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Arey lita ke aur jhuka ke to naa jaane kitni baar liya hoga aur letenge honge baki sab bhale hi 2 baar hi kiya ho try८४ आसन .. अगर कम से कम दो बार try किए जाएं तो १६८ सेशन...
3 महीने में नब्बे दिन... मतलब डेली २ बार तो कम से कम घोंटती हीं थी....
बहुत स्टेमिना है...
komaalrani ji आपने पाठको निराश नहीं करती कुछ ना कुछ रास्ता निकल ही देती हैंएक कहानी में शायद सब इच्छाएं पूरी नहीं होती....
अब ये सवाल तो मेरा भी है , komaalrani ji ही बता पायेंगी इसका सही जवाबमतलब बुआ भी दहेज़ में....
बहन के आगे पत्नी की बहन फीकी पड़ जाती है,
कम से कम इस फोरम में इन्सेस्ट कहानियों की पॉपुलरिटी तो यही बताती है
बाहर खड़ी सहेलियों के सुर में भी पानी आ गया होगा।पिछवाड़े पर हमला
" अरे तुम लोग भी तो उसी की उमर की हो समझदार हो, अरे भाई उसका, है तगड़ा,... गितवा कुछ उसको चिढायी होगी, ललचायी होगी,... वो हलके मारा होगा तो जोर से लगा होगा और उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती है वो,... बस निकल रही है वो, भाई बहन के बीच मैं नहीं नहीं बोलती, मैं इस लिए बाहर आ गयी,... उसे बोल दिया था जल्दी करे,... "
तब तक गीता की चीख दुबारा सुनाई पड़ी,... ( और ये मंत्र अपने बेटे के कान में दो देके आयी थीं की आज रोज से भी कस के, और हर धक्के पे चीख निकले तो आगे से लाज शरम भूल के जहाँ कहेगा वहां, जिसके सामने चाहेगा उसके सामने, पिछवाड़ा देने को तैयार रहेगी। )
बेटे ने वो फार्मूला इस्तेमाल किया जिसे थोड़ा बहुत तो चाची ने सिखाया था, लेकिन उसकी बारीकियां सिखायीं और अपने ऊपर ट्राई करा के परफेक्ट कराया उसकी माँ ने, ...
और वो तरीका ऐसा था जो आज के पहले वो सिर्फ भोसंडी वालियों पर ट्राई करता था, पांच छह बच्चे निकाल चुकी उन भोंसड़ी वालियों के भोंसडे पर जिन्हे तीन चार ऊँगली एक साथ घोंटने पे पता नहीं चलता था। और जब इस ट्रिक से वो उन की भी चीखें निकलवा देता था, उन्हें उन की गौने की रात याद दिला देता था, जब वो रोती चीखती रहतीं थी और मरद चढ़ा रहता था , फाड़ता रहता था , खून खच्चर से चादर लाल हो जाती थी। उस दिन से भी ज्यादा मजा और दर्द होता था,...
लेकिन कल की बछेड़ी और वो भी उसके पिछवाड़े, जिसका फीता ही चार पांच दिन पहले कटा हो, दिन दहाड़े, चीख चीख के उसकी बहिनिया की बुरी हाल थी, लेकिन बछिया लाख उछले कूदे, सांड़ एक बार चढ़ गया तो बिना गाभिन किये नीचे नहीं उतरता, वही हालत उसकी थी।
ट्रिक बहुत सिम्पल थी,
गाँड़ मारने के लिए कुतिया बना के उसने अपनी बहिनिया को निहुरा रखा था, फिर उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी टाँगे डालके कैंची की फाल की तरह पूरी ताकत से फैला दिया, टांगों और जाँघों के साथ साथ बहिन की गाँड़ भी अच्छी तरह फैली थी, फिर सांड़ की ताकत से मारा धक्का, जबरदस्त ताकत थी उसकी कमर में ,
जो लड़की औरत एक बार उसके नीचे लेटती थी, दुबारा खुद उसके आगे पीछे मरवाने के लिए टहलती।
लेकिन उसकी बहिन की कसी खूब टाइट गांड में इत्ता फ़ैलाने के बाद भी, ( रसोई में कुछ और चिकनाई तो थी नहीं हाँ उसने भैंस का ताजा मक्खन अच्छी तरह अपने मूसल पे चुपड़ लिया , एक बार खाली घुसने की देर थी, दो चार धक्के के बाद, तो बहिनिया के गाँड़ का मक्खन लंड को वैसे ही चिकना कर देता).
और अब छह सात मिनट मरवाने के बाद उसके नीचे दबी कुचली छुटकी बहिनिया को भी गाँड़ में घुसे मोटे लंड का मज़ा मिलने लगा था, चीखें उतनी ही जोर जोर की सिसकियों में बदल गयी थीं , वो भी जैसा माँ ने सिखाया समझाया था, कभी अपनी गांड को सिकोड़ के लंड निचोड़ लेती तो कभी भैया के धक्के के जवाब में चूतड़ पीछे कर कर के धक्के मारती। वो भूल गयी थी, उसकी सहेलियां बाहर खड़ी हैं स्कूल का टाइम हो रहा है और वो सब देख भले न पाएं लेकिन कान पार कर के एक एक चीख सिसकी सुन रही थीं और इंटरवल तक पूरे स्कूल में ये बात फ़ैल जायेगी। और वो सब तो बाहर निकलते ही उसे चिढ़ाना शुरू कर देंगी।
उधर भैया ने वो माँ की सिखाई ट्रिक,...
न उसने धक्के धीमे किये , न बहन की चूँचियो को रगड़ना नोचना खसोटना, ... हाँ धीमे से बहन की दोनों टांगों को जबरदस्ती फैलाये अपनी टांगों को बाहर निकाल लिया, खूंटा वैसे भी उसका जड़ तक घुसा था, एकदम चिपका।
और फिर उतने ही धीरे धीरे अपनी दोनों टांगों से बहन की फैली टांगों को कसना शुरू कर दिया जैसे कोई कुशल घुड़सवार घोड़ी के ऊपर चढ़ के अपनी जाँघों से उसे दबोच लेता है और फिर घोड़ी लाख उछल कूद करे, उसकी पकड़ ढीली नहीं होती, जैसे खुली कैंची की फाल बंद हो जाए, बस उसी तरह उसकी टाँगे सिकुड़ती गयीं, उन में दबी फंसी उसकी बहन की टांगें सिकुड़ती गयी जब तक वो इतनी टाइट न हो गयी जितनी हफ्ते भर पहले अपने भैया से चुदने के पहले, उसकी बहन की कोरी अनचुदी चूत टाइट थी, सबसे छोटी वाली ऊँगली भी नहीं घुस सकती थी.
और उन सब के साथ बहन की पिछवाड़े की सुरंग भी, एकदम कसी, जब माँ ने उससे जबरदस्ती अपनी बहिनिया की गाँड़ फड़वायी थी, एकदम उसी तरह की . उस एकदम टाइट हुयी गांड से जब उसने धीरे धीरे सरका सरका के लंड उसने गाँड़ से बाहर खींचा तो बहिनिया की परपरायी, छरछरायी, लेकिन माँ ने सिखा सिखा कर,
अब उसे गाँड़ मरवाने में भी उतना ही मजा मिलता था जितना चूत चुदवाने में, ....
और एक बार फिर से भैया ने बहिनिया को दोनों टांगों से कस के कस दिया, मोटा मूसल बाहर निकलने से जो जगह खाली हुयी थी, वो भी टाइट हो गयी ( सिर्फ मोटा सुपाड़ा उसने धंसा के रखा था ) , और अब उसने हचाक से पेला, जिस ताकत से वो एक धक्के में गाँव की कुंवारियों की झिल्ली फाड़ता था, उससे भी तेज जोर लगा के,
और गीता चीखी, जोर से चीखी, जितनी उसकी फटी थी उस समय जितना दर्द हुआ था वो कुछ नहीं था इसके आगे,... एकदम टाइट कसी दबी फंसी इसकी गाँड़ में छीलता फाड़ता मूसल घुस रहा था, लगा रहा था चमड़ी छिल रही है है, उचड़ रही है, पर भैया रुका नहीं,....
उईईई उईईईईई चीख सीधे स्कूल तक पहुँच रही थी, मास्टराइन से लेकर चपरासिंन तक सुन रही होंगीं, तो बीस फीट दूर पे खड़ी उसकी तीनों सहेलियां तो कान फाड़े सुन रही थीं , उसकी चीख सुन के सब ऐसी खुश की मुस्कराहट कान तक पहुँच रही थी , अब तो किसी से पूछने की भी जरूरत नहीं थी, अंदर उनकी सहेली के साथ क्या हो रहा था, पहले जो चुदने के नाम पर भड़कती थी, आज जम के चोदी जा रही थी, आने दो स्साली को बाहर,...
और माँ भी मुस्करा रही थीं,... जैसे उन्हें भी मालूम हो अंदर बिटिया के साथ का हो रहा है,
पर एक लड़की से नहीं रहा गया वही जो चार पांच यारों को रोज निपटाती थी, माँ को सुनाती दूसरी सहेली से बोली,
"ई गितवा इतने जोर से काहें चीख रही है,... "
लेकिन माँ ने जवाब दिया खूब मुस्कराते हुए , " अरे समझती ना का हो तुम लोग, लड़की ऐसे कब चोकरती हैं,... अरे छिनरपना है, थोड़ा सा पिरायेगा , सात गाँव गोहार,... "
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना चाहती था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
भाग ४४
रिश्तों में हसीन बदलाव
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उर्फ़ मेरे पास माँ है
अब माँ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और बोलीं इस लिए मैं कह रही थी की ननदों के लिए सबसे बड़ा खतरा भौजियां होती हैं ,..देवर , जीजू नन्दोई क्या करेंगे अगवाड़े पिछवाड़े का मजा ले के ,... और मैं तुझसे अभी से बोल रही हूँ अबकी इस होली में तेरी,... तेरी भौजाइयां तो मेरी गाँव वालियों से १०० गुना ज्यादा कमीनी हैं क्या करेंगी पता नहीं।
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और जोड़ा, 'और खाली मेरे जीजू थोड़े ही थे मेरी सहेलियों के भी, जिनकी शादी हो गए थे उनके भी मर्द, तेरी नानी ने सब को बोल रखा था फिर भौजाइयां भी तो थीं आग लगाने वाली रात को खड़े होने की हालत नहीं थी , याद भी नहीं आ रहा था कितने मर्दों ने ,..आधी बाल्टी से कम बीर्य नहीं घोंटा होगा मेरे तीनों छेदो ने। '
गीता छुटकी को माँ की मायके की होली का किस्सा बता रही थी
लेकिन छुटकी तो कुछ और जानना चाहती थी, वो गीता के पीछे पड़ गयी,
" गीता दीदी, आप असली बात गोल कर रही हैं ये बताइए, भैया का माँ ने कब कैसे घोंटा,... और ये मत कहियेगा की भैया माँ के ऊपर नहीं चढ़ा। सीधे उसी बात पे आइये। "
गीता बड़ी जोर से हंसी और छुटकी को गोद में दबोचती चूम के बोली,
"तू सच में मेरी असली छोटी बहन है कभी मेर्ले में बिछुड़ गयी होगी। अरे भैया कैसे छोड़ता माँ को और फिर मैं छोड़ने देती उसे,... लेकिन माँ ने बहुत नखड़ा किया, पर हम भाई बहन के , अरे अगर बेटे बेटी मिल जाएँ तो माँ कभी भी नहीं जीत सकती। थोड़ा छल कपट, थोड़ी जबरदस्ती , पहले तो बस थोड़ा सा , लेकिन दो तीन दिन में वो एकदम हम भाई बहन के रंग में रंग गयी , एकदम मिल के मजे लेने लगी,... "
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गीता थोड़ी देर सुस्ताई फिर बोली,
" उसी रात, हम भाई बहन ने पहले गंठजोड़ कर लिया था, आज कुछ भी हो भैया का मूसल माँ की बिल में जाना ही है। "
लेकिन छुटकी उकता रही थी, गीता से सीधे मुद्दे पे जाने के लिए जिद्द कर रही थी,
" दीदी, बोल न भैया बने मादरचोद की नहीं,... "
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गीता खिलखिलाने लगी, हंस के बोली,
" स्साली, तेरा गांडू भैया मादरचोद नहीं पैदायशी मादरचोद है,वो स्साला पैदा ही अपनी माँ को चोदने के लिए हुआ था, और फिर लंड भी उसका इतना कड़क है एक बार गलती से भी, रस्ता भूलके भी किसी की बुर में घुस जाए न, तो वो स्साली कित्ती भी छिनारपने के लिए मशहूर हो, अपनी टांग नहीं सिकोड़ सकती। बस एक बार माँ के भोंसडे में लंड घुस जायेगा न तो माँ खुद ही भैया का लंड मांगेगी। और मेरी ये सोच काम कर गयी। "
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छुटकी खूब खुश, हंस के बोली,
" वह दीदी, तो भैया और माँ के रिश्तों में,.. क्या कहते हैं , वो,... हाँ 'रिश्तों में हसीन बदलाव' आ गया।
गीता ने प्यार से छुटकी को गले लगा लिया बोली, तू तो कच्ची उमर में ही सब सीख गयी. एक दम सही बोल रही है,... रिश्तो में हसीन बदलाव, ..एकदम यही हुआ. ये सोच न माँ बेटे से हसींन रिश्ता क्या होगा है न। लेकिन बेटे की नूनी कौन सबसे पहले पकड़ती है ?
छुटकी समझदार थी , झट से बोली,
' और कौन माँ पकड़ के सू सू कराने के लिए, चमड़ी खोल के तेल लगाने के लिए जसी आगे चल के मस्त सुपाड़ा बने , कुंवारियों की चूत फाड़ने के लिए, मस्त मस्त गाँड़ मारने के लिए,... "
"और मुंह कौन लगाता है सबसे पहले " छुटकी का इम्तहान जारी था , उसकी मुंहबोली बहन अपनी छोटी बहन का टेस्ट ले रही थी
" माँ,और कौन। " छुटकी ने न सिर्फ झट से जवाब दिया बल्कि आगे एक्सपेलनेशन भी दे दिया
" अरे चमड़ी सुपाड़े की चिपक न जाए इसलिए फूंक के खोलती है , मुंह भी, और खोल के तेल भी "
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" तो सोच न माँ जब पकड़ती होगी तो ये न सोचती होगी की जब ये बड़ा और मोटा होगा तो एक बार मैं भी,... आखिर घर की खेती है... तो बस, और असली हसींन रिश्ता है लंड और बुर का, मजा दोनों को उसी में आता है , लंड बना है चोदने के लिए,...
" एकदम दी ,... "
अब छुटकी और गीता में परफेक्ट बहनापा हो गया था। और गीता की बात को उसने आगे बढ़ाया,
"लंड बना है चोदने के लिए बेवकूफ समझते हैं मूतने के लिए। और बुर बनी है चुदवाने के लिए और कमीनी लड़कियां टाँगे सिकोड़ के रखती हैं। "
" एकदम छुटकी,... तो सबसे हसीन रिश्ता तो वही हुआ जिसमें मजे आएं तो माँ और के बेटे, मेरे भैया के रिश्तों में भी हसीन बदलाव आ गया। बन गया वो पक्का मादरचोद ,... "
तो रिश्तों में ये हसीन बदलाव कैसे हुआ, गीता ने हाल खुलासा सुनाया।
फिर गीता ने रात का किस्सा सुनाया, उसने और उसके भाई ने मिल के, ... भाई ने क्या पिलानिंग सब गीता की ही थी,
गीता ने भैया को सिखा दिया था और भैया ने वही बातें माँ से कहा, ... और कबड्डी शुरू होते ही माँ ने कहा,
" गीता सुन, बड़ी चुदवासी है न तू छिनार, तेरी बुर में आग लगी है तो तुझे मेरे बेटे के खूंटे पे चढ़ना होगा , "
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" नहीं माँ , " गीता ने नखड़ा किया "रोज तो चोदता है, एक दिन खेत में काम करने गया तो क्या घुटने टूट गए, ... मुझसे नहीं होगा। आप भी न बचपन से इसी का साथ देती हैं "
माँ ने फुसफुसा के गीता को सारी ट्रिक समझायी,...
" अरे स्साली कुछ नहीं करना है , टाँगे फैला के जैसे झूले पे चढ़ते हैं, बस उसी तरह, चढ़ जा, और अपनी बुरिया में दोनों ऊँगली से पहले फैला दे , फिर सटा दे, .. एक बार ज़रा सा फंस जाए,... फिर मैं हूँ न , मैं तेरे कंधे पकड़ के दबा दूंगी,सट्ट से चला जाएगा, अरे बहुत मज़ा आएगा,... "
लेकिन गीता ने जिद्द पकड़ ली नहीं उससे नहीं होगा,... सटक के कही इधर उधर हो गया तो कैसे फैलाएगी , कैसे सटायेगी , .. बहुत जिद्द करने पे बोली,
" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "
लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,
गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '
वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,...
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और
माँ चढ़ी,
और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,
अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,
गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और
भाग ४४
रिश्तों में हसीन बदलाव
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उर्फ़ मेरे पास माँ है
अब माँ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और बोलीं इस लिए मैं कह रही थी की ननदों के लिए सबसे बड़ा खतरा भौजियां होती हैं ,..देवर , जीजू नन्दोई क्या करेंगे अगवाड़े पिछवाड़े का मजा ले के ,... और मैं तुझसे अभी से बोल रही हूँ अबकी इस होली में तेरी,... तेरी भौजाइयां तो मेरी गाँव वालियों से १०० गुना ज्यादा कमीनी हैं क्या करेंगी पता नहीं।
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और जोड़ा, 'और खाली मेरे जीजू थोड़े ही थे मेरी सहेलियों के भी, जिनकी शादी हो गए थे उनके भी मर्द, तेरी नानी ने सब को बोल रखा था फिर भौजाइयां भी तो थीं आग लगाने वाली रात को खड़े होने की हालत नहीं थी , याद भी नहीं आ रहा था कितने मर्दों ने ,..आधी बाल्टी से कम बीर्य नहीं घोंटा होगा मेरे तीनों छेदो ने। '
गीता छुटकी को माँ की मायके की होली का किस्सा बता रही थी
लेकिन छुटकी तो कुछ और जानना चाहती थी, वो गीता के पीछे पड़ गयी,
" गीता दीदी, आप असली बात गोल कर रही हैं ये बताइए, भैया का माँ ने कब कैसे घोंटा,... और ये मत कहियेगा की भैया माँ के ऊपर नहीं चढ़ा। सीधे उसी बात पे आइये। "
गीता बड़ी जोर से हंसी और छुटकी को गोद में दबोचती चूम के बोली,
"तू सच में मेरी असली छोटी बहन है कभी मेर्ले में बिछुड़ गयी होगी। अरे भैया कैसे छोड़ता माँ को और फिर मैं छोड़ने देती उसे,... लेकिन माँ ने बहुत नखड़ा किया, पर हम भाई बहन के , अरे अगर बेटे बेटी मिल जाएँ तो माँ कभी भी नहीं जीत सकती। थोड़ा छल कपट, थोड़ी जबरदस्ती , पहले तो बस थोड़ा सा , लेकिन दो तीन दिन में वो एकदम हम भाई बहन के रंग में रंग गयी , एकदम मिल के मजे लेने लगी,... "
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गीता थोड़ी देर सुस्ताई फिर बोली,
" उसी रात, हम भाई बहन ने पहले गंठजोड़ कर लिया था, आज कुछ भी हो भैया का मूसल माँ की बिल में जाना ही है। "
लेकिन छुटकी उकता रही थी, गीता से सीधे मुद्दे पे जाने के लिए जिद्द कर रही थी,
" दीदी, बोल न भैया बने मादरचोद की नहीं,... "
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गीता खिलखिलाने लगी, हंस के बोली,
" स्साली, तेरा गांडू भैया मादरचोद नहीं पैदायशी मादरचोद है,वो स्साला पैदा ही अपनी माँ को चोदने के लिए हुआ था, और फिर लंड भी उसका इतना कड़क है एक बार गलती से भी, रस्ता भूलके भी किसी की बुर में घुस जाए न, तो वो स्साली कित्ती भी छिनारपने के लिए मशहूर हो, अपनी टांग नहीं सिकोड़ सकती। बस एक बार माँ के भोंसडे में लंड घुस जायेगा न तो माँ खुद ही भैया का लंड मांगेगी। और मेरी ये सोच काम कर गयी। "
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छुटकी खूब खुश, हंस के बोली,
" वह दीदी, तो भैया और माँ के रिश्तों में,.. क्या कहते हैं , वो,... हाँ 'रिश्तों में हसीन बदलाव' आ गया।
गीता ने प्यार से छुटकी को गले लगा लिया बोली, तू तो कच्ची उमर में ही सब सीख गयी. एक दम सही बोल रही है,... रिश्तो में हसीन बदलाव, ..एकदम यही हुआ. ये सोच न माँ बेटे से हसींन रिश्ता क्या होगा है न। लेकिन बेटे की नूनी कौन सबसे पहले पकड़ती है ?
छुटकी समझदार थी , झट से बोली,
' और कौन माँ पकड़ के सू सू कराने के लिए, चमड़ी खोल के तेल लगाने के लिए जसी आगे चल के मस्त सुपाड़ा बने , कुंवारियों की चूत फाड़ने के लिए, मस्त मस्त गाँड़ मारने के लिए,... "
"और मुंह कौन लगाता है सबसे पहले " छुटकी का इम्तहान जारी था , उसकी मुंहबोली बहन अपनी छोटी बहन का टेस्ट ले रही थी
" माँ,और कौन। " छुटकी ने न सिर्फ झट से जवाब दिया बल्कि आगे एक्सपेलनेशन भी दे दिया
" अरे चमड़ी सुपाड़े की चिपक न जाए इसलिए फूंक के खोलती है , मुंह भी, और खोल के तेल भी "
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" तो सोच न माँ जब पकड़ती होगी तो ये न सोचती होगी की जब ये बड़ा और मोटा होगा तो एक बार मैं भी,... आखिर घर की खेती है... तो बस, और असली हसींन रिश्ता है लंड और बुर का, मजा दोनों को उसी में आता है , लंड बना है चोदने के लिए,...
" एकदम दी ,... "
अब छुटकी और गीता में परफेक्ट बहनापा हो गया था। और गीता की बात को उसने आगे बढ़ाया,
"लंड बना है चोदने के लिए बेवकूफ समझते हैं मूतने के लिए। और बुर बनी है चुदवाने के लिए और कमीनी लड़कियां टाँगे सिकोड़ के रखती हैं। "
" एकदम छुटकी,... तो सबसे हसीन रिश्ता तो वही हुआ जिसमें मजे आएं तो माँ और के बेटे, मेरे भैया के रिश्तों में भी हसीन बदलाव आ गया। बन गया वो पक्का मादरचोद ,... "
तो रिश्तों में ये हसीन बदलाव कैसे हुआ, गीता ने हाल खुलासा सुनाया।
फिर गीता ने रात का किस्सा सुनाया, उसने और उसके भाई ने मिल के, ... भाई ने क्या पिलानिंग सब गीता की ही थी,
गीता ने भैया को सिखा दिया था और भैया ने वही बातें माँ से कहा, ... और कबड्डी शुरू होते ही माँ ने कहा,
" गीता सुन, बड़ी चुदवासी है न तू छिनार, तेरी बुर में आग लगी है तो तुझे मेरे बेटे के खूंटे पे चढ़ना होगा , "
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" नहीं माँ , " गीता ने नखड़ा किया "रोज तो चोदता है, एक दिन खेत में काम करने गया तो क्या घुटने टूट गए, ... मुझसे नहीं होगा। आप भी न बचपन से इसी का साथ देती हैं "
माँ ने फुसफुसा के गीता को सारी ट्रिक समझायी,...
" अरे स्साली कुछ नहीं करना है , टाँगे फैला के जैसे झूले पे चढ़ते हैं, बस उसी तरह, चढ़ जा, और अपनी बुरिया में दोनों ऊँगली से पहले फैला दे , फिर सटा दे, .. एक बार ज़रा सा फंस जाए,... फिर मैं हूँ न , मैं तेरे कंधे पकड़ के दबा दूंगी,सट्ट से चला जाएगा, अरे बहुत मज़ा आएगा,... "
लेकिन गीता ने जिद्द पकड़ ली नहीं उससे नहीं होगा,... सटक के कही इधर उधर हो गया तो कैसे फैलाएगी , कैसे सटायेगी , .. बहुत जिद्द करने पे बोली,
" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "
लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,
गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '
वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,...
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और
माँ चढ़ी,
और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,
अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,
गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और