दोनों मौसियां ,
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दोनों मौसा जी ,
दरवाजा खोला तो बड़ी मौसी वाली,...
तेरी दोनों मौसियां , और दोनों मौसा जी , फटफटिया पे,... और तेरी तरह मैं भी सोचती थी की चल ये सब तो दो ही हैं अगवाड़े पिछवाड़े साथ साथ , डेढ़ दो घण्टे में पिचका दूंगी दो दो बार पिचकारी तेरे मौसा लोगो की,... लेकिन तेरो छोटी मौसी बचपन की कमीनी,...
बोलने लगी की मुन्ना का नेग बुआ को तो दिया होगा,...
गीता को रोकना मुश्किल था बहुत बार माँ ने समझाया था बीच में नहीं बोलते, बात नहीं काटते , पर बच्चे तो बच्चे, ..ऐसे समझदार हो जाएं तो बड़े न हो जाएँ तो गीता बोल बैठी ,
" बुआ को क्या नेग दिया था आपने भैया का होने का "
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माँ खिलखिला रही थीं, ... किसी तरह हंसी रोक के बोलीं,
" तू न बेटी तो पता नहीं किस की है , लेकिन रंग ढंग पे बिलकुल अपने बुआ पे गयी है, झटपटिया, मिनट भर भी इन्तजार नहीं,... है तो इसी गाँव की बिटिया न उन्ही की तरह सब की सब छिनार,... अरे एक नेग की जगह दो मांग लिए, पहला तो तुझी को उन्होंने माँगा था,... ' भौजी अगली बार भतीजी चाहिए, पक्का आपकी एकलौती ननद हूँ ना नहीं सुनूंगी,... "
लेकिन एक नेग में गीता को जरा भी मज़ा नहीं आया , और ये बात तो सही थी की बुआ से उसकी एकदम पक्की वाली दोस्ती थी, मज़ाक भी शुरू से एकदम खुल के करती थीं , भौजाइयां मात। उसने झट से पूछ लिया, और दूसरा,...
" वो, वही जो मेरी तीसरी होली में, ससुराल की होली में,... उन्होंने कबुलवाया था,... की तेरी बुआ जब शादी के बाद पहली होली में अपने मायके आएँगी न तो बस उनके सामने ही एकदम खुल्ल्म खुला, इसी आंगन में उनके मरद के साथ,... और मैंने हंस के मान लिया, अरे नन्दोई का तो सलहज पे हक होता है वो भी होली में तो,... तो ये था दूसरा नेग लेकिन तू न असली बात से , तेरी मौसी लोगो वाली बात "
" हाँ बोलिये पक्का अब नहीं बोलूंगी बीच में " गीता कान पकड़ते बोली, और माँ चालू हो गयी,
" तेरी छोटी मौसी बोली , अपनी ननद को नेग दे दिया और बहनों को भूल गयी तो आज पहले होली में हम दोनों बहने तेरी मुट्ठी करेंगी और एक साथ तेरी बुर में भी और गांड में भी वो भी बिना चूड़ी कंगन उतारे और पूरे कोहनी तक वरना एक शर्त मान ले
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गीता का मन तो बहुत था पूछने का छोटी मौसी ने क्या ऑप्शन दिया था लेकिन वो चुप रही पर माँ ने खुद ही भेद खोल दिया,
" तेरी छोटी मौसी, सौ रंडी मरी तो पेट में आई होगी, ... बोली,...
' मेरी छोटकी बहिनिया,... गाँड़ में मुट्ठी बचाना है तो हम दोनों के बड़े जीजू को,... चोदेगे भीं और गांड भी मारेंगे तो है ही , स्साली , छोटी स्साली होके अब तक बिन चुदे बची थी,... लेकिन आज उस के पहले बड़े जीजू को तुझे झाड़ना है, लेकिन न मुंह में लेना है न बुर में न गाँड़ में न हाथ में पकड़ना है न कांख में,... और जब ये झड़े न तो एक भी बूँद जमीन पे नहीं गिरना चाहिए,...और तेरी देह के अंदर भी नहीं जाना चाहिए "
मैं एकदम चकरा गयी,
एक तो पहले होली की मस्ती अबकी मैंने भी जिज्जा लोगों को अच्छी तरह से भांग पिला के टुन्न कर दिया था , पाजामा फाड़ के छत पे, ... और तेरे दोनों मौसा लोग तो मेरे जुबना के दीवाने, उसी में उरझे, दोनों हाथों में रंग लगा लगा के दस कोट तो कम से कम , ... दायां वाला तेरे बड़े मौसा के कब्जे में और बायां वाला छोटे मौसा रगड़ रहे थे,...
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था मैं उन दोनों की माँ बहिन गरिया रही थी अपने मोटे मोटे चूतड़ दोनों के खूंटे पे रगड़ रही थी और दोनों के टनटना रहा थे, मस्ती से मेरी भी गीली हो रही थी, मन तो मेरा कर रहा था की गप्प से घोंट लूँ,...
लेकिन ये शर्त सुन के मेरा दिमाग चकरा गया,
और दिमाग तो गीता का भी चकरा गया अब उससे रहा नहीं गया,...
"लेकिन माँ ये कैसे देह के अंदर भी नहीं झड़ें और जमीन पे नहीं गिरे और फिर बिना अगवाड़े , पिछवाड़े मुंह में लिए,... " उसके मुंह से निकल गया,
" वही तो " माँ बोलीं,
फिर मुस्करा के कहा लेकिन रसता निकाला तेरी नानी ने अब साफ़ साफ़ बोल तो सकती नहीं थी तो इशारा कर दिया,...
मुझसे बोलीं, "पाहुन लोग तो जितना हमारी समधिन के साथ नहीं होली खेले होंगे उतना रंग तो अपने साली के जोबन पे लगा दिए लगता है माई, मौसी , बुआ , चाची सब को बिसाती के दुकान पे रख के, रंग खरीद के लाये थे,... "
बस मेरी चमकी, मेरे जोबन पे लगा रंग,... और हाथ से खूंटा पकड़ने को मन किया था बाकी, तो बस मैंने हाथ से धक्का देके उसी कच्चे आंगन में तो तेरे बड़े मौसा को गिराया , और साथ में स्साली अपनी उस कमीनी बहिनिया से बोली,
" चल अगर मैं हार गयी तो माना तू कमीनी गदहा चोदी, मेरी गाँड़ मार लेना , लेकिन अगर मैं जीत गयी न तो मुझे क्या मिलेगा "
वो जानती थी की इत्ती टेढ़ी शर्त मेरे बस की बात नहीं है , तो सीना तान के बोली,
" अरे यार तू हम सब आठ मौसेरी मौसरी बहनों में सबसे छोटी है , चल जो भी तू कहेगी,... "
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बड़े जीजू का टनटनाया तो पहले से था , बस मैंने दोनों चूँची के बीच उसे दबोच लिया , मेरे दोनों हाथ मेरी दोनों चूँचियों पे थे और साल भर में ही ससुराल में दबवा मिजवा के सब नयी दुल्हनों की तरह मेरी भी ३४ से बढ़के ३६ की हो गई थी, और एक कड़क, कड़ी कड़ी,... बस उन्ही दोनों चूँचियों से तेरे मौसा का लंड पकड़ के रगड़ना शुरू कर दिया,...
और अपनी शर्त भी सुना दी,
" तो कमीनी सुन अगर मैंने जीजू का जैसे कहा है ऐसे झाड़ दिया न तो साल भर चाहूँ तब दोनों जीजू के साथ जितनी बार चाहूँ उतनी बार तुम दोनों कमिनियों के सामने , ... "
मेरी बात पूरी होने के पहले तेरे दोनों मौसा एक साथ बोले, ... " अरे इस स्साली के साथ तो साल भर नहीं जिंदगी भर,... हम दोनों हारने के के लिए तैयार हैं "
मैं उनसे भी तेज बोली , मुझे भी मंजूर है।
बस यही तो मैं चाहती थी, बस मैंने दोनों मोटी मोटी चूँचियों के बीच पकड़ के कस कस के रगड़ना शुरू कर दिया और तेरे बड़े मौसा के कान में फुसफुसा के बोली,
" जीजू बस आपके हाथ में जरा आप भी साथ दो न तो ये दोनों जोबन जिंदगी भर के लिए ये स्साली आपके नाम लिख दूंगी,... बस जितना तेज मैं चूँची रगड़ रही थी , उतने ही तेज वो धक्के मार रहे थे,... चूँची से लंड चोदने की कला होती भी नहीं है सबके पास,...
बेचारी तेरी दोनों मौसियां चुप , तेरी नानी ही बोली ,
" अरे जीजा का तो साली पे हक़ होता है, और साली का बहन के पहले अपने जीजू पे और सबसे छोटी साली का तो सबसे ज्यादा,... और साली को चोदने के पहले अगर कोई जीजा पूछे तो फिर तो जीजा साली का रिश्ता ही नहीं, जब मन करे तब,... "
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गीता को नहीं बिस्वास हुआ बोली , " नानी को बुरा नहीं लग रहा था और ऊपर से वो मौसा के साथ थीं ,... "
गीता की माँ हँसते हुए बोली,
" तू अपनी नानी को जानती नहीं, मुझे भी बाद में पता चला सब प्लानिंग तो उन्ही की थी. जब मेरी मायके में होली में आने की तारीख तय हुयी थी तभी से उन्होंने मेरी सब मौसेरी बहनों को, उनके मरदों को,... दो दो बार,... और गाँव की भौजाइयों को भी मन कर दिया था की वो लोग शाम को या होली के अगले दिन , तेरे भाई को एक साल का था,... तेरे मामा के साथ , एक दो दिन पहले सहर भेज दिया था , कोई टीका होता है साल भर होने पे लगता है वो लगवाने, और बोल दिया था होली के दो चार दिन बाद ही आने को,... तो होली के दिन घर में सिर्फ मैं और तेरी नानी ही थीं। “
और फिर वापस गीता के मौसा लोगों के साथ उस होली के किस्से पे आ गयीं,
" तो बस तेरी छोटी मौसी का मुंह देखने लायक था,... और तेरे बड़े मौसा , औजार भी मस्त,... "
गीता ने तो अब एक ही देखा था, बस उसके मुंह से वही निकला,
" माँ क्या मेरे भैया से भी बड़ा, ... मोटा, ... "
माँ ने जोर से डांटा, गुस्से में बेटी का कान भी उमेठ दिया, फिर दुलार से बोलीं,
" स्साली तू भी न , क्या नाम ले लिया, बीच में। अरे मैंने इत्ते देखे हैं, ... एक से एक , फिर कुछ रुक के गर्व से बोलीं,... लेकिन मेरे बेटे जैसा कोई नहीं है,... न लम्बाई, न मोटाई,... आस पास भी नहीं,... "
" तो तो ले क्यों नहीं लेती अंदर छिनार, मेरे भैया का,... बुर तो छनछना रही होगी, और सामने स्साली नौटंकी , तुझे न चुदवाया तेरे बेटे से तो तेरी बेटी नहीं "
गितवा ने मन ही मन सोचा लेकिन चुप रही
और माँ ने होली वाली बात आगे बढ़ाई,...
" वैसे तो २० मिनट से पहले नहीं होता गाँव में , लेकिन लगता था तेरे मौसा को पहली बार चूँची चोदन का सुख मिल रहा था और जो मैं अरज कर रही थी और तेरी छोटी मौसी के हारने से जो तेरे मौसा लोगों का जिंदगी भर का फायदा होने वाला था,..बस वो कुछ ज्यादा ही गरमाये थे,.... और मैं अब रगड़ भी नहीं रही तो वो खुद ही मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूँची पकड़ के , क्या मस्त धक्के मार रहे थे, मुझे भी खूब मजा आ रहा था और मेरे हाथ फ्री हो गए तो मैं बाकी बदमाशियां,... तेरी मौसी ने खूंटा हाथ से छूने पे रोक लगायी,... बाकी चीज़ थोड़ी , बस मैं चालू हो गयी , तेरे मौसा की हालत खराब , बस पंद्रह मिनट में,... "
और माँ उस पल की याद करके खिलखिलाने लगीं।
लेकिन गितवा माँ से सीखने का ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी,... उसने पूछ ही लिया , माँ बता न बाकी क्या किया की मौसा जी की ऐसी की तैसी हो गयी,...
" अरे सब लोग जो सोचते हैं मरद खाली लंड पकड़ने से गर्माता है आधी बात जानते हैं , जैसे औरतों के देह में सोलह जगहे होती हैं गरम करने की चूत और चूँची के अलावा भी वैसे ही मर्द भी, हाँ थोड़ देख के टटोल के अंदाज लग जाता है किस मरद को काम बाण कहाँ लगेगा, ... तो बस तेरे मौसा का पिछवाड़ा,...
मैं उनके चूतड़ हलके हल्के सहला रही थी,... कभी पेल्हड़ और गांड के बीच वाली जगह ऊँगली से रगड़ती तो कभी पिछवाड़े के छेद के चारो ओर ऊँगली से हलके हलके दबाती और ध्यान से उनकी आँखों को देख रही थी, क्या छूने से वो ज्यादा मस्त हो रहे हैं , बस हाँ और जोर से नहीं , बस हलके हलके जैसे कोई पंख से छू रहा हो हो और जो ज्यादा गर्माते तो नाख़ून से, ... और मर्दों के निपल भी ,... लेकिन जैसे मैं लेटी थी वहां हाथ नहीं पहुँचते ही इसलिए खाली पिछवाड़े ,... "
माँ एक पल के लिए चुप हो गयीं फिर उन्होंने उस राउंड का आखिरी हिस्सा भी बता दिया,...
" मुझे डर था की कहीं झड़ते समय मारे मस्ती के वो जमीन पे एक बूद गयी आज मेरी गाँड़ के चिथड़े हो जाएंगे ,... लेकिन तेरे बड़े मौसा बहुत समझदार,... ये बात उन्होंने भी सुनी थी,... तो सम्हाल के क्या कोई पिचकारी मारेगा सारी की सारी मलाई सिर्फ मेरी दोनों चूँचियों पे गिरायी, ... और जो दूसरी बार झटके से निकलती है वो निपल के ऊपर,... और निपल तो पूरा जैसे आइसक्रीम से ढंक गया हो ,
बाकी वाली कहीं सरक के नीचे न चली जाए तो उन्होंने अपने हाथ से ही मेरी दोनों चूँचियों पे फैला दिया और कहा लाल, बैंगनी , काही रंग तो बहुत कोट लगाया था स्साली तेरे जोबन लेकिन असली रंग तो अब चढ़ा है,... और चूँकि मैं शर्त जीत गयी थी, मारे ख़ुशी के मैंने अपनी चूँची उनके मुंह में पेल दी और वो चूसुर चुसूर चूसने चाटने लगे,...
गीता खूब खिलखिलाई और बोली माँ आप भी न मौसा जी को उन्ही की मलाई खिला दी,...
" अरे यही तो असली मजा है बुर बजबजाती रहे और तब मरद चाटे,... अरे तू छिनार, तेरे मायके में,.. मेरी ससुराल में कितनी तो अपने बहनोइयों से , यारों से चुदवाती हैं और मरद के लिए मलाई कुप्पी में ले के आतीं हैं और ऊपर चढ़ के उसके जबरदस्ती सपड़ सपड़ चटवाती हैं,... "
अब माँ खिलखिलाने लगीं।
गीता समझ गयी, हमला उसके गाँव पे था और वो क्यों चुप रहती , झट से जवाब दिया,
"तो आपकी देवरानियां जेठानियाँ होंगी ऐसे, "
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माँ हंसने लगीं और उसे दुबका के बोली,... " नहीं नहीं सब इस गाँव की लड़कियां हैं तेरी बुआ लगेंगी, तेरी बहने ,... मेरी ननदें,... नन्दोईयों को, तेरे बहनोई को मलाई खिलाती हैं। "
गीता मान गयी माँ को, सूद के साथ लौटा दिया था उन्होंने। लेकिन वो भी जानना चाहती थी उसके बाद क्या हुआ,...
" माँ मान गयी आपको ,... तो शूली पे चढ़ने से बच गयी आप, बड़े मौसा को तो निपटा दिया अपने इत्ती कस के तो उनकी तो थोड़ी देर के लिए छुट्टी,... " गीता ने बात आगे बढ़वाई, और माँ ने गतांक से आगे बताना शुरू किया,...
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" माँ क्या मेरे भैया से भी बड़ा, ... मोटा, ... "
माँ ने जोर से डांटा, गुस्से में बेटी का कान भी उमेठ दिया, फिर दुलार से बोलीं,
" स्साली तू भी न , क्या नाम ले लिया, बीच में। अरे मैंने इत्ते देखे हैं, ... एक से एक , फिर कुछ रुक के गर्व से बोलीं,... लेकिन मेरे बेटे जैसा कोई नहीं है,... न लम्बाई, न मोटाई,... आस पास भी नहीं,... "
" तो तो ले क्यों नहीं लेती अंदर छिनार, मेरे भैया का,... बुर तो छनछना रही होगी, और सामने स्साली नौटंकी , तुझे न चुदवाया तेरे बेटे से तो तेरी बेटी नहीं "
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उफ़्फ क्या कामुक संवाद लिखा है
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