Nice update Bhaiभाग 3 .............
विमला के जाने के बाद शिल्पा अकेली रह जाती है। और मन में सोचती है की कल भाई आ जायेगा और आज रात का भी कुछ नही हो पायेगा। पता नही विमला का बेटा कैसा होगा। ईश्वर सब भली करें ऐसा सोचते हुए वो अपने घर की रसोई में जाती है उसे अभी भूख नही थी इसलिए सोचा कि कुछ देर Tv पर ही कुछ देखा जाए और ये सोचकर घर के हॉल में जाती है और सोफे पे बैठ कर रिमोट से tv ऑन करती है। कुछ देर तक चैनल बदलती है लेकिन कुछ पसंद नही आता तो उसे बंद कर के रिमोट रख देती है।
और वही बैठी आंखे बंद करके कुछ सोचती है।
और अचानक उठकर अपने कमरे में जाती है और आईने के पास खड़ी हो जाती है और बड़े।गौर से अपने आप को ऊपर से नीचे तक बहूत ध्यान से देखती है। कुछ देर देखने के बाद कपड़े के ऊपर से ही अपने स्तनों को अपनी हथेली से थामते हुए ऊपर की तरफ उठती है और उसे ऐसे उछालती है जैसे उसके हाथों पे कोई बड़ी गेंद रखी हो और उसे उछाल उछाल कर खेल रही हो। ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर एक मादक सी मुस्कान छ जाती है।
और फिर पलट कर पीछे की तरफ घूम कर अपने कमर के नीचे के उभारो को देखते हुए उन्हें कपडे के ऊपर से मसलती है। और नितंबो पर दोनों हाथों से जोर की थाप लगती है जिससे दोनों नितम्भ एकदूसरे से टकराकर विपरीत दिशां में तेजी से किसी जैली की तरह हिलने लगते है। और ये देखकर शिल्पा जोर से आह भर्ती हुई आंखे बंद करके जोर से सिसकारियां लेती हुई बोल पड़ती है आह ह हम्म ओह मा किसी घोड़ी से कम नही शिल्पा रानी तेरी गांड, तुझे तो किसी मोटे और लंबे लंड की सख्त जरूरत है। हय विमला कहाँ चली गई तू.. देख कितनी प्यासी है मेरी गांड और चूत..
अब क्या करूँ .... ये बोलते हुए शिल्पा अपने बदन को सहला सहला कर थपकियाँ मार मार के आहें भरने लगती है। और एक एक करके धीरे धीरे अपने बदन के कपड़ो को अलग करके आईने के सामने मदरजात पूरी तरह नंघी खड़ी हो जाती है।
उधर रात काफी गहरी हो चली थी। इस गांव में लोग अंधेरा होने तक अपने घरों में चले जाते थे और उसके बाद बाहर सिवाय सन्नाटे के कुछ नही दिखता था।
कमाल की बात तो ये थी कि गली के कुत्ते भी ऐसे गायब रहते थे जैसे गधे के सर से सींग।
लेकिन आज पूणिमा का चांद अपने शबाब पर था वो भी एकदम सर के ऊपर।
गांव से एक रास्ता सीधे जंगल से होते हुए स्टेशन तक जाता था। जो गांव से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर था। स्टेशन छोटा होने के कारण बहूत ही कम गाड़ियां रुकती थी और रात में उतरने वाली सवारियां मजबूरी में पूरी रात स्टेशन पर ही रुक जाया करती थी क्योंकी रात में गहरे घने जंगल से होकर गांव तक जाने की हिम्मत किसी मे नही थी। ये जंगल इतना घना और बड़ा था कि दिन में भी अंधेरा से लगता था।
लोगो का कहना था कि जंगल मे रात के समय गुजरने वाले व्यक्ति को अजीब अजीब आवाजें सुनाई पड़ती है जैसे कोई बुला रहा हो या वहां अक्सर अजीब से घटनाएं भी होती रहती है।
इस गांव से लगभग 250km दूर एक ट्रेन 60 की रफ्तार से पटरियों पर दौड़ी चली जा रही है। और उसी ट्रैन में एक नौजवान स्लिपर कोच में बैठा हुआ है जो लगातार खिड़की से बाहर देख रहा है। उस कोच में अंधेरा और सन्नाटा दोनों है अधिकतर यात्री सो गए है। नौजवान ने अपने चेहरे पर काले रंग का मास्क पहना है। और सर पर एक गोल सी टोपी भी पहन रखी है। जिसके कारण उसके हाव भाव पता नही चल पा रहे है। लेकिन उसकी आंखें न जाने क्यों आंसुओ से भरी है और दोनों आंखों से आंसू की धारा बह जाने को बेकरार है। जो कब छलक पड़े अंदाज़ नही लगाया जा सकता।
उसी ट्रैन के अंदर उसी स्लीपर कोच में एक लड़का और एक लड़की दरवाजे के पास बैठे हुए है। उन्हें देख कर ऐसा लगता है कि टिकट नही मिल पाने के कारण या सीट कन्फर्म नही होने के कारण मजबूरन उन्हें गेट के पास ही बैठना पड रहा है। लड़की की उम्र 20 के आसपास होगी जबकि लड़के की उम्र भी लगभग 22 के आसपास ही लगती है।
ट्रैन में काफी अंधेरा होने के कारण ज्यादा कुछ पता नही लग पा रहा है कि कौन किस अवस्था में है या क्या पहना है या क्या कर रहा है।
बीच बीच मे बाहर से आती रौशनी ही एकमात्र उजाले का स्त्रोत बन रही है जिससे थोड़ा बहूत कुछ देर के लिए दिखाई पड़ जाता है। लडकी थकान और नींद के कारण लड़के के सीने पर सर रखकर आंखे मुंदे हुए लेटी है। और लड़का
भी लगभग आधी नींद में एक तरफ सर टिकाए बैठा हुआ है। तभी अचानक ट्रैन के अंदर रौशनी बढ़ जाती है और ट्रैन की गति धीमी होने लगती है। और धीरे होते हुए ट्रैन रुक जाती है। ट्रैन के झटके से लड़की की नींद खुल जाती है जो ऊँघे पड़ी थी इतनी देर से। और पूछती है क्या हुआ बाबू ये गाड़ी क्यों रुक गई।
लड़का: कुछ नही शायद कोई स्टेशन आया है।
उधर दूसरी तरफ खिड़की के पास बैठा हुआ शख्स अचानक से खड़ा होता है और अपनी जेब से एक चाकू निकालता है और.......
अपनी सीट से खड़ा हो जाता है। और बढ़ जाता है दरवाजे की तरफ।
उधर गांव में विमला के घर पर सभी सो रहे है। लेकिन विमला की आंखों में नींद नही।
बदन पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहने है। जो पूरी तरह कमर के ऊपर तक उठी है। आंखे बंद किये हुए एक हाथ की उंगली चूत के अंदर डाले हुए अंदर बाहर कर रही है और दूसरे हाथ से अपने स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलते हुए कुछ बड़बड़ा रही है धीमी आवाज में।
आह उम्मह जोर से और जोर से चुसो आह और तेज करो मालकिन चबा डालो में चूत पूरी जीभ डालकर सारा रस निकाल लो मालकिन। और चाटो तेज हमम तेज तेजज्ज्ज्ज् अ आह मैं झा झा झा.......... डीईईईईई
एक तेज सफेद दूध की मलाई जैसी धार चूत से निकलती हुई सीधे 2 हाथ की दूरी पर लगातार निकलने लगती है। चूत की फ़ाके तेजी से फड़कते हुए ऊपर नीचे होते हुए फड़क रही है जैसे कोई कबूतरी अपने पंख फड़फड़ा रही हो। विमला अपनी गांड तेजी से उठा उठा कर ऊपर नीचे उत्तेजना में करने लगती है। बेकाबू पतंग की तरह कभी इधर कभी उधर ऊपर नीचे करने लगती है। विमला का बहूत ही तेज और मलाईदार स्खलन हुआ। पूरा बिस्तर भीग चुका था और जमीन पे तो जैसे किसी ने पूरा दूध का गिलास ही उलट दिया हो। विमला के शरीर मे जैसे जान ही नही बची थी। बेहद ही शानदार हस्तमैथुन किया था उसने मालकिन को याद करके। उधर दूसरे कमरे में उसके बच्चे अपनी दादी के साथ सो रहे थे गहरी नींद में। असल बेटा जिसकी ताबियत खराब हो गई थी। वो भी शायद आराम मिल जाने के कारण सो रहा था। वैसे विमला और पूरा परिवार एल ही कमरे में एक साथ ही सोता है। लेकिन कभी विमला दूसरे कमरे में सो जाया करती है।
कुछ देर उसी तरह लेटी रहने के बाद विमला उठती है और बिस्तर बदलकर ठीक करती है और कमरा साफ करके फ्रेश होकर वापस अपने बिस्तर पर आकर बैठ जाती है। उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे। और मन में सोचती है काश सच मे मालकिन यहां पर होती तो कितना अच्छा होता। मालकिन कितनी ज्यादा अच्छी है।
भगवान उन्हें हमेशा सुखी और संपन्न रखे। बहूत दुख झेले है उसने। कितनी भोली अनछुई और मासूम थी वो जब पहली बार शादी होकर आई थी। और मैं भी तो वैसी ही थी। क्या पता था कि किस्मत ऐसे मोड़ पर लेकर आ जायेगी...
ये सब सोचते हुए उसकी आँखों मे आंसू भर आते है।
कहनी जारी है.....
Nice update Bhaiभाग 4 ...
अजनबी मुसाफिर हसीना।
उधर ट्रैन में वो अनजान युवक हाथो में चाकू लिये गेट की तरफ बढ़ा चला जा रहा है। ट्रैन में स्टेशन से आने वाली रौशनी फैली हुई थी। अचानक ट्रैन की तेज सीटी बजती है और एक झटके से चल पड़ती है। युवक थोड़ा सा असहज होता है और उसके भारी बूट किसी चीज से टकरा जाते है जिससे वो अपने दाई ओर की सीट पे गिर पड़ता है। और एक चीख अचानक से निकल पड़ती है, जो किसी युवती की होती है।
उस स्लीपर सीट पे शायद कोई युवती अपने चेहरे को ढक कर सो रही थी, अचानक हुए इस घटना से डर कर चीख पड़ी थी। युवक का पूरा शरीर उसके ऊपर था पैर से सर तक युवती उसके नीचे दब जाती है। अपनी चद्दर को चेहरे से किसी तरह हटाती है, इससे पहले की वो और अधिक चिल्लाती युवक उसके मुंह को अपने हाथ से कस कर ढक देता है। और दूसरे हाथ मे थामे हुए चाकु को उसकी नज़रो के सामने कर के उसे चुप रहने के लिए इशारा करता है। लड़की की आवाज़ ट्रैन की सीटी और चलने की गड़गड़ाहट में शायद दब जाती है जिससे कोई उसकी आवाज को सुन नही पाया। दोनों की नज़र एकटक एक दूसरे को अपलक निहार रही है। लड़की की धड़कन ट्रैन की पटरियों की तरह तेजी से धाड़ धाड़ कर रही थी। डर और खौफ से उसका शरीर मानो निर्जीव सा होने लगा था।
युवक को उसकी इस हालत का अहसास जब होता है तो वो चाकू को वापस अपने कोट की जेब मे रख देता है। और अपने हाथ को कान पे लगाते हुए माफी मांगता है। और ना चिल्लाने की गुजारिश करता है। कुछ देर में लड़की का डर थोड़ा कम होता है और वो अपनी पलको को झपक कर सर को हल्के से हिला कर इशारा करती है कि वो नही चिल्लाएगी।
लड़की की तरफ़ से निश्चिन्त होकर युवक अपने हाथ को उसके मुंह पर से धीरे धीरे हटाता है। उसके चेहरे को देखकर युवक अपलक हो जाता है। शायद इतना खूबसूरत चेहरा उसने कभी नही देखा था। बड़ी बड़ी कजरारी आंखे जो एकटक उसे देख रही थी, मासूम सी दिखने वाली ये लड़की बला की खूबसूरती लिए हुए थी, गाल एकदम किसी मासूम से छोटे बच्चे की तरह मुलायम जिसे छू भर देने से लाल हो जाएं। उसके गालों पर युवक की उंगलियों के निशा गिने जा सकते थे, होठ बेहद रसीले कश्मीरी सेब से लाल। इतनी मादक सुगंध उसके बालों और जिस्म से आ रही थी जिसकी युवक ने कभी कल्पना तक नही की थी। हैरान था कि ऐसी मादक खुशबू भी होती है। क्या ये सच मे धरती की ही है या कोई अप्सरा है। अजीब सा सम्मोहन था उसके आंखों और चेहरे में। और उस पर वो खुशबू तो जैसे दिमाग की सोचने की शक्ति को ही हर ले रही थी।
वो युवती भी बड़ी हैरानी से युवक की आंखों में अपलक देखे जा रही थी।
युवक के चेहरे पर काला नकाब था। और सर पे काला गोल हैट था लेकिन उसकी आंखे जो कुछ देर पहले आंसुओं से डूबी हुई थी अब लाल हो चुकी थी। आंखों को देखकर लगता था जैसे वो आंखे कई रातों से सोई नही है और केवल आंसुओ से डूबी रहती है हमेशा।
लड़की : क कौन हैं आप प प्लीज हटिये उपर से मुझे दर्द हो रहा है।
लड़की की आवाज जैसे कोई सम्मोहिनी मंत्र हो। जिसे सुनने के बाद दुनिया की कोई दूसरी आवाज़ सुनने की चाहत ही खत्म हो जाये।
युवक सब कुछ भूल चुका था, कौन है वो कहा जा रहा था क्या करने वाला था। उसे कुछ याद नही एकदम जड़ अवस्था को शायद प्राप्त हो चुका था।
लड़की उसे अपने ऊपर से धक्का देकर हटाने की कोशिश करती है। लेकिन उस जिस्म में जान हो तब तो हटे ऊपर से।
युवक पर उसकी किसी भी बात का या धक्के पर कोई प्रभाव नही पड़ा।
युवती को अब मन ही मन डर लगने लगा कि हे भगवान ये कैसी मुसीबत ऊपर आ पड़ी। भगवान मैं क्या करूँ बचा लो मुझे, प्लीज।
ये सोचते हुए वो अपनी आंखें बंद कर लेती है और उसकी आंखों से आंसू की बूंदे स्वतः ही बह निकलती है।
ये आंसू अचानक से जैसे कोई जादू सा असर युवक के जड़ हुए जिस्म में प्राण फूंकने का काम करती है। और बिजली की गति से युवक उसके ऊपर से उठकर अपने को संभालता हुआ उठ खड़ा होता है।
और अपने चारों तरफ़ हड़बड़ाहट में नज़र दौड़ाता है। उसके जिस्म में कंपन था। उसे सूझ नही रहा था कि वो क्या करे। उसकी नज़र फिर से लड़की की आंखों और चेहरे पर पड़ती है जो आंसुओ से भीग चुकी थी। लड़का अपनी पैंट की जेब टटोलता है और हबड़ाहट में एक रुमाल उसके हाथ मे आता है जिसे वो कांपते हाथो से लड़की के चहरे पर बहते हुए आंसुओ के सैलाब पर रख कर पोछता है।
लड़की रुआंसी अपने होटो को किसी बच्चे की तरह बनाते हुए सुबकती है। युवक फिर से अपने दोनों कानो को पकड़ कर घुटनो पर बैठ कर माफी की इल्तज़ा करता है।
और उठकर खड़े होते हुए वापस अपनी सीट की तरफ बढ़ जाता है।
लड़की एकटक आंखों को पोछते हुए रुआंसी उसे डर से देखती रहती है।
उधर जो लड़का लड़की गेट के पास बैठे हुए थे।
लड़की : बाबू मुझे डर लग रहा है।
लड़का : क्यो डरती हो, मैं हूँ न साथ
लड़की : जहां हम जा रहे है वहां हम सुरक्षित तो रहेंगे न,
लड़का : रजनी, तू बेफिक्र रह हमने कुछ गलत काम थोड़े ही किया है। 1 बरस हो गए हैं हमारे ब्याह को तू तो जानती है ना कि काम और घर के लिए हमे कितनी बार एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। मैं खूब मेहनत करूँगा मेरी रानी तुझे कभी भी अपने से अलग नही होने दूंगा। हमेशा हम दोनों एक दूसरे के साथ रहेंगे चाहे जितनी मुश्किल आ जाये।
रजनी: सच बाबू! मैं भी बहूत प्यार करती हूँ तुमसे कभी तुम्हारे बिना नही रह सकती।
लगता ही नही की 1 बरस हो गए है। हमारे ब्याह को आज भी वही कॉलेज वाले दिन याद आते है। ना जाने कब हमारी गरीबी दूर होगी। और न जाने कब तक यूहीं इधर से उधर भटकते रहेंगे।
रात के लगभग 1 बज रहे है। ईधर शिल्पा की आंखों में नींद नही। उसकी चूत आज कुछ ज्यादा ही फड़क रही थी, अपनी चूत की फांको को फैला कर उससे बात करती हुई कहती है, क्यों री आज कुछ ज्यादा ही गरम हो रही है, अब तेरे लिए लंबा मोटा लौड़ा कहाँ से लाऊं इस समय, विमला भी तो नही है की तुझे चूस कर ठंडी करे, और मैं खुद तुझे चाह कर भी नही चूस सकती मेरी सुंदरी। मेरा मुह तो तुझ तक पहुचेगा नही। बता अब मैं क्या करुं, इसलिए रोना धोना बंद कर, कल भइया भी आने वाले है तब तो कुछ दिन तक तुझे मुह छुपाये ही घूमना पड़ेगा समझी बावली।
लेकिन उसकी चूत की गर्मी कम नही होती इन सब बातों से, तो कुछ सोचते हुए शिल्पा बिस्तर से उठ जाती है।
आज कुछ नया ट्राय करती हूं। जैसा उस गंदी वाली फिल्म में देखा था। बहूत दिन से सोच रही थी करने को बस मौका नही मिल रहा था। और उस अघोरी बाबा ने भी तो कहा था कि जितना ज्यादा होगा उतना ज्यादा फायदा होगा। और ये सब उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर हाल में करना ही होगा।
उनसे मिलने के लिए भी तो जाना है। अब भैया जब वापस चले जायेंगे तभी मौका मिलेगा।
पता नही वो दिन कब आएगा।
कहानी जारी है।.....