जैसे तैसे रात बीती और सुबह उठते ही करीब ८ बजे हम सब वैसे ही गाड़ी में बैठ कर चल दिए घर के लिए। अभी हम थोड़ी दूर ही पहुंचे थे की आगे गांव में पुलिस का नाका लगा था उन्होंने हमें रोका हमने उनको अपनी मजबूरी बताई लेकिन उन्होंने कहा की हम भी मजबूर है लेकिन आपकी इतनी मदद कर सकते है की आप इस गांव तक आकर अपनी रोजमर्रा की जरूरत का समान ले जाया करो और अगर की तकलीफ हो तो अपना नंबर भी दिया उसने। हम सब परेशान होकर वापस आ गए, पापा को फोन पर सब बात बता दी तो उन्होंने कहा की ठीक है रुक जाओ तुम लोग वहा खाने पीने का सब समान तो है ही तुम लोगो के पास और हो न हो वो गांव से खरीद लाना।
अब जब हम घर पहुंचे तो हम लोग क्योंकि सो कर उठकर सीधे निकल गए थे सो वापस आकर सब लोग फ्रेश होने लगे मां चाची और मामी तीनो डिब्बा लेकर संडास करने करने चली गई पीछे खेत में और उनके आने के बाद मैं भी गया। मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था इतने सालो के बाद खुले में हगने में खैर जब मैं वापस आया तो खाना तैयार था। तीनों औरतें बाहर आंगन में बैठ कर बात कर रही थी कुछ मैने पूछा क्या हुआ तो मामी ने बोला की बेटा एक परेशानी है हम लोग अपने कपड़े वगैरह तो लाए ही नही है तो कैसे नहाएंगे और रहेंगे इतने दिन तो मैने बोला इसमें कौन सी बड़ी बात है नहा कर आप लोग यही कपड़े पहन लिया करना लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया की कितने दिन ऐसा करेंगी ये लोग और नहाएंगी कैसे। वही बात चाची बोली की कैसे और कितने दिन मैने बोला की पहले कुछ खा लेते है फिर सोचेंगे इस बारे में और हम लोग खाने लगे। खाना खाने के बाद मां बोली की रवि एक काम कर तू बाहर चला जा थोड़ी देर के लिए तब तक हम लोग नहा लेते है कपड़े उतार कर फिर यही पहन लेंगे। ये सुन कर मैं सोचने लगा की इतनी गदरायी हुई तीन औरतें एकदम नंगी नहाएँगी कितना मजा आएगा इन्हे देखने में मैं अभी अपने ख्यालों में तीनो को नंगा सोच रहा था की मां ने फिर बोला जा रवि बाहर कल सफाई के बाद से हम तीनो इतने गंदे है की नहाना जरूरी भी है। अपना मन मार कर मैं बाहर निकला घर से और फिर मां ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। मैं जाकर झील के पास बैठ गया करीब एक घंटे के बाद मामी ने आवाज देकर मुझे बुलाया तो मैं वापस आया। मैने देखा तीनो नहा चुकी है और कुएं के साथ वाले तार पर तीन पेटीकोट सूखने के लिए फैले हुए है। मैं सोच में पड़ गया की ये तीनों तो बोल रही थी की कपड़ा लाए नही है इसका मतलब तीनो में से किसी ने भी साड़ी के नीचे पेटीकोट नही पहना है ये सोचकर ही मेरा लन्ड लोअर के अंदर झटके मारने लगा।
अब जब हम घर पहुंचे तो हम लोग क्योंकि सो कर उठकर सीधे निकल गए थे सो वापस आकर सब लोग फ्रेश होने लगे मां चाची और मामी तीनो डिब्बा लेकर संडास करने करने चली गई पीछे खेत में और उनके आने के बाद मैं भी गया। मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था इतने सालो के बाद खुले में हगने में खैर जब मैं वापस आया तो खाना तैयार था। तीनों औरतें बाहर आंगन में बैठ कर बात कर रही थी कुछ मैने पूछा क्या हुआ तो मामी ने बोला की बेटा एक परेशानी है हम लोग अपने कपड़े वगैरह तो लाए ही नही है तो कैसे नहाएंगे और रहेंगे इतने दिन तो मैने बोला इसमें कौन सी बड़ी बात है नहा कर आप लोग यही कपड़े पहन लिया करना लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया की कितने दिन ऐसा करेंगी ये लोग और नहाएंगी कैसे। वही बात चाची बोली की कैसे और कितने दिन मैने बोला की पहले कुछ खा लेते है फिर सोचेंगे इस बारे में और हम लोग खाने लगे। खाना खाने के बाद मां बोली की रवि एक काम कर तू बाहर चला जा थोड़ी देर के लिए तब तक हम लोग नहा लेते है कपड़े उतार कर फिर यही पहन लेंगे। ये सुन कर मैं सोचने लगा की इतनी गदरायी हुई तीन औरतें एकदम नंगी नहाएँगी कितना मजा आएगा इन्हे देखने में मैं अभी अपने ख्यालों में तीनो को नंगा सोच रहा था की मां ने फिर बोला जा रवि बाहर कल सफाई के बाद से हम तीनो इतने गंदे है की नहाना जरूरी भी है। अपना मन मार कर मैं बाहर निकला घर से और फिर मां ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। मैं जाकर झील के पास बैठ गया करीब एक घंटे के बाद मामी ने आवाज देकर मुझे बुलाया तो मैं वापस आया। मैने देखा तीनो नहा चुकी है और कुएं के साथ वाले तार पर तीन पेटीकोट सूखने के लिए फैले हुए है। मैं सोच में पड़ गया की ये तीनों तो बोल रही थी की कपड़ा लाए नही है इसका मतलब तीनो में से किसी ने भी साड़ी के नीचे पेटीकोट नही पहना है ये सोचकर ही मेरा लन्ड लोअर के अंदर झटके मारने लगा।