बिल्कुल... साड़ी , सुंदरता और नजाकत में इजाफा के साथ साथ ..... कहीं भी किसी भी वक्त बिना किसी के तैयारी के सटासट गपागप...
बिल्कुल... साड़ी , सुंदरता और नजाकत में इजाफा के साथ साथ ..... कहीं भी किसी भी वक्त बिना किसी के तैयारी के सटासट गपागप...
सबमें ये प्रतिभा नहीं होती कि उचित स्थान और समय पर इन बातों को कहानी में सम्मिलित कर सके...are vo maine nahi likha hai Koshahstra men hain, aslai bada sachitra koshatra 84 asan shait vaale men
saath dene ke liye sneh ke liye aur is is incest story pe aa kar hiimat badhane ke liye kotish abahar
It is other way.... no words of commendation is suffice.No words of thanks will be ever enough for affection and support you had given to a neophyte like me in the field of Incest
सच है... हम लोगों के हजार शब्द भी कोमल के एक शब्द की बराबरी नहीं कर सकते...Didi itna abhar prakat karke
kyon apni chhoti ko siir chadha rahi ho.
Tumara ek word hi kafi hai tumari student ke liye to.
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आप पाठकों का इतना ध्यान रखती हैं ...एकदम सही बात कही है आपने फिर दो दो कहानियां एक साथ,... जोरू का गुलाम में हफ्ते में दो पोस्ट और एक पोस्ट यहाँ तो कुल मिला के तीन पोस्ट और हर पोस्ट में चार पांच पोस्ट्स,... १२-१४ पोस्ट्स तो हफ्ते में हो जाती हैं,...
परेशानियां तीन है स्पीड बढ़ाने में
पहली जो आपने सही पकड़ा हिंदी में लिखने में जो मेरी रफ़्तार है तीन पेज से ज्यादा नहीं एक दिन में और हर पोस्ट में कुल ८-१० पेज ( वर्ड में ) तो चार से पांच दिन में एक पोस्ट लिखी जाती है
दूसरी दिक्क्त पोस्ट करने में अब बहुत समय लगता है ख़ास तौर से जब से सिंडिकेट जी का ग्रहण लगा है , हर पोस्ट के पहले तीन बार उन्हें काल का भोग लगाओ , चौथे प्रयास में वो पोस्ट करने का मौका देते हैं तो पिक चिपकाने ढूंढने , सिंडिकेट जी से निपटने और पोस्ट करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है तो हफ्ते में ८-९ घण्टे पोस्ट करने में
और तीसरी दिक्क्त मेरा खुद का एक फैसला है , हफ्ते में दो तीन दिन नेट से दूर रहने का, साइट छोड़ दीजिये बाकी भी नहीं ( मैचों का वेबकास्ट अपवाद है ) और वो दिन किताबों, संगीत, फिल्म के लिए
लेकिन मांग उनकी जायज है
बस मेरी भी एक चाहत है
जोरू का गुलाम चलिए बहुत लोग वेट कर रहे हैं की जब जहाँ छोड़ा था वहां पहुंचू ( उन्हें पता नहीं कैसे आभास होगा कहानी वहां पहुँच गयी ) इसलिए कम मित्र उधर का रुख करते हैं , पर यहाँ पर भी लगता है की कम से कम ८-१० मित्रों की सम्मतियाँ मिल जाएँ तो,... और कुछ लोग कहानी पर दृष्टिपात कर लें
मेरी किसी कहानी को यह सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ की कई पन्नों तक पाठक गण वेटिंग वेटिंग लिखें,... और बड़े इसरार के बाद
और मैं यह चाहती भी नहीं अगर मुझे कहानी रोकनी होती है तो मैं बता के अवकाश लेती हूँ,
खैर
चलिये कोशिश करुँगी की नए वर्ष में दो हफते में तीन की स्पीड तक यह किस्सा पहुंचे।
जिस रास्ते पूरा शरीर निकला... उसी रास्ते अपने शरीर का एक अंग...एकदम आखिर बेटा तो उसी माँ का है कुछ तो असर होगा ही , सही कहा आपने दूध का मोल चुकाने का समय आ गया है।
सुनिए सबकी लेकिन करिए अपने मन की....dekhiye main do stories par update de rhai hun JKG aur is pe dono mila ke 3 baar post karti hun aur har update men 4-5 post
phir likhne men
lekin baat aapki jaayaj hai gap jayda hone se interet kam hone lagata hai
islieye naye saal men 2 hafte men 3 update ki koshish karungi
lekin meri bhi yah ummid rahegi ki har update ke baad kam se kam 8-9 frnds apne suggestions comments jaroor den , bina hunkaari bharne vaalon ke kahanai sunaane ka mjaa bhi kahtam ho jaata hai
छुटकी अपनी दोनों बहनों से दो साथ आगे निकलेगी...s
such nice words from the most popular writer of this forum gladdens my heart and certainly gives confidence to my other readers too, thanks so much
उहापोह या शंका का कोई सवाल नहीं....ऐसे संवाद लिखते समय बस यही उहापोह रहती है मन में क्या कोई पसंद करेगा,
पर जब आप जैसे गुणग्राही के उन्ही पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कमेंट आते हैं तो लगता है मेहनत वसूल हो गयी,
कोटिश आभार
ये लिखने वाले का कमाल है कि पूरा खाका सामने खींच दिया है....एकदम
गाँव का माहौल,ननद भाभी का रिश्ता, सावन का मौसम,
ऊपर से माँ ने चढ़ा दिया था जवाब देने को तो अब लिहाज की भी बात नहीं,... और सच में लिखते समय ऐसे संवाद लिखते समय एकदम वो दृश्य चित्र के रूप में आँख के सामने आ जाते हैं