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Adultery जब तक है जान

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#३५
एक हाथ में झोला दुसरे हाथ में पिस्ता का हाथ और सामने बाप . किस्मत का चुतिया होना क्या होता है आज जान रहे थे हम.
“हाथ छोड़ ” पिस्ता ने हौले से कहा

बाप ने बड़ी गहरी नजर हम पर डाली और बस इतना ही कहा की गाडी में बैठो. रस्ते भर ख़ामोशी छाई रही . माथे पर पसीना था दिल में घबराहट मैं पिस्ता की तरफ देखू और वो मेरी तरफ . खैर, रास्ता था कट ही जाना था . घर के बाहर जैसे ही गाडी रुकी हम लोग उतरे और अपने अपने घर जाने लगे की

“रुको , हमने जाने को तो नहीं कहा ” पिताजी ने कहा

मैं जानता था की अब मुश्किल होने वाली है पिताजी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले- बरखुरदार, जब बेटा बराबर का हो जाये न तो बाप को बहुत ख़ुशी होती है पर वही बेटा नालायकी करे तो उस बाप का क्या ही रसूख रहे . और तू भी सुन ले छोरी.बचपन से तू हमारे घर आती रही , मेरी तो कोई छोरी है न पर तू भी जाने की बेटी का दर्जा हमेशा ही दिया तुझे. पर तुम दोनों नालायक इस बाप का मान न रख पा रहे. मैं जानता हु चढ़ती जवानी का खून जोर मारता है पर इस जिन्दगी में तुम्हे बहुत कुछ देखना है . ये गाँव , गाँव नहीं है ये एक परिवार है , एक घर है जिसका मुखिया हु मैं और मेरे घर में ये कचरा नहीं फैलेगा जो तुम कोशिश कर रहे हो . समझते क्या हो तुम अपने आप को . ये जो फितूर फिल्मो का तुम्हारे अन्दर जोर मार रहा है न की एक हीरो एक हेरोइन होती है तुम्हे बता दू की जिदंगी बहुत अलग होती है . बहुत बेरहम , जब जीवन की तलवार तुम पर वार करेगी तो यकीन मानो कुछ नहीं बचेगा सिवाय उस दुःख के जो तुम्हारा नसीब बन जायेगा. मैं ये भी जानता हूँ की मेरी बाते तुम्हे महज बाते लगेगी क्योंकि इस उम्र में बगावत लाजमी है और पंचायत की रात के बाद कम से कम मैं तो जान गया हु की तुम दोनों मेरे लिए मुश्किल हालात खड़े करते ही रहोगे पर चौधरी फूल सिंह तुमसे कहता है की गाँव में ये कचरा नहीं फैलाने दूंगा .तुम्हारे देखा देखी गाँव में और भी बालक ये व्यभिचार करने का सोचेंगे और मैं ये कभी होने नहीं दूंगा. हाथ में हाथ लिए घूम रहे थे , तुम्हे तो चलो शर्म नहीं , पर कम से कम इस गाँव की , अपने माँ बाप की शर्म तो कर सकते हो न, आज एक बाप तुम्हे तुम्हारी बेहतरी की सलाह दे रहा है पर अगर ये बेशर्मी दोहराई गयी तो हम भूल जायेंगे की तुम हमारी औलादे हो और फिर तुम जानो और तुम्हारा नसीब.


पिताजी ने कहा और जीप लेकर अन्दर चले गये गली में रह गए हम दोनों. मैंने पिस्ता को देखा उसने मुझे देखा और ना जाने क्यों हम मुस्कुरा पड़े. बेशर्मी अपने चरम पर थी. हाथ मुह धो रहा था की पिताजी ने कहा की नाज़ मासी को बुला लाऊ . मैं उनके घर गया तो पाया की बुआ भी वही भी थी. उनको लेकर मैं घर आया तो पिताजी ने बैठक में आने को कहा.

“मुनीम की तबियत ठीक है जल्दी ही घर आ जायेगा .और हम जल्दी ही हमला करने वाले को तलाश कर लेंगे. पर चूँकि हम एक परिवार ही है तो परिवार की सुरक्षा के लिए हमने कुछ निर्णय लिए है .हमारे आदमी अब से पहरा देंगे दोनों घरो पर ” पिताजी ने कहा

मैं- पहरे वाली बात सही है पर पिताजी उस से आपके रुतबे को ठेस न पहुंचे , कही दुनिया ये न सोच ले की चौधरी साहब घबरा गए और फिर पहरेदार रहेंगे तो दुश्मन चोकन्ना हो जायेगा फिर उसे पकड़ने में दिक्कत भी हो सकती है

पिताजी ने घूर कर देखा मुझे और बोले- तो तुम क्यों नहीं लेते जिम्मेदारी .

मैं- मैं क्या करू इसमें

पिताजी- तुम चुप रहो बस . परिवार को सावधान रहना होगा. वैसे तो हम व्यवस्था कर देंगे पर फिर भी खेत-खलिहान में जाते समय सावधानी जरुरी है और तुम देव, जब तक मुनीम घर नहीं आ जाता रात को तुम नाज के घर सोओगे . उस घर की सुरक्षा तुम्हारे कंधो पर है उम्मीद है हमें निराशा नहीं होगी .

मैं - कोई दिक्कत नहीं है

पिताजी- कल तुम नाज के साथ सहर जाओगे, हॉस्पिटल .

मैंने हाँ में सर हिला दिया . कुछ देर और पिताजी हमें समझाते रहे .करने को कुछ ख़ास नहीं था तो मैं चौबारे में आ गया और बिस्तर पकड़ लिया .कुछ देर ही सोया होऊंगा की बुआ ने चाय का कप पकड़ाते हुए मुझे उठाया .काले सूट में कहर ढा रही थी बुआ . मादकता से भरपूर बुआ के हुस्न का जाम सामने हो तो चाय कौन ही पिएगा मैंने बुआ को अपनी बाँहों में भर लिया और बुआ के लाल होंठ चूसने लगा. पर बुआ ने मुझे खुद से अलग कर दिया और बोली- चाय पी ले.

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

“कहा न नहीं ” बुआ ने सख्ती से कहा और निचे चली गयी मैं बुआ के ब्यवहार को समझ नहीं पाता था कभी तो खुद ही मचल जाती थी कभी बिलकूल ही शरीफ बन जाती थी . खैर मैं जोगन की तरफ चल दिया. खंडित मंदिर में दिया जलाये बैठी थी वो मैं भी उसके पास बैठ गया .

“क्या देखती रहती है तू ” मैंने सवाल किया

वो- माँ, माँ को देखती हु मैं

मैं- माँ को तो सब देखते है और ये माँ हम सब को देखती है . थोड़ी फुर्सत निकाल कर कभी मुझे भी देख ले.

जोगन- तुझे ही तो देखती हूँ .

मैं- थोडा और देख ले फिर

वो- हट बदमाश , चल चाय पिलाती हु आजा

“कुछ परेशां सा दीखता है तू ” उसने पुछा

मैं- वही पुराणी बात, बाप के मुनीम पर हमला हुआ है . ना जाने कौन दुश्मन है बाप का जो उसे चैन नहीं लेने दे रहा और बाप हमें जीने नहीं दे रहा

वो- तेरा फर्ज बनता है इन हालातो में परिवार का साथ देने का

मैं- कहती तो तू सही है पर मेरा घर , घर कम चिड़ियाघर ज्यादा है . एक से एक नाटक होते रहते है वहां पर .


वो- फिर भी तुझे जिमीदारी लेनी चाहिए

मैं- तू कहती है तो मैं कोसिस करूँगा

थोडा समय और जोगन के साथ बिताने के बाद मैं वापिस मुड गया .कच्ची पगडण्डी से होते हुए मैं चले जा रहा था की ....................
 
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#17
मैं पीछे मुड कर देखा और अगले ही पल लट्ठ के वार से मेरी आँखों के आगे सितारे नाच गए .

“लालाजी को संदेसा भेजो , दुर्जन का कातिल खुद मरने आया है .” लट्ठ मारने वाले ने जोर से कहा

सर से बहती रक्तधारा को महसूस करते हुये मैंने देखा की अचानक से ही माहौल बदल गया था .लट्ठ के अगले प्रहार को रोकते हुए मैंने देखा की लोग इकठ्ठा होने शुरू हो गए है

“मरोगे साले तुम सब के सब ” मैंने कहा

“मौत के मुह में आकर भी अकड देखो साले की ” उनमे से किसी ने कहा

“सबसे पहले तुझे ही मारूंगा ” मैं उसकी तरफ लपका पर पहुच ही नहीं पाया,लाला के गढ़ में आने का निर्णय मेरे खिलाफ हो गया था . मैंने लट्ठ छीन लिया और भीड़ से भिड गया . पर कितनो से भिड़ता पुरे गाँव के आगे भला किसका जोर चला है आज भी क्या ही चलता . और फिर वो लम्हा भी आया जब मैं धरती पर गिरा हुआ अपनी सांसो को बस संभाल लेना चाहता था . रात बहुत भारी, काली हो गयी थी .फिर सब कुछ शांत हो गया , मुझे तो ऐसा ही लगा था की जब तक वो शक्श वहां नहीं आ गया जिसे दुनिया लाला के नाम से जानती थी .
६ फुट ऊंचाई, चेहरे पर सफ़ेद दाढ़ी ,काफी हट्टा कट्टा था वो . धीमे धीमे चलते हुए वो मेरे पास आया.

“देव, आँखे ही तरस गयी थी तुम्हारे दीदार की . बहुत इंतज़ार करवाया तुमने पर तुम्हारी इसी अदा के कायल है हम.वादा निभाना कोई तुमसे सीखे, क्या नहीं कर सकते थे हम. हमारे घर के दो चिरागों की लौ तुमने बुझा दी. दुर्जन की राख में अभी भी तपन बाकी है और तेजा , उसे देख कर बरसो से मर रहे है हम. चाहते तो तुम्हे उसी दिन मार सकते थे जब हमें मालूम हुआ था की तुम वापिस लौट आये पर क्या करे ये खोखले उसूल. अपनी बातो का पक्का होना भी साला गुनाह से कम नहीं है. ” सर्द लहजे में लाला ने अपनी बात कही

मैं- तो किसने रोका है लाला, मैं भी हूँ तुम भी हो यहाँ . ख़त्म कर ले ये किस्सा , किस्मत तुझे दूसरा मौका नहीं देगी और मैं भी नहीं.
“तेरे अन्दर जो ये अकड हैं न ये टूटती क्यों नहीं. सारा जमाना हमारे आगे झुकता है पर एक तू है की मानता ही नहीं . फ़िक्र न कर मैं तुझे मारूंगा, आज के आज ही मारूंगा पर उस से पहले मैं वो वजह जानना चाहता हूँ की क्यों तूने तेजा की जिन्दगी बदतर कर दी . तेरी वजह से मौत तक रूठ गयी उस से . पर ना जाने क्यों मुझे लगता है किस्मत मेहरवान है तुझ पर चल एक सौदा करते है तू उस वजह को ले आ हमारे सामने और हम वादा करते है तेरी मौत दर्दनाक नहीं होगी “ लाला ने अपनी छड़ी मेरे सीने पर रखते हुए कहा .

“चूतिये लाला. मौत का क्या है मौत तो आनी जानी है तकलीफ तो साली जिन्दगी देती है . मैं तो अपनी तकलीफ के चलते यहाँ आया था पर तू साले मुझसे भी दुखी है .तू मुझसे क्या सौदा करेगा मेरी तो यादे तक बेवफाई कर गयी पर इतना जरुर है की तेजा ने कुछ तो बुरा किया ही होगा जो उसे ये सजा मिली .” लाला की छड़ी का सहारा लेकर मैं खड़ा हुआ.


“यादो का किस्सा फिर कभी देखूंगा लाला, पहले इस किस्से को ख़त्म करते है . तेरे में जोर है तो मार दे वर्ना मरने को तैयार रह. ” मैंने लाला की छाती में लात मारने का प्रयास किया पर लाला के आदमियों के रहते सफल नहीं हो सका.

“कब तक मार खायेगा , क्यों तडपता है देव, बता क्यों नहीं देता उस दिन क्या हुआ था कब तक यादो का नाटक करेगा ” लाला ने फिर पुछा
“तेरी और तेरे बेटे की किस्मत मेहरवान है लाला. अगर वो वजह मुझे याद होती तो अब तक तुम्हारी लाशे पड़ी होती ”हिकारत से मैंने लाला के चेहरे पर थूक दिया .

“तेरी ये जुर्रत ” लाला के आदमी ने फिर से मेरे सर पर लट्ठ मारा

तलवार लाओ हमारी ”लाला ने कहा

पर इस से पहले की लाला तलवार का वार कर पाता गोली चलने की आवाज आई और तलवार लाला के हाथ से गिर गयी

“रुक जाओ लाला , ” सबने उस तरफ देखा जहाँ से गोली चलने की आवाज आई थी और तुरंत ही लाला ने अपने हाथ जोड़ लिए
“मंत्री जी आप ” लाला ने कहा

“हाँ, हम ये तुम्हारा नहीं हमारा शिकार है . जिसे शहर के चप्पे चप्पे में तलाश किया वो यहाँ छुप कर बैठा है . तूने क्या सोचा था लड़के तू हमारे बेटे को दुःख देकर कर चैन से रह पायेगा. ” मंत्री ने कहा


“न मैंने उस दिन शुरुआत की थी मंत्री न आज करूँगा. गलती रोकी की थी उसकी हालत का जिम्मेदार मैं नहीं तेरी कमजोर परवरिश और उसका गुरुर थी . ” मैंने कहा

“चुप कर गुस्ताख ” मंत्री ने थप्पड़ मारा मुझे

“हुजुर, आप अपने हाथ मत रंगिये इसके गंदे खून से ये काम मुझे करने दीजिये बरसो आप की सेवा की है इतना हक़ दीजिये मुझे ” लाला ने तलवार फिर से उठाई औ रमेरी पीठ पर वार किया .


पर मैं चीखा नहीं , मैंने अपने हाथो से तलवार को पकड लिया .

“पीठ पर वार किया है छाती पर खाओगे ” मैंने लाला के हाथ से तलवार छीन ना चाही पर लाला भी कम ताकतवर नहीं था . कभी वो भारी तो कभी मैं . और एक ऐसा पल आया जब मैंने लाला को धर ही देता की तभी उमंत्री ने पास पड़े पत्थर को मुझ पर दे मारा. खांसते हुए मैं जमीन पर गिर गया .उठने की हिम्मत ही नहीं रही .

“बस बहुत हुआ ” मंत्री ने बन्दूक मुझ पर तान दी

“नहीं पिताजी नहीं ” मंत्री का ध्यान जरा सा भटका और गोली मेरे कंधे को छू कर निकल गयी . दर्द से बिलबिला उठा मैं .

“बहु, तुम यहाँ क्या कर रही हो . क्यों आई तुम यहाँ ” मंत्री ने हैरानी से पिस्ता को देखा जो वहां पहुच गयी थी .”

“अपने आप को ये गलती करने से रोक लीजिये पिताजी वर्ना अनर्थ हो जायेगा ” पिस्ता ने कहा

“हमारे रोकी का गुनेहगार है ये बहु और तुम इसकी तरफदारी कर रही हो और तुम कैसे जानती हो इसे ” मंत्री ने असमंजस से पुछा

“आपकी औलाद ना लायक है पिताजी , रोकी ने खुद वो झगडा किया था आप चाहे तो श्वेता से पूछ लीजिये ” पिस्ता ने कहा

“जो भी हो इसे इसके किये की सजा नहीं दी तो इलाके में हमारा क्या ही रुतबा रह जायेगा दुनिया कहेगी मंत्री अपने बेटे को न्याय नहीं दिलवा पाया जनता का क्या भला करेगा ” मंत्री ने फिर से बन्दूक मुझ पर तानी

“जुबान पर लगाम रखो बहु ,कही हम भूल नहीं जाए की तुम कौन हो क्यों कर रही है इसकी इतनी तरफ दारी क्या लगता है ये तेरा क्या नाता है इसका तुझसे ”मंत्री ने कहा.


“कोई क्या ही जानेगा क्या लगता है ये मेरा. कोई क्या ही समझेगा क्या नाता है मेरा इस से , पर आज ये जमाना इतना जरुर जान ले की अगर किसी ने भी, किसी ने भी अगर देव का अहित करने की सोची तो मैं बता दू मौत कैसी होती है वो मेरी सूरत में देख ले. लिहाज की बात हुई है तो मैं कहती हूँ पिताजी आप चले जाइये यहाँ से .मेरे होते हुए देव को हाथ लगाना तो दूर किसी ने नजरे भी दिखाई तो वो आँखे दुबारा देखने लायक नहीं रहेगी. देव और मौत के दरमियान मैं खड़ी हूँ . कोई माई का लाल चाहे तो कोशिश कर ले फिर ये इल्जाम हमें ना देना की इस रात किसने क्या किया क्योंकि सुबह तो फिर कोई देखे न देखे .”

“”बहुत जुबान चलती है छोरी “ लाला का एक आदमी पिस्ता की तरफ लपका और अगले ही पल पिस्ता की बन्दूक ने उसका सर खोल दिया . इधर मैं अपनी डूबती सांसो को संभालना चाहता था उधर पिस्ता का क्रोध काल बना हुआ था .पर अचानक ही शोर थम गया .


“हो गया जोश ठंडा, गोली ख़त्म हो गयी क्या करेगी अब तू ” लाला ने आगे बढ़ कर पिस्ता को थप्पड़ मारा .

“गोलिया ही तो ख़त्म हुई मैं नहीं ” पिस्ता ने लाला का प्रतिकार करना चाहा पर लाला ने उसे निचे गिरा दिया .

“इस बहन के लंड के दम पर तू उछल रही थी न अब देख इसकी आँखों के सामने मैं तेरा क्या हाल करूँगा. और मंत्री जी आप भी नहीं रोकेंगे मुझे, जो आपकी न हुई उस से क्या ही वास्ता रखना .” लाला ने झुक कर गिरी हुई पिस्ता की साडी का पल्लू अपने हाथ में लेकर उसे खींचना चाहा.

“देव, उठ देव ” पिस्ता जोर से चीखी

“कोई नहीं सुनेगा तेरी अब क्या कहा था तूने मौत और देव के बीच में तू खड़ी है , देख हरामजादी देख मौत से भी बदतर क्या होता है तू देख ” लाला ने पिस्ता की पसलियों में लात मारी


“देव उठो देव उठो अनर्थ हो रहा है देव उठो बचाओ देव बचाओ ” कानो में पिघले शीशे की तरफ वो टूटी आवाज मेरे दिल तक उतर गयी और झट से मेरी आँखे खुल गयी . दिल में दर्द आँखों में आंसू लिए उठा

“ये हाथ जिनसे तूने पिस्ता को छुआ है लाला ये हाथ तेरे कंधो पर नहीं रहेंगे ” मैं लाला की तरफ बढ़ा


“कोई बीच में नहीं आएगा ” दहाडा लाला

मैं- आज चाहे पूरा गाँव , ये सहर ये दुनिया भी अगर बीच में आई तो जलेगी. तू जानना चाहता था न की तेरा बेटा कोमा में क्यों है . तुझे मारने से पहले बताऊंगा मैं यही बताऊंगा अभी बताऊंगा. मुझे याद आ गया है लाला ...... मेरा अतीत याद आ गया है मुझे..................................
बहुत ही जबरदस्त लाजवाब और अद्भुत अद्वितीय अपडेट है भाई मजा आ गया
अब तो देव को उसका पूर्ण अतीत याद आ गया है और सामने लाला और मंत्री हैं ये सब देव का खुंखार रुप देखेगे अब इनका बॅंड बजना तय हो गया हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अपडेट तो बढ़िया है, पर लगता है जल्दबाजी हो रही है कुछ...

या शायद कहानी अतीत में जाने वाली है।

शानदार :applause:
 

Himanshu630

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मैं पीछे मुड कर देखा और अगले ही पल लट्ठ के वार से मेरी आँखों के आगे सितारे नाच गए .

“लालाजी को संदेसा भेजो , दुर्जन का कातिल खुद मरने आया है .” लट्ठ मारने वाले ने जोर से कहा

सर से बहती रक्तधारा को महसूस करते हुये मैंने देखा की अचानक से ही माहौल बदल गया था .लट्ठ के अगले प्रहार को रोकते हुए मैंने देखा की लोग इकठ्ठा होने शुरू हो गए है

“मरोगे साले तुम सब के सब ” मैंने कहा

“मौत के मुह में आकर भी अकड देखो साले की ” उनमे से किसी ने कहा

“सबसे पहले तुझे ही मारूंगा ” मैं उसकी तरफ लपका पर पहुच ही नहीं पाया,लाला के गढ़ में आने का निर्णय मेरे खिलाफ हो गया था . मैंने लट्ठ छीन लिया और भीड़ से भिड गया . पर कितनो से भिड़ता पुरे गाँव के आगे भला किसका जोर चला है आज भी क्या ही चलता . और फिर वो लम्हा भी आया जब मैं धरती पर गिरा हुआ अपनी सांसो को बस संभाल लेना चाहता था . रात बहुत भारी, काली हो गयी थी .फिर सब कुछ शांत हो गया , मुझे तो ऐसा ही लगा था की जब तक वो शक्श वहां नहीं आ गया जिसे दुनिया लाला के नाम से जानती थी .
६ फुट ऊंचाई, चेहरे पर सफ़ेद दाढ़ी ,काफी हट्टा कट्टा था वो . धीमे धीमे चलते हुए वो मेरे पास आया.

“देव, आँखे ही तरस गयी थी तुम्हारे दीदार की . बहुत इंतज़ार करवाया तुमने पर तुम्हारी इसी अदा के कायल है हम.वादा निभाना कोई तुमसे सीखे, क्या नहीं कर सकते थे हम. हमारे घर के दो चिरागों की लौ तुमने बुझा दी. दुर्जन की राख में अभी भी तपन बाकी है और तेजा , उसे देख कर बरसो से मर रहे है हम. चाहते तो तुम्हे उसी दिन मार सकते थे जब हमें मालूम हुआ था की तुम वापिस लौट आये पर क्या करे ये खोखले उसूल. अपनी बातो का पक्का होना भी साला गुनाह से कम नहीं है. ” सर्द लहजे में लाला ने अपनी बात कही

मैं- तो किसने रोका है लाला, मैं भी हूँ तुम भी हो यहाँ . ख़त्म कर ले ये किस्सा , किस्मत तुझे दूसरा मौका नहीं देगी और मैं भी नहीं.
“तेरे अन्दर जो ये अकड हैं न ये टूटती क्यों नहीं. सारा जमाना हमारे आगे झुकता है पर एक तू है की मानता ही नहीं . फ़िक्र न कर मैं तुझे मारूंगा, आज के आज ही मारूंगा पर उस से पहले मैं वो वजह जानना चाहता हूँ की क्यों तूने तेजा की जिन्दगी बदतर कर दी . तेरी वजह से मौत तक रूठ गयी उस से . पर ना जाने क्यों मुझे लगता है किस्मत मेहरवान है तुझ पर चल एक सौदा करते है तू उस वजह को ले आ हमारे सामने और हम वादा करते है तेरी मौत दर्दनाक नहीं होगी “ लाला ने अपनी छड़ी मेरे सीने पर रखते हुए कहा .

“चूतिये लाला. मौत का क्या है मौत तो आनी जानी है तकलीफ तो साली जिन्दगी देती है . मैं तो अपनी तकलीफ के चलते यहाँ आया था पर तू साले मुझसे भी दुखी है .तू मुझसे क्या सौदा करेगा मेरी तो यादे तक बेवफाई कर गयी पर इतना जरुर है की तेजा ने कुछ तो बुरा किया ही होगा जो उसे ये सजा मिली .” लाला की छड़ी का सहारा लेकर मैं खड़ा हुआ.


“यादो का किस्सा फिर कभी देखूंगा लाला, पहले इस किस्से को ख़त्म करते है . तेरे में जोर है तो मार दे वर्ना मरने को तैयार रह. ” मैंने लाला की छाती में लात मारने का प्रयास किया पर लाला के आदमियों के रहते सफल नहीं हो सका.

“कब तक मार खायेगा , क्यों तडपता है देव, बता क्यों नहीं देता उस दिन क्या हुआ था कब तक यादो का नाटक करेगा ” लाला ने फिर पुछा
“तेरी और तेरे बेटे की किस्मत मेहरवान है लाला. अगर वो वजह मुझे याद होती तो अब तक तुम्हारी लाशे पड़ी होती ”हिकारत से मैंने लाला के चेहरे पर थूक दिया .

“तेरी ये जुर्रत ” लाला के आदमी ने फिर से मेरे सर पर लट्ठ मारा

तलवार लाओ हमारी ”लाला ने कहा

पर इस से पहले की लाला तलवार का वार कर पाता गोली चलने की आवाज आई और तलवार लाला के हाथ से गिर गयी

“रुक जाओ लाला , ” सबने उस तरफ देखा जहाँ से गोली चलने की आवाज आई थी और तुरंत ही लाला ने अपने हाथ जोड़ लिए
“मंत्री जी आप ” लाला ने कहा

“हाँ, हम ये तुम्हारा नहीं हमारा शिकार है . जिसे शहर के चप्पे चप्पे में तलाश किया वो यहाँ छुप कर बैठा है . तूने क्या सोचा था लड़के तू हमारे बेटे को दुःख देकर कर चैन से रह पायेगा. ” मंत्री ने कहा


“न मैंने उस दिन शुरुआत की थी मंत्री न आज करूँगा. गलती रोकी की थी उसकी हालत का जिम्मेदार मैं नहीं तेरी कमजोर परवरिश और उसका गुरुर थी . ” मैंने कहा

“चुप कर गुस्ताख ” मंत्री ने थप्पड़ मारा मुझे

“हुजुर, आप अपने हाथ मत रंगिये इसके गंदे खून से ये काम मुझे करने दीजिये बरसो आप की सेवा की है इतना हक़ दीजिये मुझे ” लाला ने तलवार फिर से उठाई औ रमेरी पीठ पर वार किया .


पर मैं चीखा नहीं , मैंने अपने हाथो से तलवार को पकड लिया .

“पीठ पर वार किया है छाती पर खाओगे ” मैंने लाला के हाथ से तलवार छीन ना चाही पर लाला भी कम ताकतवर नहीं था . कभी वो भारी तो कभी मैं . और एक ऐसा पल आया जब मैंने लाला को धर ही देता की तभी उमंत्री ने पास पड़े पत्थर को मुझ पर दे मारा. खांसते हुए मैं जमीन पर गिर गया .उठने की हिम्मत ही नहीं रही .

“बस बहुत हुआ ” मंत्री ने बन्दूक मुझ पर तान दी

“नहीं पिताजी नहीं ” मंत्री का ध्यान जरा सा भटका और गोली मेरे कंधे को छू कर निकल गयी . दर्द से बिलबिला उठा मैं .

“बहु, तुम यहाँ क्या कर रही हो . क्यों आई तुम यहाँ ” मंत्री ने हैरानी से पिस्ता को देखा जो वहां पहुच गयी थी .”

“अपने आप को ये गलती करने से रोक लीजिये पिताजी वर्ना अनर्थ हो जायेगा ” पिस्ता ने कहा

“हमारे रोकी का गुनेहगार है ये बहु और तुम इसकी तरफदारी कर रही हो और तुम कैसे जानती हो इसे ” मंत्री ने असमंजस से पुछा

“आपकी औलाद ना लायक है पिताजी , रोकी ने खुद वो झगडा किया था आप चाहे तो श्वेता से पूछ लीजिये ” पिस्ता ने कहा

“जो भी हो इसे इसके किये की सजा नहीं दी तो इलाके में हमारा क्या ही रुतबा रह जायेगा दुनिया कहेगी मंत्री अपने बेटे को न्याय नहीं दिलवा पाया जनता का क्या भला करेगा ” मंत्री ने फिर से बन्दूक मुझ पर तानी

“जुबान पर लगाम रखो बहु ,कही हम भूल नहीं जाए की तुम कौन हो क्यों कर रही है इसकी इतनी तरफ दारी क्या लगता है ये तेरा क्या नाता है इसका तुझसे ”मंत्री ने कहा.


“कोई क्या ही जानेगा क्या लगता है ये मेरा. कोई क्या ही समझेगा क्या नाता है मेरा इस से , पर आज ये जमाना इतना जरुर जान ले की अगर किसी ने भी, किसी ने भी अगर देव का अहित करने की सोची तो मैं बता दू मौत कैसी होती है वो मेरी सूरत में देख ले. लिहाज की बात हुई है तो मैं कहती हूँ पिताजी आप चले जाइये यहाँ से .मेरे होते हुए देव को हाथ लगाना तो दूर किसी ने नजरे भी दिखाई तो वो आँखे दुबारा देखने लायक नहीं रहेगी. देव और मौत के दरमियान मैं खड़ी हूँ . कोई माई का लाल चाहे तो कोशिश कर ले फिर ये इल्जाम हमें ना देना की इस रात किसने क्या किया क्योंकि सुबह तो फिर कोई देखे न देखे .”

“”बहुत जुबान चलती है छोरी “ लाला का एक आदमी पिस्ता की तरफ लपका और अगले ही पल पिस्ता की बन्दूक ने उसका सर खोल दिया . इधर मैं अपनी डूबती सांसो को संभालना चाहता था उधर पिस्ता का क्रोध काल बना हुआ था .पर अचानक ही शोर थम गया .


“हो गया जोश ठंडा, गोली ख़त्म हो गयी क्या करेगी अब तू ” लाला ने आगे बढ़ कर पिस्ता को थप्पड़ मारा .

“गोलिया ही तो ख़त्म हुई मैं नहीं ” पिस्ता ने लाला का प्रतिकार करना चाहा पर लाला ने उसे निचे गिरा दिया .

“इस बहन के लंड के दम पर तू उछल रही थी न अब देख इसकी आँखों के सामने मैं तेरा क्या हाल करूँगा. और मंत्री जी आप भी नहीं रोकेंगे मुझे, जो आपकी न हुई उस से क्या ही वास्ता रखना .” लाला ने झुक कर गिरी हुई पिस्ता की साडी का पल्लू अपने हाथ में लेकर उसे खींचना चाहा.

“देव, उठ देव ” पिस्ता जोर से चीखी

“कोई नहीं सुनेगा तेरी अब क्या कहा था तूने मौत और देव के बीच में तू खड़ी है , देख हरामजादी देख मौत से भी बदतर क्या होता है तू देख ” लाला ने पिस्ता की पसलियों में लात मारी


“देव उठो देव उठो अनर्थ हो रहा है देव उठो बचाओ देव बचाओ ” कानो में पिघले शीशे की तरफ वो टूटी आवाज मेरे दिल तक उतर गयी और झट से मेरी आँखे खुल गयी . दिल में दर्द आँखों में आंसू लिए उठा

“ये हाथ जिनसे तूने पिस्ता को छुआ है लाला ये हाथ तेरे कंधो पर नहीं रहेंगे ” मैं लाला की तरफ बढ़ा


“कोई बीच में नहीं आएगा ” दहाडा लाला

मैं- आज चाहे पूरा गाँव , ये सहर ये दुनिया भी अगर बीच में आई तो जलेगी. तू जानना चाहता था न की तेरा बेटा कोमा में क्यों है . तुझे मारने से पहले बताऊंगा मैं यही बताऊंगा अभी बताऊंगा. मुझे याद आ गया है लाला ...... मेरा अतीत याद आ गया है मुझे..................................
उम्दा अपडेट भाई

पर भाई हमें तो लगा था देव की याद जोगन को देखकर वापस आएगी

खैर देखते हैं देव भाई ने क्या क्या गुल खिलाए है अतीत में
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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86,164
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Bohot khoob :applause::applause::applause:To dev ki yadast wapis aagayi 👍 udhar lala ne mantri ke samne pista ki ijjat par hath dala per wo sala kuch na bola? dev jakhmi hai,fir bhi pratikaar karega👍 mind blowingwriting👌🏻👌🏻 foji bhaiya.
Superbupdateagain 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
Dekhna hai ki dev akhir pista ko bacha pata hai ya nahi we will wait for next update.
मुझे लगा कहानी को पास्ट मे ले जाने का यही सही समय है क्योंकि सब कुछ पास्ट मे ही है
 
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