Premkumar65
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Woww kya gaand mari saas ki. Sarhaj bhi kam nahin hain.गप्प,
कडुवे तेल का फायदा हुआ, सास मेरी, एक धक्के में ही पहाड़ी आलू ऐसा मेरे नन्दोई का मोटा सुपाड़ा उनके पिछवाड़े ने घोंट लिया
लेकिन धंस तो गया, पर फिर अंड़स गया,
एक बात एकदम साफ़ थी दसो साल से मेरी सास का यह पिछवाड़े का दरवाजा नहीं खुला था ।
मैंने तय कर लिया था, एक बार मेरे ननद नदोई चले जाएँ तो कम से कम हर हफ्ते एक दो बार, उनके बेटे से,आखिर उनका भी तो पिछवाड़े का दीवाना था . ठीक है जिस भोंसडे से उनका बेटा निकला है, उस भोंसडे में पहला मौका मिलते ही उनके बेटे को घुसवाऊँगी, मेरा मरद अपनी बहन चोद रहा है, बेटी भी चोदेगा तो महतारी किसके लिए छोड़ेगा, लेकिन उसके बाद पिछवाड़े का भी नंबर लगेगा
पर पहले अभी दामाद का नंबर था
कोशिश ननदोई जी कर रहे थे, सास भी कर रही थीं, बल्कि नन्दोई से ज्यादा, जैसे कहते न जो एक बार साइकिल चलना सीख लेता है फिर भूलता नहीं एकदम उसी तरह गांड मारने वाले, और मरवाने वाली ( या मरवाने वाले ) न ट्रिक भूलते हैं न उस मजे को।
मैं अब अपने नन्दोई के पीछे खड़ी थी, उनके मुसल के बेस पे हाथ लगाए, आखिर सास तो हम दोनों की थी, इसलिए मैं भी धक्के मारने में सहयोग कर रही थी, जिसमे सास का सुख हो,
सास मेरी थीं तो नन्दोई भी मेरे थे, उन्हें भी तंग करना मेरा काम था, बस अपने बड़े बड़े गोल गोल जोबन उनकी पीठ पे रगड़ रही थी, उनके चूतड़ों को सहला रही थी, उनकी दरार में ऊँगली रंगड़ रही थी। लेकिन मुझसे नहीं रहा गया, अभी भी दो इंच बाहर था, ये तो बेईमानी हुयी
" अरे नन्दोई जी ये बाकी का किसके लिए बचा रखा है, मेरी ननद के सास के लिए, वो गदहों घोड़ो वाली, उनका इससे क्या, पूरा डालिये नहीं तो मैं डालती हूँ "
मैंने उन्हें उकसाया और डाल भी दिया अपनी दो ऊँगली उनके पिछवाड़े,
बस क्या गांड मारी उन्होंने हम दोनों की सास की .
मेरी सास खुश,... मैं खुश, उसी समय मैंने अपनी ननद की ननद नन्दोई जी के नाम लिख दी।
नन्दोई से ज्यादा जोश में मेरी सास थीं , अपनी समधन को गरिया रही थी अपने दामद को उकसा रही थी और हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी,
लेकिन आठ दस मिनट के बाद मुझे भी लगा, नन्दोई जी को भी की सास की पीठ कहीं निहुरे निहुरे दुखने न लगी हो, बस सास जी बिस्तर पे लेटी जैसे कुछ देर पहले अपने दामाद से चुद रही थी बस फरक ये था की वो मोटा मूसल उनके बजाय आगे के छेद के पीछे की छेद में धंसा
मैंने सुन रखा था की भरी भरी देह वाली, खूब खेली खायी, थोड़ी बड़ी उमर वाली औरतों की गाँड़ मारने में मरदों को बहुत मजा आता है लेकिन आज देख रही थी सामने। नन्दोई जी के चेहरे की चमक खुसी और जोस। लेकिन मेरी और उनकी सास कम गर्मायी नहीं थी, जब ननदोई जोर का धक्का मारते, तो सास मेरी और उनकी, सिसक पड़ती थीं, लेकिन दर्द के साथ ख़ुशी भी छलक जाती। जोर से वो मुट्ठी भींच लेती, सिसक पड़ती और जब नन्दोई जी आराम आराम से सरका सरका के अपना मोटा खूंटा मेरी मरद की महतारी की गाँड़ में धीमे धीमे धकलते तो वो मजे से सिसकने लगाती और मेरे नन्दोई को गरियाती,
" अबे स्साले, भोंसड़ी के, खाली अपने महतारी क, हमरे समधन क गाँड़ मार मार के पक्का हुए हो की अपनी बूआ, चाची, मौसी क गाँड़ भी मारे हो , सब के सब खूब चूतड़ मटकाती हैं "
और मैंने तय कर लिया की अपने सास के बेटे से,... न खाली उसकी महतारी की बल्कि बूआ, चाची, मौसी सब की गाँड़ मरवाउंगी
महतारी क गारी सुनने के बाद जो हाल किसी भी मरद का होता है मेरे नन्दोई का हुआ और क्या क्या हचक हचक के उन्होंने अपनी सास की गाँड़ मारी।
कभी दोनों चूँची पकड़ के दबा के निचोड़ के तो कभी सास को दुहरा करके, हर धक्का पूरा अंदर तक और सास हर धक्के के साथ कभी सिसकतीं कभी चीखतीं कभी गरियाती
" स्साले, तेरी बहिन की, तेरी महतारी क, अरे तेरी महतारी क भोंसडे की तरह ताल, पोखरा नहीं है, दसो साल बाद पिछवाड़े कुदाल चल रही है , तनी आराम आराम से "
" अरे घबड़ा काहे रहीं, अब तो जब आऊंगा तब मारूंगा आपकी गाँड़. एकदम अपने बिटिया से पूछ लीजियेगा, अगवाड़े क नागा हो जाता है, पिछवाड़े क नहीं होता है "
दामाद उनके ख़ुशी से सास क जुबना चूम के बोले लेकिन सास की ओर से जवाब मैंने दिया,
" अरे चलो मैं नहीं थी जब आपका बियाह हुआ वरना कोहबर में कुल खेल सिखाय देती.
लेकिन तोहार महतारी ससुरार आते समय सिखाई नहीं थी ? ससुरारी में खाली मेहरारू नहीं मिलती। सास, साली सलहज सब पे पूरा हक़ है और अगर कहीं गलती से भी पूछ लिए सास, सलहज से तो समझ जाएंगी की हौ पूरा बुरबक। सास हमार का पिछवाड़े बोर्ड टांग के घूमतीं? अरे चलो देर हुआ, लेकिन।
अब आगे से अपनी मेहरारू, हमरी ननद के साथ मौज मस्ती,.. अपने मायके और उनकी ससुरारी में और अपनी ससुरारी में,... सिर्फ सास और सलहज।"
अब मेरी सास के पिछवाड़े को इतने दिन बाद मोटे लंड का मजा फिर से मिल रहा था और वो चूतड़ उछाल के घोंट रही थीं।
लेकिन मुझसे नहीं रहा गया, सास मजे ले और बहु सूखे
मैं सास के ऊपर चढ़ के बैठ गयी और अपनी बुर उनके मुंह पे रगड़ने लगी, सास मेरी बहुत अच्छी । कस के चूस रही थीं चाट रही थीं
मैंने आगे बढ़ के उनके दामाद को सास, मेरी उनकी सास की गांड मारने का इनाम भी दे दिया, उन्हें कस कस के चूम के।
और उनके दामाद का भी तो फायदा था, कभी सास की चूँची दबाते तो कभी सलहज की , एक साथ सास सलहज दोनों का मजा और इसी लिए तो हर दामाद ससुराल जाना चाहता है।
हचक के गांड मारी जा रही थी,
मैं भी कभी सास की एक चूँची पकड़ के दबाती तो दूसरे हाथ से उनके बुर में ऊँगली करती, एक छेद मजा ले रहा है तो दूसरा क्यों प्यासा रहे,
सास मेरी भी कम नहीं थीं, उन्होंने खींच के मेरे मुंह को अपनी बुर पे, अब हम दोनों एक दूसरे की प्रेम गली में जीभ से सेंध लगा रहे थे, कस कस के चूस रहे थे, चाट रहे थे और दामाद उनका पिछवाड़े की ड्यूटी पर, एक साथ सास जी को अगवाड़े पिछवाड़े का मजा मिला रहा था
थोड़ी देर में हम तीनो साथ साथ झड़े, पहले मैं,
जब मैं झड़ रही थी तो मेरे ननदोई ने सासु माँ की गाँड़ मारना रोक दी और वो मजे से देख रहे थे की सास कैसे अपनी बहू की बुरिया चूस रही है। और सच में मेरी सास बहुत मस्त चूसती थीं, अपनी ससुराल में तो मैं सबसे चुसवा चुकी, थी, जेठानी, दोनों ननदें लेकिन सास सच में सास थीं, चूसना, चाटना और जीभ से बुर चोदना तीनो में नंबर वन, और मुझे एक बार झाड़ने के बाद भी छोड़ती नहीं थीं, जब तक मैं झड़ झड़ के थेथर न हो जाऊं, और आज तो स्साली छिनार एकदम गर्मायी थी, गाँड़ में अपनी बेटी के मरद का मोटा लंड जो घुसवाये थी
चार बार झड़ी मैं तब उन्होंने चूसना बंद किया और मैं जल्दी से किसी तरह से नन्दोई के पीछे जा के खड़ी हो गयी और अपनी चूँचियों से ननदोई की पीठ रगड़ते उनके कान को हलके से काट के बोली,
" अबे स्साले, मेरे मरद के स्साले, पेल पूरी ताकत से, देखूं महतारी ने तुझको दूध पिलाया की खाली तोहरे मामा को पिलाती थी जिसके जाए हो तुम "
मेरे दोनों जोबन उनकी पीठ रगड़ रहे थे और हाथ नन्दोई के नितम्ब और एक झटके से मैंने ऊँगली उनके पिछवाड़े पेल दी,
पता नहीं गारी का असर था या मेरी ननद के भतार के गाँड़ में घुसी मेरी ऊँगली का
हचक के अपना मोटा खूंटा मेरी सास की गाँड़ में पेला
" उई ओह का करते हो स्साले, नहीं नहीं " मेरी सास जोर से जोर चीखीं। मुझे पक्का यकीन था की मेरी सास की ये दर्द और मजे की चीख पक्का मेरी सास की बेटी चोद रहे उनके बेटे के पास भी जरूर पहुंची होगी।
लेकिन अब नन्दोई सलहज एक ओर, मैं ननदोई को उकसा रही थी और मजे ले ले कर पूरी ताकत से हम दोनों की सास की मार रहे थे।
लेकिन तभी मुझे एक और बदमाशी सूझी
" अरे नन्दोई जी, जिस भोंसडे से इतनी सुन्दर हमार ननद निकली है जिसकी बुर का मजा रोज बिना नागा लेते हो, जरा उस भोंसडे का भी तो ख्याल करो, पेल दो पूरी मुट्ठी।
सच में मेरी सास का फुदकता, फूलता पिचकता भोंसड़ा बहुत मस्त लग रहा था, उस में से उनकी बेटी के मरद की मलाई अभी भी धीरे धीरे बह रही थी।
मुट्ठी तो नहीं लेकिन एक साथ उन्होंने तीन उँगलियाँ अपनी सास की बुर में पेल दी और डबल चुदाई का असर हुआ थोड़ी देर में
सास और साथ में उनके दामाद, झड़ रहे थे।