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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ३५


फुलवा



और अबकी तो धक्के सिर्फ बिस्तर को नहीं कमरे को हिला रहे थे,... थोड़ी देर में दोनों साथ गिरे,... और थके बिस्तर पर पड़े रहे

एक दूसरे की बाँहों में पसीने से लथ पथ, थके,...

लेकिन थोड़ी देर में गीता ने धीमे से उसके कान में बोला,..

" भैया,.. "


"



" चल चाची की सबसे पहले तूने ली , दो साल पहले,... लेकिन किसी ऐसे के साथ जिसके साथ किसी ने न किया है ,... मतलब ,... मतलब झिल्ली पहले , सबसे पहले कब, किसकी फाड़ी "

" तू भी न चल बता देता हूँ , साल भर से ज्यादा , वो ,... " और उसने हाल खुलासा सुनाना शुरू कर दिया।

अरे तू जानती होगी, फूलवा, जो अपने यहाँ,.... उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की गीता बीच में बोल पड़ी,...

" हाँ, हाँ अच्छी तरह,... खूब गोरी सी थी, मुस्कराती रहती थी, डेढ़ साल तो हो गया उसको गौने गए,... घासवाली न, अपने यहाँ भी तो आती थी, घास काटने,... वही क्या,... "



" हाँ, लेकिन अब बीच में मत बोलना,... " और भाई ने पहली कुँवारी पर चढ़ाई का किस्सा शुरू कर दिया,...


और यह दोनों, गीता और अरविन्द, बहन भाई तो थे ही, सहोदर, सगे, एक माँ के जन्मे,... देह के स्तर पर अब एक दुसरे के आनंद के कारक, सम्पूरक, स्त्री और पुरुष, सब बंधनों से ऊपर,... और उस के साथ ही साथ विश्वास का एक नया सेतु भी,... दोनों ही काम को किसी गिल्ट या अपराध बोध से जोड़ कर नहीं देख रहे थे , वह कृत्य जो न सिर्फ मानव जाति में बल्कि, सभी जीवों में जिनमे पादप भी शामिल है, अपनी अपनी जींस को, जाती को बनाये रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कृत्य है, वह गलत कैसे हो सकता है, पाप से कैसे जुड़ सकता है? पौधों में भी फूल खिलते हैं, परागण के लिए ही, अपने अंदर उस परिमल को संजोये जो एक फूल से हजार फूल जन्मने की इच्छा और क्षमता दोनों रखता है।


अब आगे

------------------------


घासवाली,...




वैसे तो घास काटने कई आती थीं, और उनमें से शायद ही कोई हो, जो किसी से फंसी न हो, ...

ज्यादातर तो कइयों से, कितनों के आगे साड़ी पसार चुकी थीं, उन्हें भी नहीं मालूम, ... और उस जैसा कोई जवान होता लड़का हो, बड़े घर का, खेत खलिहान बाग़ वाला तो खुद ही इशारे करती रहतीं,...

पर फुलवा उन 'शायद ही कोई; वाली कैटगरी में थी,...




गाँव में खास तौर से काम करने वाली जातियों में शादी बियाह तो कम उम्र में हो जाता है पर गौना,...

चलिए अगर साफ़ साफ़ बोलूं ,... तो बच्चा बियाने वाली उमर में ही होता था,... कुछ का जल्दी, कुछ का देर से, पर ज्यादातर गौने के पहले ही गौने का मज़ा लेने लगती थीं , और एक बार दुकान खुल गयी तो यार शटर डाउन भी नहीं होने देते और गाँव में मौके भी बहुत थे,... कभी गन्ने के खेत में तो कभी मक्का, बाजरा, तो कभी अरहर,... तो शायद ही कोई बारी कुँवारी बचती,...



पर ये उन्ही 'शायद ही कोई; में से थी,

बोलती बतियाती थीं,कभी कभार हंसी मजाक भी, लेकिन उससे ज्यादा नहीं,... गुर्राती भी नहीं थी, कभी कटनी रोपनी में किसी ने हाथ लगा दिया छू छा भी दिया तो बस, बच के निकल जाती,... उससे ज्यादा कोई आगे बढ़ नहीं पाता,...




गोरी तो खूब थी, कटाव भी नमक भी,... और जोबन तो उसके आग लगाते थे, बहुत बड़े तो नहीं थे, लेकिन उसकी समौरिया से ज्यादा ही जालिम, मुश्किल से मुट्ठी में आ पाएं,... और अभी किसी मरद का हाथ नहीं पड़ा था तो एकदम कड़े कड़े कच्चे टिकोरे की तरह,.... ऊपर से उसकी हंसी, गाल में पड़ने वाले गड्ढे,... बड़ी बड़ी आँखें,... और ठुड्डी पे एक तिल तो पहले ही था , पिछले मेले में उसने उसी के अगल बगल दो और तिल वाले गोदने गुदवा लिए थे, गोरे रंग पे तो वो और,...



तो वही,... चाची का स्वाद लगने के बाद और भी कई, फिर जब एक सांप बिल देख लेता है,... लेकिन किसी नयी लड़की के साथ जहाँ खुद पहल करनी पड़े अभी भी झिझक थी,...

पढ़ाई की टेबल उसने जहां लगाई थी, ..एकदम खिड़की से सटा के , ... घर में सबसे बाहर वाला कमरा था,... वहीँ उसकी नजर सबसे पहले पड़ी उसके ऊपर,.... उसके साथ वाली घासवालियाँ कुछ दूर घास काट रही थीं,... पर वो एकदम उसके कमरे से सट के,... और जो उसकी नजर उसके चिकने गालों पर पड़ के फिसली, उसी समय, उसकी नज़र भी और उसे देख के वो जोर से मुस्करायी, हलकी सी खिलखिलाई,...



और वो जो खिलखिलाई, तो उसके गालों में गड्ढे पड़ गए,बस उसी में वो डूब गया,....





इन चीजों का लड़कों पर क्या असर पड़ा,वो असर पड़ने से पहले लड़कियों को पता चल जाता है और गाँव की लड़कियां तो बचपन से ही चार आँखों के खेल में , देख देख के सब सीख जाती हैं,...

और अगले बीस मिनट में तो पंद्रह बार किताब से नजर हटा के, वो अपने काम में मगन, लेकिन उसकी नजर पड़ते ही पता नहीं कैसे उसे पता चल जाता था,.. और वो भी कभी नजरें झुका के तो कभी कनखियों से तो कभी खुल्लम खुल्ला उसकी ओर देखती,... और मुस्कराने लगती, एक बार तो उसने देखा कि जहाँ की घास कट गयी थी वहां भी वो खुरपी चला रही थी,.. और जब उसने देखा देखी होते उसे इशारा किया तो बड़ी जोर से उसने दांतों से अपना होंठ काटा , और उठ के और उसकी खिड़की के नजदीक,....



अक्सर घास वालियां,..जहाँ एक दिन घास कर लेती हैं वहां अगले दिन नहीं जाती , घास करने,... पर फुलवा अगले दिन भी, उसकी सहेलियां थोड़ी दूर पर,... वो आज आधे घंटे पहले से ही खिड़की खोल के किताब खोल के बैठ गया था,...



चार पांच दिन इसी तरह,... रोज बिना नागा,... और पांचवे दिन,... उससे नहीं रहा गया तो सोचा कम से कम बात तो करता ही हूँ,... बाहर आके,... वो गठ्ठर बांध रही थी थी,... क्या बोले वो न बोले वो, आसपास कोई था नहीं , दो चार बार इधर उधर देखा,



लेकिन बोली पहले वही, मुस्करा के चिढ़ाते बोली,



" अरे बाबू एतना दूरी से काहें देख रहे हों, हम काटेंगे नहीं,... "
 
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गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला






चार पांच दिन इसी तरह,... रोज बिना नागा,... और पांचवे दिन,... उससे नहीं रहा गया तो सोचा कम से कम बात तो करता ही हूँ,... बाहर आके,... वो गठ्ठर बांध रही थी थी,...

क्या बोले वो न बोले वो, आसपास कोई था नहीं , दो चार बार इधर उधर देखा,

लेकिन बोली पहले वही, मुस्करा के चिढ़ाते बोली,

" अरे बाबू एतना दूरी से काहें देख रहे हों, हम काटेंगे नहीं,... "



वो पास पहुंचा तो हलके से बोली,

" तानी हमार बोझवा उठाय दो, अरे खाली हाथ लगाय दो,...."


हाथ लगाने में दोनों का हाथ छू गया , तो जैसे उसे करेंट लग गया हो, करेंट तो हाथ में लगा था,...

लेकिन असर शॉर्ट्स के अंदर हुआ , पप्पू टनटना गया,... "




गनीमत था उसने देखा नहीं लेकिन छेड़ते बोली,

" हाथ लगाने में एतना घबड़ा रहे हो, कुछ और करने को बोलूंगी तो का हाल होई,"

उठाते समय उसका आँचल ढलक गया, गोरी गोरी गोलाइयाँ, गहराई, कड़ापन सब एक बार में दिख गया,




और बोझा उसके सर पे रखते ही कोहनी भी अनजाने में उन कठोर पहाड़ियों से छू गयी, लेकिन बजाय बुरा मानने के बोली,...

" कभी पकडे वकडे हो की नहीं। "

और घास का बोझ सर पे रख के आँख नचाते हुए कहा, " देखा बाबू, केतना बोझ हम उठा सकते हैं। "

पर असली तीर उसने चलने के बाद मारा,.. उसके तने शॉर्ट्स की ओर कस के घूरते हुए, ... "



" बाबू नाग तो बड़ा जबरदस्त पाले हो पजामें में , कबो एक घाम हवा देखाते हो की नहीं "



और जब वो मुड़ी तो चूतड़ भी उसके जबरदस्त,...

...

उसे क्या मालूम उसकी ये सब हरकतें कोई देख रहा है,



....


एक दिन गन्ने के खेत के बीच की पगडण्डी पर वो एक पुरानी भोजपुरी फिल्म का गाना गुनगुनाता जा रहा था,...




लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया हो कि रस चुएला
जइसे अमवा के मोँजरा से रस चुएला

भागेलू त हमका बोलावेला अँचरवा -२
अँखियाँ चुरावेलू त हँसेला कजरवा हो हँसेला कजरवा

तनिक छहाई ला ल घमाई जाई गलवा,


घमाई जाई गलवा


और पीछे से एक मीठी सी आवाज आयी,


" चलीं चाहे घमवा में बैठीं चाहे छँहवा हो काहे मुएला
गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला
अरे गोरे गलवा के पीछे कोई काहें मुवेला, हो काहें मुवेला, .... "



और उसको दरेरती धकियाती,... निकल गयी, बस गनीमत था की वो गिरा नहीं,...

और मुड़ के उस आवाज ने पीछे देखा तो वही गड्ढे पड़ने वाले गोरे चिकने गाल,... ठुड्डी पर तिल और तिल के दांये बाएं दरबान की तरह दो गोदने से बने, तिल,... और वही हंसी,... गालों में गड्ढे पड़ गए,...



" हे,अगर कहीं मैं गिर जाता तो,... "

"हे बाबू एतना जल्दी गिर जाबा तो हमार काम कैसे चली,... "

मीठी बोली में तीखा कमेंट मार के अगली पगडण्डी पर अपनी बस्ती की ओर मुड़ गयी,...

मन तो उसका यही कर रहा था की बस पीछे से दबोचे और गन्ने के खेत में धंस जाए,... और हचक हचक के चोदे,



उसके कितने गाँव के साथ के यार दोस्त रोपनी, कटनी वालियों के साथ, बिना नागा खेत में,... और कोई बुरा नहीं मानता था , न चुदने वाली, न घर गाँव के लोग, रोज की बात थी

और ये नहीं की वो चोदता नहीं था,... चाची के स्कूल में पढ़ाई करने के बाद, कितनी गाँव की भौजाइयों पर चढ़ाई कर चुका था और सब की ऐसी की तैसी हो जाती थी,...



लेकिन नयी कम उमर की लड़कियों के साथ

हिम्मत ही तो नहीं पड़ती थी,... कब, कहाँ कैसे



एक दिन वो आम के पेड़ के नीचे के खड़ा था और वो बगल में घास वाली, नैन मटक्का हो रहा था , वो खूब ललचा रही थी, उकसा रही थी,...


तभी उसने देखा, ग्वालिन भौजी दरवाजे खड़ी उसे देख के मुस्करा रही थीं, उन्हें देख के वो वापस घर में,...
 
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ग्वालिन भौजी










और ये नहीं की वो चोदता नहीं था,... चाची के स्कूल में पढ़ाई करने के बाद, कितनी गाँव की भौजाइयों पर चढ़ाई कर चुका था और सब की ऐसी की तैसी हो जाती थी,...



लेकिन नयी कम उमर की लड़कियों के साथ

हिम्मत ही तो नहीं पड़ती थी,... कब, कहाँ कैसे

एक दिन वो आम के पेड़ के नीचे के खड़ा था और वो बगल में घास वाली, नैन मटक्का हो रहा था , वो खूब ललचा रही थी, उकसा रही थी,... तभी उसने देखा, ग्वालिन भौजी दरवाजे खड़ी उसे देख के मुस्करा रही थीं, उन्हें देख के वो वापस घर में,...

पर घर में घुसने के पहले ही ग्वालिन भौजी ने दबोच लिया, भौजी का रिश्ता था और वो एकदम खुल के मज़ाक भी , बात भी, रोकते बोलीं,

" देवर, माल तो एकदम गजब क ताड़े हो , खूब गरमाई भी है, जल्दी निवान कर लो , नहीं तो पंद्रह दिन बाद गौना है, ..ससुराल चली जायेगी और तुम ऐसे ललचाते रह जाओगे,...




" लेकिन भौजी, कहाँ, कब ,... " उसने भौजी से साफ़ साफ़ अपनी परेशानी बताई,

" देखो, लाला,... यह सब मामले में आज से बढ़िया कउनो दिन नाही होता, और आम क बाग़ में एतना बढ़िया पुरवैया बहती है , तोहार एतना जबरदस्त बाग़ है , पचास गाँव में मसहूर, एतना गझिन की दिन में नहीं दिखाई पड़ता तो,... फिर अन्धहरिया पाख चल रहा है ,... माँ से कह दो , आज बगिया में सोओगे। रखवाने।"


" अरे भौजी, माँ मानेगीं नहीं ,... " उसने परेशानी बताई।

" तू कहा तो। "

और उसने माँ से कहा , माँ को मना करना था तो उन्होंने मना कर दिया,... पर ग्वालिन भौजी उनकी कोई बात वो टाल नहीं पातीं ,


और भौजी बोलीं,..

' अरे जाए दो , लड़िका बड़ा हो गया है,... दो चार दिन रात में ,... और हमहुँ आज कल घर में अकेले हैं , आय जाएंगे तोहार गोड़ वोड बहुत दिन हुआ दाबे,.."




और मुझसे इशारा किया की बाहर चला जाऊं,...

मैं बाहर,... वो वहीं आम के पेड़ के नीचे खड़ी मुस्करा रही थी, लगता है उसने सब सुन लिया था,...


" आवा तानी हाथ लगाय दा "

और आज हाथ लगाते हुए उसने वो हिम्मत कर दी, जिसके लिए वो रोज ललचाता था,... हाथ दोनों जोबन पे लगा दिया और बोला,

"आज रात हमरे आम क बगिया में , दसहरी के नीचे, आम के बदले आम लेब। "

" ले लिहा जितना मन करे,... आया जरूर " खुल के वो बोली। और अपने घर की ओर।



अंदर माँ और ग्वालिन भौजी खूब हंस के बतिया रही थीं और वो खुद बोलीं , ...


जल्दी जाना, देर अंधियार होने पे , और बड़की टार्च और लाठी जरूर ले जाना,...

आठ बजने के पहले ही वो बगिया में , बँसखटिया पे , खटिया के नीचे लाठी , लालटेन, और टार्च बगल में,... लेकिन पहली बार वो बाग़ में सो रहा था , बढ़िया ठंडी पुरवाई जल्द ही नींद ने आ दबोचा, पर थोड़ी देर में ही,...



चूड़ी की चुरुरमुरुर,... पायल की झनकार,... वो नींद में था झट से उसने दबोच लिया, ..





पहलवानी करता था ताकत तो गजब की ,

हाथ उसका सीधे उभार पे और मुंह से निकला,...

" चोर,... "



" चोर नहीं डाकू ,... जगा के डाका डालूंगी , तेरे सामने "

हँसते हुए उसके ऊपर झुक के फुलवा बोली।

अब तक उसकी नींद पूरी खुल गयी थी, उसने देखा की उसका एक हाथ फुलवा के जोबन पे,.. वो हटाने लगा लेकिन फुलवा ने खुद पकड़ के दबा दिया ,

" पहले ये बताओ,... की एक आम के बदले का दोगे "

" अरे तुम तो डाकू हो , चाहे जो लूट लो, एक आम के बदले बगिया भी और बगिया का मालिक भी "

हसंते हुए वो बोला।

अब तक जितनी औरतों के साथ किया था , सबसे गर्म यही थी।

और अब दोनों बँसखटिया में करवट एक दूसरे की ओर इतना अच्छा कभी नहीं लगा था , खुले में पहली बार, आम की मस्त महक, हलकी चलती बहती पुरवाई , अमराई की छाँह,... और उसकी बाहें,





मेरी नींद खोलने के पहले, उसने बँसखटिया के नीचे जल रही लालटेन को बुझा दिया था,... खुद ही अपनी साड़ी उतार के मेरे सर के नीचे, कहीं मेरे सर पे गड़े नहीं, और बिन बोले मेरे ऊपर लेटी,

अपनी चोली भी उसने खोली, मेरी बनियान भी खींच के मिट्टी पे फेंक दी , और अपने छोटे छोटे खूब कड़े कड़े जुबना मेरी छाती पे रगड़ती रही मसलती रही, मेरी उँगलियाँ उसकी गोरी चिकनी पीठ पे,....

मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो उसने अपनी ऊँगली से मेरे होंठ बंद कर दिए, ... और फिर ऊँगली की जगह उसके होंठ,... जैसे न जाने कब की प्यासी हो,.. और हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे, ...

आठ दस मिनट ऐसे ही, फिर हम दोनों करवट लेटे थे,... एक दूसरे की बाहों में भींचे, ...

न जैसे जल्दी उसे हो न मुझे,.... लेकिन बोली पहले वही, बोली,

गाना भी दुःख भी,




दिनवा गिनत मोरी घिसलि उंगरिया की रहिया तकत नैना थकत मोरे रे बिदेसिया,...



फिर उसे चिढ़ाते गुदगुदी लगाते बोली,...

" बाबू तू बहुते बुद्धू हो , इत्ते दिन से खाली ललचा रहे थे, कोई दूसरा होता तो कब का गन्ने के खेत में खिंच के नेवान कर दिया होता,... एतना तो हम,... "


उसकी बात काट के वो बोला, "और अगर हम गन्ने के खेत में खींच के ले जाते,... "

हंसती खिलखलाती वो बोली,

" तोहरे बस के ना हो , अरे ओह दिन पगडण्डी पे हाथ भी पकड़ लिए होते न तो हम खुदे तोहें पकड़ के गन्ने के खेत में घसीट ली होतीं,...

हम तो एकदमे आस,... आज से पंद्रह दिन बाद गवना हो और पांच दिन बाद एकर छुट्टी,... "




उसकी समझ में कुछ नहीं आया , वो पूछ बैठा, " छुट्टी मतलब,... पांच दिन बाद,... गौना तो पंद्रह दिन बाद है न "

अब वो जोर से हंसने लगी,..


" बाबू तू सच्चे में बुद्धू हो , सच में हमार कुल सहेली कहती हैं पूरा हमार टोला क , की तू बबुआने क बाकी लौंडन की तरह नहीं हों , एकदमे सोझ, सोझ ना हम तो कहीं बुद्धू,.... अरे छुट्टी मतलब तो हमार अंदर बाहर जाए क रास्ता बंद,... तो ये जो नाग पाले हो उसका का होगा। "



पायजामे के ऊपर से उसके तने खूंटे को पकड़ते बोली, अब उपर से ही वो कस के दबा रही थी मसल रही थी,...


" किसी का और पकड़ी हो ,... " उसके मुंह से निकल गया, ....

" अरे बाबू बहुत लोग कोशिश किये , लेकिन जेकरे किस्मत में कड़ियल नाग लिखल हो केंचुआ से मजे काहें ली "



और ये कह के पहले तो उसने पाजामे के अंदर हाथ डाल के कस के पकड़ लिया, फिर दूसरे हाथ से उसका पजामा खुद खोल दिया,... और उसका हाथ अपने पेटीकोट के नाड़े पर रख दिया ,

"बाबू, पेटीकोट क नाड़ा खोलना आता है की नहीं , की उठा के ही,... " थोड़ी देर में पेटीकोट सरक के पाजामे के पास,

उसने ऊपर आने की कोशिश की, ... तो उसने मना कर दिया और उसे खींच के ,... फिर अपनी साड़ी जमीन पे बिछा के उसे खींच के अपने ऊपर,



" अरे तानी भुंइया के मज़ा ला आज। "

सरसों का तेल भी एक छोटी सी शीशी में भर के वो घर से लायी थी, ... और छेद पर सटाया भी उसीने पकड़ के,... "
 
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अमराई का मजा





" अरे तानी भुंइया के मज़ा ला आज। "

सरसों का तेल भी एक छोटी सी शीशी में भर के वो घर से लायी थी, ... और छेद पर सटाया भी उसीने पकड़ के,... "


लेकिन पहले धक्के में ही अहसास हो गया की ये भौजाइयों या चाची वाला मामला नहीं है,... मुश्किल से तो सुपाड़ा फंस पाया था,... भौजाइयों के साथ तो छुआते ही गप्प हो जाता था ,... पर अबतक वो बहुत अखाड़े में कबड्डी खेल चुका था, चाची ने एक एक चीज उसे बहुत डिटेल में,... लड़कियों के साथ वाली भी,....




और उसने कस के कमर पकड़ के पूरी ताकत से धक्का मारा , सुपाड़ा उस धक्के से मोटी कंक्रीट की दीवार में छेद कर देता,...


इत्ता कड़ा लंड था और इत्ता करारा धक्का,... सब भौजाई उसे यही कह के चिढ़ाती थीं,... और सुपाड़ा दरेरता, ढकेलता फुलवा की बिलिया में ,....

फुलवा उसके नीचे दबी तड़प रही थी, कहर रही थी,...

बगल में एक हाथ से उसने पेड़ की जड़ को पकड़ लिया था,... और दूसरे हाथ से घास को,...




सुपाड़ा तो घुस गया लेकिन आगे नहीं जा पा रहा था, बहुत ही कसी थी , तेल लगाने के बाद भी,...

वो पल भर ही रुका होगा की नीचे से फुलवा ने अपनी टांगों को लता की तरह उसकी कमर में लपेट के अपनी ओर खींचा,




मानो कह रही हो रुक काहें गए,कर न।



और अब इस के बाद तो रुक पाना मुश्किल था,... थोड़ा सा उसने बाहर निकाला, फिर आँख बंद कर के पूरी ताकत से कस के ढकेला,



ओह्ह्ह उफ़ रुकते रुकते भी नीचे दबी फुलवा की चीख निकल गयी, उसके बाएं हाथ में फंसी घास, उखड़ के उसके हाथ में आ गयी, पूरी देह दर्द में डूब गयी , लगा जैसे बिजली सीधे जाँघों के बीच गिर गयी हो,... दर्द की एक लहर उठती थी और उसके ख़तम होने के पहले ही दूसरी दर्द की लहर, बस खाली दर्द ही दर्द,...



लेकिन अब वो रुकने वाला नहीं था, अगला धक्का और कस के, फिर बिना गिने आठ दस धक्के,... उसे अंदाज नहीं था की उसके नीचे दो चार बच्चों की महतारी नहीं एकदम कोरी, बारी कुँवारी,...




फुलवा कसमसा रही थी, कहर रही थी, करवट बदल रही थी, मन कर रहा था की बस पल भर के लिए ऊपर चढ़ा ये सांड़ रुक जाए, बस एक बार सांस ले ले , उसके बाद भले ही जान चली जाए वो चूं नहीं करेगी,



और तभी उसे कुछ लसलसाता हुआ सा लगा,...

फुलवा की बिल से निकलता खूब गाढ़ा, उसकी भी जांघ में लग रहा था,... वो तो अभी झड़ा नहीं था,... तो क्या था, ... बस उसने हाथ में लगा के बाहर हाथ कर के देखा,... उसे कुछ समझ नहीं आया,...

अंधेरिया तो थी लेकिन अमावस नहीं थी , एक हलकी सी चांदनी का टुकड़ा झलका,




खून,

उसका दिल धक्क से रह गया,

ऐसा पहली बार हो रहा था, दोनों उँगलियों से रगड़ के उसने फिर देखा, लाल लाल खून ही था, और अब चांदनी में फुलवा की जाँघों पे रेंगता , बूँद बूँद , ... दिख रहा था ,... खून,...

और उसके इतनी देर रुकने से फुलवा के जाँघों के बीच का दर्द थोड़ा सा कम हो गया, और वो भी चांदनी में उसका परेशान चेहरा देख के वो भी परेशान हो गयी,...

'बाबू, का हुआ। "

कुछ रुक के वो बोला,... वो वो तोहरे उँहा से खून निकरत हो।

दर्द के बीच भी वो मुस्करा पड़ी,...

सच में उसकी सहेलियां, उसकी माँ, टोले मोहल्ले वाली , सब इसे सही ही बुद्धू कहती थीं, और अगर अभी उसने कुछ न किया तो क्या गड़बड़ ये करेगा ठिकाना नहीं,...

बस फुलवा ने एक बार फिर उसे कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ के अपनी ओर खींचा,... और कस के आठ दस बार चुम्मा लिया और बोली,...

" पागल हो,... कुँवार लड़की को चोदबा तो खून तो निकरबे करी, कौन दुनिया में पहली बार,... चलो चोद नहीं तो हमही तोहरे ऊपर चढ़ के चोद देबे। ' और साथ में नीचे से धक्का भी मारा,...

बस फिर क्या था मस्त चुदाई शुरू हो गयी , चार पांच धक्के में लंड पूरा अंदर था,... हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे,... और मोटा भी कितना





चूत फटी पड़ रही थी, लेकिन थोड़ी देर में फुलवा की भी सिसकी निकलनी शुरू हो गयी,... और झड़ते समय फुलवा ने कस के उसे दबोच लिया,... और खुद ही थोड़ी देर में कसमसाने लगी ,

तो एक बार फिर वो धक्के पे धक्के ,...

लेकिन जब वो झड़ने लगा,... साथ में फुलवा भी , वो मस्ती में होश में नहीं थी , तभी भी उसने कस के दबोच लिया की एक सूत भी वो बाहर न निकाल पाए , पूरा अंदर धंसा था,...




पूरे पांच मिनट तक वो दबोचे रही झड़ने के बाद भी,... और

आधे घंटे बाद दोनों ने एक दूसरे को छोड़ा तो उससे रहा नहीं गया,...

" तोहार तो शादी हो गयी है तो इतना जियादा , और,... और खून,... "
 
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पढ़ने से बुद्धि नहीं आती,












आधे घंटे बाद दोनों ने एक दूसरे को छोड़ा तो उससे रहा नहीं गया,...

" तोहार तो शादी हो गयी है तो इतना जियादा , और,... और खून,... "



पहले तो वो बड़ी देर तक हंसती रही, उसके सीने पे लेटी, फिर सीने पे उसके मेल टिट्स को चूम के बोली,

" बाबू, तबे सब कहते हैं , पढ़ने से बुद्धि नहीं आती,.... अरे बौरहा, शादी हुयी थी, गौना तो नहीं हुआ था,... चल आज हो गया। "



फिर थोड़ा सोये थोड़ा जागे मूसल ले कर हाथ में दुलारते सहलाते प्यार से से उसने पूछा,...


'ये केकर हो '



तोहार ,

वो उसी अंदाज में फुलवा से बोला,...

"तब, ये चाहे खून खच्चर करे , चाहे जितना दर्द दे , तुझसे मतलब,... आगे से एकदम नहीं सोचोगे, और इसके माल क एक एक बूँद हमरे अंदर , तू सोचेला बहुत , पढ़ने से बुद्धि नहीं आती, ... "



तो कैसे आएगी ,

चिढ़ाते हुए उसने फुलवा से पूछा,


" अरे हमरे स्कुल में आ जाओ, दाखिला तो आज ले ही लिया है , गौना तो हमार पन्दरह दिन है , पंद्रह दिन में तोहें आस पास के गाँव जवार में ,... सब चीज़ क मास्टर बना दूंगी, बस स्कूल रोज चलेगा, एक दिन क भी छुट्टी नहीं ,... "

उसका कान पकड़ के फुलवा हँसते हुए बोली।



एक हाथ उसका लगातार सहला रहा था , और फुलवा उसकी गोदी में बैठी खिंच के उसका हाथ अपने जोबन पे रखे,...

थोड़ी देर में खूंटा फिर खड़ा, और अबकी एक बार फिर , पहल फुलवा ने ही की,... लेकिन अबकी दोनों को पूरा मजा आया।



तीन बार,... रात भर एक बूँद कोई नहीं सोया,... एक पहर रात थी,... तो फुलवा ने चलने को कहा , गांव में मुर्गा बोलने के पहले ही लोग उठजाते हैं,...


पर जाने के पहले , दो दर्जन बड़े बड़े दसहरी आम उस पेड़ के जिस के लिए गाँव वाले तरसते थे, खुद अपने हाथ से तोड़ के फुलवा के आँचल में ,...


लेकिन चलने के पहले फुलवा ने उससे कसम धरवा ली , की आज वो थोड़ा और जल्दी आएगा,

अगले दिन उसे माँ से पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी शाम से ही ग्वालिन भौजी आ गयी थीं,...

वो दोनों बार बार एक दूसरे को देख के मुस्करा रही थीं , ग्वालिन भौजी कुछ इसारे कर रहे थीं




तो माँ ने खुद चार बार उससे कहा , कब जाओगे ,... और खाना बजाय खिलाने के ढेर सारी पूड़ी सब्जी हलवा बांध के दे दिया,... जब भूख लगे खा लेना।

पर जब वो पहुंचा, बिस्तर लगाया और इन्तजार शुरू ही किया था की एक बड़े से पेड़ के पीछे छिपी फुलवा आके सीधे , पीछे से उसे दबोच लिया।



आज तो,...

जैसे गौने की अगली रात दुल्हन ज्यादा गर्मायी रहती है, फटने का डर निकल जाता है,जो भी खून खच्चर होना था हो चुका, मोटे मूसल से जान पहचान भी हो गयी,...

तो बस सेज पर आने से पहले ही जाँघों के बीच चींटे काटते रहते हैं , लस लस शुरू हो जाती है,

बस, फुलवा की हालत उसी तरह बल्कि उससे भी ज्यादा,...

और ये भी, चाची और भौजाइयों ने जितने आसन सिखाये थे, वो सब एक ही रात में आजमाने के चक्कर में,...




सारी रात चक्की चली, वहीँ बगिया की जमीन पे,




तीन बार , चार बार, पांच बार किसी ने गिना नहीं , भुक्खड़ के सामने जैसे थाली आ जाए और वो बस खाता जाए खाता जाए,...




जब भोर झुक के अपने पैरों में महावर लगाने लगी तब फुलवा को होश आया, धक्का देके वो उठी, इधर उधर फैले अपने कपड़ों को समेटा, आधा पहना आधा बस ओढ़ा बीढा, और अपने टोले की ओर,






लेकिन जाते जाते फिर आज रात का वादा करवा गयी,...
 
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komaalrani

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रात -दिन








लेकिन तीसरी रात और ग़जब,...


फुलवा खींच के उसे बाग़ के एकदम अंदर ले गयी, तारों की झलक भी नहीं दिखती थी, ...


उस का बाग़ था वो लेकिन खुद कभी वो वहां नहीं आया था , एकदम गझिन, पेड़ आपस में गुथे,... ढेर सारी जंगली लताएं,.... और एक खूब बड़े चौड़े पेड़ की डाल पर, नीचे वाली ही उसे चढ़ाया और खुद धसक के उसकी गोद में,... और हाथ खींच कर और कहाँ , अपनी चोली पे ,

आज फुलवा ने जिद्द की और उसने चोली के बटन भी खोले, और बिना उतारे झुक के



चुसुक चुसुक ,...


खिड़की से जिन उभारों को देख के उसका जिया ललचाता था,..



और फुलवा खुद उसका सर पकड़ के अपनी छोटी छोटी चूँचियों पे कभी उसके बाल सहलाती तो कभी गाल,...

उसका मुंह बंद था पर फुलवा का तो खुला था, मुस्कराते हुए उसने पूछा,...

" हे बाबू , मजा आवत हो , इ अमवा चूसे में,... "



बिना चूसना बंद किये उसने हां में सर हिलाया,

" एकरे पहले कभी रसीला आम चूसे थे "




फिर उसने नहीं में सर हिलाया, जोर जोर से ,...


फुलवा दुलार से उसका सर सहला रही थी पर फुलवा के मन में झंझावात मचा था,...

बस आज का दिन,... फिर कल का दिन,... उसके बाद क्या होगा,...

सुबह से वो दस बार जोड़ चुकी थी , परसों ही वो उसकी खूनी सहेली आ जायेगी, सबेरे से ही,... और फिर वो , ...

और उससे ज्यादा ये बौरहा बाबू का करेगा,... चार दिन की चांदनी,... उसका खूंटा तो कभी बैठता ही नहीं , पंचायत वाले सांड़ की तरह, सबेरे से लोग बछिया ले ले के रोज खड़े रहते है और वो एक के बाद एक,... एकदम वैसे ही,...

उसने सोचा तो था, पर पता नहीं ये बेवकूफ मानेगा की नहीं,...



और उसका सर हटा के फुलवा ने उसके होंठ चूमें और एक सवाल दाग दिया,..

" आम का मज़ा तो रोज ले रहे हो, कभी कच्चे टिकोरों का मजा लिए हो, एकदम कड़े कड़े , हरे हरे , खटमिठ्वा। "




वो लेकिन दुबारा आम में मुंह लगाना चाहता था पर फुलवा ने अपने दोनों हाथों का ढक्कन लगा के उसे रोक दिया।


" पहिले बोला, चखोगे,... नहीं चखे हो न कभी एकदम कच्ची कच्ची अमिया, बस आ ही रही है, डाल पे , खूब कड़ी,... अरे जैसे ये वाले आम चूसने में मज़ा आ रहा है , वैसे उसको कुतरने में बहुत मजा आएगा, बस रस आ ही रहा हो , ऐसे टिकोरे,... नहीं चखे हो, ... न तो ये फुलवा काहे है दिलवाऊंगी न। प्यार से कुतरना बहुत जोर से नहीं , जैसे तोते पेड़ पे ठोर मार देते हैं न बस वैसे ही। "




लेकिन उसे तो आम चाहिए था पर फुलवा ने हाँ करवा के ही दम लिया,...

और उसके बाद अपने आम पे मुंह लगाने दिया, लेकिन दोनों इतना गरमा रहे थे, थोड़ी ही देर में,...



उसी आम के पेड़ के नीचे, गुत्थमगुथा, वो फुलवा पे चढ़ा,...



और एक बार पानी झड़ जाने पे भी कहाँ जवानी में गर्मी कम होती है,...

तो दूसरी बार फुलवा वही आम के पुराने पेड़ के चौड़े तने को पकड़ के निहुरी, टाँगे फैलाये और वो पीछे से चढ़ा और क्या धक्के मारे ,





पर फुलवा भी कम नहीं थी, उसे गरिया रही थी , चीख रही थी लेकिन कभी कभी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी,...



और अब जब दोनों थेथर होके लेटे थे, तब वो फिर फुलवा से पूछा,

" वो कच्चे टिकोरे वाली,... "



" बहुत मन ललचा रहा है, दिलवा दूंगी , परसों अपने साथ ले आउंगी। " और फिर देर तक खिलखलाती रही,...

और उसके ऊपर लेट के सारा राज बता दिया,

" अरे तू न बहुते सोझ , और का कहे एक तो गुस्सा बहुत आता है ,.. दस बारह दिन से ललचा रहे थे देख देख के , और हम भी इतना इशारा किये ,... लेकिन,... चला जो बात गयी सो बात गयी,... अब पहले दिन ही अपनी परेशानी बता दिए थे की पांच दिनवे वो महीने वाली पांच दिन की छुट्टी,...

तो आज तीन दिन हो गया न ,... कल चौथा ,...


बस तो पांचवे दिन हमार नीचे वाले में लाल ताला लग जाएगा,... अरे हमें तोहार चिंता नहीं है , इसकी चिंता है ,.. सोये मूसल को हाथ में लेके वो बोली



और फिर प्यार से सहलाते बात आगे बढ़ाई,...

" अरे हमार एक छोट बहिन है एकदम सगी, हमार मूरत समझ लो,... बस आम की जगह टिकोरा,... अरे जउन तोहार छोटकी बहिनिया है न एकदम ओहिकी समौरिया, बल्कि हमर चमेलिया एकाध महीना छोटे होई,...




तो वो रोज हमसे पूछती है दीदी कहाँ जात हो , फिर कह रही थी इतना बढ़िया आम , ... तो आज हम उसको बोले हैं की चलो एक दिन तुमको भी ले चलूंगी ,... हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते,... तो बस परसों , ले आउंगी चमेलिया को , कुतरना टिकोरा पांच दिन ,... और जब छुट्टी ख़तम तो फिर फुलवा,... लेकिन आउंगी मैं रोज ओकरे साथ,... "



उसने कुछ मना करने की कोशिश की, तो फुलवा ने हड़का लिया,...



" हे बाबू तोहसे पूछ नहीं रही हूँ , बता रही हूँ , ... और जउन ये मोटका खूंटा खड़ा किये हो चलो अब इसका इलाज करो, और तुमको नहीं चोदना हो तो बोलो साफ साफ़ , मैं ही तुमको पटक के अभी चोद दूंगी,... इतना मस्त खड़ा है और ,... "




उसके बाद बात कौन करता,... फिर सारी रात कुदाली,हल चला,


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पांचवे दिन,


वो अपने गन्ने के खेत में था, .. पूरे गाँव में सबसे मोटे और लम्बे गन्ने उसी के खेत में थे, वो देखने गया था की कीड़े वीडे तो नहीं, खूब बादल थे,....



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वो पतली सी पगडण्डी पकड़ के,... तबतक गन्ने के खेत के बीच से सरसराती हुयी फुलवा निकली,...


और जबतक वो कुछ समझे, बोले, मना करे,..

हाथ पकड़ के उसे लेकर गन्ने के खेत में धंस गयी,... खेत तो इतना ऊँचा की हाथी खो जाये तो न दिखाई दे,... उन दोनों को क्या पता चलता , पगडण्डी से दूर,


और खींच के अपने बगल में लेटा लिया और इशारे से बोली, बोलना एकदम मत,....

और होंठों से आँख बंद किये,

दोनों में से किसी ने कपडे नहीं उतारे,...
वो सिर्फ कान में बोली एक बहुत ख़ुशी की बात है , चल,...

फुलवा ने साड़ी पेटीकोट ऊपर कर लिया , खुद उसके पाजामे का नाड़ा खोल के घुटने के नीचे सरका दिया , और अपने हाथ से सटा दिया, उसके बाद तो,...



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पिछले चार दिन में दर्जनों बार तो उसको चोद चुका था,... फिर तो वो हचक के,... पूरे आधे घंटे तक,...



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फिर सारी मलाई फुलवा ने अंदर ही रोपी। उसके बाद भी दबोच के रखा अपने अंदर,... बहुत देर तक उसने,...पहली बार गन्ने के खेत में , ऐसे खुले में,... बहुत मजा आया उसको ,



हाँ चलने के पहले फुलवा बोल गयी थी , आज आउंगी रात में , और अकेले,

टाइम पे आ जाना,...



और रात में तो



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आज फुलवा इतनी खुश इतनी जोस में की दूसरी बार , ... खुद उसके ऊपर चढ़ के चोदने की उसने कोशिश की ,....


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और जब तक पूरा एक बार घोंट नहीं लिया चढ़ी रही,...
हालांकि उसके बाद वही ऊपर हो गया,...



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लेकिन तीसरी बार के बाद अचानक उसको याद आया और फुलवा के जोबन हलके हलके काटते उसने पूछा की

" अरे, तू तो कह रही थी की आज से तेरी वो,... पांच दिन वाली छुट्टी,.... "


अब फुलवा पे जो हंसने का बुखार चढ़ा, तो बहुत देर तक,

" बाबू तू न एकदम बुरबक,.. अरे गन्ने के खेत में आज दिन में हम ,... तू समझे नहीं,... "



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वो सच में कुछ नहीं समझा था,...
 
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Rajizexy

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गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला






चार पांच दिन इसी तरह,... रोज बिना नागा,... और पांचवे दिन,... उससे नहीं रहा गया तो सोचा कम से कम बात तो करता ही हूँ,... बाहर आके,... वो गठ्ठर बांध रही थी थी,...

क्या बोले वो न बोले वो, आसपास कोई था नहीं , दो चार बार इधर उधर देखा,

लेकिन बोली पहले वही, मुस्करा के चिढ़ाते बोली,

" अरे बाबू एतना दूरी से काहें देख रहे हों, हम काटेंगे नहीं,... "



वो पास पहुंचा तो हलके से बोली,

" तानी हमार बोझवा उठाय दो, अरे खाली हाथ लगाय दो,...."


हाथ लगाने में दोनों का हाथ छू गया , तो जैसे उसे करेंट लग गया हो, करेंट तो हाथ में लगा था,...

लेकिन असर शॉर्ट्स के अंदर हुआ , पप्पू टनटना गया,... "




गनीमत था उसने देखा नहीं लेकिन छेड़ते बोली,

" हाथ लगाने में एतना घबड़ा रहे हो, कुछ और करने को बोलूंगी तो का हाल होई,"

उठाते समय उसका आँचल ढलक गया, गोरी गोरी गोलाइयाँ, गहराई, कड़ापन सब एक बार में दिख गया,




और बोझा उसके सर पे रखते ही कोहनी भी अनजाने में उन कठोर पहाड़ियों से छू गयी, लेकिन बजाय बुरा मानने के बोली,...

" कभी पकडे वकडे हो की नहीं। "

और घास का बोझ सर पे रख के आँख नचाते हुए कहा, " देखा बाबू, केतना बोझ हम उठा सकते हैं। "

पर असली तीर उसने चलने के बाद मारा,.. उसके तने शॉर्ट्स की ओर कस के घूरते हुए, ... "



" बाबू नाग तो बड़ा जबरदस्त पाले हो पजामें में , कबो एक घाम हवा देखाते हो की नहीं "



और जब वो मुड़ी तो चूतड़ भी उसके जबरदस्त,...

...

उसे क्या मालूम उसकी ये सब हरकतें कोई देख रहा है,



....


एक दिन गन्ने के खेत के बीच की पगडण्डी पर वो एक पुरानी भोजपुरी फिल्म का गाना गुनगुनाता जा रहा था,...




लाल-लाल ओठवा से बरसे ललइया हो कि रस चुएला
जइसे अमवा के मोँजरा से रस चुएला

भागेलू त हमका बोलावेला अँचरवा -२
अँखियाँ चुरावेलू त हँसेला कजरवा हो हँसेला कजरवा

तनिक छहाई ला ल घमाई जाई गलवा,


घमाई जाई गलवा


और पीछे से एक मीठी सी आवाज आयी,


" चलीं चाहे घमवा में बैठीं चाहे छँहवा हो काहे मुएला
गोरे गलवा के पीछे केहू काहे मुएला
अरे गोरे गलवा के पीछे कोई काहें मुवेला, हो काहें मुवेला, .... "



और उसको दरेरती धकियाती,... निकल गयी, बस गनीमत था की वो गिरा नहीं,...

और मुड़ के उस आवाज ने पीछे देखा तो वही गड्ढे पड़ने वाले गोरे चिकने गाल,... ठुड्डी पर तिल और तिल के दांये बाएं दरबान की तरह दो गोदने से बने, तिल,... और वही हंसी,... गालों में गड्ढे पड़ गए,...



" हे,अगर कहीं मैं गिर जाता तो,... "

"हे बाबू एतना जल्दी गिर जाबा तो हमार काम कैसे चली,... "

मीठी बोली में तीखा कमेंट मार के अगली पगडण्डी पर अपनी बस्ती की ओर मुड़ गयी,...

मन तो उसका यही कर रहा था की बस पीछे से दबोचे और गन्ने के खेत में धंस जाए,... और हचक हचक के चोदे,



उसके कितने गाँव के साथ के यार दोस्त रोपनी, कटनी वालियों के साथ, बिना नागा खेत में,... और कोई बुरा नहीं मानता था , न चुदने वाली, न घर गाँव के लोग, रोज की बात थी

और ये नहीं की वो चोदता नहीं था,... चाची के स्कूल में पढ़ाई करने के बाद, कितनी गाँव की भौजाइयों पर चढ़ाई कर चुका था और सब की ऐसी की तैसी हो जाती थी,...



लेकिन नयी कम उमर की लड़कियों के साथ

हिम्मत ही तो नहीं पड़ती थी,... कब, कहाँ कैसे



एक दिन वो आम के पेड़ के नीचे के खड़ा था और वो बगल में घास वाली, नैन मटक्का हो रहा था , वो खूब ललचा रही थी, उकसा रही थी,...


तभी उसने देखा, ग्वालिन भौजी दरवाजे खड़ी उसे देख के मुस्करा रही थीं, उन्हें देख के वो वापस घर में,...
Awesome gazab super duper hottttttttttttttttttttttttttttt est updates.
Kya adbhut updates hai didi ,Arvind ne fulva ke sath apani kahani Gita ko suna kar, sirf usko hi dhann nahi kiya.
Balki darshakon ko bhi Kamdev aur Rati jese pyar ki kamukta se avgat
karva diya hai.
Just kamuk, madak & erotic updates didi.
👌👌👌👌👌👌👌
🔥🔥🔥🔥🔥🔥
⭐⭐⭐⭐⭐
✅✅✅✅


200-34
 

komaalrani

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Mast hot update
Thanks so much for nice words,
 
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