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Adultery चुदाई के दास्तान (मां बेटा बेटी और किरायेदार)

स्टोरी कैसी लगी

  • अच्छी है

    Votes: 5 33.3%
  • बहुत अच्छी है

    Votes: 11 73.3%

  • Total voters
    15

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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UPDATE NO. 1

हेलो फ्रेंड्स आज में आप सब के सामने एक स्टोरी पेश कर रहा हूँ ये कहानी बिल्कुल काल्पनिक है तो चलें में इस कहानी के किरदारों के बारे में आप को बता दूँ
शोभा: उम्र 37 साल एक विधवा औरत (1995 में)
रेणु: उम्र ***** शोभा की बेटी जो की 12थ क्लास में पढ़ती है
अमन: उम्र***** शोभा का बेटा जो कि 10ह क्लास में है (1995 में)
और दोस्तो इस कहानी के मुख्य किरदार (1995 में)
बबलू: उम्र 18साल एक अनाथ (1995 में)

दोस्तो कुछ किरदारो की उम्र का जिकर में नही किया है आप लोग अपनी फॅंटेसी के अनुसार उसकी उम्र के बारे में सोच सकते हैं

बाकी के सब किरदारों के बारे में समय आने पर बता दिया जाएगा

दोस्तो ये कहानी 1995 की गर्मियों से शुरू होती है शोभा एक विधवा औरत थी जिसके पति का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया था वो अपने पति के साथ यू-पी के एक छोटे से शहर में रहती थी शोभा का पति एक रेलवे में जॉब करता था और उसने उसी शहर में एक छोटा सा अपना मकान बना लिया था जो कि डबल स्टोरी था पति की मौत के बाद शोभा को अपने बेटे और बेटी के पालन पोषण के लिए काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा इसके लिए उसने लोगो के घरों में भी काम किया आख़िरकार उसने कपड़े सीलने का काम सीख लिया और घर पर ही औरतों के कपड़े सीने लगी सिलाई और पति की पेन्षन से वो अपने घर और बेटे बेटी की पढ़ाई को ठीक से चलाने लगी शोभा के पति के मौत को 6 साल हो चले थे शोभा बहुत ही घरेलू किस्म की औरत थी

37 साल में भी उसका बदन एक दम गठा हुआ था शोभा की हाइट 5,2 थी भरा हुआ बदन 38 साइज़ की चुचियाँ अभी भी कसी हुई थी और रंग सांवला था

29 जून 1995 की सुबह के 9 बज रहे थी शोभा कपड़े सी रही थी उसका बेटा अमन और बेटी रेणु अभी तक उठे नही थे क्यों कि स्कूल में छुट्टियाँ थी दोनो एक महीने से स्कूल नही गये थे और 2 दिन बाद ही उनके स्कूल खुलने वाले थे घर के नीचे वाली पोर्षन के बाहर की बैठक में वो कपड़ों को सिला करती थी शोभा अपने माथे पर आए पसीने को पोछती हुई ऊपेर की तरफ जाने लगी ऊपेर आकर उसने देखा कि उसका बेटा अमन उठ गया था और ब्रश कर रहा था

शोभा: अमन तुम्हारी दीदी उठी कि नही

अमन:जी नही दीदी अभी तक सो रही हैं

शोभा:पता नही आज कल की लड़कियाँ इतनी देर से क्यों उठती है चलो छुट्टियाँ चल रही हैं नही तो स्कूल जाने में भी देर कर देती है शोभा बड़बड़ाते हुए रेणु के कमरे में आती है जहाँ रेणु अभी तक सो रही थी शोभा रेणु के बेड पर आकर बैठ जाती है और गौर से अपनी जवान होती बेटी को देखने लगती है रेणु अपनी माँ के विपरीत एक दम गोरी थी 19 साल की उम्र में उसकी चुचियाँ 32 साइज़ की हो गयी थी और एक दम कसी हुई थी और रेणु की हाइट 5,1 इंच थी शोभा अपनी बेटी के माथे पर से बालों के बड़े प्यार से हटाने लगी
शोभा: उठ जा बेटी देख 9 बज गये है
रेणु:अपनी अध खुली आँखों से ) क्या है माँ सोने दो ना स्कूल तो बंद है ना

शोभा:स्कूल बंद है तो क्या सारा दिन बिस्तर पर ही रहेगी चल जल्दी उठ जा
रेणु अपनी आँखें मल्ती हुई बेड पर उठ कर बैठ गयी और अपनी माँ के गले से लग गयी

शोभा: बेटी की पीठ पर हाथ फेरते हुए) चल जा फ्रेश हो जा में तेरे लिए चाइ ले आती हूँ

रेणु:ठीक है माँ

शोभा उठ कर नीचे आ गयी नीचे आते हुए उसके फेस पर परेशानी के भाव थे उसे अपनी जवान होती बेटी की शादी और बेटे की पढ़ाई के बारे में सोचने लगी पति की पेंशन और सिलाई से वो घर तो ठीक-ठाक चला रही थे पर आगे आने वाले समय के लिए कुछ जोड़ नही पा रही थी वो किचन में आ गयी और चाइ बनाने लगी चाइ बना कर उसने अपने बेटे और बेटी को चाइ दी तभी बाहर से डोर बेल बजी शोभा ने नीचे आकर गेट खोला सामने एक साधारण सा दिखने वाला आदमी खड़ा हुआ था

आदमी: नमस्ते भाभी जी कैसी हैं

शोभा: आदमी की तरफ देखते हुए जबरन अपने होंठो पर मुस्कान लाते हुए) नमस्ते मोहन भाई शाब आप बड़े दिनो बाद आए

मोहन:हां भाभी जी बस काम कुछ ज़्यादा था

शोभा:आइए अंदर आइए (वो आदमी शोभा के पीछे अंदर आ गया और बैठक में चला गया)बैठिए ना भाई शाब कैसे आना हुआ

मोहन शोभा के पति के साथ रेलवे में काम करता था दोनो रेलवे में गॅंग मॅन की नौकरी करते थे

शोभा:भाई साहब बैठें ना में चाइ बनाती हूँ

मोहन:अरे नही भाभी जी में ज़रा जल्दी में हूँ मुझे आप से कुछ बात करनी थी
शोभा:जी हां भाई शाब बोलिए

मोहन: मेरा एक दोस्त था जो रेलवे में इस शहर में नौकरी करता था उसका परिवार लखनऊ में था उसकी मौत कुछ दिन पहले हो गयी वो अपने पीछे एक लड़का छोड़ गया है उसकी जगह उसके बेटे को रेलवे में जॉब मिल गयी है और वो यहाँ रहने के लिए कोई रूम किराए पर ढूँढ रहा है अगर आप को अच्छा लगे तो आप के नीचे के दो रूम खाली हैं तो एक अगर उसे किराए पर मिल जाता तो बहुत अच्छा होता

मोहन की बात सुन शोभा सोचा में पड़ गयी कि अगर वो उसे रूम किराए पर दे दे तो कुछ एक्सट्रा इनकम भी हो जाएगी

शोभा: ठीक है भाई शाब आप उसे ले आइए

मोहन: में उसे रूम का रेंट कितना बताऊ

शोभा: जो आप ठीक समझे

मोहन : 1000 रुपया महीने का ठीक रहेगा

शोभा: जी ठीक है
 
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UPDATE NO .2

मोहन : बेचारा अकेला है अगर आप उसे खाना वाघेरा भी दें और उसके बाकी के काम भी कर दें न तो वो 3000 रुपये महीने के भी देने के लिए तैयार है

शोभा:ठीक है भाई शाब उसके खाने पीने और बाकी काम का इंतज़ाम भी हो जाएगा

मोहन:तो ठीक है में आज शाम को उसे अपने साथ ले आउन्गा और आप उसे बात कर लेना उसके पास कुछ ज़्यादा सम्मान भी नही है बस कुछ चीज़े हैं

ये कह कर मोहन वापिस चला गया और शोभा अपने काम में लग गयी शोना ने नाश्ता बनाया और बच्चों के साथ नाश्ता करने लगी
अमन:माँ मुझे नये वीडियोगेम चाहिए पुरानी वाली खराब हो गयी है

शोभा:ठीक है नये ले लेना अब तो चुप-चाप नाश्ता कर और तीनो नाश्ता करने लगे दोपहर के 2 बज रहे थे गर्मी बहुत ज़्यादा था गली एक दम सुनसान थी अमन और रेणु सो रहे थे और शोभा नीचे कपड़ों की सिलाई कर रही थी तभी डोर बेल बजी शोभा ने उठ कर गेट खोला तो सामने मोहन खड़ा था उसके साथ एक 19 साल का लड़का खड़ा था इससे पहले कि शोभा कुछ बोलती
मोहन: बहनजी में इसे के बारे में बात कर रहा था
शोभा:आएँ अंदर आएँ
दोनो शोभा के साथ बैठक में आ गये शोभा ने उन्हे सामने पड़ी चेयर्स पर बैठा दिया
मोहन:ली जाए भाभी जी अब आप को जो कुछ पूछना है पूछ लीजिए
शोभा: तुम्हारा नाम किया है बेटा
लड़का: जी बबलू
शोभा:देखो बबलू में तुम्हें अपना रूम रेंट पर दे रही हूँ पर तुम्हें कुछ रूल को मानने पड़ेंगे
बबलू:जी
शोभा:एक तो घर पर टाइम से आना होगा और अपने काम से मतलब रखना होगा
बबलू:जी
शोभा:हर महीने के 3000 रुपये देने पड़ेंगे
बबलू:मुझे कोई परेशानी नही
शोभा:क्या तुम शराब तो नही पीते
बबलू:जी कभी-2 कभार पी लेता हूँ लेकिन आप को कभी कोई परेशानी नही होगी
शोभा:मुझे ख़ुसी है कि तुमने सच बोला ठीक है मोहन भाई शाब ये यहाँ रहने के लिए आ सकता है
मोहन: (बबलू के साथ खड़े होते हुए ) ठीक है बहन जी ये शाम को अपना समान लेकर आ जाएगा
शोभा:जी ठीक है
और दोनो चले गये उनके जाने के बाद शोभा ऊपेर आ गयी और दोपहर के लिए खाना बनाने लगी अमन और रेणु उठ चुके थे खाना बनाने के बाद शोभा ने खाना लगा दिया और तीनो खाना खाने लगे
रेणु:माँ आज कहीं घूमने चले
शोभा:नही आज नही आज घर पर नीचे के रूम में किरायदार आने वाले हैं
रेणु; क्या माँ तुम मेरी कोई बात नही मानती हो अमन की हर जिद्द पूरी करती हो तुम मुझे प्यार नही करती
शोभा: नही ऐसे कोई बात नही आज वो किरायदार आने वाला है कल ले चलूंगी
रेंणु चुप बैठी रही शाम के 4 बजे शोभा नीचे बैठक में अपना काम कर रही थी तभी डोर बेल बजी
शोभा: अपने आप से) लगता है बबलू हो गा
शोभा ने गेट खोला तो बाहर बबलू हाथों में दो बॅग लिए खड़ा था
शोभा:आओ अंदर आओ
अभी भी बाहर बहुत गर्मी थी बबलू का फेस एक दम लाल हो चुका था और पसीने से भीगा हुआ था अंदर आते ही शोभा ने उसे बैठक में बैठा दिया और खुद उसके लिए पानी लाने के लिए चली गयी थोड़ी देर बाद शोभा वापिस आई उसके हाथ में एक पानी का ग्लास था
बबलू: शोभा के हाथ से ग्लास लेते हुए) थॅंक्स
शोभा: तो तुम्हरा ड्यूटी टाइम क्या है
बबलू: जी सुबह 9 बजे से
शोभा: और रात को कितने बजे आते हो
बबलू:जी कभी –2 10 भी बज जाते हैं अगर में कभी लेट हो गया तो वहीं स्टेशन पर ही सो जाया करूँगा
शोभा:कोई बात नही 10 बजे तक हमे कोई प्राब्लम नही है
बबलू:जी अप बहुत अच्छे है मुझे ऐसे ही मालिक मकान चाहिए थे
 
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शोभा:तुम्हारी एज कितनी है
बबलू:जी 19 साल
शोभा:तुम्हारे माता पिता के बारे में सुन कर दुख हुआ इतनी सी उम्र में अकेले रहना बहुत मुस्किल है
बबलू:अब तो आदत से पड़ गयी है
शोभा:चलो में तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा दूं मेने उसे सॉफ कर दिया था
बबलू:जी चलिए
और बबलू शोभा के पीछे बैठक के साथ वाले रूम में आ गया
शोभा:ये है तुम्हारा कमरा
बबलू:जी अच्छा है
शोभा:तुम अपन समान जमा लो और आराम कर लो में जाती हूँ जब रात का खाना बन जाएगा में तुम्हें बता दूँगी

बबलू: जी ठीक है (और शोभा के जाने के बाद बबलू अपना समान जमाने लग गया)

दोस्तो बबलू एक 19 साल का बिगड़ा हुआ लड़का था उसके पिता रेलवे में अच्छी पोस्ट पर थे और रेलवे में आक्सिडेंट के दौरान उनकी मौत हो गयी थी बबलू जब 15 साल का था तब उसकी माँ का देहांत हुआ था बिना माँ के बबलू ग़लत संगत में पड़ गया वो घर देर से आता था और खूब दारू सिगरेट पीने लगा गया था बबलू के पिता की गाओं में काफ़ी ज़मीन ज़्यादाद थी जो उन्होने ठेके पर दे रखी थी लिहाजा पैसे की कोई कमी नही थी अब पिता के मरने के बाद बबलू बिल्कुल आज़ाद हो चुका था बबलू समान सेट करने के बाद बेड पर लेट गया और उसकी आँख लग गयी उधर रात के 8 बज चुके थे शोभा खाना तैयार कर चुकी थी खाना तैयार करने के बाद वो नीचे आए और बबलू के रूम के डोर को नॉक किया बबलू आवाज़ सुन कर जागा और डोर खोला
बबलू: जी वो मुझे नींद आ गयी थी
शोभा:कोई बात नही खाना बन गया है तुम फ्रेश हो कर नीचे आ जाओ
बबलू:आप चलिए में आता हूँ
शोभा के जाने के बाद वो नीचे बने बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर ऊपेर आ गया
ऊपेर रेणु और अमन दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और शोभा खाना परोस रही थी
शोभा: अरे आओ बबलू बैठो में खाना ही डाल रही थी बच्चो ये बबलू भैया हैं ये नीचे किराए पर आए हैं चलो दोनो नमस्ते करो
रेणु: (बबलू को कनखियों से देखते हुए) नमस्ते
बबलू:नमस्ते
अमन: (मुस्करते हुए) नमस्ते भैया
बबलू सर हिलाते हुए नमस्ते बेटा
उसके बाद चारो खाना खाने लगे रेणु बार –2 कनखियो से बबलू को देख रही थे बबलू एक स्मार्ट हॅंडसम लड़का था रंग एक दम गोरा पर बबलू का ध्यान खाने में था
रेणु मन में सोचते हुए अपनी आप को बहुत हॅंडसम समझता है कितनी अकड़ दिखा रहा है
चारों ने खाना ख़तम किया और शोभा बर्तन उठाने लगी
बबलू:अच्छा आंटी जी में चलता हूँ
शोभा: सुनो नीचे बहुत गर्मी होती है हम सब ऊपेर छत पर खुले में कूलर चला कर सोते हैं अगर तुम चाहो तो अपना बिस्तर ऊपेर ले के आ सकते हो
बबलू:जी आप ठीक कह रही है नीचे तो बहुत गर्मी है में छत पर ही सोउंगा
ये कह कर बबलू नीचे चला गया शोभा बर्तन सॉफ करने लगे रेणु और अमन टीवी देख रहे थे काम ख़तम करने के बाद शोभा छत पर बिस्तर लगाने के लिए चली गयी तभी बबलू भी ऊपेर आ गया और अपना बिस्तर लगा लिया

शोभा:अच्छा किया जो तुम ऊपेर आ गये नीचे तो सच में बहुत गर्मी है शोभा बिस्तर लगाने के बाद नीचे चली गयी और बबलू बिस्तर बिछा कर लेट गया थोड़ी देर में उसकी आँख लग गयी रात के 12 बजे जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि उसके साथ वाले बिस्तर पर खाली था और उसके आगे वाले बिस्तर पर रेणु और अमन सो रहे थे बबलू ने नज़र घुमा कर दूसरी तरफ देखा तो शोभा पास ही एक कोने में पैरों के बल बैठी हुई थी उसने अपनी पेटीकोटे को कमर तक उठा रखा था ये देख बबलू के लंड में हलचल होने लगी सुउ सू के मूतने की आवाज़ बबलू को और पागल बनाने लगी शोभा की मोटी गान्ड देख बबलू का लंड खड़ा हो गया चाँद की रोशनी में शोभा की बड़ी गान्ड सॉफ दिख रही थी मूतने के बाद जैसे ही शोभा उठी तो बबलू को शोभा की हल्की झान्टो के दर्शन हो गये बबलू की हालत और खराब हो गयी शोभा खड़ी हो गयी.............. continue
 
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UPDATE NO 4

बबलू ने देखा उसने पैंटी नही पहनी हुई थी शोभा ने अपना पेटिकॉट ठीक किया और अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी बबलू लेटे हुए शोभा को देख रहा था पर शोभा को पता नही था बबलू जगा हुआ है 5 मिनट बीत गये शोभा सोए नही थी और बबलू ये बात जानता था बबलू उठा और छत के उसी कोने की तरफ जाकर खड़ा हो गया जहाँ शोभा ने कुछ देर पहले मूता था बबलू ने अपने पयज़ामे को घुटनो के नीचे तक कर दिया शोभा ये सब देख रही थी बबलू उससे कुछ 5-6 फुट की दूरी पर था शोभा की आँखें बबलू के लंड पर अटक गयी शोभा ने आज कई सालों बाद किसी मर्द के लंड को देख रही थी और जो लंड उसने 7 साल पहले अपनी पति का देखा था बबलू का लंड उससे काफ़ी बड़ा और मोटा था शोभा का दिल जोरो से धड़कने लगा बबलू ने पेशाब करने के बाद जान बुझ कर अपने लंड को हाथ से तीन चार बार आगे पीछे किया गोरे लंड पर जैसे बबलू के हाथ चल रहे थे लंड की चमड़ी पीछे होती और गुलाबी सुपाडा शोभा के सामने आ गया आज कई सालों बाद सुधा की चूत में हलचल होने लगी बबलू ने अपना पाजामा पहना और वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गया पयज़ामा लंड की जगह पर उभरा हुआ था शोभा करवट के बल लेटी हुई थी और बबलू पीठ के बल और शोभा की नज़र उभरे हुए लंड पर गढ़ी हुई थी कुछ देर बाद दोनो नींद के आगोश में समा गये सुबह जब बबलू की आँख खुली तो सब नीचे जा चुके थे बबलू ने अपना बिस्तर इकट्ठा किया और नीचे आ गया और फ्रेश होने के लिए चला गया जब बबलू नहा कर बाथरूम से निकल कर अपने कमरे के तरफ जा रहा था तब शोभा उसे नाश्ते के लिए ऊपेर बुलाने के लिए नीचे आई उस समय बबलू ने सिर्फ़ अंडरवेर पहना हुआ था बबलू का गोरा और गठीला बदन देख एक बार फिर से शोभा का दिल जोरों से धड़कने लगा उसकी आँखें बबलू के अंडरवेर के उभरे हुए उभार पर जम गयी बबलू ने इस बात को नोटीस किया

शोभा:नाश्ता तैयार है जल्दी ऊपर आ जाना
और जवाब सुने बिना ही शोभा वापिस चली गयी ऊपेर किचन में आकर शोभा सोचने लगी ये मुझे क्या हो गया है मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए ये ग़लत बात है उसके बाद बबलू ऊपेर आकर नाश्ता करने लगा नाश्ता करने के बाद बबलू ने अपना पर्स निकाला और उसमे से 3000 रुपये निकाल कर शोभा को देते हुए बोला ये आप का अड्वान्स रेंट शोभा ने बबलू से पैसे ले लिए

बबलू:मैं आज शाम को लेट हो जाउन्गा आप मेरा खाना मेरे रूम में रख देना में 10 बजे तक आ जाउन्गा
और ये कह कर बबलू घर से निकल पड़ा स्टेशन पर सारा दिन उसके दिमाग़ में शोभा का गठीला बदन घूमता रहा काम कुछ ज़्यादा था 9 बजे काम ख़तम कर बबलू शराब के ठेके पर पहुँचा और एक हाफ लेकर पीने लगा जब बबलू घर पहुँचा तो रात के 10 बज चुके थे गेट बंद था उसने डोर बेल बजाई तो शोभा ने गेट खोला बबलू अंदर आके अपने रूम में चला गया शोभा ने गेट बंद किया और बबलू के रूम में आई
शोभा:में खाना गर्म करके लाती हूँ

बबलू:मैने आप से कहा था आप मेरा खाना मेरे रूम में रख दें आप तकलीफ़ क्यों करती है

शोभा:कोई बात नही

शोभा ऊपेर चली गयी जब वो वापिस आई उसके हाथ में खाने की थाली थी बबलू बेड पर बैठा हुआ था शोभा ने सामने रखे टेबल पर खाना रखा जैसे ही वो खाना रखने के लिए झुकी उसकी साड़ी का पल्लू का नीचे गिर गया और उसकी बड़ी-2 चुचियाँ बाहर आने को बेताब थी बबलू को एक और झटका लगा शोभा ने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया

शोभा:खाना खा कर अपना बिस्तर लेकर ऊपेर आ जाना
और शोभा वापिस चली गयी जब बबलू खाना खा कर ऊपेर गया तो सब सो चुके थी बबलू ने अपना बिस्तर लगाया और लेट गया बबलू को नींद नही आ रही थी शराब का नशा और अभी –2 हुए शोभा की चुचियों के दर्शन बबलू की नींद उड़ा चुके थे

बबलू ने दूसरी तरफ करवट बदल ली ताकि वो सो सके पर बार शोभा की गान्ड और चुचियाँ उसके जहन में आ रही थी तभी उसे पीछे से कुछ आहट हुई बबलू बिना हिले पड़ा रहा शोभा उठ कर फिर छत के कोने की तरफ जा रही थी जो बबलू से सिर्फ़ 4-5 फुट दूर था शोभा अपनी साड़ी उतार कर पेटिकोट और ब्लाउस में सोती थी शोभा ने कोने के पास जाकर अपने पेटिकोट को ऊपर कमर तक कर दिया उसकी बड़ी गान्ड एक बार फिर से बबलू के सामने थी और शोभा मूतने के लिए बैठ गयी मूतने की आवाज़ बबलू को और पागल बना रही थी उसका लंड एक दम खड़ा हो चुका था बबलू मन में सोच रहा था कि कहीं शोभा ये सब जान बुझ कर तो नही कर रही शोभा मूतने के बाद खड़ी हुई और अपने पेटिकोट को कमर से पकड़े रखा ताकि वो नीचे ना गिरे और उसने अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैलाया और पेटिकोट के नीचले हिस्से से अपनी चूत को सॉफ करने लगी फिर उसने पेटिकोट को छोड़ दिया और पेटिकोट नीचे आ गया और शोभा वापिस बिस्तर पर आकर लेट गयी बबलू का बुरा हाल था ................ continue..................
 
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बबलू: मन में)साली दिन में शरीफ बनती है और अब अपनी गान्ड दिखा कर मेरे लंड को खड़ा कर रही है अब ज़रा में भी इसे अपने लंड के दर्शन करा दूं

बबलू उठ कर उसी कोने में चला गया और अपना पाजामा नीचे घुटनों तक कर लिया उसके बड़ा तना हुआ लंड हवा में झटके खाने लगा शोभा ये सब देख रही थी इसबार भी बबलू ने पेशाब करने के बाद अपने लंड को 4-5 बार हिलाया और वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया बबलू चाहता था कि शोभा पहल करे ताकि उसके ऊपर कोई बात ना आए पर कुछ नही हुआ ऐसे ही अगला दिन भी बीत गया बबलू को कुछ समझ में नही आ रहा था इसलिए उसे इन्सब से बचने के लिए वहाँ से ध्यान हटा दिया


एक दिन बबलू को घर आते हुए रात के 10:30 बज गये जब शोभा ने गेट खोला तो बबलू शराब के नशे में धुत्त था बबलू अंदर आ गया और अपने कमरे में चला गया शोभा गेट बंद करके वापिस उसके रूम में आई

शोभा:इतनी देर क्यों लगा दी आज और कितनी शराब पी रखी है तुमने आगे से लेट मत आना
और शोभा खाना लाने चली गयी खाना देकर शोभा वापिस चली गयी बबलू ने खाना खाया और वहीं सो गया और सुबह नाश्ता किए बिना ही अपने काम पर चला गया उस दिन रेणु और अमर का स्कूल स्टार्ट हो चुका था 3 दिन ऐसे ही चलता रहा बबलू रोज रात को लेट आता शोभा उसे बहुत समझाती पर वो कोई बात ना मानता एक दिन रात को बबलू दारू पीकर वहीं स्टेशन पर ही सो गया अगले दिन जब उठा तो उसका काम में मन नही लग रहा था उधर शोभा बबलू के लिए परेशान थी

बबलू अपने इंचार्ज से छुट्टी लेकर घर आ गया जब शोभा ने गेट खोला तो वो उसपर बरस पड़ी

शोभा: कहाँ था तू कल आया क्यों नही शराब पी कर कहीं गिर गया था ऐसे यहाँ नही चले गा अपनी उम्र तो देखो क्या हालत बना रखी है घर पर कोई नही था रेणु और अमर स्कूल गये हुए थे शोभा ने उस वक्त सफेद रंग का ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था उसकी चुचियाँ काफ़ी हद तक बबलू को नज़र आ रही थी शोभा की बातों को अनसुना करते हुए वो सीधा अपने रूम में आ गया और पंखे का स्विच ऑन किया पर लाइट नही थी शोभा उसके पीछे आई
शोभा:मेरी बात का जवाब नही दिया देख कैसी हालत बना रखी है

बबलू: आप यहाँ से जाए मेरा मूड ठीक नही है
और ये कह कर बबलू छत पर आ गया बादल आसमान पर छाए हुए थी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी शोभा उसके पीछे आ गयी दोनो छत पर भीग गये

शोभा:कुछ बात है तो बता ना कहाँ था कल

बबलू: अभी भी दोनो बारिश मे खड़े थे और पूरी तरह भीग चुके थे ) तुम्हे इन्सब से क्या मतलब तुम जाओ यहाँ से

शोभा: ऐसे कैसे जाऊ कल मुझे तुम्हारी बहुत फिकर हो रही थी आख़िर बात क्या है
शोभा का ब्लाउस और पेटिकोट भीग कर उसके बदन से चिपके हुए थे उसकी चुचियाँ और निपल्स सॉफ दिखाई दे रहे थे

बबलू से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था बबलू दूसरी तरफ घूम गया शोभा ने उसको बाजू से पकड़ कर झटके से सीधा किया
शोभा; चुप क्यों है

बबलू: बबलू से अब बर्दास्त नही हो रहा था दोनो छत पर बने स्टोर रूम के साथ खड़े थे बबलू ने अपने बाजू को झटकते हुए उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और शोभा को धक्का देकर स्टोर रूम की दीवार से सटा दिया

बबलू:तू क्या मेरी बीवी है साली जो मुझसे इतने सवाल जवाब कर रही है
 
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Gurdep

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बबलू: मन में)साली दिन में शरीफ बनती है और अब अपनी गान्ड दिखा कर मेरे लंड को खड़ा कर रही है अब ज़रा में भी इसे अपने लंड के दर्शन करा दूं

बबलू उठ कर उसी कोने में चला गया और अपना पाजामा नीचे घुटनों तक कर लिया उसके बड़ा तना हुआ लंड हवा में झटके खाने लगा शोभा ये सब देख रही थी इसबार भी बबलू ने पेशाब करने के बाद अपने लंड को 4-5 बार हिलाया और वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया बबलू चाहता था कि शोभा पहल करे ताकि उसके ऊपर कोई बात ना आए पर कुछ नही हुआ ऐसे ही अगला दिन भी बीत गया बबलू को कुछ समझ में नही आ रहा था इसलिए उसे इन्सब से बचने के लिए वहाँ से ध्यान हटा दिया


एक दिन बबलू को घर आते हुए रात के 10:30 बज गये जब शोभा ने गेट खोला तो बबलू शराब के नशे में धुत्त था बबलू अंदर आ गया और अपने कमरे में चला गया शोभा गेट बंद करके वापिस उसके रूम में आई

शोभा:इतनी देर क्यों लगा दी आज और कितनी शराब पी रखी है तुमने आगे से लेट मत आना
और शोभा खाना लाने चली गयी खाना देकर शोभा वापिस चली गयी बबलू ने खाना खाया और वहीं सो गया और सुबह नाश्ता किए बिना ही अपने काम पर चला गया उस दिन रेणु और अमर का स्कूल स्टार्ट हो चुका था 3 दिन ऐसे ही चलता रहा बबलू रोज रात को लेट आता शोभा उसे बहुत समझाती पर वो कोई बात ना मानता एक दिन रात को बबलू दारू पीकर वहीं स्टेशन पर ही सो गया अगले दिन जब उठा तो उसका काम में मन नही लग रहा था उधर शोभा बबलू के लिए परेशान थी

बबलू अपने इंचार्ज से छुट्टी लेकर घर आ गया जब शोभा ने गेट खोला तो वो उसपर बरस पड़ी

शोभा: कहाँ था तू कल आया क्यों नही शराब पी कर कहीं गिर गया था ऐसे यहाँ नही चले गा अपनी उम्र तो देखो क्या हालत बना रखी है घर पर कोई नही था रेणु और अमर स्कूल गये हुए थे शोभा ने उस वक्त सफेद रंग का ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था उसकी चुचियाँ काफ़ी हद तक बबलू को नज़र आ रही थी शोभा की बातों को अनसुना करते हुए वो सीधा अपने रूम में आ गया और पंखे का स्विच ऑन किया पर लाइट नही थी शोभा उसके पीछे आई
शोभा:मेरी बात का जवाब नही दिया देख कैसी हालत बना रखी है

बबलू: आप यहाँ से जाए मेरा मूड ठीक नही है
और ये कह कर बबलू छत पर आ गया बादल आसमान पर छाए हुए थी अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी शोभा उसके पीछे आ गयी दोनो छत पर भीग गये

शोभा:कुछ बात है तो बता ना कहाँ था कल

बबलू: अभी भी दोनो बारिश मे खड़े थे और पूरी तरह भीग चुके थे ) तुम्हे इन्सब से क्या मतलब तुम जाओ यहाँ से

शोभा: ऐसे कैसे जाऊ कल मुझे तुम्हारी बहुत फिकर हो रही थी आख़िर बात क्या है
शोभा का ब्लाउस और पेटिकोट भीग कर उसके बदन से चिपके हुए थे उसकी चुचियाँ और निपल्स सॉफ दिखाई दे रहे थे

बबलू से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था बबलू दूसरी तरफ घूम गया शोभा ने उसको बाजू से पकड़ कर झटके से सीधा किया
शोभा; चुप क्यों है

बबलू: बबलू से अब बर्दास्त नही हो रहा था दोनो छत पर बने स्टोर रूम के साथ खड़े थे बबलू ने अपने बाजू को झटकते हुए उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और शोभा को धक्का देकर स्टोर रूम की दीवार से सटा दिया

बबलू:तू क्या मेरी बीवी है साली जो मुझसे इतने सवाल जवाब कर रही है
AMAZING AWESOME FANTASTIC STORY HA BHAI
 
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शोभा;क्या कहा तुमने (और शोभा ने उसे एक चाँटा झाड़ दिया)

बबलू गुस्से से लाल हो गया और उसने आगे बढ़ कर शोभा के कंधों से पकड़ कर दीवार से सटा दिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए शोभा ने उसे ज़ोर लगा कर धक्का दिया और एक चाँटा बबलू के गाल पर झाड़ दिया

बबलू की नज़रें शोभा की चुचियों पर गढ़ी हुई थी जो सॉफ दिख रही थी जब शोभा को अपनी हालत का पता चला तो उसने सर झुका लिया और स्टोर रूम के अंदर आ गयी बबलू भी उसके पीछे अंदर आ गया शोभा ने अपने दोनो हाथों से अपनी चुचियों को ढक रहा था और बबलू उसके पीछे खड़ा था शोभा ने सोचा अगर उसकी चुचियाँ सॉफ दिखाई दे रही है तो उसका पेटिकॉट भी बहुत पतला है और उसने नीचे पैंटी भी नही पहन रखी है ये सोच कर उसका दिल जोरों से धड़कने लगा बबलू शोभा के करीब आने लगा

शोभा:वहीं रुक जाओ ये ठीक नही है मुझसे बुरा कोई नही होगा अगर एक कदम भी
और शोभा वहीं बोलते-2 रुक गयी क्योंकि बबलू उसके साथ एक दम सट गया था उसे अपने चुतड़ों की दर्रार में कोई सख़्त चीज़ की चुभन महसूस हो रही थी और शोभा जानती थी कि ये गरम अहसास बबलू के लंड का है बबलू ने शोभा को दोनो हाथों से कंधो से पकड़ लिया शोभा एक दम घबरा कर आगे हो गयी और वो स्टोर रूम के अंदर की दीवार के बिल्कुल पास थी और ना ही आगे बढ़ने की जगह थी

शोभा: देखो तुम जाओ यहाँ से ये ठीक नही में शोर मचा दूँगी

थोड़ी देर तक कोई हरकत नही हुई शोभा का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था शोभा ने डरते हुए पीछे देखा जैसे ही उसने पीछे देखा तो वो मंज़र देख शोभा का दिल और जोरों से धक-2 करने लगा पीछे बबलू अपना 8 इंच का लंड हाथ में लिए खड़ा था जिसकी नसें एक दम फूली हुई थी शोभा ने अपनी नज़रें आगे कर ली

इससे पहले के शोभा कुछ बोलती बबलू फिर से उसके पीछे आ गया अब शोभा के आगे बढ़ने के जगह नही थी बबलू उसके पीछे से उसके साथ चिपक गया और अपने दोनो हाथ उसकी कमर से आगे करते हुए उसके पेट पर रख दिए और पीछे से ब्लाउस के ऊपेर की खुली पीठ पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा


शोभा:अहह क्या कर रहे हो छोड़ दूओ उंह

शोभा ने विरोध किया लेकिन बबलू ने उसे कस के पकड़ा हुआ था शोभा जितना आगे हो सकती थी वो आगे सरक गयी अब वो दीवार के साथ सट गयी थी बबलू अपने हाथों को ऊपेर की और लेजाने लगा पर शोभा ने अपनी चुचियों को हाथों से ढक रखा था बबलू की नज़र पेटिकोट के बाहर लटक रहे नाडे पर पड़ी बबलू ने बिजली की गति से नाडे को पकड़ कर खींच दिया इससे पहले कि शोभा अपने हाथों से पेटिकोट को पकड़ती बबलू ने शोभा के दोनो हाथों को पकड़ लिया और ढीला होते ही पेटिकोट सरकता हुआ नीचे गिर गया अब शोभा नीचे से बिल्कुल नंगी थी बबलू ने एक हाथ से शोभा के हाथ को छोड़ दिया और उसे दीवार के साथ सटा दिया अब शोभा बबलू और दीवार के बीच में धँस गयी थी बबलू ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और थोड़ा सा नीचे झुक कर शोभा की चूत में घुसाने के लिए आगे करने लगा पर शोभा ने अपनी टाँगों को भींच रखा था जिससे बबलू अपने लंड को उसकी चूत के पास नही ले जा पा रहा था शोभा अब भी विरोध कर रही थी बबलू ने अपने लंड को शोभा की गान्ड की दरार में रगड़ने लगा और हाथ से पकड़ लंड के सुपाडे को शोभा की गान्ड के छेद पर टिका दिया


शोभा:ओह अहह शोभा के बदन ने झटका लिया उसके बदन में बिजली दौड़ गयी अपनी गान्ड के छेद पर गर्म लंड के सुपाडे को महसूस करके उसके अंदर हल चल होने लगी बबलू साथ में उसकी पीठ को चाट रहा था करीब 5 मिनट तक बबलू अपने लंड के सुपाडे को शोभा की गान्ड के छेद पर रगड़ता रहा शोभा से अब बर्दास्त नही हो रहा था उसकी टाँगें ढीली पड़ने लगी और खुद ब खुद खुलने लगी बबलू ने मोका देखते हुए नीचे झुक कर लंड को पकड़ कर शोभा की चूत के छेद पर टिका दिया और धीरे –2 अंदर करने लगा जैसे ही बबलू का लंड शोभा की चूत के छेद पर लगा उसके बदन में करेंट दौड़ गया एक ज़ोर के झटके के साथ उसका बदन काँप गया और जिससे उसके बदन ने झटका खाया बबलू के लंड का सुपाडा शोभा की चूत की फांकों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया

शोभा: अहह नही बब्बब्ब यीयीईयी उम्ह्ह्ह्ह्ह

इससे पहले कि शोभा और कुछ बोलती बबलू ने दोनो हाथों से शोभा के चुतड़ों को पकड़ कर एक और ज़ोर दार झटका मारा लंड चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया और सीधा बच्चेदानी से जा टकराया


शोभा:उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहह शोभा की आँखें बंद हो गयी उसने अपने दोनो हाथों की हथेलियों को दीवार से टिका दिया बबलू ने धीरे से अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिर से धीरे –2 अंदर करने लगा शोभा की चूत में पानी आने लगा लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया बबलू ने फिर से अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला पर इसबार उसने वापिस धक्का नही मारा लंड का सुपाडा चूत के अंदर था शोभा पूरी तरह गरम हो चुकी थी बबलू ने शोभा की नेक पर पीछे चूमना शुरू कर दिया शोभा की चूत बबलू के लंड को अपनी गहराइयों तक अंदर लेने के लिए मचल रही थे इसलिए शोभा मस्ती में आकर धीरे अपनी गान्ड को पीछे की तरफ करने लगी लंड फिर से अंदर जाने लगा जैसे ही लंड फिर से अंदर चला गया शोभा ने अपने होंठो को दाँतों में भींच लिया और उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ उसकी मस्ती को बयान कर गयी बबलू को पता चल चुका था कि अब शोभा पूरी तरह गरम हो चुकी है बबलू ने अपने दोनो हाथ आगे करके शोभा की 38 साइज़ की चुचियों को पकड़ लिया और उन्हे मसलने लगा शोभा अब बिल्कुल चुप खड़ी थी उसका विरोध ख़तम हो चुका था बबलू ने धीरे-2 शोभा के ब्लाउस के हुक्स खोलने चालू कर दिए कुछ ही पलों में शोभा की चुचियाँ ब्लाउस से बाहर आ गयी 38 साइज़ की चुचियों पर काले निपल्स एक दम मोटे-2 और तने हुए थी बबलू शोभा के निपल को उंगलियों के बीच में मसलने लगा



शोभा की मस्ती का कोई ठिकाना नही था बबलू ने धीरे-2 धक्के लगाने शुरू कर दिए लंड शोभा की चूत के अंदर बाहर होने लगा बबलू की रफ़्तार धीरे-2 बढ़ने लगी शोभा हल्की आह आह की आवाज़ निकालने लगी पूरे कमरे में फतच-2 की आवाज़ गूँज रही थी बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी शोभा अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी शोभा ने अपने पैरो को खोल लिया और बबलू तबडतोड़ धक्के मारने लगा शोभा का बदन ऐंठने लगा और वो अहह अहह करती हुई झड गयी कुछ ही धक्को के बाद बबलू ने शोभा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया शोभा आज कई सालों बाद झड़ी थी उसके चहरे के भाव उसकी संतुष्टि को बयान कर रहे थी बबलू ने लंड को चूत से बाहर निकाला जो पूरी तरह से भीगा हुआ था और बिना देर किए बबलू ने पेंट पहनी और नीचे चला गया शोभा कुछ देर वैसे ही खड़ी रही फिर वो सीधी हुई और अपनी जाँघो को फैला कर देखने लगी उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी जाँघो तक फैला हुआ था उसकी चूत के होंठ अभी भी खुले हुए थे शोभा ने वहाँ पड़े एक पुराने कपड़े के टुकड़े को उठाया और अपनी जाँघो को फैला कर अपनी चूत और जांघे सॉफ की फिर उसने पेटिकोट और ब्लाउस पहना और नीचे आ गयी और नीचे आने के बाद बाथरूम में घुस गयी और कपड़े उतार कर नहाने लगी नहाने के बाद उसने दूसरी साड़ी पहन ली और बेड पर लेट गयी
 
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शोभा ने दूसरी साड़ी पहन ली और बेड पर लेट गयी
शोभा: मन में) ये क्या हो गया मैने उसे रोका क्यों नही
यही सब सवाल उसके जेहन में घूम रहे थे शोभा बहुत परेशान थी थोड़ी देर में उसे नींद आ गयी दोपहर के 2 बज रहे थे बबलू नीचे अपने रूम में सोया हुआ था तभी डोर बेल बजी बबलू ने उठ कर गेट खोला तो सामने अमन और रेणु खड़े थे वो स्कूल से वापिस आए थे बबलू और रेणु की नज़रें आपस में टकरा गयी दोनो ने एक पल के लिए एक दूसरे को देखा फिर रेणु बिना कुछ बोले अंदर आ गयी और ऊपर चली गयी और अमन भी छत में ऊपर चला गया शोभा अभी भी सो रही थी रेणु ने जाकर अपनी माँ शोभा को उठाया
शोभा:एक झटके से उठ कर बैठ गयी

रेणु:क्या हुआ माँ डर क्यों गई

शोभा: नही कुछ नही कब आई तुम

रेणु:अभी आई

शोभा:जाओ ड्रेस चेंज कर लो और हाथ मुँह धो लो में खाना बनाती हूँ

अमन:क्या माँ अभी तक खाना नही बना मुझे बहुत भूक लगी है

शोभा:कोई बात नही में अभी 10 मिनट में बना देती हूँ

और शोभा उठ कर किचन में आ गयी और खाना बनाने लगी खाना बनाते हुए भी उसके दिमाग़ में सुबह की घटना का सारा मंज़र उसकी आँखों के सामने से गुजर जाता ना चाहते हुए भी शोभा चुदास से भरने लगी सुबह की ज़बरदस्त चुदाई ने उसकी चूत में फिर से पानी से भर दिया शोभा कई सालों बाद झड़ी थी यहाँ तक कि उसका पति भी जब तक वो जिंदा था 1 या दो बार उसे चर्म तक पहुँचा पाया था इतना मज़ा उसे चुदाई में जिंदगी में पहले कभी नही मिला था जैसे तैसे उसने खाना बनाया और खाना परोस दिया और एक थाली में खाना डाल कर नीचे आ गयी रेणु और अमन खाना खा रहे थे शोभा ने जैसे ही बबलू के रूम के डोर को हाथ लगाया वो थोड़ा सा खुल गया अंदर बबलू बेड पर लेटा हुआ था शोभा बेड के पास पड़े छोटे टेबल के पास आई और खाने की थाली टेबल पर रख दी बबलू भी बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया

शोभा: खाना खा लो

शोभा ये कह कर वापिस मूड कर जाने लगी तो बबलू ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ लिया

शोभा: मेरा हाथ छोड़ो
और शोभा अपना हाथ छुड़ाने लगी बबलू ने उसे कंधों से पकड़ कर दीवार के साथ सटा दिया

शोभा अपने आप को छुड़ाने की कॉसिश करते हुए) ये क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे बच्चे घर पर हैं

पर बबलू ने उसके एक ना सुनी और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और एक लंबा किस करने के बाद उसने शोभा को छोड़ दिया बाहर बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी शोभा की साँसें तेज़ी से चल रही थी बबलू ने अपना शॉर्ट्स को नीचे कर दिया और उसका 8 इंच का लंड हवा में झटके खाने लगा शोभा ने अपना फेस दूसरी तरफ घुमा लिया बबलू ने आगे बढ़ कर शोभा के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया शोभा एक दम काँप गयी और झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया


बबलू:साली अब नखरे कर रही है सुबह तो गान्ड पीछे मार-2 कर लंड ले रही थे चूत में चल पकड़ इसे
और बबलू ने फिर से उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया और अपने हाथ से शोभा के हाथ को हिलाने लगा थोड़ी देर बाद उसने शोभा का हाथ छोड़ दिया शोभा मन में सोच रही थी कितना बड़ा लंड है इसका इस उम्र में भी थोड़ी देर बाद उसने लंड छोड़ दिया और बिना कुछ बोले ऊपर चली गयी जब शोभा ने बबलू का लंड थाम रखा था तो उसका दिल कर रहा था कि वो इसे पकड़े रखे और खूब अच्छी तरह से सहलाए पर बच्चे घर पर थी इसले वो ऊपर आ गयी ऊपर आकर शोभा ने खाना खाया और बर्तन सॉफ करके ऊपर छत पर चली आई ऊपर आकर उसने देखा अभी भी हल्की बूँदा बाँदी हो रही थी इसलिए वो नीचे आ गयी रेणु और अमर सोने की तैयारी कर रहे थे रेणु और अमर एक कमरे में सोते थे और शोभा का रूम अलग था रात के 11 बज रहे थे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था रेणु और अमन सो चुके थे लेकिन शोभा अपने रूम में लेटी हुई थी उसे नींद नही आ रही थे बबलू ने उसके अंदर हवस की आग भड़का दी थी शोभा के रूम में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था


उसका डोर खुला था तभी शोभा को कदमों की आहट आती सुनाई दी जब वो सख्स शोभा के डोर के सामने आया तो वो बबलू था शोभा का दिल जोरों से धड़कने लगा वो मन में सोचने लगी अब में करूँ अगर वो अंदर आ गया तो मुझे डोर बंद कर देना चाहिए पर ना चाहते हुए भी वो उठ ना पाई और ऐसे ही लेटी रही बबलू बिना आवाज़ किए उसके रूम में आ गया बबलू 0 वॉट के बल्ब के रोशनी में शोभा को बिल्कुल सॉफ देख पा रहा था बबलू ने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स पहन रखा था वो शोभा के बेड के पास आकर खड़ा हो गया शोभा एक टक उसे देख रही थी बबलू ने एक झटके से अपना शॉर्ट्स खींच कर नीचे कर दिया और उसका लोहे की रोड जैसे तना हुआ लंड लेटी हुई शोभा के एक दम सामने था शोभा एक दम से डर गयी उसे डर था कि कहीं रेणु या अमन देख ना ले और ना ही वो बबलू को कुछ कह पाई शोभा जल्दी से बेड से उठ कर खड़ी हो गयी और डोर की तरफ गयी और डोर लॉक कर दिया
 
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डोर लॉक करने के बाद जैसे ही शोभा मूडी तो उसने देखा बबलू बेड पर लेटा हुआ था और अपने हाथ से अपने लंड की चमड़ी को सुपाडे के आगे पीछे कर रहा था शोभा पहले से हवस की आग में जल रही थी शोभा डोर लॉक करके सीधा बेड के पास आकर खड़ी हो गयी बबलू ने शोभा का हाथ पकड़ कर उसे खींच कर बेड पर बैठा दिया और उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया शोभा ने काँपते हुए हाथ बबलू के लंड पर कस गये वो बबलू के लंड को धीरे-2 सहलाने लगी बबलू ने अपना हाथ शोभा के हाथ से हटा कर उसकी लेफ्ट चुचि पर रख दिया और उसे मसलने लगा शोभा धीरे-2 गरम होने लगी शोभा एक दम से खड़ी हो गयी और तेज़ी से अपने ब्लाउस के हुक्स खोल कर ब्लाउस को निकाल कर फेंक दिया बबलू पहली बार शोभा की बड़ी-2 चुचियों को सामने से देख रहा था जिसे देख उसका लंड एक दम से तन गया ब्लाउस को फेंकने के बाद शोभा ने पेटिकोट को नाडा खींच कर पेटिकोट खोल दिया पेटिकोट नीचे सरक कर फर्श पर गिर गया बबलू से अब बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था बबलू बेड से खड़ा हुआ और शोभा को बाहों में भर लिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए

जवाब में शोभा ने भी अपने होंठो को खोल कर ढीला छोड़ दिया बबलू ने जी भर के शोभा के होंठो के रस को चूसा बबलू का एक हाथ शोभा की चुचियों को बारी-2 मसल रहा था

शोभा: अह्ह्ह्ह उंह जल्दी करो रेणु उठ ना जाए

बबलू ने शोभा को बेड पर सीधा लेटा दिया और खुद उसकी टाँगों को फैला कर उसकी जाँघो के बीच में बैठ गया बबलू ने झुक कर शोभा के एक निपल को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा

शोभा: (अहह उंहस सीईईईईईईईई अहह करने लगी शोभा ने दोनो हाथों से बेडशीट के कस के पकड़ लिया

बबलू एक हाथ से शोभा की चुचि मसल रहा था और दूसरी चुचि को पागलों की तरह चूस रहा था शोभा की चूत एक दम गीली हो चुकी थी बबलू ने उसके निपल को मुँह से निकाला और दूसरे निपल को मोहन में भर कर चूसने लगा शोभा पूरी तरह गरम हो चुकी थी उसे बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था

शोभा:अहह जल्दी करो उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

बबलू ने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर अपने लंड को पकड़ कर शोभा की चूत के छेद पर लगा दिया और आगे की तरफ धक्का दिया आधा लंड चूत की फांकों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया शोभा की सुलगती हुई चूत को जैसे बबलू के लंड का इंतजार था शोभा की कमर अपने आप ही ऊपर की तरफ उचक गयी शोभा की गान्ड ने एक और झटका खाया लंड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया


3-6-piper-perri-tiny4k-patriotic-pounding-004 452-1000

शोभा:अहह रीईईईई जालिम उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

शोभा को इस्कदर गर्म देख बबलू ने लंड को अंदर बाहर करना चालू कर दिया फतच-2 की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी शोभा पूरी तरह मस्त हो चुकी थी जैसे बबलू लंड बाहर करता शोभा अपनी गान्ड को उछाल कर बबलू के लंड पर पटकती फतच की आवाज़ से लंड फिर अंदर चला जाता शोभा के हाथ बबलू की पीठ पर कस गये थे और टाँगें उठ कर बबलू की कमर के इरद गिर्द कस ली थी दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे बबलू शोभा के होंठो को चूस रहा था और शोभा अपना मुँह खोल बबलू का पूरा साथ दे रही थी शोभा की चूत से पानी बह कर उसकी गान्ड के छेद तक आ गया था शोभा झड़ने के बहुत करीब थी शोभा के हाथ बबलू की पीठ पर और तेज़ी से घूमने लगे बबलू समझ चुका था कि शोभा झड़ने वाली है इसलिए बबलू ने अपने धक्को की तेज़ी और ज़ोर से लगाने लगा शोभा भी पूरी ताक़त से ऊपर की तरफ अपनी चूत को लंड पे पटकने लगी
 
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