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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
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ननद की सास, और सास का प्लान
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so many thanks aise comments story ko encourage karte hain.उफ्फ... कामुक......
बहुत .. कामुक......
एकदम चार साल का उधार जो चुकता करना है दोनों को।ये गठबंधन आगे भी बरकरार रहना चाहिए...
इस गाँव में वो है नहीं,पटवारी कहीं और किसी दूर के गाँव में नाप जोख कर रहे हैं।लेकिन साली पटवारी की लौंडिया इस होली में अछूती रह गई...
एकदम, इग्नोर करना ही ठीक रहता है।हाँ .. शायद दो लोगों में द्वंद भी छिड़ गया था...
लेकिन फिर भी बाज लोग अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आते...
पर एक पुरानी कहावत है... कुत्ता भुके हजार हाथी चले बाजार...
Ekdam sahi kaha aapne, aisi udar dildaar bahnen ho to Bhai bahar kyon time waste karen. aur ek baar bhabhiyon ke saamne khule aam ho jaayega to na bhaan jhjhkegi na bhai.एक एक अपडेट रस से भरपूर..... वो कहावत है ना 'दिन में भैया और रात में सैंया'.... यहाँ तो दिनदहाड़े सब भैया अपनी बहिनी के सैंया बन रहे..... अब तो भैया लोग घर से बाहर ना निकले कभी
You are master in presenting the emotions of each character.
Making characterization of each character and their persona differently so as to avoid repetition..
You are fantastic story writer.
Hats off to you.
कोमल मैं फिर भी जोरू के गुलाम के कहानी से ठीक चल रही है कहानी जिसकी माल वही होगी आपका बहुत-बहुत धन्यवादलीना
आप सब के सहयोग, प्यार और आशीर्वाद से जोरू का गुलाम कहानी के २२ लाख से ज्यादा व्यूज हो चुके हैं। वह अपनी विधा में नंबर १ पर है। और आप सब का इसी तरह सहयोग रहा तो २५ लाख जरूर पार करेगी।कोमल मैं कहानी में एक लॉजिक रहना चाहिए जोरू के गुलाम में कहानी में समझ में नहीं आ रहा है किस तरफ जा रहा है उसे कहानी में जो सीधा है उसके साथ गलत हो रहा है जो टेढ़ा है उसके साथ सही हो रहा है और इसका क्या लॉजिक है रीनू उनकी जो साली है साली के और से कुंवारापन क्या मिलेगा शरीफ बना गलत बात है कि टेढ़ा बना गलत बात है जो कुंवारापन अपने बीवी को दिया क्या वह गलत था क्या उनके साडू भाई लोग ने जो कुंवारापन पहले ही खो दिया था कि वह सही था गुड्डी जो इनकी माल बताई जाती थी इनकी माल है या गांव सामाजिक माल है लड़की किसी के साथ हम बिस्तर नहीं होती जब तक उसका फायदा ना हो रंडी है तो पैसा लेगी अगर प्यार में लोग कुछ करते हैं तो समय और पैसा दोनों जाता है इसमें लॉजिक समझ में आता है लेकिन यह कहानी किस तरफ जा रही है यह समझ में नहीं आ रहा है अगर किसी को समझ में आ रहा है तो भाई कमेंट करके बता दो शुरू शुरू में तो सभी कहानियां अच्छी लगती थी लेकिन कोमल में जैसे-जैसे कहानी बढ़ती गई उसे वैसे दिल टूटा गया अच्छे के साथ अच्छा होता है गलत के साथ गलत होता है तब जाकर कहानी इन टेस्ट बढ़ता है और पढ़ने मजा भी आता है जैसे गुड्डी की भाभी अपने नंद को सीख रही है धंधा कैसे किया जाता है ऐसा लगता है आगे चलकर धंधा ही करना है कोमल में जैसे उनकी जेठान थी एक वह गलत थी उसके साथ गलत हुआ वहां तक कहानी पढ़ने में बहुत मजा आया था इसके आगे क्या लॉजिक है वह समझ में नहीं आ रहा है कोई अगर कमेंट पढ़ने के बाद समझ में आया हो तो मुझे कमेंट करके बता दो कहानी किस तरफ जा रही है इसमें क्या लॉजिक है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद