बड़े.. बुजुर्गों का दिया गया ज्ञान कभी खाली नहीं जाता....घर के बड़े बुजुर्गों ने अपना काम किया, चाची, माँ
लेकिन लड़के ने भी उनकी बात का आदर किया, माना और आज उसको फायदा मिल रहा है अमराई में।
बड़े.. बुजुर्गों का दिया गया ज्ञान कभी खाली नहीं जाता....घर के बड़े बुजुर्गों ने अपना काम किया, चाची, माँ
लेकिन लड़के ने भी उनकी बात का आदर किया, माना और आज उसको फायदा मिल रहा है अमराई में।
गाली से लेकर चढ़वाने तक में...एकदम तभी तो ऐसी बिटिया जनी है जो भौजाई के गाँव में जा के उसकी बहनों को टक्कर दे रही है।
इस माँ के रूप हजार...Ekdam sahi kaha aappne
चक्रवृद्धि ब्याज...Ekdam sahi kaha aapne sood samet
ऊपर चारों पोस्ट के लिए यही एक कमेंट कर रहा हूँ...माँ
तो चाचा माँ को फोन किये थे की उनसे ठीक से सम्हल नहीं रहा है और एक बात और बताये की वो जो एजेंसी वाला सऊदी या पता नहीं कहाँ का है वो फोन किया था... जबसे अखबार में सब फोटो छपी है वहां भी बहुत हल्ला है,... की बाउजी ठीक हैं,... बकी अभी मैचवा सब होने वाला है टी दुनिया भर के अखबार टीवी वाले ,... तो तीन चार महीना और जो लोग यहाँ से गए थे उन सब लोगों को एक जगह रखा है , लेकिन ऐसी जगह की कोई मिल न पाए और वो बात भी नहीं करवा पायेगा, हाँ तीन महीना के बाद,.... और साथ में एजेंसी का जो बाउ जी का हिस्सा है वो किसी को वो चाहता है ,... "
गीता रुक गयी, फिर थोड़ा सा मुस्करा के बोली,... माँ भले गाँव की हैं लेकिन बड़ी समझदार वो समझ गयीं की चाचा क्या कहना चाहते हैं
वो खुद बोलीं,
" अरे वो एजेंसी जिस को देना चाहता है जिस भाव देना चाहता है दे दो अब ऐसा काम नहीं करना है , लेकिन एक बार बोल देना की आपको उनसे बात करवा दे,... जरूरत हो तो आप चले जाओ,... कह देना की सब कागज हमारी भौजी के पास है और वो कही हैं की बिना उनसे बात किये,... और मैं आ जाउंगी आठ दस दिन में , बंबई का काम देखने , आप चले जाओ,... में सब सम्हाल लूंगी, वहां का भी,... इतने दिनों से सब खेती बारी अकेले देख ही रही हूँ "
गीता अब धीरे धीरे नार्मल हो रही थी उसने छुटकी को ये भी बताया की पास के स्टेशन से, हफ्ते में तीन दिन,... गोदान जाती है सीधे, कल्याण रूकती भी है,... बस भैया ने उसी गाड़ी से माँ का टिकट करवा दिया,... हम लोग भी गए थे छोड़ने,... माँ बस बार बार मुझे भींच रही थी और बोलती भाई का ख्याल रखना,... "
और बंबई पहुंच के , माँ ने,
छुटकी भी अब बातचीत में हिस्सा ले रही थी,
" माँ की पिलानिंग " गीता बहुत देर के बाद खिलखिलाई,... ' एक एक चीज का हिसाब किताब,... रहती वो हम लोगो के साथ थी लेकिन वहां का भी सब हिसाब किताब, और बाउ जी भी सब चीज माँ के नाम पे ही, मकान दूकान,... तो माँ ग्वालिन भौजी से बतिया रही थीं,... की पहुँच के तुरंत तो नहीं लेकिन धीरे धीरे सब चीज समेटेंगी वो, ... माँ हम दोनों से और ग्वालिन भौजी से कउनो बात नहीं छिपाती थीं,...
एजेंसिया पे तो उसी खाड़ी वाले की नजर थी लेकिन माँ ने पक्का कर लिया था जब तक उनकी खुद बाऊ जी से बात नहीं हो जायेगी, तब तक,... पर उसको बंद ही करना था,... टैक्सी भी जो गाँव जवार के लड़के चला रहे थे उन्ही को बेच के,... लेकिन सब नगद,... धीरे धीरे सब काम समेटेंगी सिवाय मकान वाला काम छोड़ के,... और बाकी धंधा बेच के जो पैसा मिलेगा उस से एक दो फ़्लैट और कोई नयी सोसायटी बन रही है उसमें,... उनके मायके के कोई रेलवे में बम्बई में काम करते हैं, बोल रहे थे वहां एक नया स्टेशन आएगा, बस उसी के पास,... स्टेशन के बगल में ही ,.. हफते दस दिन में माँ ने सब चीज कट्रोल कर लिया बंबई पहुँच के, चाचा भी क़तर चले गए और यहाँ उनके खेत का सब काम धाम अब भैया ही देखता है, चाची को उस पे पूरा भरोसा है, और बटाई पे कुछ भी नहीं सब खुद,... "
और बाऊजी के आने का
गीता अब थोड़ा सहज हो गयी थी, बोली,
चाचा से बात हुयी थी उनकी लेकिन आमने सामने नहीं फोनवे पे,... और चाचा का भी पासपोर्ट वहां रखवाय लिया है , उनका फोन आया था माँ के पास,... इधर से नहीं कर सकते उधर से ही वो भी हफ्ते में एक दिन,... तो माँ ने हम दोनों को भी बताया लेकिन ये भी बोला की जबतक वो खुद बात नहीं कर लेती तो, ... और चाचा ने उन्हें बोला है की बाऊ जी वो फूटबाल वाला सब मैचवा ख़त्म हो गया तो जिसके यहाँ थे उसी ने ६ महीने के लिए सऊदी भेज दिया है और बाऊ जी बोल रहे थे की छह महीने बाद पक्का बम्बई चले जाएंगे।
तो छह महीने बाद बाऊ जी गाँव आएंगे,... छुटकी को तो हर बात का जवाब चाहिए था.
गीता ने लम्बी सांस ली फिर कुछ रुक के बोली,... पता नहीं,... माँ ने बोला था बिना बाऊ जी से मिले गाँव नहीं लौटेंगी और उ मुँहझौंसी एजेंसिया क काम तो एकदम बंद. माँ तो कटाई बुआई तीज त्यौहार आएँगी, हफ्ता दस दिन में आता है फोन उनका,... लेकिन बाऊ जी आएंगे नहीं आएंगे गाँव पता नहीं।
एक बार गीता फिर से चुप हो गयी थी।
माहौल अब थोड़ा नार्मल हो चला था , छुटकी एक बात पूछने की सोच रही थी, हिम्मत कर के उसने पूछ ही लिया,...
" दी, गुस्सा मत होइयेगा, मेरी समझ में एक बात नहीं आयी, ...आप लोगों के पास इतना खेत, बाग़ बगीचा सब है,... लेकिन तब भी बाऊ जी बंबई गए और अब माँ भी,... "
दिल के तारों को छूने वाला...Different type of update
but interesting one
& after a long time
आपने टाइम लिया... लेकिन उम्दा अपडेट भी दिया...Thanks so much for the first to post comment and it goes a long way
actually last update was posted on 1st May and this one is on 8th May so not a delayed update as i post one update per week in this thread, one or two in JKG and one in Rang-Prasang, making it 4-5 updates in a week. But it is the love which makes even a small delay look long and shows your grear affection thanks sooooooooo much.
व्याकुल करने वाला अपडेट.. अब तो अगले अपडेट की और बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी.. कि बाउ जी सही सलामत वापस लौट आए...Is update men aapko shaayd apne savaal ka javab thoda bahoot mil gaya hoga, Geeta ke pita ji ke baare men and please do read and comment, like it when you like the post.
यही एक अच्छे लेखक/लेखिका की निशानी है...गोदान , कल्याण स्टेशन , डोंबिवली , अंबरनाथ , बचपन में मेला ओए जुटे के घर.
और वो आख़िरी सवाल इतने खेती होने के बाद भी मुंबई क्यों ??
ये अपडेट काफ़ी पर्सनल लेवल पे है , काफ़ी बेहतरीन लिखा है आपने komaalrani जी
लगता है पूरा पेज कोट कर लिया है...
Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में
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- Thread starterkomaalrani
- Start dateMar 16, 2022
komaalrani
komaalrani
Well-Known Member
15,07730,413
छुटकी - होली दीदी की ससुराल में
यह कहानी सीक्वेल है, मेरी एक छोटी सी लेकिन खूब मज़ेदार और गरमागरम होली की कहानी, मज़ा पहली होली का ससुराल में, जी अभी उसकी लिंक भी दूंगी , उसके पहले पेज को रिपोस्ट भी करुँगी, लेकिन उसके पहले इस कहानी की हलकी सी रूपरेखा, जिस कहानी से जुडी है ये कहानी दो चार लाइनें उसके बारे में,
तो इस कहानी में, जुड़ाव बनाये रखने के लिए, पहली कहानी के दो चार प्रसंग, जिनसे छुटकी का और इस कहानी के जुड़े चरित्रों का जुड़ाव है वो पूर्वाभास के तौर पर दूंगी, जिससे छुटकी और उसके जीजा की होली, कैसे और क्यों आयी छुटकी अपनी दीदी के गाँव में , वो सब कुछ कुछ साफ़ हो जाए,
हालांकि मैं तो चाहूंगी की इस होली में आप मूल कहानी को भी एक बार पढ़ लें, अगर पढ़ी हो तो भी तो थोड़ी फगुनाहट, होली का सुरूर चढ़ जाएगा, लेकिन चलिए मैं दो चार बातें उस कहानी के बारे में भी बात देती हूँ, जिस का यह सीक्वेल है.
मज़ा पहली होली का ससुराल में, शादी के बाद की मेरी पहली होली की कहानी है , इनकी भी। मेरी ससुराल में ननदों , ननदोई, देवरों और सास के साथ कैसी पहली होली हुयी और इनकी अपनी ससुराल में सालियों, सलहज, और सास के साथ कैसी होली पड़ी दोनों ही. चलिए पहले पात्र परिचय करा दूँ, फिर आगे की बात , तो ससुराल में मेरे ये है और इनकी दो बहनें , एक शादी शुदा जो होली में नन्दोई जी के साथ अपने मायके आयी थीं, मेरी ही समौरिया, और दूसरी छोटी ननद , जो मेरी छोटी बहन, छुटकी जैसी ही. देवर कोई नहीं है, लेकिन होली में तो सारा गाँव नयी भौजाई के लिए देवर हो जाता है, और मेरी जेठानी और सास। मायके में मेरी माँ, और दो छोटी बहने, मंझली जो बोर्ड का इम्तहान दे रही थी और छुटकी, उससे छोटी।
तो पहले दिन की होली मैंने अपनी ससुराल में मनाई और उसी शाम को ट्रेन से हम लोग इनकी ससुराल को चल दिए, और अगली सुबह वहां मेरी दोनों छोटी बहने इनसे होली खेलने के लिया एकदम बौराई थीं, और मेरी सगी तो नहीं लेकिन सगी से बढ़कर, भाभी, इनकी सलहज भी अपने नन्दोई का साथ दे रही थी। तो ससुराल में पहले दिन ही इन्होने अपनी मंझली साली का नेवान कर दिया, रात में सास के साथ सफ़ेद पिचकारी वाली होली खेली, और अगले दिन छुटकी की दो सहेलियां आयी थीं, उन दोनों के साथ, ... छुटकी बहुत घबड़ा रही थी, लेकिन उसकी भाभी,... अपने नन्दोई के साथ मिलकर तो होली में किस साली की बचती है, अगर ननदोई सलहज एक साथ हो जाएँ तो उसकी भी नहीं बची.
ये चाह रहे थे की छुटकी हम लोगों के साथ चले, और इनके साथ मेरे नन्दोई भी, मैंने छुप के दोनों का पूरा प्रोग्राम सुना था. पर इनकी सास तो अपने दामाद से भी दो हाथ आगे थीं , वो खुद,... तो दो दिन एक रात जो ससुराल में इन्होने बितायी होली की मस्ती के साथ, और अगली रात को जो हम इनके गाँव लौटे तो साथ में इनकी छोटी साली भी,
बस तो ये कहानी उसी ट्रेन यात्रा से शुरू होती है,...
तो आशा रहेगी, मुझे आपके साथ की, प्यार की दुलार की और आपके कमेंट्स की , जो हर कथा यात्रा के लिए पाथेय की तरह है,....
तो बस शुरू करती हूँ और सबसे पहले जिस कहानी का यह सीक्वेल है उसका पहला पन्ना , एक झलक के तौर पर,
Erotica - मजा पहली होली का ससुराल में
मजा पहली होली का, ससुराल में मुझे त्योहारों में बहुत मज़ा आता है, खास तौर से होली में. पर कुछ चीजें त्योहारों में गड़बड़ है. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़ के छोटी बहनें कह रही थीं कि मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊँ. वैसे मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा जी...
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पूर्वाभास - पृष्ठ १ और २
भाग १ -पृष्ठ ५ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में
भाग २ पृष्ठ ८ छुटकी -बंधे हाथ, ट्रेन में
भाग ३ पृष्ठ १३ चाय चाय
भाग ४, पृष्ठ १९ छुटकी का पिछवाड़ा और नन्दोई जी का इरादा
भाग ५ - पृष्ठ २२ गोलकुंडा पर चढ़ाई- चलती ट्रेन में
भाग ६ --पृष्ठ २९ -३० रात भर ट्रेन में, सटासट,...
भाग ७ पृष्ठ ३५ रेल में धक्क्म पेल
भाग ८ पृष्ठ ४० छुटकी पहुंच गयी जीजा के गाँव
भाग ९ -पृष्ठ ४६ मेरी सास
भाग १० --पृष्ठ ५० ननद, नन्दोई और छुटकी का पिछवाड़ा
भाग ११ - पृष्ठ ५३ सासू , ननदिया ( नैना ) का महाजाल
भाग १२ - पृष्ठ ५८ दो बहेलिये ( सासू और नैना ननदिया)
भाग १३ -पृष्ठ ६२ पूरा गाँव,... जीजा
भाग १४ पृष्ठ ६६ देवर मेरे
भाग १५ पृष्ठ ७२ चंदू देवर
भाग १६ -पृष्ठ ७७ फागुन का पहला दिन- देवर भौजाई
भाग १७ -पृष्ठ ८१ छुटकी - प्यार दुलार और,...
भाग १८ - पृष्ठ ८७ चुन्नू की पढ़ाई
भाग १९ - पृष्ठ ९१ ननदों भौजाइयों की रंगभरी कबड्डी
भाग २० -पृष्ठ ९३ छुटकी की हालचाल
भाग २१ - पृष्ठ ९९ छुटकी पर चढ़ाई -
भाग २२ पृष्ठ १०३ रात बाकी
भाग २३ पृष्ठ १०९ नई सुबह
भाग २४ पृष्ठ ११३ देवर भाभी की होली
भाग २५ पृष्ठ १२१ छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की
भाग २६ पृष्ठ १२७ पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की
भाग २७ पृष्ठ १३२ और छुटकी की होली
भाग २८ पृष्ठ १३६ - किस्सा इन्सेस्ट यानी भैया के बहिनिया पर चढ़ने का- उर्फ़ गीता और उसके भैया अरविन्द का
भाग २९ पृष्ठ - १४५ इन्सेस्ट का किस्सा -तड़पाओगे, तड़पा लो,... हम तड़प तड़प के भी
भाग ३० पृष्ठ १५२ किस्सा इन्सेस्ट का, भैया और बहिनी का -( अरविन्द -गीता ) दूध -मलाई
भाग ३१ पृष्ठ १६५ किस्सा इन्सेस्ट का,-रात बाकी बात बाकी
भाग ३२ पृष्ठ १७८ इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,-सुबह सबेरे
भाग ३३ पृष्ठ २०० अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये
भाग ३४ पष्ठ २१४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...
भाग ३५ पृष्ठ २२५ फुलवा
भाग ३६ - पृष्ठ २३६ इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की
भाग ३७ - पृष्ठ २५० इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं
भाग ३८ पृष्ठ २६० मेरे पास माँ है
भाग ३९ - पृष्ठ २७१ माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात
भाग ४० पृष्ठ २८६ इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की माँ के सामने
भाग ४१ पृष्ठ ३०३ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के
भाग ४२ पृष्ठ ३१७ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से,
भाग ४३ पृष्ठ ३२९ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
भाग ४४ पृष्ठ ३४१ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है
भाग ४५ पृष्ठ ३४८ गीता चली स्कूल
भाग ४६ पृष्ठ ३६३ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी
भाग ४७ पृष्ठ ३७५ रोपनी
भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद
भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की
भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल
भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में
भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग
भाग ५३ - पृष्ठ ४९ ४ फुलवा की ननद
भाग ५४ पृष्ठ ५०६ स्वाद पिछवाड़े का
भाग ५५ पृष्ठ ५२१ माँ
आगे भी बेहतरीन अपडेट आते रहेंगे