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Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

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Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 
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Hope I have cleared it in my recent reply and moreover I am not lovely I am Anand....

Please read carefully Seema had not died she had lost sense
हाँ मुझसे समझने में गलती हुई आपने सीमा का बेहोश होना लिखा है, ये स्पष्ट नही किया कि किसका खून हो गया है। मैंने गलती से सीमा से खून को जोड़ लिया।
दूसरा थ्रिलर वाला पार्ट भी यहां पोस्ट हो रहा है क्या?
और मुझे पता है कि आप आनंद हैं लवली नही।😁😁
Mydarlingdhan ने आपको लवली समझ लिया है😂😆😆🙄😋😋
 
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mydarlingdhan

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हाँ मुझसे समझने में गलती हुई आपने सीमा का बेहोश होना लिखा है, ये स्पष्ट नही किया कि किसका खून हो गया है। मैंने गलती से सीमा से खून को जोड़ लिया।
दूसरा थ्रिलर वाला पार्ट भी यहां पोस्ट हो रहा है क्या?
और मुझे पता है कि आप आनंद हैं लवली नही।😁😁
Mydarlingdhan ने आपको लवली समझ लिया है😂😆😆🙄😋😋
u have prrof bro that is anand
 
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हाँ मुझसे समझने में गलती हुई आपने सीमा का बेहोश होना लिखा है, ये स्पष्ट नही किया कि किसका खून हो गया है। मैंने गलती से सीमा से खून को जोड़ लिया।
दूसरा थ्रिलर वाला पार्ट भी यहां पोस्ट हो रहा है क्या?
और मुझे पता है कि आप आनंद हैं लवली नही।😁😁
Mydarlingdhan ने आपको लवली समझ लिया है😂😆😆🙄😋😋
नही
वो अलग थ्रेड में है छाया नाम से ही है।
 
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भाग- 24
सोमिल की कंपनी पाटीदार फाइनेंस के मालिक रमेश पाटीदार एक 55- 56 वर्ष के प्रभावशाली आदमी थे. उनकी कंपनी में लगभग 200 लोग कार्यरत थे सोमिल और छाया भी उसी कंपनी के सॉफ्टवेयर विभाग में काम करते थे। फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को नियंत्रित करना तथा उनकी गोपनीयता बनाए रखना सोमिल के कार्य का एक हिस्सा था। इस गबन के आरोप में सोमिल का नाम पेपर वालों ने भी उछाला था। सोमिल के फरार होने से यह बात और भी पुख्ता तरह से प्रमाणित हो रही थी।

कमरे में हुआ खून किसी और बात की तरफ भी इशारा करता था। मैं, छाया और सीमा को लेकर ही परेशान था वह दोनों नवयौवनाएँ जो अभी हाल में ही विवाहिता हुई थी और अपने जीवन का आनंद लेना शुरू कर रही थी उन्हें इस तनाव भरे छोड़ो से गुजर ना पढ़ रहा था उनके चेहरे की लालिमा गायब थी वह दोनों ही तनाव में थी।

इस केस को समझ पाना मेरे बस से बाहर था। मैंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। मैंने विवाह में आए लोगों को यथोचित अदर देकर अपने अपने घर जाने के लिए कहा। विवाह मंडप खाली करना भी अनिवार्य था। सूरज ढलते ढलते सभी लोग अपने अपने घर चले गए।

हम सब भी अपने घर आ चुके थे सोमिल के माता पिता भी मेरे घर पर आ गए थे। हम सब अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए आगे होने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे।

छाया और सीमा भी फ्रेश होकर हॉल में आ चुकीं थीं । उसने अपनी कंपनी के मालिक रमेश पाटीदार को फोन किया।

"सर मैं छाया"

" सोमिल की जूनियर।"

"मैंने पेपर में खबर पढ़ी पर सोमिल ऐसा नहीं कर सकता मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ।"

मैंने छाया को फोन का स्पीकर चालू करने के लिए कहा

"मैं भी पहले यही समझता था मैंने सोमिल पर जरूरत से ज्यादा विश्वास किया और उसका यह नतीजा आज मुझे देखना पड़ रहा है। मैं उसे छोडूंगा नहीं देखता हूं वह कहां तक भाग कर जाएगा"

स्पीकर फोन पर आ रही इस आवाज ने हम सभी को रमेश पाटीदार के विचारों से अवगत करा दिया था हमें उनसे किसी भी सहयोग की उम्मीद नहीं थी।

शर्मा जी भी अपनी जान पहचान के पुलिस अधिकारियों से बात कर सोमिल का जल्द से जल्द पता लगाने का प्रयास कर रहे थे।

छाया और मैंने पिछली रात जो संभोग सुख लिया था उसने छाया को थका दिया था। वह सोफे पर बैठे बैठे ही सो गई थी निद्रा में जाने के पश्चात उसके चेहरे का लावण्या उसकी खूबसूरती को एक बार फिर बड़ा गया था यदि सोमिल के गायब होने का तनाव मेरे मन पर ना होता तो मैं छाया को अपनी गोद में उठाकर एक बार फिर बिस्तर पर होता पर आज कुदरत हमारे साथ नहीं थी मैंने और छाया ने इतना दुखद दिन आज से पहले कभी नहीं देखा था।

(मैं डिसूजा)

होटल समय 11 बजे

मैं होटल की सीसीटीवी फुटेज देख रहा था तभी सत्यनारायण का फोन आया

"सर दूसरे कमरे में भी खून के निशान मिले हैं"

"क्या? कहां?"

"सर' सर बिस्तर पर"

"ठीक है मैं आता हूं।"

(दूसरे वाले कमरे में)

गद्दे पर थोड़ा रक्त के निशान थे और उसके आसपास दाग बने हुए थे रक्त का निशान ताजा था।

मेरा सिपाही मूर्ति सामने आया और बोला

"सर इस गद्दे के ऊपर बिछी हुई चादर पर कोई भी दाग नहीं था पर गद्दे पर यह दाग ताजा लगता है"

पीछे से किसी दूसरे सिपाही ने कहा

"कहीं सुहागरात का खून तो नहीं है"

पीछे से दबी हुई हंसी आवाज आई।

" रूम सर्विस से पता करो इस दाग के बारे में"

दोनों ही रूम से मेरी टीम ने कई सारे सबूत इकट्ठा किए बिस्तर पर लगे हुए खून को भी मैंने फॉरेंसिक टीम में भेज दिया।

होटल के दोनों कमरों को सील कर हम लोग वापस पुलिस स्टेशन आ गए सोमिल की तलाश अभी भी जारी थी सोमिल की कॉल डिटेल का इंतजार था।

वापस पुलिस स्टेशन आते समय मैं उन दोनों युवतियों के बारे में सोच रहा था नाइटी पहने हुई युवती बेहद कामुक थी दूसरी वाली तो और भी सुंदर थी । मेरे मन में कामुकता जन्म ले रही थी पर मैंने अभी इंतजार करना उचित समझा।

मंगलवार सुबह 8:00 बजे, मानस का घर

(मैं मानस)

पिछली रात में और सीमा अपने बिस्तर पर थे । छाया को भी अपने कमरे में मन नहीं लग रहा था वह भी हमारे पास आ गई। हम सोमिल के बारे में बातें करते करते सो गए। हम तीनों एक ही बिस्तर पर के दिनों बाद थे।

छाया का विवाह भी हो चुका था और प्रथम संभोग भी। यदि आज कोई और दिन होता तो मैं,सीमाऔर छाया अपने अद्भुत त्रिकोणीय प्रेम का आनंद ले रहे होते। पर आज सोमिल के इस तरह गायब होने का दुख हम तीनों को था। हम तीनों की ही कामुकता जैसे सूख गई थी अन्यथा दो अप्सराओं को अपनी गोद में लिए हुए अपने राजकुमार को नियंत्रण में लाना असंभव था।

मेरे फोन पर घंटी बजी डिसूजा का फोन था

"10:00 बजे इन दोनों महिलाओं को लेकर टिटलागढ़ पुलिस स्टेशन आ जाइए"

"सोमिल का कुछ पता चला सर"

"अभी तक तो नहीं पर हां मुझे कुछ सबूत हाथ लगे हैं आइए बात करते हैं"

हम तीनों पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए। सीमा और छाया ने जींस और टीशर्ट पहनी हुई थी वह दोनों ना चाहते हुए भी आज के दिन कामुक लग रही थी। भगवान ने उन्हें ऐसा शरीर ही दिया था चाहे वह कोई भी वस्त्र पहन ले उनकी कामुकता और यौवन स्वतः ही आस-पड़ोस के युवाओं को आकर्षित करता था। मुझे उन दोनों को हब्शी पुलिस वालों के पास ले जाने में डर भी लग रहा था पर हमारे पास कोई चारा नहीं था। मैं अपने मन की बात उन दोनों को बता भी नहीं सकता था। उन दोनों अप्सराओं को लेकर मैं मन ही मन चिंतित था।

उस बदबूदार पुलिस स्टेशन में पहुंचकर छाया और सीमा के चेहरे पर घृणा और तनाव दिखाई पड़ने लगा वह दोनों दीवार पर पड़ी हुई पान की पीक को देखकर उबकाई लेने लगीं। मैंने उन्हें धैर्य रखने के लिए कहा कुछ ही देर में हम डिसूजा के ऑफिस में थे।

हमें आपको होटल की लॉबी में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखानी है आपको उसमें सोमिल की पहचान करनी है

छाया और सीमा के पैर कांपने लगे उन्हें अपने दिए गए बयानों और कैमरे में कैद हुई घटनाओं का विरोधाभास ध्यान आ गया था मैं स्वयं इस बात से डर गया कि मेरे और छाया के संबंध अब सार्वजनिक हो जाएंगे जिस समाज के डर से हम दोनों ने विवाह नहीं किया था वह समाज हमें इस घृणित कार्य ( हमारे लिए वो पवित्र ही था) के लिए दोषी ठहराएगा।

उसने अपने टीवी पर होटल के लॉबी की सीसीटीवी फुटेज लगा दी।

हम चारों लॉबी में चलते हुए आ रहे थे। छाया और सीमा की खूबसूरती में मैं एक बार फिर खो गया सोमिल को कमरे में छोड़ने के बाद जब हम तीनों एक कमरे में घुसे तभी डिसूजा ने वीडियो रोक दिया उसने पूछा...

"शादी किसकी हुई थी?"

"छाया शर्माते हुए आगे आई".

"तुम अपने पति को छोड़कर इन दोनों के कमरे में क्यों गई थी.?".

छाया बहुत डर गई थी उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी. तभी सीमा ने पीछे से कहा..

"वह हमारा कमरा देखने और हम दोनों का आशीर्वाद लेने गई थी"

डिसूजा अपनी कामुक निगाहों से छाया और सीमा को सर से पैर तक देख रहा था मुझे पूरा विश्वास था कि वह उनके उभारों से अपनी आंख सेंक रहा है पर पुलिसवाला होने की वजह से मैं कुछ नहीं कर सकता था। मुझे यह अपमानजनक भी लग रहा था पर मैं मजबूर था। हमने तो एक बात छुपाई थी उस बात के लिए हम बहुत डरे हुए थे उसने वीडियो दोबारा चला दिया।

कुछ ही देर में सोमिल अपने कमरे से निकलकर वापस लिफ्ट की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया। उसकी पीठ सीसीटीवी कैमरे से दिखाई पड़ रही थी। हमने उसे उसे पहचान लिया।

"अरे यह तो सोमिल है यह कहां जा रहे हैं?" सीमा ने आश्चर्यचकित होकर बोला.

इसके बाद टीवी पर आ रही तस्वीर धुंधली हो गई और स्क्रीन ब्लैंक हो गए ऐसा लगता था जैसे कैमरा खराब हो गया या कर दिया गया हो

मैंने डिसूजा से पूछा इसके आगे की रिकॉर्डिंग दिखाइए

उसने कहा

इसके बाद किसी ने सीसीटीवी कैमरे को डैमेज कर दिया है।

मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया पर झूठा क्रोध दिखाते हुए कहा

"किसने तोड़ दिया"

"परेशान मत होइए अभी उत्तर मिल जाएगा"

उसने अपने एक सिपाही को बुलाया जिसने हम से हमारे बेंगलुरु में रहने वाले मित्रों और रिश्तेदारों के नंबर लिखवाए और कहा

आप लोग बाहर बैठिए मुझे छाया जी से कुछ बात करनी है। छाया डर गई पर कुछ कुछ बोली नहीं

मैं और सीमा कमरे से बाहर आकर बाहर पड़ी एक बेंच पर बैठ कर छाया का इंतजार करने लगे।
 
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u have prrof bro that is anand
ना कोई प्रूफ ना है बस उन्होंने खुद को आनंद कहा है तो मैंने मान लिया है।
और उन्होंने मुझे quote कर के लिखा था बस।
इतना सीरियस होने की क्या बात है इसमें।
 
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बहुत ही शानदार अपडेट
 

Lovely Anand

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प्रिय पाठकों
छाया की सुहागरात के बाद मैंने इस कहानी के दो हिस्से किये मुझे लगता है या मेरी भूल थी.
दरअसल दो इंसानों के बीच बन रहे संबंध में परिस्थितियों की बड़ी भूमिका होती है इस कहानी के पात्रों के बीच भी ऐसा ही हो रहा है मुझे इन किरदारों को ध्यान में रखते हुए दो अलग-अलग कथानक पर कार्य करना कठिन हो रहा है मैंने सोमिल के गायब होने की घटना को भी मुख्य कहानी में ही शामिल कर लिया ऐसा करने से पात्रों के चरित्र चित्रण में आसानी भी हो रही है और कथा का रोमांच बरकरार रहेगा वैसे भी अभी सारे पात्र नए नए वयस्क हो रहे हैं कुछ के तो अभी कौमार्य भी भंग नहीं हुए हैं। अभी हमारी प्यारी छाया को बहुत कुछ देखना बाकी है।

मैंने अपने पिछले तीन पोस्ट (22, 23, 24) को बदलकर नई पोस्ट डाल दिए हैं

अब यह कहानी नए घटनाक्रम के साथ निर्बाध रूप से चलेगी मुझे उम्मीद है आप लोगों का प्रोत्साहन मिलता रहेगा
 
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Lovely Anand

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भाग -25
(मैं सोमिल)

अपने गर्दन में हुए तीव्र दर्द से मुझे जीवित होने का एहसास हुआ। मैंने स्वयं को बिस्तर पर पड़ा हुआ पाया। खिड़की से आती हुई रोशनी मेरी अचानक वीरान हुई जिंदगी में उजाला करने की कोशिश कर रहा थी। मैंने आवाज दी

"कोई है? कोई है?"

कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा खुला और एक सुंदर लड़की ने प्रवेश किया उम्र लगभग 22-23 वर्ष रही होगी। उसने एक सुंदर सा स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था।

"जी सर' पानी लाऊं क्या?"

"यह कौन सी जगह है? मैं कहां हूं?

"सर यह सब तो मुझे पता नहीं पर मुझे आपका ख्याल रखने को कहा गया है"

मैंने बिस्तर से उठने की कोशिश की पर तेज दर्द की वजह से उठ नहीं पाया. वह पानी की बोतल देते हुए बोली

"थोड़ा पानी पी लीजिए और चेहरा धो लीजिए आपको अच्छा लगेगा."

मैं उठ पाने की स्थिति में नहीं था मैं कराह रहा था. उसने स्वयं पास पड़ा हुआ नया तौलिया उठाया और उसे पानी से गीलाकर मेरा चेहरा पोछने लगी। मुझे उसकी इस आत्मीयता का कारण तो नहीं समझ में आया पर मुझे उसका स्वभाव अच्छा लगा। एक बार फिर प्रयास कर मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। कमरा बेहद खूबसूरत था कमरे के बीच बेहद आकर्षक डबल बेड लगा हुआ था जिस पर सफेद चादर बिछी हुई थी कमरे की सजावट देखकर ऐसा लगता था जैसे वह किसी 4 स्टार होटल का कमरा हो कमरे से बाहर निकलते हैं एक छोटा हाल था और उसी से सटा हुआ किचन।

"बाथरूम किधर है"

"सर, उस अलमारी के ठीक बगल में"

बाथरूम के दरवाजे की सजावट इतनी खूबसूरती से की गई की मैं उसे देख नहीं पाया था। बाथरूम भी उतना ही आलीशान था जितना कि कमरा।

मुझे इतना तो समझ आ ही गया था कि मुझे यहां पर कैद किया गया है मैंने चीखने चिल्लाने की कोशिश नहीं की क्योंकि इसका कोई फायदा नहीं था।

क्या नाम है तुम्हारा

"जी शांति"

"बाहर कौन है?"

"साहब दो गार्ड रहते हैं. वही जरूरत का सामान लाकर देते हैं"

"तुम यहां कब से आई हो?"

"साहब आपके साथ साथ ही तो आई यह लोग आपको डिक्की में लेकर आए थे। मैं भी उसी गाड़ी में थी।"

"यह लोग आपको यहां किस लिए लाए हैं?"

उसका यह प्रश्न मेरा भी प्रश्न था.मैं निरुत्तर था तभी मुझे बाहर बात करने की आवाज सुनाई दी.

"सर वह होश में आ गया है"

"ठीक है सर"

मेरे कमरे में फोन की घंटी बजी मैंने शांति से कहा

"देखो तुम्हारा फोन बज रहा है"

"सर मेरा फोन तो उन लोगों ने आने से पहले ही ले लिया"

यह मेरा फोन नहीं था पर मैंने जानबूझकर उसे उठा लिया

"सोमिल सर आप ठीक तो है ना?"

"आप कौन बोल रहे हैं?"

"सर आप मुझे नहीं जानते हैं."

"मुझे यहां क्यों लाया गया है?"

"मैं आपके किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकता हूं. पर हां यदि आपको कोई तकलीफ हो तो मुझे बता सकते हैं. आपको जब भी मुझसे बात करनी हो बाहर खड़े गार्ड से बोल दीजिएगा। और हां, यहां से निकलने के लिए व्यर्थ प्रयास मत कीजिएगा। आपका प्रयास आपके लिए ही नुकसानदायक होगा। अभी जीवन का आनंद लीजिए एकांत का भी अपना मजा होता है। आपके घर वाले और परिवार वाले सुरक्षित हैं और कुशल मंगल से हैं। अच्छा मैं फोन रखता हूं।"

" सुनिए.. सुनिए…" मेरी आवाज मेरे कमरे तक ही रह गई मोबाइल फोन का कनेक्शन कट चुका था.

मैंने फोन से छाया का नंबर डायल करना चाहा वही एक नंबर था जो मुझे मुंह जबानी याद था इस नंबर पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है की मुंह चिढ़ाने वाली ध्वनि मेरे कानों तक पहुंची. इसका मुझे अनुमान भी था मैंने फोन बिस्तर पर पटक दिया आश्चर्य की बात यह थी यह फोन नया था और अच्छी क्वालिटी का था मुझे अपने यहां लाए जाने का कारण अभी भी ज्ञात नहीं था।

उधर पुलिस स्टेशन में

(मैं छाया)

डिसूजा ऊपर से नीचे तक मुझे घूर रहा था ऊपर वाले ने मुझे जो सुंदरता दी थी इसका दुष्परिणाम मुझे आज दिखाई पड़ रहा था। उसकी नजरों से मेरे बदन में चुभन हो रही थी। वह मेरे स्तनों पर नजर गड़ाए हुए था। उसने कहा…

"तुम्हारी भाभी भी उस दिन सुहागरात मनाने आई थी क्या?"

मैंने सिर झुका कर बोला

"नहीं वह दोनों हमारे साथ यहां इसलिए आए थे ताकि हम कंफर्टेबल महसूस कर सकें"

"ओह, तो आप अपने भैया और भाभी के साथ कंफर्टेबल महसूस करती हैं."

मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

"मानस आपके सौतेले भाई है ना? और सीमा आपकी सहेली?"

"जी"

"उन दोनों का कमरा सुहागरात की तरह क्यों सजाया हुआ था?"

"यह आप उन्ही से पूछ लीजिएगा।" मैंने थोड़ा कड़क हो कर जवाब दिया.

"आपके सोमिल से संबंध कैसे थे आप दोनों ने पसंद से शादी की थी या जबरदस्ती हुई थी"

"हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे"

"सोमिल की अपनी कंपनी में किसी से दुश्मनी थी?"

"दुश्मनी तो मैं नहीं कह सकती पर हां कुछ साथी उनकी तरक्की से जलते थे और वह कंपनी के मालिक से उनकी शिकायत किया करते थे"

"क्या आपको लगता है कि इस पैसे के गबन में उन्होंने अपनी भूमिका अदा की होगी"

"मैं यह आरोप नहीं लगा शक्ति पर इसकी संभावना हो सकती है यह आपको ही पता करना होगा"

"क्या नाम है उनका?"

"लक्ष्मण और विकास"

"मैं आपका दुख समझ सकता हूं. अपनी सुहागरात के दिन आनंद की बजाय जिस दुख को आपने झेला है और आपको अपने पति के विछोह का सामना करना पड़ रहा है वह कष्टदायक है, पर धैर्य रखिए हम सोमिल को जरूर ढूंढ निकालेंगे।" वो हमदर्दी भरे स्वर में बोला. वह अभी भी मेरी तरफ देख रहा था।

उसकी हमदर्दी भरी बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए वह उठ खड़ा हुआ और बोला

"आप जा सकती हैं, वैसे भी आप जैसी सुंदर युवती की आंखों में आंसू अच्छे नहीं लगते है..

मुझे उसकी यह बात छेड़ने जैसी लगी पर मुझे बाहर जाने की इजाजत मिल गई थी मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। बाहर मानस और सीमा मेरा इंतजार कर रहे थे मुझे देखकर वह दोनों अंदर की बातें पूछने लगे।

मानस भैया एक बार फिर डिसूजा के पास गए और उसकी अनुमति लेकर कुछ ही देर में वापस आ गए।

हम वापस अपने घर के लिए निकल रहे थे। मैंने मानस और सीमा से डिसूजा के मन में पैदा हुए शक के बारे में बताया। मानस भैया ने कहा

"छाया हमारा प्रेम सच्चा है हमने कोई भी चीज गलत नहीं की है भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक होगा"

शाम 4 बजे मानस का घर …
(मैं छाया)
मैं, मानस और सीमा डाइनिंग टेबल पर बैठकर चाय पीते हुए आगे की रणनीति के बारे में बात कर रहे थे तभी मेरे मोबाइल पर ईमेल का अलर्ट आया मैंने मेल देखा उसमें सोमिल की कई सारी फोटो थी उसने अभी भी वही पैंट पहनी थी जो उसने सुहागरात के दिन पहनी थी। मैं बहुत खुश हो गई मानस और सीमा भी उठकर खड़े हो गए मैं मानस भैया के गले लग गई

"सोमिल जिंदा है…. " मैं खुशी से चिल्लाई मानस भैया ने मुझे अपने आलिंगन में भर लिया। एक बार फिर हम तीनों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। सीमा भी आकर हम दोनों से सट गयी। हमने ई-मेल के नीचे संदेश खोजने की कोशिश की…… पर उसमें सिर्फ सोमिल की तस्वीरें थी कुछ तस्वीरों में एक सुंदर सी लड़की भी दिखाई पड़ रही थी जिसे हम तीनों में से कोई नहीं जानता था

मानस भैया ने डिसूजा को फोन लगाना चाहा मैं एक बार फिर डर गई उसका नाम सुनते ही मेरे शरीर में सनसनाहट फैल जाती थी। ऐसा लगता था जैसे मुझे एकांत में पाकर डिसूजा मेरा बलात्कार तक कर सकता था उसकी आंखों में हमेशा हवस रहती थी चाहे वह मुझे देख रहा हो या सीमा भाभी को।

मानस भैया ने वह ईमेल डिसूजा को भेज दी और सोमिल के घर वालों को भी बता दिया। हम तीनों आज खुश थे शर्मा जी और माया आंटी भी हमारी खुशी में शामिल हो गए शर्मा जी बोले..

"चलो सोमिल मिल गया इस बात की खुशी है." मेरी छाया बेटी के चेहरे पर हंसी तो आयी…

आज शर्मा जी ने मुझे पहली बार बेटी कहा था अन्यथा वह मुझे अक्सर छाया ही कहते थे उनकी इस आत्मीयता से मैं प्रभावित हो गई पिछले एक डेढ़ साल में वह लगभग मेरे पिता की भूमिका में आ चुके थे…

मैंने मानस भैया से कहा

"चलिए थोड़ा बाहर घूम कर आते हैं…"

सीमा भाभी बोली

"हां, इसे घुमा लाइए मन हल्का हो जाएगा तब तक हम लोग नाश्ता बना लेते हैं"

कुछ ही देर में मैं मानस भैया के साथ लिफ्ट में आ चुकी लिफ्ट के एकांत ने और जो थोड़ी खुशी हमें मिली थी उसने हमें एक दूसरे के आलिंगन में ला दिया हमारे होंठ स्वतः ही मिल गए और मेरे स्तन उनके सीने से सटते चले गए। मेरे कोमल नितंबों पर उनकी हथेलियों ने पकड़ बना ली...मेरा रोम रोम खुश हो रहा था।

अचानक मुझे सोमिल की फोटो में दिख रही सुंदर युवती का ध्यान आया वह कौन थी मेरा दिमाग चकराने लगा…..
 
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