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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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Saw it and I too responded to your comment. Thanks once again.Yes i enjoyed your comment and posted my response too on the thread.
सैया बने नंदोई. वाह तो ननंद बनी सौंतन. गलत तो दोनों मे से कुछ भी नहीं.भाग ८६ ----इन्सेस्ट कथा
सैंया बने नन्दोई
17,58,958
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आज वो दुबारा झड़ के भी नहीं रुके, और मैंने भी तो अंदर से ऊँगली नहीं निकाली, वो क्या कहते हैं, प्रॉस्ट्रेट पर, जब उनका झड़ना रुक गया, तो मैंने प्रोस्ट्रेट पर रगड़ना शुरू कर दिया, दो चार सेकेण्ड तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन फिर जैसे कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा, पहाड़ में से कोई झरना निकल गया हो,
५ बार, ६ बार झड़ना रुकता फिर चालू, और जब दोनों रुक भी गए तो उसी तरह दस मिनट तक एक दूसरे से चिपके, ... फिर धीरे धीरे मेरे मर्द ने अपनी बहिन की बिल से अपना झडा हुआ खूंटा निकाला, और बगल में कटे पेड़ की तरह गिर के,...
लेकिन मैं थी न, मैंने अपनी उँगलियों से ननद की बुर की दोनों फांको को जैसे पकड़ के सील कर दिया और चूतड़ उसी तरह उठे, एक भी बूँद मलाई की बाहर नहीं निकली। उनके झड़ना रुके दस मिनट हो गए थे ननद भी थकी सी लग रही थीं।
लेकिन ननद रानी को गरम करना मेरे बाएं हाथ का खेल था, पांच दस मिनट बाद मैंने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया।
बस मैं अपने साजन की बहिनिया की जस्ट चुदी बुर पर हथेली रख के मैं धीरे धीरे सहला रही थी, और थोड़ी देर में ही मेरी ननद गरमाने लगी. वो भी अपने बहन की हालत देखकर मुस्करा रहे थे. थोड़ी देर में ही उनकी बहन की बुर फड़फड़ाने लगी, कस के दोनों फांको को मैंने रगड़ते हुए चिढ़ाया,
" मज़ा आया मेरे सैंया का लौंडा घोंट के. "
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मेरे सैंया की बहन भी मुस्करायी बोली,
" भौजी, तेरे सैंया के पहले मेरे भैया थे "
" तेरे भैया थे तब नूनी थी मेरे सैंया हो गए तो लौंड़ा हो गया, समझीं सैंया की बहन जी "
मैं कौन पीछे हटने वाली थी, लेकिन ननद मेरी पैदायशी खानदानी छिनार, पलट के बोली,
" भौजी, लेकिन नूनी से लौंड़ा किया किसने, भूल गयी गौने की रात. का मिला था नूनी की, जबरदस्त मूसल, सबेरे चिरैया का मुंह एकदम लाल हो गया था रात भर धक्का खा खा के "
अब मैं लजा गयी,
मेरी ननद ने गौने की अगली सुबह की याद दिला दी,
मेरी दो ननदें पकड़ के, बल्कि टांग के मुझे मेरे कमरे से उठा के ले आयीं जहाँ मेरी सब ननदें कुछ जेठानिया भी थीं,
और यही ननद जिद करने लगीं की भौजी सास लोग ऊपर वाली मुंह दिखाई करती हैं, हम ननद तो नीचे वाली,
तो एक कोई छुटकी बोली, और का भौजी हमरे भैया को तो बुलबुल आपन दिखाय दी और हम ननद से का लजा रही हैं,
मैं ने कस के लहंगा पकड़ लिया, लेकिन मेरी इन्ही ननद ने इशारा किया.
मैं समझ नहीं पायी तब तक नीलू और लीला मेरी दोनों छोटी ननदों ने कस के मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए पीछे से, और दो छोटी ननदों ने आराम से धीरे धीरे लहंगा सरका दिया एकदम कमर तक अब सब ननदें लगी देखने, यही बोलीं
" अरे भौजी, भैया ने रात भर धक्का मारा का कैसे चोट लग लग के लाल हो गयी है कउनो मरहम लगा दें का "
तबतक अंदर से रात भर की मलाई भी थोड़ी सी छलक कर बाहर निकली
तो चीनू इनकी ममेरी बहन बोली, अरे भैया ने मरहम लगा दिया है, और मेरी दोनों फांके फैला दीं तो भरभरा कर,... ,
तो आज ननद उसी का जिक्र कर रही थीं।-
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बात में तो मैं जीत नहीं सकती थी तो मैं एक्शन पे उतर आयी,
उस दिन की तरह मैंने भी इनकी बहन की बुर फैलाई और कुप्पी की तरह मलाई भरी थी, ऊपर तक, बजबजा रही थी, ननद के भैया की रबड़ी मलाई से
बस ऊँगली से मैंने थोड़ी मलाई लगाई और ननद के मुंह में लगा दी।
नदीदी ने चाट लिया।
और मेरे कुछ कहने के पहले अपने भैया से उनकी बहन बोली, " भैया बहुत स्वादिष्ट है, मस्त मस्त "
" अब रोज खिलाना मेरी ननद को बिना नागा, तीनो मुंह में "
मैं भी उन्हें चिढ़ाती बोली और ननद की चुनमुनिया पर हमला बोल दिया. पहले दोनों फांको को चूसती रही, फिर अंदर जीभ डाल के मलाई लपेटी और पलट के वही जीभ मेरी ननद के मुंह में, अभी थोड़ी देर और जहाँ थोड़ी देर पहले मेरे मरद का मोटा लंड धक्के मार रहा था,
वहीँ, मेरे मरद की बहन की चूत पर मेरी चूत घिस्से मार रही थी,
" मेरे मरद से तो बहुत मज़ा ले लिया अब थोड़ी देर हमहुँ से मज़ा ले लो, ननदी "
मस्ती ननद भौजाई की
" अब रोज खिलाना मेरी ननद को बिना नागा, तीनो मुंह में "
मैं भी उन्हें चिढ़ाती बोली और ननद की चुनमुनिया पर हमला बोल दिया, पहले दोनों फांको को चूसती रही, फिर अंदर जीभ डाल के मलाई लपेटी और पलट के वही जीभ मेरी ननद के मुंह में, अभी थोड़ी देर और जहाँ थोड़ी देर पहले मेरे मरद का मोटा लंड धक्के मारा रहा था, वहीँ,
मेरे मरद की बहन की चूत पर मेरी चूत घिस्से मार रही थी,
" मेरे मरद से तो बहुत मज़ा ले लिया अब थोड़ी देर हमहुँ से मज़ा ले लो, ननदी "
-मेरे होंठ इनकी बहन के होंठ को चूस रहे थे, हाथ मेरे कस के दोनों चूँचियों को निचोड़ रहे थे और नीचे धक्के पर धक्का,...
बस थोड़ी देर में ननदिया गरमा गयी और वो भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थी. और जब पल भर के मैंने होंठ इनकी बहन के होंठों से हटाए तो उसका मुंह चलने लगा,
" अरे भौजी रोज तो हमरे भैया से मजा लेती हो, तो एक दिन हम भी मजा ले लिए अपने भैया से तो का हुआ,... "
" अरे एक दिन काहें ननदी, रोज मजा लो अपने भैया से, ओकरे बाद हमरे भैया से,... एक आगे एक पीछे से "
कस के धक्के मारते मैं बोली।
वो देख रहे थे ललचा रहे,थे और खूंटा धीरे धीरे फिर फनफनाने लगा था,
मर्दों को लेस्बियन देखने में बहुत मजा आता है और वो दोनों औरतें जो मजा ले रही हो एक बहन हो एक बीबी फिर तो और,... और मैं चाहती भी यही थी की इनका फिर से टनटनाये और फिर अपनी बहिनिया पे चढ़ के कुटाई करें।
" ननद रानी तोहार चूत महरानी तो अच्छे से आज झड़ गयीं, खूब पेट भर के मलाई भी खायी, और तोहार भौजाई की बुरिया अभी भी पियासी, एक बार तनी,... "
मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की मेरी ननद, सच में पक्की छिनार थी, एकदम अपनी महतारी पे, बुआ पे गयी थी.
जिस तरह से मैंने उसे चुदवाया था अपने मरद से एकदम उसी तरह से मेरी दोनों टांगों को ऊपर किया, चूतड़ को खूब उठाया, और जो तकिया पूरे घर की मैंने उस स्साली के चूतड़ के नीचे लगाया था की बीज सीधे बच्चेदानी में जाये, वो सब तकिया मेरे चूतड़ के नीचे,
वो टुकुर टुकुर अपनी बहन की शैतानी देख रहे थे,... मुस्करा रहे थे। गरमा रहे थे।
वो नीचे बैठ गयी और मुझे लगा की इनकी बहन की जीभ अब मेरी बिल पे,... लेकिन नहीं, ...
उसने मेरे पिछवाड़े के छेद पे हमला किया। जीभ से बस गोलकुंडा के चारो ओर हलके हलके चक्कर काटा , चार, पांच, और जब मैं चूतड़ उचकाने लगी, तो बस मेरी ननद ने जीभ की टिप से मेरी पिछवाड़े की दरार पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया, जैसे जीभ से ही गाँड़ मार लेगी मेरी,...
मेरी जो हालत खराब हो रही थी वो तो हो ही रही थी, मुझसे ज्यादा इनकी,
ये तो बचपन से पिछवाड़े के छेद के दीवाने, पहले सेंध वहीँ लगाई, ट्रेनिंग वहीँ की,... अब खूंटा एकदम जग गया था,...
और अब मेरी ननद की उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं थीं सांप की तरह सरसराती, बिच्छी की तरह डंक मारती,
मेरी उठी फैली मांसल जाँघों पर हलके हलके सरकती, और एक झटके में इनकी बहन ने अपनी हथेली में मेरी दोनों फांको को दबोच लिया और लगी रगड़ने,
साथ ही में उसके होंठ अब मेरे पिछवाड़े,... चुम्मे पर चुम्मा,
जहाँ मेरा पिछवाड़ा था खुली हुयी जाँघे उसी तरफ उसके भाई का सर, दो ढाई बित्ते दूर बस,
सब साफ़ साफ़ दिख रहा था, बहन की बदमाशी मेरी ख़राब हो रही हालत,... और मेरी खराब हालत देख के उनकी भी हालत खराब हो रही थी,.. और जितनी उनकी हालत खराब हो रही थी, जितना उनका खूंटा बौरा रहा था, उतनी ही उनकी बहन की बुर की भी बुरी हालत होने वाली थी,
बस थोड़े ही देर में,...
कुछ देर तड़पाने के बाद मेरी ननद ने अपने दोनों होंठ मेरी बुर पे लगा दी,
पहले तो बस जीभ से सपड़ सपड़ ऊपर से नीचे पांच बार और पांच बार नीचे से ऊपर तक, मैं अच्छी तरह पनिया गयी, बुर मेरी पानी फेंक रही थी, दोनों फांके फड़क रही थीं, बस मेरी ननदिया ने अपनी जीभ की टिप से दोनों फांको को अलग किया, अच्छी तरह और पेल दी अपनी जीभ मेरी बुर में जैसे रोज रात में उसका भाई अपना मोटा मूसल पेलता है, उसी जोश से।
और जीभ मेरे मरद की बहन की कभी अंदर से बुर की दीवालों को रगड़ती तो कभी गोल गोल घूमती, कभी आग लगाती कभी पानी निकालती,...
उँगलियाँ उस शैतान की भी खाली नहीं थीं, दाएं हाथ से वो मेरी क्लिट रगड़ रही थी, और बाएं हाथ से जोबन मसल रही थी,
एकदम अपने भैया की ताकत से,...
आग लगी हुयी थी मेरे नीचे,
मैं तड़प रही थी सिसक रही थी चूतड़ पटक रही थी,...
' अरे मेरे मरद क बहिनी, मेरी मीठी ननद जरा झाड़ दो काहें तड़पा रही हो " मैं चीख रही थी।
लेकिन ननद कौन जो भाभी को कलेस न दे, अपने महतारी की बुर से निकलते ही पहली चीज यही सोचती हैं,...
बजाय झाड़ने के मेरी ननद ने मेरी बिल से अपनी जीभ बाहर कर दी, और चिढ़ाते हुए बोली,
" एकदम भौजी तोहार महतारी दान दहेज़ देके इसी लिए तो आपन बिटिया हमरे गांव भेजी है की रोज चोदी जाए, बिना नागा, खूब झड़े,... तो झाड़ूंगी तो है ही , अपन बहिन महतारी सब को बुला लो सब झाड़ी जाएंगी, यहाँ "
इतनी बुरी भी नहीं थी मेरी ननद,
जहाँ से जीभ निकली थी वहां मेरी मेरी ननद की दोनों उँगलियाँ घुसी, क्या कोई मथानी चलाएगा, जिस तरह से मेरी बुर मथी जा रही थी और फिर उसके होठ
क्या मस्त चूसना शुरू किया मेरी ननद ने। थोड़ी देर में ही मैं चूतड़ पटक रही थी, काँप रही थी,...
और बस उसी समय उसने मेरी क्लिट मसलनी शुरू कर दी,...
मेरी आँखे जैसे उलट गयी हों, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, जैसे मैं हवा में उड़ रही हूँ। सामने नीले पीले रंग के फूल,
मेरी ननद जब झड़ रही थी तो उसके भैया ने धक्के धीमे कर दिए थे पर उनकी बहन, वो और कस कस के चूस रही थी, मेरे निपल और क्लिट मसल रही, दुबारा, तिबारा, चौबारा,
जब मैं एकदम थेथर हो गयी तब उसने मुझे छोड़ा, न मैं बोलने की हालत में थी न हिलने की,...
हाँ मेरी ख़ुश खुश आँखे उसे प्यार से देख रही रही थी, दुलार रही थी, मुस्करा रही थीं,... थोड़ी देर तक हम दोनों उसी तरह से पड़े रहे,...
पर ननद भौजाई की मस्ती देख के ननद के बीरन की हालत एकदम खराब थी
पर यही तो हम दोनों भौजाई ननद चाहते थे, खूंटा जितना भूखा रहेगा, उतना ही दावत कस के उड़ाएगा,...
कुछ देर बाद जब मेरी हालत ठीक हुयी तो उन्हें दिखाते हुए मैंने ननद की बुर की फांको को फैला के उन्हें ललचाया,
" हे कैसी है मेरी ननद की रसमलाई चाहिए,... "
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो तड़प अभी मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
" बहुत मीठी है तोहरे बहनिया की रसमलाई "
Ufff komal ji apke mard ke sath sath yahan bhi ek mard hai jo aapki ye kamuk story padh raha hai apne hath me apna pathar hua lund pakad ke.भाग ८५
इन्सेस्ट कथा
ननद के भैया बन गए सैंया
17,25,416
उनसे नहीं रहा जा रहा था, वो तड़प रहे थे, कभी चूतड़ पटकते थे कभी सिसकते थे, कसमसा रहे थे,
लेकिन मजा तो मुझे उनकी यही हालत देख कर होती थी,
पर अब मुझसे भी बिना चूसे नहीं रहा जा रहा था, मैंने दोनों बॉल्स एक साथ मुंह में भर ली और लगी चूसने, और मेरी तर्जनी बस एक लाइन सी खींच रही थी लम्बे नाख़ून से सैयां के लंड पे नीचे से ऊपर तक,... कभी उसी तर्जनी से सुपाड़े को रगड़ दे रही थी और मना रही थी, उस बांस को,
"आज मेरी ननद के चिथड़े चिथड़े कर देना,... अगर कल ननद बिस्तर से उठने के लायक न रही न, तो बस तुझे तेरी महतारी, ... तेरे मायके वाली सब औरतों लड़कियों की दिलवाऊंगी। कुँवारी,भोंसडे वाली, बच्चों वाली, सब की बिल में घुसवाऊँगी अगर आज मेरी ननद की,..."
मेरी ननद की हालत भी बहुत खराब थी. बेचारी की बुर रानी नौ नौ आंसू रो रही थीं,
इत्ता मस्त खूंटा सामने और मिल नहीं रहा था,...
अब ननद का ख्याल भौजाई नहीं रखेगी तो कौन रखेगा, उसकी खराब हालत को और खराब करने की जिम्मेदारी तो भौजाई की है, बस मैंने ननद की दोनों गीली फांकों को एक हाथ से पकड़ा कर कस कस के रगड़ने लगी, थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलने लगी.
मुड़ के मैंने ननद का एक खूब गीला चुम्मा लिया और उसी भीगे होंठ से सीधे ननद के भैया के खुले सुपाड़े को चूम लिया,...
और गप्पांक एक झटके में पूरा नहीं आधा सुपाड़ा गप्प, ननद को दिखा दिखा के चूस रही थी और थूक के सहारे, गीले होंठों के सहारे पूरा सुपाड़ा गप,
और इशारे में ननद से पूछा चाहिए, उसने जोर से सर हाँ में हिलाया,...
बस मैं हट गयी और उनकी बहन अपनी गीली बुर की दोनों फांको को फैला के अपने भैया के मोटे सुपाड़े के ऊपर, बस किसी तरह फंसा दिया,...
नीचे से बहन के भैया ने धक्का मारा,
ऊपर से ननद की भौजाई ने भी ननद के कंधे पकड़ के जोर से दबाया,... और सूत सूत करके बहन की बुर ने भैया का सुपाड़ा घोंट लिया,... वो भी कोशिश करके पुश कर रही थी, चेहरे पर दर्द भी था मज़ा भी, लेकिन मैंने बोल रखा था,
आवाज एकदम नहीं।
मोटा तो नन्दोई जी का भी काफी था इनसे बहुत होगा १९ होगा, १८ तो एकदम नहीं, लेकिन मेरे साजन का एक तो कड़ा बहुत था दूसरे ताकत बहुत थीं उनमे एकदम हथोड़ा,
लेकिन मेरी ननदिया भी कम नहीं थी, ससुराल में न जाने कितने मरदों का, घोंटा होगा। देवर नन्दोई का तो हिस्सा ही होता है, कई बार ससुर भी हाथ मार लेते हैं नए जोबन पर,... और उसने तो मायके में भी कितनों को स्वाद चखाया होगा तो बेचारा मेरा मरद ही काहें, देख देख के,...
और आज उसका नंबर लगा है तो खूब छक के मज़े दिलवाऊंगी उसको,...
मजामेरी ननद को भी खूब आ रहा था,
ऊपर चढ़ी वो, आधे में अटक गया था, जैसे किसी शीशी के मुंह में मोटा कार्क अटक जाये, वो दोनों हाथों से पलंग की पाटी पकड़ के खूब जोर लगा के अपने को नीचे की ओर प्रेस कर रही थी, और तिल तिल कर रगड़ते दरेरते, घिसटते उसके भाई का मोटा खूंटा अंदर सरक सरक कर,...
करीब दो तिहाई तो मेरी ननदिया ने अपने प्यारे भैया का घोंट ही लिया था, इनकी आँखों पर तो पट्टी बंधी थी, पर उसकी तो आँखे खुली ही थीं.
मुझे भी मजे लेने की सूझी अपनी ननद के बीरन से,... अपने दोनों जुबना उनकी छाती पर रगड़ते उनके कान में मैंने पूछा,
" आ रहा है न मजा सैंया जी "
और जवाब उन्होंने नीचे से अपनी बहिनिया की बुर में कस के धक्का मार के दिया, घुस गया दो इंच और, ननद की चीख निकलते निकलते बची.
और मेरी हंसी निकलते बची,
यही रिश्ता तो मैं चाहती थी भाई बहिनिया के बीच वो भी खुल्ल्म खुला मेरे सामने, सबके सामने,... उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली,
"बहुत हो गया, चढ़ जा यार..."
और गाड़ी नाव पर थी,...