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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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जबरदस्त.. आप की लेखनी का दिवाना
स्वागत है आपका बहुत बहुत धन्यवाद

और अगर आप से कुछ पोस्ट्स छूट गयी हों इस कहानी की , तो पृष्ठ १ पर पूरा इंडेक्स है पृष्ठ संख्या और हेडिंग के साथ मैं लिंक भी दे रही हूँ


आभार

Thank-You GIF by Stefanie Shank
Thanks Thank You GIF by bluesbear




 

komaalrani

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exforum

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यह्य कहानी कै जेतनी बड़ाई करी जाय कम हय । कहानी के माद्धम से गाँव देहात कय जौन ब्यौरा लिखथू । अइसा लागत हय कि एकदम सही घटना होय ।
 

exforum

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एक सुझाव हय हमरी ओर से । कभी एक औरत का ऐसा वर्णन करें । जैसे गाय नौ महीना गाभिन रहने के बाद ब्याती है, उसके तीन साढ़े तीन महीने बाद उसकी बुर की सिकुड़न और कई महीने बिनचुदाए रहने की वजह से जो गर्मी उठती है तो बिना सही सांड से भैंसाये नहीं मानती । दिन रात चोंकरती है खूंटा रस्सी पगहा तोर के हर सरिया में जाती है ।
 

komaalrani

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एक सुझाव हय हमरी ओर से । कभी एक औरत का ऐसा वर्णन करें । जैसे गाय नौ महीना गाभिन रहने के बाद ब्याती है, उसके तीन साढ़े तीन महीने बाद उसकी बुर की सिकुड़न और कई महीने बिनचुदाए रहने की वजह से जो गर्मी उठती है तो बिना सही सांड से भैंसाये नहीं मानती । दिन रात चोंकरती है खूंटा रस्सी पगहा तोर के हर सरिया में जाती है ।
क्या बात कही है आपने और क्या जबरदस्त आइडिया दिया है अपने जरूर कभी मौका लगा तो नहीं होगा तो इसी कहानी में

लेकिन एक बात कहूँगी बुरा मत मानियेगा

अगर आप कहानी लिखियेगा तो मुझसे कई गुना ज्यादा अच्छा लिखियेगा, आपने गाय और सांड़ की जो उपमा दी है जो हालत बयान की है एकदम सटीक,

और स्वागत है आपका इस थ्रेड पे

पहले पन्ने पर इंडेक्स है अगर कोई पोस्ट छूट गयी हो तो वहां से पढ़ सकते हैं

एक बार फिर से धन्यवाद आभार


🙏🙏🙏🙏
 

exforum

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क्या बात कही है आपने और क्या जबरदस्त आइडिया दिया है अपने जरूर कभी मौका लगा तो नहीं होगा तो इसी कहानी में

लेकिन एक बात कहूँगी बुरा मत मानियेगा

अगर आप कहानी लिखियेगा तो मुझसे कई गुना ज्यादा अच्छा लिखियेगा, आपने गाय और सांड़ की जो उपमा दी है जो हालत बयान की है एकदम सटीक,

और स्वागत है आपका इस थ्रेड पे

पहले पन्ने पर इंडेक्स है अगर कोई पोस्ट छूट गयी हो तो वहां से पढ़ सकते हैं

एक बार फिर से धन्यवाद आभार


🙏🙏🙏🙏
अरे नहीं । हम कहानी नहीं लिख पाएंगे वह भी आप जैसी । और हाँ कहानी मैंने पूरी पढी है । आपकी और भी कहानियां पढी हैं । बस कमेंट इसलिए नहीं कर पाता कि जादातर लॉग इन किए बिना पढता हूँ ताकि गोपनीयता बनी रहे, ad ज्यादा आएं, xforum को लाभ हो और xforum जैसा ठीहा बरक़रार रहे । और जब लॉग इन करके पढता हूँ तो तारीफ़ के लिए सब्द नहीं मिलते । कहानी का कोई ऐसा अंश भी नहीं मिलता कि जिसे quote करके श्रेष्ठ लिख दूं । कहानी का एक एक पैराग्राफ लाजवाब होता है । सच कह रहा हूँ । xforum पर कई कहानियां पढी लेकिन अब केवल आपकी ही कहानियों की वजह से xforum विजिट करता हूँ। अन्य कहानिया जो हैं भी वह भी लोग अधूरी छोड़ गए हैं । आपका लेखन और नियमित अपडेट पाठकों को जोड़े हुए है ।
 

Random2022

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स्वाद पिछवाड़े का -फुलवा की ननद




फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "

" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "



बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,



" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "



फुलवा की ननद की हालत खराब थी, कलाई इतना मोटा जड़ तक, हलक तक घुसा था. आँखे उबली पड़ रही थीं चेहरा लाल, सांस जैसे अटकी, वो तो चमेलिया और गितवा कस के उसका सर दबोचे थीं वरना वो झटका मार के,

और अरविन्द पूरा मुंह में ठेले , बोल रहा था,

" अरे हम तो कब का तोहार गाँड़ मार लेते तुंही स्साली नौटंकी, छुआते चिल्लाती थी बहुत दर्द हो रहा था जान निकल गयी छोड़ दा तोहें फुलवा भौजी क कसम "

और कौन छोटी बहन छोड़ती है मौका, बस गनीमत थी, उसने अरविन्द के कान का पान नहीं बनाया, हड़काते हुए बोली,

" भैया, तभी तुमको गाँव भर की लड़कियां बुद्धू समझती हैं,... अरे गौने क दुल्हिन, महतारी बाप इतनी मुश्किल से दान दहेज़ दे के भेजते हैं, चलते समय भेंटतें हुए महतारी गले लग के समझाती है, बेटी ढीली रखना कम दर्द होगा, और टांग खुद ही फैला देना, जेठानी कडुवा तेल लगा के भेजती है देवरानी को पहले से,...

और वो भी घूँघट पलटने से पहले इन्तजार करती है की लहंगा कब पलटेगा,



लेकिन हजार नखड़ा साली पेलती है, आज नहीं, लाज लगती है , थक गयी हूँ सोने दो,... तो ये ससुरी भी तो ससुरारी आयी थी, अपने भैया के ही सही तो गौने क दुल्हिन टाइप,... लेकिन कौन दूल्हा छोड़ता है गौने की रात,... बिना पेले,... चलो आज सूद समेत गाँड़ मारना, रोज तुम्हे भैया क सार यही मुँह से बुलाती थी न तो पहले मुंह क हाल चाल लो,.. चोद छिनार क "

गीता का इतना कहना काफी था,... अरविन्द ने हलक से थोड़ा सा पीछे खींचा, सिर्फ सुपाड़ा अंदर था और क्या धक्का मारा जैसा धक्का उसने फुलवा की ननद की चूत फाड़ते समय मारा था रोपनी में गन्ने के खेत में,...



फुलवा की ननद की हालत खराब थी, मुंह गाल गला सब दर्द कर रहा था, लेकिन अरविन्द जबरदस्त मुंह चुदाई कर रहा था पर गितवा से नहीं रहा गया उसने अरविन्द को इशारा किया और उसने खूंटा बाहर निकाल लिया,

लेकिन चमेलिया,... बोली

" हे दीदी की ननद, खूंटा बहुत चूस ली अब चला दुनो रसगुल्ला चूसा , अरे जो मलाई तोहरे गाँड़ि में गयी कटोरी भर यहीं बनती है और उसका सर पकड़ के

फुलवा की ननद अरविन्द के बॉल्स चूस रही थी।



पंद्रह बीस मिनट तक लगातार मुंह चुदाई से फुलवा की ननद की हालत खराब लेकिन उससे ज्यादा हालत खराब थी गितवा के भाई के मूसल की,

चूस चूस के चाट चाट के फुलवा की ननद ने उसे एकदम पागल कर दिया था, और अब की जैसे ही चमेलिया और गितवा ने हाथ पकड़ के उसे खड़ा किया, वो खुद ही आम के उस पेड़ के नीचे निहुर गयी, जहाँ पहली बार गितवा की उसके भाई अरविन्द ने खड़े खड़े ली थी,...

और कोई जवान होती लड़की निहुरि हो तो कौन मरद छोड़ देगा।



और अरविंदवा तो और,....

बस पीछे से चाप दिया उसने, लेकिन पिछवाड़े नहीं अगवाड़े, फुलवा की ननद की बुरिया में, ले धक्के पे धक्का, बुर चोदाई शुरू कर दी,...

फुलवा की ननद सोच रही थीं एक बार फिर कहीं गाँड़ न मारी जाए , उसने राहत की सांस ली, दर्जनो बार तो अरविंदवा से चुदवा चुकी थी, पेलवाया तो उसने भौजी के गाँव में आस पास के पुरवा में ना जाने कितनों से उसने मरवाया होगा लेकिन जो बात गितवा के खसम से पेलवा के,...



फुलवा की ननद खुद ही आगे पीछे धक्के लगा के, और भौजी के मायके वाला हो या मायके वाली गरियाई न जाय तो बहुत नाइंसाफी होगी और अब पिछवाड़े का दर्द कुछ कम भी हो रहा था,... वो अरविन्द से बोली,

" हे गितवा क भतार अपनी बहिन को चोद चोद के ये गुन ढंग सीखे हो की तोहार महतारी चुदवा चुदवा के सिखाई हैं "

जवाब में अरविन्द ने उसकी दोनों छोटी छोटी चूँचियाँ कस के पकड़ के वो धक्का लगाया की सीधे बच्चेदानी की जड़ तक जा के लगा, और बोला,...

" अगली बार फुलवा क सास को लेके आना अपनी महतारी को, तोहरे सामने चोद के गाभिन कर देब, नौ महीने बाद तोहरे छोट बहिन बियायेंगी"

और फिर एक के बाद एक धक्के, ... लेकिन तबतक चमेलिया भी खड़ी हो गयी और अरविन्द के पीछे जा के कभी अपने गदराये जोबन अरविन्द के पीठ में रगड़ती, कभी जीभ से उसके कानों में सुरसुरी करती, तो कभी खूंटे के बेस के ऊँगली से सहलाती,...

अरविन्द की मस्ती से हालत खराब को एक को चोद रहा था दूसरी पीछे खड़ी मस्ता रही थी और गीता उसकी सगी छोटी बहन खूब खुश, अपने भैया की आँखों में आँखे मिला के मुस्करा रही थी,

लेकिन असली खेल कुछ और था चमेलिया ने इसी बीच फुलवा की ननद का ब्लाउज उठा के अपनी दो उँगलियों में लपेटा,

अरविन्द पूरा लंड ननद की बुरिया में ठोंक के रुक गया था और चमेलिया की ओर देख रहा था,... चमेलिया ने एक झटके में ब्लाउज में लपेटी अपनी दो उंगलिया ननद की गाँड़ में एक धक्के में पेल दी, क्या स्साला कोई मर्द पेलेगा, पूरी जड़ तक और गोल गोल घुमाने लगी, कभी चम्मच की तरह नकल मोड़ के गांड की अंदरूनी दीवालों में करोच करोच के, खुरच खुरच के,..

और कोई समझे न समझे, गितवा समझ गयी थी और खिलखिला रही थी ,

ननद रानी के पिछवाड़े जो उसकी भैया की थोड़ी बहुत मलाई बची थी वही चमेलिया साफ़ कर रही थी जिससे अरविन्द का लंड सूखी सूखी गाँड़ में दरेरता रगड़ता जाए और पहली बार नहीं तो भी काफी दर्द हो, ...

गितवा ने अरविन्द के कानों में कुछ कहा, जैसे ही चमेलिया ने अपनी दोनों ऊँगली बाहर निकाली, बस गितवा ने ननद रानी की बुरिया में घुसे अपने भैया के लंड को बाहर निकाल के सीधे ननद की गाँड़ के अंदर और जब तक वो समझे

गप्पाक, ...सुपाड़ा पहले ही धक्के में अंदर
Chameli to badi chalaak hai,
स्वाद पिछवाड़े का -फुलवा की ननद




फिर गितवा ने अरविन्द की ओर रुख किया और एक असली सगी छोटी बहन की तरह लगी हड़काने,... "

" भैया दो इंच हमरे ननदिया के मुंह से बाहर काहें रखे हो। एकरी महतारी के भोंसडे के लिए लेकिन वो तो कातिक भर गांव क,... पेला पूरा कस के, अरे बेचारी बड़ी दुखी थी। बोल रही थी हम तो सोच रहे थे तोहार भैया, हमरे भैया क सार रोपनी में ही अगवाड़े पिछवाड़े दोनों की रोपनी करेंगे लेकिन मैं तो पिछवाड़ा कोरा का कोरा लेकर जा रही हूँ का मुंह दिखाउंगी अपने गाँव में जा के,... "



बस यह सुन के अरविन्द अलफ़, पूरी ताकत से उसने धक्का मारा और सुपाड़ा सीधे हलक में जा के लगा , और गितवा चमेलिया यही तो चाह रही थीं, दोनों ने कस के फुलवा की ननद का सर पकड़ लिया और अरविन्द पूरा का पूरा बित्ते से बड़ा खूंटा मुंह में पेले हुए और अब उसकी बारी थी फुलवा की ननद को छेड़ने की,



" बहुत भैया क सार बोल रही थी न जा के बोलना अपने भाई से अब ऊ हमार सार हैं, ओनकर बहिनी को चोदा भी गांड भी मारा,... अब आगे से कभी जाना भौजी के गाँव तो उनके भैया को जीजा कह के बोलना "



फुलवा की ननद की हालत खराब थी, कलाई इतना मोटा जड़ तक, हलक तक घुसा था. आँखे उबली पड़ रही थीं चेहरा लाल, सांस जैसे अटकी, वो तो चमेलिया और गितवा कस के उसका सर दबोचे थीं वरना वो झटका मार के,

और अरविन्द पूरा मुंह में ठेले , बोल रहा था,

" अरे हम तो कब का तोहार गाँड़ मार लेते तुंही स्साली नौटंकी, छुआते चिल्लाती थी बहुत दर्द हो रहा था जान निकल गयी छोड़ दा तोहें फुलवा भौजी क कसम "

और कौन छोटी बहन छोड़ती है मौका, बस गनीमत थी, उसने अरविन्द के कान का पान नहीं बनाया, हड़काते हुए बोली,

" भैया, तभी तुमको गाँव भर की लड़कियां बुद्धू समझती हैं,... अरे गौने क दुल्हिन, महतारी बाप इतनी मुश्किल से दान दहेज़ दे के भेजते हैं, चलते समय भेंटतें हुए महतारी गले लग के समझाती है, बेटी ढीली रखना कम दर्द होगा, और टांग खुद ही फैला देना, जेठानी कडुवा तेल लगा के भेजती है देवरानी को पहले से,...

और वो भी घूँघट पलटने से पहले इन्तजार करती है की लहंगा कब पलटेगा,



लेकिन हजार नखड़ा साली पेलती है, आज नहीं, लाज लगती है , थक गयी हूँ सोने दो,... तो ये ससुरी भी तो ससुरारी आयी थी, अपने भैया के ही सही तो गौने क दुल्हिन टाइप,... लेकिन कौन दूल्हा छोड़ता है गौने की रात,... बिना पेले,... चलो आज सूद समेत गाँड़ मारना, रोज तुम्हे भैया क सार यही मुँह से बुलाती थी न तो पहले मुंह क हाल चाल लो,.. चोद छिनार क "

गीता का इतना कहना काफी था,... अरविन्द ने हलक से थोड़ा सा पीछे खींचा, सिर्फ सुपाड़ा अंदर था और क्या धक्का मारा जैसा धक्का उसने फुलवा की ननद की चूत फाड़ते समय मारा था रोपनी में गन्ने के खेत में,...



फुलवा की ननद की हालत खराब थी, मुंह गाल गला सब दर्द कर रहा था, लेकिन अरविन्द जबरदस्त मुंह चुदाई कर रहा था पर गितवा से नहीं रहा गया उसने अरविन्द को इशारा किया और उसने खूंटा बाहर निकाल लिया,

लेकिन चमेलिया,... बोली

" हे दीदी की ननद, खूंटा बहुत चूस ली अब चला दुनो रसगुल्ला चूसा , अरे जो मलाई तोहरे गाँड़ि में गयी कटोरी भर यहीं बनती है और उसका सर पकड़ के

फुलवा की ननद अरविन्द के बॉल्स चूस रही थी।



पंद्रह बीस मिनट तक लगातार मुंह चुदाई से फुलवा की ननद की हालत खराब लेकिन उससे ज्यादा हालत खराब थी गितवा के भाई के मूसल की,

चूस चूस के चाट चाट के फुलवा की ननद ने उसे एकदम पागल कर दिया था, और अब की जैसे ही चमेलिया और गितवा ने हाथ पकड़ के उसे खड़ा किया, वो खुद ही आम के उस पेड़ के नीचे निहुर गयी, जहाँ पहली बार गितवा की उसके भाई अरविन्द ने खड़े खड़े ली थी,...

और कोई जवान होती लड़की निहुरि हो तो कौन मरद छोड़ देगा।



और अरविंदवा तो और,....

बस पीछे से चाप दिया उसने, लेकिन पिछवाड़े नहीं अगवाड़े, फुलवा की ननद की बुरिया में, ले धक्के पे धक्का, बुर चोदाई शुरू कर दी,...

फुलवा की ननद सोच रही थीं एक बार फिर कहीं गाँड़ न मारी जाए , उसने राहत की सांस ली, दर्जनो बार तो अरविंदवा से चुदवा चुकी थी, पेलवाया तो उसने भौजी के गाँव में आस पास के पुरवा में ना जाने कितनों से उसने मरवाया होगा लेकिन जो बात गितवा के खसम से पेलवा के,...



फुलवा की ननद खुद ही आगे पीछे धक्के लगा के, और भौजी के मायके वाला हो या मायके वाली गरियाई न जाय तो बहुत नाइंसाफी होगी और अब पिछवाड़े का दर्द कुछ कम भी हो रहा था,... वो अरविन्द से बोली,

" हे गितवा क भतार अपनी बहिन को चोद चोद के ये गुन ढंग सीखे हो की तोहार महतारी चुदवा चुदवा के सिखाई हैं "

जवाब में अरविन्द ने उसकी दोनों छोटी छोटी चूँचियाँ कस के पकड़ के वो धक्का लगाया की सीधे बच्चेदानी की जड़ तक जा के लगा, और बोला,...

" अगली बार फुलवा क सास को लेके आना अपनी महतारी को, तोहरे सामने चोद के गाभिन कर देब, नौ महीने बाद तोहरे छोट बहिन बियायेंगी"

और फिर एक के बाद एक धक्के, ... लेकिन तबतक चमेलिया भी खड़ी हो गयी और अरविन्द के पीछे जा के कभी अपने गदराये जोबन अरविन्द के पीठ में रगड़ती, कभी जीभ से उसके कानों में सुरसुरी करती, तो कभी खूंटे के बेस के ऊँगली से सहलाती,...

अरविन्द की मस्ती से हालत खराब को एक को चोद रहा था दूसरी पीछे खड़ी मस्ता रही थी और गीता उसकी सगी छोटी बहन खूब खुश, अपने भैया की आँखों में आँखे मिला के मुस्करा रही थी,

लेकिन असली खेल कुछ और था चमेलिया ने इसी बीच फुलवा की ननद का ब्लाउज उठा के अपनी दो उँगलियों में लपेटा,

अरविन्द पूरा लंड ननद की बुरिया में ठोंक के रुक गया था और चमेलिया की ओर देख रहा था,... चमेलिया ने एक झटके में ब्लाउज में लपेटी अपनी दो उंगलिया ननद की गाँड़ में एक धक्के में पेल दी, क्या स्साला कोई मर्द पेलेगा, पूरी जड़ तक और गोल गोल घुमाने लगी, कभी चम्मच की तरह नकल मोड़ के गांड की अंदरूनी दीवालों में करोच करोच के, खुरच खुरच के,..

और कोई समझे न समझे, गितवा समझ गयी थी और खिलखिला रही थी ,

ननद रानी के पिछवाड़े जो उसकी भैया की थोड़ी बहुत मलाई बची थी वही चमेलिया साफ़ कर रही थी जिससे अरविन्द का लंड सूखी सूखी गाँड़ में दरेरता रगड़ता जाए और पहली बार नहीं तो भी काफी दर्द हो, ...

गितवा ने अरविन्द के कानों में कुछ कहा, जैसे ही चमेलिया ने अपनी दोनों ऊँगली बाहर निकाली, बस गितवा ने ननद रानी की बुरिया में घुसे अपने भैया के लंड को बाहर निकाल के सीधे ननद की गाँड़ के अंदर और जब तक वो समझे

गप्पाक, ...सुपाड़ा पहले ही धक्के में अंदर
Chameli to badi chalak hai, yad rakhegi uski nanad
 

arushi_dayal

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मैंने उन लोगों की मानसिक स्थिति को करीब से देखा और महसूस किया है जो अपने परिवारों को अकेला छोड़कर नौकरी की तलाश में विदेश जाते हैं. दिन-ब-दिन परिवार की बढ़ती जिम्मेदारियां और बच्चों के सुरक्षित भविष्य की उम्मीद से इतने सारे लोग परिवारों को अकेला छोड़कर खाड़ी देशों में चले जाते हैं।महिलाओं को बच्चों को पालने और बुजुर्गों की देखभाल करने के सभी संघर्षों से गुजरना पड़ता है और एक कठोर तथ्य यह है कि उन्हें खुद को उन लोगों की बुरी नजर से बचाना होता है जो सोचते हैं कि वह अब आसानी से उपलब्ध है या वह सेक्स के लिए तरस रही होगी। चूंकि उसका पति बाहर है.यह एक दुष्चक्र है जिसके कभी-कभी बहुत बुरे परिणाम होते हैं। कुल मिलाकर आपके अपडेट ने मुझे उन सभी लोगों और परिवारों की याद दिला दी है जो इससे गुजरते हैं।बहुत ही मार्मिक किंतु तथ्यपरक वर्णन
 

arushi_dayal

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खो गई है ख़ुशियाँ
मुस्कान क़ायम है
दर्द दफ़्न हैं सीने में
कतरा कतरा ख़त्म
हो रहा है सब कुछ
मर चुकी है ज़िंदगी
साँसें क़ायम है
आँसू जो बहा नहीं आँखों से
चीख जो निकली नहीं ज़बान से
नील पड़े हैं मन की देह पर
डरे सहमे हैं ख़्वाब झूठे
यथार्थ का सच क़ायम है
 

komaalrani

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