गितवा का किस्सा, पहली बार मैं इन्सेस्ट लिखने की कोशिश करुँगी, यानी सगे भाई बहिन का किस्सा, जो इस फोरम में काफी बहुतायत से है, पर मेरी कोशिश मेरी ही है और इस डगर पे मैं फिसली की गिरी की फिसड्डी साबित हुयी ये सब फैसला आप लोगों के हाथ में है,...
वैसे भी ये कहानी जिसका सीक्वेल है उसकी शुरआत ही इस बात से हुयी थी की मैं इस कहानी में सारी वर्जनाओं को लांघने की कोशिश करुँगी, और वो हुआ भी लोगों ने सराहा भी, इसलिए उसी को आगे बढ़ाते हुए इन्सेस्ट भी लेकिन वो मेरे नार्मल टेमपलेट का हिस्सा नहीं बन सकता ये जानते हुए भी सिर्फ इसलिए की लिखने वाला जब तक अपनी सीमाओं को ट्रांसेंड नहीं करता वो अपने को रिपीट करने लगता है,...