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माँ के नैहर के किस्से
2019 kia forte 0 60
गाँव के कितने लौंडे जब से जोबन आया था , और जोबन आया भी जबरदस्त था। दस पांच गाँव के लौंडे लिबराते थे,... लेकिन जोबन का रस चखा सबसे पहले उनके सगे बड़े भाई ने,
बाद में गीता की माँ को अंदाज लगा रीत रिवाज समझ में आया और ये भी की गीता की नानी की शह पे ही उनका बेटा, गीता के मामा उन पे चढ़े। पता तो उन्हें पक्का था और हामी भी थी।
जिस दिन पहली बार पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम हुयी मस्ती के मारे उनकी चूत में आग लगी थी, ऊपर से एक सहेली के जीजा दो दिन पहले आये थे
और वो गीता की माँ के पास आयी और पूरा किस्सा, दो रात लगातार, किसी दिन दो तीन बार से कम नहीं, कित्ता मजा आता है जब रगड़ते दरेरते जाता है, तू भी करवा ले , न हो तो दस दिन बाद जीजा फिर आएंगे, सहेली उसे खुद ले जायेगी, उसके घर जाने से तो कोई मना भी नहीं करेगा,...
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लेकिन कहते हैं न की दाने दाने पर लिखा रहता है, खाने वाला का नाम, बस एकदम उसी तरह भरतपुर के स्टेशन पर लिखा हुआ है कौन इंजन यहाँ सबसे पहले दनदनाते हुए घुसेगा,
तो उसी रात गीता के मामा का इंजन , गीता की माँ के भरतपुर स्टेशन पर,...
माँ कही रतजगे में गयी थीं सुबह आने वाली थीं, घर में बस भाई बहन,... खूब चिल्लाई वो लेकिन भाई ने पेल के ही छोड़ा,
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कोरी गगरी तोड़ दी.
और एक बार बहन चुद गयी तो कौन भाई एक बार में छोड़ देता है फिर घर में और कोई न हो तो
अगली बार निहुरा के
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फिर पोज बदल बदल के गितवा की माँ को उसके मामा ने रगड़ रगड़ के चोदा
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और एक बार स्वाद लग गया खूंटे का तो बछिया खुद सांड़ के पास,... गर्मी का महीना था , जून या जुलाई,...
उन्होंने खुद एक दिन गितवा की माँ ने , अपनी माँ को भाई से कहते सुना था,
"अरे अब गौने के लिए सब बहुत जिदीया रहे हैं,... महीने दो महीने में चली जायेगी ससुराल तब तक,...."
उस समय तक तो उन्हें नहीं समझ में आया, लेकिन बाद में समझ गयी,
कोई दिन नागा नहीं जाता था, दो चार दिन के बाद तो वो खुद ही भाई के कमरे में रात में,... और माँ का कमरा दूसरे खंड में था, बीच में कच्चा आंगन और बरामदा, और कई बार तो माँ की भी परवाह नहीं,... माँ ही कहती , आज तू अपनी भाई के पास सो जा, तेरे कमरे में पानी चूता है,...
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और रात भर उनकी जांघो के बिच सफ़ेद पानी चूता,
एक महीना गुजरा, वो पांच दिन आये माँ रसोई में नहीं गयी,...
फिर तो रात के साथ दिन में भी कोई दिन नागा नहीं जाता था जब भाई उसके तीन चार बार नहीं चढ़ते थे
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लेकिन अगले महीने उसने माँ से पूछा,.. माँ वो अबकी बार नहीं हुआ , मैंने दो बार देखा है तो मैं रसोई में आ सकती हूँ,...
माँ ने मारे ख़ुशी के उसे गले से लगा लिया, लेकिन फिर बोलीं ,
बेटी कभी कभार देर सबेर हो जाती है,... लेकिन वो रोज सुबह पूछतीं, हुआ क्या,... कई बार दोनों नहाती भी साथ थीं तो वहां भी,
जब २८ का ३० दिन हुआ, ३५ दिन हुआ तो वो समझ गयीं की अब वो नानी बनने वाली हैं, और उन्होने उसकी ससुराल खाली ये खबर करा दी , की अगले महीने दिन साइत देख के वो बताएंगी लेकिन एक डेढ़ महीने बाद।
और बिटीया का बिस्तर समान सब बेटे के कमरे में,...
और बेटी को समझा भी दिया कुछ दिन में ससुराल चली जायेगी , तब तक अपने भाई के साथ मजे कर ले, फिर पता नहीं कब आ पाएगी और गुन ढंग सीख के जायेगी तो तेरे मरद को भी,...
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फिर तो चक्की दिन रात , कई बार माँ के सामने भी,...
और वो लजाती तो डांट माँ की पड़ती।
" स्साली छिनरपना गौना हो जाएगा तो ससुराल में तो तेरी ननद का भाई तो दिन रात चढ़ा ही रहेगा, कुछ दिन तेरा भाई भी तेरे जोबन का रस ले ले,.... फिर तो कब मायके आ पाएगी चल छिनार माँ से सरमाती है "
और गितवा का मामा वहीँ धर दबोचता और फिर दुबारा और अबकी और हचक हचक के,...अपनी गोद में ही बिठा के
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जब दूसरे महीने भी वो पांच दिन वाली छुट्टी नहीं हुयी, तो गीता की नानी ने ससुराल में खबर भिजवा दी की बीस दिन के बाद,... दिन बहुत सुभ है गौने के लिए आ जाएँ,...
बस, गौने के ठीक सात महीने बाद गीता के भाई का आगमन हो गया
गीता की बुआ,... चिढ़ाती भी थीं उसके भाई को, ये तो मायके से आया है दहेज़ में।
अब गीता ने चुप्पी तोड़ी, " माँ, तो क्या भैया मामा का जना है, "
देर तक गीता की माँ खिलखिलाती रहीं, फिर बोलीं, एकदम पक्का सोलहो आना और जो थोड़ा बहुत शक था वो अब एकदम दूर हो गया. "
“”कोरी गगरी तोड़ दी.””
ये ४ शब्द ही एक दम से बदन में गर्मी पैदा करने के लिये काफ़ी है .
आपके के लेखन को प्रणाम