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Incest छिनाल बहुरिया

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर चुदाईदार कहानी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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हम हाजिरी लगा कर जा रहे हैं, जब अपडेट आ जाए तो हमें कृप्या करके सूचित कर दीजिएगा।
 
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छिनाल बहुरिया -2

तभी सुबह 5 बजे बरात विदा हुई मेरी ससुराल लगभग 10 किलोमीटर दूर है चूँकि पिछड़ा क्षेत्र है तो आज भी लोग अवागमन के लिए बैलगाड़ी का यूज करते है मै लाल रंग का लहगा चोली पहनी थी उस पर लाल चुनरी अभी मेरी उम्र काफी कच्ची थी ढेला चालीस के पास रहा होगा मेरी उम्र से दुगने से जादा, सीने पर घुंडी के दाने उभरे थे सीने पर मात्र थोडा सा ही ऊभार था तो बुर पर अभी रोये उगने ही चालू हुये थे जो अभी सही से निकल भी पाये थे मुझे बैलगाड़ी पर माँ ने रोते हुए बैठाया और कहा बेटा आज तु अपने घर जा रही है यहाँ से तेरा नाता टुटा ससुर की सेवा करना वो घर के मालिक तु नौकरानी समझी हमेशा उनका कहा मानना देवरो को बच्चो जैसा लाड देना कोई शिकायत ना हो कि हमारी नाक कटे, में भी रोते हुये उनके गले लगी कोई शिकायत ना होगी माॅ, मै बैलगाड़ी

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पर गुमशुम एक कोने बैठ गई बैलगाड़ी पर चारों तरफ परदा था सोनू बैलगाड़ी चला रहा था और मेरा एक देवर मोनू मेरे साथ बैठ गया, ढेला और उनके दो दोस्त नीरज धीरज दूसरी बैलगाड़ी पर दहेज के समान के साथ थे हमारे यह रिवाज अनुसार एक गाय और बैल भी दहेज मे दिया हुआ था, जो दूसरी बैलगाड़ी मे जुटे थे
बैलगाड़ी सुनसान रास्तो पर जा रही है
तभी मोनू बोला भैया इस जंगल से जल्दी निकलो पिछली बार अपने भौसड़ा के बरात यह से गुजरी थी, हॉ मै बताना भूल गई मेरी ससुराल का यही नाम है छी बोलने मे भी शर्म आती है भोसड़ा, तो डकैतो ने पूरी बरात लूट ली ऊपर से दस डकैतो ने मिलकर नई दुलहन को जबरदस्त चोदा तभी सोनू हॉ रे साली को डकैतो ने जब छोड़ा दुल्हा रजुआ बता रहा था उसकी महरारू की बुर गांड दोनो से धड़ाधड़ पानी चू रहा था बेचारी ससुराल पहुंचते पहुँचते बुर से सपेद पानी टपकाते गई, इतना सुनते ही जैसे मेरा रोम रोम कॉप गया दोनो घुटने कस के भीच लिये और मेरी बुर ने पानी छोड दिया, सच कहता हूँ भौजी भौसडे मे भौसड़ा ले कर पहुंची बेचारी और दोनो ठहाका लगा हँस दिये, मै भी मुस्कारा दी
Aapki lekhan saili sabse alag hai... 2 hi update bad k sach main meri yoni main khujli suru ho gyi... Aisi bold kahani jaldi milti hi nahi padne ko... Bus aasa karti hu ye kahani aage jake band na ho
 
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छिनाल बहुरिया-3

तभी अचानक सोनू ने गाड़ी रोक दी मोनू क्या हुआ भैया सोनू कुछ नही बडे भैया रुकने को कह रहे है तभी ढेला दौड़ते हुये आया, बोला सोनू जा मै गाड़ी चलाता हूँ तू पीछे देख, सोनू क्या हुआ भैया, ढेला बोला अरे अपना मोती बैल इनकी दी हुई एक बछिया पर चढ गया है बेचारी बहुत छोटी है देख कही मोती मार ना डाले, सोनू नाहक परेशान हो रहे हो भैया लंड कितना बडा हो मगर बुर कभी छोटी नही पड़ती वैसे भी इनके मयके मे सबकी चौड़ी होती है बछिया है मगर पैदाईशी छिनाल है, मै इतना सुनते ही गनगना गई और बुर लसलसा गई, मोनू कंधे पर कंधा टकराते हूँ का भौजी तुम्हारी चौड़ी बाटे की ना बाटे, मै बोली चल हट बेशर्म
ढेला जा जादा बकतई ना फूरको जाकर देखो मै बैलगाड़ी चलाता हूँ जाओ,
फिर सोनू उतर गया और ढेला बैलगाड़ी पर बैठ गया बछिया के रंम्भाने की आवाज साफ आ रही थी मोनू ने पीछे का परदा खोल दिया, हाये दईया क्या गजबे दृश्य था हमारी फूल से प्यारी माला बछिया अभी साल भर भी पूरे ना हुई थे बेचारी पर एक मोटा सांड आधा लाल रंग का लंड डाले थे माला बैठ गई थी और मुँह खुला था तभी अचानक मोती ने एक दोरार धक्का मारा की पुरा लंड माला की बुर फाहता घुस गया माला जोर से रंभाई इधर मेरी बुर से पानी छलका आया और आँख से भी इतनी लाड से पाला था मगर कितनी बेदर्दी से चोदा जा रहा है, भौजी हम भी यही हाल करब तुम्हारा, तभी टेपरिकार्डर ऑन कर दिया मोनू ने जो दहेज मे मिला था गाना बजने लगा
भौजी घंघरा उठा ओ भौजी घंघरा उठा
देवरा मारे घचाघच घचाघच
तभी ढेला बोला क्या मस्त गाना है थोडा तेज कर

साथ मोनू भी गाने
ओ भौजी औ भौजी चोलिया उतार चोलिया उतार
देवरा निचोड निबुआ दबादब दबादब
Uffff aap sach main babut acha likh rahe hai bus ye kahani band na ho
 
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छिनाल बहुरिया-11


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मेरे मादक कसे चुतड़ो पर ससुर जी का क्या हाल हो रहा होगा मै जल्द रसोई मे घुस गई तो मेरी साँसे ऊपर की ऊपर नीचे की नीचे रह गई सोनू टाँगे पसारे नंगा सो रहा था उसका काला भयानक 9 इंची लंड मेरी कलाई जितना मोटा छत की ओर ताक रहा है मेरी बुर पानी फेक रही थी जैसे वो पेशाब कर रही हो शायद आने वाली मुसीबत को भाप वो तैयारी कर रही थी
सोनू के सर के पास टोकरी उसमें गिलास था रसोई बहुत छोटी थी चारो तरफ समान भरा था बस जितनी जगह थी उस पर सोनू सो रहा था अब समस्या थी कि मै जाऊ तो जाऊ कैसे टोकरी तक फिर सोचा सोनू के ऊपर से ही होकर जाया जा सकता है देखा सोनू की आँख बंद थी मगर उसके लंड महाराज मेरे देवता खडे है हाथ जोड कर मन ही मन प्रर्थना की हे लंड महाराजा आज इस बुर को छोड दो आज यह बुर दो जबरदस्त चुदाई झेल चुकी है दुबारा खुद आकर आपकी सेवा करूँगी आज रहम करना मैने जैसे ही एक कदम बढाते हुये एक पैर दाये दूसरा पैर सोनू की बाये ओर रखा लंड झटके खाने लगा शायद लंड देवता को अपना खाना दिख गया था फिर एक कदम आगे बढाया तो लंड ठीक बुर के नीचे झटके खा रहा था यह नजरा देखते ही बुर ने पानी छोड दिया जो बुर से टपकती हुई सीधे लंड देवता के सुपाडे पर गिरी मैने तुरंत बुर को थपकी देते हुये कुत्तिया एक दिन मे कितना फटेगी, नीचे देखा बेचारा लंड झटके पर झटके मार रहा था मुझसे देखा ना गया कोई बुर इस तरह लंड के ऊपर से गुजर जाये तो लंड देवता का अपमान ही होगा
मै हलकी सी बैठ गई की बुर का छेद लंड के छेद को स्पर्श कर ले मैने हलका दबाब दिया लंड का सुपाड़ा बुर मे घुस गया, मेरे मुंह से दर्द की सिसकी निकल उठी, बस महाराज आज के लिए इतना क्षमा करना, यह बुर तुम्हारी दासी है रहम करना और हलके से मैने अपना चुतड़ उठाया पुच की आवाज के साथ लंड बाहर आ गया अब लंड और तेजी से झटके मारने लगा , मै उसे हाथ जोड अगला कदम उठाया, अब मेरी बुर के ठीक नीचे सोनु का सर था टोकरी आगे थी मै हलके से बैठी अब मेरी बुर सोनु के मुंह के पास थी नाक मे उसके मेरी बुर की सुंगध जा रही होगी मैंने टोकरी मे हाथ बढाते हुये जैसे ही गिलास उठाया कोई गर्म चीज मेरी बुर को एहसास हुआ जैसे उस ओर ध्यान दिया सोनू बुर चाट रहा था हाये दईया कह के जैसे उठने वाली थी उसने तुंरत दोनो हाथो से मेरे चुतडो को पकड लिया अब बुर बेचारी सोनु के मुँह की लपलपाती जीभ के पास थी

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बुर अपनी नियती समझ गई अब क्या होगा और इसी सोच के कारण उसने ढेर सारा पानी छोड दिया जिसे सोनु की लपलपाती जीभ चाटने लगी मै गिलास थामे सिसकीया भर रही थी
हाये देवर राजा चाटो अपनी भौजी की बुरिया हाये राजा चाटो
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