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Adultery जब तक है जान

Pal bhai

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#39
पिस्ता ने अपनी जांघो को खोला और चूत को सहलाने लगी, उसकी आँखों में हवस भर चुकी थी मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर रखा और धक्का मारते हुए उसे आगे को सरकाया. दिमाग में तमाम वो चित्र घुमने शुरू हो गए हो बुआ की किताब में छपे थे. पिस्ता के ऊपर लेटते हुए मैंने पूरा लंड चूत में दाखिल कर दिया और पिस्ता ने अपनी बाँहों में मुझे भरते हुए चुदाई की शुरुआत कर दी . पिस्ता के हाथ मेरे हर धक्के से साथ मेरी पीठ पर रेंगने लगे थे, चुदाई की गर्मी चढ़ने लगी थी . आज मैं उस चीज को पा गया था जिसके पीछे ये दुनिया पागल थी .


पिस्ता के बेहद नर्म, लजीज होंठो को मैं शिद्दत से चूस रहा था . कभी कभी हमारी जीभ एक दुसरे से छू जाती तो बदन में मजे की ऐसी लहर उठती की क्या ही बताया जाये.

“ना गाल नहीं, गाल पर निशान पड़ जायेगा ” पिस्ता ने मुझे गाल चूसने से मना किया और मेरे ऊपर आ गयी . हौले से उसने लंड को पकड़ कर चूत पर रखा और उस पर बैठती चली गयी .

“दोनों हाथ चूतडो पर रख ले ” उसने मेरे चेहरे की तरफ झुकते हुए कहा और मुझे सम्भोग सुख देने लगी. उसके कुलहो की थिरकन में जो मादकता भरी थी उसे मैंने अपनी रूह तक में महसूस किया . उस पहली चुदाई में एक लमहा ऐसा आया की जब उसने मुझे ऐसी नजर से देखा की मेरा दिल ऐसे धड़का , जैसे कोई बूँद बिन मौसम सूखी धरा पर गिरी हो . अगले ही पल आह भरते हुए वो मुझ पर गिरी और मेरे लंड से वीर्य की पहली बौछार उसकी चूत में गिर गयी . आंखे बन्द किये मैं बस ये ही चाहता था की वो हमेशा मेरे ऊपर लेटी रहे.

“कहाँ जा रही है ” मैंने कहा


“मूतने, ” उसने कहा और नंगी ही आंगन में भाग गयी . मैं उसके पीछे गया और उसे मूतते हुए देखने लगा . आगन के बीचोबीच नंगी बैठी वो मूत रही थी . लट्टू की रौशनी में उसे देखना अजब ही अहसास था .

“क्या देख रहा है इस तरह ” उसने चूत को पानी से धोते हुए कहा

मैं- तेरे सिवा मैं और क्या ही देखूं मेरी जान

पिस्ता- सब कुछ दिखा तो दिया तुझे खसम

मैंने उसे बाँहों में भर लिया .


पिस्ता- इस तरह से गले मत लगाया कर , कुछ होता है मुझे

मैं - क्या होता है बता जरा

पिस्ता- कुछ बाते बताई नहीं जाती


मैं- फिर, तू जाने तेरी बातो को

पिस्ता- अब जा तू ,

मैं- यही सो जाता हु अब मैं

पिस्ता- तेरी मर्जी , छोड़ मुझे सलवार पहनने दे.

मैं- ऐसे ही सो जा मेरे साथ


पिस्ता- ना, कुछ देर बाद तू फिर से लेने की करेगा जिद

मैं- हाँ तो क्या हुआ एक बार और कर लेंगे.

पिस्ता- ना, जी ना

मैने उसे अपनी बाँहों में उठाया और लेकर अन्दर आ गया.

“हो गयी तेरी मनचाही अब सोने दे ” हौले से बोली वो


मैं- नहीं देनी दुबारा तो मत दे , पर जब तक मेरा जी न भरेगा देखता रहूँगा तुझे . इतना तो हक़ है न मेरा

पिस्ता- सब कुछ तेरा ही है पर फिलहाल मुझे बिस्तर में जाने दे

मैंने पिस्ता के माथे को चूमा और उसके घर से निकल गया . गली में घुप्प अँधेरा था. बदन में अजीब सा उन्माद था . उमंग थी ख़ुशी थी आज चूत जो मारी थी . जीवन में सेक्स का पहला अनुभव प्राप्त कर लिया था. नाज के घर पहुँच कर पाया की दरवाजा अंदर से बंद था , मतलब वो जानती थी की मैं गायब हु.

अब क्या किया जाए, वापिस जाने का कोई फायदा नहीं था पिस्ता सो चुकी होगी. नाज का दरवाजा खुलवाने की सोचु तो उसके सवालो का जवाब नहीं दिया जायेगा. करे तो क्या करे,जैसे जैसे रात बीत रही थी हलकी सी ठण्ड भी बढ़ने लगी थी , रात कितनी बाकी थी ये भी नहीं मालूम था. हार कर किवाड़ पीट ही दिया नाज का .अलसाई आँखों से मुझे घूरा उसने दरवाजा खोलते हुए .

“कर आये मनमानी ” उसने ताना मारा


मैं- उसके सिवा और कोई काम नहीं है क्या मुझे

नाज- खूब समझती हूँ मैं तुम्हे. अन्दर आओ

मैंने अन्दर आते ही बिस्तर पकड़ा और सो गया. सुबह आँख कुछ देर से खुली . नाज घर पर नहीं थी मैं खेतो की तरफ निकल गया. माँ, नाज और बुआ सभी थे वहां पर. दोपहर तक खेतो पर काम करने के बाद जैसे ही वो लोग घर की तरफ गए मैं जोगन से मिलने चल दिया. एक बार फिर से वो मोजूद नहीं थी ,मैंने झोपडी खोली और चारपाई पर लेट गया. करीब घंटे भर बाद जोगन अपना झोला उठाये आई .
“तुम कब आये ” उसने कहा

मैं- मेरी छोड़ो तुम कहाँ गायब थी


जोगन- मेरा क्या है कोई बुला ले तो चली जाती हु.

मैं- तेरा सही है

वो- बर्फी खायेगा

उसे झोले से मिठाई का डिब्बा निकाला और मुझे दिया .

“ऐसे क्या देखता है ” बोली वो

मैं- तुझे ही देखता हु


वो- मुझमे ऐसा क्या है जो तू देखता है

मैं- कभी कभी अपनी सी लगती है तू

वो- अपनी हु तो अपनी ही लगूंगी न . फिलहाल हट मेरी चारपाई से मुझे आराम करने दे.

मैं- क्यों रहती है तू यहाँ , तू कहे तो पक्का मकान बनवा दू तेरे लिए

“कहता तो तू सही है , मैं भी उकता जाती हु कभी कभी इस अजीब सी जिन्दगी से . खैर, कभी जरुरत पड़ी तो तुजसे ही कहुगी ” उसने कहा और मुझे हटाते हुए चारपाई पर लेट गयी .

“और सुना क्या हाल है तेरे गाँव के . मैंने सुना तेरे बापू इस बार किसी नीच जात वाली को चुनाव लडवा रहे है ” उसने कहा

मैं- बात तो सही है .

“इन्सान की क्या ही फितरत है , सब स्वार्थ साधने में लगे है ” व्यंग्य किया उसने


मैं- सो तो ही , ये दुनिया मतलब की ही है .

वो तेरा कौन सा मतलब है मुझसे

मैं- तू जाने, तेरा रब्ब जाने. मुझे तो बर्फी से मतलब है


उसने आँखे मूँद ली . मैं भी पसर गया चटाई पर.

“आजकल मेरे परिवार पर अजीब सी मुसीबत आन पड़ी है .कोई अंजना दुश्मन पीछे पड़ा है .हमले पे हमले हो रहे है .” मैंने कहा

जोगन- बाहुबली लोग अक्सर ही दुश्मनों से घिरे रहते है . बन्दूको से आप लोगो को डरा तो सकते हो पर पीठ पीछे उनकी गालिया ही मिलती है . इज्जत कमाना, बड़ी मुश्किल बात होती है इस दुनिया में.

मैं- कहती तो सही हो , मुनीम पर इस जंगल में हमला हुआ उसकी गाडी मिली मुझे

जोगन- जंगल हमला करने के लिए अनुकूल जगह लगी होगी हमलावर को पर मुनीम जंगल में हमलावर के साथ था तो यकीन मानो वो उस हमलावर को जरुर जानता होगा आखिर क्यों ही कोई अनजान के साथ जंगल में जायेगा.


मैं- बात में दम है तुम्हारी .खैर, छोड़ो इस बात को . तुमने उस दिन कहा था न की मंदिर को दुबारा से आबाद करना चाहती हो तो उसके लिए मैं कुछ कर सकता हु अगर तुम राजी हो तो

जोगन- ये तो बहुत ही अच्छी बात है , पर उसके लिए पैसा बहुत चाहिए होगा . पैसे की भी कोई बात नहीं लोगो को राजी करना मुश्किल होगा लोगो से बी जायदा मुश्किल होगा चौधरी फूल सिंह को राजी करना

मैं - क्यों भला. पिताजी को क्या दिक्कत होगी इस मंदिर से

जोगन- क्योंकि उन्होंने ही तोडा था इसे ...........
Jabardast update bhai
 

Himanshu630

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#39
पिस्ता ने अपनी जांघो को खोला और चूत को सहलाने लगी, उसकी आँखों में हवस भर चुकी थी मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर रखा और धक्का मारते हुए उसे आगे को सरकाया. दिमाग में तमाम वो चित्र घुमने शुरू हो गए हो बुआ की किताब में छपे थे. पिस्ता के ऊपर लेटते हुए मैंने पूरा लंड चूत में दाखिल कर दिया और पिस्ता ने अपनी बाँहों में मुझे भरते हुए चुदाई की शुरुआत कर दी . पिस्ता के हाथ मेरे हर धक्के से साथ मेरी पीठ पर रेंगने लगे थे, चुदाई की गर्मी चढ़ने लगी थी . आज मैं उस चीज को पा गया था जिसके पीछे ये दुनिया पागल थी .


पिस्ता के बेहद नर्म, लजीज होंठो को मैं शिद्दत से चूस रहा था . कभी कभी हमारी जीभ एक दुसरे से छू जाती तो बदन में मजे की ऐसी लहर उठती की क्या ही बताया जाये.

“ना गाल नहीं, गाल पर निशान पड़ जायेगा ” पिस्ता ने मुझे गाल चूसने से मना किया और मेरे ऊपर आ गयी . हौले से उसने लंड को पकड़ कर चूत पर रखा और उस पर बैठती चली गयी .

“दोनों हाथ चूतडो पर रख ले ” उसने मेरे चेहरे की तरफ झुकते हुए कहा और मुझे सम्भोग सुख देने लगी. उसके कुलहो की थिरकन में जो मादकता भरी थी उसे मैंने अपनी रूह तक में महसूस किया . उस पहली चुदाई में एक लमहा ऐसा आया की जब उसने मुझे ऐसी नजर से देखा की मेरा दिल ऐसे धड़का , जैसे कोई बूँद बिन मौसम सूखी धरा पर गिरी हो . अगले ही पल आह भरते हुए वो मुझ पर गिरी और मेरे लंड से वीर्य की पहली बौछार उसकी चूत में गिर गयी . आंखे बन्द किये मैं बस ये ही चाहता था की वो हमेशा मेरे ऊपर लेटी रहे.

“कहाँ जा रही है ” मैंने कहा


“मूतने, ” उसने कहा और नंगी ही आंगन में भाग गयी . मैं उसके पीछे गया और उसे मूतते हुए देखने लगा . आगन के बीचोबीच नंगी बैठी वो मूत रही थी . लट्टू की रौशनी में उसे देखना अजब ही अहसास था .

“क्या देख रहा है इस तरह ” उसने चूत को पानी से धोते हुए कहा

मैं- तेरे सिवा मैं और क्या ही देखूं मेरी जान

पिस्ता- सब कुछ दिखा तो दिया तुझे खसम

मैंने उसे बाँहों में भर लिया .


पिस्ता- इस तरह से गले मत लगाया कर , कुछ होता है मुझे

मैं - क्या होता है बता जरा

पिस्ता- कुछ बाते बताई नहीं जाती


मैं- फिर, तू जाने तेरी बातो को

पिस्ता- अब जा तू ,

मैं- यही सो जाता हु अब मैं

पिस्ता- तेरी मर्जी , छोड़ मुझे सलवार पहनने दे.

मैं- ऐसे ही सो जा मेरे साथ


पिस्ता- ना, कुछ देर बाद तू फिर से लेने की करेगा जिद

मैं- हाँ तो क्या हुआ एक बार और कर लेंगे.

पिस्ता- ना, जी ना

मैने उसे अपनी बाँहों में उठाया और लेकर अन्दर आ गया.

“हो गयी तेरी मनचाही अब सोने दे ” हौले से बोली वो


मैं- नहीं देनी दुबारा तो मत दे , पर जब तक मेरा जी न भरेगा देखता रहूँगा तुझे . इतना तो हक़ है न मेरा

पिस्ता- सब कुछ तेरा ही है पर फिलहाल मुझे बिस्तर में जाने दे

मैंने पिस्ता के माथे को चूमा और उसके घर से निकल गया . गली में घुप्प अँधेरा था. बदन में अजीब सा उन्माद था . उमंग थी ख़ुशी थी आज चूत जो मारी थी . जीवन में सेक्स का पहला अनुभव प्राप्त कर लिया था. नाज के घर पहुँच कर पाया की दरवाजा अंदर से बंद था , मतलब वो जानती थी की मैं गायब हु.

अब क्या किया जाए, वापिस जाने का कोई फायदा नहीं था पिस्ता सो चुकी होगी. नाज का दरवाजा खुलवाने की सोचु तो उसके सवालो का जवाब नहीं दिया जायेगा. करे तो क्या करे,जैसे जैसे रात बीत रही थी हलकी सी ठण्ड भी बढ़ने लगी थी , रात कितनी बाकी थी ये भी नहीं मालूम था. हार कर किवाड़ पीट ही दिया नाज का .अलसाई आँखों से मुझे घूरा उसने दरवाजा खोलते हुए .

“कर आये मनमानी ” उसने ताना मारा


मैं- उसके सिवा और कोई काम नहीं है क्या मुझे

नाज- खूब समझती हूँ मैं तुम्हे. अन्दर आओ

मैंने अन्दर आते ही बिस्तर पकड़ा और सो गया. सुबह आँख कुछ देर से खुली . नाज घर पर नहीं थी मैं खेतो की तरफ निकल गया. माँ, नाज और बुआ सभी थे वहां पर. दोपहर तक खेतो पर काम करने के बाद जैसे ही वो लोग घर की तरफ गए मैं जोगन से मिलने चल दिया. एक बार फिर से वो मोजूद नहीं थी ,मैंने झोपडी खोली और चारपाई पर लेट गया. करीब घंटे भर बाद जोगन अपना झोला उठाये आई .
“तुम कब आये ” उसने कहा

मैं- मेरी छोड़ो तुम कहाँ गायब थी


जोगन- मेरा क्या है कोई बुला ले तो चली जाती हु.

मैं- तेरा सही है

वो- बर्फी खायेगा

उसे झोले से मिठाई का डिब्बा निकाला और मुझे दिया .

“ऐसे क्या देखता है ” बोली वो

मैं- तुझे ही देखता हु


वो- मुझमे ऐसा क्या है जो तू देखता है

मैं- कभी कभी अपनी सी लगती है तू

वो- अपनी हु तो अपनी ही लगूंगी न . फिलहाल हट मेरी चारपाई से मुझे आराम करने दे.

मैं- क्यों रहती है तू यहाँ , तू कहे तो पक्का मकान बनवा दू तेरे लिए

“कहता तो तू सही है , मैं भी उकता जाती हु कभी कभी इस अजीब सी जिन्दगी से . खैर, कभी जरुरत पड़ी तो तुजसे ही कहुगी ” उसने कहा और मुझे हटाते हुए चारपाई पर लेट गयी .

“और सुना क्या हाल है तेरे गाँव के . मैंने सुना तेरे बापू इस बार किसी नीच जात वाली को चुनाव लडवा रहे है ” उसने कहा

मैं- बात तो सही है .

“इन्सान की क्या ही फितरत है , सब स्वार्थ साधने में लगे है ” व्यंग्य किया उसने


मैं- सो तो ही , ये दुनिया मतलब की ही है .

वो तेरा कौन सा मतलब है मुझसे

मैं- तू जाने, तेरा रब्ब जाने. मुझे तो बर्फी से मतलब है


उसने आँखे मूँद ली . मैं भी पसर गया चटाई पर.

“आजकल मेरे परिवार पर अजीब सी मुसीबत आन पड़ी है .कोई अंजना दुश्मन पीछे पड़ा है .हमले पे हमले हो रहे है .” मैंने कहा

जोगन- बाहुबली लोग अक्सर ही दुश्मनों से घिरे रहते है . बन्दूको से आप लोगो को डरा तो सकते हो पर पीठ पीछे उनकी गालिया ही मिलती है . इज्जत कमाना, बड़ी मुश्किल बात होती है इस दुनिया में.

मैं- कहती तो सही हो , मुनीम पर इस जंगल में हमला हुआ उसकी गाडी मिली मुझे

जोगन- जंगल हमला करने के लिए अनुकूल जगह लगी होगी हमलावर को पर मुनीम जंगल में हमलावर के साथ था तो यकीन मानो वो उस हमलावर को जरुर जानता होगा आखिर क्यों ही कोई अनजान के साथ जंगल में जायेगा.


मैं- बात में दम है तुम्हारी .खैर, छोड़ो इस बात को . तुमने उस दिन कहा था न की मंदिर को दुबारा से आबाद करना चाहती हो तो उसके लिए मैं कुछ कर सकता हु अगर तुम राजी हो तो

जोगन- ये तो बहुत ही अच्छी बात है , पर उसके लिए पैसा बहुत चाहिए होगा . पैसे की भी कोई बात नहीं लोगो को राजी करना मुश्किल होगा लोगो से बी जायदा मुश्किल होगा चौधरी फूल सिंह को राजी करना

मैं - क्यों भला. पिताजी को क्या दिक्कत होगी इस मंदिर से

जोगन- क्योंकि उन्होंने ही तोडा था इसे ...........
उम्दा अपडेट फौजी भाई

देव ने पिस्ता की आखिर ले ही ली

लेकिन ये मंदिर क्यों तोड़ दिया चौधरी फूल सिंह ने
एक वजह किसी से बहुत गहरी दोस्ती या बहुत गहरी दुश्मनी भी हो सकती है

खैर देखते हैं चौधरी साहब की क्या वजह थी मंदिर तोड़ने की

इंतजार रहेगा अगले अपडेट का
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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#39
पिस्ता ने अपनी जांघो को खोला और चूत को सहलाने लगी, उसकी आँखों में हवस भर चुकी थी मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर रखा और धक्का मारते हुए उसे आगे को सरकाया. दिमाग में तमाम वो चित्र घुमने शुरू हो गए हो बुआ की किताब में छपे थे. पिस्ता के ऊपर लेटते हुए मैंने पूरा लंड चूत में दाखिल कर दिया और पिस्ता ने अपनी बाँहों में मुझे भरते हुए चुदाई की शुरुआत कर दी . पिस्ता के हाथ मेरे हर धक्के से साथ मेरी पीठ पर रेंगने लगे थे, चुदाई की गर्मी चढ़ने लगी थी . आज मैं उस चीज को पा गया था जिसके पीछे ये दुनिया पागल थी .


पिस्ता के बेहद नर्म, लजीज होंठो को मैं शिद्दत से चूस रहा था . कभी कभी हमारी जीभ एक दुसरे से छू जाती तो बदन में मजे की ऐसी लहर उठती की क्या ही बताया जाये.

“ना गाल नहीं, गाल पर निशान पड़ जायेगा ” पिस्ता ने मुझे गाल चूसने से मना किया और मेरे ऊपर आ गयी . हौले से उसने लंड को पकड़ कर चूत पर रखा और उस पर बैठती चली गयी .

“दोनों हाथ चूतडो पर रख ले ” उसने मेरे चेहरे की तरफ झुकते हुए कहा और मुझे सम्भोग सुख देने लगी. उसके कुलहो की थिरकन में जो मादकता भरी थी उसे मैंने अपनी रूह तक में महसूस किया . उस पहली चुदाई में एक लमहा ऐसा आया की जब उसने मुझे ऐसी नजर से देखा की मेरा दिल ऐसे धड़का , जैसे कोई बूँद बिन मौसम सूखी धरा पर गिरी हो . अगले ही पल आह भरते हुए वो मुझ पर गिरी और मेरे लंड से वीर्य की पहली बौछार उसकी चूत में गिर गयी . आंखे बन्द किये मैं बस ये ही चाहता था की वो हमेशा मेरे ऊपर लेटी रहे.

“कहाँ जा रही है ” मैंने कहा


“मूतने, ” उसने कहा और नंगी ही आंगन में भाग गयी . मैं उसके पीछे गया और उसे मूतते हुए देखने लगा . आगन के बीचोबीच नंगी बैठी वो मूत रही थी . लट्टू की रौशनी में उसे देखना अजब ही अहसास था .

“क्या देख रहा है इस तरह ” उसने चूत को पानी से धोते हुए कहा

मैं- तेरे सिवा मैं और क्या ही देखूं मेरी जान

पिस्ता- सब कुछ दिखा तो दिया तुझे खसम

मैंने उसे बाँहों में भर लिया .


पिस्ता- इस तरह से गले मत लगाया कर , कुछ होता है मुझे

मैं - क्या होता है बता जरा

पिस्ता- कुछ बाते बताई नहीं जाती


मैं- फिर, तू जाने तेरी बातो को

पिस्ता- अब जा तू ,

मैं- यही सो जाता हु अब मैं

पिस्ता- तेरी मर्जी , छोड़ मुझे सलवार पहनने दे.

मैं- ऐसे ही सो जा मेरे साथ


पिस्ता- ना, कुछ देर बाद तू फिर से लेने की करेगा जिद

मैं- हाँ तो क्या हुआ एक बार और कर लेंगे.

पिस्ता- ना, जी ना

मैने उसे अपनी बाँहों में उठाया और लेकर अन्दर आ गया.

“हो गयी तेरी मनचाही अब सोने दे ” हौले से बोली वो


मैं- नहीं देनी दुबारा तो मत दे , पर जब तक मेरा जी न भरेगा देखता रहूँगा तुझे . इतना तो हक़ है न मेरा

पिस्ता- सब कुछ तेरा ही है पर फिलहाल मुझे बिस्तर में जाने दे

मैंने पिस्ता के माथे को चूमा और उसके घर से निकल गया . गली में घुप्प अँधेरा था. बदन में अजीब सा उन्माद था . उमंग थी ख़ुशी थी आज चूत जो मारी थी . जीवन में सेक्स का पहला अनुभव प्राप्त कर लिया था. नाज के घर पहुँच कर पाया की दरवाजा अंदर से बंद था , मतलब वो जानती थी की मैं गायब हु.

अब क्या किया जाए, वापिस जाने का कोई फायदा नहीं था पिस्ता सो चुकी होगी. नाज का दरवाजा खुलवाने की सोचु तो उसके सवालो का जवाब नहीं दिया जायेगा. करे तो क्या करे,जैसे जैसे रात बीत रही थी हलकी सी ठण्ड भी बढ़ने लगी थी , रात कितनी बाकी थी ये भी नहीं मालूम था. हार कर किवाड़ पीट ही दिया नाज का .अलसाई आँखों से मुझे घूरा उसने दरवाजा खोलते हुए .

“कर आये मनमानी ” उसने ताना मारा


मैं- उसके सिवा और कोई काम नहीं है क्या मुझे

नाज- खूब समझती हूँ मैं तुम्हे. अन्दर आओ

मैंने अन्दर आते ही बिस्तर पकड़ा और सो गया. सुबह आँख कुछ देर से खुली . नाज घर पर नहीं थी मैं खेतो की तरफ निकल गया. माँ, नाज और बुआ सभी थे वहां पर. दोपहर तक खेतो पर काम करने के बाद जैसे ही वो लोग घर की तरफ गए मैं जोगन से मिलने चल दिया. एक बार फिर से वो मोजूद नहीं थी ,मैंने झोपडी खोली और चारपाई पर लेट गया. करीब घंटे भर बाद जोगन अपना झोला उठाये आई .
“तुम कब आये ” उसने कहा

मैं- मेरी छोड़ो तुम कहाँ गायब थी


जोगन- मेरा क्या है कोई बुला ले तो चली जाती हु.

मैं- तेरा सही है

वो- बर्फी खायेगा

उसे झोले से मिठाई का डिब्बा निकाला और मुझे दिया .

“ऐसे क्या देखता है ” बोली वो

मैं- तुझे ही देखता हु


वो- मुझमे ऐसा क्या है जो तू देखता है

मैं- कभी कभी अपनी सी लगती है तू

वो- अपनी हु तो अपनी ही लगूंगी न . फिलहाल हट मेरी चारपाई से मुझे आराम करने दे.

मैं- क्यों रहती है तू यहाँ , तू कहे तो पक्का मकान बनवा दू तेरे लिए

“कहता तो तू सही है , मैं भी उकता जाती हु कभी कभी इस अजीब सी जिन्दगी से . खैर, कभी जरुरत पड़ी तो तुजसे ही कहुगी ” उसने कहा और मुझे हटाते हुए चारपाई पर लेट गयी .

“और सुना क्या हाल है तेरे गाँव के . मैंने सुना तेरे बापू इस बार किसी नीच जात वाली को चुनाव लडवा रहे है ” उसने कहा

मैं- बात तो सही है .

“इन्सान की क्या ही फितरत है , सब स्वार्थ साधने में लगे है ” व्यंग्य किया उसने


मैं- सो तो ही , ये दुनिया मतलब की ही है .

वो तेरा कौन सा मतलब है मुझसे

मैं- तू जाने, तेरा रब्ब जाने. मुझे तो बर्फी से मतलब है


उसने आँखे मूँद ली . मैं भी पसर गया चटाई पर.

“आजकल मेरे परिवार पर अजीब सी मुसीबत आन पड़ी है .कोई अंजना दुश्मन पीछे पड़ा है .हमले पे हमले हो रहे है .” मैंने कहा

जोगन- बाहुबली लोग अक्सर ही दुश्मनों से घिरे रहते है . बन्दूको से आप लोगो को डरा तो सकते हो पर पीठ पीछे उनकी गालिया ही मिलती है . इज्जत कमाना, बड़ी मुश्किल बात होती है इस दुनिया में.

मैं- कहती तो सही हो , मुनीम पर इस जंगल में हमला हुआ उसकी गाडी मिली मुझे

जोगन- जंगल हमला करने के लिए अनुकूल जगह लगी होगी हमलावर को पर मुनीम जंगल में हमलावर के साथ था तो यकीन मानो वो उस हमलावर को जरुर जानता होगा आखिर क्यों ही कोई अनजान के साथ जंगल में जायेगा.


मैं- बात में दम है तुम्हारी .खैर, छोड़ो इस बात को . तुमने उस दिन कहा था न की मंदिर को दुबारा से आबाद करना चाहती हो तो उसके लिए मैं कुछ कर सकता हु अगर तुम राजी हो तो

जोगन- ये तो बहुत ही अच्छी बात है , पर उसके लिए पैसा बहुत चाहिए होगा . पैसे की भी कोई बात नहीं लोगो को राजी करना मुश्किल होगा लोगो से बी जायदा मुश्किल होगा चौधरी फूल सिंह को राजी करना

मैं - क्यों भला. पिताजी को क्या दिक्कत होगी इस मंदिर से

जोगन- क्योंकि उन्होंने ही तोडा था इसे ...........
Shandar jabardast super hot update 🔥 🔥
Dev ka pista se pahla milan ho gaya
Ab mandir ki baa pe bada bakheda hona hai baap bete me dekhte hai aage kya hota hai 😏
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Waah kya baat hai foji bhai, sahandar update, per bhai itne din baad update diya hai to kuch bada update hi de dete😉 mann hi nahi bhara, Chaudhary kuch mann ki baat karna chahta tha per dev ne aage baat ki hi nahi, naaj bhi lagta hai dev ko degi hi, bas kab tak? Ye dekhna hai, or pista to chud hi gai samjho, per KLPD KAR DI TUMNE :?: Awesome update again and great writing efforts ✍️ :applause::applause::applause:
Kosish rahegi ki bade update post kiye jaye
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Nice update....

Shandar super hot erotic lovely update 💓 💓 🔥 🔥 🔥

Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....
Nice and lovely update....

Nice update....

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय और मस्ती भरा अपडेट है भाई मजा आ गया
देव के लंड को आज पिस्ता की मदमस्त चुद का पानी लग ही जायेगा
बहुत खुब
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Kya bhai phir se KLPD kR diya

Pata nahi ye Naaz kya kehna chahti thi aur aur Pista ke sath ab kheto me acha waqt bita kiya aur ab usne khud keh di ki wo Dev ko apni chut de bhi degi aur khub ache se dikha bhi degi but ab ye chillai kyu

Hero ki maa bhi hero ki bahut parwa karti ha but es Raju ko kisne maar diya aur Jogan se bhi milna ho gaya aur aaram bhi kar liya hero ne ab dekhte hai ghar me kya hota hai

उम्दा अपडेट फौजी भाई

देव ने पिस्ता की आखिर ले ही ली

लेकिन ये मंदिर क्यों तोड़ दिया चौधरी फूल सिंह ने
एक वजह किसी से बहुत गहरी दोस्ती या बहुत गहरी दुश्मनी भी हो सकती है

खैर देखते हैं चौधरी साहब की क्या वजह थी मंदिर तोड़ने की

इंतजार रहेगा अगले अपडेट का
Thanks all
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bahut jabardast update kya mast najara tha hero ke liye but ye Munim par kisne hamla kar diya ya ye bhi Munim ki sajish hai aur wapsi me Pista bhi mil gayi jiske sath movie bhi dekh li but ab lagta hai Hero ke pitaji aa rahe hai hero ke aur ye unke samne cahte huye khud jaa raha hai
Thanks for support bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
नाज के साथ कुछ नही हुआ नाज से कुछ मस्तीभरी बाते हुई अब देखते हैं नाज कब देव पर मेहरबान होती है देव ने पिस्ता को पूरी तरह हासिल कर लिया है
नाज़ जलदी ही देव के नीचे होगी
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
आखिर अपने देव को जीवन की पहली चुदाई का आनंद मिल ही गया वो भी मस्त मौला पिस्ता की चुद का
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks bhai
 
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