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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत पृष्ठ ११३८

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

Shetan

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पोस्टिंग करना, आज कल आग की दरिया में चलने जैसा है , लाइक भी करने पर अक्सर ये पूछा जाता है की क्या आप वास्तव में लाइक करना चाहते हैं ,... एकदम लॉक कर दिया जाए कहने की इच्छा होती है, और हर बार तीन बार विज्ञापन की देवियों के बाद बड़ी मुश्किल से थ्रेड तक पहुंचना


और पोस्ट करने के बाद , फिर कमेंट्स का,...बल्कि नो कमेंट्स का इन्तजार,...


लेकिन असली समस्या लालच की है अगर मन में ये भाव जाए कर्म करो और फिर,...

लेकिन गलती पाठको की भी नहीं है ठंड इतनी है उँगलियाँ ठिठुर जाती होंगी और जीवन की आपाधापी में , रोज की गहमागहमी में ,...

लेकिन तब भी कुछ मित्र आते हैं पोस्ट होते ही २४ घंटे के अंदर दो मित्रों ने तारीफ़ की , शायद इसलिए की वो मित्र हैं पर के सर्वे के मुताबिक़ २. ३ दिनों के अंदर पर ४८. ७ % पाठक ऐसे फोरम में आते हैं तो कम से कम ३ दिनों के बाद ही आके देखना चाहिए , ये आदत गड़बड़ है की दही जमाने के लिए रख दिया और हर दस मिनट पर देख रहे हैं की जमी की नहीं

कभी नहीं जमेगी तो फिर रविवार के अवकाश के दिन देखूंगी , शायद कुछ और मित्रों ने कहा हो कुछ

असली बात तो भूल ही गयी,

सहृदय रसिक पाठक /पाठिकाओं से निवेदन है की


पिछले पेज की तीसरी पोस्ट जिसका शीर्षक है

बेटा /बेटी किसके

( बाप के /की माँ के ?)

पोस्ट संख्या ३१६३

पर हो सके तो अपनी अनभूति, मंतव्य जरूर व्यक्त करेंगे
Ye samayao se me bahot zunzi hu komalji. Darsak ekdam se hi bahot sare shapne dikha kar bhag gae. Views badh rahe the. Or uspar mera dhyan nahi tha. Par ekdam se update ke bad likes or comment dono ka abhav ho gaya. Dill tut gaya. Esi parithiti me aap do bar aae or hosla diya. Tabhi tiki hui hu.

Vese aap ki kahu to. Aap ke 2 update ke bich wakt jyada hota he. Likes to aap kamati hi ho. Par comment ke jariye redars aap se hamesa pyar bhi jatate he. Lekin ham bhi comment ke bad jab aap reply comment ko like deti ho. Ham bhi bahot khush hote he. Ham use apna hak nahi mante. Par likes se ham bhi bahot khush hojate he.
 

motaalund

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गीता की माँ की तो शादी हो गयी थी बस गौने की साइत धरानी थी, यहाँ तो,... जैसे गीता की मां अपनी माँ से बढ़चढ़ के हैं वैसे ही गीता भी
बिन ब्याहे गीता... आगे बढ़कर .. माँ का नाम रोशन करेगी...
 

motaalund

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शायद , जैसे पी डी ऍफ़ में इस फोरम में ही मैंने देखा ननद की ट्रेनिंग का सीक्वेल, ननद ने खेली होली , उपलब्ध है पर मैं उसे सूची में डालना भूल गयी थी। हो सकता है उसी तरह से कुछ और कहनियां भी रह गयी होंगीं

मुहल्ला मोहब्बत वाला एक इंटर फेथ स्टोरी थी,... जो अभी के फोरम के नियमों से पोस्ट नहीं हो सकती और जो माहौल है मैं उसमें चाहती भी नहीं, वो एक विशेष परिस्थिति में लिखी कहानी थी ,... और उस का लिंक भी कहीं नहीं है शायद।

पिछले फोरम में मेरी काफी कुछ कहानियों को जौनपुर जी ने पी डी ऍफ़ कर के डाला था पर ये कहानी उसमें भी नहीं थी और उन्ही के सौजन्य से कुछ कहानियां मुझे मिलीं ,... जो मैंने दुबारा थोड़ा बहुत चेंज कर के पोस्ट की।
बहुत सटीक बात कही...
समय और परिस्थिति के अनुसार हीं कहानी पोस्ट करनी चाहिए...
वरना बहुत से लोग अनर्गल बातों से पोस्ट काला कर देंगे...
 
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motaalund

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एकदम माँ ने तो अभी खुलना शुरू किया है बेटी के सामने धीरे धीरे सब बातें, मायके की सहेली की तरह बेटी से,... किसी से बात बाँट भी सकेगी और बेटी सीखेगी भी जवानी के गुन , जोबन की कदर करना और उसके कद्रदानों की भी कदर करना
कद्रदानों की कदर करना आवश्यक है..
वो किसी ने कहा है कि ये सजना संवरना किस काम का जब कोई तारीफ करने वाला न हो...
 

motaalund

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एकदम और जब फुलवा का प्रसंग आया तो वो 'सीरयल सेक्स' का हिस्सा नहीं था , जैसे कई कहानियों में एक पुरुष बारी बारी से लड़कियों औरतों के साथ, ... तो फुलवा और उसकी माँ का उलेल्ख कहानी में इसलिए आगे भी आएगा,...
फुलवा की माँ बहुत प्रैक्टिकल है ... इसलिए उचित समय पर फुलवा और उसकी माँ भी अपना उपस्थिति दर्ज कराए तो अच्छा लगेगा....
 

motaalund

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किसी कवि ने कहा है

अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है

ऐसी सुविधा और कहाँ है

बहुत बहुत धन्यवाद, आभार ऐसे कमेंट्स के लिए जो पढ़ने का मजा दूना है और कहानी का सत्व दो लाइनों में रख देते हैं
कुछ खुला... कुछ ढंका-छुपा...
बचपन की यादें .. बगीचा और तालाब ... स्कूल एक चबूतरे पर बना... जहाँ क्लास के कमरे पर कोई दरवाजा नहीं..
कुछ अपनी सेटिंग के साथ खुली क्लास में शाम-रात के धुंधलके में...
 

motaalund

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aap ne jaise kaha hai aage bhi maa beti ke smaavaad aate rahenge ,... jitani baaten mahilaayen aaps men kul ke kar paati hain purush nahi kar paate
हाँ ये बात तो सही कही..
दादी-पोती भी कई बातें खुल के एक दूसरे से...
लेकिन पुरुष अपने से जस्ट छोटे भाई से भी उतना नहीं खुलते....
 
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motaalund

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एकदम और अगर आप पिछले पन्ने पलटेंगे तो जब अरविन्द, गीता का भइआ घबड़ा रहा था की फुलवा पेट से हो गयी है गौने के पहले तो ग्वालिन भौजी ने भी उससे यही बात कही थी,

"तुम तो सच में का का सिखाना पडेगा तुमको , हड़काया भौजी ने फिर पूछा अच्छा ये बताओ वो परेशान थी की खुश" उसकी ठुड्डी पकड़ के उसकी आँखों में आँखे डाल के झांकती मुस्कराती ग्वालिन भौजी ने पूछा।


"बहुत खुश भौजी , ख़ुशी में पागल, बोली की परसाद मानी थी, जाके चढ़ा आना और सवा पाव मिठाई ले आना हम दोनों खाएंगे,... ' वो बोला।



" तब लल्ला तुम काहें परेशान हो रहे मजे लो खुल के , अरे सवा पाव नहीं सवा किलो,... ले जाना,... देख वो तोहसे ज्यादा समझदार है,... गौना में जायेगी , पहली रात में ही मरद चढ़ेगा,... फिर क्या आठ दस दिन बाद सास ननद को बोल देगी की ,... महीना नहीं हुआ इस बार,

सास गौने से उतरने के पहले दिन ही बहू से पूछती है की तेरा महीना कब होता है , अरे वो पांच दिन रसोई में नहीं जायेगी न , इसलिए ,...

तो बस गौने में उतरते ही सास के पूछने पर कउनो आठ दस दिन बाद की तारीख बता देगी,... और जो वो तारीख आएगी तो ,... बस चार पांच दिन में अगर कुछ नहीं हुआ , उलटी शुरू हुयी ,

तो बस सास खुश की पोता होगा, ननद खुश की नेग मिलेगा , मरद खुश की कमाने जाने के पहले गाभिन कर के जा रहा है ,... तो जो सब खुश है तो तोहिं काहे परेशान हो रहे हो, मजे लो जम के "





ग्वालिन भौजी ने समझाया भी और उसके सर का बोझ भी उतार दिया, बौरहा देवर अब धीरे धीरे समझदार हो रहा था।

पेज २३६


तो बस यही सोच फुलवा की माँ की भी थी
ग्वालिन भौजी ने सही खाका खींच के समझाया था...
वरना ये तो सवा किलो के बजाय सवा रूपये का....
 
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