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Adultery जय हो लॉकडाउन!!

Pardhan

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मेरा नाम सीमा है उम्र २३ शादीशुदा हूं मैं। यूं तो ये कहानी मेरी नही है, मेरे मायके से संबंध है इस कहानी का लेकिन अब इसमें मैं भी शामिल हूं। खैर आते है मेरे मायके की तरफ, हमारा संयुक्त परिवार है जिसमे मेरे पापा राजेश जिनकी उम्र ४१ है मां पुष्पा जिनकी उम्र ३७ है

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भाई रवि जिसकी उम्र २१ है

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चाचा कमल ३८ चाची कामिनी ३३

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इस कहानी में एक और पात्र है मेरी मामी उर्मिला जिनकी उम्र ३२ है


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Great
 

Pardhan

Ak 47
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हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर बस्ती के रहने वाले है, हमारा शहर एक आम छोटे शहर की तरह था न बहुत उन्नत न बहुत पिछड़ा। और हां एक और बात ये जो ऊपर उम्र लिखी है न वो इसलिए है क्योंकि गांव वगैरह में काफी कम उम्र में ही शादी हो जाती थी। जब मेरी मां की शादी हुई वो 18 साल की थी और पापा 20 के, मां 19 की थी जब मैं पैदा हुई। पापा और चाचा मिल कर एक कपड़ो की दुकान चलाते थे जो काफी अच्छी चलती थी। हमारी खेती भी थी जो सब लोग मिल कर देख लेते थे। खेती में इसलिए और भी आसानी होती थी क्योंकि मां और चाची दोनो का संबंध गांव से था सो वो लोग काफी हद तक खेती के विषय में सब कुछ जानती थी।
मेरी शादी को कुछ ४ साल हो चुके है खैर ये कहानी या यूं कहे की ये घटना मेरे भाई के साथ हुई थी सो आगे की कहानी रवि की जबानी जो की उसने मुझे बताई थी और फिर मैं भी हो गई उसमें शामिल।
Great story
 
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Verma sahab

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a_girl

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उधर उन तीनो के कमरे में-
सबसे पहले मामी जागी उठने के बाद
मामी - हे राम, ये बिना पेटीकोट के साड़ी पहनने से यही होता है अब बताओ लगभग नंगी ही पड़ी है हम तीनो अगर कोई आ जाता तो? ये सोचते ही मामी जल्दी से उठी और और अपनी साड़ी सही करके तुरंत कमरे से बाहर निकल कर मेरे कमरे की तरफ आई ये देखने की मैं सो रहा हु या कही मैने देख न लिया हो। जब वो मेरे कमरे के बाहर आई और खिड़की से झांका तो मैं सो रहा था फिर वो निश्चिंत होकर वापस लौट गई। कमरे में आने के बाद
मामी - इन दोनो को देखो कैसे पड़ी है नंग -धड़ंग वैसे कामिनी की गांड़ मुझसे बड़ी ही है थोड़ी कही ये गांड़ में भी तो नहीं लेती जीजा का ही ही ही... दीदी को देखो क्या मस्त लगती है नंगी, दो बच्चो की मां है लेकिन नीचे देखकर लगता नही है आज भी इनकी उतनी ही चौड़ी है जितनी मेरी और कामिनी की, हो न हो ये सब मालिश का कमाल है।
ये सब सोचते सोचते मामी, चाची और मां को उठने लगती है।
उठने के बाद मां अपने ऊपर नजर डालती है और बोलती है- हाय दैय्या, मैं नंगी हो गई पूरी क्या री दुष्ट उर्मी ऐसे क्या देख रही है।
मामी - कुछ नही दीदी, मैं यही सोच रही थी की दो बच्चे निकाल दिए आपने फिर भी शरीर ढीला नही पड़ा आपका, क्या राज़ है इसका ?
मां अपनी साड़ी सही करते हुए - अरे पगली एक तो खेत खलिहान का काम ऊपर से वो जो शकीला है ना मालिश वाली गजब कमाल है उसके हाथो में पूरे शरीर की मालिश करके एकदम ठीक कर देती है। अरे इस कम्मो को भी उठा देख कैसे पड़ी है नंगी गांड़ खोलकर।
चाची - अरे उठ गई भाभी, और मैं नंगी हु तो इसमें मेरा क्या कसूर, एक तो कपड़े है नही ऊपर से पेटीकोट पहना नही हैं और गर्मी से ब्लाउज अलग उतार दी सो नंगी तो हो ही जाऊंगी न ।।
मां को अचानक कुछ याद आया उन्होंने तुरंत मामी से बोला - अरे उर्मी जरा जा कर देख रवि उठा तो नही, कही ऐसे न देखा लिया हो हमको नहीं तो क्या मुंह लेकर जाएंगे उसके सामने?
मामी - परेशान न हो भाभी मैं पहले ही देख आई उसे सो रहा है वो अभी तक और एक बात बताओ अगर देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ता है कौन सा वो कोई पराया है, आज नही तो कल उसकी शादी हो ही जानी है और शहर में रहता है देख तो उसने वही लिया होगा सब कुछ ही ही ही ही...
चाची - हां भाभी , ज्यादा परेशान न हो आप रवि की उमर तक आते आते आपके दोनो बच्चे पैदा हो चुके थे। उसने अगर हमें बिना कपड़ो के देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ता है हम भी देख लेंगे किसी दिन उसे बिना कपड़ो के, हिसाब बराबर।।।
मां - बड़ी दुष्ट हो तुम दोनो, अपने ही बच्चे के ऊपर गलत नजर रखती हो। तुम दोनो से न एकदिन नंगा नाच करवाऊंगी तब समझ में आएगा।
चाची और मामी एक साथ बोल पड़ी - अरे आप बोलो तो अभी नंगे होकर नाच दें आपके लिए उसमें क्या है वैसे भी गर्मी में कपड़े काटते ही है।
मां - दुष्ट हो तुम दोनो, अच्छा छोड़ो ये सब जल्दी से मैदान चलो नही मैं यही हग दूंगी बड़ी जोर से लगी है। ये बोलकर तीनो निकल गई कमरे से और एक एक डब्बा लेकर चल पड़ी खेत में।
मेरी आंख खुली जब मुझे उन तीनो की आवाज आई हसने और बड़बड़ाने की मैं आंख मलते हुए बाहर निकला कमरे से और देखा तीनो मैदान से आकर बाहर कुएं के पास अपने हाथ पैर धूल रही थी। मुझे देख मां ने बोला - उठ गए बेटा, जाओ जल्दी से मैदान हो आओ तब तक हम लोग नाश्ता वगैरह बना लेते है। मैने कहा ठीक है मां अब बात ऐसी थी की थी तो वो तीनो कपड़े में मगर मुझे दिख रही थी नंगी, खैर मैं निकल गया टट्टी करने। मेरा दिमाग खराब हो गया था मुझे चूत चूची और गांड़ के अलावा न कुछ सूझ रहा था न कुछ दिख रहा था। जब मैं टट्टी करके वापस आया तो देखा नाश्ता लगभग बन गया था और हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे ।
नाश्ता करने के बाद मां बोली अब जरा हम लोग नहा ले, मैं सोच रहा था की अब मुझे फिर बाहर जाना पड़ेगा लेकिन गजब हो गया किसी ने बोला ही नही बाहर जाने के लिए मैं इंतजार कर रहा था की कोई तो बोलेगा बाहर जाने के लिए लेकिन इसके बजाय तीनो औरतें उठी और बर्तन वगैरह समेट कर अपना अपना पेटीकोट लेकर कमरे में चली गई और जब बाहर आई तो हे भगवान क्या गजब दिख रही थी , तीनो ने अपने शरीर पर सिर्फ पेटीकोट डाला हुआ था जिसे उन्होंने अपनी चुचियों के ऊपर बंधा हुआ था। मां ने नारंगी पेटीकोट चाची ने पीला और मामी ने हल्का आसमानी पेटीकोट पहना हुआ था।
वो तीनो वैसे ही कुएं के पास जाकर पहले पानी निकालने लगी फिर बर्तन और अपने कपड़े धुलने लगी और फिर उसके बाद नहाने लगी

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क्या बताऊं कैसी लग रही थी तीनो पेटीकोट एकदम चिपक गया था उनके शरीर से तीनो का शरीर पूरा पूरा दिख रहा था एकदम मस्त नंगी गदरायी हुई तीन तीन माल मेरा लन्ड झटके पे झटका मार रहा था। हर दिन नए नए तरह का नंगापन दिख रहा था।।
 

Ek number

Well-Known Member
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उधर उन तीनो के कमरे में-
सबसे पहले मामी जागी उठने के बाद
मामी - हे राम, ये बिना पेटीकोट के साड़ी पहनने से यही होता है अब बताओ लगभग नंगी ही पड़ी है हम तीनो अगर कोई आ जाता तो? ये सोचते ही मामी जल्दी से उठी और और अपनी साड़ी सही करके तुरंत कमरे से बाहर निकल कर मेरे कमरे की तरफ आई ये देखने की मैं सो रहा हु या कही मैने देख न लिया हो। जब वो मेरे कमरे के बाहर आई और खिड़की से झांका तो मैं सो रहा था फिर वो निश्चिंत होकर वापस लौट गई। कमरे में आने के बाद
मामी - इन दोनो को देखो कैसे पड़ी है नंग -धड़ंग वैसे कामिनी की गांड़ मुझसे बड़ी ही है थोड़ी कही ये गांड़ में भी तो नहीं लेती जीजा का ही ही ही... दीदी को देखो क्या मस्त लगती है नंगी, दो बच्चो की मां है लेकिन नीचे देखकर लगता नही है आज भी इनकी उतनी ही चौड़ी है जितनी मेरी और कामिनी की, हो न हो ये सब मालिश का कमाल है।
ये सब सोचते सोचते मामी, चाची और मां को उठने लगती है।
उठने के बाद मां अपने ऊपर नजर डालती है और बोलती है- हाय दैय्या, मैं नंगी हो गई पूरी क्या री दुष्ट उर्मी ऐसे क्या देख रही है।
मामी - कुछ नही दीदी, मैं यही सोच रही थी की दो बच्चे निकाल दिए आपने फिर भी शरीर ढीला नही पड़ा आपका, क्या राज़ है इसका ?
मां अपनी साड़ी सही करते हुए - अरे पगली एक तो खेत खलिहान का काम ऊपर से वो जो शकीला है ना मालिश वाली गजब कमाल है उसके हाथो में पूरे शरीर की मालिश करके एकदम ठीक कर देती है। अरे इस कम्मो को भी उठा देख कैसे पड़ी है नंगी गांड़ खोलकर।
चाची - अरे उठ गई भाभी, और मैं नंगी हु तो इसमें मेरा क्या कसूर, एक तो कपड़े है नही ऊपर से पेटीकोट पहना नही हैं और गर्मी से ब्लाउज अलग उतार दी सो नंगी तो हो ही जाऊंगी न ।।
मां को अचानक कुछ याद आया उन्होंने तुरंत मामी से बोला - अरे उर्मी जरा जा कर देख रवि उठा तो नही, कही ऐसे न देखा लिया हो हमको नहीं तो क्या मुंह लेकर जाएंगे उसके सामने?
मामी - परेशान न हो भाभी मैं पहले ही देख आई उसे सो रहा है वो अभी तक और एक बात बताओ अगर देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ता है कौन सा वो कोई पराया है, आज नही तो कल उसकी शादी हो ही जानी है और शहर में रहता है देख तो उसने वही लिया होगा सब कुछ ही ही ही ही...
चाची - हां भाभी , ज्यादा परेशान न हो आप रवि की उमर तक आते आते आपके दोनो बच्चे पैदा हो चुके थे। उसने अगर हमें बिना कपड़ो के देख भी लिया तो क्या फर्क पड़ता है हम भी देख लेंगे किसी दिन उसे बिना कपड़ो के, हिसाब बराबर।।।
मां - बड़ी दुष्ट हो तुम दोनो, अपने ही बच्चे के ऊपर गलत नजर रखती हो। तुम दोनो से न एकदिन नंगा नाच करवाऊंगी तब समझ में आएगा।
चाची और मामी एक साथ बोल पड़ी - अरे आप बोलो तो अभी नंगे होकर नाच दें आपके लिए उसमें क्या है वैसे भी गर्मी में कपड़े काटते ही है।
मां - दुष्ट हो तुम दोनो, अच्छा छोड़ो ये सब जल्दी से मैदान चलो नही मैं यही हग दूंगी बड़ी जोर से लगी है। ये बोलकर तीनो निकल गई कमरे से और एक एक डब्बा लेकर चल पड़ी खेत में।
मेरी आंख खुली जब मुझे उन तीनो की आवाज आई हसने और बड़बड़ाने की मैं आंख मलते हुए बाहर निकला कमरे से और देखा तीनो मैदान से आकर बाहर कुएं के पास अपने हाथ पैर धूल रही थी। मुझे देख मां ने बोला - उठ गए बेटा, जाओ जल्दी से मैदान हो आओ तब तक हम लोग नाश्ता वगैरह बना लेते है। मैने कहा ठीक है मां अब बात ऐसी थी की थी तो वो तीनो कपड़े में मगर मुझे दिख रही थी नंगी, खैर मैं निकल गया टट्टी करने। मेरा दिमाग खराब हो गया था मुझे चूत चूची और गांड़ के अलावा न कुछ सूझ रहा था न कुछ दिख रहा था। जब मैं टट्टी करके वापस आया तो देखा नाश्ता लगभग बन गया था और हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे ।
नाश्ता करने के बाद मां बोली अब जरा हम लोग नहा ले, मैं सोच रहा था की अब मुझे फिर बाहर जाना पड़ेगा लेकिन गजब हो गया किसी ने बोला ही नही बाहर जाने के लिए मैं इंतजार कर रहा था की कोई तो बोलेगा बाहर जाने के लिए लेकिन इसके बजाय तीनो औरतें उठी और बर्तन वगैरह समेट कर अपना अपना पेटीकोट लेकर कमरे में चली गई और जब बाहर आई तो हे भगवान क्या गजब दिख रही थी , तीनो ने अपने शरीर पर सिर्फ पेटीकोट डाला हुआ था जिसे उन्होंने अपनी चुचियों के ऊपर बंधा हुआ था। मां ने नारंगी पेटीकोट चाची ने पीला और मामी ने हल्का आसमानी पेटीकोट पहना हुआ था।
वो तीनो वैसे ही कुएं के पास जाकर पहले पानी निकालने लगी फिर बर्तन और अपने कपड़े धुलने लगी और फिर उसके बाद नहाने लगी

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क्या बताऊं कैसी लग रही थी तीनो पेटीकोट एकदम चिपक गया था उनके शरीर से तीनो का शरीर पूरा पूरा दिख रहा था एकदम मस्त नंगी गदरायी हुई तीन तीन माल मेरा लन्ड झटके पे झटका मार रहा था। हर दिन नए नए तरह का नंगापन दिख रहा था।।
Shandaar update
 
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इतनी कमजोर प्रतिक्रियाओं से मनोबल टूट सा जाता है। इसलिए अगला अपडेट आप पाठकों की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है 🙏🏻🙏🏻
 
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