- 74
- 330
- 53
Bahot bahot dhanyawad bhai.Hello Evil Spirit bhai,
Bhaut hi badhiya update diya hai.
Kahani Mumbai mahanagri se ab Dehradoon ki haseen wadiyon me pahunch gayi hai !
Thanks !!
Bane Rahiye!
Bahot bahot dhanyawad bhai.Hello Evil Spirit bhai,
Bhaut hi badhiya update diya hai.
Kahani Mumbai mahanagri se ab Dehradoon ki haseen wadiyon me pahunch gayi hai !
Thanks !!
Bahut bahut shukriya bhai. Swagat hai aapka thread par. Ji aapki baat sahi hai ke kaafi jaldi jaldi incidents badle hain, reason yahi hai ke main short stories hi likhne waala tha. Maximum 2 – 3 update waali par jab ye kahani mere dimaag mein aayi to isse thoda lamba rakhna mujhe sahi laga. Abhi bahut kuchh baaki hai kahani mein.devnagri bhasa mein likhi kahan hamesha se khas lagti hain,,, lekhak ne do se teen update mein kaafi lambe samay anatarl ko dikhaya hain... lekin uske bawajood bhi jaroori cheeje ko darshana na bhoole...na hi kahani kahee se bhatakti dikhi... wajah thee bhawnatmak pehlu jjispe pakar achhi thee,,, nayak ne apni behen ko behen na maan ke ek baap kee tarah pyaar diya,, phir bari hone par maa sii dosti nibhayee,,, aur samay-samay pe ek bhai kee tarah uski rakshha bhi kee...
***
nayak kee zindagi ka ek hi maksad tha baalpan se kee uski behen ko duniya kee sabhi khusiya deni hain,,, chache uski sauteli maa kitne bhi dukh de,,, ya uska baap unse gairo jaisa vyavhaar kare... badhti zindagi ke saath kuchh achhe log bhi mile rahman chacha aur sunita aunty jaise,, jinhone ne ek maa-baap ke hote hue anaath bachho ko har wakt sahara diya jab unhe sabse jyada jaroori thee...
***
lekin zindagi ne inki kathin pariksha lene kee thaan rakhhi thee,, ek masoom kee aabroo loot-te bachi aur uski bhavishya ke raksha karte hue ek bhai ko salakho ke pechhe jana para,, behen kee shaadi kee yeh soch ke uski zindagi sawar jayegi lekin wahan bhi uss masoom ko shivay nakara pati ke maar aur saas ke taano ke kuchh na mila,,, jisse uske bhai kee pyar kee aadat thee,, uske dular kee,,, rajkumari kee tarah jeeti aayee jo ab tak... sahsa ek jhatke mein zindagi ne rukh palat dee...
***
kuchh andheri raato ke baad khoobshoorat subah bhi hui,, le chali in do pyar ke panchhio ko dehradoon kee waadio mein,,, jahan pe dono bhai behno ne ek nayee kahani likhni shuru kar dee,, ab dekhte hain inki zindagi mein aage kitne phool hain aur kitne kaante..
***
Behtreen update
मेरी प्यारी बहन
भाग – 3 [एक नई शुरुआत]
सुबह जब मेरी नींद टूटी तो मैंने पाया के आरोही बेल की तरह मुझसे लिपटी हुई थी। उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ाई हुई थी। मैं उसके चेहरे को देखते हुए उन दुख और तकलीफों के बारे में सोचने लगा जो उसने पिछले कुछ वक्त में झेले थे। मैं वो सब पलटा तो नही सकता था पर इतना मैंने सोच लिया था के अब कभी भी उसकी जिंदगी में दुख की दस्तक नही होने दूंगा। मैंने उसके चेहरे पर आ रही बालों की एक लट को उसके कान के पीछे किया और उसके हसीन चेहरे को देखने लगा। सचमें बहुत ही खूबसूरत थी वो, काले लंबे बाल जिनमें भूरे रंग के मौजूदगी भी झलकती थी, हिरनी सी आंखें जिन्हे और खूबसूरत बनाता था उनकी पुतलियों का भूरा रंग, उसके होंठ, अक्सर लोगों के होंठ गुलाबी रंग लिए होते हैं पर आरोही के होंठ लाल थे, बेहद लाल जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। रंग तो उसका दूध सा सफेद ही था।
मैं उसके गाल को सहलाते हुए ये सब सोच रहा था तभी उसने अपनी आंखें खोली। स्तिथि को समझने में कुछ पल लगे उसे पर उसके बाद उसने मेरे हाथ पर ही अपना हाथ रख दिया और मेरे सीने में अपना सर घुसा लिया। मैंने अपनी दोनों बाजुएं उसकी पीठ पर लपेट दी और उसे सहलाने लगा।
मैं : चल उठ जा आरोही। बहुत टाइम हो गया है।
आरोही : भईयू प्लीज ना, कितने वक्त बाद तो ऐसे चैन से सोई हूं मैं। थोड़ी देर रहने दो ना प्लीज़।
मैं : अरे अभी सारी ज़िंदगी पड़ी है। रोज ऐसे ही सोएगी ना, चल उठ जा।
आरोही : कहां भईयू जब आपकी बीवी आ जाएगी वो थोड़े ही ना मुझे आपके पास सोने देगी।
उसने भले ही मुझे छेड़ने के लिए मस्ती में ये बात कही थी पर इस बात को सुनकर मैं बहुत गंभीर हो गया। मैंने उसके चेहरे को थामा और उसकी आंखों में झांक कर कहा,
मैं : आरोही मैं सिर्फ एक बेजान जिस्म हूं जिसकी जान तू है। अगर कोई मेरी जान को मुझसे दूर करने की सोचेगा भी तो मेरी ज़िंदगी में उसकी एहमियत कुछ भी नही बचेगी। मैं कभी शादी नही करूंगा आरोही, हम यहां से दूर जाकर हमारी एक छोटी सी दुनिया बनाएंगे जहां सिर्फ तू होगी, में होऊंगा और हमारा छोटा सा आशियाना होगा। एक बात हमेशा याद रखना अरमान सिर्फ आरोही का है और किसी की मेरे दिल में कभी जगह नही हो सकती।
वो मेरी बात सुनकर बहुत ज़्यादा भावुक हो गई थी। उसकी आंखें बहने ही वाली थी तभी मेरे दिमाग में एक खुराफात आई,
मैं : आरोही वैसे तूने बताया नही के कल रात तू मेरा नाम क्यों पुकार रही थी।
एक दम से उस घटना के जिक्र के कारण उसके गाल गुलाबी हो गए, उसने अपनी नज़रें घुमा ली और उठकर बैठ गई। वो बिस्तर से उठने ही वाली थी के मैंने उसे पीछे से थाम लिया। मैने अपने हाथों को उसके पेट पर लपेट दिया, और उसके कंधे पर मुंह रख दिया। मेरी इस हरकत से उसका पूरा बदन कांप गया था। मैंने उसके कान में धीमे से कहा,
मैं : बोल ना आरोही क्या कर रही थी तू।
उसका बदन अभी भी कांप रहा था।
मैं : प्लीज़ बता ना गुड़िया तू क्या कर रही थी।
मुझे पता नहीं क्या सूझी मैंने उसकी कान की लौ को अपने होंठों में भर के चूस लिया। अब उसका सब्र शायद जवाब दे गया था। वो एक मदहोशी भरे स्वर में बोली,
आरोही : मैं आपके बारे में सोच रही थी भईयू।
मैंने वैसे ही एक मोहपाश में बंधे उसके कान में एक बार फिर ये शब्द बोले और उसके गाल को चूमने लगा,
मैं : बोल ना आरोही क्या सोच रही थी मेरे बारे में।
आरोही : मैं... भईयू... आप मुझे मेरे सपने में प्यार कर रहे थे।
मैंने उसके गाल को चूसकर हल्का सा काट लिया और कहा,
मैं : वो तो मैं अब भी कर रहा हूं ना गुड़िया, तो तेरे सपने में क्या अलग था?
आरोही : भईयू आप मुझे... आप मेरे साथ... मेरे साथ...
अब मैंने उसकी गर्दन पर वार किया और वहां चूमने लगा और कहा,
मैं : तेरे साथ क्या कर रहा था मैं? प्लीज बोल ना गुड़िया मैं असलियत में भी करूंगा फिर।
आरोही : आह्ह्ह्ह भईयू आप मेरे साथ से... सेक...
तभी बाहर सुनीता आंटी ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाना शुरू कर दिया। आरोही एक दम से मेरी पकड़ से छूटकर भागी और कमरे से निकल गई। इधर मैं खुद की हरकत पर हैरान सा बुत बने बैठा था। मुझे समझ नही आ रहा था के मैने ये सब क्यों और कैसे कर दिया। कहीं आरोही मुझसे नाराज़ हो गई तो, कहीं उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया तो। नही – नही मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। मैं उसकी नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं बाहर की तरफ भागा तो पाया के सुनीता आंटी जा रही थी और आरोही दरवाजा बंद कर रही थी। शायद खैरियत पूछने आईं होंगी वो।
जैसे ही आरोही पीछे मुड़ी और उसने मुझे वहां पाया तो वो ठिठक सी गई। उसने अपनी नजरें नीचे कर ली और मेरे बगल से निकलने लगी। वो शायद शर्मा रही थी पर मुझे लगा के वो मुझसे नाराज़ हो गई है। मैंने पीछे से उसका हाथ थाम लिया। वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरी आंखों में देखने लगी। मेरी आंखों में एक इल्तिज़ा थी, याचना था जिसे शायद उसने पढ़ लिया। वो मेरे नजदीक आती और मेरे गले लग कर बोली।
आरोही : भईयू में आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकती। आप ही तो मेरे सब कुछ हो।
मेरे कलेजे को एक ठंडक सी मिली उसके इतना कह देने से। मैंने उसके गालों पर एक बार फिर चुम्बन अंकित किया और फिर नित्य कर्मों के लिए अंदर चल दिया।
बस फिर मैंने एक वकील से बात की और तलाक के कागज़ बनवाने को कहा। मैं आरोही को लेकर उसके ससुराल गया और जाते ही हर्षित के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। वो सब हक्के – बक्के से रह गए मेरी इस हरकत पर। मैंने फिर अच्छे से उन सबको सबक सिखाया और तलाक का फैसला सुनाकर वहां से निकल गया। आरोही आज बेहद खुश थी। उसकी खुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी और हो भी क्यों ना एक जेल से छूटी थी आज वो। खैर, कुछ ही दिनों में उसका तलाक भी हो गया। अब मैं यहां मुंबई में नही रहना चाहता था। कहां तो मैं यहां आरोही के एक सुनहरे भविष्य की इच्छा लेकर आया था और कहां उसे यहां सिर्फ तकलीफें ही मिली थी।
मैंने थोड़ा सोच विचार करने के बाद देहरादून में चलने का फैसला किया। आरोही को पहाड़ी इलाके बहुत पसंद थे। जब मैने उसे बताया तो वो भी बेहद खुश हो गई। कुछ ही दिनों में हम वहां जाने की सभी तैयारियां कर चुके थे। जब हम वहां से निकलने लगे तो सुनीता आंटी भी काफी भावुक हो गई थी। खैर,हम ट्रेन से जा रहे थे। मैने आरोही से प्लेन में चलने को कहा था पर ना जाने क्यों वो ट्रेन से जाना चाहती थी। मैने भी उसकी बात मान ली और ट्रेन की बुकिंग करवा दी। एक दिन से भी ज़्यादा का सफर था ट्रेन का।
हम दोनो स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में सवार हो गए। हमारी सीट रिजर्व थी तो कोई दिक्कत नही हुई। हमारे साथ एक परिवार और सफर कर रहा था, संयोग से वो भी देहरादून ही जा रहे थे। हम लोग सुबह 6 बजे की ट्रेन से सफर कर रहे थे। खैर, पूरा दिन मैं और आरोही बातें करते रहे। जब रात के वक्त सोने की बारी आई तो दिक्कत हो गई। सामने वाले परिवार को सोने के लिए एक एक्स्ट्रा बर्थ की आवश्कता थी। अब वो लोग मुझे और आरोही को मिया बीवी समझ रहे थे तो उन्होंने कहा के अगर हम एक ही बर्थ पर सो जाएं तो उन्हें एक एक्स्ट्रा जगह मिल जाएगी। क्योंकि दो बर्थ हमने बुक किए हुए थे। उनकी पति – पत्नी वाली बात पर आरोही शर्मा सी गई पर हमे भी उनकी बात सही लगी और मैं और आरोही ऊपर वाले बर्थ पर चल दिए।
जगह काम थी इसीलिए हम चिपक कर लेटे हुए थे। आरोही अंदर की तरफ थी और मैने पीछे से उसे कसकर जकड़ा हुआ था। जाड़े के दिन बस शुरू ही हुए थे। नवंबर का अंत हो रहा था फिलहाल पर हां माहौल में ठंडक तो थी। इसीलिए एक कंबल डाला हुआ था हमने हमारे ऊपर। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ के आरोही कांप रही थी। उसे शुरू से ही अधिक ठंड लगती थी। अब कोई रजाई या संसाधन तो था नहीं हमारे पास, इसलिए मैने एक तरकीब लगाई। में सीधा लेट गया और आरोही को अपने ऊपर लेटा लिया। में उसकी पीठ को सहलाने लगा। ठंड के चलते उसके गालों में गुलाबीपन आ गया था और वो और भी अधिक खूबसूरत लग रही थी। खैर, इसी तरह पता नही कब हमारी नींद लग गई।
रात के किसी पहर मेरी आंख खुली आरोही की आवाज से, वो मुझे हिलाते हुए जगा रही थी।
आरोही : भईयू, बाथरूम जाना है।
मैने उसे उठने में मदद की। इस वक्त उसे अकेले भेजना मुझे सही नही लगा, इसलिए मैं भी उसके साथ ही चल दिया। मैं बाहर ही खड़ा हो गया और वो बाथरूम में चली गई। जब वो बाहर आई तो किसी चीज में उसका पैर अड़ गया और वो लड़खड़ा गई। वो सीधे मेरे ऊपर गिरी, उस वक्त मैं दीवार का सहारा लेकर खड़ा था। जैसे ही मेरे ऊपर गिरी हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए। उसकी और मेरी दोनो की ही आंखें बड़ी हो गई। पर दोनो में से किसी की भी हिलने की हिम्मत नही हो रही थी। मेरे हाथ स्वयं ही उसके कमर पर पहुंच गए। मैं उसकी कमर को सहलाने लगा। तभी किसी के आने की आहट पर हम दोनो अलग हुए। वो तो बेचारी शर्म से गढ़ी जा रही थी।
बस फिर हम दोबारा अपनी जगह पर आए और वो वैसे ही मेरे ऊपर लेट गई। सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मेरे सीने पर सर रखे सो रही थी और बेहद ही मासूम और प्यारी दिख रही थी। मैने उसके गालों को सहलाते हुए उसे जगाया। पर शायद ठंड की वजह से उसका उठने का मन नहीं था। तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और वैसे ही उसके बालों में उंगलियां फिराने लगा। वहीं वो फैमिली शायद उठ चुकी थी और हमे ही देख रही थी। तभी मुझे उन आंटी की आवाज सुनाई दी।
आंटी : कितने प्यारे बच्चे हैं। भगवान इनकी जोड़ी हमेशा बनाए रखे।
आरोही और मैं दोनो ही उनकी बात का मतलब समझ गए थे और वो उठकर बैठ गई। खैर, बस इसी तरह ये सफर पूरा हुआ और हम पहुंचे हमारे नए ठिकाने देहरादून में। मैंने अपने एक पहचान के व्यक्ति की मदद से यहां एक घर पहले ही ले लिया था। जब हम वहां पहुंचे तो पाया के ये एक बेहद ही खूबसूरत सा घर था। ज्यादा बड़ा नही था पर बड़ा घर चाहिए भी किसे था। हमने फिलहाल आराम करना सही समझा क्योंकि सफर की थकान भी थी। अगले दिन हमने घर की सारी साज – सज्जा और व्यवस्था कर दी। बस अब थोड़ी सी शॉपिंग बाकी थी जिसके लिए हम शाम के वक्त निकले।
नजदीक ही एक बढ़िया मॉल था। मैने आरोही के लिए मेरे पसंद के कुछ कपड़े लिए जिसमें ज्यादतार सूट ही थे। असल में आरोही सूट में मुझे कुछ अधिक ही प्यारी सी लगती थी। यही कारण था मेरी इस पसंद का। तभी, वहां मौजूद सेल्सगर्ल बोली,
सेल्सगर्ल : सर आप मैडम के लिए कुछ अंडरगार्मेंट्स भी देख सकते हैं।
ये सुनकर आरोही का मुंह खुल गया और चेहरे पर शर्म आने लगी। पर मुझे एक शरारत सूझी,
मैं : जी जरूर, दिखाइए कुछ अच्छे से फिर।
आरोही मेरी तरफ मुंह फाड़े देखने लगी और मैं एक कुटिल मुस्कान के साथ उसे।
फिर एक के बाद एक सेल्सगर्ल ने हमारे सामने ब्रा और पैंटी के सेट्स रख दिए। मैं आरोही को चिढ़ाने के लिए उन्हें छूकर चेक कर रहा था। और अंत में मैंने एक लाल रंग का सेट, और एक काले रंग का से सेलेक्ट किया।
सेल्सगर्ल : मैडम आप बहुत लकी हैं। सर की चॉइस बहुत अच्छी है। वैसे अगर आप चाहे तो ट्राई भी कर सकती है इन्हे।
आरोही मना करने को हुई पर उस से पहले ही मैं बोल पड़ा,
मैं : हां हां क्यों नहीं। कर लो आरोही तुम ट्राई फिर बाद में चेंज करने आना पड़ेगा वरना।
सेल्सगर्ल : वैसे सर आप भी मैडम के साथ जा सकते हैं।
अब ये सुनकर मेरे तोते उड़ गए और सारी मस्ती फुर्र हो गई। मेरे माथे पर बल पड़ने लगे, तभी आरोही ने भी एक बॉम्ब फोड़ दिया,
आरोही : सुनिए जी, ये सही कह रही हैं आप भी चलिए मेरे साथ।
मैं उसे आंखें फाड़े देखने लगा और इस बार उसके होंठों पर एक शैतानी स्माइल थी।
Behtreen update
Awesome update
Bahut bahut dhanyawad bhaiyon aap sabka.Very nice update
मेरी प्यारी बहन |
भाग – 4 [मुकम्मल इश्क़] |
bhai.... aapki kahani ne to rula diya yaar ....... kahani likhna isi ko kehte hain ........ jo shabdon ke motiyon ko pirokar kahani ko haar bana de...... ...... is forum par kuch shaandaar lekhak aise hain jinki kahani bar bar padhne ko dil karta hai ...... aap bhi ek shaandaar lekhak hain...............................
मेरी प्यारी बहन
भाग – 4 [मुकम्मल इश्क़]
मैं आरोही को आंखें फाड़े देख रहा था और वो मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ। इधर सेल्सगर्ल भी उसकी बात पर मुस्कुराने लगी थी। तभी आरोही ने मेरा हाथ पकड़ा और उन दोनो सेट्स को साथ लेकर ट्रायल रूम की तरफ बढ़ गई। कुछ ही पलों में हम दोनो उस छोटे से ट्रायल रूम के भीतर थे। अब आरोही के चेहरे पर शर्म के भाव आने लगे थे। वो तब तो मुझसे बदला लेने और जोश – जोश के भाव में ये सब कर गई पर अब उसे समझ नही आ रहा था के आगे क्या करना है। मैं भी उसकी मनोदशा को समझ पा रहा था पर पता नही क्यों आज मुझे उसे सताने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं उसके करीब खिसका और उस से चिपक कर खड़ा हो गया। मैंने अपने एक हाथ की उंगलियों को उसके बाएं गाल पर फेरा, फिर उसके होंठों पर उंगलियों को फिराने लगा। उसकी सांसें बेतहाशा बढ़ चुकी थी और मुझे अपने चेहरे पर वो महसूस भी हो रही थी। फिर मैंने दोनो हाथों से उसकी कमर को थामा और एक झटके के साथ उसे खुद से चिपका सा लिया। वो अपनी मासूम सी आंखों से मुझे देखने लगी। मैंने उसके चेहरे पर झुक कर उसके कान में कहा,
मैं : चल अब जल्दी से इन्हे ट्राई कर ले। साइज ठीक है या नहीं।
वो मेरी बात पर हैरान हो गई और मुंह नीचे करके शर्माने लगी। पर तभी मैंने उसे दीवार से चिपका दिया और उसकी गर्दन पर एक बार हाथ फेरा। उसकी आंखें बंद हो चली थी। मैं उसकी जैकेट की ज़िप को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया। अगले ही पल उसकी जैकेट को मैं उसके शरीर से अलग करके पास रखे टेबल पर गिर चुका था। नीचे उसने एक टी – शर्ट पहनी हुई थी। तभी,
आरोही : भईयू आप उधर मुंह कर लो ना मैं ट्राई कर लेती हूं इन्हे।
मैंने उसे मुस्कुराकर देखा और उसकी तरफ पीठ करके मुड़ गया। फिर मुझे कपड़े के सरसराने की आवाज आई और कुछ पलों बाद,
आरोही : भईयू ये हुक लगा दो प्लीज़।
मैं उसकी आवाज़ सुनकर मुड़ा तो मेरी आंखें चौंधियां गईं। आरोही की पीठ मेरी तरफ थी। और उसकी पीठ पूरी तरह नग्न थी। केवल ब्रा की दोनो पट्टियां पीछे लटकी हुई थी। मैने अपने कांपते हाथों से उन पट्टियों को थामा और उसके हुक को लगा दिया। पर इस बीच एक दो बार मेरी उंगलियों ने उसकी पीठ को छू लिया था। उसकी त्वचा बेहद ही मुलायम और कोमल थी। जिसके एहसास ने मुझे हिला दिया था। मेरे स्पर्श से उसके बदन में भी हलचल मैने साफ महसूस की थी।
तभी मैं ना जाने किस अदृश्य शक्ति के जाल में फंसकर उसकी पीठ पर उंगलियां घुमाने लगा। उसकी सांसों का शोर मुझे साफ सुनाई दे रहा था। मैने उसकी ब्रा की पट्टी में उंगली फंसाई और उसे धीरे से खींचकर छोड़ दिया।
आरोही : आह्ह्हह... भईयू...
अगले ही पल मैने अपने होंठ उसके नंगे कंधे पर रख दिए। मैं जोंक की तरह उस से चिपक गया और अपने हाथ उसके नंगे पेट पर लपेट दिए। उसने भी अपने हाथ मेरे हाथों के ऊपर रख दिए। मैंने उसके कंधे को कुछ देर चूमा और फिर अपनी जीभ को उसकी गर्दन पर फिरा दिया।
आरोही : ओह्ह्ह्ह... ईशशशशश्श...
मैंने उसके पेट को छोड़ा और एक दम से उसे पलटा दिया। उसके पलटते ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। उसके शरीर पर मात्र एक ब्रा और एक जींस थी। मेरा मुंह खुल चुका था और में बेसुध सा उसकी खूबसूरती को निहारने में लगा था। वो मेरी हालत देख कर शरमा सी गई। तभी मैंने उसे दीवार के साथ लगा दिया और एक हाथ से उसकी कमर को सहलाते हुए दूसरे हाथ को उसके गाल पर फेरकर बोला,
मैं : तू तो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है आरोही। तू इस दुनिया की सबसे सुंदर लड़की है।
वो शर्माकर मुझसे लिपट गई और मैने भी उसकी मखमली पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। तभी,
आरोही : भईयू प्लीज़ रहने दो ना हमे बहुत देर हो गई है अंदर आए हुए। वो सेल्सगर्ल क्या सोचेगी?
मैं : वो तो हमें पति – पत्नी समझ रही थी। तो वही सोचेगी जो पति – पत्नी ऐसे मौके पर करते हैं।
आरोही : भईयूयूयू... आप बहुत बदमाशी करने लगे हो आजकल। प्लीज़ छोड़ दो ना। क्यों सता रहे हो अपनी आरोही को।
उसके कहे वो शब्द “अपनी आरोही” सीधे मेरे दिल पर जाकर लगे। मैं उस से अलग हुआ और उसके चेहरे को देखने लगा। मेरी आंखों में नमी सी आ गई थी। उसे लगा में नाराज़ हो गया हूं इसीलिए वो एक बार फिर मुझसे चिपक गई।
आरोही : भईयू नाराज़ मत होइए ना। आप...
मैंने उसे खुद से अलग किया और उसके चेहरे को थामकर बोला,
मैं : मैं नाराज़ नहीं हूं गुडिया और तुझसे नाराज़ होकर मैं जाऊंगा कहां। वो तो तूने कहा ना “अपनी आरोही” तो...
वो मुस्कुराकर बोली,
आरोही : हां तो गलत क्या कहा, आरोही सिर्फ आपकी ही तो है और आपको ही अपनी इस गुड़िया का ध्यान रखना है।
मैं उसकी बात पर मुस्कुराकर रह गया और फिर पलट कर खड़ा हो गया। उसने वो सभी सेट्स को ट्राई किया और फिर हम बाहर आ गए। वो सेल्सगर्ल हमे देख कर मुस्कुरा रही थी और आरोही भी उसकी मुस्कान का मतलब समझ रही थी। खैर, हम इस सबके बाद घर लौट आए।
रात के वक्त आरोही मेरी बाहों में समाई बिस्तर पर लेटी थी। हम कुछ देर तक बातें करते रहे फिर हम नींद आ गई। रात के किसी पहर मैं उसका नाम चिल्लाते हुए उठे। आरोही ने हड़बड़ा कर उठते हुए लाइट जला दी। मैने एक दम से उसे गले लगा लिया।
मैं : प्लीज़ प्लीज़ मुझे छोड़कर मत जाओ आरोही। प्लीज़ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।
आरोही : क्या हुआ भईयू, क्या हुआ...
मैं : आरोही प्लीज़ कभी मुझे छोड़कर नहीं जाना, मैं मर जाऊंगा आरोही, मैं मर जाऊंगा।
वो समझ गई के मैने कोई बुरा सपना देखा है, उसने मेरे सर को अपनी छाती में दबा लिया और मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगी। मैं भी एक छोटे बच्चे के जैसे उससे लिपटा हुआ था। एक सपना ही तो देखा था मैंने अभी के आरोही मुझसे नाराज होकर मुझे छोड़कर मुझसे दूर जा रही थी। कैसी भावना थी वो, मानो कोई मेरे सीने को चीर कर मेरा दिल निकाल रहा हो। अचानक ही आरोही से लिपटे हुए मुझे एहसास हुआ के मेरा सर उसकी नर्म गोलाईयों पर दबा हुआ था। उसके बदन की वो सुगंध, उसके नजदीक होने का एहसास मेरी कैफीयत को एक रूहानी सुकून दे रहा था।
मैं उस से अलग हुआ और उसके चेहरे को निहारने लगा, उसके बाल हल्के से बिखरे हुए थे। मुझे ये उसकी खूबसूरती की तौहीन लगी। मैने हाथ बढ़ाकर उसके बालों को सलीके से उसके कानों के पीछे कर दिया। और उसके सर को अपने सर से मिला लिया। मैं एक टक उसकी आंखों में झांक रहा था।
मैं : आरोही तू मुझसे कितना प्यार करती है?
आरोही : जितना आप मुझसे करते हो उससे भी ज्यादा।
मैं : तू कभी मुझसे दूर तो नही जाएगी ना?
आरोही : कभी नही, कभी भी नही। मेरे सब कुछ आप ही हो, सिर्फ आप।
मैं : आरोही जो कुछ भी हमारे बीच पिछले दिनों हुआ है वो भाई – बहन में नही होता, ये बात मैं जानता हूं पर आरोही जब तू मेरे करीब होती है तो मैं खुद पर काबू नही रख पाता। मेरा मन करता है के तुझे खुद में समा लूं, तुझे बहुत प्यार करूं, बहुत ज्यादा।
मैंने उसके गाल को सहलाते हुए ये सारी बातें कही जिनपर प्रतिक्रिया के तौर पर वो बस मुस्कुराने लगी।
मैं उसके बालों में उंगलियां फिराते हुए आगे बोला,
मैं : और आज से नही आरोही बचपन से ही तेरे नजदीक होने पर ही मुझे वो एहसास होता आया है। जब... जब तेरी शादी हुई तो मुझे लगा के मेरी जिंदगी खत्म हो गई है। मैं झूठ नही बोलूंगा गुड़िया, मैं जेल में आत्महत्या भी करना चाहता था...
वो मेरे इस खुलासे पर एक दम से तड़प सी गई,
मैं : नही आरोही आज मैंने बहुत हिम्मत जुटाई है ये सब कहने के लिए, बीच में मत रोकना मुझे। जब हम मुंबई आए थे मुझे तभी समझ आ गया था के मैं तुझे एक भाई से अधिक प्यार करता हूं। आरोही मैं शायद बचपन से ही तुझे एक लड़के की नजर से भी चाहता हूं। पर मैं ये कभी मान नही पाया, मैं मान ना ही नही चाहता था। जिसे मैं गुड़िया – गुड़िया कहता फिरता था उसके लिए ये भावनाएं मुझे खुद को धिक्कारने पर मजबूर कर रही थी। मैंने तय किया के कभी तुझे ये सब नहीं बताऊंगा। पर फिर वो हादसा, मेरा जेल जाना, मुझे तेरी चिंता होने लगी थी के कैसे तेरी शादी हो पाएगी जब सबको पता चलेगा के मैं जेल में जा चुका हूं। हालांकि तेरी शादी का खयाल काफी था मुझे हज़ार मौत मारने के लिए, पर फिर मुझे लगता के तेरी ज़िंदगी को खुशियों से भर देने का ही तो संकल्प लिया था मैंने बचपन में और शायद शादी ही उन खुशियों को तेरी जिंदगी में ले आए।
पूरी बात बोलते – बोलते मेरी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे वहीं आरोही आंखों में हैरानगी और दर्द लिए मुझे देख रही थी। मैने उसे अपनी बाहों के कस लिया और,
मैं : पर अब... अब फिर मेरा दिल गुस्ताखी कर रहा है आरोही, मैं ऐसे नही जी पाऊंगा। मैं मर जाऊंगा आरोही, मैं मर जाऊंगा।
मैं आरोही के गले लगे हुए ही फूट – फुट कर रोने लगा। मेरे दिल में भर सारा गुबार मैं आज बाहर निकाला देना चाहता था। सच ही तो था, आरोही को खुदसे दूर करना मेरे लिए कितना दर्दनाक था सिर्फ मैं ही जानता था और अब उसका वापिस मेरी जिंदगी में लौटना और वो भी इस तरह, मेरे दिल में फिर वही सब एहसास हरे होने लगे थे। पर मैं इस बार ये बातें उस से छुपा पाने के काबिल नही था। मैं असल में अब तक बहुत ज्यादा टूट चुका था। कहां तो मैंने एक खुशहाल ज़िंदगी जिसमें सिर्फ आरोही और मैं हों, बस यही सपने देखे थे और किस्मत ने क्या – क्या दिन दिखाए थे हमे। मेरी बर्दाश्त अब खत्म हो चुकी थी। मैं आरोही को अब पा लेना चाहता था, मैं उसका हो जाना चाहता था।
रोते – रोते मेरे मुंह से घुटी हुई आवाजें निकलने लगी। आरोही मेरी हालत देखकर बहुत डर गई थी। उसने मुझे खुद से अलग किया और मेरे चेहरे को थामकर बोली,
आरोही : क्यों किया आपने ऐसा। हम्म्म, क्यों किया, सारी खुशियां मेरे हिस्से में डालकर हमेशा दुख में जीते रहे। क्यों नहीं कहा मुझसे ये सब, क्या इतना भी भरोसा नहीं था आपको अपनी आरोही पर, मैं भी आपसे ही प्यार करती हूं भईयू, सिर्फ आपसे। मैने सिर्फ इसलिए उस शादी के लिए हां कहा था क्योंकि आप ऐसा चाहते थे, मैं आपके अलावा किसी और के बारे में सोच भी नही सकती, कभी नहीं। जब आप मेरे करीब आते हो तो कभी मैने आपको मना किया?? नही ना, आप इतना भी नही समझते क्या? एक बार, बस एक बार मुझसे बोला होता मैं कभी आपको दुखी नहीं होने देती पर आप, क्यों किया आपने ऐसा, क्यों... क्यों...
आरोही की बातों से जहां मेरा मुंह खुल चुका था और चेहरा हैरानगी से भर गया था वही मेरे दिल में इतनी ज्यादा खुशी उत्पन्न हो रही थी के मुझे संभाले नहीं संभल रही थी। मैंने खुद को दो थप्पड़ मारे जांचने को के कहीं ये सपना तो नहीं। फिर आरोही के चेहरे को छूकर देखा। मैं पागल सा हो गया था, बस इधर – उधर देख कर खुद को समझा रहा था के ये सब सच है, मेरी जिंदगी की इकलौती ख्वाहिश पूरी हो चुकी थी। तभी आरोही ने मेरी हालत समझते हुए मुझे अपने आगोश में ले लिया। मैने भी अपनी आंखें बंद कर ली और उसे अपनी आत्मा तक महसूस करने लगा और खुद को यकीन दिलाने लगा के अब वो मेरी हो गई थी और मैं उसका। अब हम एक – दूसरे के थे, सिर्फ एक – दूसरे के!!!