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Incest छोटी – छोटी कहानियां {Hindi Stories Collection}

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मेरी प्यारी बहन

भाग – 2 [तूफान और मुश्किलें]

मैं और आरोही मुंबई पहुंचे। वहां काई जान – पहचान तो थी नहीं। पर थोड़ी मशक्कत के बाद हमे एक कमरा किराए पर मिल गया। अब सबसे पहले मुझे कुछ काम ढूंढना था जिसकी पूरी तरकीब मेरे दिमाग में फिट थी। मैं काफी वक्त से सोच रहा था के आरोही की आगे की पढ़ाई गांव में नही हो सकती और इसीलिए मैं ये प्लान बना रहा था ताकि हम उस नर्क से निकल सकें। मैं आरोही को कुछ देर के लिए वहीं छोड़कर निकला और फिर किसीको फोन किया। ये एक बड़ी कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति था जोकि मुंबई में रहता था। मेरी बात – चीत इसके साथ कुछ वक्त पहले शुरू हुई थी। मैंने कुछ बिजनेस प्लान तैयार किए थे जिसके बारे में हल्की सी जानकारी ही इसे दी थी। इसने भी अपने बॉस से डिस्कस किया था और उन्हें भी वो आइडियाज काफी पसंद आए थे। उसने मुझे एक एड्रेस दिया। मैं वहां पहुंचा तो पाया की वो एक बड़ी सी कंपनी थी। खैर, उसने मुझे अपने बॉस से मिलवाया और मुझे वहां नौकरी मिल गई।

बस फिर क्या था ज़िंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटने लगी। मैंने आरोही का दाखिला वहां के एक बड़े कॉलेज में करवा दिया। नौकरी के साथ ही मैं शेयर बाज़ार में भी हाथ आज़मा रहा था। जिसमें मुझे काफी कामयाबी भी मिली। कुछ अच्छे बिज़नेस आइडियाज, मोटा पैसा और मेरे द्वारा बनाए गए कुछ प्रोग्राम्स की सहायता से मैंने खुद की एक कंपनी खोल दी। बस 3 साल में ही मेरी कम्पनी जिसका नाम मैंने “आरोही एंटरप्राइजेज” रखा था काफी अच्छे मुकाम पर पहुंच गई थी। आरोही की ग्रेजुएशन पूरी हो चुकी थी। वो मुझसे आज भी उतना ही प्यार करती थी या शायद उस से भी ज्यादा। उसने देखा था पिछले सालों में मुझे रात – दिन पागलों के जैसे काम करते हुए। रही मेरी बात, मेरी दुनिया आज भी मेरी वो नन्ही सी जान मेरी गुड़िया ही थी।

पर हमारी जिंदगी में असली तूफान आना अभी बाकी था। एक दिन आरोही को कॉलेज से आने में काफी देर हो गई। मैं उसके कॉलेज पहुंचा तो पता चला के वो तो काफी पहले निकल गई थी। में पागल हुआ यहां – वहां उसे ढूंढ रहा था तभी मेरे फोन पर एक अंजान नंबर से कॉल आया। वो आरोही ही थी!! उसने मुझे एक जगह बुलाया। जब मैं वहां पहुंचा तो मेरा दिल दहल गया। आरोही के कपड़े जगह – जगह से फटे हुए थे। उसके होंठों से खून बह रहा था। मेरी टांगें कांपने लगी थी। उस अनहोनी के डर ने मुझे घेर लिया, मेरे मन में बुरे बुरे विचार आने लगे। मैने अपने कानों पर हाथ रख लिया और धम से नीचे घुटनों पर आ गया। आरोही झट से मुझसे लिपट गई और फफक – फफक कर रोने लगी। मैने उसे खुद से चिपका लिया।

मैं : आ... आरोही क... क्या हुआ??

आरोही : भईयू... भईयू सब लोग गंदे हैं... सब लोग गंदे हैं।

काफी देर बाद वो शांत हुई और बताया के एक लड़का काफी वक्त से उसे कॉलेज में परेशान कर रहा था। आज जब वो कॉलेज से निकली तो एक गाड़ी में आए कुछ लोगों ने उसे किडनैप कर लिया और यहां ले आए। ये एक फार्म हाउस जैसी जगह थी। आरोही को मैंने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दिलवाई थी। उसे यहां लाकर उस लड़के ने उसके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की पर आरोही ने उसे चित कर दिया। वो सब लोग तो पहले ही यहां से निकल गए थे, शायद किराए के गुंडे रहे होंगे।

मैं : मेरी बच्ची, बहुत बहादुर है। है ना बहादुर मेरी गुड़िया??

आरोही : हम्म्म, मैं हूं भईयू। आपकी बहादुर गुड़िया हूं मैं।

कितनी मासूम, कितनी नादान थी वो। मैंने अंदर के कमरे में जाकर उन लोगों को देखा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। उनमें से एक एम.एल.ए का बेटा था। मेरे दिमाग में एक दम से आगे की पिक्चर सी चली। जब ये होश में आएगा तब आरोही इसके निशाने पर होगी। मैं भली – भांति जानता था के इसका बाप कितना कमीना था।

मैंने सोच लिया के अब इस लड़के का दोबारा उठना मेरी आरोही के लिए खतरा होगा। पूरा प्लान तैयार करने के बाद में आरोही के पास पहुंचा और उसे मामले से अवगत करवाया।

मैं : देख आरोही, मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूं पर में अभी मर नही सकता।

आरोही : भईयू...

मैं : नहीं आरोही सुन मेरी बात, अगर इसके बाप को पता चला तो निश्चित ही वो तुझे निशाना बनाएगा। मैं उससे लड़ सकता हूं पर इस सिस्टम से जो उसकी जेब में है। सुन आरोही अगर मुझे कुछ हो गया तो वो लोग तेरे साथ पता नही... इसलिए इस लड़के को मरना होगा!!

वो ये सुनकर दंग रह गई। फिर मैंने उसे बताया के में इसे एक हिट एंड रन का केस साबित कर दूंगा। मुझे 2 साल के करीब की सजा होगी। अब वो ये कैसे मान लेती?? पर मैने उसे अपनी कसम देकर रोक दिया। वो शुरू से ही कसम वगेरह में बहुत मानती थी। अब उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। पर ये साफ था के जीवन में पहली बार वो मुझसे नाराज़ थी। खैर, मैने एक फुल प्रूफ प्लान बना लिया था जिसमें मैंने हमारे घर के साथ पड़ोस में रहने वाली सुनीता आंटी को भी शामिल कर लिया। उनका कोई नही था इस संसार में। उनके बच्चों और पति की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी। वो हम दोनो को ही अपनी संतान मानती थी।

खैर, जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। पर आरोही के लिए ये सब बेहद दुखद था। मैंने भी दिल पर पत्थर रख कर ही ये सब किया था। बस इसी तरह समय बीता और लगभग डेढ़ साल बीत गया। आरोही 24 की हो गई थी। फिर एक दिन सुनीता आंटी जेल में मुझसे मिलने आई और कहा के आरोही के लिए एक अच्छा रिश्ता देखा है। लड़का बैंक में मैनेजर है। मैंने भी ये रिश्ता करना सही समझा। क्योंकि मैं एक ऑफिशियल क्रिमिनल बन चुका था ऐसे में आगे उसके रिश्ते में दिक्कतें आ सकती थी। इसीलिए ये फैसला मुझे भी सही लगा। उसने भी शायद भारी मन से ये फैसला स्वीकार कर लिया था। बस, वो दिन भी आ गया जिस दिन उसकी शादी थी। मेरे जेल में होने की सच्चाई लड़के वालों को भी बता दी गई थी। एक मंदिर में बस परिवार जनों की मौजूदगी के बीच शादी हो रही थी। पर दिक्कत ये थी के कन्यादान कौन करेगा?

तभी, वहां एक पुलिस वैन रुकी जिसमें से में निकला। मुझे देख कर आरोही की आंखें छलक गई। मेरे हाथों में हथकड़ी थी जिसे मेरे साथ आए अधिकारी ने खोल दिया। असल में जेलर से मेरी अच्छी बन ने लगी थी। उसने सिफारिश लगाकर कुछ वक्त के लिए ये इंतजाम करवा दिया था। पिछले समय में मैंने एक बार भी आरोही को मुझसे मिलने नही आने दिया था। में नही चाहता था वो जेल का माहौल देखे। अभी मेरी दाढ़ी और मेरे बाल काफी बढ गए थे। वो एक दम से उठी और भागकर मेरे गले से लग गई। आज जैसे वो अपने दिल का सारा गुबार निकाल देना चाहती थी। खैर, मैंने ही उसका कन्यादान किया और आज मेरे शरीर से मेरा दिल अलग हो गया था। काश वो सब ना हुआ होता तो ये घटना ऐसे नही होनी थी। में अब आरोही से दूर होने वाला था। वो 2 साल मैंने खुद को यही दिलासा देते हुए काटे थे के मैं अपनी गुड़िया से मिलूंगा। पर अब क्या??

बस कुछ वक्त बाद मैं फिर से जेल की उस चार दिवारी में था। खैर, कुछ ही दिनों बाद मेरी रिहाई होनी थी। और वो दिन जल्दी ही आ गया। इत्तेफाक से उसी दिन आरोही का जन्म दिन था। उसने पहले ही हमारे पुराने घर की साफ – सफाई करवा ली थी और अपने ससुराल में बात करके कुछ दिनों के लिए वहीं रहने आ गई थी। वो सब भी उसके और मेरे प्यार से वाकिफ थे तो उन्हें क्या ही दिक्कत होती।


वर्तमान समय :

मैं अपने उसी घर के बाहर खड़ा था जहां मैंने अपनी जिंदगी के सबसे हसीन पल अपनी आरोही के साथ बिताए थे। मेरी आंखें भीगी हुई थी और मैं बार – बार अपनी कमीज़ के किनारे से उन्हें पोंछ रहा था। गुड़िया घर के दरवाजे पर आरती की थाली लिए खड़ी थी और भीगी आंखों से मुझे देख रही थी। मैं धीमे कदमों से उसके नज़दीक गया और एक टक उसकी आंखों में देखने लगा। उसने बेहद स्नेह से मेरी आरती की और वो थाली पास में ही रख दी। फिर एक झटके से वो मुझसे लिपट गई और फफक – फफक कर रोने लगी।

आरोही : भईयू हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? हम क्या कभी खुश नहीं रह सकते?

सुबकते हुए बड़ी मुश्किल से उसने ये बात बोली जिसे सुनकर मेरे सीने में भी पीड़ा बढ़ गई। मैं उसका सर सहलाते हुए उसे शांत करने की कोशिश में लगा था। जब कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हुई तो मैंने पाया वो बदल चुकी थी। माथे पर सिंदूर, हाथ में चूड़ा और गले में मंगलसूत्र, आज पहली बार उसे मैंने सूट पहने देखा था। उसे सूट पहन ना कुछ खास पसंद नही था, वो अक्सर जींस – टॉप या कुर्ती और लेगिंग्स ही पहना करती थी। खैर, बहुत प्यारी लग रही थी आज वो।

मैं : बहुत प्यारी लग रही है मेरी गुड़िया तो।

मैने उसके गाल को सहलाते हुए कहा तो वो हल्का सा शर्मा गई। बस फिर मैं उसके साथ अन्दर गया तो पाया उसने घर को बिलकुल वैसे ही रखा था जैसे वो दो वर्ष पहले था। जब मैं सोफे पर बैठा तो वो पहले के जैसे मेरी गोद में बैठ गई और मुझसे लिपट गई। मैने भी उसे अपनी बाहों के घेरे में कस लिया। थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ के वो वैसे ही सो गई थी। मुझे उसपर बहुत ज्यादा प्यार आया। मैने उसे अपनी गोद में उठाया और कमरे में जाकर लेता दिया। फिर बिस्तर से टेक लगाकर बैठ गया और उसके मासूम से चेहरे को निहारने लगा। वो चौबीस वर्ष की हो चुकी थी, अब तो उसकी शादी भी हो गई थी पर वो नादानी अब भी उसमें महफूज थी।

ना जाने किस मोह पाश में बंधा मैं कब तक उसके चेहरे को ताकता रहा। जब उसकी नींद टूटी तो उसने मुझे मृग – तृष्णा में बंधा उसे ही निहारते पाया। अचानक ही इसके हसीन से रुखसार पर लाली आ गई। वो हल्के से मुड़ी और मेरी गोद में सर रख कर मेरी कमर के इर्द – गिर्द अपनी बाजुओं को लपेट दिया। मैंने झुक कर उसके उन फूले हुए गालों को चूम लिया और तभी ना जाने क्यों मैने उसके दाएं गाल को हल्के से अपने होंठों में भर कर चूस लिया। लगभग दस – बारह सेकंड तक मैने उसके गाल को अपने मुंह में ही भरके रखा। और जब अलग हुआ तो पाया के उसके चेहरे पर शर्म ने कब्ज़ा जमाया हुआ था।

रात के खाने के बाद हम आज कितने ही वक्त बाद एक दूसरे को गले लगाए लेटे थे। नींद तो दोनो में से किसी की भी आंखों में नही थी। काफी देर तक हम दोनों बातें करते रहे और फिर मेरी आंख लग गई। रात के किसी पहर मेरी नींद टूटी तो आरोही मेरे पास नहीं थी। मैंने हौल में जाकर देखा तो मेरी टांगें जम सी गईं। सामने सोफे पर आरोही लेटी थी और उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। मैंने बचपन में जरूर उसे नहलाया था पर उसे पूरा नग्न मैने कभी नही देखा था। वो अपने स्तनों को दबाते हुए अपनी योनि को सहला रही थी। मुझे खुद पर शर्म आने लगी के में क्या देख रहा हूं। हो सकता है उसे हर्षित (आरोही का पति) की याद आ रही हो। में पलट गया के तभी एक आवाज ने मेरा वजूद ही हिला दिया। वो आरोही की सिसकी थी – “आह्ह्ह्ह्ह भईयू गई आपकी आरोहीईईईईईई”।

मतलब वो मेरे बारे में सोचकर ये कर रही थी। मैं पलटा और देखा के वो तेज़ – tezz सांसें ले रही थी। तभी अचानक ही वो फूट – फूट कर रोने लगी। इस हालत में में उसके पास कभी ना जाता पर उसकी आंखों में आसूं मुझे बर्दाश्त नहीं थे। में भागकर उसके पास गया। वो मुझे देख कर हैरान रह गई और अपने आप को छिपाने लगी पर अब भी उसके आंसू बह रहे थे। मेरी आंखें भी भीगना शुरू हो गईं थी। मैने उसी हालत में उसे गले लगा लिया।

मैं : बस चुप हो जा आरोही और मुझे बता क्या हुआ। बता मेरा दिल घबरा रहा है।

वो अभी भी जैसे सदमे में थी। मैने सोफे का कपड़ा उतारकर उसके शरीर पर लपेट दिया। और फिर से उसे अपनी बाहों में भर लिया।

मैं : बोल ना गुड़िया, तेरे ससुराल वाले कहीं तुझे परेशान तो नही करते?

आरोही : न... न... नहीं भईयू ऐसी कोई बात नही है।

मैं : फिर क्या बात है आरोही और ये सब क्या था, मेरा नाम लेकर तू??

आरोही ने अपनी नजरें झुका ली। मैने उसकी ठुड्डी को पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया और उसकी आंखों में देख कर बोला,

मैं : तूने कुछ गलत नही किया आरोही। तू तो मेरी गुड़िया है कभी कुछ गलत नही कर सकती। बता क्या था ये सब और मुझसे कबसे झिझकने लगी तू?

आरोही : वो भईयू, वो हर्षित, वो ना...

मैं : हां बोल गुड़िया, मैं हूं ना। मैं तेरी सारी परेशानी दूर कर दूंगा।

आरोही : वो भईयू हर्षित ना, उनका खड़ा नही होता।

ये बोलकर वो बहुत ज्यादा शर्मा गई। मैं भी उसकी बात का मतलब समझ गया और अब मुझे उस हर्षित पर गुस्सा आ रहा था। उसे तो पता ही होगा पहले से ही तो उसने आरोही की ज़िंदगी क्यों बर्बाद की ये शादी करके।

मैं : तू रो मत गुड़िया मैं छोडूंगा नहीं उन लोगों को। पर तू अब भी मुझसे कुछ छिपा रही है ना।

आरोही (नजरें चुराते हुए) : वो... भईयू वो हर्षित ना मुझपर हाथ भी उठाता है। वो लोग मुझे बहुत तंग करते हैं भईयू।

ये बात सुनकर मैं झटके से उससे अलग हुआ और आंखें फाड़े उसे देखने लगा। उसकी आंखें भीगी हुई थी। चेहरे पर दर्द के भाव थे और एक गुहार सी लगा रही थी वो मुझसे। मैं एक दम से जमीन पर गिर गया। मेरे मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे, आंखें अपने आप ही बहे जा रही थी। मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था। मैंने जिसे परियों की राजकुमारी की तरह पाला, कभी किसी तकलीफ में नही पड़ने दिया, वो आज इतने दर्द में थी और मैं उसकी तकलीफ में उसके साथ ना था। मैंने जोर से अपना सर जमीं पर दे मारा और एक चीख से निकल गई मेरे मुंह से। वो एक दम से भागकर मुझे गले लगा गई। वो कपड़ा भी उसके शरीर से गिर चुका था।

मैं : मुझे माफ करदे आरोही, प्लीज अपने इस भाई को माफ कर दे। मैं तेरी तकलीफ नहीं समझ पाया।

आरोही : नही भईयू आप तो बहुत अच्छे हो, आप माफी मत मांगो।

मैं : अब और नही गुड़िया, बस कल ही उन लोगों को में देखूंगा और अब तू वहां नही रहेगी। मैं डायवोर्स के कागज़ बनवाता हूं।

आरोही : नही भईयू अगर तलाक हुआ तो मुझसे कोई शादी नही करेगा।

मैं : चुप कर, अभी मेरे कंधों में उतनी जान है के सारी जिंदगी तुझे संभाल सकें। एक बार गलती करके देख ली, मैने सोचा था के तुझे सास – ससुर के रूप में मां – बाप मिल जायेंगे जिनका प्यार तुझे कभी नही मिला। इसीलिए तेरी शादी करवाई थी, पर मैं गलत था। अब मैं तुझे कहीं नहीं जाने दूंगा। तू हमेशा मेरे पास रहेगी, हमेशा।

उसकी आंखों में खुशी की लहरें उठने लगी। वो मुझसे और ज्यादा चिपक गई और मेरे चेहरे को चूमने लगी। मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से थामा और उसकी आंखों में देख कर शरारत भरे लहजे में बोला,

मैं : चल अब कपड़े पहन ले। छोटी बच्ची नहीं है अब तू।

वो शर्म से गढ़ी जा रही थी। वो अपने आप को समेटती हुई उठी और अपने कपड़े पहन लिए। में उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। वो एक दम से अंदर कमरे में भाग गई। मैं भी अंदर गया और उसके साथ लेट गया। उसकी पीठ मेरी तरफ थी तो मैंने पीछे से ही उसे जकड़ सा लिया और हल्के से उसके गाल को चूम लिया। बस फिर पता नही कब मेरी आंख लग गई।

Hello Evil Spirit Bhai,

Aapne itni jaldi update de diya, aur wo bhi itna zabardast...

Kafi interesting story hai aapki, aur bahut sare twists aur turns hai aapki kahani me

Thanks !!
 

Evil Spirit

𝚂𝙴𝚃 𝚈𝙾𝚄𝚁𝚂𝙴𝙻𝙵 𝙵𝚁𝙴𝙴!!!
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मेरी प्यारी बहन
भाग – 3 [एक नई शुरुआत]

सुबह जब मेरी नींद टूटी तो मैंने पाया के आरोही बेल की तरह मुझसे लिपटी हुई थी। उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ाई हुई थी। मैं उसके चेहरे को देखते हुए उन दुख और तकलीफों के बारे में सोचने लगा जो उसने पिछले कुछ वक्त में झेले थे। मैं वो सब पलटा तो नही सकता था पर इतना मैंने सोच लिया था के अब कभी भी उसकी जिंदगी में दुख की दस्तक नही होने दूंगा। मैंने उसके चेहरे पर आ रही बालों की एक लट को उसके कान के पीछे किया और उसके हसीन चेहरे को देखने लगा। सचमें बहुत ही खूबसूरत थी वो, काले लंबे बाल जिनमें भूरे रंग के मौजूदगी भी झलकती थी, हिरनी सी आंखें जिन्हे और खूबसूरत बनाता था उनकी पुतलियों का भूरा रंग, उसके होंठ, अक्सर लोगों के होंठ गुलाबी रंग लिए होते हैं पर आरोही के होंठ लाल थे, बेहद लाल जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। रंग तो उसका दूध सा सफेद ही था।

मैं उसके गाल को सहलाते हुए ये सब सोच रहा था तभी उसने अपनी आंखें खोली। स्तिथि को समझने में कुछ पल लगे उसे पर उसके बाद उसने मेरे हाथ पर ही अपना हाथ रख दिया और मेरे सीने में अपना सर घुसा लिया। मैंने अपनी दोनों बाजुएं उसकी पीठ पर लपेट दी और उसे सहलाने लगा।

मैं : चल उठ जा आरोही। बहुत टाइम हो गया है।

आरोही : भईयू प्लीज ना, कितने वक्त बाद तो ऐसे चैन से सोई हूं मैं। थोड़ी देर रहने दो ना प्लीज़।

मैं : अरे अभी सारी ज़िंदगी पड़ी है। रोज ऐसे ही सोएगी ना, चल उठ जा।

आरोही : कहां भईयू जब आपकी बीवी आ जाएगी वो थोड़े ही ना मुझे आपके पास सोने देगी।

उसने भले ही मुझे छेड़ने के लिए मस्ती में ये बात कही थी पर इस बात को सुनकर मैं बहुत गंभीर हो गया। मैंने उसके चेहरे को थामा और उसकी आंखों में झांक कर कहा,

मैं : आरोही मैं सिर्फ एक बेजान जिस्म हूं जिसकी जान तू है। अगर कोई मेरी जान को मुझसे दूर करने की सोचेगा भी तो मेरी ज़िंदगी में उसकी एहमियत कुछ भी नही बचेगी। मैं कभी शादी नही करूंगा आरोही, हम यहां से दूर जाकर हमारी एक छोटी सी दुनिया बनाएंगे जहां सिर्फ तू होगी, में होऊंगा और हमारा छोटा सा आशियाना होगा। एक बात हमेशा याद रखना अरमान सिर्फ आरोही का है और किसी की मेरे दिल में कभी जगह नही हो सकती।

वो मेरी बात सुनकर बहुत ज़्यादा भावुक हो गई थी। उसकी आंखें बहने ही वाली थी तभी मेरे दिमाग में एक खुराफात आई,

मैं : आरोही वैसे तूने बताया नही के कल रात तू मेरा नाम क्यों पुकार रही थी।

एक दम से उस घटना के जिक्र के कारण उसके गाल गुलाबी हो गए, उसने अपनी नज़रें घुमा ली और उठकर बैठ गई। वो बिस्तर से उठने ही वाली थी के मैंने उसे पीछे से थाम लिया। मैने अपने हाथों को उसके पेट पर लपेट दिया, और उसके कंधे पर मुंह रख दिया। मेरी इस हरकत से उसका पूरा बदन कांप गया था। मैंने उसके कान में धीमे से कहा,

मैं : बोल ना आरोही क्या कर रही थी तू।

उसका बदन अभी भी कांप रहा था।

मैं : प्लीज़ बता ना गुड़िया तू क्या कर रही थी।

मुझे पता नहीं क्या सूझी मैंने उसकी कान की लौ को अपने होंठों में भर के चूस लिया। अब उसका सब्र शायद जवाब दे गया था। वो एक मदहोशी भरे स्वर में बोली,

आरोही : मैं आपके बारे में सोच रही थी भईयू।

मैंने वैसे ही एक मोहपाश में बंधे उसके कान में एक बार फिर ये शब्द बोले और उसके गाल को चूमने लगा,

मैं : बोल ना आरोही क्या सोच रही थी मेरे बारे में।

आरोही : मैं... भईयू... आप मुझे मेरे सपने में प्यार कर रहे थे।

मैंने उसके गाल को चूसकर हल्का सा काट लिया और कहा,

मैं : वो तो मैं अब भी कर रहा हूं ना गुड़िया, तो तेरे सपने में क्या अलग था?

आरोही : भईयू आप मुझे... आप मेरे साथ... मेरे साथ...

अब मैंने उसकी गर्दन पर वार किया और वहां चूमने लगा और कहा,

मैं : तेरे साथ क्या कर रहा था मैं? प्लीज बोल ना गुड़िया मैं असलियत में भी करूंगा फिर।

आरोही : आह्ह्ह्ह भईयू आप मेरे साथ से... सेक...

तभी बाहर सुनीता आंटी ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाना शुरू कर दिया। आरोही एक दम से मेरी पकड़ से छूटकर भागी और कमरे से निकल गई। इधर मैं खुद की हरकत पर हैरान सा बुत बने बैठा था। मुझे समझ नही आ रहा था के मैने ये सब क्यों और कैसे कर दिया। कहीं आरोही मुझसे नाराज़ हो गई तो, कहीं उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया तो। नही – नही मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं उसकी नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं बाहर की तरफ भागा तो पाया के सुनीता आंटी जा रही थी और आरोही दरवाजा बंद कर रही थी। शायद खैरियत पूछने आईं होंगी वो।

जैसे ही आरोही पीछे मुड़ी और उसने मुझे वहां पाया तो वो ठिठक सी गई। उसने अपनी नजरें नीचे कर ली और मेरे बगल से निकलने लगी। वो शायद शर्मा रही थी पर मुझे लगा के वो मुझसे नाराज़ हो गई है। मैंने पीछे से उसका हाथ थाम लिया। वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरी आंखों में देखने लगी। मेरी आंखों में एक इल्तिज़ा थी, याचना था जिसे शायद उसने पढ़ लिया। वो मेरे नजदीक आती और मेरे गले लग कर बोली।

आरोही : भईयू में आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकती। आप ही तो मेरे सब कुछ हो।

मेरे कलेजे को एक ठंडक सी मिली उसके इतना कह देने से। मैंने उसके गालों पर एक बार फिर चुम्बन अंकित किया और फिर नित्य कर्मों के लिए अंदर चल दिया।

बस फिर मैंने एक वकील से बात की और तलाक के कागज़ बनवाने को कहा। मैं आरोही को लेकर उसके ससुराल गया और जाते ही हर्षित के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। वो सब हक्के – बक्के से रह गए मेरी इस हरकत पर। मैंने फिर अच्छे से उन सबको सबक सिखाया और तलाक का फैसला सुनाकर वहां से निकल गया। आरोही आज बेहद खुश थी। उसकी खुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी और हो भी क्यों ना एक जेल से छूटी थी आज वो। खैर, कुछ ही दिनों में उसका तलाक भी हो गया। अब मैं यहां मुंबई में नही रहना चाहता था। कहां तो मैं यहां आरोही के एक सुनहरे भविष्य की इच्छा लेकर आया था और कहां उसे यहां सिर्फ तकलीफें ही मिली थी।

मैंने थोड़ा सोच विचार करने के बाद देहरादून में चलने का फैसला किया। आरोही को पहाड़ी इलाके बहुत पसंद थे। जब मैने उसे बताया तो वो भी बेहद खुश हो गई। कुछ ही दिनों में हम वहां जाने की सभी तैयारियां कर चुके थे। जब हम वहां से निकलने लगे तो सुनीता आंटी भी काफी भावुक हो गई थी। खैर,हम ट्रेन से जा रहे थे। मैने आरोही से प्लेन में चलने को कहा था पर ना जाने क्यों वो ट्रेन से जाना चाहती थी। मैने भी उसकी बात मान ली और ट्रेन की बुकिंग करवा दी। एक दिन से भी ज़्यादा का सफर था ट्रेन का।

हम दोनो स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में सवार हो गए। हमारी सीट रिजर्व थी तो कोई दिक्कत नही हुई। हमारे साथ एक परिवार और सफर कर रहा था, संयोग से वो भी देहरादून ही जा रहे थे। हम लोग सुबह 6 बजे की ट्रेन से सफर कर रहे थे। खैर, पूरा दिन मैं और आरोही बातें करते रहे। जब रात के वक्त सोने की बारी आई तो दिक्कत हो गई। सामने वाले परिवार को सोने के लिए एक एक्स्ट्रा बर्थ की आवश्कता थी। अब वो लोग मुझे और आरोही को मिया बीवी समझ रहे थे तो उन्होंने कहा के अगर हम एक ही बर्थ पर सो जाएं तो उन्हें एक एक्स्ट्रा जगह मिल जाएगी। क्योंकि दो बर्थ हमने बुक किए हुए थे। उनकी पति – पत्नी वाली बात पर आरोही शर्मा सी गई पर हमे भी उनकी बात सही लगी और मैं और आरोही ऊपर वाले बर्थ पर चल दिए।

जगह काम थी इसीलिए हम चिपक कर लेटे हुए थे। आरोही अंदर की तरफ थी और मैने पीछे से उसे कसकर जकड़ा हुआ था। जाड़े के दिन बस शुरू ही हुए थे। नवंबर का अंत हो रहा था फिलहाल पर हां माहौल में ठंडक तो थी। इसीलिए एक कंबल डाला हुआ था हमने हमारे ऊपर। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ के आरोही कांप रही थी। उसे शुरू से ही अधिक ठंड लगती थी। अब कोई रजाई या संसाधन तो था नहीं हमारे पास, इसलिए मैने एक तरकीब लगाई। में सीधा लेट गया और आरोही को अपने ऊपर लेटा लिया। में उसकी पीठ को सहलाने लगा। ठंड के चलते उसके गालों में गुलाबीपन आ गया था और वो और भी अधिक खूबसूरत लग रही थी। खैर, इसी तरह पता नही कब हमारी नींद लग गई।

रात के किसी पहर मेरी आंख खुली आरोही की आवाज से, वो मुझे हिलाते हुए जगा रही थी।

आरोही : भईयू, बाथरूम जाना है।

मैने उसे उठने में मदद की। इस वक्त उसे अकेले भेजना मुझे सही नही लगा, इसलिए मैं भी उसके साथ ही चल दिया। मैं बाहर ही खड़ा हो गया और वो बाथरूम में चली गई। जब वो बाहर आई तो किसी चीज में उसका पैर अड़ गया और वो लड़खड़ा गई। वो सीधे मेरे ऊपर गिरी, उस वक्त मैं दीवार का सहारा लेकर खड़ा था। जैसे ही मेरे ऊपर गिरी हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए। उसकी और मेरी दोनो की ही आंखें बड़ी हो गई। पर दोनो में से किसी की भी हिलने की हिम्मत नही हो रही थी। मेरे हाथ स्वयं ही उसके कमर पर पहुंच गए। मैं उसकी कमर को सहलाने लगा। तभी किसी के आने की आहट पर हम दोनो अलग हुए। वो तो बेचारी शर्म से गढ़ी जा रही थी।

बस फिर हम दोबारा अपनी जगह पर आए और वो वैसे ही मेरे ऊपर लेट गई। सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मेरे सीने पर सर रखे सो रही थी और बेहद ही मासूम और प्यारी दिख रही थी। मैने उसके गालों को सहलाते हुए उसे जगाया। पर शायद ठंड की वजह से उसका उठने का मन नहीं था। तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और वैसे ही उसके बालों में उंगलियां फिराने लगा। वहीं वो फैमिली शायद उठ चुकी थी और हमे ही देख रही थी। तभी मुझे उन आंटी की आवाज सुनाई दी।

आंटी : कितने प्यारे बच्चे हैं। भगवान इनकी जोड़ी हमेशा बनाए रखे।

आरोही और मैं दोनो ही उनकी बात का मतलब समझ गए थे और वो उठकर बैठ गई। खैर, बस इसी तरह ये सफर पूरा हुआ और हम पहुंचे हमारे नए ठिकाने देहरादून में। मैंने अपने एक पहचान के व्यक्ति की मदद से यहां एक घर पहले ही ले लिया था। जब हम वहां पहुंचे तो पाया के ये एक बेहद ही खूबसूरत सा घर था। ज्यादा बड़ा नही था पर बड़ा घर चाहिए भी किसे था। हमने फिलहाल आराम करना सही समझा क्योंकि सफर की थकान भी थी। अगले दिन हमने घर की सारी साज – सज्जा और व्यवस्था कर दी। बस अब थोड़ी सी शॉपिंग बाकी थी जिसके लिए हम शाम के वक्त निकले।

नजदीक ही एक बढ़िया मॉल था। मैने आरोही के लिए मेरे पसंद के कुछ कपड़े लिए जिसमें ज्यादतार सूट ही थे। असल में आरोही सूट में मुझे कुछ अधिक ही प्यारी सी लगती थी। यही कारण था मेरी इस पसंद का। तभी, वहां मौजूद सेल्सगर्ल बोली,

सेल्सगर्ल : सर आप मैडम के लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स भी देख सकते हैं।

ये सुनकर आरोही का मुंह खुल गया और चेहरे पर शर्म आने लगी। पर मुझे एक शरारत सूझी,

मैं : जी जरूर, दिखाइए कुछ अच्छे से फिर।

आरोही मेरी तरफ मुंह फाड़े देखने लगी और मैं एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे।

फिर एक के बाद एक सेल्सगर्ल ने हमारे सामने ब्रा और पैंटी के सेट्स रख दिए। मैं आरोही को चिढ़ाने के लिए उन्हें छूकर चेक कर रहा था। और अंत में मैंने एक लाल रंग का सेट, और एक काले रंग का से सेलेक्ट किया।

सेल्सगर्ल : मैडम आप बहुत लकी हैं। सर की चॉइस बहुत अच्छी है। वैसे अगर आप चाहे तो ट्राई भी कर सकती है इन्हे।

आरोही मना करने को हुई पर उस से पहले ही मैं बोल पड़ा,

मैं : हां हां क्यों नहीं। कर लो आरोही तुम ट्राई फिर बाद में चेंज करने आना पड़ेगा वरना।

सेल्सगर्ल : वैसे सर आप भी मैडम के साथ जा सकते हैं।

अब ये सुनकर मेरे तोते उड़ गए और सारी मस्ती फुर्र हो गई। मेरे माथे पर बल पड़ने लगे, तभी आरोही ने भी एक बॉम्ब फोड़ दिया,

आरोही : सुनिए जी, ये सही कह रही हैं आप भी चलिए मेरे साथ।

मैं उसे आंखें फाड़े देखने लगा और इस बार उसके होंठों पर एक शैतानी स्माइल थी।
 

Evil Spirit

𝚂𝙴𝚃 𝚈𝙾𝚄𝚁𝚂𝙴𝙻𝙵 𝙵𝚁𝙴𝙴!!!
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bhai .... aapki lekhan shaili laajawab hai..... kahani ka har shabd dil ko chu raha hai... aapne kahani likhne ke liye shabdon ka sahi chayan kiya hai .... .. ek bhai behan ki khushi ke liye kya kar sakta hai ye aapne bahot acche tarike se likha hai ......... ..... super update bro......... emotions se bharpur
Bahot bahot shukriya bhai. Agla update de diya hai.

Bane Rahiye!
 
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Evil Spirit

𝚂𝙴𝚃 𝚈𝙾𝚄𝚁𝚂𝙴𝙻𝙵 𝙵𝚁𝙴𝙴!!!
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Hello Evil Spirit Bhai,

Aapne itni jaldi update de diya, aur wo bhi itna zabardast...

Kafi interesting story hai aapki, aur bahut sare twists aur turns hai aapki kahani me

Thanks !!
Bahot bahot dhanyawaad bhai. Agla update post kar diya hai.

Aanand lijiye.
 
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Sirajali

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मेरी प्यारी बहन
भाग – 3 [एक नई शुरुआत]

सुबह जब मेरी नींद टूटी तो मैंने पाया के आरोही बेल की तरह मुझसे लिपटी हुई थी। उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ाई हुई थी। मैं उसके चेहरे को देखते हुए उन दुख और तकलीफों के बारे में सोचने लगा जो उसने पिछले कुछ वक्त में झेले थे। मैं वो सब पलटा तो नही सकता था पर इतना मैंने सोच लिया था के अब कभी भी उसकी जिंदगी में दुख की दस्तक नही होने दूंगा। मैंने उसके चेहरे पर आ रही बालों की एक लट को उसके कान के पीछे किया और उसके हसीन चेहरे को देखने लगा। सचमें बहुत ही खूबसूरत थी वो, काले लंबे बाल जिनमें भूरे रंग के मौजूदगी भी झलकती थी, हिरनी सी आंखें जिन्हे और खूबसूरत बनाता था उनकी पुतलियों का भूरा रंग, उसके होंठ, अक्सर लोगों के होंठ गुलाबी रंग लिए होते हैं पर आरोही के होंठ लाल थे, बेहद लाल जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। रंग तो उसका दूध सा सफेद ही था।

मैं उसके गाल को सहलाते हुए ये सब सोच रहा था तभी उसने अपनी आंखें खोली। स्तिथि को समझने में कुछ पल लगे उसे पर उसके बाद उसने मेरे हाथ पर ही अपना हाथ रख दिया और मेरे सीने में अपना सर घुसा लिया। मैंने अपनी दोनों बाजुएं उसकी पीठ पर लपेट दी और उसे सहलाने लगा।

मैं : चल उठ जा आरोही। बहुत टाइम हो गया है।

आरोही : भईयू प्लीज ना, कितने वक्त बाद तो ऐसे चैन से सोई हूं मैं। थोड़ी देर रहने दो ना प्लीज़।

मैं : अरे अभी सारी ज़िंदगी पड़ी है। रोज ऐसे ही सोएगी ना, चल उठ जा।

आरोही : कहां भईयू जब आपकी बीवी आ जाएगी वो थोड़े ही ना मुझे आपके पास सोने देगी।

उसने भले ही मुझे छेड़ने के लिए मस्ती में ये बात कही थी पर इस बात को सुनकर मैं बहुत गंभीर हो गया। मैंने उसके चेहरे को थामा और उसकी आंखों में झांक कर कहा,

मैं : आरोही मैं सिर्फ एक बेजान जिस्म हूं जिसकी जान तू है। अगर कोई मेरी जान को मुझसे दूर करने की सोचेगा भी तो मेरी ज़िंदगी में उसकी एहमियत कुछ भी नही बचेगी। मैं कभी शादी नही करूंगा आरोही, हम यहां से दूर जाकर हमारी एक छोटी सी दुनिया बनाएंगे जहां सिर्फ तू होगी, में होऊंगा और हमारा छोटा सा आशियाना होगा। एक बात हमेशा याद रखना अरमान सिर्फ आरोही का है और किसी की मेरे दिल में कभी जगह नही हो सकती।

वो मेरी बात सुनकर बहुत ज़्यादा भावुक हो गई थी। उसकी आंखें बहने ही वाली थी तभी मेरे दिमाग में एक खुराफात आई,

मैं : आरोही वैसे तूने बताया नही के कल रात तू मेरा नाम क्यों पुकार रही थी।

एक दम से उस घटना के जिक्र के कारण उसके गाल गुलाबी हो गए, उसने अपनी नज़रें घुमा ली और उठकर बैठ गई। वो बिस्तर से उठने ही वाली थी के मैंने उसे पीछे से थाम लिया। मैने अपने हाथों को उसके पेट पर लपेट दिया, और उसके कंधे पर मुंह रख दिया। मेरी इस हरकत से उसका पूरा बदन कांप गया था। मैंने उसके कान में धीमे से कहा,

मैं : बोल ना आरोही क्या कर रही थी तू।

उसका बदन अभी भी कांप रहा था।

मैं : प्लीज़ बता ना गुड़िया तू क्या कर रही थी।

मुझे पता नहीं क्या सूझी मैंने उसकी कान की लौ को अपने होंठों में भर के चूस लिया। अब उसका सब्र शायद जवाब दे गया था। वो एक मदहोशी भरे स्वर में बोली,

आरोही : मैं आपके बारे में सोच रही थी भईयू।

मैंने वैसे ही एक मोहपाश में बंधे उसके कान में एक बार फिर ये शब्द बोले और उसके गाल को चूमने लगा,

मैं : बोल ना आरोही क्या सोच रही थी मेरे बारे में।

आरोही : मैं... भईयू... आप मुझे मेरे सपने में प्यार कर रहे थे।

मैंने उसके गाल को चूसकर हल्का सा काट लिया और कहा,

मैं : वो तो मैं अब भी कर रहा हूं ना गुड़िया, तो तेरे सपने में क्या अलग था?

आरोही : भईयू आप मुझे... आप मेरे साथ... मेरे साथ...

अब मैंने उसकी गर्दन पर वार किया और वहां चूमने लगा और कहा,

मैं : तेरे साथ क्या कर रहा था मैं? प्लीज बोल ना गुड़िया मैं असलियत में भी करूंगा फिर।

आरोही : आह्ह्ह्ह भईयू आप मेरे साथ से... सेक...

तभी बाहर सुनीता आंटी ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाना शुरू कर दिया। आरोही एक दम से मेरी पकड़ से छूटकर भागी और कमरे से निकल गई। इधर मैं खुद की हरकत पर हैरान सा बुत बने बैठा था। मुझे समझ नही आ रहा था के मैने ये सब क्यों और कैसे कर दिया। कहीं आरोही मुझसे नाराज़ हो गई तो, कहीं उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया तो। नही – नही मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं उसकी नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं बाहर की तरफ भागा तो पाया के सुनीता आंटी जा रही थी और आरोही दरवाजा बंद कर रही थी। शायद खैरियत पूछने आईं होंगी वो।

जैसे ही आरोही पीछे मुड़ी और उसने मुझे वहां पाया तो वो ठिठक सी गई। उसने अपनी नजरें नीचे कर ली और मेरे बगल से निकलने लगी। वो शायद शर्मा रही थी पर मुझे लगा के वो मुझसे नाराज़ हो गई है। मैंने पीछे से उसका हाथ थाम लिया। वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरी आंखों में देखने लगी। मेरी आंखों में एक इल्तिज़ा थी, याचना था जिसे शायद उसने पढ़ लिया। वो मेरे नजदीक आती और मेरे गले लग कर बोली।

आरोही : भईयू में आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकती। आप ही तो मेरे सब कुछ हो।

मेरे कलेजे को एक ठंडक सी मिली उसके इतना कह देने से। मैंने उसके गालों पर एक बार फिर चुम्बन अंकित किया और फिर नित्य कर्मों के लिए अंदर चल दिया।

बस फिर मैंने एक वकील से बात की और तलाक के कागज़ बनवाने को कहा। मैं आरोही को लेकर उसके ससुराल गया और जाते ही हर्षित के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। वो सब हक्के – बक्के से रह गए मेरी इस हरकत पर। मैंने फिर अच्छे से उन सबको सबक सिखाया और तलाक का फैसला सुनाकर वहां से निकल गया। आरोही आज बेहद खुश थी। उसकी खुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी और हो भी क्यों ना एक जेल से छूटी थी आज वो। खैर, कुछ ही दिनों में उसका तलाक भी हो गया। अब मैं यहां मुंबई में नही रहना चाहता था। कहां तो मैं यहां आरोही के एक सुनहरे भविष्य की इच्छा लेकर आया था और कहां उसे यहां सिर्फ तकलीफें ही मिली थी।

मैंने थोड़ा सोच विचार करने के बाद देहरादून में चलने का फैसला किया। आरोही को पहाड़ी इलाके बहुत पसंद थे। जब मैने उसे बताया तो वो भी बेहद खुश हो गई। कुछ ही दिनों में हम वहां जाने की सभी तैयारियां कर चुके थे। जब हम वहां से निकलने लगे तो सुनीता आंटी भी काफी भावुक हो गई थी। खैर,हम ट्रेन से जा रहे थे। मैने आरोही से प्लेन में चलने को कहा था पर ना जाने क्यों वो ट्रेन से जाना चाहती थी। मैने भी उसकी बात मान ली और ट्रेन की बुकिंग करवा दी। एक दिन से भी ज़्यादा का सफर था ट्रेन का।

हम दोनो स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में सवार हो गए। हमारी सीट रिजर्व थी तो कोई दिक्कत नही हुई। हमारे साथ एक परिवार और सफर कर रहा था, संयोग से वो भी देहरादून ही जा रहे थे। हम लोग सुबह 6 बजे की ट्रेन से सफर कर रहे थे। खैर, पूरा दिन मैं और आरोही बातें करते रहे। जब रात के वक्त सोने की बारी आई तो दिक्कत हो गई। सामने वाले परिवार को सोने के लिए एक एक्स्ट्रा बर्थ की आवश्कता थी। अब वो लोग मुझे और आरोही को मिया बीवी समझ रहे थे तो उन्होंने कहा के अगर हम एक ही बर्थ पर सो जाएं तो उन्हें एक एक्स्ट्रा जगह मिल जाएगी। क्योंकि दो बर्थ हमने बुक किए हुए थे। उनकी पति – पत्नी वाली बात पर आरोही शर्मा सी गई पर हमे भी उनकी बात सही लगी और मैं और आरोही ऊपर वाले बर्थ पर चल दिए।

जगह काम थी इसीलिए हम चिपक कर लेटे हुए थे। आरोही अंदर की तरफ थी और मैने पीछे से उसे कसकर जकड़ा हुआ था। जाड़े के दिन बस शुरू ही हुए थे। नवंबर का अंत हो रहा था फिलहाल पर हां माहौल में ठंडक तो थी। इसीलिए एक कंबल डाला हुआ था हमने हमारे ऊपर। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ के आरोही कांप रही थी। उसे शुरू से ही अधिक ठंड लगती थी। अब कोई रजाई या संसाधन तो था नहीं हमारे पास, इसलिए मैने एक तरकीब लगाई। में सीधा लेट गया और आरोही को अपने ऊपर लेटा लिया। में उसकी पीठ को सहलाने लगा। ठंड के चलते उसके गालों में गुलाबीपन आ गया था और वो और भी अधिक खूबसूरत लग रही थी। खैर, इसी तरह पता नही कब हमारी नींद लग गई।

रात के किसी पहर मेरी आंख खुली आरोही की आवाज से, वो मुझे हिलाते हुए जगा रही थी।

आरोही : भईयू, बाथरूम जाना है।

मैने उसे उठने में मदद की। इस वक्त उसे अकेले भेजना मुझे सही नही लगा, इसलिए मैं भी उसके साथ ही चल दिया। मैं बाहर ही खड़ा हो गया और वो बाथरूम में चली गई। जब वो बाहर आई तो किसी चीज में उसका पैर अड़ गया और वो लड़खड़ा गई। वो सीधे मेरे ऊपर गिरी, उस वक्त मैं दीवार का सहारा लेकर खड़ा था। जैसे ही मेरे ऊपर गिरी हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए। उसकी और मेरी दोनो की ही आंखें बड़ी हो गई। पर दोनो में से किसी की भी हिलने की हिम्मत नही हो रही थी। मेरे हाथ स्वयं ही उसके कमर पर पहुंच गए। मैं उसकी कमर को सहलाने लगा। तभी किसी के आने की आहट पर हम दोनो अलग हुए। वो तो बेचारी शर्म से गढ़ी जा रही थी।

बस फिर हम दोबारा अपनी जगह पर आए और वो वैसे ही मेरे ऊपर लेट गई। सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मेरे सीने पर सर रखे सो रही थी और बेहद ही मासूम और प्यारी दिख रही थी। मैने उसके गालों को सहलाते हुए उसे जगाया। पर शायद ठंड की वजह से उसका उठने का मन नहीं था। तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और वैसे ही उसके बालों में उंगलियां फिराने लगा। वहीं वो फैमिली शायद उठ चुकी थी और हमे ही देख रही थी। तभी मुझे उन आंटी की आवाज सुनाई दी।

आंटी : कितने प्यारे बच्चे हैं। भगवान इनकी जोड़ी हमेशा बनाए रखे।

आरोही और मैं दोनो ही उनकी बात का मतलब समझ गए थे और वो उठकर बैठ गई। खैर, बस इसी तरह ये सफर पूरा हुआ और हम पहुंचे हमारे नए ठिकाने देहरादून में। मैंने अपने एक पहचान के व्यक्ति की मदद से यहां एक घर पहले ही ले लिया था। जब हम वहां पहुंचे तो पाया के ये एक बेहद ही खूबसूरत सा घर था। ज्यादा बड़ा नही था पर बड़ा घर चाहिए भी किसे था। हमने फिलहाल आराम करना सही समझा क्योंकि सफर की थकान भी थी। अगले दिन हमने घर की सारी साज – सज्जा और व्यवस्था कर दी। बस अब थोड़ी सी शॉपिंग बाकी थी जिसके लिए हम शाम के वक्त निकले।

नजदीक ही एक बढ़िया मॉल था। मैने आरोही के लिए मेरे पसंद के कुछ कपड़े लिए जिसमें ज्यादतार सूट ही थे। असल में आरोही सूट में मुझे कुछ अधिक ही प्यारी सी लगती थी। यही कारण था मेरी इस पसंद का। तभी, वहां मौजूद सेल्सगर्ल बोली,

सेल्सगर्ल : सर आप मैडम के लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स भी देख सकते हैं।

ये सुनकर आरोही का मुंह खुल गया और चेहरे पर शर्म आने लगी। पर मुझे एक शरारत सूझी,

मैं : जी जरूर, दिखाइए कुछ अच्छे से फिर।

आरोही मेरी तरफ मुंह फाड़े देखने लगी और मैं एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे।

फिर एक के बाद एक सेल्सगर्ल ने हमारे सामने ब्रा और पैंटी के सेट्स रख दिए। मैं आरोही को चिढ़ाने के लिए उन्हें छूकर चेक कर रहा था। और अंत में मैंने एक लाल रंग का सेट, और एक काले रंग का से सेलेक्ट किया।

सेल्सगर्ल : मैडम आप बहुत लकी हैं। सर की चॉइस बहुत अच्छी है। वैसे अगर आप चाहे तो ट्राई भी कर सकती है इन्हे।

आरोही मना करने को हुई पर उस से पहले ही मैं बोल पड़ा,

मैं : हां हां क्यों नहीं। कर लो आरोही तुम ट्राई फिर बाद में चेंज करने आना पड़ेगा वरना।

सेल्सगर्ल : वैसे सर आप भी मैडम के साथ जा सकते हैं।

अब ये सुनकर मेरे तोते उड़ गए और सारी मस्ती फुर्र हो गई। मेरे माथे पर बल पड़ने लगे, तभी आरोही ने भी एक बॉम्ब फोड़ दिया,

आरोही : सुनिए जी, ये सही कह रही हैं आप भी चलिए मेरे साथ।

मैं उसे आंखें फाड़े देखने लगा और इस बार उसके होंठों पर एक शैतानी स्माइल थी।
Lajawab aapki kahani ka har update kahani ko aur majedaar bana raha hai ..... jo bhi readers ye kahani padhega jaroor parbhawit hoga ........ is kahani ko padhne par mhujhe ek gana yaad aa raha hai ................................................................ dheere dheere pyar ko badhana hai............ had se guzar jana hai....
 

vmvish

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मेरी प्यारी बहन
भाग – 3 [एक नई शुरुआत]

सुबह जब मेरी नींद टूटी तो मैंने पाया के आरोही बेल की तरह मुझसे लिपटी हुई थी। उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ाई हुई थी। मैं उसके चेहरे को देखते हुए उन दुख और तकलीफों के बारे में सोचने लगा जो उसने पिछले कुछ वक्त में झेले थे। मैं वो सब पलटा तो नही सकता था पर इतना मैंने सोच लिया था के अब कभी भी उसकी जिंदगी में दुख की दस्तक नही होने दूंगा। मैंने उसके चेहरे पर आ रही बालों की एक लट को उसके कान के पीछे किया और उसके हसीन चेहरे को देखने लगा। सचमें बहुत ही खूबसूरत थी वो, काले लंबे बाल जिनमें भूरे रंग के मौजूदगी भी झलकती थी, हिरनी सी आंखें जिन्हे और खूबसूरत बनाता था उनकी पुतलियों का भूरा रंग, उसके होंठ, अक्सर लोगों के होंठ गुलाबी रंग लिए होते हैं पर आरोही के होंठ लाल थे, बेहद लाल जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। रंग तो उसका दूध सा सफेद ही था।

मैं उसके गाल को सहलाते हुए ये सब सोच रहा था तभी उसने अपनी आंखें खोली। स्तिथि को समझने में कुछ पल लगे उसे पर उसके बाद उसने मेरे हाथ पर ही अपना हाथ रख दिया और मेरे सीने में अपना सर घुसा लिया। मैंने अपनी दोनों बाजुएं उसकी पीठ पर लपेट दी और उसे सहलाने लगा।

मैं : चल उठ जा आरोही। बहुत टाइम हो गया है।

आरोही : भईयू प्लीज ना, कितने वक्त बाद तो ऐसे चैन से सोई हूं मैं। थोड़ी देर रहने दो ना प्लीज़।

मैं : अरे अभी सारी ज़िंदगी पड़ी है। रोज ऐसे ही सोएगी ना, चल उठ जा।

आरोही : कहां भईयू जब आपकी बीवी आ जाएगी वो थोड़े ही ना मुझे आपके पास सोने देगी।

उसने भले ही मुझे छेड़ने के लिए मस्ती में ये बात कही थी पर इस बात को सुनकर मैं बहुत गंभीर हो गया। मैंने उसके चेहरे को थामा और उसकी आंखों में झांक कर कहा,

मैं : आरोही मैं सिर्फ एक बेजान जिस्म हूं जिसकी जान तू है। अगर कोई मेरी जान को मुझसे दूर करने की सोचेगा भी तो मेरी ज़िंदगी में उसकी एहमियत कुछ भी नही बचेगी। मैं कभी शादी नही करूंगा आरोही, हम यहां से दूर जाकर हमारी एक छोटी सी दुनिया बनाएंगे जहां सिर्फ तू होगी, में होऊंगा और हमारा छोटा सा आशियाना होगा। एक बात हमेशा याद रखना अरमान सिर्फ आरोही का है और किसी की मेरे दिल में कभी जगह नही हो सकती।

वो मेरी बात सुनकर बहुत ज़्यादा भावुक हो गई थी। उसकी आंखें बहने ही वाली थी तभी मेरे दिमाग में एक खुराफात आई,

मैं : आरोही वैसे तूने बताया नही के कल रात तू मेरा नाम क्यों पुकार रही थी।

एक दम से उस घटना के जिक्र के कारण उसके गाल गुलाबी हो गए, उसने अपनी नज़रें घुमा ली और उठकर बैठ गई। वो बिस्तर से उठने ही वाली थी के मैंने उसे पीछे से थाम लिया। मैने अपने हाथों को उसके पेट पर लपेट दिया, और उसके कंधे पर मुंह रख दिया। मेरी इस हरकत से उसका पूरा बदन कांप गया था। मैंने उसके कान में धीमे से कहा,

मैं : बोल ना आरोही क्या कर रही थी तू।

उसका बदन अभी भी कांप रहा था।

मैं : प्लीज़ बता ना गुड़िया तू क्या कर रही थी।

मुझे पता नहीं क्या सूझी मैंने उसकी कान की लौ को अपने होंठों में भर के चूस लिया। अब उसका सब्र शायद जवाब दे गया था। वो एक मदहोशी भरे स्वर में बोली,

आरोही : मैं आपके बारे में सोच रही थी भईयू।

मैंने वैसे ही एक मोहपाश में बंधे उसके कान में एक बार फिर ये शब्द बोले और उसके गाल को चूमने लगा,

मैं : बोल ना आरोही क्या सोच रही थी मेरे बारे में।

आरोही : मैं... भईयू... आप मुझे मेरे सपने में प्यार कर रहे थे।

मैंने उसके गाल को चूसकर हल्का सा काट लिया और कहा,

मैं : वो तो मैं अब भी कर रहा हूं ना गुड़िया, तो तेरे सपने में क्या अलग था?

आरोही : भईयू आप मुझे... आप मेरे साथ... मेरे साथ...

अब मैंने उसकी गर्दन पर वार किया और वहां चूमने लगा और कहा,

मैं : तेरे साथ क्या कर रहा था मैं? प्लीज बोल ना गुड़िया मैं असलियत में भी करूंगा फिर।

आरोही : आह्ह्ह्ह भईयू आप मेरे साथ से... सेक...

तभी बाहर सुनीता आंटी ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाना शुरू कर दिया। आरोही एक दम से मेरी पकड़ से छूटकर भागी और कमरे से निकल गई। इधर मैं खुद की हरकत पर हैरान सा बुत बने बैठा था। मुझे समझ नही आ रहा था के मैने ये सब क्यों और कैसे कर दिया। कहीं आरोही मुझसे नाराज़ हो गई तो, कहीं उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया तो। नही – नही मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं उसकी नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं बाहर की तरफ भागा तो पाया के सुनीता आंटी जा रही थी और आरोही दरवाजा बंद कर रही थी। शायद खैरियत पूछने आईं होंगी वो।

जैसे ही आरोही पीछे मुड़ी और उसने मुझे वहां पाया तो वो ठिठक सी गई। उसने अपनी नजरें नीचे कर ली और मेरे बगल से निकलने लगी। वो शायद शर्मा रही थी पर मुझे लगा के वो मुझसे नाराज़ हो गई है। मैंने पीछे से उसका हाथ थाम लिया। वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरी आंखों में देखने लगी। मेरी आंखों में एक इल्तिज़ा थी, याचना था जिसे शायद उसने पढ़ लिया। वो मेरे नजदीक आती और मेरे गले लग कर बोली।

आरोही : भईयू में आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकती। आप ही तो मेरे सब कुछ हो।

मेरे कलेजे को एक ठंडक सी मिली उसके इतना कह देने से। मैंने उसके गालों पर एक बार फिर चुम्बन अंकित किया और फिर नित्य कर्मों के लिए अंदर चल दिया।

बस फिर मैंने एक वकील से बात की और तलाक के कागज़ बनवाने को कहा। मैं आरोही को लेकर उसके ससुराल गया और जाते ही हर्षित के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। वो सब हक्के – बक्के से रह गए मेरी इस हरकत पर। मैंने फिर अच्छे से उन सबको सबक सिखाया और तलाक का फैसला सुनाकर वहां से निकल गया। आरोही आज बेहद खुश थी। उसकी खुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी और हो भी क्यों ना एक जेल से छूटी थी आज वो। खैर, कुछ ही दिनों में उसका तलाक भी हो गया। अब मैं यहां मुंबई में नही रहना चाहता था। कहां तो मैं यहां आरोही के एक सुनहरे भविष्य की इच्छा लेकर आया था और कहां उसे यहां सिर्फ तकलीफें ही मिली थी।

मैंने थोड़ा सोच विचार करने के बाद देहरादून में चलने का फैसला किया। आरोही को पहाड़ी इलाके बहुत पसंद थे। जब मैने उसे बताया तो वो भी बेहद खुश हो गई। कुछ ही दिनों में हम वहां जाने की सभी तैयारियां कर चुके थे। जब हम वहां से निकलने लगे तो सुनीता आंटी भी काफी भावुक हो गई थी। खैर,हम ट्रेन से जा रहे थे। मैने आरोही से प्लेन में चलने को कहा था पर ना जाने क्यों वो ट्रेन से जाना चाहती थी। मैने भी उसकी बात मान ली और ट्रेन की बुकिंग करवा दी। एक दिन से भी ज़्यादा का सफर था ट्रेन का।

हम दोनो स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में सवार हो गए। हमारी सीट रिजर्व थी तो कोई दिक्कत नही हुई। हमारे साथ एक परिवार और सफर कर रहा था, संयोग से वो भी देहरादून ही जा रहे थे। हम लोग सुबह 6 बजे की ट्रेन से सफर कर रहे थे। खैर, पूरा दिन मैं और आरोही बातें करते रहे। जब रात के वक्त सोने की बारी आई तो दिक्कत हो गई। सामने वाले परिवार को सोने के लिए एक एक्स्ट्रा बर्थ की आवश्कता थी। अब वो लोग मुझे और आरोही को मिया बीवी समझ रहे थे तो उन्होंने कहा के अगर हम एक ही बर्थ पर सो जाएं तो उन्हें एक एक्स्ट्रा जगह मिल जाएगी। क्योंकि दो बर्थ हमने बुक किए हुए थे। उनकी पति – पत्नी वाली बात पर आरोही शर्मा सी गई पर हमे भी उनकी बात सही लगी और मैं और आरोही ऊपर वाले बर्थ पर चल दिए।

जगह काम थी इसीलिए हम चिपक कर लेटे हुए थे। आरोही अंदर की तरफ थी और मैने पीछे से उसे कसकर जकड़ा हुआ था। जाड़े के दिन बस शुरू ही हुए थे। नवंबर का अंत हो रहा था फिलहाल पर हां माहौल में ठंडक तो थी। इसीलिए एक कंबल डाला हुआ था हमने हमारे ऊपर। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ के आरोही कांप रही थी। उसे शुरू से ही अधिक ठंड लगती थी। अब कोई रजाई या संसाधन तो था नहीं हमारे पास, इसलिए मैने एक तरकीब लगाई। में सीधा लेट गया और आरोही को अपने ऊपर लेटा लिया। में उसकी पीठ को सहलाने लगा। ठंड के चलते उसके गालों में गुलाबीपन आ गया था और वो और भी अधिक खूबसूरत लग रही थी। खैर, इसी तरह पता नही कब हमारी नींद लग गई।

रात के किसी पहर मेरी आंख खुली आरोही की आवाज से, वो मुझे हिलाते हुए जगा रही थी।

आरोही : भईयू, बाथरूम जाना है।

मैने उसे उठने में मदद की। इस वक्त उसे अकेले भेजना मुझे सही नही लगा, इसलिए मैं भी उसके साथ ही चल दिया। मैं बाहर ही खड़ा हो गया और वो बाथरूम में चली गई। जब वो बाहर आई तो किसी चीज में उसका पैर अड़ गया और वो लड़खड़ा गई। वो सीधे मेरे ऊपर गिरी, उस वक्त मैं दीवार का सहारा लेकर खड़ा था। जैसे ही मेरे ऊपर गिरी हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए। उसकी और मेरी दोनो की ही आंखें बड़ी हो गई। पर दोनो में से किसी की भी हिलने की हिम्मत नही हो रही थी। मेरे हाथ स्वयं ही उसके कमर पर पहुंच गए। मैं उसकी कमर को सहलाने लगा। तभी किसी के आने की आहट पर हम दोनो अलग हुए। वो तो बेचारी शर्म से गढ़ी जा रही थी।

बस फिर हम दोबारा अपनी जगह पर आए और वो वैसे ही मेरे ऊपर लेट गई। सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मेरे सीने पर सर रखे सो रही थी और बेहद ही मासूम और प्यारी दिख रही थी। मैने उसके गालों को सहलाते हुए उसे जगाया। पर शायद ठंड की वजह से उसका उठने का मन नहीं था। तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और वैसे ही उसके बालों में उंगलियां फिराने लगा। वहीं वो फैमिली शायद उठ चुकी थी और हमे ही देख रही थी। तभी मुझे उन आंटी की आवाज सुनाई दी।

आंटी : कितने प्यारे बच्चे हैं। भगवान इनकी जोड़ी हमेशा बनाए रखे।

आरोही और मैं दोनो ही उनकी बात का मतलब समझ गए थे और वो उठकर बैठ गई। खैर, बस इसी तरह ये सफर पूरा हुआ और हम पहुंचे हमारे नए ठिकाने देहरादून में। मैंने अपने एक पहचान के व्यक्ति की मदद से यहां एक घर पहले ही ले लिया था। जब हम वहां पहुंचे तो पाया के ये एक बेहद ही खूबसूरत सा घर था। ज्यादा बड़ा नही था पर बड़ा घर चाहिए भी किसे था। हमने फिलहाल आराम करना सही समझा क्योंकि सफर की थकान भी थी। अगले दिन हमने घर की सारी साज – सज्जा और व्यवस्था कर दी। बस अब थोड़ी सी शॉपिंग बाकी थी जिसके लिए हम शाम के वक्त निकले।

नजदीक ही एक बढ़िया मॉल था। मैने आरोही के लिए मेरे पसंद के कुछ कपड़े लिए जिसमें ज्यादतार सूट ही थे। असल में आरोही सूट में मुझे कुछ अधिक ही प्यारी सी लगती थी। यही कारण था मेरी इस पसंद का। तभी, वहां मौजूद सेल्सगर्ल बोली,

सेल्सगर्ल : सर आप मैडम के लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स भी देख सकते हैं।

ये सुनकर आरोही का मुंह खुल गया और चेहरे पर शर्म आने लगी। पर मुझे एक शरारत सूझी,

मैं : जी जरूर, दिखाइए कुछ अच्छे से फिर।

आरोही मेरी तरफ मुंह फाड़े देखने लगी और मैं एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे।

फिर एक के बाद एक सेल्सगर्ल ने हमारे सामने ब्रा और पैंटी के सेट्स रख दिए। मैं आरोही को चिढ़ाने के लिए उन्हें छूकर चेक कर रहा था। और अंत में मैंने एक लाल रंग का सेट, और एक काले रंग का से सेलेक्ट किया।

सेल्सगर्ल : मैडम आप बहुत लकी हैं। सर की चॉइस बहुत अच्छी है। वैसे अगर आप चाहे तो ट्राई भी कर सकती है इन्हे।

आरोही मना करने को हुई पर उस से पहले ही मैं बोल पड़ा,

मैं : हां हां क्यों नहीं। कर लो आरोही तुम ट्राई फिर बाद में चेंज करने आना पड़ेगा वरना।

सेल्सगर्ल : वैसे सर आप भी मैडम के साथ जा सकते हैं।

अब ये सुनकर मेरे तोते उड़ गए और सारी मस्ती फुर्र हो गई। मेरे माथे पर बल पड़ने लगे, तभी आरोही ने भी एक बॉम्ब फोड़ दिया,

आरोही : सुनिए जी, ये सही कह रही हैं आप भी चलिए मेरे साथ।

मैं उसे आंखें फाड़े देखने लगा और इस बार उसके होंठों पर एक शैतानी स्माइल थी।

Hello Evil Spirit bhai,

Bhaut hi badhiya update diya hai.

Kahani Mumbai mahanagri se ab Dehradoon ki haseen wadiyon me pahunch gayi hai !

Thanks !!
 

aalu

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devnagri bhasa mein likhi kahan hamesha se khas lagti hain,,, lekhak ne do se teen update mein kaafi lambe samay anatarl ko dikhaya hain... lekin uske bawajood bhi jaroori cheeje ko darshana na bhoole...na hi kahani kahee se bhatakti dikhi... wajah thee bhawnatmak pehlu jjispe pakar achhi thee,,, nayak ne apni behen ko behen na maan ke ek baap kee tarah pyaar diya,, phir bari hone par maa sii dosti nibhayee,,, aur samay-samay pe ek bhai kee tarah uski rakshha bhi kee...

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nayak kee zindagi ka ek hi maksad tha baalpan se kee uski behen ko duniya kee sabhi khusiya deni hain,,, chache uski sauteli maa kitne bhi dukh de,,, ya uska baap unse gairo jaisa vyavhaar kare... badhti zindagi ke saath kuchh achhe log bhi mile rahman chacha aur sunita aunty jaise,, jinhone ne ek maa-baap ke hote hue anaath bachho ko har wakt sahara diya jab unhe sabse jyada jaroori thee...

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lekin zindagi ne inki kathin pariksha lene kee thaan rakhhi thee,, ek masoom kee aabroo loot-te bachi aur uski bhavishya ke raksha karte hue ek bhai ko salakho ke pechhe jana para,, behen kee shaadi kee yeh soch ke uski zindagi sawar jayegi lekin wahan bhi uss masoom ko shivay nakara pati ke maar aur saas ke taano ke kuchh na mila,,, jisse uske bhai kee pyar kee aadat thee,, uske dular kee,,, rajkumari kee tarah jeeti aayee jo ab tak... sahsa ek jhatke mein zindagi ne rukh palat dee...

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kuchh andheri raato ke baad khoobshoorat subah bhi hui,, le chali in do pyar ke panchhio ko dehradoon kee waadio mein,,, jahan pe dono bhai behno ne ek nayee kahani likhni shuru kar dee,, ab dekhte hain inki zindagi mein aage kitne phool hain aur kitne kaante..

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Evil Spirit

𝚂𝙴𝚃 𝚈𝙾𝚄𝚁𝚂𝙴𝙻𝙵 𝙵𝚁𝙴𝙴!!!
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Lajawab aapki kahani ka har update kahani ko aur majedaar bana raha hai ..... jo bhi readers ye kahani padhega jaroor parbhawit hoga ........ is kahani ko padhne par mhujhe ek gana yaad aa raha hai ................................................................ dheere dheere pyar ko badhana hai............ had se guzar jana hai....
Bahot bahot shukriya bhai aapki iss tareef ke liye.

Bane Rahiye!
 
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