Premkumar65
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Full planning is ready now. Waiting for mega fuck episode.रेनू -कमल --
किस्सा भाई बहन का
लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली
लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।
और वो चुप हो गयीं।
मैंने रेनू की चाची से पूछा, " और ये सब किस्सा ललिया का पता कैसे चला और फिर ललिया दुबारा हमरे देवर से मिली, का "
वो हलके से मुस्करायीं और चिढ़ाती हुयी बोली,
" यह गांव क खूंटा क मज़ा जो एक बार ले लिया वो कहाँ जाएगा, अरे कुछ तो आपन छोट बहिन भी ले आती हैं,... ललिया थी रंडी पक्की छिनार, तो जान बूझ के घर आना बंद कर दिया, रेनुआ के साथ एक दो बार आयी भी तो ऐसे चलती थी की गांड में अभी भी खपच्ची घूसी हो. लेकिन कमल के साथ एक दिन भी जो नागा किया हो, गाँव में लड़का लड़की के मिले के जगह क कौन कमी,... कभी गन्ने के खेत में, तो कभी बँसवाड़ी के पीछे, और गाँड़ खुद कह के मरवाती थी,... "
मैं ध्यान से सुन रही थी और रेनू की चाची कमल की बात बता रही थीं ललिया के साथ कैसे कैसे, उन्होंने आगे बात बढ़ाई,
" और ललिया जो चारो ओर सब लड़कियों में कमल के बारे में फैलाई थी तो कउनो लड़की उस से बात करे को न तैयार, चुदवावे को तो छोड़ दो,... और ललिया जब जहाँ कमल कहे वहां आने को तैयार, दिन दहाड़ें, आधी रात,... तो कमल को लगता की पूरी दुनिया में उसकी हितवा वही है, और चुदवाती भी खूब मजे से थी,... गाँड़ भी बिना नागा,... उधर रेनू भी लीलवा को पक्की सहेली और कमल को दुश्मन माने बैठी थी, दोनों लीलवा के खिलाफ एक बात सुनने को तैयार नहीं,...
तो पता कैसे चला, मेरी समझ में नहीं आया, मैंने पूछ ही लिया,...
" अरे बताया तो उसका बाप, पटवरिया गाँव से दुरदुरा के निकाला गया, परधान के बदलने पर,... तो ओहि दिन जिस दिन बाप बेटी गाँव छोड़े,... लीलवा को उसका ग्वाला भी, पहले गाय दूहता था फिर लीलवा को,.. तो लीलवा ने उसी ग्वाले के आगे सब उगल दिया, बाद में जब लगा की गड़बड़ हो गया तो उसे सब कसम धरायी, लेकिन हम सबको सक तो था ही, तो वही कलवतिया, ... बाप बेटी के जाने के दस पन्दरह दिन बाद उसी ग्वाले से,... और उसने सब किस्सा बताया तो उसकी चाल समझ में आयी लेकिन जो बिस बेल बो के गयी थी वो पनप ही गयी। "
रेनू की चाची ने बताया फिर एकदम चुप, चेहरा झांवा,... बस रो नहीं रही थीं।फिर बहुत धीरे धीरे बोलीं, रेनुआ वो अब एकदम चुप्प, कतो गाना रतजगा होता है तो वहां भी नहीं जाती, मैं सोचती हूँ सादी बियाह होगा गौना होगा तो वहां भी कैसे, ऐसी हदसी डरी घबड़ायी रहेगी तो कैसे और कमल की भी हालात, अइसन सोना अस देह, जांगर ताकत लेकिन हम लोगन तो तो पूरे घर पे जैसे गरहन ,
लेकिन में बोली थोड़ा हड़का के और मुस्करा के
" देवर किसका है "
" तुम्हारा " वो बोली,
" देवर मेरा, भौजी मैं,... उसकी तो चिंता मैं करुँगी आप क्यों चिंता कर रही है " मैं हंस के बोली।
और वो भी खिलखिला के बोलीं, " बात तेरी एकदम सही है तेरा देवर तेरे हवाले "
" तो मेरा एक काम कर दीजियेगा, मेरे देवर को बोल दीजियेगा,...कल ठीक साढ़े दस बजे आम वाली बगिया में पोखर के बगल में पहुँच जाए, न एक मिनट पहले न एक मिनट बाद, हाँ और आपकी बिटिया रेनू को इसकी कानो कान खबर न हो की मेरा देवर वहां आएगा। लेकिन ये बताइये,... की बाकी सास लोग तो गाँव छोड़ के छावनी गयी हैं मजे करने के लिए , आप ने कोई यार बुलाये हैं का,... जो आप नहीं गयी। "
मारे ख़ुशी के उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरी माँ को गरियाते बोलीं " एकदम पक्की छिनार क बेटी हो,... पैदायसी रंडी होगी तोहार महतारी अरे हम मायके जाएंगे , कल भिसारे के पहले ही,... फिर एक दो दिन बाद,... "
उनकी बात काट के मैं बोली, ...
" अरे तो हमरे देवर के मामा क पिचकारी अकेले अकेले काहें पकड़ियेगा, अपनी जेठानी को रेनुवा क माई को भी साथ ले जाइये,... और खबरदार जो हफ्ता भर से पहले लौंटी, ... और लौटिएगा, तो हमार देवर और तोहार बिटिया रेनुआ एक बिस्तर में मिलेंगे,... चिपका चिपकी करते, जो कातिक में कुत्ता कुतिया की हाल होती है न वो नंबर भी डंका देंगे दोनों,... बस हमार देवर कल पहुँच जाये। "
एक बार फिर उन्होंने अँकवार भरा , असीसा की तोहरे मन की कुल बात पूरी हो, .. ननद देवर तोहरे मर्द सब पर तोहार हुकुम चले,...
और अभी तो पहले मेरी मन की ये इच्छा पूरी होनी थी मेरे साजन मेरी ननद के ऊपर,... लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी,
रेनू और कमल के बारे में कैसे कहानी बदलती है,
सबसे पहले मैं सोच रही थी स्साली रेनुआ हाईस्कूल पास कर गयी साल भर पहले और अभी तक फटी नहीं, यहाँ तो लड़कियां हाईस्कूल के पहले ही सब पढाई पढ़ लेती हैं, गन्ने के खेत का सब पाठ लौंडे पढ़ा देते हैं, ...झांटे बाद में आती हैं लौंड़ा पहले ढूंढती है,... पता चला की उसका भाई कमल, एकदम कटखना कुत्ता, कोई उसकी बहन की ओर नजर उठा के भी देख ले तो उसकी आँख फोड़ने को तैयार, एक ने खाली छेड़ दिया था तो उसका हाथ तोड़ दिया,
मेरी समझ में नहीं आ रहा था की लंका में ये विभीषण कैसे , यहाँ तो सब भाई पहले घर के माल पे, ... और ये लट्ठ लेकर रखवाली कर रहा है,... बाल ब्रह्मचारी,
और नैना ने बात साफ़ की
कोई ब्रह्चारी नहीं है स्साला नंबरी चोदू है, गदहे ऐसा लंड है इसलिए रेनुआ भड़कती है, और उसने बोल रखा है की कुछ भी हो रेनुआ चढ़ेगी तो सबसे पहले उसके खूंटे पे। कितनी काम वाली घास वाली चोद चुका है, सब बताती है की चोदने में पूरा सांड़ है , खाली औजार ही नहीं बित्ते भर का ताकत भी कमर में जबरदस्त है,... लेकिन आराम आराम से नहीं, गाली दे दे के , रगड़ के पेलता है।
लेकिन पूरी कहानी रेनू के चाची ने साफ़ की
और बस कल सुबह रेनू और कमल की गाँठ जुड़वानी है , देवर को ननद पर चढाने से बड़ा पुण्य काम भौजाई के लिए क्या होगा।
और अब बात अगले दिन की, मेरी सारी गाँव भर की नंदों ने मनाया,
मेरा भाई मेरी जान,...
जिसके जिसके सगे भाई थे, छोटे बड़े, सब चढ़े अपनी बहनों पर कच्ची कलियाँ हो, बिन ब्याही चुदी ननदें हो या ब्याही और गौना न हुआ, साजन के पहले भाइयों ने नंबर लगाया, कुछ ने सीधे, कुछ ने धोखे से कुछ ने जबरदस्ती, लेकिन सबका पानी बच्चेदानी तक गया,... और जिसके सगे नहीं थी, तो चचेरे, नहीं तो उसी पट्टी के जिसको वो राखी बांधती थी, सबके सामने भैया भैया बोलती थीं, उन सब के संग जम के चुदेया हुयी और वो भी बीच गाँव में सब भौजाइयों के सामने,...
न कोई ननद बची न बिन ब्याहा देवर,
सब ने होली के संग राखी मनाई,