sexy ritu
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अपडेट 4
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि बस में मेरे ओर अनू कें बीच में क्या क्या हुआ,,,
अब आगे -
अनु मुझे चिपक कर ही सो गई थी। सुबह बस के किसी खराब रोड पर चलने के कारण बहुत बस बहुत झटके खा रही थी जिसके कारण मेरी नींद खुल गई। तो मैंने पाया की मेरा लोअर जो अभी भी नीचे था अब बिल्कुल घुटने तक पहुंच गया था और मेरा लन्ड जो सुबह - सुबह बहुत हार्ड हो गया था अभी भी अनू की गांड कि दरार में पूरी तरह सेट था । मैंने अनू पर ध्यान दिया, वह उसी तरह मुझसे चिपक कर आराम से सो रही थी, सूरज की सुबह की रोशनी हमारे बर्थ में जो कि दोनों तरफ से पर्दे से ढका हुआ था (जैसा कि आमतौर पर स्लीपर बसो में होता है), उसमे से छन कर आ रही थी.
सूरज की रौशनी में अनू का चेहरा मुझे खिलता हुआ महसूस हो रहा था, अनू की पीठ मुझसे चिपकी हुई थी, मैंने अपने आप को थोड़ा एडजस्ट किया ओर पीछे से ही उसके गालों की पप्पी ले ली, मुझे लगा अनू जग जाएगी लेकिन वो सोती ही रही।
मैंने भी अनू को जगाना सही नहीं समझा और उसे सोने दिया । मैंने धीरे से अपना लन्ड उसकी गान्ड से बाहर निकाला जिसे अब मुझे अनू की गांड बिल्कुल रौशनी में दिखाई दे रही थी। उसके लेगिंग्स पे मेरे वीर्य के दाग़ पूरे गान्ड पे लगे हुए थे जो अब सुख गया था। उसका सूट उसकी कमर से काफी ऊपर उठ गया था जिससे अनू की नंगी कमर मुझे नजर आ रही थी, मैंने थोड़ी देर अनू के बिल्कुल चिकनी कमर जिसपर खुरदरे पन का नामोनिशान ना था, को देखता रहा फिर मैंने सीधे करवट ली और अनू के सलवार को नीचे कर दिया।
थोड़ी देर बाद हम दिल्ली पहुंचने वाले थे । मैंने अनू के बाहों पे अपने हाथ रखे और उसे हिलाते हुए उठाया।
वो जगी ओर करवट लेकर सीधी हो गई।
अनु - आंख मलते मलते मुझे देखते हुए, हम पहुंच गए क्या भैया??
समीर - हा अनू बस कुछ देर और
मेरी नजर धीरे धीरे अनू के बूब्स पे चली गई जिसे मैंने रात में मसला था, मसले जाने के कारण अनू के बूब्स के जगह के कपड़े पर मसले जाने का निशान बन गया था, अनू की सलवार प्योर सुती की थी जिससे वो कपड़े में निशान आसानी से नोटिस हो रहा था। मेरी नजर उस निशान पर जाकर रुक गई जो अनू के सांस लेने के कारण ऊपर नीचे हो रही थी। अनु ने मुझे उसके बूब्स को घूरते हुए देखा , उसने पहले मेरी आंखो में देखा और एक नजर अपने बूब्स पे डाली, अपने मुचराए हुए कपड़े को देखकर अनू को रात का पूरा वाकया याद आ गया । उसने शर्म से नजर झुका ली, मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि में अनू से कैसे बात करू। तभी कंडक्टर ने आवाज लगाई कि पांच मिनट में बस स्टैंड आ जाएगा सब लोग तैयार हो जाएं। ये सुनकर अनू उठी और मुझसे बोली भैया मैं नीचे जाती हूं आप भी तैयार होकर आ जाओ, ये कहते हुए उसने मेरे लोअर की ओर देखा जो कि अभी भी नीचे था और दूसरे ही पल वह नजर घुमा कर नीचे उतर गई, मुझे अचानक से एक झटका लगा
अनु के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन ना होने की वजह से में अब सोच में पड़ गया । मैंने जैसे तैसे अपने आप को ठीक किया और नीचे आ गया। नीचे सभी लोग उतरने के लिए तैयार हो रहे थे , अनू मुझसे आगे थी और मैं उसके पीछे , मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अनू के मन में क्या चल रहा है। मैंने धीरे से अनू का हाथ पकड़ना कि कोशिश की पर अनू ने मेरे हाथ को झटक दिया। बस से उतरने के बाद मैंने ओला बुक की और अपने मासी के घर चल पड़े रास्ते में मैंने अनू से कुछ बात करने की कोशिश की , वो बस मेरे सवालों का जवाब दे रही थी, मुझे लग गया कि अनू मुझसे नाराज़ हो गई है, मुझे अपने रात के काम पर अब पछतावा हो रहा था ।
मासी का घर एक टू बीएचके फ्लैट की तरह था जिसमे बहुत सारे मेहमान पहले से भरे हुए थे। हालांकि मौसा जी ने ऊपर छत पे भी टेंट लगाया hua tha जहा गद्दे लगे हुए थे।कुल मिला कर बहुत खराब व्यवस्था थी। मैंने मासी के घर की यह हालत देखी तो मेरा मूड खराब हो गया । हम पहले भी मासी से घर आए थे पर लगभग दस साल पहले , मुझे लगा था कि मौसा जी ने कुछ व्यवस्था तो कि ही होगी पर ये तो….. मुझे खुद से ज्यादा अनु की चिंता हो रही थी कि वह यहां पर किस तरह से रहेगी पर थोड़ी देर बाद मौसा जी ने हमारे रहने की व्यवस्था या सिर्फ यूं कहें कि हमारे बैग्स और सामान रखने की व्यवस्था छत पर बनी एक छोटे से रूम में करवा दी, पूरे घर में सिर्फ एक बाथरूम होने की वजह से मैंने और अनु ने जैसे तैसे करके नहाया और फ्रेश हुए। हम दोनों अभी भी एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे।
नहाकर मैं थोड़ी देर सो गया और अनु बाकी लड़कियों के साथ शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गई। जो की शादी अगले दिन होनी थी तो आज की रात मुझे रुकने के लिए किसी अच्छे जगह की जरूरत थी जिससे रात में बस में हुई थकान को दूर किया जा सके क्योंकि मैं जानता था कि ना तो मैं और ना ही अनु रात में अच्छे से सो पाए हैं शाम को जब मैं जागा तो मैंने सबसे पहले अनु को ढूंढना शुरू किया क्योंकि मुझे चिंता हो रही थी कि उसने कुछ खाया या नहीं। क्योंकि हर कोई शादी की तैयारियों में इतना बिजी था और सभी तैयारियां इतनी अस्त व्यस्त थी कि पर मुझे खुद से ज्यादा अनु की चिंता थी। कल रात हमारे बीच चाहे जो भी हुआ हो पर मैं बचपन से अनु की बहुत केयर करता था। मैं छत वाले रूम से नीचे उतरा और अनू मुझे हॉल में दिखी
अनु ने मुझे जब अपनी ओर आते देखा तो वो थोड़ा असहज हो गई
मैं सीधे उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
अनु - सुनो, तमने कुछ खाया या नहीं,
अनु - हा भैया , ऊपर खाना बन रहा है ना ! आपने नहीं देखा उधर छत पे ही तो…
मैं अनू को देख रहा था, उसने एक लाल लंहगा पहना हुआ था जिसमे वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,
मुझे उसका वक्त मेरी अनू पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत लड़की लग रही थी। उसने थोड़ा मेकअप भी किया हुआ था और मेरी आंखो मे देखकर बोले जा रही थी
मै उसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध सा हो गया था और मेरी नजर उसके चेहरे से हट ही नहीं रही थी।
अनु - भैया!!!!! कहा खो गए
समीर - अरे , मेरा सिर दुख रहा है अनू, ये छत पे कोई जोर जोर से होम थियेटर बजा रहा है, नींद आती आती तोड़ दी उसने मेरी।
अनु - आपने खाना खाया भैया?
समीर - नहीं अनू !!
मेरी भूख गायब हो चुकी थी मुझे अनू पे उस वक्त बहुत प्यार आ रहा था , मैं जानता था कि वो थकी हुई है और अगर आज रात हम दोनों को आराम नहीं मिला तो कल शादी वाले दिन हम दोनों कि तबीयत खराब हो जाती।
बस मैं अनू कि थोड़ी दिक्कत भी नहीं होने देना चाहता था।
अनु - भैया , ऐसा करो!! आप भी खाना खा लो
ऊपर अभी भी कुछ लोग खा रहे हैं। फिर शाम में रस्म शुरू हो जाएगी तो आप खा नहीं पाओगे, आपने सुबह से कुछ खाया भी नहीं।
समीर - ठीक है अनू, मेरा ध्यान कहीं और था
मैं छत पर गया , अनू भी लड़कियों के साथ बिजी हो गई।वह लड़कियों से हस हस के बात तो कर रही थी पर मुझे पता था कि वो खुश नहीं है, वो बहुत थकी हुई थी और इस तरह का माहौल उसे पसन्द होने के बावजूद प्रॉपर अरेंजमेंट न होने के वजह से एंजॉय नहीं कर पा रही थी।
खाना बहुत ऑयली था जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था फिर भी भूख लगे होने के कारण मैं जैसे तैसे खाने लगा। फिर अचानक मुझे याद आया कि अनू को भी ऑयली बिल्कुल पसंद नहीं है, वो तो भूखी रह जाती है लेकिन अगर खाने में तेल दिख जाए तो उसे हाथ तक नहीं लगाती, मैंने उसी वक्त खाना छोड़ा और पास में खड़े एक लड़के को जो लाइट लगा रहा था और मेरे मौसा g का भतीजा था उससे बाइक कि चाभी मांगी। मैं नीचे सीधे हॉल में गया और अनू का हाथ पकड़ा और उसे लड़कियों के बीच से खींच के बाहर ले आया
अनु - अरे भैया !!!! क्या हुआ !!?? कहा ले जा रहे हो
समीर - चल ना तुझे घुमा कर लाता हूं।
अनु - मै कैसे जा सकती हूं भैया, रस्म होनी है अभी
समीर - अरे बहुत लड़कियां है वहा, वैसे भी हम तुरंत आ जाएंगे बेबी, आई प्रोमिस
अनु - ओके भैया, कैसे जाओगे , कैब? आएगी गली में?दरअसल मौसा g क घर एक कंजेस्टेड एरिया में इसलिए अनू को समझ नहीं आ रहा था कि हम दिल्ली आखिर घूमेंगे कैसे।
समीर - अरे तू उधर देख
अनु ने जब बाइक देखि जो यामाहा की लेटेस्ट एफ जेड थी तो वो खुशी से उछल पड़ी।
मैंने उसे बाइक पे बैठा और कॉलोनी कि तंग गलियों से निकलते हुए हम मेन रोड पर आ गए। अनु ने लंहगा पहना हुआ था । ओर मेरे पीछे बैठ के उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा हुआ था, आज मै अपने आप को बहुत लकी फील कर रहा था, मैंने गूगल पे एक अच्छा रेस्ट्रा देखा था जो पास में ही था में सबसे पहले अनु को वहा ले गया, जब मैं पार्किंग में बाइक खड़ी करने लगा तो अनू ने मुझे प्रश्नवाचक नजरो से देखा। मैंने बस उसका हाथ पकड़ा और रेस्त्रां के अंदर आ गया,
अनु - भैया ?? आप तो मुझे घुमाने ला रहे थे ना??
वेट, भैया?? आपने खाना नहीं खाया??
समीर - तमने भी तो नहीं खाया अनू!!
अनु समझ गई कि मैं जानता हूं कि अनू ने भी खाना नहीं खाया है, ये बात अनू के लिए नई नहीं थी जब मैं इस तरह उसे खाना खिलाने लाया था , कभी कभी हम अपने शहर में भी इसी तरह निकल जाया करते थे।
अनु - मुझे वहा मन नहीं लग रहा भैया, सब लड़कियां भी अपने अपने घर जा रही है, कोई रात को नहीं रुकेगा, और हम उस छत वाले रूम मे कैसे सोएंगे?? फैन तक नहीं है उसमे??
अनु ने चिकन का पीस अपने मुंह में डालते हुए बोला हम दोनों अक्सर रेस्त्रां मे चिकन कि डिश ऑर्डर कर ते थे।
समीर - रुक मैं कुछ करता हूं।
अनु - ह्मम!!!!
खाना खाने के बाद अनू ने मुझे अचानक से हग किया
ओर कहा thankyou so much भैया!!
ये मेरे लिए थोड़ा अजीब था क्योंकि हम ये सब पहले बहुत बार कर चुके थे पर अनू ने मुझे कभी हग नहीं किया था, मुझे थोड़ा अच्छा लगा कि अनू अब रात के बारे में नहीं सोच रही । उसके बाद हम थोड़ा घूमते फिरते मासी के यहां चले, जब हम पहुचे तो काफी मेहमान जो अगल बगल से थे वे अपने घर चले गए थे। मासी जो अब थोड़ी फ्री हो गई थी उन्होंने मुझसे पूछा
मासी - अरे कहा चले गए थे तुम दोनो । बताओ खाना भी नहीं खाया है
समीर - अरे मासी मैं थोड़ा अनू को घुमाने ले गया था हम मुखर्जी नगर के बाजार तक गए थे।
मासी - अच्छा कोई नहीं जाओ ऊपर कमरे में ही तुम दोनो के सोने के लिए बिस्तर लगा दिया है, खाना भी खा लेना !! हां बेटा??
समीर - हा मासी !! हम खा लेंगे आप बहुत थक गई हो आराम करो।
अभी भी घर में बहुत लोग थे जिसमे से कुछ हॉल में ही सोए हुए थे। हम ऊपर गए और रूम मे एक गद्दा ओर दो तकिया लगा हुआ पाया , मुझे ओर अनू को नेट लगा कर सोने कि आदत थी क्युकी हमारे यहां मच्छर बहुत होते है। पर वहा उन दो चीजों के अलावा और कुछ नहीं था।
अनु ने मुझे लाचार नजरो से देखा!! वो उस गंदे तकिए पर बैठने तक नहीं वाली थी ये मुझे पता था। चाहे वह रात भर छत पर एक कुर्सी पर बिता देती।
तभी मैंने देखा कि नीचे हॉल कि लाइट्स बुझी
मैंने अनू को कहा
समीर - तुम्हारा पर्स कहा है?
अनु - क्यों भैया?? कुछ चाहिए आपको?
समीर - अरे नहीं ले आओ ना !!
अनु जाकर अपने बड़े बैग से अपना पर्स ले आई
समीर - बाहर बाइक के पास आओ , चुपचाप
अनु ने मुझे बड़ी बड़ी आंखो से देखा
मैंने उसे एक ग्रिन वाली स्माइल दी और कहा
जल्दी आओ
मैं नीचे अंधेरे हॉल से होते हुए घर से बाहर निकला और बाइक को धक्का देते हुए घर से थोड़ी दूर ले आया जिससे कोई आवाज ना हो, अनू भी मेरे पीछे पीछे आ गई , वो उसी लंहगे में थी मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा , अनू मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, वो इस तरह रात में घर से निकलने पर बहुत एक्साइटेड थी।
थोड़ी देर बाद हम उस बिल्डिंग के सामने पहुंचे जिसपे लिखा था -
रघुनाथ रिजॉर्ट्स oyo 25847 , ये वही होटल था जहा मैंने रेस्तरां में बैठे बैठे बुकिंग कि थी।
अनु के चेहरे से उसका डर साफ़ दिख रहा था, उसे शायद मुझसे ये उम्मीद नहीं थी , पर वो ये भी जानती थी मैं उसके कम्फर्ट के लिए कुछ भी कर सकता था। इसलिए वो कुछ बोल नहीं रही थी, बस उसकी नर्वसनेस उसके चेहरे पर दिख रही थी।
हमने चेक इन किया (इसीलिए डॉक्युमेंट्स के लिए मैंने अनू के पर्स को लिया था)
थोड़ी देर बाद हम अपने रूम जो कि फूल एयर कंडशनिंग, 8 इंच मैट्रेस और बहत ही सुगंध से भरा हुआ था उसके अंदर थे
अनु ने दरवजा खुद बंद किया और मोटे गद्दे पे धराम से गिर गई
Nice updateअपडेट 4
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि बस में मेरे ओर अनू कें बीच में क्या क्या हुआ,,,
अब आगे -
अनु मुझे चिपक कर ही सो गई थी। सुबह बस के किसी खराब रोड पर चलने के कारण बहुत बस बहुत झटके खा रही थी जिसके कारण मेरी नींद खुल गई। तो मैंने पाया की मेरा लोअर जो अभी भी नीचे था अब बिल्कुल घुटने तक पहुंच गया था और मेरा लन्ड जो सुबह - सुबह बहुत हार्ड हो गया था अभी भी अनू की गांड कि दरार में पूरी तरह सेट था । मैंने अनू पर ध्यान दिया, वह उसी तरह मुझसे चिपक कर आराम से सो रही थी, सूरज की सुबह की रोशनी हमारे बर्थ में जो कि दोनों तरफ से पर्दे से ढका हुआ था (जैसा कि आमतौर पर स्लीपर बसो में होता है), उसमे से छन कर आ रही थी.
सूरज की रौशनी में अनू का चेहरा मुझे खिलता हुआ महसूस हो रहा था, अनू की पीठ मुझसे चिपकी हुई थी, मैंने अपने आप को थोड़ा एडजस्ट किया ओर पीछे से ही उसके गालों की पप्पी ले ली, मुझे लगा अनू जग जाएगी लेकिन वो सोती ही रही।
मैंने भी अनू को जगाना सही नहीं समझा और उसे सोने दिया । मैंने धीरे से अपना लन्ड उसकी गान्ड से बाहर निकाला जिसे अब मुझे अनू की गांड बिल्कुल रौशनी में दिखाई दे रही थी। उसके लेगिंग्स पे मेरे वीर्य के दाग़ पूरे गान्ड पे लगे हुए थे जो अब सुख गया था। उसका सूट उसकी कमर से काफी ऊपर उठ गया था जिससे अनू की नंगी कमर मुझे नजर आ रही थी, मैंने थोड़ी देर अनू के बिल्कुल चिकनी कमर जिसपर खुरदरे पन का नामोनिशान ना था, को देखता रहा फिर मैंने सीधे करवट ली और अनू के सलवार को नीचे कर दिया।
थोड़ी देर बाद हम दिल्ली पहुंचने वाले थे । मैंने अनू के बाहों पे अपने हाथ रखे और उसे हिलाते हुए उठाया।
वो जगी ओर करवट लेकर सीधी हो गई।
अनु - आंख मलते मलते मुझे देखते हुए, हम पहुंच गए क्या भैया??
समीर - हा अनू बस कुछ देर और
मेरी नजर धीरे धीरे अनू के बूब्स पे चली गई जिसे मैंने रात में मसला था, मसले जाने के कारण अनू के बूब्स के जगह के कपड़े पर मसले जाने का निशान बन गया था, अनू की सलवार प्योर सुती की थी जिससे वो कपड़े में निशान आसानी से नोटिस हो रहा था। मेरी नजर उस निशान पर जाकर रुक गई जो अनू के सांस लेने के कारण ऊपर नीचे हो रही थी। अनु ने मुझे उसके बूब्स को घूरते हुए देखा , उसने पहले मेरी आंखो में देखा और एक नजर अपने बूब्स पे डाली, अपने मुचराए हुए कपड़े को देखकर अनू को रात का पूरा वाकया याद आ गया । उसने शर्म से नजर झुका ली, मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि में अनू से कैसे बात करू। तभी कंडक्टर ने आवाज लगाई कि पांच मिनट में बस स्टैंड आ जाएगा सब लोग तैयार हो जाएं। ये सुनकर अनू उठी और मुझसे बोली भैया मैं नीचे जाती हूं आप भी तैयार होकर आ जाओ, ये कहते हुए उसने मेरे लोअर की ओर देखा जो कि अभी भी नीचे था और दूसरे ही पल वह नजर घुमा कर नीचे उतर गई, मुझे अचानक से एक झटका लगा
अनु के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन ना होने की वजह से में अब सोच में पड़ गया । मैंने जैसे तैसे अपने आप को ठीक किया और नीचे आ गया। नीचे सभी लोग उतरने के लिए तैयार हो रहे थे , अनू मुझसे आगे थी और मैं उसके पीछे , मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अनू के मन में क्या चल रहा है। मैंने धीरे से अनू का हाथ पकड़ना कि कोशिश की पर अनू ने मेरे हाथ को झटक दिया। बस से उतरने के बाद मैंने ओला बुक की और अपने मासी के घर चल पड़े रास्ते में मैंने अनू से कुछ बात करने की कोशिश की , वो बस मेरे सवालों का जवाब दे रही थी, मुझे लग गया कि अनू मुझसे नाराज़ हो गई है, मुझे अपने रात के काम पर अब पछतावा हो रहा था ।
मासी का घर एक टू बीएचके फ्लैट की तरह था जिसमे बहुत सारे मेहमान पहले से भरे हुए थे। हालांकि मौसा जी ने ऊपर छत पे भी टेंट लगाया hua tha जहा गद्दे लगे हुए थे।कुल मिला कर बहुत खराब व्यवस्था थी। मैंने मासी के घर की यह हालत देखी तो मेरा मूड खराब हो गया । हम पहले भी मासी से घर आए थे पर लगभग दस साल पहले , मुझे लगा था कि मौसा जी ने कुछ व्यवस्था तो कि ही होगी पर ये तो….. मुझे खुद से ज्यादा अनु की चिंता हो रही थी कि वह यहां पर किस तरह से रहेगी पर थोड़ी देर बाद मौसा जी ने हमारे रहने की व्यवस्था या सिर्फ यूं कहें कि हमारे बैग्स और सामान रखने की व्यवस्था छत पर बनी एक छोटे से रूम में करवा दी, पूरे घर में सिर्फ एक बाथरूम होने की वजह से मैंने और अनु ने जैसे तैसे करके नहाया और फ्रेश हुए। हम दोनों अभी भी एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे।
नहाकर मैं थोड़ी देर सो गया और अनु बाकी लड़कियों के साथ शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गई। जो की शादी अगले दिन होनी थी तो आज की रात मुझे रुकने के लिए किसी अच्छे जगह की जरूरत थी जिससे रात में बस में हुई थकान को दूर किया जा सके क्योंकि मैं जानता था कि ना तो मैं और ना ही अनु रात में अच्छे से सो पाए हैं शाम को जब मैं जागा तो मैंने सबसे पहले अनु को ढूंढना शुरू किया क्योंकि मुझे चिंता हो रही थी कि उसने कुछ खाया या नहीं। क्योंकि हर कोई शादी की तैयारियों में इतना बिजी था और सभी तैयारियां इतनी अस्त व्यस्त थी कि पर मुझे खुद से ज्यादा अनु की चिंता थी। कल रात हमारे बीच चाहे जो भी हुआ हो पर मैं बचपन से अनु की बहुत केयर करता था। मैं छत वाले रूम से नीचे उतरा और अनू मुझे हॉल में दिखी
अनु ने मुझे जब अपनी ओर आते देखा तो वो थोड़ा असहज हो गई
मैं सीधे उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
अनु - सुनो, तमने कुछ खाया या नहीं,
अनु - हा भैया , ऊपर खाना बन रहा है ना ! आपने नहीं देखा उधर छत पे ही तो…
मैं अनू को देख रहा था, उसने एक लाल लंहगा पहना हुआ था जिसमे वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,
मुझे उसका वक्त मेरी अनू पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत लड़की लग रही थी। उसने थोड़ा मेकअप भी किया हुआ था और मेरी आंखो मे देखकर बोले जा रही थी
मै उसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध सा हो गया था और मेरी नजर उसके चेहरे से हट ही नहीं रही थी।
अनु - भैया!!!!! कहा खो गए
समीर - अरे , मेरा सिर दुख रहा है अनू, ये छत पे कोई जोर जोर से होम थियेटर बजा रहा है, नींद आती आती तोड़ दी उसने मेरी।
अनु - आपने खाना खाया भैया?
समीर - नहीं अनू !!
मेरी भूख गायब हो चुकी थी मुझे अनू पे उस वक्त बहुत प्यार आ रहा था , मैं जानता था कि वो थकी हुई है और अगर आज रात हम दोनों को आराम नहीं मिला तो कल शादी वाले दिन हम दोनों कि तबीयत खराब हो जाती।
बस मैं अनू कि थोड़ी दिक्कत भी नहीं होने देना चाहता था।
अनु - भैया , ऐसा करो!! आप भी खाना खा लो
ऊपर अभी भी कुछ लोग खा रहे हैं। फिर शाम में रस्म शुरू हो जाएगी तो आप खा नहीं पाओगे, आपने सुबह से कुछ खाया भी नहीं।
समीर - ठीक है अनू, मेरा ध्यान कहीं और था
मैं छत पर गया , अनू भी लड़कियों के साथ बिजी हो गई।वह लड़कियों से हस हस के बात तो कर रही थी पर मुझे पता था कि वो खुश नहीं है, वो बहुत थकी हुई थी और इस तरह का माहौल उसे पसन्द होने के बावजूद प्रॉपर अरेंजमेंट न होने के वजह से एंजॉय नहीं कर पा रही थी।
खाना बहुत ऑयली था जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था फिर भी भूख लगे होने के कारण मैं जैसे तैसे खाने लगा। फिर अचानक मुझे याद आया कि अनू को भी ऑयली बिल्कुल पसंद नहीं है, वो तो भूखी रह जाती है लेकिन अगर खाने में तेल दिख जाए तो उसे हाथ तक नहीं लगाती, मैंने उसी वक्त खाना छोड़ा और पास में खड़े एक लड़के को जो लाइट लगा रहा था और मेरे मौसा g का भतीजा था उससे बाइक कि चाभी मांगी। मैं नीचे सीधे हॉल में गया और अनू का हाथ पकड़ा और उसे लड़कियों के बीच से खींच के बाहर ले आया
अनु - अरे भैया !!!! क्या हुआ !!?? कहा ले जा रहे हो
समीर - चल ना तुझे घुमा कर लाता हूं।
अनु - मै कैसे जा सकती हूं भैया, रस्म होनी है अभी
समीर - अरे बहुत लड़कियां है वहा, वैसे भी हम तुरंत आ जाएंगे बेबी, आई प्रोमिस
अनु - ओके भैया, कैसे जाओगे , कैब? आएगी गली में?दरअसल मौसा g क घर एक कंजेस्टेड एरिया में इसलिए अनू को समझ नहीं आ रहा था कि हम दिल्ली आखिर घूमेंगे कैसे।
समीर - अरे तू उधर देख
अनु ने जब बाइक देखि जो यामाहा की लेटेस्ट एफ जेड थी तो वो खुशी से उछल पड़ी।
मैंने उसे बाइक पे बैठा और कॉलोनी कि तंग गलियों से निकलते हुए हम मेन रोड पर आ गए। अनु ने लंहगा पहना हुआ था । ओर मेरे पीछे बैठ के उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा हुआ था, आज मै अपने आप को बहुत लकी फील कर रहा था, मैंने गूगल पे एक अच्छा रेस्ट्रा देखा था जो पास में ही था में सबसे पहले अनु को वहा ले गया, जब मैं पार्किंग में बाइक खड़ी करने लगा तो अनू ने मुझे प्रश्नवाचक नजरो से देखा। मैंने बस उसका हाथ पकड़ा और रेस्त्रां के अंदर आ गया,
अनु - भैया ?? आप तो मुझे घुमाने ला रहे थे ना??
वेट, भैया?? आपने खाना नहीं खाया??
समीर - तमने भी तो नहीं खाया अनू!!
अनु समझ गई कि मैं जानता हूं कि अनू ने भी खाना नहीं खाया है, ये बात अनू के लिए नई नहीं थी जब मैं इस तरह उसे खाना खिलाने लाया था , कभी कभी हम अपने शहर में भी इसी तरह निकल जाया करते थे।
अनु - मुझे वहा मन नहीं लग रहा भैया, सब लड़कियां भी अपने अपने घर जा रही है, कोई रात को नहीं रुकेगा, और हम उस छत वाले रूम मे कैसे सोएंगे?? फैन तक नहीं है उसमे??
अनु ने चिकन का पीस अपने मुंह में डालते हुए बोला हम दोनों अक्सर रेस्त्रां मे चिकन कि डिश ऑर्डर कर ते थे।
समीर - रुक मैं कुछ करता हूं।
अनु - ह्मम!!!!
खाना खाने के बाद अनू ने मुझे अचानक से हग किया
ओर कहा thankyou so much भैया!!
ये मेरे लिए थोड़ा अजीब था क्योंकि हम ये सब पहले बहुत बार कर चुके थे पर अनू ने मुझे कभी हग नहीं किया था, मुझे थोड़ा अच्छा लगा कि अनू अब रात के बारे में नहीं सोच रही । उसके बाद हम थोड़ा घूमते फिरते मासी के यहां चले, जब हम पहुचे तो काफी मेहमान जो अगल बगल से थे वे अपने घर चले गए थे। मासी जो अब थोड़ी फ्री हो गई थी उन्होंने मुझसे पूछा
मासी - अरे कहा चले गए थे तुम दोनो । बताओ खाना भी नहीं खाया है
समीर - अरे मासी मैं थोड़ा अनू को घुमाने ले गया था हम मुखर्जी नगर के बाजार तक गए थे।
मासी - अच्छा कोई नहीं जाओ ऊपर कमरे में ही तुम दोनो के सोने के लिए बिस्तर लगा दिया है, खाना भी खा लेना !! हां बेटा??
समीर - हा मासी !! हम खा लेंगे आप बहुत थक गई हो आराम करो।
अभी भी घर में बहुत लोग थे जिसमे से कुछ हॉल में ही सोए हुए थे। हम ऊपर गए और रूम मे एक गद्दा ओर दो तकिया लगा हुआ पाया , मुझे ओर अनू को नेट लगा कर सोने कि आदत थी क्युकी हमारे यहां मच्छर बहुत होते है। पर वहा उन दो चीजों के अलावा और कुछ नहीं था।
अनु ने मुझे लाचार नजरो से देखा!! वो उस गंदे तकिए पर बैठने तक नहीं वाली थी ये मुझे पता था। चाहे वह रात भर छत पर एक कुर्सी पर बिता देती।
तभी मैंने देखा कि नीचे हॉल कि लाइट्स बुझी
मैंने अनू को कहा
समीर - तुम्हारा पर्स कहा है?
अनु - क्यों भैया?? कुछ चाहिए आपको?
समीर - अरे नहीं ले आओ ना !!
अनु जाकर अपने बड़े बैग से अपना पर्स ले आई
समीर - बाहर बाइक के पास आओ , चुपचाप
अनु ने मुझे बड़ी बड़ी आंखो से देखा
मैंने उसे एक ग्रिन वाली स्माइल दी और कहा
जल्दी आओ
मैं नीचे अंधेरे हॉल से होते हुए घर से बाहर निकला और बाइक को धक्का देते हुए घर से थोड़ी दूर ले आया जिससे कोई आवाज ना हो, अनू भी मेरे पीछे पीछे आ गई , वो उसी लंहगे में थी मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा , अनू मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, वो इस तरह रात में घर से निकलने पर बहुत एक्साइटेड थी।
थोड़ी देर बाद हम उस बिल्डिंग के सामने पहुंचे जिसपे लिखा था -
रघुनाथ रिजॉर्ट्स oyo 25847 , ये वही होटल था जहा मैंने रेस्तरां में बैठे बैठे बुकिंग कि थी।
अनु के चेहरे से उसका डर साफ़ दिख रहा था, उसे शायद मुझसे ये उम्मीद नहीं थी , पर वो ये भी जानती थी मैं उसके कम्फर्ट के लिए कुछ भी कर सकता था। इसलिए वो कुछ बोल नहीं रही थी, बस उसकी नर्वसनेस उसके चेहरे पर दिख रही थी।
हमने चेक इन किया (इसीलिए डॉक्युमेंट्स के लिए मैंने अनू के पर्स को लिया था)
थोड़ी देर बाद हम अपने रूम जो कि फूल एयर कंडशनिंग, 8 इंच मैट्रेस और बहत ही सुगंध से भरा हुआ था उसके अंदर थे
अनु ने दरवजा खुद बंद किया और मोटे गद्दे पे धराम से गिर गई