भाभियों और चाचियों के ट्रेनिंग का नतीजा है....पहिला निशाना ही सही जगह लग गया क्या
भाभियों और चाचियों के ट्रेनिंग का नतीजा है....पहिला निशाना ही सही जगह लग गया क्या
कथा के साथ तारतम्य बिठाने के लिए फ्लैश बैक बहुत जरूरी है..एकदम अब इन्सेस्ट लिखना शुरू कर दिया है तो इन्सेस्ट के सारे रंग झलकेंगे, लेकिन मेरे अंदाज में थोड़ा धीमे धीमे , हौले हौले, धीमी आंच पे और कभी कभी फ्लैशबैक भी,
वैसे भी ये पूरी इन्सेस्ट कथा फ्लैश बैक में ही है, और आप जो साथ देते हैं हर पहलू पे कमेंट देते हैं इसलिए ही कहानी आगे बढ़ रही है , कई मित्र जो बार बार इन्सेस्ट के लिए आग्रह करते थे, , शायद जीवन की आपाधापी में कहीं व्यस्त हो गए , जब इन्सेस्ट का प्रसंग शुरू हुआ , पर आप ऐसे मित्रों का साथ है तो कहानी रुकेगी नहीं , संगीता और अरविन्द की यह गाथा और आगे बढ़ेगी
अमराई और चांदनी रात....अभी सीख रहा है लेकिन जब एक बार पक्का हो जाएगा तो किसी को भी नहीं छोड़ेगा, अमराई में बाकी शरम भी निकल जायेगी, फुलवा है न।
आदि काल से हीं मनुष्य संगीत तलाशता रहा है...baat aapki ekdam sahi hai,...payal ki jhankaar ki bat aapki sahi hai aapge se mil jaayegi sunane ko
आपका लिखा हर पात्र एक अलग छाप छोड़ जाता है....एकदम, बात आपकी पूरी तरह सही है
और हाँ कलावती का जिक्र जोरू का गुलाम में है. आप छोटी छोटी बातों का ध्यान भी रखते हैं और अप्रिशिएट भी करते हैं , बहुत बड़ी बात है।
हाँ... भैया बहिनी में वो सावधानी जरूरी थी...और फुलवा गोली वोली से दूर ही रहती है , और जोरू के गुलाम वाली जेठानी की तरह उसने ताम्बे का ताला भी नहीं लगाया है,... इसलिए,... लेकिन फायदा तो दोनों का हुआ , अब वो पांच दिन भी अमराई में पायल बजेगी,... वरना पंद्रह दिन में से पांच दिन कम हो जाते,....
और ये सब बचत औरते ही ज्यादा करती हैं, इसी कहानी में गितवा ने सेफ पीरियड जोड़ रखा तब भी इस्तेमाल के बाद वाली भी गोली खायी और रोजाना वाली भी, तभी भैया बहिनी दिन रात,... लेकिन फुलवा को इन सब बातों की चिंता नहीं थी
अगली पोस्ट में इस पहलू पे काफी बातचीत होगी
कोई शक...Gajab or hot update, aap incest bhi kamal likhti ho
ये तो है...Komal ji, jabardast aag lagai hai, pehle baar itna hot incest padhne ko mila hai, apki koi jawab nahi
मालिक कोई और है... लेकिन असली माली जो सिंचाई करे वो तो अरविंदवा हीं है...फुलवा की फुलवारी का माली तो कोई और ही है । लौंडा तो बस सींच रहा है
A small step but giant leap....Just taking baby steps, my first attempt in this genre, thanks so much