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उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली, बहुत हो गया चढ़ जा यार...
और गाड़ी नाव पर थी,...
इनके साथ कितनी बार मैंने विपरीत रति की थी, ... ऊपर चढ़ के, लकिन बस थोड़ी देर फिर वही ऊपर आ जाते थे और इस बार भी वही लेकिन मैं भी तो थी,
ननद की भौजाई साथ में,
--ननद की दोनों गोरी लम्बी टाँगे, मैंने खुद पकड़ के इनके कंधे पर सेट कर दी करीब दुहरी हो गयी थीं
वो औ ये पलटी जब भी मारते थे, नीचे से ऊपर होते थे मजाल जो की खूंटा एक इंच भी बाहर सरक जाए,... ऑलमोस्ट पूरा अंदर वैसे भी धंसा था ८ इंच के ऊपर ही बस थोड़ा ही बाहर था,... मेरे साजन ने भी एक हाथ से ननद जी की पतली कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से गदराया जोबन,...
और मैंने एक झटके से उनकी आँख पर बंधी पट्टी खोल दी,
क्या रूप था उनकी बहन का, क्या जोबन, रच रच के सिंगार, जैसे सुहागरात की सेज चढ़ने आयी हों,...
और सिंगार किया भी मैंने था, मांग में खूब चौड़ा सिन्दूर, नाक तक झरता,... माथे पर चौड़ी सी बिंदी, बड़ी बड़ी दीये ऐसी आँखों में भर के काजल,... नाक में बड़ी सी नथ और उसकी मोती की लड़ कान के झुमके तक,... नथ ऐसी चमक रही थी जैसे आज ही उतर रही हो,.... खूब गाढ़ी लिपस्टिक लाल लाल, जो ननद के दूधिया चम्पई रंग पे खूब फब रही थी,
गले में मंगल सूत्र जिसका लाकेट उनकी बहन के दोनों गजब के उभारों के बीच, चूड़ियां भी जिद्द करके मैंने लाल हरी पूरी कोहनी तक पहनाई थी, जब तक सेज पर चुरुर मुरुर न हो भाई बहन की चुदाई में, आधी से ज्यादा चूर चूर न हो जाए, कुछ पलंग पर बिखरें कुछ फर्श पर तो क्या मजा,...
और सबसे बड़ा सिंगार होता है सुहागन का जब वो मस्तायी, गर्मायी चुदवासी, मरद से ज्यादा बेचैन होती है लंड पूरा अंदर घोंटने के लिए,....
और मेरे मरद की बहिन की यही हालत थी, गरम तावे पर जैसे कोई दो चार बूंदो का छींटा मार दे और वो छिनछिना उठे, बस वही..
मेरी तरह उन्हें भी लगा की कहीं उनका भाई सामने अपनी बहन को देख के एक पल के लिए,..
तो पहल उनकी बहन ने ही की,...
हल्का सा मुस्करायी, अपने उभारों को और उभार के उनके झुके सीने पर रगड़ दिया, जैसे निपल की दो बर्छियों ने बेध दिया हो ,
सीधे दिल मे कटार उतर गयी उनके भाई के. और जैसे ये काफी न हो लता की तरह उनकी बहन के दोनों हाथों ने अपने भाई को को पकड़ के अपनी ओर खींच लिया, और अपने होंठों से अपने भाई के होंठों को चूम के नए रिश्ते पर मोहर लगा दी,... गवाही में मैं थी ही।
बस, इसके बाद कौन मरद रुकता है,...
और मेरा मरद तो वैसे ही पूरा सांड़ था,...
बहन की दोनों मस्तायी गदरायी चूँची को पकड़ के पेल दिया पूरी ताकत से उनके भाई, मेरे मरद ने, ... मैं अपने मरद के पीछे खड़ी खेल तमासा देख रही थी, खुश हो रही थी, बस थोड़ा सा पीछे खींच के क्या ताकत से पेला अपनी बहनिया की बुरिया में मेरे मरद ने,...
रोकते रोकते भी ननद की चीख निकल गयी.
कस के दोनों हाथों से उन्होंने पलंग की पाटी पकड़ रखी थी, पहाड़ी आलू ऐसा उनके भाई का मोटा सुपाड़ा जब बहिनिया की बच्चेदानी में लगा तो उनकी चूल चूल ढीली हो गयी,
लेकिन बहन की बच्चेदानी पर भाई के सुपाड़े का धक्का, इससे ज्यादा मज़ा क्या हो सकता है, और अगर भाई ऐसा जबरदस्त चुदकक्ड़, खिलाडी नंबर वन,... वो पूरे जड़ तक घुसे लंड के बेस से अपनी बहन की बुर के ऊपर रगड़ने लगे, बहन की क्लिट फूल कर कुप्पा,
लेकिन बहन उनकी ननद मेरी कम छिनरा नहीं थी, बचपन की खेलाड़, उनके चेहरे को देख मैं समझ गयी उनकी शैतानी, वो अपनी चूत को कस के सिकोड़ के दबोच के अपने भाई का लंड अपनी बुर में निचोड़ रही थी,...
पीछे से अपने राजा को पकडे, अपने साजन की पीठ पे अपने अपने जोबन को रगड़ते चिढ़ाते मैं बोली,... मुझे मालूम था जब उनके बहिन महतारी का नाम ले ले के मैं छेड़ती थी तो का हालत होती थी उनकी और आज तो सामने सामने कुश्ती हो रही थी,..
" क्यों कैसा मजा आ रहा है बहिनिया के साथ, कैसा लग रहा है,... "
वो शायद टाल जाते, न भी बोलते, लेकिन नीचे से अपने छोटे छोटे चूतड़ उचकाती, एक बार फिर से उन्हें चूम के उनकी बहिन भी बोली,
" अरे भैया बोल न दे, भौजी कुछ पूछ रही हैं, कैसा लग रहा है,... "
जैसे मुझे न जवाब दे के अपनी बहन से बोल रहे हों वो बोले,
" बहुत अच्छा, बहुत मस्त "
और भाई बहिन के बीच बातचीत चालू हो गयी थी
लेकिन बदमाश तो वो पैदायशी थे, माँ की कोख से सीख के पैदा हुए थे,...
बस उनसे रहा नहीं गया, अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया की बुर को उसकी क्लिट को रगड़ ही रहे थे अब अंगूठे से भी उस फूली मस्तायी गर्मायी क्लिट को रगड़ने लगे, खूंटा उसी तरह पूरा अंदर घुसा हुआ, बहिन उनकी कुछ देर में ही पगलाने लगी, मस्ती से कभी अपना चूतड़ पलंग पे रगड़ती कभी उन्हें अपनी ओर खींचती, कभी सिसकिया भरती, कभी लम्बे नाख़ून उनके कन्धों में धंसा देती,...
मैं समझ रही थी अपनी ननद की हालत, मेरे साथ तो अक्सर इसी तरह, लेकिन मैं अब तक उनकी बहन महतारी सात पुश्त गरिया देती, ...
" करो न भैया " बहन से नहीं रहा गया, चूतड़ उचकाते हुए वो बोल पड़ी,...
" क्या करूँ बोल न साफ़ साफ़ " शैतानी से अपनी बहन को देखते हुए वो बोले।
" करो न भैया " बहन से नहीं रहा गया, चूतड़ उचकाते हुए वो बोल पड़ी,...
" क्या करूँ बोल न साफ़ साफ़ " शैतानी से अपनी बहन को देखते हुए वो बोले।
" वही जो अपनी सास की तीनो बिटिया के साथ करते हो, ... वही कर न, कर ना भैया जल्दी,... हे तड़पा मत " अब मेरी ननद से नहीं रहा जा रहा था। लेकिन उन्हें बहुत मजा आ रहा था आज अपनी बहिनिया को तड़पाने में, जब से उसकी कच्ची अमिया आनी शुरू हुयी ही थी, तब से ललचा रहा बेचारा आज मौका मिला था,.... फिर वो बोले,
" वही तो पूछ रहा हूँ, साफ़ साफ़ बोल न, नहीं बोलना चाहती हो तो मैं निकाल ले रहा हूँ " मुंह बना के वो बोले,...
अब ननद अपनी असलियत पे आ गयी, जोर से अपने भाई को अपनी ओर खींचा और बोली कस कस के,
" छिनार रंडी सास के दामाद, तेरे सारे सालो की गाँड़ मारुं,... सास साली को चोदना होता है तो सब ताकत आ जाती है और अब नौटंकी बहन की बार,... चोद न , ... "
लेकिन आज मेरा मरद अब बदमाशी की सब हद पार करने पर तुला था,.... अपनी बहन की आँखों में आँखे डाल के शरारत से बोला, आँख मार के बोला,...
" अरे बोल न मेरी बहिना, किसको, क्या बस एक बार " ...
" अरे किसको क्या, आपन बहिन चोद बहिन की बुर चोद, गाँड़ मार जो करना है कर, जब चाहे सो कर, जब चाहे तब कर लेकिन अभी तो चोद नहीं तो तोहरी मेहरारू के साली के सबकी बुर में ताला लगा के बंद कर दूंगी, चोद जल्दी, "
फिर टोन बदल के रिरियाती बोलीं,... जब सामने गदहे के लंड ऐसा मोटा लंड हो, चूत में आग लगी हो तो औरत कुछ भी करने कहने पे तैयार हो जाती है,
" मेरे अच्छे भैया, देख हर साल तुझे राखी बांधती हूँ, भारी बारिश में ससुराल से आ के तुझे राखी बाँधी थी, तूने एक पैसा भी कभी नहीं दिया,... चोद न भैया,... "
अब उसके बाद कौन रुकता, उन्होंने एक बार फिर से अपनी बहिन को दुहरा किया, उनकी बुर में घुसे लंड को सुपाड़ा तक बाहर किया,.... दोनों हाथों से कस के मेरी ननद की दोनों चूँची को कस के पकड़ा,
और मैं समझ गयी क्या होनेवाला है, मेरा भी दिल दहल गया. वैसे तो ननद की जितनी कस की रगड़ाई हो उतनी ही भौजी हरषाती है, लेकिन मुझे मालूम था क्या होने वाला है,
बिजली नहीं कड़की, बादल नहीं गरजे बस सब हो गया, दस सांड़ की ताकत आ गयी थी उनकी कमर में क्या जोर से धक्का मारा भैया ने बहिनी की बुरिया में
बहुत चुदी होंगी मेरी ननद मेरे नन्दोई से, मेरे अपने देवर , ससुर से,... लेकिन आज,...
चीखने की उन्होंने कोशिश की पर आवाज नहीं निकली, बस मुंह खुला का खुला रह गया,...
आँख जैसे उबल के बाहर आ रही थी, राजधानी एक्सप्रेस की तरह दनदनाता हुआ बित्ते से बड़ा उनके भैया का लंड, बहिन की बुर में दरेरता रगड़ता, चीरता घुस रहा था, अंदर की चमड़ी जरूर छिल गयी होगी, लेकिन मेरे मरद को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था बस उसे आज चोदने से मतलब था, दोनों चूँची को पकड़ के धकेल रहे थे वो, और आधे से ज्यादा घुस गया था, पल भर के लिए रुके वो,
ननद बेचारी चूतड़ पटक रही थीं, नीचे से छटकने की कोशिश कर रही थीं,
मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोक रही थी,... मेरे मरद के नीचे आके आज तक कोई बचा था जो ये स्साली बच पाती,
बस मेरे साजन ने अपनी बहन के जोबन छोड़ के दोनों कलाई पकड़ के पहली बार से भी दूनी ताकत से धक्का मारा,
आधी लाल हरी चूड़ियां चूर चूर कर के चकना चूर,... अब ननद बिचारी हिल भी नहीं पा रही थी, लेकिन चार आने का खेल अभी भी बाकी था,
"ओह्ह्ह नहीं भैया थोड़ा धीरे धीरे, बहुत लग रहा है, उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह नहीं उफ्फफ्फ्फ़, "ननद मेरी सुबकते बोली,
लेकिन चोदते समय कौन सुनता है. यही बात इनकी मुझे सबसे अच्छी लगती है, लड़की तो मना करेगी ही,...
जब इन्होने नौवें, दसवे में पढ़ने वाली मेरी दोनों छोटी बहिनों की नहीं सुनी, ससुराल में ऐन होली के दिन दोनों की कोरी कुँवारी बुर भी फाड़ी, गाँड़ भी मारी,... मेरी ननद तो तीन साल की सुहागन थीं,...
और अबकी जब उन्होंने धक्का मारा तो सुपाड़ा सीधे बहन की बच्चेदानी पे,....
और पल भर में ही ननद का सारा दर्द मजे में बदल गया, उनकी देह गिनगीनाने लगी, बस वो झड़ने के कगार पर थीं, कस के उन्होंने अपने भैया की भींच लिया, धक्के भी अब बंद हो गए थे, पर अब मेरी ननद चालु हो गयीं अपने भाई को गरियाने,
" मेरे मरद के साले, तेरी सास का भोंसड़ा नहीं है, जिसमे से मेरे प्यारे भाई से चुदवाने के लिए छिनार ने तीन तीन बिटिया बिया दी हैं, जिस भोंसडे में मेरे भैया की सादी में तीन दिन सारी बरात टिकी थी, जिस भोंसडे में मेरी मीठी भौजी के सारे ससुरारी वाले डुबकी लगाते हैं नहाते हैं,... अरे अपनी सास के भोंसडे की तरह नहीं अपनी बहिनिया की कसी चूत की तरह चोद न धीरे धीरे प्यार से,... "
ननद की गारी सुन के मैं मस्ता गयी, अरे ससुराल में चिढ़ाने वाली छेड़ने वाली गरियाने वाली ननद न हो तो ससुराल का मजा क्या,...
बहन भाई की चुदाई देख के मैंने वैसे ही गीली हो रही थी, मस्त हो रही थी और ये गालियां सुन के और,...
ये भी जानते थे की दो चार धक्के और तो बहिनिया झड़ जायेगी , पर ये खुल के मजा लेना चाहते थे, ...
तो बस धक्का रोक के झुक के बहन की एक चूँची उनके मुंह में,... कस कस के चूसने लगे और दूसरे हाथ से दूसरे जोबन का रस लेने लगे,...
" हाँ भैया हाँ ऐसे ही चूस न , चूस कस के चूस, अबे, मेरी मीठी भौजी की रंडी महतारी के दामाद, ऐसे ही कस कस के चूस,... भैया बहुत अच्छा लग रहा है "
एक बार बहिन भाई का लंड कस के अपनी बुर में कस के निचोड़ रही थी, मेरे साजन की खुसी मस्ती देख के मैं भी मस्ता रही थी.
" कब से तड़प रहा था इन्ही के लिए " उन्होंने अपने मुंह से बचपन का हाल बयान कर दिया, ...
बहिन उनकी हंसी,
" मुझे मालूम नहीं था क्या, तभी तो तुझे देख के और उभारती थी, तू नहाने जाता था तो बाथरूम में ब्रा अपनी छोड़ के आती थी "
बस ये बात सुन के उन्होंने चूम लिया कस के अपनी बहिनिया को, ... और दोनों हाथों से अपनी बहिन के जोबन को कस के दबाने मसलने रगड़ने लगे , उनके मसलने से ही कोई लड़की झड़ जाए ऐसा मस्त मसलते थे,
लेकिन अब मैं बीच में आ गयी,...
" हे तेरी बहन है तो तू ही अकेले अकेले मजा लेगा, मेरी भी तो ननद लगती है "
" हे मेरे मरद की बहिना, तोहार बुर तो मेरे मर्द का लंड घोंट के मजे ले रही है मेरी बुर का क्या होगा चल चूस "
चूसना तो उन्होंने शुरू कर दिया, पर ननद कौन जो बिस बोल न बोले, बोल दिया उन्होंने,
" अरे मर्द तो तोहार बाद में हुआ, भाई तो हमार जनम से है "
हंस के वो बोली और कस कस मेरी बुर चूसने लगी।
ननद को मैंने और मेरे साजन ने बाँट लिया,
एक जोबन उनके हिस्से में आया एक मेरे हिस्से में, चोदने का काम उनके जिम्मे क्लिट रगड़ने का काम मेरे जिम्मे,...
मैं चूत से भी कस के घिस्से मार रही थी, उनके भाई ने एक बार फिर से चुदाई शुरू कर दी, ननद भी चूतड़ उठा के चुदवाना शुरू कर दिया ,
बहन को सगे भाई से चुदवाती देखने से बड़ा मजा क्या होगा, मैं भी पिघल रही थी,
थोड़ी देर में हम दोनों ननद भौजाई साथ साथ झड़े,
हाँ उन्होने चोदने की रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी थी पर रुके नहीं।
चूसने में मेरी ननद माहिर थी, लेकिन काम अभी आठ आने का ही हुआ था, हम ननद भौजाई तो झड़ गए थे
लेकिन मेरे मर्द का तो अभी जस का तस अपनी बहन की बुर में तन्नाया घुसा था,
मैं ननद का खुस खुस चेहरा देख रही थी कितना मजा आ रहा था उसे खुल्ल्म खुला अपने भाई से चुदवाने में, बचपन से दोनों एक दूसरे को देख देख के सोच के...
एक मुट्ठ मारता होगा, एक ऊँगली करती होगी,
और आज मिला मौका,... और एक काम और बचा था,
भौजाई का चाहती है, उसे सबसे अच्छा का लगेगा, उसकी आँख के सामने उसकी ननद चुदे अपने सगे भाई, भौजाई के मरद से, ... भाई बहन को हचक के पेले मस्त होके चोदे,
लेकिन उससे भी अच्छा का होगा,
अगर भाई अपनी सगी बहिनिया को गाभिन कर दे, वो भी अपनी बहन की भौजाई के सामने,
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दूबे भाभी के यहाँ जो आशा बहू आयी थीं, उनसे मैंने अकेले में पूछा था कौन सा तरीका होगा स्योर साट किसी को गाभिन करने के लिए, कौन सा आसान, तो वो हंस के बोलीं ,
"अरे सबसे आसान, बात का है मलाई बच्चेदानी में जाए, फिसल के बाहर न निकल आये. बस। तो ये समझो की बच्चेदानी का मुंह नीचे रहे और चूत का उससे कम से कम तीन इंच ऊपर,..."
मतलब चूतड़ खूब उठा रहे,... उनकी बात समझ कर मैं बोली,...
एकदम वो हंस के बोलीं और फिर उन्होंने आगे समझाया,
देखो, ढलान हो तो पानी अपने आप ही ढलान की ओर जाएगा, तो चाहे मरद ऊपर चढ़ के पेले, चाहे निहुरा के मारे , लेकिन चूतड़ जितना ऊपर उतना अच्छा। दूसरी बात, अगर झड़ते समय, सुपाड़ा एकदम अंदर घुसा हो, लंड लम्बा हो तो बच्चेदानी से एकदम सटा हो तो और अच्छा।
और आखिरी बार, झड़ने के बाद जल्दी औजार बाहर न निकाले, ऐसे ही उठा उठा, रहे। . अरे बीज में से एक ही शक्राणु तो चाहिए न जो अंदर घुस जाए, तो ढलान होगी सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से सटा होगा, और गिरने के बाद भी निकालेगा नहीं तो हो ही जाएगा,
मान गयी मैं उनको लेकिन आसा बहू फिर बोलीं,
उन्होंने औरत का मामला भी समझा दिया बोलीं, माहवारी ख़तम होने के दस दिन से पंद्रह दिन चांस ज्यादा रहता है और हाँ एक बात और जिस समय औरत झड़ती है उस समय उस का बच्चेदानी का मुंह खुला रहता है और फिर तीन चार मिनट तक, ... अगर उसी समय मरद भी अपनी पिचकारी छोड़े तो चांस बहुत रहता है,...
मैंने झट से जोड़ा, होली के हफ्ते भर पहले ननद ने बाल धोया था, तो दस दिन तो कल पूरा होगया , आज ग्यारहवा दिन है यानी एकदम सही समय।
एक पल के लिए मैंने भैया बहिनी की ओर देखा।
क्या मस्त जोड़ी थी, जोर से चुम्मा चाटी चिपका चिपकी चल रही थी, बहिनिया एक बार अच्छी तरह झड़ गयी थी, लेकिन उसके भैया और मेरे मरद को लौंडिया को गरम करने के १०१ तरीके आते थे, कभी वो चुम्मा लेते मेरी ननद के मीठे मीठे मालपुआ के गाल पे तो कभी होंठ चूसते और एक हाथ तो हलके हलके जोबन को लगातार सहला रहे ही थी,
और मेरी ननद छिनार उनकी बहन भी कम नहीं थी, अब वो भी गरमा रही थी चुम्मे का जवाब चुम्मे से दे रही थी. भैया उनके एक चुम्मा लेते वो दस देती, और बीच बीच में बोल भी रही थी,...
" भइया बदमाशी नहीं चुम्मा चाहे जितना लो, पर गाल जिन काटो, कल सब सहेली चिढ़ाएँगी,... दर्द अलग हो रहा है "
" अच्छा वहां काट लूँ जहाँ सहेली नहीं देखेंगी "
चिढ़ाते हुए उनके भैया बोले और कचकचा के चूँची के ऊपर, ... मैंने मुश्किल से मुस्कान रोकी,... चूँची पर तो लेकिन एकदम ऊपर की ओर, लो कट चोली जो उनकी बहन पहनती थीं उसमे एकदम साफ़ साफ़ दिखेगा,.. और बहन उनकी जोर से चीखी, उनके पीठ के ऊपर मुक्के बरसाने लगीं।
" बदमाश बदमाश,... " बोली वो.
" अच्छा यहाँ चूम लूँ ठीक है न बहना " कह के बहना के भैया उनकी चूँची चूसने लगे,...
नौ महीने बाद यही बहन इसी चूँची से दूध पिलायेंगी भैया को अपने मेरे मन में आया, और जैसा आसा बहू ने कहा था, चूतड़ खूब ऊपर, ...
जितना तकिया था उस पलंग पे इधर उधर इक्टठा कर के, अपनी ननद के चूतड़ के नीचे डेढ़ दो बित्ते पलंग से ऊपर, चूतड़ उनके,...
भाई बहन दोनों गरमा गए थे और एक बार फिर से चुदाई कस के चालू हो गयी थी,
मैं अपने साजन के पीछे खड़ी अपने उभार उनकी पीठ पर रगड़ के उन्हें और गरमा रही थी, वो भी कभी कस कस अपनी बहन के जोबन रगड़ते कभी उसे चूमते और धक्के कभी धीरे तो कभी तेज,...
मैंने उनके कान में कुछ बोला, और वो मुस्करा दिए,...
फिर दो चार करारे धक्को में उन्होंने पूरा लंड अपनी बहन की बुर में ठूंस दिया और कस के चूम के बोला,
" हे सुन, गाभिन कर दूँ तुझे, .... "
" अरे भैया नेकी ओर पूछ पूछ, तोहरे मुंहे में गुड़ घी, पहिला दूध तोहिं के पियाऊंगी "
हंस के खूब खुस होक उनकी बहिन बोली और जोर से अपने बड़े बड़े चूतड़ ऊपर उछाल दिए, कस के भैया को लंड को चूत में निचोड़ लिया।
" पक्का, " थोड़ा सा पीछे खींच के लंड से एक जोरदार धक्का मारते हुए उनके भैया ने पूछा,और उनसे भी तेज धक्का नीचे से बहिनिया ने मारा और
बोली, " पक्का "
" बेटा चाहिए की बेटी " तेजी से चोदते हुए मेरे सैंया ननद के भैया ने अपनी बहिनी का मन टटोला।
" बेटी, एकदम तोहरे अस,... "
अपने जोबन उभार के अपने भैया के सीने में रगड़ती हुयी मेरी ननद ने अपने मन की बात कह दी।
ठीक यही बात दूबे भाभी ने मुझसे बोली थी. जड़ी बूटी, शिलाजीत, वैदकी के साथ दूबे भाभी पतरा भी सही बिचारती हैं. बोलीं,
'आज की रात जो गाभिन होगी, उसके सोलहो आना बिटिया होगी लेकिन एक बात है,...
उनकी आदत थी बात को अटकाने की, हुंकारी भरवाने की, तो मैंने पूछ ही लिया,
" और कौन बात, " और दूबे भाभी ने हाल खुलासा बता दिया,
" बिटिया तो बहुत सुन्दर होगी, एकदम अँजोरिया जस, खूब गौर अंग देह में सबसे नंबरी,...और झट्ट से जवान होगी, जोबन जबरदस्त लेकिन,...
फिर कुछ रुक के वो बोलीं,
होगी गजब छिनार, अपनी महतारी से १०० गुना ज्यादा, झांट आने के पहले ही लंड ढूंढने लगेगी, और कउनो नाता रिश्ता नहीं, ... बस खाली लंबा मोटा खायेगी,जिस उमर में लड़कियां अपनी गुड़िया के लिए गुड्डा ढूंढती हैं, वो मोटा लौंड़ा ढूंढेगी, "
मुस्करा के मैंने अपनी शंका रख दी,
" हे भौजी .भाई चोद तो यह गाँव की कुल बियाई होती हैं कही वो बाप चोद, मतलब जो ओकरी महतारी को गाभिन किए होगा उसका ही खाने के पीछे,... बाप चोद "
उलटे दूबे भाभी ने मुझसे सवाल कर दिया, तभी तो सबसे बड़ी जेठान थीं मन की बात देवरानी की समझ लेती थीं,
" तोहे कउनो परेशानी है का की वो अगर, तोहरे , अगर देवर हमार बेटी चोद हो जाए,... "
मैं बड़ी जोर से हंसी बोली,
"अरे वो मादरचोद, बहन चोद चाहे जिसको चोदे रहेगा मेरा ही, हाथी घूमे गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नाम. आपन बहन चोदे, महतारी चोदे सगी बहिनिया की पहलौठी बेटी चोदे, अपने महतारी की नातिन चोदे"
तो वही बात मुझे याद आ गयी, ननद गाभिन भी होंगी हमरे मरद से, नौ महीने बाद खूब सुन्दर बिटिया भी जनेंगी,... .
चुदाई भी चल रही थी भाई बहिन की बात छेड़ खानी भी,
" अरे भैया ऐसा धक्का लगता है ससुरारी में सीखे हो "
ननद मेरी अपना चूतड़ उठा के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं, उनके चेहरे से लग रहा था वो अब झड़ी तब झड़ी , मर्द भी मेरा कगार पर, उन्होंने अपना आलमोस्ट लंड बाहर निकाल के एक ऐसा करारा धक्का मारा, रगड़ता दरेरता पूरा अंदर, सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पर,
ननद दुबारा झड़ रही थीं, तूफ़ान के पत्ते की तरह काँप रही थी, उनका सुपाड़ा एकदम कस के बच्चेदानी से चिपका, वो झड़ने के कगार पर थे लेकिन अभी झड़ नहीं रहे थे,इनके तूफानी धक्के रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, और हर दूसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर
बस मैं इनको अपनी सगी बहन को हचक के चोदते देख रही थी और बस यही मना रही थी, किसी तरह बस इसी पहली चुदाई में मेरी ननद अपने भैया के, मेरे मरद के बीज से गाभिन हो जाए, नौ महीने पेट फुलाये के घूमे और ओकरे बाद ओहि बुरिया से जहाँ अपने भैया क लंड घोंट रही है, मेरी मरद क बिटिया उगल दे,
गाभिन तो ननद को होना ही है, एक तो होलिका माई का आसीर्बाद, पांच दिन के अंदर तो वो तो आज से शुरू हो गया, फिर दूबे भाभी की गणना और उनका वो वीर्य वर्धक चूर्ण, जो मैंने इन्हे खीर में मिला के दिया
लेकिन सबसे बढ़ के मेरा मरद,
अभी भी मुझे याद है मेरे मायके की बात, यही मेरी ननद मेरी सास के साथ देखने आयीं, बिना बताये और देखना क्या, बस मैं स्कूल से आयी थी, स्कूल की ड्रेस में और मेरी सास ने मुझे पकड़ के दुलार से दबोच लिया, और माँ से बोली, मैं अपनी बेटी को लेने आयी हूँ,
माँ ने कुछ टालने के चक्कर में कहा की जरा एक बार कुंडली भी, मिलवा के
मेरी सास जैसे तैयार बैठी थीं, झोले में से कुंडली निकाल के दे दिया,
अगले दिन मिश्राइन भाभी यह सब सुन के आयीं, वही जो छुटकी के स्कूल की वाइस प्रिंसिपल है, उम्र में माँ से चार पांच साल ही छोटी होंगी इसलिए उनसे भी दोस्ती है, लेकिन रिश्ते में तो हम बहनों की भाभी ही, और ज्योतिष में भी तगड़ा हाथ,
कुंडली देख के बोलीं, ऐसा लड़का तो आप बहुत ढूंढती तो भी मिलना मुश्किल, तुरंत शादी कर दीजिये और तारीख भी एकदम सही है , लेकिन फिर मेरी ओर देख के बोलीं बहुत सीरियस हो के
" लेकिन मेरी ननद पे बड़ी मुसीबत में आने वाली है "
मैं परेशान, और एक मिनट तो माँ की भी सांस ऊपर की ऊपर नीचे की नीचे, मुश्किल से बोलीं " क्या हुआ, "
अब मिश्राइन भाभी से नहीं रहा गया, खिलखिलाते माँ को कुंडली दिखाते बोलीं,
" ये देख नहीं रही हैं, शुक्र कितने उच्च का है, रगड़ के रख देगा मेरी कोमल कोमल ननद को, एक दिन भी नहीं छोड़ेगा और ताकत भी बहुत है "
अब माँ भी खुश, हंसने लगी और हम बहनों से भी मजाक में भौजाइयों को मात करती थीं, मुझे देख के बोली,
" रगड़वाने ही तो भेज रही हूँ , रगड़े मन भर, दिन रात मेरा दामाद "
फिर कुंडली की एक लाइन पर ऊँगली रख कर मिश्राइन भौजी बोलीं,
" देख लीजिये, साफ़ लिखा है, वीर्यवान, ऊर्जावान, मतलब उसके वीर्य में इतनी ऊर्जा होगी की बस एक बूँद ही काफी है, अरे हमर नन्दोई क एक बूँद कही सालों के सूखे पेड़ पे पड़ जाए न तो हरहरा हो जाये , आह ही इसको किसी लेडी डाक्टर के पास ले जाके गोली वाली दिलवा दीजिये। "
शाम को हम डाक्टर मीता की क्लिनिक में थे, शहर की सबसे बड़ी औरतों की डाकटर, हफता भर का नंबर लगता था, बाहर कारों की लाइन ,
लेकिन रीतू भाभी ( उनका भी असली नाम रीता ही था, पुकारने का रीतू ) की बड़ी बहन भी थीं, तो मम्मी ने फोन किया तो तुरंत उन्होंने टाइम दे दिया,
और जांच तो उनके यहाँ नर्सें या छोटी डाकटर करती है लेकिन मेरे लिए वो खुद, मुझे चिढ़ाते हुए मम्मी से बोलीं, ननद क चुनमुनिया क मुंह दिखाई का मौका और किसी को क्यों दूँ,
जांच के टाइम गलती से मेरे मुंह से डाकटर साहेब निकल गया तो वो डांट पड़ी, बल्कि गाली गन्दी वाली,
" छिनार, भौजी के अलावा कुछ बोली न तो मुट्ठी देख रही है, हमरे ननदोई को फटा चिथड़ा मिलेगा, "
( और उसी दिन मैं सीख गयी जो भौजाई ननद को छिनार नहीं बोलती वो असली भौजाई नहीं । )
बाहर निकल के उन्होंने माँ को बताया सब ठीक है खाने के लिए गोली भी लिख दी, फिर मुझसे पूछा,
" माहवारी, शादी के कितने दिन पहले ख़तम हो जायेगी "
मैंने जोड़कर बताया, करीब दस दिन पहले, माँ उनकी ओर देख रही थीं, तो वो हंस के बोली, एकदम ठीक है अरे जब इसको हल्दी लगाउंगी तो बिना ननद की चुनमुनिया में दो तीन बार हल्दी लगाए भौजी की हल्दी की रस्म पूरी होती है। और नन्दोई को भी पंद्रह दिन मजा मारने का टाइम मिल जाएगा"
मेरी शादी की हर रस्म में आयी और जो एकदम रीतू भाभी ऐसा खुल के मजाक, अभी भी वही दोस्ती, तो मैं तो डाकटर मीता की गोली से बच गयी, लेकिन मेरी नन्द आज गाभिन होने से नहीं बच सकती।
जबरदस्त चुदाई हो रही थी ननद रानी की और अब वो तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी
लेकिन मैं अब चाह रही थी ये भी झड़ जाए, बिना इनका बीज गए ननद मेरी गाभिन कैसे होगी, और ये मारे बदमाशी के जब झड़ने के नजदीक आते तो चुदाई रोक के बस चुम्मा चाटी, ननद के जोबन की मिसाई,
इनका झड़ना अब, लग रहा था मुझे भी अब नन्द की ओर से आना पडेगा।
जब मैं बिदा हो रही थी, माँ मुझे गले लग के भेंट रही थी, लेकिन मेरे कान में एक काम की चीज बता रही थीं,
" खुस रहेगी तू मरद तो तेरा पूरा सांड़ है लेकिन एक बात, अगर दस पंद्रह मिनट लग जाए जल्द न झड़े,... तो बस पिछवाड़े ऊँगली घुसेड़ देना, उसकी और एक बदाम ऐसा एकदम अंदर, गाँठ ऐसा बस वहीँ ११ बार रगड़ना, ... तुरंत झड़ने लगेगा,.... "
और मैंने वही किया, ननद के भैया की गाँड़ में एक नहीं दो ऊँगली, लेकिन ११ बार नहीं पूरे पच्चीस बार रगड़ी तो मेरा मर्द अपनी बहन की बुर में झड़ने लगा।
जैसे सालों से सावन की एक बूँद के लिए तरसती प्यासी धरती हो, बारिश की बूँद पा के हरसा जाए, एकदम उसी तरह.
कस के अपने भाई को बहन ने चिपका लिया था, चूतड़ तकिये पर डेढ़ बित्ता उठा लेकिन अपनी पतली लचकीली कमर के जोर से मेरी ननद ने अपना चूतड़ बित्ते भर और उठा के, जैसे बारिश की पानी की एक एक बूँद अपनी गागर में भर लेना चाहती हों, एकदम चिपकी, फेविकॉल का जोड़ झूठ जिस तरह से बहिनिया अपने भाई से चिपकी उसका बीज घोंट रही थी.
मुंह से साफ़ आवाज नहीं निकल रही थी, बस बुदबुदा रही थी,
हाँ भैया हाँ ऐसे ही, दे दो, दो न, ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है, ओह्ह मेरा प्यारा भाई,...
जैसे सालों से सावन की एक बूँद के लिए तरसती प्यासी धरती हो, बारिश की बूँद पा के हरसा जाए, एकदम उसी तरह.
कस के अपने भाई को बहन ने चिपका लिया था, चूतड़ तकिये पर डेढ़ बित्ता उठा लेकिन अपनी पतली लचकीली कमर के जोर से मेरी ननद ने अपना चूतड़ बित्ते भर और उठा के, जैसे बारिश की पानी की एक एक बूँद अपनी गागर में भर लेना चाहती हों, एकदम चिपकी, फेविकॉल का जोड़ झूठ जिस तरह से बहिनिया अपने भाई से चिपकी उसका बीज घोंट रही थी.
मुंह से साफ़ आवाज नहीं निकल रही थी, बस बुदबुदा रही थी,
"हाँ भैया हाँ ऐसे ही, दे दो, दो न, ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है, ओह्ह मेरा प्यारा भाई,... गाभिन कर दो भैया, तोहार बिटीया बियाऊंगी नौ महीने बाद
चेहरा पूरा तना हुआ, कस के अपनी बाहों से बहन ने भाई को जकड़ रखा था, लम्बे नाख़ून भाई के कंधो में गड़े हुए, ,,,,
जैसे हवा में कोई पत्ता लहराए उसी तरह रह रह कर मेरी ननद की देह काँप रही थी, और जैसे ही वो रूकती बस अगले ही पल जैसे हवा का दूसरा झोंका आ जाए, वो कांपने लगे, बस उसी तरह बार बार झड़ रही थीं और उनकी चूत कस कस के अपने भाई के खूंटे को निचोड़ रही थीं जैसे एक एक बूँद निचोड़ के अपनी बच्चेदानी में,...
हालत उनकी भैया की भी ख़राब थी, वो भी एकदम चिपके हुए, जैसे आज अपनी बहिन को गाभिन कर के ही छोड़ेंगे, पिचकारी की एक एक बूँद, बहन की बुर में
मुझे ये तो मालूम ही था की उनकी दुनाली है, एक बार में झड़ के नहीं रुकते थे, दुबारा पांच दस सेकेण्ड के बाद फिर से,...
दूबे भाभी ने वो वीर्यवर्धक चूर्ण देते हुए कहा भी था जो मुश्किल से दो बूँद झड़ता है वो भी पूरी कटोरी,...
और मैंने जैसे ही बात काट के बोला, की जो पहले से ही कटोरी भर रबड़ी मलाई छोड़ता हो,
हंस के वो बोलीं, तो बड़ा कटोरा, पांच कटोरी के बराबर,...
लेकिन आज वो दुबारा झड़ के भी नहीं रुके, और मैंने भी तो अंदर से ऊँगली नहीं निकाली, वो क्या कहते हैं, प्रॉस्ट्रेट पर, जब उनका झड़ना रुक गया, तो मैंने प्रोस्ट्रेट पर रगड़ना शुरू कर दिया, दो चार सेकेण्ड तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन फिर जैसे कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा, पहाड़ में से कोई झरना निकल गया हो,
५ बार, ६ बार झड़ना रुकता फिर चालू, और जब दोनों रुक भी गए तो उसी तरह दस मिनट तक एक दूसरे से चिपके, ... फिर धीरे धीरे मेरे मर्द ने अपनी बहिन की बिल से अपना झडा हुआ खूंटा निकाला, और बगल में कटे पेड़ की तरह गिर के,...
लेकिन मैं थी न, मैंने अपनी उँगलियों से ननद की बुर की दोनों फांको को जैसे पकड़ के सील कर दिया और चूतड़ उसी तरह उठे, एक भी बूँद मलाई की बाहर नहीं निकली। उनके झड़ना रुके दस मिनट हो गए थे ननद भी थकी सी लग रही थीं।
लेकिन उन्हें गरम करना मेरे बाएं हाथ का खेल था, पांच दस मिनट बाद मैंने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया।
बस अपने साजन की बहिनिया की जस्ट चुदी बुर पर हथेली रख के मैं धीरे धीरे सहला रही थी,
और थोड़ी देर में ही मेरी ननद गरमाने लगी. वो भी अपने बहन की हालत देखकर मुस्करा रहे थे. थोड़ी देर में ही उनकी बहन की बुर फड़फड़ाने लगी, कस के दोनों फांको को मैंने रगड़ते हुए चिढ़ाया,
" मज़ा आया मेरे सैंया का लौंडा घोंट के. "
मेरे सैंया की बहन भी मुस्करायी बोली,
" भौजी, तेरे सैंया के पहले मेरे भैया थे "
" तेरे भैया थे तब नूनी थी, मेरे सैंया हो गए तो लौंड़ा हो गया, समझीं सैंया की बहन जी "
मैं कौन पीछे हटने वाली थी, लेकिन ननद मेरी पैदायशी खानदानी छिनार, पलट के बोली,
" भौजी, लेकिन नूनी से लौंड़ा किया किसने, भूल गयी गौने की रात का मिला था नूनी की,... जबरदस्त मूसल? सबेरे चिरैया का मुंह एकदम लाल हो गया था रात भर धक्का खा खा के "
अब मैं लजा गयी, मेरी ननद ने गौने की अगली सुबह की याद दिला दी, मेरी दो ननदें पकड़ के बल्कि टांग के मुझे मेरे कमरे से उठा के ले आयीं
आज वो दुबारा झड़ के भी नहीं रुके, और मैंने भी तो अंदर से ऊँगली नहीं निकाली, वो क्या कहते हैं, प्रॉस्ट्रेट पर, जब उनका झड़ना रुक गया, तो मैंने प्रोस्ट्रेट पर रगड़ना शुरू कर दिया, दो चार सेकेण्ड तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन फिर जैसे कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा, पहाड़ में से कोई झरना निकल गया हो,
५ बार, ६ बार झड़ना रुकता फिर चालू, और जब दोनों रुक भी गए तो उसी तरह दस मिनट तक एक दूसरे से चिपके, ... फिर धीरे धीरे मेरे मर्द ने अपनी बहिन की बिल से अपना झडा हुआ खूंटा निकाला, और बगल में कटे पेड़ की तरह गिर के,...
लेकिन मैं थी न, मैंने अपनी उँगलियों से ननद की बुर की दोनों फांको को जैसे पकड़ के सील कर दिया और चूतड़ उसी तरह उठे, एक भी बूँद मलाई की बाहर नहीं निकली। उनके झड़ना रुके दस मिनट हो गए थे ननद भी थकी सी लग रही थीं।
लेकिन ननद रानी को गरम करना मेरे बाएं हाथ का खेल था, पांच दस मिनट बाद मैंने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया।
बस मैं अपने साजन की बहिनिया की जस्ट चुदी बुर पर हथेली रख के मैं धीरे धीरे सहला रही थी, और थोड़ी देर में ही मेरी ननद गरमाने लगी. वो भी अपने बहन की हालत देखकर मुस्करा रहे थे. थोड़ी देर में ही उनकी बहन की बुर फड़फड़ाने लगी, कस के दोनों फांको को मैंने रगड़ते हुए चिढ़ाया,
" मज़ा आया मेरे सैंया का लौंडा घोंट के. "
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मेरे सैंया की बहन भी मुस्करायी बोली,
" भौजी, तेरे सैंया के पहले मेरे भैया थे "
" तेरे भैया थे तब नूनी थी मेरे सैंया हो गए तो लौंड़ा हो गया, समझीं सैंया की बहन जी "
मैं कौन पीछे हटने वाली थी, लेकिन ननद मेरी पैदायशी खानदानी छिनार, पलट के बोली,
" भौजी, लेकिन नूनी से लौंड़ा किया किसने, भूल गयी गौने की रात. का मिला था नूनी की, जबरदस्त मूसल, सबेरे चिरैया का मुंह एकदम लाल हो गया था रात भर धक्का खा खा के "
अब मैं लजा गयी,
मेरी ननद ने गौने की अगली सुबह की याद दिला दी,
मेरी दो ननदें पकड़ के, बल्कि टांग के मुझे मेरे कमरे से उठा के ले आयीं जहाँ मेरी सब ननदें कुछ जेठानिया भी थीं,
और यही ननद जिद करने लगीं की भौजी सास लोग ऊपर वाली मुंह दिखाई करती हैं, हम ननद तो नीचे वाली,
तो एक कोई छुटकी बोली, और का भौजी हमरे भैया को तो बुलबुल आपन दिखाय दी और हम ननद से का लजा रही हैं,
मैं ने कस के लहंगा पकड़ लिया, लेकिन मेरी इन्ही ननद ने इशारा किया.
मैं समझ नहीं पायी तब तक नीलू और लीला मेरी दोनों छोटी ननदों ने कस के मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए पीछे से, और दो छोटी ननदों ने आराम से धीरे धीरे लहंगा सरका दिया एकदम कमर तक अब सब ननदें लगी देखने, यही बोलीं
" अरे भौजी, भैया ने रात भर धक्का मारा का कैसे चोट लग लग के लाल हो गयी है कउनो मरहम लगा दें का "
तबतक अंदर से रात भर की मलाई भी थोड़ी सी छलक कर बाहर निकली
तो चीनू इनकी ममेरी बहन बोली, अरे भैया ने मरहम लगा दिया है, और मेरी दोनों फांके फैला दीं तो भरभरा कर,... ,
तो आज ननद उसी का जिक्र कर रही थीं।-
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बात में तो मैं जीत नहीं सकती थी तो मैं एक्शन पे उतर आयी,
उस दिन की तरह मैंने भी इनकी बहन की बुर फैलाई और कुप्पी की तरह मलाई भरी थी, ऊपर तक, बजबजा रही थी, ननद के भैया की रबड़ी मलाई से
बस ऊँगली से मैंने थोड़ी मलाई लगाई और ननद के मुंह में लगा दी।
नदीदी ने चाट लिया।
और मेरे कुछ कहने के पहले अपने भैया से उनकी बहन बोली, " भैया बहुत स्वादिष्ट है, मस्त मस्त "
" अब रोज खिलाना मेरी ननद को बिना नागा, तीनो मुंह में "
मैं भी उन्हें चिढ़ाती बोली और ननद की चुनमुनिया पर हमला बोल दिया. पहले दोनों फांको को चूसती रही, फिर अंदर जीभ डाल के मलाई लपेटी और पलट के वही जीभ मेरी ननद के मुंह में, अभी थोड़ी देर और जहाँ थोड़ी देर पहले मेरे मरद का मोटा लंड धक्के मार रहा था,
वहीँ, मेरे मरद की बहन की चूत पर मेरी चूत घिस्से मार रही थी,
" मेरे मरद से तो बहुत मज़ा ले लिया अब थोड़ी देर हमहुँ से मज़ा ले लो, ननदी "
" अब रोज खिलाना मेरी ननद को बिना नागा, तीनो मुंह में "
मैं भी उन्हें चिढ़ाती बोली और ननद की चुनमुनिया पर हमला बोल दिया, पहले दोनों फांको को चूसती रही, फिर अंदर जीभ डाल के मलाई लपेटी और पलट के वही जीभ मेरी ननद के मुंह में, अभी थोड़ी देर और जहाँ थोड़ी देर पहले मेरे मरद का मोटा लंड धक्के मारा रहा था, वहीँ,
मेरे मरद की बहन की चूत पर मेरी चूत घिस्से मार रही थी,
" मेरे मरद से तो बहुत मज़ा ले लिया अब थोड़ी देर हमहुँ से मज़ा ले लो, ननदी "
-मेरे होंठ इनकी बहन के होंठ को चूस रहे थे, हाथ मेरे कस के दोनों चूँचियों को निचोड़ रहे थे और नीचे धक्के पर धक्का,...
बस थोड़ी देर में ननदिया गरमा गयी और वो भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थी. और जब पल भर के मैंने होंठ इनकी बहन के होंठों से हटाए तो उसका मुंह चलने लगा,
" अरे भौजी रोज तो हमरे भैया से मजा लेती हो, तो एक दिन हम भी मजा ले लिए अपने भैया से तो का हुआ,... "
" अरे एक दिन काहें ननदी, रोज मजा लो अपने भैया से, ओकरे बाद हमरे भैया से,... एक आगे एक पीछे से "
कस के धक्के मारते मैं बोली।
वो देख रहे थे ललचा रहे,थे और खूंटा धीरे धीरे फिर फनफनाने लगा था,
मर्दों को लेस्बियन देखने में बहुत मजा आता है और वो दोनों औरतें जो मजा ले रही हो एक बहन हो एक बीबी फिर तो और,... और मैं चाहती भी यही थी की इनका फिर से टनटनाये और फिर अपनी बहिनिया पे चढ़ के कुटाई करें।
" ननद रानी तोहार चूत महरानी तो अच्छे से आज झड़ गयीं, खूब पेट भर के मलाई भी खायी, और तोहार भौजाई की बुरिया अभी भी पियासी, एक बार तनी,... "
मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की मेरी ननद, सच में पक्की छिनार थी, एकदम अपनी महतारी पे, बुआ पे गयी थी.
जिस तरह से मैंने उसे चुदवाया था अपने मरद से एकदम उसी तरह से मेरी दोनों टांगों को ऊपर किया, चूतड़ को खूब उठाया, और जो तकिया पूरे घर की मैंने उस स्साली के चूतड़ के नीचे लगाया था की बीज सीधे बच्चेदानी में जाये, वो सब तकिया मेरे चूतड़ के नीचे,
वो टुकुर टुकुर अपनी बहन की शैतानी देख रहे थे,... मुस्करा रहे थे। गरमा रहे थे।
वो नीचे बैठ गयी और मुझे लगा की इनकी बहन की जीभ अब मेरी बिल पे,... लेकिन नहीं, ...
उसने मेरे पिछवाड़े के छेद पे हमला किया। जीभ से बस गोलकुंडा के चारो ओर हलके हलके चक्कर काटा , चार, पांच, और जब मैं चूतड़ उचकाने लगी, तो बस मेरी ननद ने जीभ की टिप से मेरी पिछवाड़े की दरार पर हलके हलके रगड़ना शुरू किया, जैसे जीभ से ही गाँड़ मार लेगी मेरी,...
मेरी जो हालत खराब हो रही थी वो तो हो ही रही थी, मुझसे ज्यादा इनकी,
ये तो बचपन से पिछवाड़े के छेद के दीवाने, पहले सेंध वहीँ लगाई, ट्रेनिंग वहीँ की,... अब खूंटा एकदम जग गया था,...
और अब मेरी ननद की उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं थीं सांप की तरह सरसराती, बिच्छी की तरह डंक मारती,
मेरी उठी फैली मांसल जाँघों पर हलके हलके सरकती, और एक झटके में इनकी बहन ने अपनी हथेली में मेरी दोनों फांको को दबोच लिया और लगी रगड़ने,
साथ ही में उसके होंठ अब मेरे पिछवाड़े,... चुम्मे पर चुम्मा,
जहाँ मेरा पिछवाड़ा था खुली हुयी जाँघे उसी तरफ उसके भाई का सर, दो ढाई बित्ते दूर बस,
सब साफ़ साफ़ दिख रहा था, बहन की बदमाशी मेरी ख़राब हो रही हालत,... और मेरी खराब हालत देख के उनकी भी हालत खराब हो रही थी,.. और जितनी उनकी हालत खराब हो रही थी, जितना उनका खूंटा बौरा रहा था, उतनी ही उनकी बहन की बुर की भी बुरी हालत होने वाली थी,
बस थोड़े ही देर में,...
कुछ देर तड़पाने के बाद मेरी ननद ने अपने दोनों होंठ मेरी बुर पे लगा दी,
पहले तो बस जीभ से सपड़ सपड़ ऊपर से नीचे पांच बार और पांच बार नीचे से ऊपर तक, मैं अच्छी तरह पनिया गयी, बुर मेरी पानी फेंक रही थी, दोनों फांके फड़क रही थीं, बस मेरी ननदिया ने अपनी जीभ की टिप से दोनों फांको को अलग किया, अच्छी तरह और पेल दी अपनी जीभ मेरी बुर में जैसे रोज रात में उसका भाई अपना मोटा मूसल पेलता है, उसी जोश से।
और जीभ मेरे मरद की बहन की कभी अंदर से बुर की दीवालों को रगड़ती तो कभी गोल गोल घूमती, कभी आग लगाती कभी पानी निकालती,...
उँगलियाँ उस शैतान की भी खाली नहीं थीं, दाएं हाथ से वो मेरी क्लिट रगड़ रही थी, और बाएं हाथ से जोबन मसल रही थी,
एकदम अपने भैया की ताकत से,...
आग लगी हुयी थी मेरे नीचे,
मैं तड़प रही थी सिसक रही थी चूतड़ पटक रही थी,...
' अरे मेरे मरद क बहिनी, मेरी मीठी ननद जरा झाड़ दो काहें तड़पा रही हो " मैं चीख रही थी।
लेकिन ननद कौन जो भाभी को कलेस न दे, अपने महतारी की बुर से निकलते ही पहली चीज यही सोचती हैं,...
बजाय झाड़ने के मेरी ननद ने मेरी बिल से अपनी जीभ बाहर कर दी, और चिढ़ाते हुए बोली,
" एकदम भौजी तोहार महतारी दान दहेज़ देके इसी लिए तो आपन बिटिया हमरे गांव भेजी है की रोज चोदी जाए, बिना नागा, खूब झड़े,... तो झाड़ूंगी तो है ही , अपन बहिन महतारी सब को बुला लो सब झाड़ी जाएंगी, यहाँ "
इतनी बुरी भी नहीं थी मेरी ननद,
जहाँ से जीभ निकली थी वहां मेरी मेरी ननद की दोनों उँगलियाँ घुसी, क्या कोई मथानी चलाएगा, जिस तरह से मेरी बुर मथी जा रही थी और फिर उसके होठ
क्या मस्त चूसना शुरू किया मेरी ननद ने। थोड़ी देर में ही मैं चूतड़ पटक रही थी, काँप रही थी,...
और बस उसी समय उसने मेरी क्लिट मसलनी शुरू कर दी,...
मेरी आँखे जैसे उलट गयी हों, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, जैसे मैं हवा में उड़ रही हूँ। सामने नीले पीले रंग के फूल,
मेरी ननद जब झड़ रही थी तो उसके भैया ने धक्के धीमे कर दिए थे पर उनकी बहन, वो और कस कस के चूस रही थी, मेरे निपल और क्लिट मसल रही, दुबारा, तिबारा, चौबारा,
जब मैं एकदम थेथर हो गयी तब उसने मुझे छोड़ा, न मैं बोलने की हालत में थी न हिलने की,...
हाँ मेरी ख़ुश खुश आँखे उसे प्यार से देख रही रही थी, दुलार रही थी, मुस्करा रही थीं,... थोड़ी देर तक हम दोनों उसी तरह से पड़े रहे,...
पर ननद भौजाई की मस्ती देख के ननद के बीरन की हालत एकदम खराब थी
पर यही तो हम दोनों भौजाई ननद चाहते थे, खूंटा जितना भूखा रहेगा, उतना ही दावत कस के उड़ाएगा,...
कुछ देर बाद जब मेरी हालत ठीक हुयी तो उन्हें दिखाते हुए मैंने ननद की बुर की फांको को फैला के उन्हें ललचाया,
" हे कैसी है मेरी ननद की रसमलाई चाहिए,... "
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो तड़प अभी मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
बड़ी जोर से ललचाते हुए उन्होंने हाँ भरी पर उनकी बहन ने खिलखिलाते हुए उन्हें अंगूठा दिखलाया, ... जैसे कह रही हो, तड़प अभी. मैं तो झांटे आने के पहले से तुझे देने को तैयार थी, थोड़ी जबरदस्ती करते, मैं रोती चिल्लाती फिर एक दो बार के बाद मान जाती,...
" बहुत मीठी है तोहरे बहनिया की रसमलाई "
और अब मैंने उनकी बहन की जाँघों को फैला के उन्हें दिखा के ललचाते मुंह लगा दिया,...
मुंह में उनके पानी आ रहा अपनी बहन की रसीली बुर की फांके देख के, कौन भाई होगा जिसका न फनफना जाएगा अपनी बहिनिया की बुर देख के, उनके खूंटे की भी हालत खराब हो रही थी,...
और मैंने चाटना शुरू कर दिया,
बस अपनी जीभ की टिप से उनकी बहन के रस कूप के चारों ओर, कभी उसी जीभ की टिप से फूलती पचकती क्लिट को छेड़ देती, तो कभी दोनों होंठों से क्लिट चूसने लगती
तो मेरे मरद की बहिन गिनगीना जाती, देह कांपने लगती।
और मैं इस तरह से चाट रही थी की ननद की चूत, की उनके भाई को पूरा नजारा दिखे की उनकी बहन के साथ क्या हो रहा है,...
कुछ देर में ही चूत पनिया गयी, लेकिन न मैंने अपनी जीभ अंदर डाली न ऊँगली .बस दोनों फांको को उन्हें दिखा दिखा के चूसती रही,...
" भौजी झाड़ दो, अरे भौजी का कर रही हो , बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह उफ्फ्फ नहीं हां "
भैया की बहिनिया अपने सगे भैया के सामने चूतड़ पटक रही थी, देह कसमसा रही थी. यही तो मैं चाहती थी, मैंने अब एक बार उन्हें चिढ़ाया,
" है ने मेरी ननद की मस्त चूत खूब चोदने लायक, कसी कसी रसीली देख कैसे मस्त पनिया रही है, गपाक से घोंटेंगी,... बोल चाहिए मेरी ननद "
मैंने ननद की बुर पर से जीभ हटा ली और उनकी ओर देखते, ननद की खूब गीली चासनी से भीगी रसीली बुर कोखूब जोर से, पूरी ताकत से . फैला के उन्हें ललचाते दिखाते हुए पूछा।
उनके चेहरे की गर्मी देखते बनती थी, बहन चोदने को पागल हो रहे थे,
" हाँ दो न, प्लीज,... बस एक बार,... "
लेकिन बजाय उन्हें देने के मैंने कस के बड़े मनोयोग से अपनी ननद की बुर चूसना शुरू कर दिया, कभी जीभ से ऊपर नीचे सपड़ सपड़ तो कभी मुंह लगा के पूरे जोश से चूसती,..
और साथ में दोनों हाथ ननद के जोबन पे, रगड़ते मसलते,...
मैंने उनकी ओर देख के एक पल के लिए ननद की जाँघों पर से मुंह हटा के बड़ी सख्ती से उन्हें देखते हुए बोला,
" बस एक बार चाहिए, ...नहीं मिलेगी, कभी नहीं मिलेगी मेरी ननद "
और मैं कस के फिर से चूसने लगी, न भाई को समझ में आयी न बहन को मेरी चाल.
वो बेचारे दस बार बोले चिरौरी मिनती, तब मैंने पत्ते खोले,
मुंह तो मेरा उनकी बहन की बिल से दूर हो गया लेकिन मेरी हथेली ने उसकी जगह ले ली. कस के हथेली रगड़ मसल रही थी और मैंने उनकी ओर देख के सख्ती से बोला,
" सिर्फ एक बार क्यों बोला, ... मेरी ननद फालतू है क्या,... एक बार तुम चोद दोगे और अगली बार का चमरौटी, भरौटी में भटकेगी,... जैसे पेट में रोज भूख लगती है पेट के दो बित्ते नीचे भी रोज भूख लगती है,... अगर रोज लेना है तो बोलो,... और साफ़ साफ बोल,... "
उनकी निगाह अभी भी अपनी बहन की एकदम गुलाबी मक्खन ऐसी चिक्क्न, चिकनी चमेली पे चिपकी थे, जरा सा रास्ता मिला तो वो तुरंत मान गए ,
" हाँ, नहीं, मेरा मतलब हाँ रोज लूंगा, मेरा मतलब है रोज चोदूगा, बिना नागा " दस बार बोले होंगे।
अब ननद को मेरी बदमाशी समझ में आ गयी थी, वो मुस्करा रही थी.
' किसको ' मैंने अपनी आवाज में बिना नरमी लाये बोला और वो समझ गए की हाल खुलासा बयान करना होगा।
" तेरी ननद, मेरा मतलब अपनी बहन को रोज पेलूँगा, ... बिना नागा,"
" और अगर बहाना बनाया तो की घर में आज महतारी हैं, आज जीजा जी है, आज एकादशी है आज फलाने आये हैं तो "
मेरी आवाज में नरमी अभी भी नहीं आयी।
" कोई होगा, किसी के सामने भी "
रसीली पनियाई बहन की बुर के लिए कोई भी भाई कुछ भी मान लेगा, ये कौन दुनिया से अलग थे.
" अपनी महतारी अपनी जीजू के सामने चोदना होगा, अपनी बहिनिया को, घर में भी बाहर भी, खेत खेताडी में भी,... "
मैंने मामला एकदम साफ़ कर दिया, फिर न बिचक जाएँ बहन पे चढ़ने के नाम पे
अब ननद भी मैदान में आ गयी और उनसे चिढ़ाते हँसते हुए बोली,... " और भैया किसी दिन नागा हुआ तो "
" अरे तो हम दोनों मिल के इनकी गांड मारे लेंगे, एक बार ननद भौजाई मिल जाएँ तो दुनिया हिला दें, तोहरे भैया बहुत चिकने लौंडो क मारे होंगे अब हम दोनों मिल के मार लेंगे,... अगर अब आगे से कउनो बहाना किये तो "
मैंने हंस के इनकी ओर से जवाब दिया और फिर कस के ननद की बिल एक बार फिर से कस के चूसने लगी,... जीभ होंठ ऊँगली सब ने एक साथ मेरी ननद की बुर पे धावा बोल दिया, बस दो चार मिनट में वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयी,...
" भौजी झाड़ दो न , बहुत मन कर रहा है, ... " ननद चूतड़ उछाल के बोल रही थी।
और मैंने होंठ हटा लिया, शरारत से बोली, " अभी तो तेरे भैया ने बोला है, बेचारा बहन चोदने के लिए पागल हो रहा हो, दे दो न बेचारे को झाड़ देगा, देखो कैसे मस्त खूंटा खड़ा किया है '
" भौजी झाड़ दो न , बहुत मन कर रहा है, ... " ननद चूतड़ उछाल के बोल रही थी।
और मैंने होंठ हटा लिया, शरारत से बोली,
" अभी तो तेरे भैया ने बोला है, बेचारा बहन चोदने के लिए पागल हो रहा हो, दे दो न बेचारे को झाड़ देगा, देखो कैसे मस्त खूंटा खड़ा किया है '
और साथ में मैंने ननद को आँख मारी, वो मेरी बात समझ गयी और, उसके बाद हम दोनों, क्या तंग किया उन्हें,
लंड तो पहले ही तन्नाया खड़ा था, लेकिन अब हम दोनों, एक साइड से मैं चाट रही थी एक साइड से उनकी बहना, सुपाड़ा थोड़ी देर मैं चूसती, फिर उनकी बहन.
कभी डंडा मेरे मुंह में और बॉल्स उनकी बहन के तो कभी एक बॉल्स भैया की बहिन के मुंह में दूसरा मेरे,
हम दोनों ने उन्हें बरज दिया था, चिल्लाएं, सिसक ले लेकिन न मुझे छू सकते थे न मेरी ननद को, हाथ दोनों पलंग पर से उठा नहीं सकते थे।
कौन मरद जिसे थ्री सम का मन न करता हो,... और अगर थ्री सम में एक बहन हो दूसरी बीबी तो इससे बड़ी क्या फैंटेसी पूरी हो सकती थी,
मैंने जा के उनके कान में बोल दिया उन्हें क्या करना है
बस अगले पल मेरी ननदी निहुरी हुयी थीं, कुतिया की तरह,
कातिक की कुतिया की तरह गरमाई भी तो रहती थीं उनकी बहन और मेरे मरद अपनी बहन को कुतिया बना के चढ़ गए और मैंने इनाम भी बता दिया,
"आज रात हचक के चोद दो, तो कल रात तोहें तोहार महतारी भी दिलवाऊंगी।"
स्साला मेरा मरद,
महतारी चोदने के नाम पर जैसे मारे ख़ुशी के पागल, मेरी सास के भोसड़े के लालच में क्या कुटाई की मेरी ननद की बुरिया की.
सच्च में महतारी की बुर का लालच दिला के किसी भी मरद से जो काम न करा लो, तलवे चटवा लो, जिसका हफते भर से न खड़ा हो रहा हो उस स्साले का महतारी की बुर का नाम सुन के क़ुतुब मीनार हो जाता है।
कुतिया बनी कातिक की कुतिया की तरह गरमाई मेरी ननद, बिस्तर पर निहुरी, सर बिस्तर से लगा और चूतड़ हवा में बिस्तर से कम से दो फिट ऊपर उठा, कर पीछे से महतारी के भोंसडे के इनाम की बात सुन के गरमाया उसका भाई, पहले धक्के में ही आधा लंड, बहन की बुर में दरेरते, रगड़ते, जैसे आज बहन की बुर को भोंसड़ा बना के ही दम लेगा,
" अरे भैया, इत्ती जोर से नहीं, तेरी बहन की बुर है तेरी सास का भोंसड़ा नहीं जिसमे तेरी पूरी बारात डुबकी लगा रही थी तीन दिन तक,... ओह्ह्ह नहीं उह्ह्ह लगता है,... "
स्साली ननदें, फटी जा रही है, जान निकल रही है, परपरा रही है लेकिन भौजाई को गरियाने का मौका नहीं छोड़ रही,...
स्साली ननदें, फटी जा रही है, जान निकल रही है, परपरा रही है लेकिन भौजाई को गरियाने का मौका नहीं छोड़ रही,...
मेरी ननद के जोबन जबरदस्त थे, मेरे ही बराबर ३४ सी, वैसे ही कड़े, लेकिन झुके हुए एकदम मस्त लग रहे थे
और अब उनके भैया ने वही दबोच लिया,
पता नहीं उन्हें अपने सास के भोंसडे की याद आ गयी या मेरी सास के भोंसडे की चाहत, ... अगला धक्का और जबरदस्त था,... अबकी पूरा बांस उनकी बहन के बिल में, सीधे ननद की बच्चेदानी में, जिसे आज मेरे मरद को अपने बीज से भर देना था, ... मेरी कलाई से भी मोटा लंड और मुट्ठी ऐसा सुपाड़ा, पूरी कमर के जोर से भाई ने बहन की बच्चेदानी पे ठोकर मारी,
जैसे कह रहा हो बहना आज तेरी बच्चेदानी को अपने बीज से भर के ही दम लूंगा, ...
बहनचोद तो हर भाई होता है, लेकिन ब्याहता बहन को जो गाभिन करे, वो भी पहलौठी की बिटिया, वो है असली भाई,...
दर्द से चीखीं मेरी ननद, मजे से सिसकी, उनकी बहन,... लेकिन धक्के के जोर से मुझे लगा की कहीं उनके उठे हुए चूतड़,...
मैंने झट से जितने तकिये थे घर भर के नन्द के पेट के नीचे लगा दिए, जिससे चूतड़ उनके उठे रहें हवा में
एक तो मुझे आसा बहू की बात याद आ गयी, अगर किसी को गाभिन करवाना है पक्का, स्योर शॉट, तो चाहे पीठ के बल चुदवाये औरत, चाहे निहुर के, चूतड़ खूब उठे रहने चाहिए जिससे बुर के मुंह और बच्चेदानी के मुंह में ढलान रहे , और सब बीज सीधे बच्चेदानी में, एक बूँद भी सरक के फिसल के, बह के बाहर न आये, इसलिए मेरे मरद की बहिनिया को एकदम निहुरना जरूरी था,
दूसरी बात एक और थी,...
मेरे मरद ने कितने चिकने लौंडो को ऐसे नेकर सरका के निहुरा के, मेरे छोटे भाई को तो मेरे सामने ही ट्रेन में, ऐसे ही निहुरा के,... तो निहुरी हुयी उनकी ननद, और उनके मस्त मस्त लौंडा मार्का टाइट टाइट छोटे छोटे चूतड़, उठे हुए, देख के उनके भाई का खूंटा एकदम पागल हो गया था ,
मन तो मेरा भी कर रहा था ऐसी निहुरि ननदिया की गाँड़ भी उनके भइया से मरवा ली जाए, लेकिन आज तो कुछ और होना था मेरे मरद के बीज से मेरी ननद को गाभिन भी होना था,
दोनों हाथों से कस कस के वो अपनी बहन के गदराये जोबन निचोड़ रहे थे, मसल रहे थे, लंड के बेस से अपनी बहन की बुर के बाहरी हिस्से को रगड़ रहे थे, बहन सिसक रही थी,... मस्ती से चूतड़ मटका रही थीं, दोनों फांके बुर की फूल पिचक रही थीं,...
लेकिन मेरी निगाहें अपनी ननद के कसे छोटे छोटे टाइट पिछवाड़े के छेद पर टिकी थी, मुझसे रहा नहीं गया,
भाई न सही तो भाभी ही सही, बस दो उँगलियाँ मैंने थूक से लिथेड़ी, एक के ऊपर एक रख कर
और पूरी ताकत से इनकी बहन की गाँड़ के छेद पर रख कर पेल दिया पूरे कलाई के जोर से
पता नहीं बहन की चीख सुन के या बहन की गाँड़ में मेरी ऊँगली देख के वो एकदम जोश से पागल,... और आधा से ज्यादा खूंटा बाहर निकाल के क्या धक्का मारा, क्रिकेट होता तो छक्का स्टेडियम के बाहर जाकर गिरता,... और एक बार फिर मोटे सुपाडे ने सीधे बच्चेदानी पे ठोकर मारी,
उईईई ओह्ह्ह्ह नहीं भैया ओह्ह्ह क्या करते हो , बहिनिया सिसकी मारते हुए चीखी,...
मौका पाके मैंने चौका मार दिया , मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर थी,
और अब गोल गोल दीवालों को करोच रही थी, कैंची की फाल की तरह मैंने उँगलियाँ फैला दी थीं, कुछ देर में मेरी इनकी जुगलबंदी चालू हो गयी, जब इनका लौंडा बाहर निकलता, मेरी तीनो ऊँगली अंदर घुसती और जब लौंड़ा अंदर तो मेरी ऊँगली बाहर, धक्के इनके बुलेट ट्रेन से टक्कर ले रहे थे। सात आठ मिनट इसी तरह,...
ननद की चीखे आधे गाँव में गूँज रही थीं,... बस वो झड़ने के कगार पर थीं, मेरा दायां हाथ तो इनकी बहन के पिछवाड़े बिजी था, दाएं हाथ से मैंने मरद की बहिन की खुली जाँघों के बीच में हाथ डाल के क्लिट को कस के रगड़ना शुरू कर दिया,
और उसी समय इनका एक करारा धक्का इनकी बहन की बच्चेदानी पर, ननद झड़ने लगी, जैसे तूफ़ान में पत्ता कांपे, सब सुध बुध खो के, बस खाली बोल रही थीं,
" ओह भैया उफ़ नहीं हाँ बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह"
और मैंने मौके का फायदा उठा के ननद के पिछवाड़े से निकली ऊँगली, आगे जाके एकदम थेथर हुयी ननद के मुंह में, ...
ये जोर से मुस्करा उठे, मेरी बदमाशी देख के, ... और अपनी बहन से फिर पूछा,
"बहिनिया गाभिन कर दूँ,..."
" हाँ भैया हाँ, लेकिन मुझे बिटिया चाहिए तोहरे बीज से "
नीचे दबी कुचली जा रही उनकी बहन बोली।
एक बार मैं फिर पीछे थी, मुझे एक बदमाशी सूझी, मैंने पहले उन्हें इनाम बताया,
उनकी महतारी का पिछवाड़ा, ... फिर काम
बस ननद के भैया ने कैंची की तरह अपनी टाँगे बाहर निकाल कर अपनी बहन की दोनों टाँगे फंसा के कस ली, अब दोनों टाँगे ननद की चिपकी उनकी चूत चिपकी और अंदर बांस जड़ तक घुसा, जब उन्होंने निकाल के पेला तो लगा की उनकी बहन की बुर की अंदर की चमड़ी छिल गयी हो, पर उसी पर रगड़ते दरेरते, धक्के पर धक्का, उनकी बहन को दर्द भी हो रहा था मजा भी आ रहा था, पांच छह मिनट में वो दुबारा झड़ने लगीं और अबकी साथ में उनके भैया भी
जैसे कोई ऊपर से कुप्पी से तेल भरे उसी तरह इनकी पिचकारी से मलाई निकल रही थी, कहने की बात नहीं सुपाड़ा एकदमझड़ना बच्चेदानी से चिपका जब इन्होंने झड़ना शुरू किया, एक बार दो बार चार बार,...
और ननद भी बार बार,
इनकी बहन के चेहरे से इतनी ख़ुशी झलक रही थी की जैसे बरस बरस की साध पूरी हो रही हो।
झड़ना बंद होने पर भी दस मिनट तक ये अंदर धसाये रहे, और जब इन्होने बाहर निकाला तो मैं ननद की कमर पकड़ के ऐसी ही निहुराये रही जेसे ज़रा भी मलाई बाहर नहीं आये, आधे घंटे से ज्यादा,
भाई बहन दोनों थक के बिस्तर पर पड़े थे सुध बुध खोये, और साथ में मैं भी,... बाहर चांदनी झर रही थी , आम के बौर की, महुए की मादक महक हवा के साथ आ रही थी।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी, मेरी ननद दो बार अपने सगे भाई की सेज चढ़ चुकी थी, और जिस तरह से चूतड़ उठा उठा के उसने मलाई घोटी थी अपने भैया की मुझे पक्का अंदाज था की वो अपने भैया से गाभिन हो गयी होगी।
भाई बहिन एक दूसरे से चिपके मस्ती में लेटे थे, लेकिन लम्बी ड्राइव में गाड़ी की टंकी हरदम फुल रहनी चाहिए
तो मैं भाई बहिन को एक दूसरे की बाँहों में छोड़कर, ... पेट्रोल पम्प मतलब किचेन की ओर,...