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हेलो फ्रेंड्स आज में आप सब के सामने एक स्टोरी पेश कर रहा हूँ ये कहानी बिल्कुल काल्पनिक है तो चलें में इस कहानी के किरदारों के बारे में आप को बता दूँ
शोभा: उम्र 37 साल एक विधवा औरत (1995 में)
रेणु: उम्र ***** शोभा की बेटी जो की 12थ क्लास में पढ़ती है
अमन: उम्र***** शोभा का बेटा जो कि 10ह क्लास में है (1995 में)
और दोस्तो इस कहानी के मुख्य किरदार (1995 में)
बबलू: उम्र 18साल एक अनाथ (1995 में)
दोस्तो कुछ किरदारो की उम्र का जिकर में नही किया है आप लोग अपनी फॅंटेसी के अनुसार उसकी उम्र के बारे में सोच सकते हैं
बाकी के सब किरदारों के बारे में समय आने पर बता दिया जाएगा
दोस्तो ये कहानी 1995 की गर्मियों से शुरू होती है शोभा एक विधवा औरत थी जिसके पति का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया था वो अपने पति के साथ यू-पी के एक छोटे से शहर में रहती थी शोभा का पति एक रेलवे में जॉब करता था और उसने उसी शहर में एक छोटा सा अपना मकान बना लिया था जो कि डबल स्टोरी था पति की मौत के बाद शोभा को अपने बेटे और बेटी के पालन पोषण के लिए काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसके लिए उसने लोगो के घरों में भी काम किया आख़िरकार उसने कपड़े सीलने का काम सीख लिया और घर पर ही औरतों के कपड़े सीने लगी सिलाई और पति की पेन्षन से वो अपने घर और बेटे बेटी की पढ़ाई को ठीक से चलाने लगी शोभा के पति के मौत को 6 साल हो चले थे शोभा बहुत ही घरेलू किस्म की औरत थी
37 साल में भी उसका बदन एक दम गठा हुआ था शोभा की हाइट 5,2 थी भरा हुआ बदन 38 साइज़ की चुचियाँ अभी भी कसी हुई थी और रंग सांवला था
29 जून 1995 की सुबह के 9 बज रहे थी शोभा कपड़े सी रही थी उसका बेटा अमन और बेटी रेणु अभी तक उठे नही थे क्यों कि स्कूल में छुट्टियाँ थी दोनो एक महीने से स्कूल नही गये थे और 2 दिन बाद ही उनके स्कूल खुलने वाले थे घर के नीचे वाली पोर्षन के बाहर की बैठक में वो कपड़ों को सिला करती थी शोभा अपने माथे पर आए पसीने को पोछती हुई ऊपेर की तरफ जाने लगी ऊपेर आकर उसने देखा कि उसका बेटा अमन उठ गया था और ब्रश कर रहा था
शोभा: अमन तुम्हारी दीदी उठी कि नही
अमन:जी नही दीदी अभी तक सो रही हैं
शोभा:पता नही आज कल की लड़कियाँ इतनी देर से क्यों उठती है चलो छुट्टियाँ चल रही हैं नही तो स्कूल जाने में भी देर कर देती है शोभा बड़बड़ाते हुए रेणु के कमरे में आती है जहाँ रेणु अभी तक सो रही थी शोभा रेणु के बेड पर आकर बैठ जाती है और गौर से अपनी जवान होती बेटी को देखने लगती है रेणु अपनी माँ के विपरीत एक दम गोरी थी 19 साल की उम्र में उसकी चुचियाँ 32 साइज़ की हो गयी थी और एक दम कसी हुई थी और रेणु की हाइट 5,1 इंच थी शोभा अपनी बेटी के माथे पर से बालों के बड़े प्यार से हटाने लगी
शोभा: उठ जा बेटी देख 9 बज गये है
रेणु:अपनी अध खुली आँखों से ) क्या है माँ सोने दो ना स्कूल तो बंद है ना
शोभा:स्कूल बंद है तो क्या सारा दिन बिस्तर पर ही रहेगी चल जल्दी उठ जा
रेणु अपनी आँखें मल्ती हुई बेड पर उठ कर बैठ गयी और अपनी माँ के गले से लग गयी
शोभा: बेटी की पीठ पर हाथ फेरते हुए) चल जा फ्रेश हो जा में तेरे लिए चाइ ले आती हूँ
रेणु:ठीक है माँ
शोभा उठ कर नीचे आ गयी नीचे आते हुए उसके फेस पर परेशानी के भाव थे उसे अपनी जवान होती बेटी की शादी और बेटे की पढ़ाई के बारे में सोचने लगी पति की पेंशन और सिलाई से वो घर तो ठीक-ठाक चला रही थे पर आगे आने वाले समय के लिए कुछ जोड़ नही पा रही थी वो किचन में आ गयी और चाइ बनाने लगी चाइ बना कर उसने अपने बेटे और बेटी को चाइ दी तभी बाहर से डोर बेल बजी शोभा ने नीचे आकर गेट खोला सामने एक साधारण सा दिखने वाला आदमी खड़ा हुआ था
आदमी: नमस्ते भाभी जी कैसी हैं
शोभा: आदमी की तरफ देखते हुए जबरन अपने होंठो पर मुस्कान लाते हुए) नमस्ते मोहन भाई शाब आप बड़े दिनो बाद आए
मोहन:हां भाभी जी बस काम कुछ ज़्यादा था
शोभा:आइए अंदर आइए (वो आदमी शोभा के पीछे अंदर आ गया और बैठक में चला गया)बैठिए ना भाई शाब कैसे आना हुआ
मोहन शोभा के पति के साथ रेलवे में काम करता था दोनो रेलवे में गॅंग मॅन की नौकरी करते थे
शोभा:भाई साहब बैठें ना में चाइ बनाती हूँ
मोहन:अरे नही भाभी जी में ज़रा जल्दी में हूँ मुझे आप से कुछ बात करनी थी
शोभा:जी हां भाई शाब बोलिए
मोहन: मेरा एक दोस्त था जो रेलवे में इस शहर में नौकरी करता था उसका परिवार लखनऊ में था उसकी मौत कुछ दिन पहले हो गयी वो अपने पीछे एक लड़का छोड़ गया है उसकी जगह उसके बेटे को रेलवे में जॉब मिल गयी है और वो यहाँ रहने के लिए कोई रूम किराए पर ढूँढ रहा है अगर आप को अच्छा लगे तो आप के नीचे के दो रूम खाली हैं तो एक अगर उसे किराए पर मिल जाता तो बहुत अच्छा होता
मोहन की बात सुन शोभा सोचा में पड़ गयी कि अगर वो उसे रूम किराए पर दे दे तो कुछ एक्सट्रा इनकम भी हो जाएगी
शोभा: ठीक है भाई शाब आप उसे ले आइए
मोहन: में उसे रूम का रेंट कितना बताऊ
शोभा: जो आप ठीक समझे
मोहन : 1000 रुपया महीने का ठीक रहेगा
शोभा: जी ठीक है