है - अच्छा ठीक है पर खेतों का ध्यान कौन रखेगा इतने दिन ?

बेला - तू अपने दोस्त जग्गू से बोल दे ना वो रख लेगा अपने खेतों का ध्यान बस ७ दिन की ही तो बात है

रामू - ठीक है और बेला तू भी चलेगी ना धन्नो मौसी के घर ?

बेला - अरे रामू मै क्या करूंगी वहां जाकर मेरा मन नहीं लगेगा

रामू गुस्से में - यहां अकेली रह के क्या करेगी।

बेला नाराज़ होती हुई - ठीक है

सविता - बेला अपने कुछ कपड़े रख ले और रामू के भी रख लेना

रामू - बस मुझे थोड़ा समय दो मां मै अभी आया फिर हम धन्नो मौसी के घर निकलते है

सविता - कहां जा रहा है ?

रामू तबतक निकल जाता है और सीधा वो हवेली पहुंचता है सेठ हीरालाल हुक्का पी रहा था

रामू - मालिक मुझे कुछ दिन की छुट्टी चाहिए

हीरालाल - काम करते हुए तुझे एक हफ्ता नहीं हुआ तू छुट्टी मांगने लगा

रामू - मालिक मौसा जी की तबीयत बहुत खराब है इसलिए जाना जरूरी है

हीरालाल - ओह वो प्यारेलाल है ना तेरा मौसा

रामू - आपको कैसे पता मालिक ?

हीरालाल - वो तेरे बाप मुरली का चेला था , वो मेरे यहां ही काम करता था जब तेरे बाप की मौत हुई थी तब उसने काम करना छोड़ दिया था , अच्छा तुझे कितने दिन की छुट्टी चाहिए ?

रामू - मालिक बस ७ दिन की

हीरालाल - ठीक है

रामू - शुक्रिया मालिक

फिर रामू वहां से अपने घर की तरफ निकल जाता है और घर आते वक़्त वो जग्गू को भी बोल देता है कि ७ दिन तक वो उसके खेतों का भी ध्यान रखे

रामू जब घर पहुंचता है तो सविता आंगन में एक बक्सा लेके बैठी हुई थी और बेला के हाथ में एक बैग था

सविता - कहां गया था लल्ला?

रामू - ये बस की टिकट लेने गया था आपने सामान रख लिया ना मां

सविता - हां लल्ला

रामू - चलो चलते हैं मां

फिर रामू , ब्ला और सविता घर में ताला लगाकर बस स्टैंड की तरफ निकल जाते हैं

करीब २ घंटे बाद वो धन्नो के गांव पहुंचते है और देखते ही देखते सभी धन्नो के घर पहुंच गए

रामू बाहर से दरवाज़ा खटकाता है कुछ समय बाद अंदर से धन्नो दरवाज़ा खोलती है

धन्नो के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा हुआ था और बाल भी बिखरे हुए थे , ऐसा लग रहा था कि उसकी किसी ने ज़बरदस्त चुदाई की हो

सविता - क्या हुआ दीदी ऐसे क्या देख रही हो !

धन्नो - कुछ नहीं सविता। तुमने बताया नहीं की तुम लोग आज ही आने वाले हो ?

सविता - दीदी सब इतनी जल्दी जल्दी में हुआ की समय ही नहीं मिला कुछ बताने का।

धन्नो - कोई बात नहीं अंदर आ जाओ।

(Update १२ dhanno ke pariwar ka introduction hai padh lena)

फिर तीनों अंदर आते हैं

धन्नो रामू को देखकर बोलती है - अरे रामू कितना बड़ा हो गया है तू

रामू मन में सोचता है - मौसी तू भी अपनी ढलती उम्र में और भी जवान होती जा रही हाई

रामू फिर धन्नो की बड़ी बड़ी चूचियों को घूर घूर कर देखने लगता है

धन्नो रामू की नजरों का पीछा करके भाप लेती है कि रामू की नजर उसकी चूचियों पर है

तभी रसोई से घर की बहू लता चाय लेकर आती है

रामू - नमस्ते भाभी जी

लता - नमस्ते देवर जी ऐसा कहकर लता साइड में खड़ी हो जाती है और अपने पल्लू से अपना सर ढक लेती है

धन्नो गुस्से में - ये क्या है बहू , तुम्हे पता है ना रामू चाय नहीं पीता , जाओ उसके लिए गरम दूध लेकर आओ

लता - माफ करना मां जी , मै अभी लेके आती हूं

रामू - कोई बात नहीं भाभी मैं चाय ही पी लूंगा

धन्नो - यहां क्यों खड़ी है घर के काम कर , इतने काम पड़े हैं कौन करेगा ! तेरा बाप

लता फिर सीधे रसोई में घुस जाती है

सविता - क्या बात है दीदी आप इतना चिल्ला क्यों रही हो बेचारी पर।

धन्नो - बेचारी और ये, कोई बात नहीं है मेरी बन्नो तू इन सबमें मत पड़

फिर रामू सविता और बेला प्यारेलाल (धन्नो का पति) से मिलते हैं , प्यारेलाल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी उसको लकवा मार गया था जिसे उसके कमर से नीचे का शरीर बिल्कुल भी काम नहीं करता था वो लोग उससे मिलते है और बातों ही बातों में शाम हो जाती है

फिर घर की औरतें मिलकर रात का खाना बनाती है और रामू अपने बड़े भइया भीमा से मिलने उसके कमरे में आ जाता है भीमा सोकर उठा ही था

रामू - प्रणाम भईया

भीमा - अरे रामू तू कब आया?

Continues....
 
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Update 21

गांव में जग्गू अपने और रामू के खेतों का ध्यान रख रहा था तभी उसको सामने से ज़हीर आता हुआ दिखा।

जग्गू - क्यों बे भड़वे कहां था इतने दिन ?

ज़हीर - मेरे मामू की शादी थी ना

जग्गू - ओह अच्छा और सुना तेरी बहन लुबना कैसी है ?

ज़हीर - तुझे क्या करना कैसी भी हो

जग्गू - सच बोलूं तो बड़ी चिकनी दिखती है तेरी बहन लुबना , बचपन में छुपा छुपी के खेल में मैंने उसको कसके निचोड़ा है पता नहीं उसको याद भी होगा कि नहीं

ज़हीर - ये क्या बक रहा है तू जग्गू

जग्गू - ये सब छोड़ तू ये बता तूने कोई लड़की पटाई गांव में या नहीं

ज़हीर - माल तो एक से एक हैं गांव में पर कोई भाव नहीं देता।

जग्गू मन में - हां सले तेरी बहन लुबना भी कोई कम नहीं है किसी से , साली एक बार दे दे तो मज़ा आ जायेगा

ज़हीर - क्या सोचने लगा जग्गू ?

जग्गू - कुछ नहीं , वैसे तू क्या करेगा लड़की पटाकर , तुझे तो हम जैसे लडके पसंद है

ज़हीर - हां वो बात भी है जग्गू और ऐसा कहती ही ज़हीर जग्गू क्की जांघ सहलाने लगता है

जग्गू ज़हीर की कमर पर हाथ फेरने लगता है - आज बड़ा दिल कर रहा है ज़हीर

ज़हीर - रामू का खेत पास में है अगर वो आ गया तो हम दोनों की गान्ड मार लेगा

जग्गू - वो सात दिन बाद आएगा , रामू अपनी मौसी के घर गया है

ज़हीर जग्गू की बात सुनके खुश हो जाता है फिर वो दोनों झोपडी में आ जाते हैं

ज़हीर - जल्दी करना जग्गू नहीं तो अम्मी मुझे ढूंढते हुए यहां आ जाएगी और धीरे करना बहुत दुखता है जग्गू

जग्गू - साले नाटक तो ऐसे कर रहा है जैसे तेरी बहन की चूत मांग रहा हूं

फिर जग्गू ज़हीर को अपनी तरफ खींच के झुका देता है

ज़हीर का दिल बहुत जोर से धधकने लगता है पिछले साल शुरू हुए ये खेल अब जग्गू के लिए आए दिन का खेल हो चुका था , बेला जग्गू को देने को तैयार नहीं थी तो जग्गू को ज़हीर से ही काम चलाना पड़ता था और ज़हीर था भी लड़की जैसा गोरा सा बदन , पतली सी कमर और नाजुक नाजुक हाथ

जग्गू भले ही बेला से सच्चा प्यार करता था पर जग्गू की नजर बड़े समय से ज़हीर की बहन लुबना पर भी थी जग्गू सबसे पहले ज़हीर को अपनी उंगली पर नचाना चाहता था वो जानता था कि अगर ज़हीर उसकी मुट्ठी में आ गया तो एक दिन उसकी बहन लुबना भी उसके नीचे आके पीस जाएगी , जग्गू को बेला दे नहीं रही थी इसलिए वो ज़हीर की बजाता रहता था

यहां माहौल कुछ ऐसा बन गया था

ज़हीर - आह आह जग्गू जाने दे ना अब । कोई देख लेगा आह धीरे कर उह आह

जग्गू - देखने दे कुछ नहीं होता । मेरे खेतों में कोई नहीं आता

ज़हीर - आह जग्गू बहुत दर्द होता है तेरे बहुत बड़ा है आह

जग्गू - आह साले लेते समय अपनी गान्ड तो ऐसे हिला रहा है जैसे और जम के लेना हो तुझे

जग्गू फिर जोर जोर से दस बारह धक्के लगाता है और झड़ जाता है

फिर जहीर जल्दी से अपनी पैंट पहनता है और लड़खड़ाते हुए अपने घर की तरफ चल देता है

जग्गू हस्ते हुए - अबे साले ठीक से तो चाल

ज़हीर कुछ नहीं बोलता और बोलने की हालत में भी नहीं था। ज़हीर लड़खड़ाते हुए कुछ दूर पहुंचता है कि तभी उसको गन्ने के खेत से अजीब सी आवाज आती है वो आवाज ज़हीर को जानी पहचानी सी लग रही थी इसलिए ज़हीर बिना कोई आवाज किए दबे पांव गन्ने के खेत में घुस जाता है और उस आवाज का पीछा करने लगता है
 
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Update 22

ज़हीर जैसे जैसे आवाज का पीछा करते जा रहा था वैसे वैसे उसको वो आवाज जानी पहचानी सी लगने लगी थी

ज़हीर ने गन्नों के पीछे छुपकर देखा तो हरिया चाचा खड़ा अपनी धोती में से लन्ड को बाहर निकाले हुए सामने खड़ी उसकी अम्मी रुबीना से बातें कर रहा था

जहीर की तो पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई उसको यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी अम्मी बेशरम होके हरिया का लंड देखते हुए उससे बातें कर रही थी

हरिया - देख कैसे डंडे की तरह खड़ा होकर तेरी मस्तानी चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा है ये

रुबीना - बेशरम कहीं के चल जा यहां से । वैसे भी आज सारा दिन मुझे अकेले ही काम करना है वहां ज़हीर अलग बीमार पड़ गया है

हरिया - रुबीना मै तेरा सारा काम कर दूंगा बस एक बार अपनी ये मस्तानी चूत चटा दे मुझे

रुबीना का चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था और वो अपनी सलवार समेटकर चारा काटने में लग गई और हरिया अपना लंड खोलकर उसके सामने बैठ गया

रुबीना मंद मंद मुस्कुराती हुई - हरिया बहुत काम है मुझे , क्यों मेरे पीछे पड़ा है

इधर ज़हीर को बड़ा ही अजीब लग रहा था उसके हाथ अपने आप उसके लौड़े तक पहुंच गए थे ये उसके लिए एक नया एहसास था

हरिया - मैंने बोला ना मेरी बेगम तेरा सारा काम कर दूंगा

हरिया के मुंह से बेगम शब्द सुन रुबीना के नीचे वाले होंठ फड़फड़ाने लगे

रुबीना - तू जा यहां से हवेली की रंडियों को चोद मेरे पास क्यों आया है

हरिया - ओह तो ये बात है मेरी बेगम को जलन हो रही है अरे मेरी बेगम रानी हवेली की नौकरानियों में वो बात कहां जो तुझमें है

रुबीना - अब ज़्यादा मक्खन मत लगा नासपीटा कहीं का , हफ्ते भर बाद तुझे मेरी याद आती है

हरिया - हवेली में बहुत काम होते है मुझे , इसलिए तेरे लिए समय नहीं निकाल पाता

रुबीना - ऐसा क्या काम है तेरे लिए जो मुझसे भी जरूरी है

फिर रुबीना उठकर जाने लगती है तभी हरिया पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसको घास में गिरा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है

हरिया - अरे मेरी रण्डी बेगम तू फिकर मत कर । आज तुझे खेतों और गन्नों के बीच पूरी नंगी रखूंगा और सारा दिन तेरी चूत मारूंगा , ऐसा कहते हुए हरिया रुबीना की बड़ी बड़ी चूचियों को उसकी कमीज़ के ऊपर से ही मसलने लगता है

रुबीना - आह उह छोड़ कमीने कोई देख लेगा आह

इधर ये सब देखकर ज़हीर की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उसको अपना लन्ड बाहर निकले बिना रहा नहीं गया

हरिया - चुप साली बड़े नखरे दिखा रही है ज़्यादा नखरे दिखाए ना तो कभी नहीं आऊंगा फिर मेरे लन्ड को याद करके अपने भोसड़े हो शांत करते रहना।

रुबीना - ऐसा मत बोल कमीने , एक तो वो मौलाना किसी काम का नहीं और अब तू भी ऐसे बोल रहा है

और ऐसा बोलते ही रुबीना ने अपने गुलाबी होंठ हरिया के काले होंठों पर रख दिए , दोनों एक गहरे चुम्बन में खो गए

हरिया - उम्माह, ये हुई ना बात अब चल अपने धंधे पर लग जा

हरिया की बात सुनकर रुबीना एकदम से उठी और हरिया की लंड को झुककर अपने मुंह में भरकर चाटने लगी , रुबीना उसके आंडों को खूड कस कसकर दबाते हुए उसके लन्ड के सूपड़े को चूसने लगी

हरिया उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कसकर मसल रहा था और एक हाथ से रुबीना की सलवार नीचे करके उसकी गान्ड की गुदा में अपनी उंगली डालकर कुरेदने लगा

ज़हीर की अम्मी रुबीना की गान्ड एकदम ज़हीर के मुंह के तरफ थी और उसकी फैली हुई गुदाज गान्ड और उसका भूरा छेद देखकर ज़हीर का लन्ड झटके देने लगा

हरिया ने रुबीना का सलवार खोलकर उसके मोटे मोटे दूध को दबाते हुए चूसना और चूसते हुए दबाना शुरू कर दिया

रुबीना अपने हाथों से हरिया के गोटे दबा दबाकर खेल रही थी और उसके मोटे काले लंड को बड़े चाव से चूस रही थी

तभी हरिया ने रुबीना के बालों के पकड़कर उसको घास पर लेटा दिया और फिर उसकी मोटी जांघों को फैलाकर चूम लिया

जैसे ही हरिया ने रुबीना की चूत का चाटना शुरू किया तो रुबीना तड़प उठी और उठकर उसने हरिया के लंड को अपनी चूत के छेद से भिड़ा दिया

हरिया ने बिना कुछ बोले कसकर एक झटका मारा और उसका पूरा लंड सटाक से रुबीना की गुलाबी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक समा गया , रुबीना ने हरिया को अपनी बाहों में दबोचकर उसके लन्ड की ओर अपनी चूत को जोर से उठा दिया , रुबीना की इस हरकत से हरिया का लन्ड उसकी चूत में पूरी तरह फिट हो गया , हरिया रुबीना की बड़ी बड़ी चूचियों को कस कसकर दबाते हुए उसकी चूत को ठोकने लगा

इधर अपनी अम्मी रुबीना को हरिया चाचा से चुदाते हुए देखकर ज़हीर ने अपने लंड को जोर जोर से हिलाने लगा वो अब झड़ने के बिल्कुल करीब था

रुबीना अपनी गान्ड उठा उठकर लंड ले रही थी और हरिया खूब उचक उचक्के रुबीना की चूत ठोक रहा था रुबीना का भारी भरकम बदन हरिया के बदन से चिपका हुआ था जब हरिया रुबीना की चूत ठोकता तो रुबीना की जांघो के बीच से थप थप की आवाज आने लगती , हरिया पूरी ताक़त से रुबीना की चूत चोद रहा था और रुबीना आह आह करती हुई खूब कस कसकर अपनी चूत मरवा रही थी हरिया के लंबे लंड से।

इधर ज़हीर आह आह करते हुए पूरी ताकत से अपना लन्ड हिलाने लगा अपनी अम्मी को चुदाते हुए देखकर और आखिर में झड़ ही गया और अपनी पैंट ऊपर करके वहां से भागकर अपने घर आ गया

उधर रुबीना से भी रहा नहीं गया। हरिया ने रुबीना की चूत को बहुत बुरी तरह रौंद दिया था

रुबीना - आह हरिया अपना लंड निकाल मै झाड़ने वाली हूं आह

हरिया ने जैसे ही अपना लन्ड बाहर निकाला तो उसकी चूत का सारा रस हरिया के लंड पर फ़ैल गया

हरिया - चल साली अब मुझे भी ठंडा कर जल्दी से

रुबीना जल्दी से अपने घुटनो के बल बैठ गई और हरिया के लंड को अपनी दोनों मुट्ठी में पकड़कर जोर जोर से हिलाने लगी और उसके लन्ड के सूपड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी

हरिया - आह आह बेगम रानी बस आह मै गया आह

हरिया हाफ्ते हुए रुबीना के मुंह में झड़ने लगा और झड़ने के बाद वो आके रुबीना के बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूम लिया

हरिया - मज़ा आया ना मेरी रानी

रुबीना - हां बहुत पर !

हरिया - पर क्या ?

रुबीना - मुझे ये मज़ा रोज़ चाहिए

हरिया - मेरी रानी बेगम कुछ दिन रुक जा फिर तुझे ये मज़ा रोज़ मिलेगा

रुबीना - रहने दे हरिया तू बस बोलता रहता है

हारिया - मै जल्दी ही कुछ बड़ा करने वाला हूं

रुबीना - क्या ? ये बात तुम बहुत सालों से बोल रहे हो कुछ होता तो तुझसे है नहीं

हरिया - बस जल्दी ही वो समय आने वाला है जब मै हवेली का मालिक बन जाऊंगा

रुबीना की तो जैसे पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई हरिया के मुंह से ये बात सुनकर

रुबीना - कैसे ?

हरिया - जागीरदार और उसके परिवार को ज़िंदा जलाके और कैसे। हाहाहा

रुबीना - क्या ? हरिया तू पागल हो गया है क्या , ये बात किसी को पता चल गई तो गांव वाले तुझे ज़िंदा जला देंगे

हरिया - ये काम मै नहीं करूंगा मेरी रानी

रुबीना - तो कौन करेगा ?

हरिया - ये काम रामू करेगा

रुबीना - वो बेचारा क्यों मारेगा जागीरदार को

हरिया - वो मारेगा जागीरदार को जब उसको पता चलेगा कि उसका बाप मुरली हवेली से गायब हुआ था

रुबीना - क्या ?

हरिया - ये बात किसी को बताना नहीं ! समझी

रुबीना - ठीक है चल हरिया अब मैं चलती हूं

रुबीना अपने घर की तरफ निकल जाती है और हरिया हवेली आ जाता है
 
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Update 23

रामू - प्रणाम भइया

भीमा - अरे रामू तुम कब आए ?

रामू - मै तो सुबह ही आ गया था आप कहां थे सुबह से ?

भीमा - मै तो रात से यहीं सो रहा था अपने कमरे में

रामू - अरे भइया रात को ट्रक चलते हो क्या जो सुबह से एक बार भी नींद नहीं खुली कतई घोड़े बेचकर सो रहे थे हाहाहा

भीमा - अरे नहीं रामू वो तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए रात को दवाई खाके सोया था और अब नींद खुली है

रामू - ओह और सुनाओ ज़िन्दगी कैसी कट रही है

भीमा उदास होकर - बस कट ही रही है अब वो मज़ा कहां !

रामू - क्या बात है भइया बड़े उदास दिख रहे हो

भीमा - अब तुम तो देख ही रहे हो रामू मेरे बापू बस कुछ ही दिन के मेहमान है अपने परिवार को पता नहीं मै कैसे संभाल पाऊंगा

रामू - भईया जो इस दुनिया में आया है उसको एक ना एक दिन ये दुनिया छोड़ कर जाना होता है मै हूं ना भइया आप चिंता मत करो

भीमा - दारू पिएगा

रामू - नहीं भइया , जब भी कोई नशीली पदार्थ के सेवन करता हूं तो कोई ना कोई कांड कर बैठता हूं आज नहीं फिर कभी

भीमा - ऐसा क्या कांड कर दिया तूने बता तो मुझे

रामू - अब आपसे क्या छुपाना भइया पिछले साल की ही बात है वो जग्गू है ना मेरा दोस्त उसने मुझे चरस पिला दिया था उस दिन मैंने एक लड़की को पकड़ के ज़बरदस्ती अपने गन्ने के खेत में चोद दिया था

भीमा हैरान होते हुए - किसको ?

रामू - भइया वो हरिया चाचा की बहन चंपा को

भीमा - साले हरिया चाचा की बहन को चोद दिया , फिर ?

रामू - फिर क्या भइया उसके बाद से चंपा और मेरे बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया

भीमा - कसम से रामू बड़ा ही कमीना निकला तू

रामू - अब इसमें मेरी क्या गलती भइया।

भीमा - अपनी उम्र से ६ साल बड़ी औरत को चोदने में तुझे शरम नहीं आई , साले उसको बुआ बोलता था तू

रामू - एक बार गलती से चोद क्या दिया साली को वो रण्डी मेरे लंड की गुलाम बन गई और वैसे भी भइया चूत लड़की की हो या बड़ी उम्र की औरत की लंड को कोई फर्क नहीं पड़ता और चंपा कोई मेरे रिश्ते में बुआ थोड़ी ना लगती है

भीमा - वो रिश्ते में तेरी बुआ लगती तो ?

रामू - क्या बात कर रहे हो भइया कुछ भी बोल रहे हो , आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।

भीमा - ठीक है मेरे बाप माफ कर मुझे और सुना और किसकी चूत चोद चुका है

रामू - अरे भइया खेतों से फुरसत मिलेगी तभी तो किसी पर ध्यान जायेगा मेरा । आप सुनाओ भइया मुझे चाचा कब बना रहे हो ?

भीमा गुस्से में - पता नहीं मैंने अपने जीवन में क्या पाप किए थे जो इस रण्डी से शादी हो गई मेरी

रामू - क्या हुआ भइया क्या बात है

भीमा - कुछ नहीं , तू जा यहां से मुझे दारू पीनी है

रामू - अच्छा ठीक है

रामू फिर कमरे से बाहर निकल जाता है , रामू मन में सोचता है कि कोई बात तो है जो भीमा उससे छुपा रहा है और तभी उसको याद आता है कि धन्नो मौसी का रवैया भी सुबह लता भाभी के प्रति अजीब सा था धन्नो मौसी भी लता भाभी पर एक छोटी सी बात पर गुस्सा कर रही थी

रात को सभी ने खाना खा लिया था और सोने के लिए धन्नो ने आंगन में ही गद्दे डाल दिए थे क्योंकि घर में २ कमरे ही थे एक में प्यारेलाल और धन्नो सोते थे तो दूसरे में भीमा और लता।

नीचे गद्दे पर बीच में सविता सो गई थी और उसके आजू बाजू में रामू और बेला सो गए थे

रात को करीब २ बजे किसी के दरवाजे के खुलने की आवाज से रामू की नींद खुल गई। जीरो बल्ब की रोशनी में रामू ने देखा कि उसकी धन्नो मौसी घर के बाहर जा रही है रामू को लगा शायद धन्नो मौसी खेत में शौच के लिए जा रही होगी लेकिन तभी दूसरे कमरे का दरवाज़ा खुला और भीमा भी दबे पांव घर से बाहर चला गया। रामू को कुछ समझ नहीं आया उसको लगा शायद भीमा बाहर ठंडी हवा खाने गया हो, रामू फिर चुपचाप अपनी आंखें बंद करके सो गया।

अगले दिन सुबह जब रामू की आंख खुली तो उसके पास कोई नहीं था उसने रसोई में देखा तो वहां उसकी मां और सविता खाना बना रही थी वो और उसकी बहन टीवी देख रही थी , रामू ने जाके बक्से से अपने कपड़े निकाले और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया
 
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रामू नहा धोकर बाथरूम में से सिर्फ तौलिया लपेटकर ही बाहर निकल आता है सामने लता खटिए पर बैठी मिलती है और शर्म के मारे वो अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लेती है तो रामू झट से अपने कपड़े पहन लेता है

रामू - कुछ काम था क्या भाभी ?

लता - नहीं मै तो बस नाश्ते का पूछने के लिए आई थी

रामू - ठीक है ले आओ नाश्ता

लता मुस्कुराती हुई नाश्ता लेने चली जाती है और नाश्ता लेके आती है

रामू नाश्ता करते हुए लता से पूछता है - मौसी जी और भइया कहीं दिखाई नहीं दे रहे भाभी

लता - वो हमारे नए खेत में गए हैं वहां कुंवे की खुदाई का काम शुरू है

रामू - अरे वाह । मुझे भी अपने खेतों में कुंवे खुदवाने हैं मुझे भी ले चलिए ना भाभी , मुझे आपके नए खेत का रास्ता नहीं मालूम

लता - नहीं मै नहीं जा सकती

रामू - पर क्यों ?

लता - मुझे घर पर बहुत काम है आप पूछते पूछते चले जाना

रामू - अरे भाभी आप मुझे खेत दिखाकर वापस आ जाना

लता कुछ सोचकर - अच्छा ठीक है पर आप उनसे या मां जी से ये मत कहना कि मै आपके साथ खेत तक आई थी

रामू - ठीक है नहीं कहूंगा

नाश्ते के बाद रामू और लता खेत की तरफ चल देते है

रामू - भाभी एक बात पूछूं ?

लता - हां पूछो ना

रामू - रहने दो भाभी आप बुरा मान जाओगी

लता - ओहो पूछो भी नहीं मानूंगी बुरा

रामू - वो भाभी मै ये पूछना चाहता था कि जबसे मै यहां आया हूं तबसे मै गौर कर रहा हूं कि आप मुझे अजीब नजरों से क्यों देख रही हैं?

लता मुस्कुरा देती है - वो क्या है ना आपकी सूरत मेरे भाई से मिलती है मै जब भी आपको देखती हूं तो मुझे ये महसूस होता है कि मै अपने भाई को देख रही हूं

रामू - ओह तो ये बात है मै भी ना

लता - क्या ?

रामू - कुछ भी तो नहीं

लता - अच्छा खेत आ गया अब मै चलती हूं

रामू - अरे रुको भाभी यहां कोई नजर नहीं आ रहा ! कहां हैं धन्नो मौसी और भीमा भइया ?

लता घबराती हुई आवाज में - चलो घर चलते हैं शायद वो घर चले गए होंगे

रामू - रुको भाभी मै एक बार झोपड़ी ने देख लेता हूं

लता - नहीं नहीं देवर जी वहां मत जाओ

रामू अजीब नज़रों से लता को देखता है और चुपचाप झोपड़ी के पास चला जाता है वो झोपड़ी का दरवाज़ा खोलने ही वाला था कि अंदर से आ रही आवाज को सुनकर उसके हाथ रुक जाते हैं

लता भागते हुए रामू के पास आती है और बोलती है - चलो यहां से

रामू लता का हाथ पकड़कर झोपड़ी में बनी खिड़की के पास ले जाता है रामू समझ रहा था कि गांव का कोई लैला मजनू अंदर अपनी रासलीला में मगन है पर जैसे ही रामू खिड़की से अंदर झांकता है तो उसके हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं

झोपड़ी के अंदर धन्नो और भीमा थे भीमा चारपाई पर लेटा हुए था और उसके पास बैठी धन्नो उसके पैर दबा रही थी ये देखकर रामू को अजीब सा लगता है क्योंकि धन्नो के हाथ भीमा की जांघ पर थे और वो जांघ को दबाते दबाते भीमा के लंड को भी छू रही थी

रामू और लता आखें फाड़े ये देख रहे थे

भीमा - मां आज रहने दो ना , बदन बहुत दर्द कर रहा है

धन्नो - इसलिए तो तेरे शरीर की मालिश कर रही हूं मै जानती हूं कि वो तेरी पत्नी लता तुझे सोने नहीं देती है और दिन में मेरे पास आने के बाद तेरा जिस्म दर्द करने लगता है

भीमा - अरे मां ऐसी बात नहीं है

धन्नो - बस बस रहने दे सब जानती हूं मै , वैसे भी बूढ़ी औरत किसे अच्छी लगती है तेरे बापू तो अब किसी काम के रहे नहीं और बेटा है वो भी अपनी जवान बीवी की ओखली में मुंह डाले पड़ा रहता है

भीमा - चुप कर साली , १८ साल की उम्र से तुझे पेल तरह हूं अभी तक तेरी आग नहीं बुझी

धन्नो - बेटा ये आग मरने के बाद ही शांत होती है देख ना मेरी चूची भी कैसे सूख गई है बिना पानी के ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू

भीमा - रुक साली अभी बताता हूं तुझे

भीमा धन्नो को नीचे गिरा देता है और खुद उसके ऊपर आकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने लगता है

धन्नो - आह चूस ले बेटा , रोज़ बस एक बार ही तो मांगती हूं तुझसे उसमे भी तू आना कानी करने लगा है आह

भीमा - मां तू बहुत कमीनी है रोज़ रोज़ करने के बाद भी रोती रहती है और देख लता को कई कई हफ्तों तक हाथ भी नहीं लगाता फिर भी मुंह से एक लफ्ज़ भी नहीं कहती वो।

धन्नो - कहां से बोलेगी ? बोलकर तो देखे फिर देखना मै क्या करती हूं उसका आह साली रण्डी कहीं की आह धीरे

भीमा अपनी जुबान धन्नो के मुंह में डालकर उसकी जुबान चूसने लगता है

धन्नो - उम्म उम बेटा मेरे मुंह में डाल ना अपना डंडा बड़ा मीठा लगता है मुझे उसका स्वाद

भीमा खड़ा होकर अपनी धोती सरका देता है और धन्नो के बालों को पकड़कर उसको थोड़ा ऊपर उठाता है धन्नो जैसे ही अपना मुंह खोलती है भीमा अपना लन्ड धन्नो के मुंह में पेल देता है धन्नो भी बड़े चाव से भीमा का लन्ड चूसने लगी थी

भीमा - आह मां इतनी जोर से मत खींचो ना आह

धन्नो भीमा की बात पर ध्यान दिए बिना हूं उसका लन्ड चूस चूस कर खड़ा कर देती है और अपनी दोनों टांगो को खोलकर लेट जाती है

धन्नो - चल आजा मेरे राजा बड़ी प्यासी हूं तेरे लंड के लिए

भीमा - पहले थोड़ा रसपान तो करने दो मां कहकर वो धन्नो की पैंटी उतारने लगता है

धन्नो अपने दोनो हाथों से सिसकियां भरते हुए अपनी चूचियां मसलने लगती है

भीमा जैसे ही धन्नो की चूत से उसकी पैंटी को उतारकर अलग करता है वैसे ही रामू को अपनी धन्नो मौसी की चूत के दर्शन हो जाते हैं ये सब नज़ारा देखकर रामू की पैंट में तम्बू बन चुका था और लता की सांसें तेज चल रही थी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां रामू की पीठ पर बार बार घिस रही थी अंदर भीमा अपनी मां धन्नो की चूत पर अपनी जीभ से झाडू मारने लगता है और धन्नो अपनी गान्ड उछालते हुए भीमा के सर को अपनी चूत पे दबाने लगती है

धन्नो - ऊपर ऊपर की मलाई क्या खा रहा है असली माल तो अंदर है बेटे , घुसा दे अपनी जुबान अंदर मेरे लाल आह

भीमा अपनी जुबान धन्नो की चूत में पेल देता है

धन्नो - आह एक दिन तू मुझे इस तरह से मार देगा बेटा आह बस भी कर अब , देखता नहीं तेरी मां की चूत क्या चाहती है

भीमा धन्नो की आंखों में देखकर - उउम्म क्या चाहती है मेरी मां की चूत ?

धन्नो - अपने बेटे भीमा का लन्ड चाहती है तेरी मां की चूत , डाल दे ना रेे

भीमा धन्नो के दोनों पैर खोल देता है और थोड़ा सा धन्नो की चूत से निकला पानी अपने लन्ड पर लगाता है

भीमा धन्नो की आंखों में देखते हुए - ये ले मां आह ।।।।

धन्नो - हाए मर गई भीमा आह

भीमा का लन्ड रामू की तरह नहीं था पर भीमा के लंड में इतनी ताकत थी कि वो किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता था भीमा धन्नो की चूत में अंदर तक अपना लन्ड पेलकर चोदने लगता है और धन्नो अपने बेटे भीमा से चिपक कर नीचे से अपनी गान्ड उछालने लगती है

धन्नो - आह काश मेरा एक बेटा और होता तो दोनों बेटों का आगे पीछे से लेती आह

भीमा - क्यों मेरा कम पड़ता है क्या मां तुझे ?

धन्नो - नहीं बेटा तू नहीं समझेगा

लता की चूत खड़े खड़े पानी छोड़ने लगती है और वो रामू का हाथ पकड़कर खेत से बाहर ले आती है दोनों कुछ दूर चलकर एक कुंवे के पास बैठ जाते हैं दोनों एक दूसरे को ना देख रहे थे और ना ही कुछ बोल रहे थे
 
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दोनों बिल्कुल चुपचाप बैठे हुए थे और आखिर में लता अपनी चुप्पी तोड़ती है

लता - इसलिए मै तुम्हे यहां नहीं लाना चाहती थी

रामू - तो क्या आपको पहले से ये सब पता था ?

लता - हां जब मै शादी करके नई नई इस घर में आई थी उसके चार दिन बाद ही मां जी ने उनके और तुम्हारे भइया के रिश्ते के बारे में बता दिया था

रामू - भाभी आप फिर भी यहीं रही , अपने मां बाप के घर नहीं गई

लता - शादी के बाद लड़की का ससुराल ही उसके लिए सब कुछ होता है देवर जी , वो मर के है वहां से निकलती है

रामू - मुझे तो यकीन नहीं हो रहा की एक बेटा अपनी मां के साथ ये सब भी कैसे कर सकता है

लता - दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं देवर जी

रामू - कैसा लगता होगा जब एक बेटा अपनी ही मां के साथ ! मुझे तो सोचने में भी अजीब सा लगता है

लता - अच्छा ही लगता होगा देवर जी वरना एक जवान आदमी अपनी बीवी को छोड़कर अपनी मां पर नहीं चढ़ता

रामू लता की आंखों में आसूं देख लेता है और बोलता है - भाभी आपको कैसा लगता है भीमा भइया और धन्नो मौसी को इस तरह देखकर ?

लता - चलो घर चलते हैं बहुत देर हो रही है

रामू खड़ा होता है और लता के साथ चलने लगता है और दोनों घर आ जाते हैं
 
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