असल में कहानी में अभी असली फोकस बुच्ची पे हैं, कच्ची कली, दर्जा नौ वाली, दूल्हे की कजिन, और कहानी के शुरू में आपको याद होगा तो थोड़ी सी नकचढ़ी, मजाक में उछलती थी,
और उसके बाद है दूल्हे की माँ पे, और कुछ है सहायक भूमिका में चुनिया, बुच्ची की सहेली, रामपुर वाली भाभी, मंजू भाभी और
ऑफ़ कोर्स इमरतिया तो है ही
इसलिए और अधिक करेक्टर्स जोड़ने से एक तो बुच्ची पर फोकस हलका होगा और दूसरे कहानी मंद हो जायेगी और वैसे भी कथानक के अलावा क्योंकि में रस्म रिवाज और लोकगीतों पे भी जोर दे रही हूँ, जो इस फोरम पर कम ही लेखिकाएं करती हैं इसलिए उसका भी असर घटनाक्रम की तेजी पर पड़ता है।
पर आपने कहा है तो जल्द ही एक दो और करेक्टर्स जुड़ेंगे, बुच्ची की ही उम्र के