कहीं सहेलियों को हीं लोड न कर दे...मां को पता है बहन तो कुछ दिन की मेहमान है ।सहेलियों को पता चलेगा तो क्या होगा भाई का लोड बढ़ जाएगा
कहीं सहेलियों को हीं लोड न कर दे...मां को पता है बहन तो कुछ दिन की मेहमान है ।सहेलियों को पता चलेगा तो क्या होगा भाई का लोड बढ़ जाएगा
प्रथम गुरु तो माँ हीं होती है....बिना गुरु के ज्ञान सही से नही मिलपाता । और मां से बड़ा गुरु कौन हो सकता है
पुरानी अनुभवी खिलाड़ी हैं...मां ने गीता के सहेलियों के साथ छेड़ छाड़ की शुरुआत कर दी है । गीता जितना छुपाना चाहती थी मां उतना ही खोलना चाहती हैं ।
एक बार का खतरा.. फिर मजे हीं मजे...“”
" जब तीन तीन चढ़ेंगे न एक साथ तेरे ऊपर तो पता चलेगा, अभी तो मेरा बेटा अकेले तेरी गाँड़ फाड़ देता है। और एक बार नहीं तीन बार, और मेरी कमीनी मौसेरी बहनें हर बार , मेरे बिल साफ़ कर देती ही जिससे उनके मर्दों का सूखी, बुर, गाँड़ में दरेरता रगड़ता घुसे। ढाई तीन घण्टे तक लगातार मूसल चले तीन तीन। "
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गीतवा की माँ उसको आगे आने वाले ख़तरे और मज़े के लिए तैयार कर रही है
फागुन का महीना और होली की छेड़-छाड़कामुक होली का खेल
भाई के हक के लिए गितवा तो सबसे लड़ जाएगी....“”
" माँ तू भी न, तू तो मेरी मौसियों से भी दस हाथ आगे है,... उनसे भी बढ़ के छिनार,... एकदम छटी छिनार,... अरे एक बात कह रही हूँ , मेरे भैया से एक बार चुदवा लो, अपने भइया से महीनों चुदवाया ,शादी के बाद भी पहले भी, मेर किसी मौसा को नहीं छोड़ा , फूफा , चाचा,... लेकिन मेरे भाई की बात आते ही तेरी गाँड़ फट जाती है, छिनरपना करने लगती है,... अरे एक बार बेटी बेटे की बात मान कर के ,... कौन कह रही हूँ रोज रोज,... बस एक बार मेरी बात रख ले ,
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गीतवा आपने भैया को उसका हक़ दिला के ही दम लेगी
अपने पुराने दिनों को याद कर रही होंगी...“”
" अच्छा चल स्साली छिनार, तू उस बहनचोद को मादरचोद बनाने पे तुली है तो,... "
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उफ़्फ़ गीतवा की माँ भी तैयार है अपने बेटे को परम कामुक सुख देने को
ये आग आंतरिक आग होती है...“”
" वो, वही जो मेरी तीसरी होली में, ससुराल की होली में,... उन्होंने कबुलवाया था,... की तेरी बुआ जब शादी के बाद पहली होली में अपने मायके आएँगी न तो बस उनके सामने ही एकदम खुल्ल्म खुला, इसी आंगन में उनके मरद के साथ,... और मैंने हंस के मान लिया, अरे नन्दोई का तो सलहज पे हक होता है वो भी होली में तो,... तो ये था दूसरा नेग लेकिन तू न असली बात से , तेरी मौसी लोगो वाली बात "
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होली के पानी पानी वाले माहोल में आग लगा देती है कोमल जी
गितवा की नानी ने अपनी बेटी को मजे दिलवाए तो गितवा की माँ भी अपनी बेटी को मजे डलवा के... परंपरा को आगे बढ़ाएंगी...“”
" तू अपनी नानी को जानती नहीं, मुझे भी बाद में पता चला सब प्लानिंग तो उन्ही की थी. जब मेरी मायके में होली में आने की तारीख तय हुयी थी तभी से उन्होंने मेरी सब मौसेरी बहनों को, उनके मरदों को,... दो दो बार,... और गाँव की भौजाइयों को भी मन कर दिया था की वो लोग शाम को या होली के अगले दिन , तेरे भाई को एक साल का था,... तेरे मामा के साथ , एक दो दिन पहले सहर भेज दिया था , कोई टीका होता है साल भर होने पे लगता है वो लगवाने, और बोल दिया था होली के दो चार दिन बाद ही आने को,... तो होली के दिन घर में सिर्फ मैं और तेरी नानी ही थीं। “
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गीतवा की नानी भी अपने टाइम पे खिलाडिन होंगी , पहले अपने बचों को मज़ा लेने दिया अब होली का मज़ा अलग लेवल पे
फर्स्ट हैंड नॉलेज है तो गर्व तो होगा हीं...“”
" माँ क्या मेरे भैया से भी बड़ा, ... मोटा, ... "
माँ ने जोर से डांटा, गुस्से में बेटी का कान भी उमेठ दिया, फिर दुलार से बोलीं,
" स्साली तू भी न , क्या नाम ले लिया, बीच में। अरे मैंने इत्ते देखे हैं, ... एक से एक , फिर कुछ रुक के गर्व से बोलीं,... लेकिन मेरे बेटे जैसा कोई नहीं है,... न लम्बाई, न मोटाई,... आस पास भी नहीं,... "
" तो तो ले क्यों नहीं लेती अंदर छिनार, मेरे भैया का,... बुर तो छनछना रही होगी, और सामने स्साली नौटंकी , तुझे न चुदवाया तेरे बेटे से तो तेरी बेटी नहीं "
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उफ़्फ क्या कामुक संवाद लिखा है