पोस्टिंग करना, आज कल आग की दरिया में चलने जैसा है , लाइक भी करने पर अक्सर ये पूछा जाता है की क्या आप वास्तव में लाइक करना चाहते हैं ,... एकदम लॉक कर दिया जाए कहने की इच्छा होती है, और हर बार तीन बार विज्ञापन की देवियों के बाद बड़ी मुश्किल से थ्रेड तक पहुंचना
और पोस्ट करने के बाद , फिर कमेंट्स का,...बल्कि नो कमेंट्स का इन्तजार,...
लेकिन असली समस्या लालच की है अगर मन में ये भाव जाए कर्म करो और फिर,...
लेकिन गलती पाठको की भी नहीं है ठंड इतनी है उँगलियाँ ठिठुर जाती होंगी और जीवन की आपाधापी में , रोज की गहमागहमी में ,...
लेकिन तब भी कुछ मित्र आते हैं पोस्ट होते ही २४ घंटे के अंदर दो मित्रों ने तारीफ़ की , शायद इसलिए की वो मित्र हैं पर के सर्वे के मुताबिक़ २. ३ दिनों के अंदर पर ४८. ७ % पाठक ऐसे फोरम में आते हैं तो कम से कम ३ दिनों के बाद ही आके देखना चाहिए , ये आदत गड़बड़ है की दही जमाने के लिए रख दिया और हर दस मिनट पर देख रहे हैं की जमी की नहीं
कभी नहीं जमेगी तो फिर रविवार के अवकाश के दिन देखूंगी , शायद कुछ और मित्रों ने कहा हो कुछ
असली बात तो भूल ही गयी,
सहृदय रसिक पाठक /पाठिकाओं से निवेदन है की
पिछले पेज की तीसरी पोस्ट जिसका शीर्षक है
बेटा /बेटी किसके
( बाप के /की माँ के ?)
पोस्ट संख्या ३१६३
पर हो सके तो अपनी अनभूति, मंतव्य जरूर व्यक्त करेंगे