एकदम और अगर आप पिछले पन्ने पलटेंगे तो जब अरविन्द, गीता का भइआ घबड़ा रहा था की फुलवा पेट से हो गयी है गौने के पहले तो ग्वालिन भौजी ने भी उससे यही बात कही थी,
"तुम तो सच में का का सिखाना पडेगा तुमको , हड़काया भौजी ने फिर पूछा अच्छा ये बताओ वो परेशान थी की खुश" उसकी ठुड्डी पकड़ के उसकी आँखों में आँखे डाल के झांकती मुस्कराती ग्वालिन भौजी ने पूछा।
"बहुत खुश भौजी , ख़ुशी में पागल, बोली की परसाद मानी थी, जाके चढ़ा आना और सवा पाव मिठाई ले आना हम दोनों खाएंगे,... ' वो बोला।
" तब लल्ला तुम काहें परेशान हो रहे मजे लो खुल के , अरे सवा पाव नहीं सवा किलो,... ले जाना,... देख वो तोहसे ज्यादा समझदार है,... गौना में जायेगी , पहली रात में ही मरद चढ़ेगा,... फिर क्या आठ दस दिन बाद सास ननद को बोल देगी की ,... महीना नहीं हुआ इस बार,
सास गौने से उतरने के पहले दिन ही बहू से पूछती है की तेरा महीना कब होता है , अरे वो पांच दिन रसोई में नहीं जायेगी न , इसलिए ,...
तो बस गौने में उतरते ही सास के पूछने पर कउनो आठ दस दिन बाद की तारीख बता देगी,... और जो वो तारीख आएगी तो ,... बस चार पांच दिन में अगर कुछ नहीं हुआ , उलटी शुरू हुयी ,
तो बस सास खुश की पोता होगा, ननद खुश की नेग मिलेगा , मरद खुश की कमाने जाने के पहले गाभिन कर के जा रहा है ,... तो जो सब खुश है तो तोहिं काहे परेशान हो रहे हो, मजे लो जम के "
ग्वालिन भौजी ने समझाया भी और उसके सर का बोझ भी उतार दिया, बौरहा देवर अब धीरे धीरे समझदार हो रहा था।
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तो बस यही सोच फुलवा की माँ की भी थी