Komal ji
Some days back I started a new poem on Ashram . But somehow i stopped in between as i was not sure whether I should write it or not. After reading this update..it just flashed in my mind how similar someone can be our thinking process. I am giving below few lines which i have pen down so far. Please let me know if I should continue this or not. I am sure it won’t stand anywhere in front of your update. It was just a try. One more thing which i am not sure if its a coincidence. Many pics which you have given with this update are similar to what i was planning to post. So i am not posting any pics this time. Waiting for your review comments
मेरी शादी की गाड़ी को ऐसा मिला है चालक
पांच साल की शादी में हुआ नहीं कोई बालक
जड़ी बूटी टोना टोट का सब हथकंडे अपनाएं
लेकिन ये फिसड्डी निकले कोई काम ना आये
बड़े जोश से रात बिस्तर पर पतिदेव तो आते
मेरी चूत की गर्मी के आगे झट से वो ढह जाते
लाख करो मेहनत खेत में कितना चलाओ हल
जब तक बीज न बोया जाए मिलेगा कैसे फल
सुन के सास के तानो को मैं रहने लगी परेशान
मैं भी जल्दी माँ बन जाउ बस एक यही अरमान
फिर एक दिन सासु माँ भागी सी आई मेरे पास
सुन बहू आज मिली थी रास्ते में पद्मा की सास
यहां पास ही आश्रम में रहते हैं एक बड़े फकीर
सुना बहुत से लोगो की उन होने दूर करी है पीड़
पद्मा ने साधु महाराज की करी एक महीने सेवा
पुत्र रूप में उसे मिला है अब उस सेवा का मेवा
कल तुझको ले जाऊंगी मैं वहां पर अपने साथ
उन्हें मिल के दिलवाऊंगी वहां से उनका प्रसाद
साधु जी कैसे पुत्र देंगे मुझे मन मेरे लिए विचार
अगले दिन उनके दर्शन को मैं होने लगी त्यार
अगले दिन मैं जा पाहुंची अपनी सासुमाँ के संग
बन जाऊँगी जल्दी ही अम्मा दिल में लिये उमंग
पल्लू के अंदर से दिखती थी मेरे चूचो की घाटी
अपनी चूत की झांटे थी मैनेआज सुबह ही काटी
थोड़ी हीदेर में साधु महाराज चेलो के संग पधारे
उनके जयघोष में वहां फ़िर लगाने लगे जयकारे
ऊंचा लंबा कद था उनका चेहरे पर तेज था भारी
बैठे जब वोआसन के ऊपर तकरायी नज़र हमारी
घूर के मुझको महाराज ने भरपुर नज़र इक डाली
देख के उन नज़रों को मैंने अपनी नज़र झुका ली
कुछ समय बाद आई जब हम सास बहू की बारी
पुछे साधुमहाराज बताओ क्या तकलीफ तुम्हारी
पांच साल की शादी में भी बहू को नहीं हुई संतान
मैं पोते का मुँह देखु मैं जल्दी है दिल में ये अरमान
अपनी कृपा से आप महाराज कुछ तो करें उपाय
मेरी लाड़ली बहू की गोद अब जल्दी से भर जाये
ऊपर से नीचे तक देखा मुझको अपनी नज़र उठाकर
बोले फ़िर मेरे कानो में मुझको अपना पास बुलाकर
उपाय तनिक कठिन है तुमको होगी थोड़ी सी दुश्वारी
लेकिन वादा करते हैं जल्दी भर जायेंगे गोद तुम्हारी
आपके पास आये हैं बाबा जी लेकर मन में विश्वास
आपकी सेवा करने से होगी पूरी मेरे मन की हर आस
हमें बताओ बहू कब आई थी पिछली बार महावारी
उस हिसाब से करनी होगी हम को पूजा की त्यारी
पिछले हफ्ते ही ख़तम हुई है महाराज मेरी महावारी
अब कहेंगे जैसा बाबा जी मैं आउंगी करके पूरी त्यारी
पंद्रह दिन तक यहां रहना होगा और करनी होगी सेवा
प्रसन्न हुए हम तुम्हारी सेवा से तो अवश्य मिलेगा मेवा
छोड़ सारी मोह माया को यहां रहना होगा बनके दासी
तन मन से अगर करोगी सेवा तो होगी सब दूर उदासी
अब ये अगले चार दिन अपने पति से संबंध नहीं बनाना
एक जड़ी बूटी हम देंगे तुमको वो रोज़ रात को खाना
आज से ठीक पांचवे दिन आश्रम में आना होगा अकेले
सब कपड़ा गहना नकदी और फोन छोड़ के सारे झमेले
पहले तोयहां आश्रम आते ही तेरा शुद्धिकरण करवाएंगे
फ़िर यहां कैसे रहना होगा वो सब नियम बताये जायेंगे
हाथ जोड़ कर साधु को सासु माँ संग आ गई वापस घर
लेकिन अकेले आश्रम जाने से मुझे लगने लगा था डर
मुझे देख उसकीआँखों में एक अजब चमक जो आई थी
कुछ अनहोनी न हो जाए में ये सोच के मैं धबरायी थी
घर आ बाबा की दी हुई बूटी जब भी सुबह मैं खाती थी
बस खाते ही उसको मेरे बदन में आग सी लग जाती थी
घंटो बैठ के अपने कमरे में उंगली से चूत खूब खुजलाती
जितना उसे खुजाती आग चूत की और भी बढ़ती जाती
दिल चाहता कोई रगड़ के मुझको निचोड़ दे मेरी जवानी
मेरी चूत की आग को ठंडा कर देकर अपने लंड का पानी
आख़िर आश्रम जाने का दिन भी जल्दी ही आया
सासु माँ ने मुझे बड़े प्यार से अपना पास बिठाया
देखो बहु रानी वो साधुमहाराज बहुत बड़े है ज्ञानी
वहां गलती से भी हो ना जाए तुमसे कोई नादानी
उनका कृपा दृष्टि है बस आखिरी उम्मीद हमारी
उनके आशीर्वाद सेही गूँजेगी इस घर में किलकारी
पुरे तन मन से वहां करूंगी सेवा रखे आप विश्वास
ऐसी कोई भी नहीं गलती होगी आप नहीं हो निराश
जीवन में जो लाए खुशियां उस बालक की चाह में
निकल पड़ी थी अपने घर से मैं इक अंजानी राह पे