Shetan
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Gona nahi huaa. Matlab gav ki hi he. Fir bhi darti nahi. Khul ke kheli. Sath vo bhi chhoti bahen lekar aaegi. Sach ri komaliya. Ye to sari chhinare hi he. Maza aa gaya. Par intjar chhutki ka hi he.रात -दिन
लेकिन तीसरी रात और ग़जब,...
फुलवा खींच के उसे बाग़ के एकदम अंदर ले गयी, तारों की झलक भी नहीं दिखती थी, ...
उस का बाग़ था वो लेकिन खुद कभी वो वहां नहीं आया था , एकदम गझिन, पेड़ आपस में गुथे,... ढेर सारी जंगली लताएं,.... और एक खूब बड़े चौड़े पेड़ की डाल पर, नीचे वाली ही उसे चढ़ाया और खुद धसक के उसकी गोद में,... और हाथ खींच कर और कहाँ , अपनी चोली पे ,
आज फुलवा ने जिद्द की और उसने चोली के बटन भी खोले, और बिना उतारे झुक के
चुसुक चुसुक ,...
खिड़की से जिन उभारों को देख के उसका जिया ललचाता था,..
और फुलवा खुद उसका सर पकड़ के अपनी छोटी छोटी चूँचियों पे कभी उसके बाल सहलाती तो कभी गाल,...
उसका मुंह बंद था पर फुलवा का तो खुला था, मुस्कराते हुए उसने पूछा,...
" हे बाबू , मजा आवत हो , इ अमवा चूसे में,... "
बिना चूसना बंद किये उसने हां में सर हिलाया,
" एकरे पहले कभी रसीला आम चूसे थे "
फिर उसने नहीं में सर हिलाया, जोर जोर से ,...
फुलवा दुलार से उसका सर सहला रही थी पर फुलवा के मन में झंझावात मचा था,...
बस आज का दिन,... फिर कल का दिन,... उसके बाद क्या होगा,...
सुबह से वो दस बार जोड़ चुकी थी , परसों ही वो उसकी खूनी सहेली आ जायेगी, सबेरे से ही,... और फिर वो , ...
और उससे ज्यादा ये बौरहा बाबू का करेगा,... चार दिन की चांदनी,... उसका खूंटा तो कभी बैठता ही नहीं , पंचायत वाले सांड़ की तरह, सबेरे से लोग बछिया ले ले के रोज खड़े रहते है और वो एक के बाद एक,... एकदम वैसे ही,...
उसने सोचा तो था, पर पता नहीं ये बेवकूफ मानेगा की नहीं,...
और उसका सर हटा के फुलवा ने उसके होंठ चूमें और एक सवाल दाग दिया,..
" आम का मज़ा तो रोज ले रहे हो, कभी कच्चे टिकोरों का मजा लिए हो, एकदम कड़े कड़े , हरे हरे , खटमिठ्वा। "
वो लेकिन दुबारा आम में मुंह लगाना चाहता था पर फुलवा ने अपने दोनों हाथों का ढक्कन लगा के उसे रोक दिया।
" पहिले बोला, चखोगे,... नहीं चखे हो न कभी एकदम कच्ची कच्ची अमिया, बस आ ही रही है, डाल पे , खूब कड़ी,... अरे जैसे ये वाले आम चूसने में मज़ा आ रहा है , वैसे उसको कुतरने में बहुत मजा आएगा, बस रस आ ही रहा हो , ऐसे टिकोरे,... नहीं चखे हो, ... न तो ये फुलवा काहे है दिलवाऊंगी न। प्यार से कुतरना बहुत जोर से नहीं , जैसे तोते पेड़ पे ठोर मार देते हैं न बस वैसे ही। "
लेकिन उसे तो आम चाहिए था पर फुलवा ने हाँ करवा के ही दम लिया,...
और उसके बाद अपने आम पे मुंह लगाने दिया, लेकिन दोनों इतना गरमा रहे थे, थोड़ी ही देर में,...
उसी आम के पेड़ के नीचे, गुत्थमगुथा, वो फुलवा पे चढ़ा,...
और एक बार पानी झड़ जाने पे भी कहाँ जवानी में गर्मी कम होती है,...
तो दूसरी बार फुलवा वही आम के पुराने पेड़ के चौड़े तने को पकड़ के निहुरी, टाँगे फैलाये और वो पीछे से चढ़ा और क्या धक्के मारे ,
पर फुलवा भी कम नहीं थी, उसे गरिया रही थी , चीख रही थी लेकिन कभी कभी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी,...
और अब जब दोनों थेथर होके लेटे थे, तब वो फिर फुलवा से पूछा,
" वो कच्चे टिकोरे वाली,... "
" बहुत मन ललचा रहा है, दिलवा दूंगी , परसों अपने साथ ले आउंगी। " और फिर देर तक खिलखलाती रही,...
और उसके ऊपर लेट के सारा राज बता दिया,
" अरे तू न बहुते सोझ , और का कहे एक तो गुस्सा बहुत आता है ,.. दस बारह दिन से ललचा रहे थे देख देख के , और हम भी इतना इशारा किये ,... लेकिन,... चला जो बात गयी सो बात गयी,... अब पहले दिन ही अपनी परेशानी बता दिए थे की पांच दिनवे वो महीने वाली पांच दिन की छुट्टी,...
तो आज तीन दिन हो गया न ,... कल चौथा ,...
बस तो पांचवे दिन हमार नीचे वाले में लाल ताला लग जाएगा,... अरे हमें तोहार चिंता नहीं है , इसकी चिंता है ,.. सोये मूसल को हाथ में लेके वो बोली
और फिर प्यार से सहलाते बात आगे बढ़ाई,...
" अरे हमार एक छोट बहिन है एकदम सगी, हमार मूरत समझ लो,... बस आम की जगह टिकोरा,... अरे जउन तोहार छोटकी बहिनिया है न एकदम ओहिकी समौरिया, बल्कि हमर चमेलिया एकाध महीना छोटे होई,...
तो वो रोज हमसे पूछती है दीदी कहाँ जात हो , फिर कह रही थी इतना बढ़िया आम , ... तो आज हम उसको बोले हैं की चलो एक दिन तुमको भी ले चलूंगी ,... हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते,... तो बस परसों , ले आउंगी चमेलिया को , कुतरना टिकोरा पांच दिन ,... और जब छुट्टी ख़तम तो फिर फुलवा,... लेकिन आउंगी मैं रोज ओकरे साथ,... "
उसने कुछ मना करने की कोशिश की, तो फुलवा ने हड़का लिया,...
" हे बाबू तोहसे पूछ नहीं रही हूँ , बता रही हूँ , ... और जउन ये मोटका खूंटा खड़ा किये हो चलो अब इसका इलाज करो, और तुमको नहीं चोदना हो तो बोलो साफ साफ़ , मैं ही तुमको पटक के अभी चोद दूंगी,... इतना मस्त खड़ा है और ,... "
उसके बाद बात कौन करता,... फिर सारी रात कुदाली,हल चला,
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पांचवे दिन,
वो अपने गन्ने के खेत में था, .. पूरे गाँव में सबसे मोटे और लम्बे गन्ने उसी के खेत में थे, वो देखने गया था की कीड़े वीडे तो नहीं, खूब बादल थे,....
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वो पतली सी पगडण्डी पकड़ के,... तबतक गन्ने के खेत के बीच से सरसराती हुयी फुलवा निकली,...
और जबतक वो कुछ समझे, बोले, मना करे,..
हाथ पकड़ के उसे लेकर गन्ने के खेत में धंस गयी,... खेत तो इतना ऊँचा की हाथी खो जाये तो न दिखाई दे,... उन दोनों को क्या पता चलता , पगडण्डी से दूर,
और खींच के अपने बगल में लेटा लिया और इशारे से बोली, बोलना एकदम मत,....
और होंठों से आँख बंद किये,
दोनों में से किसी ने कपडे नहीं उतारे,...
वो सिर्फ कान में बोली एक बहुत ख़ुशी की बात है , चल,...
फुलवा ने साड़ी पेटीकोट ऊपर कर लिया , खुद उसके पाजामे का नाड़ा खोल के घुटने के नीचे सरका दिया , और अपने हाथ से सटा दिया, उसके बाद तो,...
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पिछले चार दिन में दर्जनों बार तो उसको चोद चुका था,... फिर तो वो हचक के,... पूरे आधे घंटे तक,...
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फिर सारी मलाई फुलवा ने अंदर ही रोपी। उसके बाद भी दबोच के रखा अपने अंदर,... बहुत देर तक उसने,...पहली बार गन्ने के खेत में , ऐसे खुले में,... बहुत मजा आया उसको ,
हाँ चलने के पहले फुलवा बोल गयी थी , आज आउंगी रात में , और अकेले,
टाइम पे आ जाना,...
और रात में तो
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आज फुलवा इतनी खुश इतनी जोस में की दूसरी बार , ... खुद उसके ऊपर चढ़ के चोदने की उसने कोशिश की ,....
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और जब तक पूरा एक बार घोंट नहीं लिया चढ़ी रही,...
हालांकि उसके बाद वही ऊपर हो गया,...
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लेकिन तीसरी बार के बाद अचानक उसको याद आया और फुलवा के जोबन हलके हलके काटते उसने पूछा की
" अरे, तू तो कह रही थी की आज से तेरी वो,... पांच दिन वाली छुट्टी,.... "
अब फुलवा पे जो हंसने का बुखार चढ़ा, तो बहुत देर तक,
" बाबू तू न एकदम बुरबक,.. अरे गन्ने के खेत में आज दिन में हम ,... तू समझे नहीं,... "
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वो सच में कुछ नहीं समझा था,...