कॉमल रानी जी, आपकी कलम में जादू है,
शब्दों से आप रातें गर्म कर देते हो।
हर पंक्ति में आग छिपी है,
जो पढ़ते ही तन में समा जाती है।
कॉमल रानी, तेरी लेखनी कमाल है,
होंठों की लाली, बदन की उत्तेजना,
सब कुछ इतनी बारीकी से उकेरा,
कि पाठिका की साँसें भी थम जाती हैं।
तेरे दृश्यों में वो नमी है, वो स्पर्श है,
उँगलियों का वो सरकना, वो दबाव है,
जो किताब से बाहर निकलकर
सीधे जिस्म पर उतर आता है।
कॉमल रानी, तेरा हर अध्याय
एक नई चरमसीमा रचता है,
कराहें जो कागज़ पर लिखी हैं,
वो हमारे गले से खुद निकलती हैं।
तेरी कहानियाँ सिर्फ़ पढ़ी नहीं जातीं,
उन्हें महसूस किया जाता है, जीया जाता है,
हर रात तेरे शब्दों के साथ
हम खुद को खो देते हैं।
कॉमल रानी, तेरी कलम को सलाम,
जो शर्म को शब्दों में बदल देती है,
और वासना को इतनी ख़ूबसूरती से लिखती है
कि पाप भी कविता लगने लगता है।