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Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

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Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 

Alok

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Good one bhai.....
 

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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Behad hi shandar story hai dost. Lekhan shaili behad kamaal ki hai. Ab tak is story ka 16 bhaag tak padh chuka hu. Sach me gajab ka ki story hai bhai______

Maanas aur chhaya ki Love story dil ko chhu gai lekin dono ka alag hona achha nahi laga. Waise isme unke alag hone ka reason maanas ke gaon wale the. Lekin mujhe lagta hai ki dono ek ho sakte the par uske liye unhe apne gaon aur samaj se har taalluk todna padta aur kisi aisi jagah par ye log rahte jaha par inke gaon wale inhe khoj hi na paye_______

Seema ke sath maanas ki shadi ho gai aur dono khush bhi hain lekin chhaya ke dil me apne premi se alag hone ka dukh kabhi nahi jayega. Abhi bhale hi wo maanas ke paas hi hai lekin ek din to shadi kar ke use dusre ke ghar jana hi padega. Waise Seema se uski najdikiyo ne ek kaam achha kiya ki wo bhi ab khul kar Seema ke samne hi maanas ke sath Rasleela me shamil ho gai hai. Seema ko bhi pata chal gaya ki maanas aur chhaya ke bich 3-4 saalo se prem sambandh tha. Udhar maya ko bhi apni beti aur maanas ke aise rishte se koi problem nahi hai. So abhi bhi aisa ho sakta hai ki chhaya ki shadi maanas se ho jaye aur uska prem use mil jaye. Seema ko is rishte se koi problem nahi hogi ye aaj ki situation dekh ke hi lagta hai. Aage dekhte hain kya hota hai_______



यह कहानी मेरी सर्वकालिक प्रियतमा छाया की है जो मेरे जीवन में एक अनचाहे रिश्ते में आई थी पर उसने मुझे प्रेम की पराकाष्ठा, संभोग कला और सुख के अप्रतिम आनंद से परिचय कराया जो सामान्यतयः कल्पना में ही प्राप्त हो सकता है। इस अद्भुत सुख के लिए मैं उसका सदैव ऋणी रहूंगा....


IMG-20200208-WA0063
 
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Lovely Anand

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Behad hi shandar story hai dost. Lekhan shaili behad kamaal ki hai. Ab tak is story ka 16 bhaag tak padh chuka hu. Sach me gajab ka ki story hai bhai______

Maanas aur chhaya ki Love story dil ko chhu gai lekin dono ka alag hona achha nahi laga. Waise isme unke alag hone ka reason maanas ke gaon wale the. Lekin mujhe lagta hai ki dono ek ho sakte the par uske liye unhe apne gaon aur samaj se har taalluk todna padta aur kisi aisi jagah par ye log rahte jaha par inke gaon wale inhe khoj hi na paye_______

Seema ke sath maanas ki shadi ho gai aur dono khush bhi hain lekin chhaya ke dil me apne premi se alag hone ka dukh kabhi nahi jayega. Abhi bhale hi wo maanas ke paas hi hai lekin ek din to shadi kar ke use dusre ke ghar jana hi padega. Waise Seema se uski najdikiyo ne ek kaam achha kiya ki wo bhi ab khul kar Seema ke samne hi maanas ke sath Rasleela me shamil ho gai hai. Seema ko bhi pata chal gaya ki maanas aur chhaya ke bich 3-4 saalo se prem sambandh tha. Udhar maya ko bhi apni beti aur maanas ke aise rishte se koi problem nahi hai. So abhi bhi aisa ho sakta hai ki chhaya ki shadi maanas se ho jaye aur uska prem use mil jaye. Seema ko is rishte se koi problem nahi hogi ye aaj ki situation dekh ke hi lagta hai. Aage dekhte hain kya hota hai_______
थैंक्स । आगे के अध्याय पढ़ते रहिए आपकी मन की इच्छा अवश्य पूरी होगी जीवन के रंग अलग-अलग होते हैं प्यार के भी मानस और छाया नर नारी की सारी कामुक कल्पनाओ को जीवंत करने के लिए ही बने हैं।
 
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Lovely Anand

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भाग-26
(मैं सोमिल)

अपने गर्दन में हुए तीव्र दर्द से मुझे जीवित होने का एहसास हुआ। मैंने स्वयं को बिस्तर पर पड़ा हुआ पाया। खिड़की से आती हुई रोशनी मेरी अचानक वीरान हुई जिंदगी में उजाला करने की कोशिश कर रहा था। मैंने आवाज दी

"कोई है? कोई है?"

कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा खुला और एक सुंदर लड़की ने प्रवेश किया उम्र लगभग 22-23 वर्ष रही होगी। उसने एक सुंदर सा स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था।

"जी सर' पानी लाऊं क्या?"

"यह कौन सी जगह है? मैं कहां हूं?

"सर यह सब तो मुझे पता नहीं पर मुझे आपका ख्याल रखने को कहा गया है"

मैंने बिस्तर से उठने की कोशिश की पर तेज दर्द की वजह से उठ नहीं पाया. वह पानी की बोतल देते हुए बोली

"थोड़ा पानी पी लीजिए और चेहरा धो लीजिए आपको अच्छा लगेगा."

मैं उठ पाने की स्थिति में नहीं था मैं कराह रहा था. उसने स्वयं पास पड़ा हुआ नया तौलिया उठाया और उसे पानी से गीलाकर मेरा चेहरा पोछने लगी। मुझे उसकी इस आत्मीयता का कारण तो नहीं समझ में आया पर मुझे उसका स्वभाव अच्छा लगा। एक बार फिर प्रयास कर मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। कमरा बेहद खूबसूरत था कमरे के बीच बेहद आकर्षक डबल बेड लगा हुआ था जिस पर सफेद चादर बिछी हुई थी कमरे की सजावट देखकर ऐसा लगता था जैसे वह किसी 4 स्टार होटल का कमरा हो कमरे से बाहर निकलते हैं एक छोटा हाल था और उसी से सटा हुआ किचन।

"बाथरूम किधर है"

"सर, उस अलमारी के ठीक बगल में"

बाथरूम के दरवाजे की सजावट इतनी खूबसूरती से की गई की मैं उसे देख नहीं पाया था। बाथरूम भी उतना ही आलीशान था जितना कि कमरा।

मुझे इतना तो समझ आ ही गया था कि मुझे यहां पर कैद किया गया है मैंने चीखने चिल्लाने की कोशिश नहीं की क्योंकि इसका कोई फायदा नहीं था।

क्या नाम है तुम्हारा

"जी शांति"

"बाहर कौन है?"

"साहब दो गार्ड रहते हैं. वही जरूरत का सामान लाकर देते हैं"

"तुम यहां कब से आई हो?"

"साहब आपके साथ साथ ही तो आई यह लोग आपको डिक्की में लेकर आए थे। मैं भी उसी गाड़ी में थी।"

"यह लोग आपको यहां किस लिए लाए हैं?"

उसका यह प्रश्न मेरा भी प्रश्न था.मैं निरुत्तर था तभी मुझे बाहर बात करने की आवाज सुनाई दी.

"सर वह होश में आ गया है"

"ठीक है सर"

मेरे कमरे में फोन की घंटी बजी मैंने शांति से कहा

"देखो तुम्हारा फोन बज रहा है"

"सर मेरा फोन तो उन लोगों ने आने से पहले ही ले लिया"

यह मेरा फोन नहीं था पर मैंने जानबूझकर उसे उठा लिया

"सोमिल सर आप ठीक तो है ना?"

"आप कौन बोल रहे हैं?"

"सर आप मुझे नहीं जानते हैं."

"मुझे यहां क्यों लाया गया है?"

"मैं आपके किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकता हूं. पर हां यदि आपको कोई तकलीफ हो तो मुझे बता सकते हैं. आपको जब भी मुझसे बात करनी हो बाहर खड़े गार्ड से बोल दीजिएगा। और हां, यहां से निकलने के लिए व्यर्थ प्रयास मत कीजिएगा। आपका प्रयास आपके लिए ही नुकसानदायक होगा। अभी जीवन का आनंद लीजिए एकांत का भी अपना मजा होता है। आपके घर वाले और परिवार वाले सुरक्षित हैं और कुशल मंगल से हैं। अच्छा मैं फोन रखता हूं।"

" सुनिए.. सुनिए…" मेरी आवाज मेरे कमरे तक ही रह गई मोबाइल फोन का कनेक्शन कट चुका था.

मैंने फोन से छाया का नंबर डायल करना चाहा वही एक नंबर था जो मुझे मुंह जबानी याद था इस नंबर पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है की मुंह चिढ़ाने वाली ध्वनि मेरे कानों तक पहुंची. इसका मुझे अनुमान भी था मैंने फोन बिस्तर पर पटक दिया आश्चर्य की बात यह थी यह फोन नया था और अच्छी क्वालिटी का था मुझे अपने यहां लाए जाने का कारण अभी भी ज्ञात नहीं था।

उधर पुलिस स्टेशन में

(मैं छाया)

डिसूजा ऊपर से नीचे तक मुझे घूर रहा था ऊपर वाले ने मुझे जो सुंदरता दी थी इसका दुष्परिणाम मुझे आज दिखाई पड़ रहा था। उसकी नजरों से मेरे बदन में चुभन हो रही थी। वह मेरे स्तनों पर नजर गड़ाए हुए था। उसने कहा…

"तुम्हारी भाभी भी उस दिन सुहागरात मनाने आई थी क्या?"

मैंने सिर झुका कर बोला

"नहीं वह दोनों हमारे साथ यहां इसलिए आए थे ताकि हम कंफर्टेबल महसूस कर सकें"

"ओह, तो आप अपने भैया और भाभी के साथ कंफर्टेबल महसूस करती हैं."

मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

"मानस आपके सौतेले भाई है ना? और सीमा आपकी सहेली?"

"जी"

"उन दोनों का कमरा सुहागरात की तरह क्यों सजाया हुआ था?"

"यह आप उन्ही से पूछ लीजिएगा।" मैंने थोड़ा कड़क हो कर जवाब दिया.

"आपके सोमिल से संबंध कैसे थे आप दोनों ने पसंद से शादी की थी या जबरदस्ती हुई थी"

"हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे"

"सोमिल की अपनी कंपनी में किसी से दुश्मनी थी?"

"दुश्मनी तो मैं नहीं कह सकती पर हां कुछ साथी उनकी तरक्की से जलते थे और वह कंपनी के मालिक से उनकी शिकायत किया करते थे"

"क्या आपको लगता है कि इस पैसे के गबन में उन्होंने अपनी भूमिका अदा की होगी"

"मैं यह आरोप नहीं लगा शक्ति पर इसकी संभावना हो सकती है यह आपको ही पता करना होगा"

"क्या नाम है उनका?"

"लक्ष्मण और विकास"

"मैं आपका दुख समझ सकता हूं. अपनी सुहागरात के दिन आनंद की बजाय जिस दुख को आपने झेला है और आपको अपने पति के विछोह का सामना करना पड़ रहा है वह कष्टदायक है, पर धैर्य रखिए हम सोमिल को जरूर ढूंढ निकालेंगे।" वो हमदर्दी भरे स्वर में बोला. वह अभी भी मेरी तरफ देख रहा था।

उसकी हमदर्दी भरी बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए वह उठ खड़ा हुआ और बोला

"आप जा सकती हैं, वैसे भी आप जैसी सुंदर युवती की आंखों में आंसू अच्छे नहीं लगते है..

मुझे उसकी यह बात छेड़ने जैसी लगी पर मुझे बाहर जाने की इजाजत मिल गई थी मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। बाहर मानस और सीमा मेरा इंतजार कर रहे थे मुझे देखकर वह दोनों अंदर की बातें पूछने लगे।

मानस भैया एक बार फिर डिसूजा के पास गए और उसकी अनुमति लेकर कुछ ही देर में वापस आ गए।

हम वापस अपने घर के लिए निकल रहे थे। मैंने मानस और सीमा से डिसूजा के मन में पैदा हुए शक के बारे में बताया। मानस भैया ने कहा

"छाया हमारा प्रेम सच्चा है हमने कोई भी चीज गलत नहीं की है भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक होगा"

शाम 4 बजे मानस का घर …

मैं, मानस और सीमा डाइनिंग टेबल पर बैठकर चाय पीते हुए आगे की रणनीति के बारे में बात कर रहे थे तभी मेरे मोबाइल पर ईमेल का अलर्ट आया मैंने मेल देखा उसमें सोमिल की कई सारी फोटो थी उसने अभी भी वही पैंट पहनी थी जो उसने सुहागरात के दिन पहनी थी। मैं बहुत खुश हो गई मानस और सीमा भी उठकर खड़े हो गए मैं मानस भैया के गले लग गई

"सोमिल जिंदा है…. " मैं खुशी से चिल्लाई मानस भैया ने मुझे अपने आलिंगन में भर लिया। एक बार फिर हम तीनों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। सीमा भी आकर हम दोनों से सट गयी। हमने ई-मेल के नीचे संदेश खोजने की कोशिश की…… पर उसमें सिर्फ सोमिल की तस्वीरें थी कुछ तस्वीरों में एक सुंदर सी लड़की भी दिखाई पड़ रही थी जिसे हम तीनों में से कोई नहीं जानता था

मानस भैया ने डिसूजा को फोन लगाना चाहा मैं एक बार फिर डर गई उसका नाम सुनते ही मेरे शरीर में सनसनाहट फैल जाती थी। ऐसा लगता था जैसे मुझे एकांत में पाकर डिसूजा मेरा बलात्कार तक कर सकता था उसकी आंखों में हमेशा हवस रहती थी चाहे वह मुझे देख रहा हो या सीमा भाभी को।

मानस भैया ने वह ईमेल डिसूजा को भेज दी और सोमिल के घर वालों को भी बता दिया। हम तीनों आज खुश थे शर्मा जी और माया आंटी भी हमारी खुशी में शामिल हो गए शर्मा जी बोले..

"चलो सोमिल मिल गया इस बात की खुशी है." मेरी छाया बेटी के चेहरे पर हंसी तो आयी…

आज शर्मा जी ने मुझे पहली बार बेटी कहा था अन्यथा वह मुझे अक्सर छाया ही कहते थे उनकी इस आत्मीयता से मैं प्रभावित हो गई पिछले एक डेढ़ साल में वह लगभग मेरे पिता की भूमिका में आ चुके थे…

मैंने मानस भैया से कहा

"चलिए थोड़ा बाहर घूम कर आते हैं…"

सीमा भाभी बोली

"हां, इसे घुमा लाइए मन हल्का हो जाएगा तब तक हम लोग नाश्ता बना लेते हैं"

कुछ ही देर में मैं मानस भैया के साथ लिफ्ट में आ चुकी लिफ्ट के एकांत ने और जो थोड़ी खुशी हमें मिली थी उसने हमें एक दूसरे के आलिंगन में ला दिया हमारे होंठ स्वतः ही मिल गए और मेरे स्तन उनके सीने से सटते चले गए। मेरे कोमल नितंबों पर उनकी हथेलियों ने पकड़ बना ली...मेरा रोम रोम खुश हो रहा था।

अचानक मुझे सोमिल की फोटो में दिख रही सुंदर युवती का ध्यान आया वह कौन थी मेरा दिमाग चकराने लगा…..
 

Lovely Anand

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भाग -27
मंगलवार ( दूसरा दिन)
सोमिल का कैदखाना( शाम 5 बजे)
[मैं सोमिल]

मैंने खिड़की से बाहर देखा शाम हो रही थी खिड़की की सलाखों के पीछे जंगल का खुशनुमा माहौल था पंछी अपने घरों को लौट रहे थे और मैं यहां इस एकांत में फंसा हुआ था. भगवान ने मेरे साथ यह अन्याय क्यों किया था मैं खुद भी नहीं जानता था। मुझे यह भी नहीं पता था कि मेरी पत्नी छाया किस अवस्था मे है। उस रात सीमा के साथ मुझे अपने वचन को पूरा करना था पर निष्ठुर नियति ने मेरे सपने चकनाचूर कर दिये थे।

तभी शांति चाय लेकर मेरे कमरे में आई। यह लड़की मेरे लिए एक और आश्चर्य थी। वह एयर होस्टेस की तरह खूबसूरत थी और उतनी ही तहजीब वाली वह हर बात बड़े धीरे से बोलती उसकी चाल ढाल में भी शालीनता थी। उसे किसने मेरी सेवा में यहां भेजा था यह प्रश्न बार-बार मुझे चिंतित कर रहा था।

"सर, चाय पी लीजिए अच्छा लगेगा" वह चाय के साथ कुछ बिस्किट भी ले आई थी."

वह दो कप चाय लेकर आई थी मुझे लगा शायद वह एक कप अपने लिए भी लाई थी मैंने उसे बैठने के लिए कहा वह बिस्तर के सामने पड़े सोफे पर बैठकर चाय पीने लगी।

मैंने उससे पूछा तुम यहां मेरे साथ क्यों आई।

"वह मेरा भाई है ना, उसने कहा तुम्हें जंगल में एक साहब का एक महीने तक ख्याल रखना है. तुम्हें खूब सारे पैसे मिलेंगे मुझे पैसों की जरूरत थी तो मैं आ गई." वह मुस्कुरा रही थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह स्वेच्छा से और खुशी-खुशी यहां आई है। एक महीने की बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।

"शांति ने अलमारी खोलकर मेरे लिए एक सुंदर सा पायजामा कुर्ता निकाला और बिस्तर पर रख दिया सर आप नहा कर कपड़े चेंज कर लीजिए" मैं आपके लिए खाना बना देती हूं वह किचन की तरफ चल पड़ी..

मैं अभी भी अपने पुराने कपड़े ही पहने हुए था मुझे नहाने की तीव्र इच्छा हुई शावर के नीचे गर्म पानी की फुहार में नहाते हुए मैं यहां लाए जाने का कारण सोच रहा था। अचानक मुझे शांति का ध्यान आया वह लड़की कितनी निडर और निर्भीक थी जो एक अनजाने पुरुष का ख्याल रखने यहां तक आ गई थी। निश्चय ही बाहर खड़े गार्ड उसकी सुरक्षा करते पर फिर भी यह उस सुंदर लड़की के लिए एक कठिन कार्य था। उसकी सुंदरता को ध्यान करते हुए मुझे अपने लिंग में उत्तेजना महसूस होने लगी। मैने अपना ध्यान भटकाया और स्नान करके कमरे में वापस आ गया मैंने तोलिया पहनी हुई थी।

बिस्तर पर मेरे अंडर गारमेंट्स नहीं थे मैंने शांति को आवाज दी..

वह कमरे में आ गई

मैंने पूछा "अंडर गारमेंट्स नहीं है क्या?" "सर वह तो उन लोगों ने नहीं दिया"

"गार्ड से बोलो कहीं से लेकर आए" वह बाहर चली गई

सर उन्होंने कहा है वह कल लाने का प्रयास करेंगे.

मैं सिर्फ तौलिया पहने हुए था मुझे अपनी नग्नता का एहसास था मैं शांति के सामने ज्यादा देर इस तरह नहीं रहना चाहता था। मैंने पजामा और कुर्ता वैसे ही पहन लिया बिना अंडरवियर के मैं असहज महसूस कर रहा था मेरा लिंग वैसे भी सामान्य पुरुषों से बड़ा था। मैं बिस्तर पर बैठ गया।

शांति द्वारा बनाया गया खाना बेहद स्वादिष्ट था उसने आज चिकन की डिश बनाई थी मैं खुद भी आश्चर्यचकित था की यह कौन व्यक्ति है जिसने हमारे खाने पीने का इतना भव्य प्रबंध किया हुआ है। मुझे भूख लगी थी मैंने पेट भर कर खाना खाया। शांति ने मुझे कुछ पेन किलर दवाइयां दी जिसे खाकर मैं जल्दी ही सो गया।

अर्धनिद्रा में जाते हैं मुझे सुहागरात के दिन हुई घटना याद आने लगी। सीमा के जाने के बाद मेरे फोन की घंटी बजी। फोन पर कोई नया नंबर था मैंने फोन उठा लिया। लक्ष्मण ( मेरे आफिस का साथी) ने कहा पाटीदार सर नीचे आपका इंतजार कर रहे हैं। मैं माना नहीं कर पाया।

"ठीक है आता हूं" पाटीदार सर विदेश से बेंगलुरु लौटे थे वह शादी में उपस्थित नहीं हो पाए थे इसलिए मुझे लगा शायद वह मुझसे मिलकर यह बधाई देना चाह रहे हैं. मैं तेज कदमों से चलते हुए लिफ्ट की तरफ आ गया. मैंने छाया को फोन करने की कोशिश की पर कॉल कनेक्ट नहीं हुई। लिफ्ट में पहुंचते ही लक्ष्मण मुझे वहां दिखाई पड़ गया। जल्दी चलो लिफ्ट तेजी से नीचे की तरफ चल पड़ी। रिसेप्शन हॉल में पाटीदार साहब नहीं थे। लक्ष्मण ने हाल में खड़े एक व्यक्ति से पूछा सर कहां गए उसने जबाब दिया

पार्किंग में गए हैं।

लक्ष्मण के साथ साथ में बाहर पार्किंग में आ गया तभी किसी ने मेरी गर्दन पर प्रहार किया और मैं बेहोश हो गया। यही सब याद करते हुए मेरी आँख लग चुकी थी।


पुलिस स्टेशन (शाम 9 बजे, )
हवलदार सत्यनारायण भागता हुआ डिसूजा के कमरे में आया.

"दोनों कमरों से मिले ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आ गई है. गद्दे पर से मिले ब्लड सैंपल में वीर्य भी पाया गया है। सत्या ( एक सिपाही) सही कह रहा था वहां सुहागरात मनाई गई थी. उसकी नाक सच में बहुत तेज है वह कुत्ते की माफिक सब सूंघ लेता है।

डिसूजा की आंखों में चमक आ गयी उसने प्रत्युत्तर में कुछ भी नहीं कहा पर उसका कामुक दिमाग षड्यंत्र रचने लगा।

सोमिल की फोटो देखकर वह पहले ही आश्वस्त हो चुका था। सोमिल को जिस कमरे में रखा गया था इससे उसने अंदाजा कर लिया था कि उसका किडनैप किसी विशेष मकसद के लिए किया गया है।

मानस का घर (शाम 9 बजे)
(मैं मानस)

लिफ्ट में छाया को अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर मैं उत्तेजित हो गया था इस लिफ्ट में न जाने कितनी बार मेरे राजकुमार और छाया की राजकुमारी ने मुलाकात की थी। अब छाया की राजकुमारी रानी बन चुकी थी और सम्भोग की हकदार थी। मेरा राजकुमार उसकी आगोश में जाने के लिए तड़प रहा था। लिफ्ट को ऊपर से नीचे आने में लगभग 2 मिनट लगते थे छाया के कोमल नितंबों को सहलाते-सहलाते मेरा राजकुमार रानी से मिलने को व्याकुल हो उठा। मैंने छाया की पेंटी सरकाने ने की कोशिश की तभी लिफ्ट के रुकने का एहसास हुआ। मैं और छाया दोनों ही इस अप्रत्याशित रुकावट से दुखी हो गए। लिफ्ट में एक और महिला अंदर आ गई थी मिलन संभव नहीं था। हम दोनों कुछ देर बाहर घूम कर वापस आ गए।

(मैं छाया)

रात 9 बजे मेरे मोबाइल पर फिर एक बार ई-मेल आया। मैं उछलते हुए हुए मानस भैया के कमरे में गई। सोमिल की नई तस्वीरें ईमेल में आई हुई थी पजामे कुर्ते में खाना खाते हुए सोमिल को देखकर ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि वह किडनैप हुआ हो। प्लेट में दिख रहा चिकन और होटल का भव्य कमरा इस बात की साफ गवाही दे रहा था।

सीमा ने चुटकी ली

"नंदोई जी मुझसे डर कर भाग तो नहीं गए और वहां होटल में मजे कर रहे है"

मानस भैया ने कहा

"यह सोमिल को फसाने की किसी की चाल हो सकती है. पैसे का गबन हुआ है। इस तरह आलीशान कमरे उसे अय्याशी करते हुए दिखा कर उस पर पैसों के गबन के आरोप को मजबूती दी जा सकती है"

मैं मानस भैया की समझदारी की कायल हो गई मैं प्यार से उनके पास चली गई उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया।

सीमा भाभी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने कहा

"छाया आज यही सो जाओ वैसे भी हम तीनों को एक साथ वक्त बिताये बहुत दिन हो गए" और उन्होंने मुझेआंख मार दी.

मैं भी आज बहुत खुश थी चलिए हम दोनों नहा लेते हैं तब तक मानस भैया भी नहा लेंगे नहा लेने से नींद अच्छी आएगी मैंने भी उन्हें छेड़ दिया। मैं और सीमा मेरे कमरे में आ चुके थे उधर मानस भैया हम दोनों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।


बिस्तर पर मेरी दोनों अप्सराएं मेरे अगल बगल थीं। सोमिल के गायब होने से हुए दुख से ज्यादा उसके मिलने की खुशी थी। हम तीनों ही उसकी फोटो देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह सकुशल है उसका मिलना हमारे लिए जरूरी था। उसकी सलामती ने आज हमें चैन से सोने की इजाजत दे दी थी। हम तीनों एक दूसरे की बाहों में लिपट रहे थे। छाया हमेशा की तरह हमारे बीच में थी छाया को नग्न करने में जितना मजा मुझे आता था उतना ही सीमा को।

छाया के वस्त्र अलग होते ही उसका यौवन उभर कर आ गया। आज से 2 दिन पहले ही उसने सुहागरात मनाई थी और वह भी अपने सर्वकालिक प्रिय राजकुमार के साथ उन दोनों का अलौकिक प्रेम भरा युद्ध दर्शनीय रहा होगा। राजकुमारी ने रानी बनकर अपनी लज्जा छोड़ी थी पर अपना शौर्य नहीं। राजकुमारी का मुंह खुल गया था पर उसकी अद्भुत कमनीयता कायम थी।

सीमा छाया की रानी को देखकर बेहद प्रसन्न थी। उसने बिना कुछ कहे उसे चूम लिया। रानी के छोटे से मुख को सीमा की जीभ बड़ा करने की कोशिश कर रही थी पर छाया की रानी लगातार अपना प्रतिरोध दिखा रही थी। जीभ के संपर्क में आने से रानी अपना प्रेम रस छोड़ना शुरू कर चुकी मैं उसके स्तनों पर अपने होठों से प्रहार कर रहा था। मेरी छाया दोहरे आक्रमण का शिकार हो रही थी। आज भी हम दोनों उसे हमेशा की तरह पहले इस स्खलित करना चाहते थे पर आज वह सिर्फ जिह्वा और हाथों से खेलते हुए स्खलित नहीं होना चाहती थी।

सीमा यह बात भलीभांति समझती थी कि संभोग का सुख मुखमैथुन और योनि मर्दन से ज्यादा आंनददायक होता है। उसने कुछ देर छाया को उत्तेजित करने के पश्चात मेरे राजकुमार को अपने हाथों में ले लिया और मुझे इशारा किया। छाया की रानी मुंह बाए हुए अपने राजकुमार की प्रतीक्षा कर रही थी।

राजकुमार अपनी प्यारी रानी की आगोश में आ गया मेरी कमर हिलने लगी सीमा अपनी आंखों के सामने यह दृश्य देखकर मुस्कुरा रहे उसने मुझे छेड़ा

"ध्यान रखना वह सोमिल की अमानत है और तुम्हारी छोटी बहन भी उसकी रानी को घायल मत कर देना"

मैं सीमा की बातें सुनकर और उत्तेजित हो गया इस भाई-बहन के शब्द से मुझे सिर्फ और सिर्फ उत्तेजना मिलती थी। इसी शब्द ने मेरा और छाया का विछोह कराया था।कमर की गति बढ़ते ही सीमा मुस्कुराने लगी उसने छाया के होठों पर चुंबन प्रारंभ कर दिया। मेरी प्यारी छाया के चेहरे पर लालिमा थी। आज वह अपनी प्यारी सहेली के सामने संभोग सुख ले रही थी। मेरे और सीमा के प्रयासों से छाया शीघ्र स्खलित हो गई। मैं भी चाहता था की छाया के साथ ही स्खलित हो जाऊं पर मेरा दायित्व मुझे रोक रहा था मेरी पत्नी सीमा मेरी प्रतीक्षा में थी। छाया के स्खलन के पश्चात छाया ने सीमा को उत्तेजित करने का मोर्चा संभाल लिया। मेरा राजकुमार अपनी पटरानी में प्रवेश कर गया कुछ ही देर के प्रयासों में मेरा और सीमा का भी स्खलन हो गया मेरे वीर्य की धार ने मेरी दोनों अप्सराओं को भिगो दिया। हम तीनों इस अद्भुत सुख की अनुभूति के साथ निद्रा देवी की आगोश में चले गए।
 
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Sangya

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( भाग-7)
हमारी यादगार रात.
[मैं मानस ]

खाना खाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा छाया का इंतजार कर रहा था. आज हमारी नए घर में पहली रात थी. मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था. छाया आने में विलंब कर रही थी. मैं अधीर हो रहा था. तभी मैंने छाया को आते देखा उसने एक सुर्ख लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी बहुत ही खूबसूरत थी तथा हल्की पारदर्शी भी थी. छाया के पीछे पीछे माया आंटी भी हमारे बेडरूम तक आ गई थीं. मैं बिस्तर पर पायजामा कुर्ता पहन कर लेटा हुआ था. मैं उठ कर बैठ गया उन्होंने छाया का हाथ मेरे हाथ में देते हुए बोला मैं तुम दोनों के प्रेम संबंधों को स्वीकार कर चुकी हूं. छाया तुम्हारी प्रेयसी है. पर जिस तरह से तुमने इसका ख्याल रखा है विवाह तक उसी तरीके से इसका ख्याल रखना. तुम्हारा दिया गया वचन मुझे बहुत भरोसा दिलाता है. उन्होंने छाया की तरफ भी देख कर कहा...

“मानस का अच्छे से ख्याल रखना..” कह कर उन्होंने छाया के हाथ में चिकोटी काटी और मुस्कुराते हुयीं वापस चली गयीं.

छाया ने शयन कक्ष का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गई. मुझे माया आंटी का छाया को इस तरह मुझे सौपना अत्यधिक उत्तेजक लगा. छाया के लिए आज का दिन बहुत विशेष था उसने यह

नाइटी शायद इसी दिन के लिए खरीदी थी. बिस्तर पर आने के बाद वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. हमने अपना प्यार अपने पुराने अंदाज में हीं शुरू किया.

वयस्क पुरुषों और स्त्रियों का प्यार हर बार एक जैसा ही होता है परंतु उसमें नयापन और ताज़गी छोटे-छोटे परिवर्तनों से लाई जा सकती पर आज तो बहुत बड़ा दिन था.

छाया मेरे राजकुमार को दोनों हाथों में लेकर बहुत प्यार से उसे

सहला रही थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा

“माँ ने इसे मेरी राजकुमारी को रानी बनाने की अनुमति दे दी है. बस उस दिन का इंतजार है”

इतना कहकर छाया ने राजकुमार को चूम लिया. अचानक छाया ने पास पड़ी हुई अपनी नई नाइटी को उठाया और मेरे चेहरे पर डाल दिया. उसने मुझे हिदायत दी “जब तक मैं ना कहूं अपनी आंखें मत खोलिएगा”

मुंह पर उसकी नाइटी पड़े होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और नाइटी से उसके बदन की खुसबू लेने लगा. उसकी उंगलियां मेरे राजकुमार के ऊपर अपना करतब दिखा रहीं थीं. मैंने छाया को छूना चाहा पर वह पास नहीं थी मेरे लहराते हाथों को देखकर समझ गई कि मैं उसे छूना चाहता हूं. उसने उठकर अपने आपको व्यवस्थित किया. अब उसकी कमर मेरे दाहिने कंधे के पास थी. मैं उसके नितंबों को अपने दाहिने हाथ से आसानी से छु पा रहा था. मेरी उंगलियां खुद ब खुद उसकी राजकुमारी के होंठों के बीच में घूमने लगी. उसकी राजकुमारी गीली हो रही थी. गीले और चिपचिपे होंठों में उंगली फिराने का सुख अप्रतिम होता है. छाया की उंगलियां मेरे राजकुमार को तरह-तरह से छेड़ रहीं थीं और वह पूरे मन से फुदक रहा था.

अचानक मुझे अपने लिंग पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या है? राजकुमार के मुख पर गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसका संपर्क राजकुमारी से हो रहा है. परंतु राजकुमारी तो मेरी उंगलियों के साथ खेल रही थी. अचानक मुझे अपने लिंग पर कोई चीज रेंगती हुई महसूस हुई. यह एक अद्भुत अनुभव था. मेरा राजकुमार एक अनजाने गुफा की दहलीज पर खड़ा था. अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे लिंग
गुफा की तरफ जा रहा और वह अनजानी चीज उससे रगड़ खा रही हैं. मुझे छाया के दातों की रगड़ अपने लिंग पर महसूस हुयी . मैं समझ गया कि छाया ने आज मेरा मुखमैथुन करने का मन बना लिया है. मैं इस आनंद से अभिभूत हो गया. छाया ने आज तक राजकुमार को अपने मुह में नहीं लिया था सिर्फ चूमा था. पर आज मेरी प्यारी छाया ने मुझे नया सुख देनी की ठान ली थी.

छाया अपने मुख से मेरे लिंग के चारों तरफ घेरा बना ली थी और होंठों को गोल करके वह उसे एक सुरंग का आकार दे रही थी. वह अपना मुंह बार-बार आगे पीछे करती और मेरा लिंग पूरी तरह मचलने लगता.
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उसकी राजकुमारी भी लगातार प्रेम रस बहाए जा रही थी. मुझे अपनी ब्लू फिल्मों की शिक्षा याद आ गई. और मैंने छाया के नितंबों को पकड़कर अपनी ओर खींचा. मैंने उसका एक पैर अपने सीने के दूसरी तरफ ले आया. अब छाया के

नितम्ब मेरी गर्दन के दोनों ओर थे. मेरी आंखें बंद होने के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था पर महसूस कर सकता था.

मैंने छाया की अनुमति से कपड़ा हटा दिया . छाया के गोरे-गोरे नितम्ब मेरे सामने थे. अद्भुत दृश्य था. इतने कोमल और बेदाग नितम्ब .... एसा लग रहा था जैसे दो छोटे चन्द्रमा मेरे सामने जुड़े हुए हों. नितंबो के बीच से उसकी दासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. दासी से कुछ ही नीचे छाया

की राजकुमारी के होंठ दिखाई पड़ रहे थे. रस में भीगे होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी फल को दो टुकड़ों में काट दिया गया हो और उससे फल का रस रिस रिस कर बाहर आ रहा हो.

मैंने छाया को अपनी तरफ खींचा अब मेरी जीभ आसानी से राजकुमारी के होंठों को छू सकती थी. मैंने राजकुमारी के होंठों में अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. छाया उछलने लगी. छाया ने अपना मुख वापस मेरे राजकुमार पर रख दिया था. अब हम दोनों इस अप्रतिम सुख को महसूस कर पा रहे थे. मेरे राजकुमार स्खलित होने के लिए पूरी तरह तैयार था.

इधर छाया की राजकुमारी भी व्याकुल थी. लग रहा था कि वह कभी भी अप्रत्याशित तरीके से अपने कंपन चालू कर देगी. हम दोनों का चरमसुख लगभग साथ ही आने वाला था.

अंततः राजकुमारी ने कांपना शुरू कर दिया. पर मैंने अपना मुख वहां से हटाया नहीं अपितु उसकी कमर पकड़ कर अपने ऊपर और तेजी से खींच लिया. मेरी नाक भी सीमा के दरारों के बीच आ गइ. जब तक छाया के कंपन होते रहे उसकी राजकुमारी मेरे मुह के अन्दर ही रही. कंपन होते समय ही छाया ने अपनी जीभ और मुख का घर्षण राज्कुम्मार पर पर तेज कर दिया और राजकुमार से यह बर्दाश्त ना हुआ

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और उसमें अपना लावा उड़ेल दिया. छाया इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी. वीर्य की पहली धार उसके मुंह में ही गिरी. वो अपना मुंह हटा पाती तब तक वीर्य की कई धार उसके गालों स्तनों पर आ गयी. वीर्य का स्वाद छाया ने पहले भी चखा था पर एक साथ इतना सारा वीर्य ये उसके लिए पहली बार था. वह इसे संभाल नहीं पायी. उसने अपना मुंह खोल दिया. मुह में एकत्रित लावा उसके होठों से गिरता हुआ उसके गर्दन तक पहुंच गया. उसने मेरी तरफ चेहरा किया. यह दृश्य देखकर मैं मुझे ब्लू फिल्मों की याद आ गई. इतना कामुक कर देने वाला दृश्य था. मेरी कोमल और मासूम छाया वीर्य से भीगी हुई अपने होंठों से वीर्य बहाती मेरे पास थी. मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया. उसके स्तन अब मेरे स्तनों से टकराने लगे. उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार के पास आ चुकी थी. थका हुआ राजकुमार राजकुमारी के संसर्ग में आकर एक दूसरे को चूम रहे थे. छाया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अपने वीर्य को उसके होठों से चूसते हुए मैं उसे प्यार करने लगा.

छाया ने आज जो मुझे सुख दिया था यह किसी प्रेयसी का उसके प्रियतम को दिया गया अप्रतिम उपहार था.

हम दोनों इसी अवस्था में सो गए.

छाया मेरी मंगेतर..
[मैं छाया]

नए घर में मेरा पहला दिन भी बहुत यादगार था मैंने आज मानस को वह दिया था जिसका शायद वह हमेशा से इंतजार करते थे. पहले मुझे मुखमैथुन के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए यह कल्पना से परे था कि कोई किसी के गुप्तांगों को किस तरह अपने मुंह से छू सकता है. मेरे लिए राजकुमार और राजकुमारी का आपस में मिलन ही पर्याप्त था पर कामुकता की सीमा किस हद तक जा सकती

हैं यह मुझे समय के साथ-साथ मालूम चल रहा था. मेरी सहेलियों ने मुझे इस बारे में बताया तो मुझे इसका पता चला. वैसे तो राजकुमारी दर्शन के दिन मानस ने मेरी राजकुमारी को अपने होठों से छुआ था और मुझे इस स्खलित भी किया था तथा मेरे प्रेम रस को उन्होंने अपने होठों से छुआ था और मुझे भी चुंबन दिया था पर वह दिन मेरे लिए एक ही दिन में कई सारी नई चीजें लेकर आया था. मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि मानस ने कैसे उस दिन मेरी राजकुमारी को छुआ और भी अपने मुख से चूमा.

उसके बाद भी मानस ने कई बार मेरी राजकुमारी को चुमने की कोशिश की पर मैंने उन्हें रोक लिया था. जिस कार्य को मैं नहीं कर सकती थी उन्हें उसके लिए प्रेरित करना मेरे लिए उचित नहीं था. पर अब अपनी सहेलियों से इस बारे में इतनी सारी बातें सुनकर मैंने अपना मन बना लिया था. और नए घर में मानस के साथ पहली बार मैंने मुखमैथुन कर लिया था.

मानस ने जब मेरे नितम्बों को अपनी तरफ खींचा तो मैं समझ गई कि उन्हें मेरा मुखमैथुन करने में भी आनंद आता है. शुरू में तो यह कार्य थोड़ा अजीब लगा पर धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगाने लगा. राजकुमार के वीर्य का स्वाद मैं पहले भी ले चुकी थी पर सीधा उसे मुंह में लेने का यह पहला अनुभव था. मेरी इस कार्य से घृणा तो लगभग समाप्त हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों में मानस को मैंने इसका भरपूर सुख दिया.

पहले दिन जब माँ ने मानस के हाथ में मेरा हाथ देते हुए कहा था कि मानस का ख्याल रखना तभी से मैंने तय कर लिया था कि मानस को हर स्थिति में खुश रखूंगी और उन्हें उनकी सारी इच्छाएं पूरी करुँगी. मेरे लिए वो सब कुछ थे.

अगली सुबह जब मैं अपनी मां से मिली तो मुझे उनके चेहरे पर एक अलग सी चमक दिखाई पड़ी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हो गया की आज शर्मा जी के साथ उनकी रात्रि अच्छी बीती है. मुझे उनके लिए अच्छा लग रहा था. आज 10 वर्षों बाद यदि उन्हें यह सुख मिला था तो वह इसकी हकदार थीं. उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया था.

अगले कुछ दिनों में मैंने अपनी और मानस की कई इच्छाएं पूरी की. हम दोनों पति पत्नी के जैसे अपने कमरे में रहने लगे थे. मां की पूर्ण सहमति मिलने के बाद मैं भी थोड़ी उच्छृंखल हो गई थी. बगल में शर्मा जी की उपस्थिति जरूर थी पर वह अक्सर अपने कमरे में ही बंद रहते हैं मां रात को उनके कमरे में सोने जाया करती थी बाकी समय वह किचन और घरेलू कार्यों में लगाती.

मैं मानस का इंतजार करती जैसे ही मानस घर में आते मां मुझे उनके पास जाने के लिए बोलती ठीक उसी प्रकार जिस तरह घर की नई बहू को लोग अपने पति के साथ छोड़ देते हैं.

एक अजीब किस्म का रिश्ता बन गया था. विवाह ना होने की वजह से हम दोनों संभोग सुख से वंचित रहे बाकी हमारे बीच में कोई दूरियां नहीं बची थी. मेरे साथ नग्न रहने की उनकी इच्छा भी पूर्ण हो रही थी . रात में हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नग्न ही सोया करते. राजकुमार भी मेरा भक्त हो चला था. वह मेरे हाथों में आते ही मचलने लगता. मेरा मुंह उसे चूमने की लिए आगे बढ़ता और वह मेरे मुह में अपनी जगह बना लेता. मानस मेरे बालों को सहलाते रहते और कुछ ही डेरे में मेरा मुह भर जाता. जब मैं नग्न होती मैं अपना मुह खोल देती और सारा वीर्य मेरे होंठो से बहता हुआ मेरे गर्दन और स्तनों पर आ जाता मानस मुझे उठाते और मेरे स्तनों पर लगे वीर्य की अच्छी तरह मल देते.

मानस मेरे लिए कई प्रकार की ब्रा, पैंटी तथा नाइटी लाया करते. कई बार मेरी मां भी मेरे लिए ऐसे आकर्षक वस्त्र लाया करती जो मानस को रिझाने में मुझे काम आते थे. मैंने और मानस ने इस बीच कई बार नग्न होकर एक दुसरे की मालिश भी की. हमने जितना कुछ सीखा था सब कुछ एक दूसरे पर प्रयोग किया और एक दूसरे को खुश करते रहे.

समय तेजी से बीत रहा था हमारी खुशियाँ परवान चढ़ रही थीं.
ब्लू फ़िल्म और छाया
छाया को फिल्में देखना बहुत पसंद था. वह अपने कॉलेज की पढ़ाई में से कुछ समय निकालकर फिल्में जरूर देखती. शायद इससे उसकी कल्पना को उड़ान मिलती थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे बताया कि कॉलेज की लड़कियां किसी ब्लू फिल्म के बारे में बात करती है.

“ वह क्या होता है” मैं हंस पड़ा मैंने उसे बताया..

“यह फिल्म नायक और नायिका के संभोग के विषय में होती हैं और इसमें बहुत सारी अश्लीलता होती है”. वह इसके लिए अति उत्सुक हो गई वह बार-बार कहती...

“मुझे कम से कम एक बार देखना है” मैंने उसे समझाया यह ठीक नहीं होगा. परंतु वह मेरी बात नहीं मान रही थी...

“ मेरी सारी सहेलियां इन सब चीजों के बारे में बात करती हैं परंतु मैं कुछ नही बोल पाती और सिर झुका कर वहां से हट जाती हूँ.”

मुझे लगा हॉस्टल में रहने वाली उसकी सहेलियां ये सब फिल्में देखती होंगी. मैंने उससे कहा अच्छा ठीक है..

“मैं तुम्हें ऐसी फिल्म दिखाऊंगा.”


वह मुझसे जिद करने लगी . मुझे नहीं पता था की छाया को ऐसी फिल्में दिखाना उचित होगा या नहीं. वह एक मासूम लड़की थी उसमें कामुकता जरूर थी परंतु अभी भी उसमें नवयौवना सी लज्जा और चेहरे पर मासूमियत वैसे ही कायम थी. कोई दूसरा आदमी उसको देखता तो वह कभी नहीं सोच सकता था कि यह सीधी साधी लड़की इतनी कामुक हो सकती है. एसा प्रतीत होता था जैसे मुझे देखकर उसमे कामुकता भर जाती थी. मैंने इस बात को कुछ दिनों के लिए टालना ही उचित समझा.

परंतु एक दिन वह नग्न अवस्था में मेरे साथ प्रेमालाप कर रही थी. उसने मुझसे फिर पूछा “यह डॉगी स्टाइल क्या होता है” मैं निरूत्तर था. उसने

मुझसे कहा...

“अब आपको मुझे ब्लू फिल्म दिखा ही देनी चाहिए मैं अपनी सहेलियों के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहती मैं अभी २२ वर्ष की होने वाली हूं मुझे भी यह सब जानने का हक है. आप मुझे नहीं दिखाओगे तो मैं अपनी सहेलीयों के साथ हॉस्टल में देखूँगी”

मैं मजबूर हो गया था अंततः मैं एक दिन छाया के लिए एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. वह बहुत उत्साहित थी. उसने शाम को जल्दी-जल्दी माया आंटी के साथ मिलकर खाना पकाया और खाना खाने के बाद माया आंटी को कहा...

“मुझे बहुत तेजी से नींद आ रही है” कहकर फटाफट मेरे कमरे में चली आई अंदर आते ही कहने लगी...

“जल्दी से लगाइए ना”

उसकी बेचैनी देखते ही बनती थी. मैंने कहा...

“कुछ देर और रुक जाओ उन लोगों को सो जाने दो .वरना यदि कहीं पता चल गया तो हम लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे.”

ब्लू फिल्म का इस तरह घर में देखना एक अलग अनुभव था. वह मेरी बात मान गई. कुछ समय बाद हुम बिस्तर पर आ चुके थे. मैंने सीडी लगाकर फिल्म चालू कर दी.

छाया बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी मैं भी सीडी प्लेयर पर सीडी लगाकर कूदते हुए बिस्तर पर आ गया. मैंने भी अपने कपड़े पहले ही उतार दिए थे. मैं छाया को बाहों में लिए हुए फिल्म के शुरू होने का इंतजार करने लगा. कुछ ही समय में टीवी में नायक और नायिका

अवतरित हो चुके थे. छाया की मानसिक स्थिति के अनुरूप वह दोनों नग्न ही अवतरित हुए थे. कुछ ही देर में उनकी रासलीला शुरू हो गयी. छाया टकटकी लगाकर उन दोनों को देख रही थी. इस बीच मैंने छाया

को छूने की कोशिश की पर उसने मेरा हाथ हटा दिया. वह पूरी तन्मयता के साथ देख रही थी. नायक और नायिका का संपर्क बढ़ता ही जा रहा था कुछ ही देर में नायक और नायिका मुखमैथुन करने लगे. ब्लू फिल्म की हीरोइन द्वारा नायक का लिंग अपने मुंह में लेने को अति उत्साहित होकर ध्यान से देख रही थी. कुछ ही देर में नायक ने अपना लिंग नायिका की योनी के बजाय उसके गुदाद्वार में प्रविष्ट करा दिया. संभोग के बारे में वह जानती थी परंतु राजकुमार का दासी से मिलन उसने नहीं सोचा था, उसने मुझसे पूछा...

“ऐसा भी होता है क्या?”

मैंने उससे कहा...

“वह देखो सामने हो तो रहा है”

वह हंसने लगी.

दुर्भाग्य से हमारे हाथ गलत सीडी लग गई थी.

उस समय इस प्रकार की फिल्मों की उपलब्धता तो थी परंतु आप अपने पसंद की सीडी नहीं प्राप्त कर सकते थे. यह विक्रेता पर ही निर्भर था कि वह आपके हिस्से में क्या लगता है.

फिल्म का दूसरा दृश्य प्रारंभ हो चुका था. विदेशी मूल के दो नव युवक और युवती रासलीला शुरू कर रहे थे फिल्म के शुरुआती दृश्य में ही नायक और नायिका नग्न थे सर्वप्रथम दोनों नायकों ने नायिका के यौन अंगों को चूसना शुरू कर दिया. एक नायक स्तन तो दूसरा योनि को चूस रहा था. नायिका तरह-तरह की उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी. कुछ समय पश्चात नायिका ने दोनों नायकों के लिंग को अपने मुंह में ले लिया और बरी बारी से चूसने लगी जैसे हम लोग कुल्फी चूसते हैं. छाया यह दृश्य अपनी आखें बड़ी करके देख रही थी. वह सोच रही थी क्या ऐसा भी होता है. कुछ ही देर में नायक और नायिका संभोग करने लगे. नायक का लिंग नायिका में प्रवेश करते हैं छाया की आंखें लाल हो गयीं .

छाया पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. वह मुझसे लिपट चुकी थी पर उसकी आंखें टीवी पर अटकी थी. कुछ ही देर में नायक और नायिका ने तरह-तरह के करतब दिखाने शुरू कर दिए. वह तरह-तरह के आसन बनाते हुए नायिका की योनि में अपने लिंग को प्रवेश कराता नायिका

उत्तेजित होकर आवाजें निकालती. नायिका दुसरे नायक के लिंग को अपने मुख में लेकर उसे भी उत्तेजित रख रही थी. उन्होंने एसी विभिन्न अवस्थाओं में संभोग किया जो आम इंसानों के बस की बात नहीं थी. मैं यह दृश्य पहले भी देख चुका था इसलिए मेरी उत्सुकता कम थी. मैं यह भली-भांति जानता था कि आम जीवन में ऐसा कर पाना असंभव था.

कुछ ही देर में नायक में अपना लिंग योनि से बाहर निकाल दिया और नायिका की दासी पर अपने लिंग का प्रहार करने लगा. कुछ ही देर में

नायक का लिंग नायिका की दासी के अंदर प्रवेश कर चुका था. तभी दूसरा नायक आया और उसने भी अपना लिंग नायिका को योनी में प्रवेश करा दिया.

छाया की आंखें फटी रह गई. दोनों अपने लिंग को तेजी से आगे पीछे कर रहे थे. नायिका उत्तेजना के साथ साथ दर्द में भी प्रतीत हो रही थी. कुछ देर बाद दोनों ने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और नायिका ने उसे अपने दोनों हाथों में ले लिया और तेजी से हिलाने लगी. लगी वीर्य स्खलन प्रारंभ हो गया और दोनों नायकों का सारा वीर्य नायिका के शरीर पर लगा हुआ था. वीर्य का कुछ भाग मुंह में जा चुका था. छाया का शरीर काँप रहा था. वो मुझसे लिपटी हुई थी. मैं उसकी पीठ सहला रहा था.

उसने मेरी और देखा मैंने उसे समझाया यह सब कल्पना लोक है. सब इसकी सिर्फ कल्पना करते है हकीकत में यह सब नहीं होता. इन्हें इस काम के लिए बहुत पैसे दिए जाते हैं. वह मेरी बात सुनी पर समझी या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन उसका ध्यान टीवी पर अभी भी लगा हुआ था. कुछ ही देर में हम लोगों ने टीवी बंद कर दी.

उसने मुझे चुम्बन लिया और बोली...

“आपने जरूर पहले ये सब फिल्म देखी थी तभी आपको मुझे अपने वीर्य से भिगोना पसंद है.”

उसने एक बार फिर मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लिया और उन्हें काटते हुए मादक आवाज में कहा

“आपने मेरे सपने पूरे किये हैं मैं आपके करूंगी”

मैंने उसके गाल पर प्यार से चपत लगाई और कहा..

“हट पगली” और उसे नग्न अवस्था में ही अपने आलिंगन में लेकर सो गया.

छाया और जिम
एक दिन छाया मेरे पास आई और बोली मैंने कई लड़कियों को एक्सरसाइज करते हुए देखा है मैं हमेशा नाजुक कली जैसी रहती हूं वह लोग एक्सरसाइज भी करते हैं और उनके शरीर में एक अलग सा कसाव है. मैं भी चाहती हूं कि मैं भी एक्सरसाइज करूं. मैंने उससे कहा तुम बहुत नाजुक हो और मुझे ऐसे ही बहुत पसंद हो. तुम क्यों इन सब चक्करों में पड़ती हो. तुम्हारी मासूमियत थी तुम्हारा सबसे बड़ा गहना है.

वह शुरू से ही कोमल थी परंतु जैसे जैसे वह जवान हो रही थी उसकी कोमलता में दिन पर दिन वृद्धि हो रही थी.

मैंने उसे समझाया की कोमलता लड़कियों का सबसे बड़ा गहना है फिर भी उसने जिद की मुझे थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करनी और मेरे पेट पर चिकोटि काटती हुई बोली देखिए आपका भी पेट निकल रहा है आप भी एक्सरसाइज किया करें. और फिर मुस्कुराते हुए इशारा किया कि आप चाहेंगे तो हम लोग बिना कपड़े के भी एक्सरसाइज कर सकते हैं यह कह कर मुस्कुरा दी. मुझे हंसी आ गई. वह पत्नी की तरह मुझे मना रही थी.

मैंने अपने वाले शयनकक्ष के बगल में सटे कमरे को एक छोटा सा जिम बनाने की सोची.

जब आपके पास पैसे होते हैं तो आपकी इच्छा और हकीकत में ज्यादा अंतर नहीं रहता.

अगले ६-७ दिनों में ही मैं जिम से संबंधित कई सारे छोटे-मोटे सामान ले आया. छाया ने जिम करना प्रारम्भ कर दिया. हम दोनों अपने समय पर जिम करते पर छाया के साथ नग्न होकर जिम करने का जो स्वप्न उसने दिखाया था वो पूरा होना बाकी था.

एक दिन हमें मौका मिल ही गया ऑफिस से आने के बाद मैंने देखा छाया मेरे लिए लेमन टी लेकर खड़ी थी मैंने पूछा आज सिर्फ लेमन टी उसने कहा अभी आपको जिम करना है. उसके बाद ही अच्छा नाश्ता करेंगे.

थोड़ी ही देर में हम दोनों जिम में थे मैं शाम को जिम जरूर करता था पर कुछ देर से. आज सीमा के कहने पर मैं जल्दी ही जिम में आ चुका था मैंने पूछा माया आंटी कहां है उसने बताया कि वह दोनों किसी काम से बाहर गए हुए हैं. मैं समझ गई छाया क्या चाहती है. मेरे बिना कहे वह एकदम नंगी हो गई और मुझे भी अपनी अवस्था में ला दिया.

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पिछले 10 15 दिनों की जिम की एक्सरसाइज में उसके शरीर में अवश्य थोड़ा कसाव आया पर फूल तो फूल ही होता है मेरे लिए वह अभी भी उतनी ही कोमल थी . मेरे सामने ही उसने जिम मैं कई तरह के आसन करना शुरू कर दिए उसके हर आसन में उसकी राजकुमारी और दासी की एक अलग झलक मिलती जो मुझे अत्यंत उत्तेजित कर रही थी.

जब वह सामने की तरफ झुकती और अपने पैर छूती मुझे पीछे से उसकी राजकुमारी के दर्शन हो जाते. कभी वह अपनी पीठ पीछे

करती तो उसके स्तन भर कर सामने आ जाते और राजकुमारी का स्पष्ट दृश्य सामने से दिखाई पड़ता. उसने यह बात जान ली और बोला कि..

“खाली मुझे देखते ही रहेंगे या एक्सरसाइज भी करेंगे” मैंने इस तरह नग्न अवस्था में एक्सरसाइज करने का सोचा भी नहीं था मेरा लिंग पूरी तरह खड़ा था. तने हुए राजकुमार के साथ एक्सरसाइज करना मुश्किल था. अचानक वह पास आई और बोली...

“आपको याद है फ़िल्म में नायक और नायिका किस तरह के आसन कर रहे थे”

मैंने कहा..

“हां”

वह बोली .. “ हम वही करते हैं ध्यान रहे कि आसन करते समय मेरा

कौमार्य भंग ना हो जाए” मुझे उसकी बात सुनकर हंसी आ गई.

और सच में उसने नायिका द्वारा किए गए लगभग हर हर अवस्था को अपने ऊपर आजमाने की कोशिश की वह मुझे कभी इस तरह झुकाती कभी उस तरह. आधे घंटे में उसने मुझे पूरी तरह थका दिया. हर अवस्था में उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार को अपने आगोश में लेती और फिर छोड़ देती. कभी कभी वह अपनी कमर को आगे पीछे करती जैसे प्रयोग कर रही हो की कि जरूरत पड़ने पर वह यह सब कर पाएगी या नहीं. कुछ ही देर में मैं पूरी तरह थक चुका था मैंने उससे कहा

“ तुम तो उस नायिका के जैसी ट्रेंड हो गई हो”

वह हंसी बोली अरे कुछ ही महीनों में हमारा विवाह हो जाएगा तब आपको खुश करने के लिए इस तरह के आसन करना जरूरी होगा मैं उसी की तैयारी कर रही हूं”

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यह सुनकर मैं भी बहुत खुश हो गया और उसे बाहों में भर लिया. वह मेरी तरफ चेहरा करके मेरी गोद में बैठ गयी. मेरा राजकुमार उसकी राजकुमारी से सटा था. हम दोनों ने उनके बीच घर्षण बढ़ा दिया और थोड़ी ही देर में मुझे एक बहुत दिनों बाद “ मानस भैया.......” की कापती आवाज सुनाई दी और हमारे पेट मेरे वीर्य से नहा चुके थे. छाया ने पूझे प्रूरी तरह पकड़ रखा था. छाया के शरीर पर पसीने की बूंदे पहले से थी उसमें मेरा प्रेम रस मिलकर समाहित हो गया था. हम

दोनों पसीने और प्रेम रस से लथपथ बाथरूम की तरफ चल पड़े. भविष्य में हम दोनों के बीच होने वाली संभावित संभोग परिस्थितियों ने मेरी कल्पनाओं को नयी उचाइयां दे दी थीं.
बहुत अच्छा लिख रहे हैं
भाषा एवं भावनाओं का उत्तम मिश्रण
 

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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Behad hi shandar update tha Lovely Anand bhai_______
Yaha tak ki sari story padh liya maine. Kamaal ka likhte ho bhai. Sach me maja aa gaya. Chhaya ki ichha thi ki uska kaumarya uska bhai maanas hi bhang kare to aisa hi hua. Seema ne kya sahi jagah par is kaam ko chuna tha. Ek taraf maanas aur chhaya ne apni dil ki hasrate puri ki to dusri taraf Seema bhi somil ke vachan ko pura karne gai lekin waha to alag hi kaand ho gaya_______
Shuru me to laga ki ye sab somil ka hi kiya dhara hai lekin last ka update padhne ke baad pata chala ki wo khud kisi gahre jaal me fas chuka hai. Ab sawaal hai ki ye sab kisne kiya hoga aur kyo kiya hoga. Idhar somil ke jiwit hone ki khabar se sab log khush ho gaye hain. Maanas chhaya aur Seema to mauka dekh kar maja bhi le rahe hain. Udhar police ka wo inspector bhi is case me kafi intrest le raha hai. Wo to Seema aur chhaya par fida ho gaya hai. Aisa lagta hai jaise wo in dono ko apne jaal me fasana chahta hai. Kamre me bed sheet par veerya aur khoon ki kaach se wo shayad jaan chuka hai ki us kamre me suhagraat manane wale dono bhai bahan hi the. To ab wo is base par in sabko blackmail kar sakta hai______
Anand bhai story abhi tak mast ja rahi thi lekin is kaand se maano sansani si fail gai hai. Dekhte hain aage kya hota hai_____


भाग -27
मंगलवार ( दूसरा दिन)
सोमिल का कैदखाना( शाम 5 बजे)
[मैं सोमिल]

मैंने खिड़की से बाहर देखा शाम हो रही थी खिड़की की सलाखों के पीछे जंगल का खुशनुमा माहौल था पंछी अपने घरों को लौट रहे थे और मैं यहां इस एकांत में फंसा हुआ था. भगवान ने मेरे साथ यह अन्याय क्यों किया था मैं खुद भी नहीं जानता था। मुझे यह भी नहीं पता था कि मेरी पत्नी छाया किस अवस्था मे है। उस रात सीमा के साथ मुझे अपने वचन को पूरा करना था पर निष्ठुर नियति ने मेरे सपने चकनाचूर कर दिये थे।

तभी शांति चाय लेकर मेरे कमरे में आई। यह लड़की मेरे लिए एक और आश्चर्य थी। वह एयर होस्टेस की तरह खूबसूरत थी और उतनी ही तहजीब वाली वह हर बात बड़े धीरे से बोलती उसकी चाल ढाल में भी शालीनता थी। उसे किसने मेरी सेवा में यहां भेजा था यह प्रश्न बार-बार मुझे चिंतित कर रहा था।

"सर, चाय पी लीजिए अच्छा लगेगा" वह चाय के साथ कुछ बिस्किट भी ले आई थी."

वह दो कप चाय लेकर आई थी मुझे लगा शायद वह एक कप अपने लिए भी लाई थी मैंने उसे बैठने के लिए कहा वह बिस्तर के सामने पड़े सोफे पर बैठकर चाय पीने लगी।

मैंने उससे पूछा तुम यहां मेरे साथ क्यों आई।

"वह मेरा भाई है ना, उसने कहा तुम्हें जंगल में एक साहब का एक महीने तक ख्याल रखना है. तुम्हें खूब सारे पैसे मिलेंगे मुझे पैसों की जरूरत थी तो मैं आ गई." वह मुस्कुरा रही थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह स्वेच्छा से और खुशी-खुशी यहां आई है। एक महीने की बात सुनकर मेरे रूम पर खड़े हो गए।

"शांति ने अलमारी खोलकर मेरे लिए एक सुंदर सा पायजामा कुर्ता निकाला और बिस्तर पर रख दिया सर आप नहा कर कपड़े चेंज कर लीजिए" मैं आपके लिए खाना बना देती हूं वह किचन की तरफ चल पड़ी..

मैं अभी भी अपने पुराने कपड़े ही पहने हुए था मुझे नहाने की तीव्र इच्छा हुई शावर के नीचे गर्म पानी की फुहार में नहाते हुए मैं यहां लाए जाने का कारण सोच रहा था। अचानक मुझे शांति का ध्यान आया वह लड़की कितनी निडर और निर्भीक थी जो एक अनजाने पुरुष का ख्याल रखने यहां तक आ गई थी। निश्चय ही बाहर खड़े गार्ड उसकी सुरक्षा करते पर फिर भी यह उस सुंदर लड़की के लिए एक कठिन कार्य था। उसकी सुंदरता को ध्यान करते हुए मुझे अपने लिंग में उत्तेजना महसूस होने लगी। मैने अपना ध्यान भटकाया और स्नान करके कमरे में वापस आ गया मैंने तोलिया पहनी हुई थी।

बिस्तर पर मेरे अंडर गारमेंट्स नहीं थे मैंने शांति को आवाज दी..

वह कमरे में आ गई

मैंने पूछा "अंडर गारमेंट्स नहीं है क्या?" "सर वह तो उन लोगों ने नहीं दिया"

"गार्ड से बोलो कहीं से लेकर आए" वह बाहर चली गई

सर उन्होंने कहा है वह कल लाने का प्रयास करेंगे.

मैं सिर्फ तौलिया पहने हुए था मुझे अपनी नग्नता का एहसास था मैं शांति के सामने ज्यादा देर इस तरह नहीं रहना चाहता था। मैंने पजामा और कुर्ता वैसे ही पहन लिया बिना अंडरवियर के मैं असहज महसूस कर रहा था मेरा लिंग वैसे भी सामान्य पुरुषों से बड़ा था। मैं बिस्तर पर बैठ गया।

शांति द्वारा बनाया गया खाना बेहद स्वादिष्ट था उसने आज चिकन की डिश बनाई थी मैं खुद भी आश्चर्यचकित था की यह कौन व्यक्ति है जिसने हमारे खाने पीने का इतना भव्य प्रबंध किया हुआ है। मुझे भूख लगी थी मैंने पेट भर कर खाना खाया। शांति ने मुझे कुछ पेन किलर दवाइयां दी जिसे खाकर मैं जल्दी ही सो गया।

अर्धनिद्रा में जाते हैं मुझे सुहागरात के दिन हुई घटना याद आने लगी। सीमा के जाने के बाद मेरे फोन की घंटी बजी। फोन पर कोई नया नंबर था मैंने फोन उठा लिया। लक्ष्मण ( मेरे आफिस का साथी) ने कहा पाटीदार सर नीचे आपका इंतजार कर रहे हैं। मैं माना नहीं कर पाया।

"ठीक है आता हूं" पाटीदार सर विदेश से बेंगलुरु लौटे थे वह शादी में उपस्थित नहीं हो पाए थे इसलिए मुझे लगा शायद वह मुझसे मिलकर यह बधाई देना चाह रहे हैं. मैं तेज कदमों से चलते हुए लिफ्ट की तरफ आ गया. मैंने छाया को फोन करने की कोशिश की पर कॉल कनेक्ट नहीं हुई। लिफ्ट में पहुंचते ही लक्ष्मण मुझे वहां दिखाई पड़ गया। जल्दी चलो लिफ्ट तेजी से नीचे की तरफ चल पड़ी। रिसेप्शन हॉल में पाटीदार साहब नहीं थे। लक्ष्मण ने हाल में खड़े एक व्यक्ति से पूछा सर कहां गए उसने जबाब दिया

पार्किंग में गए हैं।

लक्ष्मण के साथ साथ में बाहर पार्किंग में आ गया तभी किसी ने मेरी गर्दन पर प्रहार किया और मैं बेहोश हो गया। यही सब याद करते हुए मेरी आँख लग चुकी थी।


पुलिस स्टेशन (शाम 9 बजे, )
हवलदार सत्यनारायण भागता हुआ डिसूजा के कमरे में आया.

"दोनों कमरों से मिले ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आ गई है. गद्दे पर से मिले ब्लड सैंपल में वीर्य भी पाया गया है। सत्या ( एक सिपाही) सही कह रहा था वहां सुहागरात मनाई गई थी. उसकी नाक सच में बहुत तेज है वह कुत्ते की माफिक सब सूंघ लेता है।

डिसूजा की आंखों में चमक आ गयी उसने प्रत्युत्तर में कुछ भी नहीं कहा पर उसका कामुक दिमाग षड्यंत्र रचने लगा।

सोमिल की फोटो देखकर वह पहले ही आश्वस्त हो चुका था। सोमिल को जिस कमरे में रखा गया था इससे उसने अंदाजा कर लिया था कि उसका किडनैप किसी विशेष मकसद के लिए किया गया है।

मानस का घर (शाम 9 बजे)
(मैं मानस)

लिफ्ट में छाया को अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर मैं उत्तेजित हो गया था इस लिफ्ट में न जाने कितनी बार मेरे राजकुमार और छाया की राजकुमारी ने मुलाकात की थी। अब छाया की राजकुमारी रानी बन चुकी थी और सम्भोग की हकदार थी। मेरा राजकुमार उसकी आगोश में जाने के लिए तड़प रहा था। लिफ्ट को ऊपर से नीचे आने में लगभग 2 मिनट लगते थे छाया के कोमल नितंबों को सहलाते-सहलाते मेरा राजकुमार रानी से मिलने को व्याकुल हो उठा। मैंने छाया की पेंटी सरकाने ने की कोशिश की तभी लिफ्ट के रुकने का एहसास हुआ। मैं और छाया दोनों ही इस अप्रत्याशित रुकावट से दुखी हो गए। लिफ्ट में एक और महिला अंदर आ गई थी मिलन संभव नहीं था। हम दोनों कुछ देर बाहर घूम कर वापस आ गए।

(मैं छाया)

रात 9 बजे मेरे मोबाइल पर फिर एक बार ई-मेल आया। मैं उछलते हुए हुए मानस भैया के कमरे में गई। सोमिल की नई तस्वीरें ईमेल में आई हुई थी पजामे कुर्ते में खाना खाते हुए सोमिल को देखकर ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि वह किडनैप हुआ हो। प्लेट में दिख रहा चिकन और होटल का भव्य कमरा इस बात की साफ गवाही दे रहा था।

सीमा ने चुटकी ली

"नंदोई जी मुझसे डर कर भाग तो नहीं गए और वहां होटल में मजे कर रहे है"

मानस भैया ने कहा

"यह सोमिल को फसाने की किसी की चाल हो सकती है. पैसे का गबन हुआ है। इस तरह आलीशान कमरे उसे अय्याशी करते हुए दिखा कर उस पर पैसों के गबन के आरोप को मजबूती दी जा सकती है"

मैं मानस भैया की समझदारी की कायल हो गई मैं प्यार से उनके पास चली गई उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया।

सीमा भाभी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने कहा

"छाया आज यही सो जाओ वैसे भी हम तीनों को एक साथ वक्त बिताये बहुत दिन हो गए" और उन्होंने मुझेआंख मार दी.

मैं भी आज बहुत खुश थी चलिए हम दोनों नहा लेते हैं तब तक मानस भैया भी नहा लेंगे नहा लेने से नींद अच्छी आएगी मैंने भी उन्हें छेड़ दिया। मैं और सीमा मेरे कमरे में आ चुके थे उधर मानस भैया हम दोनों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।


बिस्तर पर मेरी दोनों अप्सराएं मेरे अगल बगल थीं। सोमिल के गायब होने से हुए दुख से ज्यादा उसके मिलने की खुशी थी। हम तीनों ही उसकी फोटो देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह सकुशल है उसका मिलना हमारे लिए जरूरी था। उसकी सलामती ने आज हमें चैन से सोने की इजाजत दे दी थी। हम तीनों एक दूसरे की बाहों में लिपट रहे थे। छाया हमेशा की तरह हमारे बीच में थी छाया को नग्न करने में जितना मजा मुझे आता था उतना ही सीमा को।

छाया के वस्त्र अलग होते ही उसका यौवन उभर कर आ गया। आज से 2 दिन पहले ही उसने सुहागरात मनाई थी और वह भी अपने सर्वकालिक प्रिय राजकुमार के साथ उन दोनों का अलौकिक प्रेम भरा युद्ध दर्शनीय रहा होगा। राजकुमारी ने रानी बनकर अपनी लज्जा छोड़ी थी पर अपना शौर्य नहीं। राजकुमारी का मुंह खुल गया था पर उसकी अद्भुत कमनीयता कायम थी।

सीमा छाया की रानी को देखकर बेहद प्रसन्न थी। उसने बिना कुछ कहे उसे चूम लिया। रानी के छोटे से मुख को सीमा की जीभ बड़ा करने की कोशिश कर रही थी पर छाया की रानी लगातार अपना प्रतिरोध दिखा रही थी। जीभ के संपर्क में आने से रानी अपना प्रेम रस छोड़ना शुरू कर चुकी मैं उसके स्तनों पर अपने होठों से प्रहार कर रहा था। मेरी छाया दोहरे आक्रमण का शिकार हो रही थी। आज भी हम दोनों उसे हमेशा की तरह पहले इस स्खलित करना चाहते थे पर आज वह सिर्फ जिह्वा और हाथों से खेलते हुए स्खलित नहीं होना चाहती थी।

सीमा यह बात भलीभांति समझती थी कि संभोग का सुख मुखमैथुन और योनि मर्दन से ज्यादा आंनददायक होता है। उसने कुछ देर छाया को उत्तेजित करने के पश्चात मेरे राजकुमार को अपने हाथों में ले लिया और मुझे इशारा किया। छाया की रानी मुंह बाए हुए अपने राजकुमार की प्रतीक्षा कर रही थी।

राजकुमार अपनी प्यारी रानी की आगोश में आ गया मेरी कमर हिलने लगी सीमा अपनी आंखों के सामने यह दृश्य देखकर मुस्कुरा रहे उसने मुझे छेड़ा

"ध्यान रखना वह सोमिल की अमानत है और तुम्हारी छोटी बहन भी उसकी रानी को घायल मत कर देना"

मैं सीमा की बातें सुनकर और उत्तेजित हो गया इस भाई-बहन के शब्द से मुझे सिर्फ और सिर्फ उत्तेजना मिलती थी। इसी शब्द ने मेरा और छाया का विछोह कराया था।कमर की गति बढ़ते ही सीमा मुस्कुराने लगी उसने छाया के होठों पर चुंबन प्रारंभ कर दिया। मेरी प्यारी छाया के चेहरे पर लालिमा थी। आज वह अपनी प्यारी सहेली के सामने संभोग सुख ले रही थी। मेरे और सीमा के प्रयासों से छाया शीघ्र स्खलित हो गई। मैं भी चाहता था की छाया के साथ ही स्खलित हो जाऊं पर मेरा दायित्व मुझे रोक रहा था मेरी पत्नी सीमा मेरी प्रतीक्षा में थी। छाया के स्खलन के पश्चात छाया ने सीमा को उत्तेजित करने का मोर्चा संभाल लिया। मेरा राजकुमार अपनी पटरानी में प्रवेश कर गया कुछ ही देर के प्रयासों में मेरा और सीमा का भी स्खलन हो गया मेरे वीर्य की धार ने मेरी दोनों अप्सराओं को भिगो दिया। हम तीनों इस अद्भुत सुख की अनुभूति के साथ निद्रा देवी की आगोश में चले गए।
 
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Lovely Anand

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Behad hi shandar update tha Lovely Anand bhai_______
Yaha tak ki sari story padh liya maine. Kamaal ka likhte ho bhai. Sach me maja aa gaya. Chhaya ki ichha thi ki uska kaumarya uska bhai maanas hi bhang kare to aisa hi hua. Seema ne kya sahi jagah par is kaam ko chuna tha. Ek taraf maanas aur chhaya ne apni dil ki hasrate puri ki to dusri taraf Seema bhi somil ke vachan ko pura karne gai lekin waha to alag hi kaand ho gaya_______
Shuru me to laga ki ye sab somil ka hi kiya dhara hai lekin last ka update padhne ke baad pata chala ki wo khud kisi gahre jaal me fas chuka hai. Ab sawaal hai ki ye sab kisne kiya hoga aur kyo kiya hoga. Idhar somil ke jiwit hone ki khabar se sab log khush ho gaye hain. Maanas chhaya aur Seema to mauka dekh kar maja bhi le rahe hain. Udhar police ka wo inspector bhi is case me kafi intrest le raha hai. Wo to Seema aur chhaya par fida ho gaya hai. Aisa lagta hai jaise wo in dono ko apne jaal me fasana chahta hai. Kamre me bed sheet par veerya aur khoon ki kaach se wo shayad jaan chuka hai ki us kamre me suhagraat manane wale dono bhai bahan hi the. To ab wo is base par in sabko blackmail kar sakta hai______
Anand bhai story abhi tak mast ja rahi thi lekin is kaand se maano sansani si fail gai hai. Dekhte hain aage kya hota hai_____
Nice to see your feedback. This story is basically for readers like u .......Keep reading you will get all dimensions of erotica in near future...From Manas and great छाया




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Lovely Anand

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भाग 28
बुधवार (तीसरा दिन)
मानस का घर (सुबह 8.15 बजे)
(मैं मानस)

सुबह फोन की घंटी बजते ही मेरे मन में एक अनजाना सा डर समा गया. यह लगभग वही समय था जिस समय कल डिसूजा ने फोन किया था।

मैने फोन उठाया , जिसका मुझे डर था वही हुआ यह फोन डिसूजा का ही था मैंने भगवान को मन में याद किया

"यस मिस्टर मानस, आप सोमिल की पत्नी छाया को लेकर सुबह 10:00 बजे पुलिस स्टेशन आ जाइए"

"सर, कुछ मालूम चला क्या?"

"आइए वही बात करते हैं"

उसकी आवाज में तल्खी थी. मुझे एक अनजाना डर सताने लगा। डिसूजा के पास छाया को ले जाने में मुझे हमेशा डर लगता था. छाया जैसी कोमलांगी और सुंदर नवयौवना को देखकर उसकी आंखों में जो हवस आती थी वह डराने वाली थी। हम मजबूर थे मैंने यह बात छाया और सीमा को बताई छाया डर के मारे रोने लगी।

मैंने उसे अपने सीने से लगाया और समझाया। सीमा ने कहा मैं भी चलूंगी साथ में। एक बार हम तीनों फिर तैयार होकर पुलिस स्टेशन के लिए निकल पड़े। छाया ने आज बिल्कुल सादे कपड़े पहने थे। उसने सलवार कुर्ता पहना था और दुपट्टा भी ले लिया था। वह पूरी तरह अपनी कामुकता को छुपाना चाहती थी और सादगी से वहां जाना चाहती थी। वह डिसूजा की आंखों में हवस देख चुकी थी और उसे किसी भी तरह बढ़ाना नहीं चाहती थी।

यह मेरी वही छाया थी जिसे कामुकता जी भर कर पसंद थी। वह अपनी कामुक हंसी और अदाओं से आस पास के लोंगों को हमेशा उत्तेजित करके रखती थी। पर आज वह स्वयं डरी हुई थी।

पुलिस स्टेशन जैसे-जैसे करीब आ रहा था हम तीनों का डर बढ़ता जा रहा था। छाया मेरे से चिपकती जा रही थी और उसकी गर्दन झुकी हुई थी।

पुलिस स्टेशन आ चुका। कुछ ही देर में हम तीनों डिसूजा के ऑफिस में थे

जंगल का कैदखाना ( सुबह 4 बजे)
(मैं सोमिल)

जल्दी सो जाने की वजह से मेरी नींद रात में ही खुल गई मैंने देखा शांति सोफे पर सो रही थी। उसने अपने ऊपर एक चादर डाल रखी थी जो उसके पैरों से हट गई थी। कमरे में इतनी ठंड नहीं थी की चादर ओढ़ने की जरूरत पड़े । मुझे लगता था शांति ने स्वयं को ढकने के लिए चादर का उपयोग किया था ठंड से बचने के लिए नहीं।

मुझे इस तरह उसे सोफे पर देखकर दया आ रही थी पर मैं उसे बिस्तर पर आने को नहीं कह सकता था। वह युवा लड़की थी मैं पशोपेश में था सोफा इतना बड़ा भी नहीं था जिस पर मैं आराम से सो जाता और उसे बिस्तर पर सुला देता। मैं कुछ देर यूं ही बिस्तर पर जागता रहा बाहर जाने का कोई उपाय नहीं था मुझे सुबह होने का इंतजार करना था।

इसी दौरान मोबाइल पर मेरी नजर पड़ी। मैंने टाइम पास करने के लिए मोबाइल उठा लिया। मोबाइल में कोई नंबर सेव नहीं था। मोबाइल खंगालने पर मुझे कुछ मीडिया फाइल दिखाई पड़ी मैंने उसे प्ले कर दिया। वह पोर्न फिल्म थी। कमरे में अचानक आह... ऊह...की आवाजें आने लगी मैं घबरा गया. शांति कमरे में ही थी।

मैंने किसी तरह मोबाइल को बंद किया तब तक शांति करवट ले चुकी थी। उसकी चादर अब नीचे गिर चुकी थी। शांति की नाइटी से उसके पैर झांक रहे थे। जितना ही मैं नजर हटाता उतनी ही मेरी नजर उसकी तरफ जाती। उसकी पीठ मेरी तरफ थी वह करवट लेकर लेटी हुई थी । पीछे से उसके नितंबों और जांघों का आकार भी स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। स्त्रियों के शरीर की बनावट करवट लेकर सोने पर स्पष्ट दिखाई पड़ती है। मेरे लिंग में न चाहते हुए भी उत्तेजना आ चुकी वह पूरी तरह खड़ा हो गया था।

मैं बिस्तर पर बैठा उसे सहला कर शांत करने लगा पर जितना ही मैं उससे सहलाता था वह उतना ही उत्तेजित होता। अंततः मैंने उसे अपनी हथेलियों से जकड़ कर अपने लिंग का मान मर्दन करना शुरू कर दिया। उसे झुकाने के प्रयास में मेरे हाथों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी। मेरी हथेलियों की विजय होने ही वाली थी पर शायद बिस्तर पर हो रही हलचल से शांति की नींद खुल गई। वह उठ खड़ी हुई...

"सर कोई दिक्कत है?" उसने कमरे में लगी बड़ी लाइट जला दी कमरे अब पूरी तरह प्रकाश हो गया।

मैंने फुर्ती से बगल में पड़ा हुआ तकिया उठाकर अपनी गोद में ले लिया मैं अपनी यह उत्तेजित अवस्था उसे बिल्कुल नहीं दिखाना चाहता था वह शर्मसार हो जाती और मैं भी।

सुबह के 4:00 बज रहे थे।

सर क्या मैं आपका बाथरूम यूज कर सकती हूं..

मुझे थोड़ा अनकंफरटेबल महसूस हुआ मैंने कहा "कोई और बाथरूम नहीं है क्या?"

"नहीं सर' आपको दिक्कत होगी तो मैं बाहर चली जाऊंगी खुले में" उसके चेहरे पर तनाव आ गया था।

कितनी सुंदर और युवा लड़की का बाहर खुले में जाना मुझे कतई गवारा नहीं था बाहर 2-2 गार्ड भी थे. मनुष्य में हवस कभी भी जाग सकती है। मैंने उसे बाथरूम प्रयोग करने की इजाजत दे दी। वह बाथरूम में जा चुकी थी कुछ ही देर में मुझे शीशश….सुसु…..ररररर .की ध्वनि सुनाई पड़ने लगी। कमरे की असीम शांति में यह ध्वनि और भी स्पष्ट थी। हर पुरुष इस ध्वनि को भलीभांति पहचानता है और उसके मन में ध्वनि स्रोत की एक झलक अवश्य बन जाती है।

मैं अपने मन में जाग रही कामुकता को रोक रहा था और नीचे मेरा लिंग विद्रोह पर उतारू था। इस मधुर ध्वनि से वह और भी तन गया था। दिमाग में आए विचारों को वह जाने वह कैसे पढ़ लेता था। मेरी हालत खराब होने लगी अब मैं उसे सहला भी नहीं सकता था।

कुछ ही देर में शांति बाहर आ चुकी थी

"सर, चाय पिएंगे?

मैंने सहमति में सर हिला दिया

"ठीक है मैं आपके लिए चाय ले आती हूं" वह किचन की तरफ जाने लगी मैंने आवाज देकर कहा शांति दरवाजा बंद कर देना. उसने दरवाजा सटा दिया. मेरे मन में आया उठकर दरवाजा अंदर से बंद कर लूँ और आराम से अपना हस्तमैथुन पूरा कर लूँ पर ऐसा करना मुझे ठीक नही लगा।

मैं बिस्तर पर बैठा रहा और शांति के चाय लेकर आने का इंतजार करता रहा। मेरा ल** अभी भी वैसे ही तना हुआ था। मैंने ऐसी उत्तेजना पहले कभी महसूस नहीं की थी।

मैं अपने ल** को हाथों से हल्का हल्का सहला रहा था।

कुछ ही देर में शांति चाय लेकर आ गई हम दोनों ने चाय पी और इधर उधर की बातें करने लगे। आने वाले समय मेरे लिए कठिन हो रहा था। शांति का साथ अब मेरे लिए उत्तेजना का विषय हो चुका था। जितना ही मैं उससे ध्यान भटकाता उतना ही मेरा ध्यान उसकी तरफ जा रहा था। जाने प्रभु ने मेरे भाग्य में क्या लिखा था?

बाहर दरवाजे पर हुई खटपट से शांति कमरे से बाहर चली गई और बाहर गार्डो से बात करने लगी।

मैं मौका देख कर बाथरूम में चला गया जहां सीमा और छाया को याद करते हुए मैंने अपना हस्तमैथुन पूरा किया पर इस दौरान बीच-बीच में शांति अपने अद्भुत यौवन से अपनी जगह बना रही थी।

पुलिस स्टेशन (सुबह 10.15 बजे)
(मैं मानस)

हमें देखते ही डिसूजा ने कहा

"ओह, तो आप तीनों एक साथ ही चलते हैं"

"नहीं, सर वो छाया अकेली थी ना इसलिए मैं उसके साथ आ गई " सीमा ने सफाई दी

चलिए जब आप यहां आ ही गयी हैं तो छाया जी का साथ दीजिए। उसने आवाज दी

"सत्यभामा इन दोनों को ले जाओ"

"आप बाहर बैठिये।? उसने मेरी तरफ इशारा किया.

मैं छाया और सीमा को कातर निगाहों से देखते हुए उसके कमरे से बाहर आ गया. मुझे इन दोनों को वहां छोड़कर इस तरह बाहर आने में बहुत कष्ट हो रहा था. पर ऐसा लगता था जैसे डिसूजा मन में कुछ सोच कर बैठा हैं। मैं रुवांसा होकर कमरे से बाहर आया और उसके ऑफिस के सामने पड़ी एक बेंच पर बैठकर सोचने लगा।

(मैं छाया)

मानस भैया के जाते ही सत्यभामा ने कहा "सर पूछताछ किससे करनी है" डिसूजा ने मेरी तरफ इशारा किया. सत्यभामा ने कहा "चल" मुझे उसका यह संबोधन बहुत खराब लगा.

वह लगभग 35 से 36 वर्ष की मोटी महिला थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे भगवान ने उसे महिला बनाकर गलती की थी जाने वह कौन सा पुरुष होगा जो इस महिला के साथ संभोग करने की सोच सकता होगा।

मैंने सीमा को अपने साथ चलने इशारा किया पर उसने रोक दिया

"तु नहीं, तु वहीं बैठी रह.सिर्फ तू चलेगी" उसका मुझे इस तरह से संबोधित करना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. डिसूजा के कमरे में एक और दरवाजा था वह मुझे उस दरवाजे से लेकर अंदर के कमरे में आ गई। अंदर एक गंदा सा कमरा था जिसमें एक कुर्सी रखी हुई थी। कोने में एक स्ट्रेचर था जिस पर किसी को लिटाया जा सकता था दूसरी तरफ कोने में पुलिस की कुछ लाठियां रखी हुई थी मैं यह दृश्य देख कर डर गई। मैंने इस बारे में सुना जरूर था पर मैं अभागी आज स्वयं इस रूम में थी।

"बैठ" लकड़ी की कुर्सी अत्यंत गंदी थी मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी। सत्यभामा ने दरवाजा बंद कर दिया मुझे बहुत डर लग रहा था। उसने पूछा

"क्या नाम है तेरा"

" जी छाया"

" तेरी सुहागरात की उस दिन ?"

"जी"

"क्या हुआ मनाई की नहीं सुहागरात?" मै चुप रही

" मनाई कि नहीं?"

मैं फिर भी नहीं बोली

"बोलती क्यों नहीं?"

" मुझे गुस्सा आ गया मैंने कहा नहीं मैं बेहोश हो गई थी"

"अच्छा तू बेहोश हो गई थी।"

"अच्छा यह बता तू कुंवारी है? या मजा ले चुकी है?

मैं फिर चुप हो गई

"साली बोलती क्यों नहीं?"

"आप मुझसे ऐसे बात मत कीजिए"

वह मेरे पास आई और मेरे कोमल गालों पर एक जोर का चाटा दिया। शायद चाटे की आवाज सीमा ने भी सुन मुझे सीमा की आवाज सुनाई दी

"सर अंदर क्या हो रहा है? यह आवाज कैसी थी?" डिसूजा ने कड़क आवाज में कहा

"घबराइए नहीं, आप का भी नंबर आएगा"

मैं अपनी स्थिति देख कर सुबकने लगी थी।

"अब साफ-साफ बता कुंवारी है या चु**वा चुकी है"

मैं उसकी इस गंदी भाषा से शर्मसार हो गई। मैंने सच बोलना ही उचित समझा

" जी मैं कुंवारी नहीं हूं"

"अब ये भी बता दे तेरी सील उसी दिन टूटी थी या नहीं?"

"जी" मैं उसकी बात नहीं समझ पाई थी

"अरे मेरी फूल कुमारी उसी रात पहली बार चु**वाई थी या पहले भी?"

हम लोगों ने जिस बात को छुपाने के लिए इतना झूठ बोला था वही बात वह सुनना चाहती थी मैंने साफ मना कर दिया

"नहीं, पहले भी"

"देख झूठ मत बोलना उस दिन दूसरे कमरे में बिस्तर पर चुदाई वाला खून और वीर्य दोनों मिला है"

मैं पूरी तरह डर गई । मैं होटल से सुहागरात वाली चादर तो ले आई थी पर मुझे नहीं पता था की हमारे प्रेम के अंश गद्दे तक भी पहुंच गए थे.

वह फिर बोली जा स्ट्रेचर पर लेट जा और अपनी सलवार निकाल ले

मुझे यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी मैं चुपचाप सर झुकाए रही। वह मेरे पास आए और मुझे धक्का देते हुए बोली जल्दी खोल नही तो मैं फाड़ दूंगी फिर यहां से तुझे नंगा ही जाना पड़ेगा। कोई चारा न होते हुए मैंने अपनी सलवार उतार दी और स्ट्रेचर पर लेट गयी। वह मेरी नंगी जाँघों की फैलाकर मेरी रानी के होठों को अपनी गंदी उंगलियों से फैलाने लगी।

इतने में दरवाजा खुला वहां खड़े होकर डिसूजा ने आवाज दी क्या हुआ बताया इसने…

कहती है यह पहले से खेली खायी है उस रात इसकी भाभी ने सुहागरात बनाई थी। चल जाने दे ब्लड टेस्ट से ही सामने आ जाएगा

मैं शर्म से पानी पानी हो गई डिसूजा ने इतनी ही देर में ही मेरी नग्नता के दर्शन कर लिए थे। वह मेरी रानी को तो नहीं देख पाया जिसे मैंने अपने कुर्ते से तुरंत ही ढक दिया था पर मेरी गोरी जाँघे उसकी निगाहों से न बच सकीं। डिसूजा अपने होठों पर जीभ फेरते हुए वापस कमरे में लौट गया।

मैं अपनी सलवार पहनकर वापस डिसूजा के कमरे में आ गई थी।

उसमें हम दोनों की तरफ देखते हुए कहा

"देखिए उस दिन दोनों ही कमरों से हमें खून के निशान मिले हैं एक कमरे में तो किसी आदमी का खून हुआ और दूसरे कमरे में.."

"इज्जत का" सत्यभामा की आवाज आई

"वो लड़का तेरा सगा भाई है"

"जी नहीं"

"कभी राखी बांधी है उसको?"

मैं फिर एक बार चुप हो गई.

"दोनों कब से एक साथ रहते हो"

"पिछले चार-पांच सालों से"

डिसूजा ने किसी को फोन किया और कुछ देर में एक लड़का अंदर आया मानस भैया भी उसके पीछे-पीछे अंदर आ गए.

राजू इन तीनों को ले जा और इनका ब्लड सैंपल दिलवा दे और इस लड़के का वीर्य भी टेस्ट करवा देना।

"आप लोग जाइए ब्लड रिपोर्ट आने के बाद बात करता हूं"

हम तीनों डिसूजा के कमरे से डरे सहमे बाहर आ गए.

ब्लड सैंपल देने के बाद मानस भैया ने अपना सीमन भी दिया मुझे लगता है मेरे आने के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब मानस भैया के राजकुमार ने उनके हाथों वीर्य स्खलन कराया हो। मानस भैया ने उस लड़के का नंबर लिया और हम अपने घर आ गये।

हम तीनों यह बात जान गए थे की मानस और मेरे संबंध सार्वजनिक होने में अब सिर्फ ब्लड रिपोर्ट की देर है।


जंगल का कैदखाना (सुबह के 9:00 बजे)
[मैं सोमिल]

मैं एक बार फिर खिड़की के पास खड़ा हुआ बाहर प्रकृति के नजारे देख रहा था अद्भुत रमणीय माहौल था. वही पास से एक नदी भी गुजर रही थी काश मेरी छाया यहां होती. मैं अब भी यह बात नहीं सोच पा रहा था कि मुझे यहां पर लाने का क्या प्रयोजन हो सकता है। मैंने गार्ड से कहा

"मुझे तुम्हारे साहब से बात करनी है" कुछ ही देर में कमरे में फोन की घंटी बजी..

"जी सर, क्या बात है?"

"प्लीज मुझे बताइए मुझे यहां पर क्यों लाया गया है"

"सर यह तो मुझे नहीं पता. मुझे आपका ख्याल रखने के लिए कहा गया है. आपको कोई दिक्कत हो तो बताइए."

" मैंने गार्ड से कुछ कपड़े लाने के लिए कहे हैं"

"सर माफ कीजिएगा जहां आप हैं वहां से आबादी बहुत दूर है" मैंने जरूरत के कपड़े वहां पहले ही भेज दिए हैं. प्लीज उनसे ही काम चला लीजिए". वैसे भी आपको उसी कमरे के अंदर ही रहना है कपड़ों की कोई विशेष आवश्यकता नहीं पड़ेगी."

फोन कट हो गया

.उधर शांति गार्ड से भिड़ गई थी सर का अंडर गारमेंट क्यों नहीं लाया. उन दोनों की बातचीत तल्ख हो चली थी। अचानक शांति रोते हुए अंदर आई। उसके होंठ से खून बह रहा था। मैं भागकर बाहर गया पर गार्ड बाहर जा चुका था। मैं वापस शांति के पास आया मैंने पास पड़े तौलिए से उसके होठों पर लगा खून पोछने की कोशिश की।

शांति सुबक रही थी मेरी आत्मीयता भरे व्यवहार से वह मुझसे सटती चली गई। इस बात का एहसास तब हुआ जब उसके कोमल स्तन मेरे सीने से टकराये। मेरे शरीर में करंट दौड़ गई मेरा ल** एक बार फिर उत्तेजित हो गया। इससे पहले कि वह मेरे ल** की चुभन अपने पेट पर महसूस करती। मैंने उसे थोड़ा सा अलग किया।

वह अभी भी सुबक रही थी। मैं उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से सहला रहा था जितना ही मैं उसे छूता मेरा ल** उतना ही तन रहा था। कुछ देर में वह चुप होकर मुझसे अलग हुई और सोफे पर बैठ गई और बोली

"सर, ये लोग बहुत दुष्ट हैं. यह हमारी कोई बात नहीं मानेंगे. मैंने पैसे के लिए इनकी बात मान कर बहुत बड़ी गलती कर दी."

मुझे वह भी मेरी तरह बेबस दिखाई पड़ने लगी. कुछ देर बाद उसने कहा सर आप नहा लीजिए तब तक मैं खाना बना लेती हूँ। मैं बाथरूम में नहाने चला गया उसने एक नया पजामा कुर्ता बिस्तर पर रख दिया था अंडरवियर आज भी नहीं था।

बाथरूम में रखे गए बॉडी शावर जेल और तरह-तरह की खुशबू वाले शैंपू को देखकर मुझे लगा सालों ने इतनी व्यवस्था यहां कैसे कर ली थी मेरा एक अंडरवियर तक तो ला नहीं पा रहे थे।

मेरे बाहर आने के बाद शांति भी नहाने चली गई। बाथरूम के अंदर नहा रही शांति की सुंदर काया मेरे विचारों में घूमने लगी। जब वह बाहर आयी तब मैं उसे देख कर आश्चर्यचकित रह गया। शांति ने मेरी वही सफेद शर्ट पहनी थी जो मैंने सुहागरात के दिन पहनी थी। शांति के शरीर पर एकमात्र वही वस्त्र था। मेरी शर्ट उसके नितंबों के ठीक नीचे तक आ रही थी पर उसकी जांघें स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी। वह उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी पर यह संभव नहीं था। मेरी सफेद शर्ट शांति के शरीर पर जगह-जगह चिपक गई थी। शांति का गोरा रंग शर्ट के अंदर से अपनी चमक बिखेर रहा था। शर्ट विशेषकर उसके स्तनों पर चिपक गई थी जिससे स्तनों का आकार स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। वह मुझे अत्यंत उत्तेजक लग रही थी। उसके होंठ का कट एक दाग जैसा दिखाई पड़ रहा था मैंने अपने इतने करीब किसी सुंदर लड़की को इस तरह कामुक अवस्था मे पहली बार देखा था। मुझे अपने ल** में फिर उत्तेजना महसूस होने लगी। शांति बला की खूबसूरत लग रही थी। यदि वह मेरी छाया होती तो अब तक मैं उसे उठाकर बिस्तर पर ले आया होता आगे क्या होता या आप सोच सकते हैं।

अचानक मैं अपने विचारों से बाहर आया और उससे पूछा

"तुम्हारे कपड़े कहां गए? सर मैं दो नाइटी लेकर आई थी कल एक बाहर सूखने डाली थी गार्ड कहता है वह आंधी में उड़ गई। वही पुराने वाले से काम चलाओ। सर मुझे गंदे कपड़े पहनना बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए मैंने आपकी यह पुरानी शर्ट पहन ली.मुझे माफ कर दीजिए"

वह बढ़कर मेरी तरफ आने लगी.

मैंने कहा "ठीक है कोई बात नहीं"

मैं उसे इस तरह अपने पास नहीं बुलाना चाह रहा था. वह ड्रेसिंग टेबल के पास चली गई और अपने बाल सवारने लगी मैं उसे पीछे से देख रहा था. उसके नितम्ब मेरी आंखों के सामने अठखेलियां कर रहे थे। उसकी जाँघें पीछे से और स्पस्ट दिखाई दे रहीं थीं। मैं अपनी आंखों से सफेद शर्ट के पीछे उसकी ब्रा और पेंटी खोज रहा था मुझे अभी तक उनके दर्शन नहीं हुए थे। अचानक शांति में ड्रेसिंग टेबल के ऊपर पड़ी किसी चीज को हटाने के लिए अपने हाथ ऊपर किये और मेरी शर्ट ऊपर उठ गयी। मुझे उसके नितंबों के अर्ध दर्शन हो गए। उसके नितंबों का मुझे उतना ही भाग दिखाई पड़ा जितना चतुर्थी के दिन चंद्रमा दिखाई देता है।

उसके साथ ही यह बात भी प्रमाणित हो गई कि उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने किसी लड़की के नग्न नितंब आज पहली बार देखे थे। मेरा ल** पूरी तरह विद्रोह करने पर उतारू था। ऐसा लगता था यदि मैंने उसे उसी समय नहीं सहलाया तो वह उत्तेजना से फट जाएगा।

शांति अपने शरीर पर कभी बॉडी लोशन लगाती कभी अपने बालों पर कंघी करती। उसकी हर गतिविधि में उसके अंग प्रत्यंग मेरी आंखों के सामने नाचते। ऐसी गजब की उत्तेजना मेरे जीवन में पहली बार मिल रही थी। अचानक शांति की कंघी नीचे गिर गई। जैसे वह उसे उठाने के लिए नीचे झुकी मेरी शर्ट एक बार और ऊपर आ गई मुझे उसकी जांघों के जोड़ पर उसकी चू** एक झलक दिखाई दे दी। जब तक मैं उसे देख कर उसके स्वरूप को अपनी निगाहों में कैद कर पाता शांति उठ कर खड़ी हो गयी और मेरी तरफ पलटी। उसने मुझे अपनी तरफ देखते हुए पकड़ लिया था।

उसकी खूबसूरती देखकर मैं दंग रह गया था। आज वह बहुत सुंदर लग रही थी। उसके शरीर पर एक मात्र वस्त्र मेरी शर्ट थी जो उसे और भी खूबसूरत बना रही थी। वह उसके शरीर को ढक कम रही थी उसकी बल्कि उसमें छुपी कामुकता को जगा रही थी। मेरा मन मचलने लगा मैं उसे अपनी बाहों में भर कर उसे प्यार करने की सोचने लगा। मुझे अपने वचन की याद आई मुझे अपना कौमार्य सीमा की चू** में ही तोड़ना था। मेरी सुहागरात के दिन मुझे सीमा के साथ संभोग करना था पर मुझे निष्ठुर नियति ने यहां कैद कर दिया था।

आज फिर मेरे सामने साक्षात रति, शांति के रूप में उपस्थित थी। वह मुझे संभोग के लिए प्रेरित कर रही थी। मुझे नहीं पता शांति के मन में क्या भावनाएं थी।

शांति तैयार होने के बाद खाना बनाने चली गई मैं उसे देखने के लिए तड़प रहा था। मैंने एक दो बार हॉल में आकर किचन की तरफ देखा। उसकी नग्न जाँघें मुझे किचन में जाने के लिए प्रेरित कर रहीं थीं। मैं उसके पास गया और पानी के लिए कहा। उसने मुझे पानी दिया और बड़ी मादक अदा से कहा सर मुझे बुला लिया होता।

उसे क्या पता था मुझे उसे देखना था पानी नही पीना था। मेरी कैद को शांति ने खुशनुमा बना दिया था। वापस आकर मैं बिस्तर पर बैठ गया और अपने मन ही मन शांति के साथ रंगरलिया मनाने लगा। मेरा ल** पूरी तरह उत्तेजित था उसे मेरा इस तरह सहलाना बहुत अच्छा लग रहा था।

शांति आज दिन भर मेरी शर्ट पहन कर रही थी. हम धीरे-धीरे एक दूसरे से बात करने लगे थे मेरे द्वारा सुबह दिखाई गई आत्मीयता से वह मेरे और करीब आ गई थी।

शाम को उसने कौतूहल वश टीवी के नीचे की अलमारी खोली। उसमें शराब की बोतलें देखकर वह आश्चर्य से बोली

"सर, यह देखिए" वह चहक उठी थी। वहां पर रेड वाइन तथा व्हिस्की की कुछ बोतलें रखी थी। शांति ने पूछा

"सर आप लेना पसंद करेंगे" मेरी इच्छा तो थी पर मैंने ना में सर हिला दिया.

वह मायूस हो गई थी उसने कहा ठीक है तब मैं भी नहीं लूंगी. मैं उसकी बात सुनकर आश्चर्यचकित था। यह कैसी सुंदरी थी जो सुरा पान भी करती थी। मैंने फिर कहा ठीक है तुम्हारी इच्छा है तो मैं भी ले लूंगा।

शांति मुझे एक चुलबुली पर संजीदा लड़की लगी थी। सुबह से अभी तक वह सिर्फ मेरे शर्ट में घूम रही थी पर उसने अपनी योनि को मेरी नजरों से बचा कर रखा था। सिर्फ सुबह की एक गलती को छोड़कर जो उससे अनजाने में हो गई लगती थी। हर समय वह अपने दोनों पैरों को सटाए रखती या एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर रखती थी। वह अपनी जांघों को तो मेरी नजरों से नहीं बचा पायी पर अपनी योनि को वह सदैव आवरण देने में कामयाब थी।

कुछ ही देर में वह पूरी व्यवस्था के साथ वापस आ गयी। उसने अपने लिए रेड वाइन निकाली और मेरे ग्लास में भी रेड लाइन डालने लगी। मैंने उसे मना किया मुझे व्हिस्की ही देना उसने रेड लेबल की बोतल निकाल ली और मेरे लिए व्हिस्की का एक पेग बना दिया। हम दोनों अपने-अपने पैग का आनंद लेने लगे वह सोफे पर बैठी थी उसने फिर अपने पैर एक दूसरे पर चढ़ा लिए थे वह किसी भी अवस्था में अपनी चू** (माफ कीजिएगा मैं आगे उसे मुनिया शब्द से संबोधित करूंगा) को मेरी नजरों से बचाना चाहती थी. धीरे-धीरे हम दोनों शराब के सुरूर में आ गए। शांति कुछ ही देर में खाना ले आई। मैं बिस्तर पर बैठकर खाने लगा और वह सोफे पर। अचानक उसके हाथ से खाने की प्लेट सोफे पर गिर पड़ी। वह घबरा गई उसे साफ करने के चक्कर में उसे और गंदा कर दिया। पानी के प्रयोग से सोफा पूरी तरह गीला हो गया था। मुझे लगता है उस पर शराब का नशा हावी था।

मैंने उसे बिस्तर पर बैठने के लिए कहा वह सर झुकाए हुए थी। मुझे उसे देख कर बहुत प्यार आ रहा था। मैंने खाने की प्लेट किचन तक पहुंचाई। और जब तक मैं वापस आता वह बिस्तर पर गिर चुकी थी। उसके पैर अभी भी लटके हुए थे। मेरी शर्ट उसकी मुनिया को बमुश्किल ढकी हुई थी। यदि मैं अपने होठों से उसे फूक मारता तो उसकी मुनिया मेरी आंखों के सामने होती।

पर मुझे यह अच्छा नहीं लगा मैंने उसे आवाज दी

" शांति ..शांति" उसने आंखें खोली और एक बार फिर उठ कर बैठ गयी। मैंने कहा तुम सो जाओ वह उठकर गीले हो चुके सोफे की तरफ जाने लगी। सोफा किसी भी हाल में सोने लायक नहीं बचा था। मुझे उस पर दया आ गई मैंने उसे अपने ही बिस्तर पर एक तरफ सुला दिया। उसने अपनी आंखें कुछ पल के लिए खोली और बोली

" सर आप बहो…...त अच्छे हैं" उसकी आवाज में गजब की मादकता थी। उसकी आंखें बंद हो गई मैने उसे चादर से उसे ढक दिया कुछ ही देर में वह नींद में चली गई। कमरे में इतनी ठंड नहीं थी फिर भी मैंने उसे चादर से ढक दिया था। मुझे पता था जब तक उसे मैं इस अर्धनग्न स्थिति में देखता रहूंगा मुझे नींद नहीं आएगी।

मैं बिस्तर पर लेटा हुआ शांति के बारे में ही सोच रहा था वह एक परी के रूप में इस कमरे में मेरे साथ थी पर क्यों? यह प्रश्न अनुत्तरित था। वासना ने मुझे भी अपने आगोश में ले लिया था। मैं उसके साथ छेड़खानी करना चाहता था। मुझे उसके स्तनों को सहलाने और उसे अपनी बाहों में लेने के लिए तड़प पैदा हो चुकी थी पर हिम्मत नहीं थी। काश वह मेरी सीमा या छाया होती। अब तक हम दो जिस्म एक जान हो गए होते।

मैंने ध्यान भटकाने के लिए फिर मोबाइल हाथ में उठा लिया इस बार मैंने सावधानी से मोबाइल का वॉल्यूम कम किया और उसमें पढ़ी हुई वीडियो क्लिप्स देखने लगा सारी वीडियो क्लिप उत्तेजक ब्लू फिल्म से भरीं थीं। मेरा ल** जो कुछ समय के लिए ढीला हुआ था फिर तन कर वापस खड़ा हो गया मैंने अपने ल** को कुछ देर सहलाया। शराब का नशा मुझ पर आ ही चुका था मुझे भी जल्दी ही नींद आ गई।


पुलिस स्टेशन (शाम 6:00 बजे)
(मैं डिसूजा)

मूर्ति भागता हुआ मेरे कमरे में आया

"सर, सर, उस मरे हुए आदमी का पता चल गया"

" कौन है?"

"सर वह एक कंप्यूटर हैकर है. पहले भी वह फर्जी बैंक ट्रांसफर के मामले में पकड़ा जा चुका है. इंदिरा नगर पुलिस थाने में उसके नाम से दो एफ आई आर दर्ज है. लगभग 3 साल पहले पुलिस ने उसे पकड़ा भी था"

"मूर्ति तुमने बहुत अच्छा काम किया है"

मूर्ति के सफेद दांत काले चेहरे के बीच से दिखाई पड़ने लगे।

मैंने साइबर क्राइम टीम को फोन किया

"एनी अपडेट"

"जी सर, मैं आपको रिंग करने ही वाला था"

"बताइए"

"सर, जिस कमरे में मर्डर हुआ है उसी कमरे से रात 12:00 बजे पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। इसमें सोमिल के मोबाइल का भी प्रयोग किया गया है। ऐसा लगता है जैसे किसी कंप्यूटर हैकर ने अकाउंटेंट का पासवर्ड हैक कर लिया है। उसने सोमिल के फोन की ओटीपी और उस पासवर्ड की मदद से पैसे विदेश ट्रांसफर कर दिए हैं।"

"ठीक है सारी रिपोर्ट्स मेरे ऑफिस में भेज दो"

पाटीदार की कंपनी का मुख्य अकाउंटेंट उसका अपना बेटा था जिसने पैसों के गबन की रिपोर्ट लिखाई थी। मुझे यह बात समझ आ चुकी थी के गबन में सोमिल का हाथ नहीं है। होटल के रिसेप्शन में लगे कैमरे की रिकॉर्डिंग से मैंने सोमिल को लगभग 10:00 बजे बाहर निकलते हुए देखा था। उसके बाद सोमिल के होटल में आने का कोई प्रमाण नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे उसे कमरे से बाहर निकाल कर उसके कमरे से ही होटल का इंटरनेट प्रयोग कर किसी ने उस हैकर की मदद से पैसों का गबन किया और अंत में उसे मार दिया।

सोमिल को गायब करवा कर वह इस खून और गबन का आरोप उस पर लगाना चाहता था। मुझे अब सिर्फ उस व्यक्ति की तलाश थी। मेरे पास छाया द्वारा बताए गए दो नाम थे लक्षमन और विकास। मैंने आगे की रणनीति बना ली।

छाया से मिलने का वक्त आ चुका था। मेरी अप्सरा को देखने के लिए मेरी आंखें तरस रही थी। मैं उसका सुख एक बार भोगना अवश्य चाहता था। जो युवती अपने भाई के साथ सहर्ष सुहागरात मना सकती है वह स्त्री कितनी कामुक होगी मुझे इसका अंदाजा लग चुका था।

इस व्यभिचार के लिए मैं मन ही मन तैयार हो गया था। मुझे सिर्फ छाया को रजामंद करना था। मुझे पता था वह मुझे जैसे कुरूप व्यक्ति से कभी संभोग करना नहीं चाहेगी पर मेरे हाथ में जो सबूत थे वह उसे रजामंद करने के लिए काफी थे।

छाया जैसी सुंदरी के साथ रजामंदी से किया गया संभोग स्वर्गीय सुख से कम नहीं होगा मेरा मन बेचैन हो रहा था।
 
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