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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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कोमल मैं फिर भी जोरू के गुलाम के कहानी से ठीक चल रही है कहानी जिसकी माल वही होगी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
Immediately after Xmas, most probably on the 27th and before the year ends another post on JKG. Thanks so much. This was the comment i was most eager and looking forward to, a friend asking for update. When I hover over other stories, there are many clamors for updates and lamentation, ' Ye bhi band ho gayi' and again after a few months story starts with a sputter, meanwhile, views soar.Please update komal ji
Mujhe bhi ajeeb lgta hai. Other readers bina sir per ki stories pr update maangte rehte hai or aap jese writer ki kadar nhi krte. Or new saal se pehle dhamaka hona chahiye. Or i suggestion apki kisi ek story ki timeline bhi real time se match krni chahiye. Jese abhi kisi story me bhi new year or chrismas ka scene aaye. Then it may feel that story is real and parallely running somewhere.Immediately after Xmas, most probably on the 27th and before the year ends another post on JKG. Thanks so much. This was the comment i was most eager and looking forward to, a friend asking for update. When I hover over other stories, there are many clamors for updates and lamentation, ' Ye bhi band ho gayi' and again after a few months story starts with a sputter, meanwhile, views soar.
Yes i agree the post got delayed. But next week two posts one on both stories before we bid good bye to 2023.
कहानी में किरदारों का वर्णन कुछ दिनों तक का हीं रहता है...Mujhe bhi ajeeb lgta hai. Other readers bina sir per ki stories pr update maangte rehte hai or aap jese writer ki kadar nhi krte. Or new saal se pehle dhamaka hona chahiye. Or i suggestion apki kisi ek story ki timeline bhi real time se match krni chahiye. Jese abhi kisi story me bhi new year or chrismas ka scene aaye. Then it may feel that story is real and parallely running somewhere.
Holi pr to apne alread esi story banayi hai baki festival or real event ko story se connect kariye.
आपकी करिश्माई लेखनी हर बार मुग्ध कर देती है...बदल गयी रेनू
रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।
कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
लीना के चेहरे से ख़ुशी झलक रही थी, पहली बार उसकी चुनमुनिया पे मरद की जीभ लगी थी वो भी एकलौते सगे बड़े भाई की। वो चूतड़ उठा उठा के चटवा रह थी, चिढ़ा रही थी अपने भाई को उकसा रही थी, और साथ में सुगना भाभी भी अपनी ननद के साथ मिल के
" बहुत रसमलाई खाये होंगे ऐसी रसमलाई न खाये होंगे बाबू, सगी बहिनिया से मीठी कोई रसमलाई नहीं होती। "
" अरे सुगना भौजी, ये बेचारा कब से ललचा रहा था आपका देवर,... " लीना भी चिढ़ा रही थी और कस कस के अपने भाई के सर को पकड़ के अपनी कच्ची बिना झांटो वाली चूत पे रगड़ रही थी।
रेनू सोच रही थी एक ये लीना है कल की बच्ची और एक मैं थी।
इस से भी बड़ी, ... नौवें में, कमल भैया ने खाली चुम्मी लेने की कोशिश की थी और मैंने कैसे झिड़क दिया था माँ ने भी समझाया, कलावती तो जिस दिन से मेरी माहवारी शुरू हुयी थी उस दिन से ही लेकिन मैं ही पागल,...
थोड़ी देर में लीना ने खुद ही अपने भाई को हटा दिया और अपनी दोनों टाँगे फैला के, आँखों के इशारे से अपने भाई बिट्टू को, सुगना ने लीना के जितने कपडे उतरे थे सब के सब लीना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के,... और लीना ने खुद ही अपने भाई के कंधो पर टाँगे उठा के रख दी,...
" आओ न भैया,... "
जिस सेक्सी आवाज में लीना ने बिट्टू से कहा कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था, ये नहीं था लीना को डर नहीं लग रहा था, लेकिन वो अपना डर अपने भैया पर जरा भी जाहिर न होने देना चाहती थी। कोई भी भाई बहन को दर्द नहीं देना चाहता, लेकिन बिना दर्द दिए बहन चुद भी नहीं सकती। और ये बात भाई से ज्यादा बहने जानती हैं। बिट्टू का कमल ऐसा मोटा तो नहीं था लेकिन कम भी नहीं था और इस उम्र वाली के लिए तो ऊँगली में भी जान निकल जाती है और वो भी बिना तेल या वैसलीन के,...
रीनू लीना की एक एक हरकत देख रही थी, कैसे लीना ने बाग़ में लगी घास को कस के पकड़ रखा था, पर जाँघे पूरी तरह खोल रखी थीं, देह को ढीला कर दिया था।
क्या धक्का मारा बिट्टू ने लीना की पतली कमर पकड़ के, गप्प दो धक्के में ही सुपाड़ा अंदर। लीना की चूत फटी जा रही थी, दर्द पूरी देह में था लेकिन वो अपने भाई को देख के मुस्करा रही थी,...
उस के भाई को कुछ तो अंदाज था लीना के दर्द का लेकिन लीना ने चिढ़ाया,... " क्यों भैया, अरे अभी तो पूरा मूसल बाकी है। किस के लिए बचा रखा है ? मैं तो तेरी एकलौती बहन हूँ, कोई चचेरी ममेरी भी नहीं है। "
और उस के बाद धक्के पर धक्के,...
लीना के चूतड़ के नीचे के खेत के ढेले चूर चूर हो गए, एकदम पतली धूल। जो घास उसने पकड़ रखी थी उखड़ के उसके हाथ में आ गयी थी. जहाँ भाई का खूंटा घुसा था, वहां से रिस रिस कर खून की बूंदे गिर रही थी, मिट्टी का रंग भूरा हो रहा था। लीना के मुंह से चीख निकल गयी,
और भाई का धक्का रुक गया, औजार अभी भी आधा बाहर था. लेकिन लीना ने तुरंत अपनी टांगों से भाई की कमर को कस के अपनी ओर खींचा, और दर्द के बावजूद हलके से मुस्करा दी.
रेनू की निगाह, लीना की फटी चूत से निकलती खून की बूंदे,... लीना की मुस्कराहट, किस तरह उसने अपने भाई को अपने अंदर खींचा,... अपने भाई के मजे के लिए लिए कुछ भी दर्द सहने को तैयार थी वो
रेनू कमल के सीने पर सर रख के उसी के सहारे बैठी थी, अपनी बड़ी बड़ी आँखे अपने भाई की ओर उठा के देखते हुए उसका चेहरा अचानक उदास हो गया, एकदम झांवा, आँखे जैसे बुझ गयीं,... हलके से बोली,...
" भैया मैं बहुत बुरी हूँ, ... आपको इत्ते दिन, क्या क्या न बोला,... "
कमल प्यार से अपनी बहन के लम्बे बाल सहला रहा था, और रेनू के मुंह से शब्द बस निकलते जा रहे थे जैसे नदी ने बाँध तोड़ दिया हो,...
" पूरे चार साल, ... आप ने, माँ ने सब ने कितना समझाया,... लेकिन मैं एकदम पागल,... न जाने क्या हो गया था मुझको,... बहुत दुःख दिया आपको मैंने,... कैसे ट्रीट किया,... सच में मैं बहुत बुरी हूँ "
अब मुझे लग गया की मुझे बीच में पड़ना चाहिए, मैंने बात को हलकी करते हुए रेनू को चिढ़ाया,...
" अरे ननद रानी, तू बुर वाली है बुरी नहीं, चार साल का सूद के साथ अब आज से हिसाब चुकता कर दे. मत छोड़ इसे "
" हिम्मत है इनकी अब ये नहीं चढ़ेगा मेरे ऊपर तो मैं चढूँगी इसके ऊपर, नयकी भौजी ऐसी गुरु मिल गयी है ' एकदम से रेनू का मूड बदल गया कस के अपने भाई को चूमते बोली,
और एक हाथ से खूंटे को पकड़ के दबोच लिया।
" और अगर ये मेरा देवर किसी और माल पे चढ़े तो मुंह फुला के तो न बैठ जायेगी मेरी बिन्नो " मैंने रेनू से बात साफ़ कर ली।
" एकदम नहीं, ... मेरा भाई पक्का सांड़ है,... और का कहते हैं हाथी घूमे गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नांव,... तो लौट के आएगा रात को,... "
" अपनी मेहरिया के पास ही " रेनू की बात हँसते हुए मैंने पूरी की।
" एकदम मरद मेहरिया झूठ, भौजी रोज आप का नंबर ड़काऊंगी। " रेनू ने मेरे मन की बात कह दी।
" हर रात गौने की रात " मैंने बात आगे बढ़ाई। फिर कमल से वही सवाल पूछ लिया,...
" अगर मेरी ननद किसी और के आगे टांग फैलाये "
लेकिन जवाब अबकी फिर रेनू ने ही दिया,...
" अरे नहीं भौजी , इतना मस्त मूसल छोड़ के मैं काहें जाउंगी किसी और के पास,... मैं तो बस अपने कमल भैया से बार बार, वो जब चाहे जहाँ चाहे जैसे चाहे,... लेकिन भौजी मेरी एक बात आप भी रखिये,... मैंने देखिये आप के सामने तो एक बार,... आप भी अपने देवर से "
" हे स्साली बचपन की छिनार, तेरा मन भरता होगा एक बार में, तेरी भौजी का एक बार में कुछ नहीं होगा ,... सिर्फ एक बार क्यों,... और तुझसे लजाती हूँ क्या "
तबतक एक बार हम सबका ध्यान लीना और बिट्टू की ओर चला गया दोनों झड़ रहे थे साथ साथ।
कोई मुझे बुला रहा था,
महुआ के पेड़ों के एक झुण्ड के पीछे से गुलबिया और उसकी ननद कजरी, मुझे इशारा कर रहे थे,... मुझे याद आ गया, मैं उठी और साथ में रेनू और कमल भी, दोनों ने कपड़े पहन लिए थे.
मैंने दो शर्ते कमल को बोली थीं रेनू की दिलवाने के लिए, बस पहली शर्त मैंने याद दिलाई
एक कच्ची कली है, बेलवा के साथ पढ़ती है, बहुत नखड़ा करती है स्साली , अपने गाँव की नहीं है, उसकी झिल्ली फाड़नी है वो भी बेरहमी से, जहां जाए दूर से पता चल जाए किसी तगड़े मरद के नीचे से रगड़वा के आ रही है, स्साली बहुत नखड़ा पेलती है, पूरे गाँव की इज्जत का सवाल है, एकदम कच्ची कोरी है।
बिना बोले उसके आंख का अचरज मैं देख रही थी, आज के पहले वो सोच नहीं सकता था, की किसी कुँवारी लड़की के साथ, चुदी चुदाई भी,... चंदा ऐसी जो सदाबर्त चलाती थीं, जिनकी टाँगे फैली ज्यादा रहती थीं,... वो भी उसके नाम से टांग सिकोड़ लेती थी,
एक तो इतना मोटा मूसल दूसरे उसकी बेरहमी भी मशहूर हो गयी थी जो रेनू की सहेली का किया धरा था,... कुछ तो ताने भी मार देतीं,...
अरे तेरे घर में खुद एक कोरा माल पड़ा है, वो तो तेरे से,...
बेचारे कमल का काम कभी महीने दो महीने दो चार बच्चे की माँ,... कोई कामवाली कभी मान जाती, उसका मन रख लेती,...
और आज उसकी बहन के ऊपर न सिर्फ चढ़ने का मौका मिल गया बल्कि पिछवाड़ा भी, स्साली रेनुवा जब चूतड़ कसमसा के टाइट शलवार में चलती थी तो दूर से देखने वालों की पैंट भी टाइट हो जाती थी, वो तो भाई था, हर पल घर में रहता था। लेकिन मरवाने को कौन कहे छूने भी नहीं देती थी. और ऊपर से मैं बोल रही थी, चल तुझे एक कच्ची कली और दिलवाऊं,... वो भी एकदम कमसिन। रेनुवा की फटी नहीं थी लेकिन वो इंटर में पहुँच गयी थी जबकि गाँव में हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने के पहले कोई न कोई निवान कर ही देता था.
और मैं जिसके बारे में बात कर रही थी वो एकदम ही सुकुवार,...
हाँ इस पुरवा की नहीं थी,... लेकिन थी तो बाइस पुरवा की ही.
bahoot kuch depend karta ha story kahan par based hai aur uski time line kya haiMujhe bhi ajeeb lgta hai. Other readers bina sir per ki stories pr update maangte rehte hai or aap jese writer ki kadar nhi krte. Or new saal se pehle dhamaka hona chahiye. Or i suggestion apki kisi ek story ki timeline bhi real time se match krni chahiye. Jese abhi kisi story me bhi new year or chrismas ka scene aaye. Then it may feel that story is real and parallely running somewhere.
Holi pr to apne already esi story banayi hai baki festival or real event ko story se connect kariye.
बहुत बहुत धन्यवादआपकी करिश्माई लेखनी हर बार मुग्ध कर देती है...
मुखाकृति... भावभिव्यक्ति .. हाव-भाव... प्रकटन...
घटनाओं एवं दृश्य को वास्तविकता के धरातल पर उतार देते हैं....
साथ में जो बाकी पात्रों की प्रस्तुति और भी चार चाँद लगा देती है ... अपने एक्शन और संवादों से...
ऐसी कामना उत्पन्न होती है कि ये कभी खत्म हीं न हो..
लेकिन सबकी अपनी सीमा है...
इसलिए अधिक कुछ न कहते हुए बस इतना हीं कहना चाहूंगा कि अगले अपडेट के लिए प्रतीक्षारत रहेंगे...