Aakhir Renu ko fasa hi lia bhabhion neभाग ७३ - किस्से भैया बहिनिया के
कमल चढ़ा रेनू पर
१३,१९, ५५०
मैं कमल को पकड़ के जिधर बाग़ गझिन था मैं उधर वैसे तो तय था की सब देवरों की आंख पे पट्टी बाँधी जायेगी, उनकी बहनों पे उन्हें चढाने के पहले,... जिससे वो ऐन मौके पे खूंटा तुड़ा के न भागें, और जब एक बार वो झिल्ली फाड़ लेंगे, हचक हचक के चोदने लगेगें, तो झड़ने के पहले उनकी आँख से भौजाइयां पट्टी खोलेंगी,... और गरियायेंगी,
" कयों बहनचोद मजा आ रहा है बहिन चोदने में, अरे छिप छिप के तो बहुत चोदा होगा, आज भौजाई लोगन के सामने, अब तो बन गए पक्के बहिनचोद,... "
और झड़ते समय कौन लौंडा बाहर निकालेगा,... और ननद के गाभिन होने का भी डर नहीं था, और एक बार जब सबके सामने बहिन चोद दिया तो फिर ननद कौन मुंह से नखड़ा करती, और फिर भौजाइयां भी पीछे पड़तीं,...
अरे बुर तो फड़वायी ही ली हो गाँड़ भी फड़वा लो,... भाई चोद,...
लेकिन कमल और रेनू के साथ ये नहीं चलने वाला था,
एक तो कमल छुट्टा सांड़, इत्ती बेरहमी से चोदता था की चार चार बच्चों की माँ भी पानी मांग जाती, वो मानेगा भी नहीं पट्टी बंधवाने के लिए,...
दूसरे वो तो खुद जबसे उसकी बहन रेनू नीचे से खून फेंकने लगी तब से उसको चोदने के चक्कर में था,... लेकिन रेनू उसकी बहन ऐसी हदस गयी थी उसका मोटा लम्बा खूंटा देखकर, और चुदने वालियों की चीख रोना धोना सुन के,... और कमल ने रेनू को बोल दिया था वो नहीं तो कोई नहीं, ... इस चक्कर में रेनू बारहवें में पहुचं गयी फिर भी कोरी थी,... जबकि गाँव में शायद ही कोई लड़की हाईस्कूल पार कर पाती हो, टांग उठाने के पहले।
लेकिन डर रेनू का था, की वो कमल को देखते ही भाग निकलेगी,... लेकिन मैं जानती थी एक बार किसी तरह से उसकी कसी अब तक बिन चुदी चूत में कमल का लंड घुस जाए, मोटा सुपाड़ा अटक जाए, फिर तो मेरी ननद साली लाख चूतड़ पटके देवर बिना उसकी झिल्ली फाड़े छोड़ेगा नहीं,... और मैं उसकी भौजी उसे छोड़ने भी नहीं दूंगी बिना बहन की झिल्ली मेरे सामने फाडे, बिना खून खच्चर किये
और कमल ये बात मान गया की रीत रिवाज के नाम पर खूंटा तो मैं खुद घुसवाऊँगी, और उस समय पट्टी बंधवा लेगा लेकिन उसके बाद वो अपनी तरह ही चोदेगा और पहली बात तो उसे ये यकीन नहीं था की कोई कच्ची कोरी मिलेगी, इसलिए उसने बोल दिया की झिल्ली फाड़ते समय मैं उसकी पट्टी खोल दूँ, और अगर कुँवारी मिली तो फिर तो जिंदगी भर वो मेरी हर बात मानेगा,...
तो कमल के आँख पे मैंने पट्टी बाँध दी थी, और बोल भी दिया था की जब तक मैं पट्टी न खोलूं वो आवाज भी एकदम न करें और बहुत हलके से सम्हाल के पेले, ... हाँ सुपाड़ा घुसने के बाद, पट्टी खुलने के बाद,.. लौंडिया लाख चूतड़ पटके रोये चिल्लाये, अपनी तरह से,..
चमेलिया रेनू को पहले से ही लाकर,... उसे निहुरा के,...
एक तो देवी के भभूत का असर, दूसरी रमजनिया की जड़ी बूटी भांग वाली ठंडाई में फिर भौजाई की ऊँगली, रेनुआ खूब गरमाई थी,... चमेलिया ने उसे बोल दिया था बस थोड़ी देर आँख बंद रखे,... आज उसकी फट के रहेगी, ... मन तो रेनू का बहुत कर रहा था उससे तीन चार साल छोटी लड़कियां बिना नागा पेलवाती थीं, सब उसे चिढ़ाती भी थीं, लेकिन उसे अपने भाई कमल का डर रहता था और उसने चमेलिया से बोला भी,
" भौजी कमलवा को न पता चले, मोर भौजी,... "
' एकदम नहीं पता चलेगा, बस तू दो काम करना कितनो दर्द हो चीख मत निकलने देना," चमेलिया ने समझाया।
" एकदम भौजी, कहीं कमलवा स्साला सुन लिया तो पगला जाएगा, मैं होंठ भींच के रखूंगी " रेनुवा मान गयी,
" और हमरे अंचरा से तानी आँख चेहरा ढंक लो, जैसे अगर देखे भी तो पता नहीं चले,... " चमेलिया ने समझाया और रेनू बात मान गयी।
और भैया बहिनी की कुश्ती चालू हो गयी, मैंने अपने मुंह से थूक निकाल के रेनुआ की चूत थोड़ी गीली की थोड़ा उसके भाई के सुपाड़ा पे और ऊँगली का एक पोर रेनुआ की बुर में पेल दिया,... पहिले से ही गीली हो रही थी अब दो चार बार उंगलियाने पे एकदम से पनिया गयी. चमेलिया मेरी मदद को आ गयी, उसने पूरी ताकत से रेनुआ की कसी कच्ची चूत के दोनों फांको को फैला दिया मुश्किल से दो ऊँगली का पोर, मैंने कलाई की पूरी ताकत लगा दी, बड़ी मुश्किल से पूरे जोर के बाद, लग रहा था कमल की बहिनिया रेनू ने कभी ऊँगली भी नहीं की ठीक से, एकदम ही कसी कच्ची कोरी,
लेकिन उसके भाई का सुपाड़ा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, मैंने अपने हाथ से पकड़ के बस फंसा सा दिया, चमेलिया ने फिर जोर लगाया, रेनू की चूत फ़ैलाने के लिए, मैंने भी अपने हाथ से पकड़ के हल्का सा और पुश किया, घुसा तो अभी भी नहीं था लेकिन फंस गया था,... मैंने चमेलिया को इशारा किया, वो रेनू की सर की ओर, अब रेनू के भाई कमल को रोकना मुश्किल था, उसके मोटे कड़े सुपाड़े को कच्ची बिन चुदी चूत की महक मिल गयी थी, वो कसमसा रहा था पूरी ताकत से ढकेलने के लिए और बिना पूरी ताकत से पेले उसकी बहन रेनू की कच्ची चूत में सुपाड़ा घुसना मुश्किल भी था,
मैंने कस के रेनू की कमर पकड़ ली, जिससे वो हिल भी न सके,... और उसके दोनों चूतड़ पकड़ के उसके भैया ने धक्का मार दिया, पूरी ताकत से,...
भाभियों ने तो सिर्फ रास्ता साफ़ कियाAakhir Renu ko fasa hi lia bhabhion ne
बड़ा ही प्रतीकात्मक चित्र
बेहद अद्भुत और अकल्पनीय. इस पूरे प्रसंग का एक-एक शब्द रस से भरा है।मैं इस हद तक खो गया कि मुझे लगा कि यह सब मेरी आंखों के सामने हो रहा है। प्रत्येक शब्द बहुत सूक्ष्म है और आपने इसका अच्छा उपयोग किया है.इतना अद्भुत अपडेट देने के लिए धन्यवादमस्ती भाई बहिनियों की
बेला -चुन्नू
बेला चीख पड़ी, और चीख सिसकियों में बदल गयी,... मस्ती भरी और चुन्नू के धक्के फिर चालू हो गए, पहले से भी तेज,... और अबकी जो बेला झड़ी तो साथ में चुन्नू भी और बिना घबड़ाये सब की सब मलाई बहन की बिल में,
दोनों एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, एकदम खुले में चारों ओर भौजाइयां, गाँव की और लड़कियां भी,...
हाँ जब दोनों अलग हुए तो एक बार फिर से बेला चुन्नू को देख कर जोर से शर्मायी और फिर उसके सीने में दुबक गयी, और भौजाइयों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" क्यों मजा आया भैया से चुदवा के, अब तो तुंहु आ गयी हो हम लोगन क बिरादरी में "
लेकिन मैं अपनी ननद की ओर से आगयी, अपनी जेठानियों के सामने,
" अरे काहें पीछे पड़ी हो, बेचारी के मजा आया तभी तो चूतड उठा उठा के घोंट रही थी,.... और एक बार में थोड़े अभी तो देखना निहुर के, कुतिया बन के,... और जब इस का भाई ही बहनचोद है तो इस बेचारी की क्या गलती,... और खाली अपने भाई से थोड़े ही, देखना अगले हफ्ते यही दिन, हम लोगों के भाई लोगन से भी ऐसे ही टांग उठा के,... चूतड़ उछाल उछाल के,... "
चुन्नू ने तबतक फुसफुसा के अपनी बहन से पूछा ,
" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ, "
चुन्नू का चेहरा एक बार फिर थोड़ा घबड़ाया लग रहा था लेकिन लड़कियां न, उन्हें तो दर्द घोंटना घुट्टी में पिलाया जाता है, उसे चिढ़ाते हुए बोली,
" उस समय नहीं सोचना था, ... अब तो जो होना था सो हो गया,... "
बेला के चेहरे की ख़ुशी देख के चुन्नू भी मुतमइन हो गया. और वो भी अब छेड़ने के मूड में आ गया,
" तो एक बार और हो जाए,... "
बेला भी छेड़ने के मूड में थीं, चैलेन्ज करते बोली,...
" इत्ती हिम्मत कर के तो एक बार किये हो, वो तो नयकी भौजी न होतीं तो आज भी, घबड़ाते रहते,... और ये भी तो अभी सो रहा है, "
और बिना झिझक हम सबके सामने बेला ने चुन्नु का थोड़ा सोया थोड़ा जागा खूंटा पकड़ लिया,
" अरे उसके जगाने का मंतर तो तोहरे पास है ननद रानी हमरे देवर को चुनौती मत दो "सुगना भौजी बोलीं।
लेकिन मैं अपनी ननद की ओर से आ गयी, और चुन्नू से बोली,
" हे देवर जी, दुबारा मिठाई चाहिए तो जो कीचड़ किये हो न हमारी ननद की कुंइया में जो कीचड़ डाले हो न उसको साफ़ करो '
चूत चटोरा तो इस गाँव का हर लौंडा, मरद पैदायशी होता है, बस इशारे की देर है और मेरा देवर अपनी बहन की जाँघों के बीच चुसूर चुसूर
असली खेल दूसरा था, दोनों बेलवा की रगड़ाई के लिए जरूरी था, पहली बात अंदर रबड़ी मलाई भरी रहती तो अगली बार कैसे दरेरते रगड़ते फाड़ते घुसता
कैसे मेरी ननद रानी को दर्द का असली अहसास होता, पहली बार तो चुन्नू सम्हल सम्हल के डाल रहा था अबकी तो हचक के पेलेगा,...
दूसरी बात इस चुसम चुसाई से बेलवा भी गरमा जाती और असली बात तो ये की किसी गौने की रात वाली दुल्हन से अगले दिन पूछो तो साफ़ साफ़ यही बताएगी , असली मजा तो दूसरी बार ही आया। पहली बात तो शरमा शरमी घबड़ाने में ही चला गया,...
और थोड़ी देर में ही दोनों भाई बहन 69 की मुद्रा में बेला ऊपर चढ़ के अपने भाई का लंड चूस रही थी और चुन्नू नीचे से चूत की चटाई
कुछ उमर का असर, कुछ इस गाँव के कुंए के पानी का और कुछ दूबे भाभी के असली शिलाजीत के लड्डू का, आठ दस मिनट में चुन्नू का फिर मोटा कड़ा लोहे का रॉड हो गया मजमे वाले जो बोलते हैं न खम्भे से मारो बोलेगा टनाटन, लड़का लोग समझेगा स्कूल की छुट्टी हो गयी,... बस्ता लेकर बाहर
और अब गाँव की भौजाई लोगों ने सुगना भौजी, गुलबिया, हमरे नाउन क बहुरिया,... दोनों ने पकड़ के आम का चौड़ा पेड़ पकड़ा के बेलवा को निहुरा दिया,
,
उठाव चूतड़ कस के टांग फैला दो,... सुगना भाभी अपनी ननद से बोलीं,
और सुगना ने गच्चाक से एक ऊँगली में साड़ी का आंचल लपेटा और बेला की अभी अभी चुदी चूत में हचाक से पेल दिया और गोल गोल घुमा के बची खुची मलाई भी पोंछ दी,... अब एकदम सूखी,...
जैसे सांड के चढ़ने के लिए बछिया इन्तजार करती है वही हालत बेला की हो रही थी,...
और सांड़ की तरह ही उसका भाई चढ़ गया, सांड़ जैसे अगले दोनो पैरों से बछिया को दबोच लेता है उसी तरह चुन्नू ने ने दबोच लिया और एक झटके में हचक के पेल दिया अपना तन्नाया लंड अपनी बहन की कसी चूत में,...
थोड़ी देर में ही चुदाई कस के चालू हो गयी थी,भाई अपनी अबतक कच्ची कोरी उमरिया की बारी बहिनिया को चोद रहा था, हचक के, जैसे आज इस आम की भइया में भौजाइयों के सामने सब भाई अपनी अपनी बहनों को पेलेंगे
और में एक बार फिर रेनू और कमल की ओर चली आयी।मुड़ कर मैंने देखा, और मुश्किल से हंसी रोकी मैंने,
गुलबिया के साथ भरौटी की भी दो तीन भौजाइयां गयीं थी और जम कर चुन्नू को लुहकार रही थीं, चिढ़ा रही थीं, चुन्नू को गरिया रही थीं,...
और वो भी मजे लेता हुआ आम के बाग़ में कस कस के सब भौजाइयों के सामने अपनी बहन को पूरी ताकत से पेल रहा था,
बेला कभी चीखती कभी सिसकती, कभी मजे ले ले के चूतड़ पीछे कर धक्के का जवाब धक्के से देती,...
सही है, मैंने सोचा,.. कल सुबह जबरदस्ती इस चुन्नू की मैंने होली खेलने के साथ नथ उतारी,... और आज एकदम पक्का चुदक्कड़,
थोड़ी देर में मैं बाग़ के उस कोने में थी जहाँ घंटे भर पहले मैं रेनू और कमल, को छोड़ के गयी थी।
Awesome super duper poemबाग बनी है सेज और सारे दूल्हे है त्यार
आज भाई होंगे अपनी बहनो पे सवार
कच्ची कालिया आज अच्छे से तोड़ी जाएगी
भाईयों के लौड़े से जब चुते फोडी जाएगी
सारे भाई मिलकर आज राखी का कर्ज चुकाएंगे
अपनी कुंवारी बहनों को कली से फूल बनायेंगे
आँखों पर बांध के पट्टी आज अपनी बहन को भोगेंगे
एक बार जो फट गई झिल्ली हचक हचक के चोदेंगे
जिन हाथों पर बांधी राखी वो अपना फ़र्ज़ निभाएंगे
थाम के कमरिया बहना की जड़ तक लौड़ा घुसाएँगे
भोजइयां भी पूरे खेल में अपना फर्ज निभाएंगी
थाम के जांघें ननंदियो की देवर को उक्सायेंगी
शिलाजीत की गोली देकर पहले तान दिया लौड़ा
पीछे से उनकी पीठ पर रगड़े जोबन थोड़ा थोड़ा
जिन को देख के मुठियाते थे आज उन्ही पे चढ़ जाओ
छोड़ के सारी लाज शरम सब आज तुम आगे बढ़ जाओ
Ho gyi shuruat, renu ke rone kiभाग ७३ - किस्से भैया बहिनिया के
कमल चढ़ा रेनू पर
१३,१९, ५५०
मैं कमल को पकड़ के जिधर बाग़ गझिन था मैं उधर वैसे तो तय था की सब देवरों की आंख पे पट्टी बाँधी जायेगी, उनकी बहनों पे उन्हें चढाने के पहले,... जिससे वो ऐन मौके पे खूंटा तुड़ा के न भागें, और जब एक बार वो झिल्ली फाड़ लेंगे, हचक हचक के चोदने लगेगें, तो झड़ने के पहले उनकी आँख से भौजाइयां पट्टी खोलेंगी,... और गरियायेंगी,
" कयों बहनचोद मजा आ रहा है बहिन चोदने में, अरे छिप छिप के तो बहुत चोदा होगा, आज भौजाई लोगन के सामने, अब तो बन गए पक्के बहिनचोद,... "
और झड़ते समय कौन लौंडा बाहर निकालेगा,... और ननद के गाभिन होने का भी डर नहीं था, और एक बार जब सबके सामने बहिन चोद दिया तो फिर ननद कौन मुंह से नखड़ा करती, और फिर भौजाइयां भी पीछे पड़तीं,...
अरे बुर तो फड़वायी ही ली हो गाँड़ भी फड़वा लो,... भाई चोद,...
लेकिन कमल और रेनू के साथ ये नहीं चलने वाला था,
एक तो कमल छुट्टा सांड़, इत्ती बेरहमी से चोदता था की चार चार बच्चों की माँ भी पानी मांग जाती, वो मानेगा भी नहीं पट्टी बंधवाने के लिए,...
दूसरे वो तो खुद जबसे उसकी बहन रेनू नीचे से खून फेंकने लगी तब से उसको चोदने के चक्कर में था,... लेकिन रेनू उसकी बहन ऐसी हदस गयी थी उसका मोटा लम्बा खूंटा देखकर, और चुदने वालियों की चीख रोना धोना सुन के,... और कमल ने रेनू को बोल दिया था वो नहीं तो कोई नहीं, ... इस चक्कर में रेनू बारहवें में पहुचं गयी फिर भी कोरी थी,... जबकि गाँव में शायद ही कोई लड़की हाईस्कूल पार कर पाती हो, टांग उठाने के पहले।
लेकिन डर रेनू का था, की वो कमल को देखते ही भाग निकलेगी,... लेकिन मैं जानती थी एक बार किसी तरह से उसकी कसी अब तक बिन चुदी चूत में कमल का लंड घुस जाए, मोटा सुपाड़ा अटक जाए, फिर तो मेरी ननद साली लाख चूतड़ पटके देवर बिना उसकी झिल्ली फाड़े छोड़ेगा नहीं,... और मैं उसकी भौजी उसे छोड़ने भी नहीं दूंगी बिना बहन की झिल्ली मेरे सामने फाडे, बिना खून खच्चर किये
और कमल ये बात मान गया की रीत रिवाज के नाम पर खूंटा तो मैं खुद घुसवाऊँगी, और उस समय पट्टी बंधवा लेगा लेकिन उसके बाद वो अपनी तरह ही चोदेगा और पहली बात तो उसे ये यकीन नहीं था की कोई कच्ची कोरी मिलेगी, इसलिए उसने बोल दिया की झिल्ली फाड़ते समय मैं उसकी पट्टी खोल दूँ, और अगर कुँवारी मिली तो फिर तो जिंदगी भर वो मेरी हर बात मानेगा,...
तो कमल के आँख पे मैंने पट्टी बाँध दी थी, और बोल भी दिया था की जब तक मैं पट्टी न खोलूं वो आवाज भी एकदम न करें और बहुत हलके से सम्हाल के पेले, ... हाँ सुपाड़ा घुसने के बाद, पट्टी खुलने के बाद,.. लौंडिया लाख चूतड़ पटके रोये चिल्लाये, अपनी तरह से,..
चमेलिया रेनू को पहले से ही लाकर,... उसे निहुरा के,...
एक तो देवी के भभूत का असर, दूसरी रमजनिया की जड़ी बूटी भांग वाली ठंडाई में फिर भौजाई की ऊँगली, रेनुआ खूब गरमाई थी,... चमेलिया ने उसे बोल दिया था बस थोड़ी देर आँख बंद रखे,... आज उसकी फट के रहेगी, ... मन तो रेनू का बहुत कर रहा था उससे तीन चार साल छोटी लड़कियां बिना नागा पेलवाती थीं, सब उसे चिढ़ाती भी थीं, लेकिन उसे अपने भाई कमल का डर रहता था और उसने चमेलिया से बोला भी,
" भौजी कमलवा को न पता चले, मोर भौजी,... "
' एकदम नहीं पता चलेगा, बस तू दो काम करना कितनो दर्द हो चीख मत निकलने देना," चमेलिया ने समझाया।
" एकदम भौजी, कहीं कमलवा स्साला सुन लिया तो पगला जाएगा, मैं होंठ भींच के रखूंगी " रेनुवा मान गयी,
" और हमरे अंचरा से तानी आँख चेहरा ढंक लो, जैसे अगर देखे भी तो पता नहीं चले,... " चमेलिया ने समझाया और रेनू बात मान गयी।
और भैया बहिनी की कुश्ती चालू हो गयी, मैंने अपने मुंह से थूक निकाल के रेनुआ की चूत थोड़ी गीली की थोड़ा उसके भाई के सुपाड़ा पे और ऊँगली का एक पोर रेनुआ की बुर में पेल दिया,... पहिले से ही गीली हो रही थी अब दो चार बार उंगलियाने पे एकदम से पनिया गयी. चमेलिया मेरी मदद को आ गयी, उसने पूरी ताकत से रेनुआ की कसी कच्ची चूत के दोनों फांको को फैला दिया मुश्किल से दो ऊँगली का पोर, मैंने कलाई की पूरी ताकत लगा दी, बड़ी मुश्किल से पूरे जोर के बाद, लग रहा था कमल की बहिनिया रेनू ने कभी ऊँगली भी नहीं की ठीक से, एकदम ही कसी कच्ची कोरी,
लेकिन उसके भाई का सुपाड़ा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, मैंने अपने हाथ से पकड़ के बस फंसा सा दिया, चमेलिया ने फिर जोर लगाया, रेनू की चूत फ़ैलाने के लिए, मैंने भी अपने हाथ से पकड़ के हल्का सा और पुश किया, घुसा तो अभी भी नहीं था लेकिन फंस गया था,... मैंने चमेलिया को इशारा किया, वो रेनू की सर की ओर, अब रेनू के भाई कमल को रोकना मुश्किल था, उसके मोटे कड़े सुपाड़े को कच्ची बिन चुदी चूत की महक मिल गयी थी, वो कसमसा रहा था पूरी ताकत से ढकेलने के लिए और बिना पूरी ताकत से पेले उसकी बहन रेनू की कच्ची चूत में सुपाड़ा घुसना मुश्किल भी था,
मैंने कस के रेनू की कमर पकड़ ली, जिससे वो हिल भी न सके,... और उसके दोनों चूतड़ पकड़ के उसके भैया ने धक्का मार दिया, पूरी ताकत से,...