जो न छोटे हैं न बड़े ... बड़ी मुश्किल में वो पड़े...Komalji ko manjli par bhi ek alag se kahani likhni hogi. Banaras ka bhi intjar besabri se ho raha he
हाँ.. एक इसका भी सीक्वेल तो बनता है....
जो न छोटे हैं न बड़े ... बड़ी मुश्किल में वो पड़े...Komalji ko manjli par bhi ek alag se kahani likhni hogi. Banaras ka bhi intjar besabri se ho raha he
एक बार तो लड़कियों के झुंड का शिकार हो गया..एकदम एक तो जानने की ज्ञान बढ़ाने की उत्सुकता और दूसरी,
उन सबकी कब की फट चुकी थी और कई तो दर्जन भर घोंट चुकी थी तो जैसे पहले फिल्म देखने के बाद फिल्म की कहानी सुनानी पड़ती थी तो बस इसी तरह और साथ में, ' जानती है मेरे जीजू का/भैया का / ग्वाले का / इत्ता बड़ा था स्साला देख के फट गयी मेरी " ( वो तो बाद में मैं समझी बिना दो इंच का पानी मिलाये कोई लड़की किस्सा नहीं सुनाती थी, ) अपनी कैपिसिटी और जीजू की तारीफ़ सबसे बड़के सुनने वालियों की बिल में मोटे मोटे चींटे "
तो जवाब मिलेगा अगली पोस्ट में स्कूल का किस्सा जारी रहेगा।
बिल्कुल.. इंतजार रहेगा...एकदम एक लम्बा एपिसोड भी आएगा माँ बेटी बेटे तीनो का,..अभी तो बस हिचक झिझक ख़तम हुयी है लेकिन पहले स्कूल की सहेलियों का हाल चाल अगली पोस्ट में
वरना पाप लगता है... और पाप कर्म से परहेज रखना चाहिए..उसके बिना तो दक्षिणा अधूरी है, छेद छेद में भेद नहीं करना चाहिए
हाँ.. शब्दों की धार जादुई है...आरुषि जी की कविताओं की तो मैं एकदम फैन हूँ और मैं उन्हें वार्न कर दिए की कभी भी उन्हें चुरा के अपनी कहानी में इस्तेमाल कर सकती हूँ, डेरा तो उन्होंने डाक्टर साहिबा की थ्रेड पे डाल रखा है लेकिन कब्जा बहुतों के दिल पे कर रखा है तो जल्द ही कॉपी पेस्ट का कमाल नजर आएगा,
डाक्टर साहिबा की तो कहानी की टाइटिल ही मैं इस्तेमाल कर लेती हूँ , फैन होने के यही तो फायदे हैं।
आठ को होली है.. तो इधर भी कोई होली पर रंगीन अपडेट...Isliye jaldi se sb kaam kaaj chhod ke aap solahvan saavan poora Padh daalie fir Holi ke pahle Holi vaali stories ka number
both of you inspire each other...Ha aaj rat se aage badhne vali hu. Kyo ki kuchh achha padhungi nahi to me apna likh nahi paungi
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अपने बच्चों के आगे.. माँ को झुकना हीं पड़ता है...Bhai bahen ki Jodi ne akhir maa ko mana hi liya . Aisa nahi hai ki maa samajahti nahi hai. Magar Dona bhai bahen ke pyar ko dekh kar bholi ban rahi hai
यहाँ तो प्रैक्टिकल के साथ रनिंग कमेंट्री...शिक्षक अगर theories के साथ prectical भी कर के सिखाए तो छात्रों को सीखने में आसानी होती है । और मां तो सबसे पहली शिक्षक होती है