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Incest जरूरत है प्यार की

Miya bhai

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nice start..!!
jaise ki aapne bataya ki raju rani se shaadi karne ke liye maan gaya hai apne maa ke kehne par..raju ki maa ne ek baat bahot achhi kahi ki ladki ki surat se jyada sirat achhi honi chahiye..raju bhi jarur rani se pyaar karne lagega..!! rani aur uski behen chhoti ki halat toh ahot kharab kar rakhi hai unke chacha chachi ne..ab rani ke liye toh achha huva ki raju aaraha hai toh woh chhut jayegi..lekin chhoti fas jayegi waha pe..toh muze lagta hai ki rani ko apne pati raju ko bolna chahiye ki woh uski behen ko bhi apne sath rakhegi aur apne chacha, chachi ka sach bhi raju ko bata de..raju ek dil ladka malum hota hai..woh jarur rani ki ichha puri karega..dekhte hai aage kya hota hai..!!
bhai raju ki age 18 kar do aur rani 5 saal badi hai toh 23 kar sakte ho..aur chhoti ki age bhi thodi badhao..!!
❤❤
 

Miya bhai

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#2

बिलासपुर से 40km दूर लाहाती गाव के एक छोटे से घर के एक कमरे मे पति पत्नी लड रहे है आईये देखते है..

पत्नी: लन्ड तो खडा होता नही तुम्हारा और हमेसा दूसरी औरत और लड़कियो को चोदने के फिराक मे रहते हो। जब लन्ड ही नही खडा होगा तो चोदोगे कैसे??

पति: कम बोला कर समझी। रांड नही तो। रंडी की औलाद, कुतिया साली। तेरे से कितनी बार कहा हु की मेरे से सही से बात किया कर। समझी?

पत्नी: क्या कम बोलू, सही तो बोल रही हु, अपनी बीवी को तो चोद नही पाते हो और चले हो दूसरी औरत को चोदने। कभी मुझ पे ध्यान दिया है पता नही कब से चूत मे उँगली करके चूत को सांत कर रही हु।

पति: रंडी माधरचोद कुतिया साली बहुत चुदासी है जा सांड का लन्ड लेले तब सायद तेरी चूत सांत होजाए। चुदासी है, बुड्ढी होगयी लेकिन चुदना है । चल लन्ड चूस के पानी निकाल ।

ये दृष्य मे दोनो पति पत्नी बिल्कुल नंगे है। पत्नी चारपाई पे बैठी है और पति पत्नी के सामने 5 इंच का पकपका लन्ड लिए खडा है

पति जो की 50 वर्ष ज्यादा का लगता है न शरीर मे दम है ना ही लन्ड मे। मगर ठरक इतनी की दूसरी जवान और कुवारी लड़कियो और औरतो को चोदना चाहता है। लन्ड ने तो मानो साथ देना ही छोड़ दिया बड़ी मुश्किल से खडा होता और खडा होते ही झर जाता है मानो कुछ हुआ ही नही ।

वहीं पत्नी जो की 45 वर्ष के आस पास होगी दिखने मे अभी भी बिल्कुल सुंदर और जवान। बड़ी बड़ी चुचियाँ, मस्त बदन और बड़ी सी गांड।जवान कहना गलत न होगा क्युकी जितनी चुदासी जवानी मे होती है उतनी ही चुदने की इच्छा इनके अंदर आज भी है। हमेसा से लंबा और मोटा लन्ड की चाहत थी मगर किस्मत से 5 इंच का बिन काम का लन्ड मिला जो ना तो इनके मन को भाता था और ना ही इनकी चूत की प्यास भुजाता पाता।

पत्नी अपने पति के पक पके लन्ड को छूना भी नही चाहती मगर उसका पति उसका मुह पकड़ कर अपना लन्ड उसके मुह मे डाल देता है।
ना चाहते हुए भी पत्नी उसके लन्ड को चूसने लगती है। अभी कुछ दो मिंट्स ही हुए होंगे की उसका पति उसके मुह मे झाड़ देता है। लन्ड का पानी निकाल जाने के बाद पति वैसा ही नंगा चारपाई पे करवट लेट के सो जाता है और अपनी पत्नी को गरम करके छोड़ जाता है। बेचारी पत्नी इस उमर मे इतनी सुंदर होने के बाद भी तड़पती रहती है चुदने केलिए बेताब रहती है। ये कहना गलत ना होगा की अगर कोई और आदमी इसके जगह होता तो इस उमर मे भी इतनी सुंदर बीवी को रात दिन सिर्फ चोदता ही रहता। उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को खूब दबता, चाटता और चूसता और अपने लन्ड को उसकी बड़ी सी गोली गांड और प्यारी सी चूत मे डाल कर सिर्फ चोदता रहता।

खैर कुछ देर बीतने के बाद उसके कानों मे अपने पति की खर्राटो की आवाज सुनाई देने लगी, अपने पति को मुड़ के देखती है और न जाने क्या सोच के अपनी नंगी गीली चूत को सहलाने लगती है। और अपनी चूत मे दो उँगली डाल के तेजी से आगे पीछे करने लगती है ।

पत्नी: अह्ह्ह् ...आह्ह् ....हाय रे ..आह्ह्...कोई चोदो मुझे चोदो ना अपना मोटा लंबा लन्ड मेरी चूत मे डालो ना चोदो चोदो खूब चोदो ..अह्ह्ह् ...आह्ह् ...अम्म्..

पूरे कमरे मे तेज सिक्सिकारियो कि अवाज गूंज रही थी। कमरे मे रोशनी थी एक तरफ पति नंगा ही सोया हुआ था तो दूसरी तरफ पत्नी माधर्जात नंगी हो कर अपनी चूत मे उँगली कर रही थी। अपनी एक हाथ की दो उंगलियो को चूत मे तेजी से चला रही थी तो दूसरे हाथ से अपनी दांयी चूची दबा रही थी । कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची के निप्पल को कस के मरोड़ रही थी । एक तो गोरा बदन उपर से काले निप्पल चूची और उसके बदन की खूबसूरती मे चार चंद लगा रहे थे। काले निप्पल्लो को इस तरह मरोड़ और नोच रही थी की मानो निप्पल्लो को चूची से अलग कर देगी। अभी कुछ 5 मिंट्स ही हुए होंगे की पत्नी अचानक रुक गयी अपनी चूत से अपनी दोनो उंगलिया निकली और उसमे लगे गिले और चिपचिपे सफेद रस को देखने के बाद अपने मुह मे भर कर मजे से चूसने लगी । चूसने के बाद पत्नी उठी और नंगी ही रसोई की तरफ चलने लगी । रसोई मे पहुँच कर..

पत्नी: ये बेलन नही दिख रहा, कहा रख दिया इन रंडी की बच्चियों ने (बेलन को अन्धेरे मे ढूंढते हुए)। इस रंडी की बच्ची ने कही अपने चूत मे तो नही डाल लिया, साली रंडी की गांड भी तो बहुत बड़ी है डाल ही लिया होगा ।

तभी बेलन मिल जाता है और पत्नी उसे लेकर वापिस अपने कमरे मे आ जाती है। 5 मिंट्स पहले जैसा उसने कमरा छोड़ा था बिल्कुल वैसा ही पाया अपने पति को नंगा सोते हुए । पत्नी नंगी ही बेलन को लेकर जमीन पर बैठ जाती हैं और बेलन को बड़ी हसरत देखते हुए बोलती है

पत्नी: एक तू ही है जो मेरी चूत को कुछ पल के लिए सांत तो करदेती है ।

ये कहते ही बेलन को लन्ड समझ कर अपने मुह मे लेकर चूसने लगती है और कुछ देर चूसने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिरा कर अपनी चूत के मुह पे रखती है और आह्ह् के साथ बेलन को अपनी चूत मे उतार देती है और बहुत तेजी से चूत मे बेलन को आगे पीछे करने लगती है..

पत्नी: अरे माई रे ....आह्ह् .....अह्ह्ह्....अम्म् चोदो और जोर से चोदो फाड़डड दो मेरी चूत को...आह्ह्....अगह्ह्ह् लेलो लेलो मेरी
चोदो मुझे अपनी रंडी बनाके चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....

पूरे कमरे मे उसकी सिसक्सिकारियो और चूत की चप चप की आवाज गूंज रही थी । कुछ देर के बाद बेलन को अपनी चूत से निकाल के अपने मुह मे लेके चूसने लगती है । और अपनी चुचियो को दबाते हुए बेलन के रस भरे हिस्से को खूब मजे से चुसती हैं।

पत्नी: पिलो बहुत तड़पाती है ये चूची इसको दबाओ खूब दबाओआह्ह् चोदो खूब चोदो आह्ह् । उसके मुह से ये शब्द अपने आप निकल रहे थे जो इस बात का सबूत थे की वो कितनी चुदासी होगी। उस वक़्त वो इतनी ज्यादा चुदासी थी की अगर उसको कुत्ते का लण्ड भी मिल जाता तो उसको अपनी चूत मे डाल के कुत्ते से ही चुदवा लेती।

थोड़ी देर बेलन को चूसने और चूची को दबाने के बाद वो घोड़ी बन जाती है । अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को सहलती है और गांड के छेद को कुरेदती है। अगर इस पल कोई उस औरत को इस तरह देखले अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को बाहर निकाले हुए तो उसको वही पटक के चोद दे और अपना लन्ड उसकी गांड मे डाल दे। अरे आप ही लोग इस तरह किसी औरत को देख ले तो वही पटक के चोदेंगे की नही। प्यार से गांड को सहलाने के बाद अपने चूतरो पे बहुत तेज से चपात लगाती है तीन चार चपाट गांड पे मारने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिराती है और अपने गांड के छेद पे बेलन को रगड़ती है। और फिर थोड़ी देर मजे लेने के बाद अपनी गांड मे बेलन को डालती है।

पत्नी: अह्ह्ह् और गांड मे बेलन को तेजी से आगे पीछे करने लगती है कुछ देर बाद गांड से बेलन को निकाल के वापिस अपनी चूत मे डाल लेती है और बेलन से ही अपने आपको चोदने लगती है आह्ह् ....आह्ह्....चोदो चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....आह्ह् अह्ह्ह्... और बहुत तेजी तेजी से अपनी चूत मे बेलन डालने लगती है और आख़िर मे एक तेज आह्ह् के साथ जमीन पे लेट जाती है ।

बेलन अभी भी औरत की चूत मे फसा था लेकिन उसकी चूत से सफेद रस बह रहा था जोकि इस बात का सबूत था की थोड़े देर के लिए ही सही मगर उसकी चूत सांत हो गयी होगी। थोड़ी देर तक लेटी रहने के बाद पत्नी उठती है और अपनी चूत मे फसे बेलन को निकाल ती है और उसमे लगे चूत के सफेद रस को मुह मे भर कर चूसने लगती है।चूस लेने के बाद बेलन को बगल मे रखती है और चरपाइ से अपने पेटिकोअट् को उठा कर अपनी चूत को साफ करती है ।

इस बेलन चुदाई के बाद उस औरत को बहुत संतुष्टि मिली थी न जाने क्यु पर उसकी आँखे मदहोसी मे बन्द होने लगी और आख़िर मे अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर अपने नंगे पति के बगल मे नंगी ही चरपाई पे सो जाती है ।

मुझे लगता है की आप लोगोने ये अंदाज़ा ज़ुरूर लगा लिया होगा की ये पति पत्नी आख़िर मे है कौन?? जी है ये पति पत्नी रानी के काका काकी और राजू के होने वाले सास ससूर रतन लाल और कमलावती थे। जो ये चूत चुदाई का खेल खेल रहे थे। ये बात तो तय थी की राजू को दूर दूर तक इस बात की भनक नही थी की जो लन्ड उसके पैरो के बीच मे लटक रहा था असल मे वही लन्ड की ज़रूरत कमलावती को थी ।

खैर इस चूत चुदाई और बेलन चुदाई का खेल लगभग रात के 10 बजे से 12 बजे तक चला होगा। जोकि गाव मे सभी लोगों को रात मे जल्दी सोने की आदत होती है जिस कारण ये चुदाई का खेल हर घर मे इस समय से चालू हो जाता होगा और रात रात तक चलता होगा ।

रतन लाल और कमलावती के घर मे सिर्फ रतन लाल और कमलावती ही नही जाग रहे थे बल्कि एक लड़की भी जाग रही थी जो की अपने ही ख्यालो मे खोयी हुई थी। वो लड़की रानी थी हालाँकि रोज रात को पूरे घर मे सिर्फ तीन लोग ही जागते थे। और रोज की यही दिनचर्या थी।

रानी अटारी मे लेटे लेटे रोज अपने काका काकी की गंदी गंदी बाते और सिक्सिकारिया सुनती थी। जोकि रानी भी जवान थी उसका शरीर भरा था चुचियाँ बड़ी थी और गांड तो तर्बुज़ जैसी। इन आवाजो का रानी पर भी असर होता था। अपनी रंडी काकी की मस्त चुदासी आवाजो को सुन कर रानी की चूत मे भी पानी का रिसाव होता था। कभी कभार मस्त होकर रानी भी अपनी चुचियो को फटे ब्लाउस के ऊपर से ही दबाती थी। ये कहना गलत ना होगा की रानी वो सब कुछ जानती थी जो एक पति पत्नी के बीच मे होता था। वो जानती थी की चुदाई क्या होता है, वो जानती थी की लड़कियो को मोटे और लम्बे लन्ड ही क्यु पसंद होते है, वो जानती थी की चुदाई के वक़्त जितनी गंदी बाते करो उतना मजा आता है, वो ये भालीभति जानती थी की अगर जिंदगी मे खूब मजे लेना है तो चुदाई का होना बहुत जरूरी है, इसके साथ साथ और भी बहुत कुछ जानती थी अपनी रानी। मगर रानी कभी भी अपनी चूत मे उँगली नही करनी चाहि, मन तो बहुत करता था पर वो अपनी सील पैक चूत को अपने पति के लिए बचा कर रखना चाहती थी। वो अपने होने वाले पति को वो सारे सुख देना चाहती थी जो एक पत्नी अपने पति को देती है।

परंतु आज रानी अलग ही दुनिया मे खोयी थी अपने विचारो की दुनिया मे।उसको तो आज ये भी नही पता था की कब उसके काका की चूत चुदाई चालू हुई और कब काकी की बेलन चुदाई खत्म। आख़िर रानी सोच क्या रही थी??वो अपने काका की कही बातो को सोच रही थी।काका की सुनी बातो को बड़ी देर तक सोचती रही। काका ने कहा था की उसके होने वाले पति का नाम राजू है काका ने ये भी कहा था की ये लड़का एक नंबर का लफंगा, आवारा, गवार, दारूबाज है जो अपने माता पिता पर एक बोझ है। ये कहना गलत ना होगा की यही मुख्य कारण था जिससे रतन लाल और कमलावती इस शादी के लिए तैयार हो गये थे।

वही सोच रही थी जो एक लड़की अपनी शादी से पहले सोचती है। कि न जाने उसका होने वाला पति कैसा दिखता होगा? क्या वो भी रानी की ही तरह काला(सावला) होगा या फिर गोरा चिट्टा बहुत सुंदर दिखता होगा।क्या उसका पति उससे प्यार करेगा?या नहीं। या फिर उसको सिर्फ और सिर्फ एक रंडी बनाके रखेगा ((रानी के मन मे ये बात इसलिए आई क्युकी रानी ने ये बात बहुत बार सुन रखा था की एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का अपनी पत्नी को प्यार करना तो दूर की बात, सिर्फ और सिर्फ अपनी रखैल अपनी रंडी के सिवा और कुछ नही समझता। किसी रंडीखाने की रंडी की तरह जब मन करे तब चोदता है और बात ना मानने पर खूब पिटाई करता है)) क्या उसके सास ससुर उसको मानेंगे या फिर काका काकी की ही तरह उसके साथ नौकरो जैसा बर्ताव करेंगे?उसका होने वाला ससुराल कैसा दिखता होगा? क्या काका काकी के घर से बड़ा होगा या फिर छोटा होगा? अगर उस घर मे एक ही कमरा हुआ जहा सब लोग सोते होंगे तो वो अपने होने वाले पति से प्यारी कैसे करेगी? क्या उसका पति उसी एक कमरे मे सबके सामने उसको रंडी की तरह चोदेगा? या फिर चुपके से खेत मे लेजाकर? या फिर घर के पीछे? या फिर गाये के तबेले मे उसको कुतिया बनाकर चोदेगा? ये सवाल उसके मन मे आते ही उसने ये सोचा की उसके ससुराल मे गाये भैसों के तबेले होंगे की नही?क्या घर मे एक ही कमरा होने के कारण उसकी चुदाई उसके सास ससुर भी देखेंगे? क्या उसका कोई देवर भी होगा या ननद या फिर जेठ जेठानी? अगर होंगे तो वो सब भी उसकी चुदाई देखेंगे? एक पल रुकने के बाद उसने सोच की अगर जेठ जेठानी होंगे तो वो भी तो चुदाई करते होंगे क्या वो सबके सामने चुदाई करते होंगे? फिर उसने सोचा की हो सकता है की उस परिवार जिस परिवार मे वो जा रही थी उसमे चूत चुदाई का खेल सबके सामने किया जाता हो?

अगर घर मे चुदाई खुले आम होती होगी तो कोई भी मर्द किसी भी औरत को जब चाहे तब चोद सकता होगा जिस तरह जाहे उस तरह चोद सकता होगा कुलमिलाकर उस घर की औरते एक रंडी के समान होंगी। वो रंडी जिसे चूत चुदाई सुख तो खूब मिलता होगा पर साथ साथ ही उसे इज्जत और प्यार भी दिया जाता होगा। अगर एस हुआ तो रानी को भी अपने पति के सिवा दूसरे मर्दो ससुर, जेठ और देवरो से भी चुदना होगा। हो सकता है की उस घर की औरते कपड़े ही न पहनती हो माधर्जात नंगी होकर पूरे घर मे घुमती हो अपनी चूची और अपनी गांड दिखाते हो जिससे मर्दो को चोदने मे आसानी हो और वो जब जाहे जिसे जाहे आराम से चोद सके। क्या उस घर के मर्द भी नंगे घूमते होंगे अपना लन्ड दिखाते हुए जो की घर की औरते उस लटकते लन्ड को देखे और जब जाहे तब उस लटकते लन्ड को मुह मे भर कर खूब चुसे और अपनी चूत और गांड मे लन्ड डाल के अपनी खूब चुदाई करवाये। क्या वहा छोटे बच्चे भी होंगे जो ये सब देखते होंगे,खैर छोटे बच्चो की तो लुल्ली होती है वो कर भी क्या लेंगे। या हो सकता है की जब घर के सभी मर्द काम से बाहर चले जाये तो औरतें अपनी चुदासी को मिटाने के लिए उन्ही छोटे बच्चों की लुल्ली को मुह मे भर कर चुसती हो। या हो सकता है की उन्ही बच्चो से अपनी चुचियो को डबवाती हो और चुस्वाती हो। या हो सकता है की उन्ही छोटे बच्चो से अपनी चुते और गांडे चटवाती हो और उँगली करवाती हो। वो बच्चे भी मजे लेकर चूतों और गांड के छेदों मे उँगली करते हो और मजे से चाटते हो। हो सकता हो की ये छोटे बच्चे होंहि बड़े माधरचोद जो हर वक़्त चुचियो से दूध पीने के फिराक मे रहते हो। हो सकता होगा की इन बच्चो को जब कभी मूत आती होगी तो ये बच्चे घर की औरतो के पास जाते होंगे और कहते होंगे की मुझे मूत आई है और वे औरते बड़े प्यार से पहले तो बच्चो के गालो को चूमती होंगी और फिर उनको अपनी गोद मे बिठा कर उनकी लुल्ली को अपने मुह मे भर कर उनके मूत को पीजाति होंगी।

ध्यान दीजियेगा ये बाते ये सवाल सिर्फ और सिर्फ रानी के दिमाक मे चल रहा था। ये सब उसकी बस एक कल्पना मात्र थी । बेचारी रानी सचाई से अंजान थी उसे राजू और उसके परिवार के बारे मे बिलकुल भी कुछ पता नही था। बस एक बार वो राजू की पिताजी (कमलेश) से मिली थी जब राजू के पिताजी पहली बार रानी के काका के घर आये थे। राजू के पिताजी यानी अपने होने वाले ससुर से उसने बात भी की थी। बात चित से तो उसके ससुर बहुत सभ्य लगे और उनकी सभ्यता से अंदाजा लगाया जा सकता था की उनका परिवार कैसा होंगा परंतु अपने होने वाले पति राजू से नही मिली थी वो ये नही जानती थी की राजू कैसा है। असल मे रानी अपने काका की बातो से परेशान थी काका का कहना था की राजू एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का है परंतु राजू के पिताजी की सभ्यता के हिसाब से राजू संस्कारी होगा। वो कहते है न की आम के पेड़ों मे लगे आम भी खट्टे निकल जाते है तो पता नही क्या हो।

रानी की काकी (कमलावती) ये हमेसा से चाहती थी की इन लड़कियो को बेकार से बेकार घर मिले जिससे की ये बिल्कुल भी खुश न रह पाये। मगर भगवान को सायद ये मंजूर न था। रानी की किस्मत मे गरीब परिवार तो लिखा था मगर उसके साथ साथ एक संस्कारी, चरित्रवान, और बहुत ही प्रतिभाशाली सुंदर पति भी लिखा था। ये तो तय था की ये बात सिर्फ और सिर्फ राजू के माता पिता ही जानते थे की राजू कैसा है, ना ही हरामी काका काकी जानते थे और ना ही प्यारी भोलि रानी।

खैर जाहे जो हो रानी ने मन मे पक्का करलिया था की उसका होने वाला पति चाहे जैसे हो आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज, चाहे वो रानी को कितना भी मारे या उसको रंडी बनाके रखे वो उसको अपना पूर्ण रूप से पति मानेगी और एक अच्छी आदर्स पत्नी की तरह उसकी सेवा करेगी। कुल मिला कर भोलि और प्यारी रानी ने ये तो तय करलिया था की जाहे जो हो वो अपना तन ,मन और धन (जो उसके पास था ही नही) अपने होने वाले ससुराल पे न्युछावर करदेगी और अपने होने वाले पति, सास ससुर की खूब सेवा करेगी। चाहे जैसा ससुराल का प्रचलन हो वो उसको निभायेगी।

इन्ही विचारो और सवालो को सोचते हुए रानी न जाने कब नीद की आगोश मे चली गयी । और उसकी नीद तब खुली जब उसको छोटी(रानी की बहन) ने उठाया।



👉 क्या रानी के मन मे जो विचार आये थे वो सभी सच होंगे या फिर झूठ। उसके साथ सुसराल मे क्या होगा किसी को पता नही।

आगे जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे और पढ़ते रहे इस कहानी को।

मुझे स्पोर्ट करिये कहानी को like👍 , comments करिये और मजे लेकर कहानी को पढ़ते रहिये😘😘

आप सभी का बहुत बहुत ध्यनवाद मेरी इस कहानी को पढ़ने और प्यार देने के लिए ❤
 
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Rudra456

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बिलासपुर से 40km दूर लाहाती गाव के एक छोटे से घर के एक कमरे मे पति पत्नी लड रहे है आईये देखते है..

पत्नी: लन्ड तो खडा होता नही तुम्हारा और हमेसा दूसरी औरत और लड़कियो को चोदने के फिराक मे रहते हो। जब लन्ड ही नही खडा होगा तो चोदोगे कैसे??

पति: कम बोला कर समझी। रांड नही तो। रंडी की औलाद, कुतिया साली। तेरे से कितनी बार कहा हु की मेरे से सही से बात किया कर। समझी?

पत्नी: क्या कम बोलू, सही तो बोल रही हु, अपनी बीवी को तो चोद नही पाते हो और चले हो दूसरी औरत को चोदने। कभी मुझ पे ध्यान दिया है पता नही कब से चूत मे उँगली करके चूत को सांत कर रही हु।

पति: रंडी माधरचोद कुतिया साली बहुत चुदासी है जा सांड का लन्ड लेले तब सायद तेरी चूत सांत होजाए। चुदासी है, बुड्ढी होगयी लेकिन चुदना है । चल लन्ड चूस के पानी निकाल ।

ये दृष्य मे दोनो पति पत्नी बिल्कुल नंगे है। पत्नी चारपाई पे बैठी है और पति पत्नी के सामने 5 इंच का पकपका लन्ड लिए खडा है

पति जो की 50 वर्ष ज्यादा का लगता है न शरीर मे दम है ना ही लन्ड मे। मगर ठरक इतनी की दूसरी जवान और कुवारी लड़कियो और औरतो को चोदना चाहता है। लन्ड ने तो मानो साथ देना ही छोड़ दिया बड़ी मुश्किल से खडा होता और खडा होते ही झर जाता है मानो कुछ हुआ ही नही ।

वहीं पत्नी जो की 45 वर्ष के आस पास होगी दिखने मे अभी भी बिल्कुल सुंदर और जवान। बड़ी बड़ी चुचियाँ, मस्त बदन और बड़ी सी गांड।जवान कहना गलत न होगा क्युकी जितनी चुदासी जवानी मे होती है उतनी ही चुदने की इच्छा इनके अंदर आज भी है। हमेसा से लंबा और मोटा लन्ड की चाहत थी मगर किस्मत से 5 इंच का बिन काम का लन्ड मिला जो ना तो इनके मन को भाता था और ना ही इनकी चूत की प्यास भुजाता पाता।

पत्नी अपने पति के पक पके लन्ड को छूना भी नही चाहती मगर उसका पति उसका मुह पकड़ कर अपना लन्ड उसके मुह मे डाल देता है।
ना चाहते हुए भी पत्नी उसके लन्ड को चूसने लगती है। अभी कुछ दो मिंट्स ही हुए होंगे की उसका पति उसके मुह मे झाड़ देता है। लन्ड का पानी निकाल जाने के बाद पति वैसा ही नंगा चारपाई पे करवट लेट के सो जाता है और अपनी पत्नी को गरम करके छोड़ जाता है। बेचारी पत्नी इस उमर मे इतनी सुंदर होने के बाद भी तड़पती रहती है चुदने केलिए बेताब रहती है। ये कहना गलत ना होगा की अगर कोई और आदमी इसके जगह होता तो इस उमर मे भी इतनी सुंदर बीवी को रात दिन सिर्फ चोदता ही रहता। उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को खूब दबता, चाटता और चूसता और अपने लन्ड को उसकी बड़ी सी गोली गांड और प्यारी सी चूत मे डाल कर सिर्फ चोदता रहता।

खैर कुछ देर बीतने के बाद उसके कानों मे अपने पति की खर्राटो की आवाज सुनाई देने लगी, अपने पति को मुड़ के देखती है और न जाने क्या सोच के अपनी नंगी गीली चूत को सहलाने लगती है। और अपनी चूत मे दो उँगली डाल के तेजी से आगे पीछे करने लगती है ।

पत्नी: अह्ह्ह् ...आह्ह् ....हाय रे ..आह्ह्...कोई चोदो मुझे चोदो ना अपना मोटा लंबा लन्ड मेरी चूत मे डालो ना चोदो चोदो खूब चोदो ..अह्ह्ह् ...आह्ह् ...अम्म्..

पूरे कमरे मे तेज सिक्सिकारियो कि अवाज गूंज रही थी। कमरे मे रोशनी थी एक तरफ पति नंगा ही सोया हुआ था तो दूसरी तरफ पत्नी माधर्जात नंगी हो कर अपनी चूत मे उँगली कर रही थी। अपनी एक हाथ की दो उंगलियो को चूत मे तेजी से चला रही थी तो दूसरे हाथ से अपनी दांयी चूची दबा रही थी । कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची के निप्पल को कस के मरोड़ रही थी । एक तो गोरा बदन उपर से काले निप्पल चूची और उसके बदन की खूबसूरती मे चार चंद लगा रहे थे। काले निप्पल्लो को इस तरह मरोड़ और नोच रही थी की मानो निप्पल्लो को चूची से अलग कर देगी। अभी कुछ 5 मिंट्स ही हुए होंगे की पत्नी अचानक रुक गयी अपनी चूत से अपनी दोनो उंगलिया निकली और उसमे लगे गिले और चिपचिपे सफेद रस को देखने के बाद अपने मुह मे भर कर मजे से चूसने लगी । चूसने के बाद पत्नी उठी और नंगी ही रसोई की तरफ चलने लगी । रसोई मे पहुँच कर..

पत्नी: ये बेलन नही दिख रहा, कहा रख दिया इन रंडी की बच्चियों ने (बेलन को अन्धेरे मे ढूंढते हुए)। इस रंडी की बच्ची ने कही अपने चूत मे तो नही डाल लिया, साली रंडी की गांड भी तो बहुत बड़ी है डाल ही लिया होगा ।

तभी बेलन मिल जाता है और पत्नी उसे लेकर वापिस अपने कमरे मे आ जाती है। 5 मिंट्स पहले जैसा उसने कमरा छोड़ा था बिल्कुल वैसा ही पाया अपने पति को नंगा सोते हुए । पत्नी नंगी ही बेलन को लेकर जमीन पर बैठ जाती हैं और बेलन को बड़ी हसरत देखते हुए बोलती है

पत्नी: एक तू ही है जो मेरी चूत को कुछ पल के लिए सांत तो करदेती है ।

ये कहते ही बेलन को लन्ड समझ कर अपने मुह मे लेकर चूसने लगती है और कुछ देर चूसने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिरा कर अपनी चूत के मुह पे रखती है और आह्ह् के साथ बेलन को अपनी चूत मे उतार देती है और बहुत तेजी से चूत मे बेलन को आगे पीछे करने लगती है..

पत्नी: अरे माई रे ....आह्ह् .....अह्ह्ह्....अम्म् चोदो और जोर से चोदो फाड़डड दो मेरी चूत को...आह्ह्....अगह्ह्ह् लेलो लेलो मेरी
चोदो मुझे अपनी रंडी बनाके चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....

पूरे कमरे मे उसकी सिसक्सिकारियो और चूत की चप चप की आवाज गूंज रही थी । कुछ देर के बाद बेलन को अपनी चूत से निकाल के अपने मुह मे लेके चूसने लगती है । और अपनी चुचियो को दबाते हुए बेलन के रस भरे हिस्से को खूब मजे से चुसती हैं।

पत्नी: पिलो बहुत तड़पाती है ये चूची इसको दबाओ खूब दबाओआह्ह् चोदो खूब चोदो आह्ह् । उसके मुह से ये शब्द अपने आप निकल रहे थे जो इस बात का सबूत थे की वो कितनी चुदासी होगी। उस वक़्त वो इतनी ज्यादा चुदासी थी की अगर उसको कुत्ते का लण्ड भी मिल जाता तो उसको अपनी चूत मे डाल के कुत्ते से ही चुदवा लेती।

थोड़ी देर बेलन को चूसने और चूची को दबाने के बाद वो घोड़ी बन जाती है । अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को सहलती है और गांड के छेद को कुरेदती है। अगर इस पल कोई उस औरत को इस तरह देखले अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को बाहर निकाले हुए तो उसको वही पटक के चोद दे और अपना लन्ड उसकी गांड मे डाल दे। अरे आप ही लोग इस तरह किसी औरत को देख ले तो वही पटक के चोदेंगे की नही। प्यार से गांड को सहलाने के बाद अपने चूतरो पे बहुत तेज से चपात लगाती है तीन चार चपाट गांड पे मारने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिराती है और अपने गांड के छेद पे बेलन को रगड़ती है। और फिर थोड़ी देर मजे लेने के बाद अपनी गांड मे बेलन को डालती है।

पत्नी: अह्ह्ह् और गांड मे बेलन को तेजी से आगे पीछे करने लगती है कुछ देर बाद गांड से बेलन को निकाल के वापिस अपनी चूत मे डाल लेती है और बेलन से ही अपने आपको चोदने लगती है आह्ह् ....आह्ह्....चोदो चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....आह्ह् अह्ह्ह्... और बहुत तेजी तेजी से अपनी चूत मे बेलन डालने लगती है और आख़िर मे एक तेज आह्ह् के साथ जमीन पे लेट जाती है ।

बेलन अभी भी औरत की चूत मे फसा था लेकिन उसकी चूत से सफेद रस बह रहा था जोकि इस बात का सबूत था की थोड़े देर के लिए ही सही मगर उसकी चूत सांत हो गयी होगी। थोड़ी देर तक लेटी रहने के बाद पत्नी उठती है और अपनी चूत मे फसे बेलन को निकाल ती है और उसमे लगे चूत के सफेद रस को मुह मे भर कर चूसने लगती है।चूस लेने के बाद बेलन को बगल मे रखती है और चरपाइ से अपने पेटिकोअट् को उठा कर अपनी चूत को साफ करती है ।

इस बेलन चुदाई के बाद उस औरत को बहुत संतुष्टि मिली थी न जाने क्यु पर उसकी आँखे मदहोसी मे बन्द होने लगी और आख़िर मे अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर अपने नंगे पति के बगल मे नंगी ही चरपाई पे सो जाती है ।

मुझे लगता है की आप लोगोने ये अंदाज़ा ज़ुरूर लगा लिया होगा की ये पति पत्नी आख़िर मे है कौन?? जी है ये पति पत्नी रानी के काका काकी और राजू के होने वाले सास ससूर रतन लाल और कमलावती थे। जो ये चूत चुदाई का खेल खेल रहे थे। ये बात तो तय थी की राजू को दूर दूर तक इस बात की भनक नही थी की जो लन्ड उसके पैरो के बीच मे लटक रहा था असल मे वही लन्ड की ज़रूरत कमलावती को थी ।

खैर इस चूत चुदाई और बेलन चुदाई का खेल लगभग रात के 10 बजे से 12 बजे तक चला होगा। जोकि गाव मे सभी लोगों को रात मे जल्दी सोने की आदत होती है जिस कारण ये चुदाई का खेल हर घर मे इस समय से चालू हो जाता होगा और रात रात तक चलता होगा ।

रतन लाल और कमलावती के घर मे सिर्फ रतन लाल और कमलावती ही नही जाग रहे थे बल्कि एक लड़की भी जाग रही थी जो की अपने ही ख्यालो मे खोयी हुई थी। वो लड़की रानी थी हालाँकि रोज रात को पूरे घर मे सिर्फ तीन लोग ही जागते थे। और रोज की यही दिनचर्या थी।

रानी अटारी मे लेटे लेटे रोज अपने काका काकी की गंदी गंदी बाते और सिक्सिकारिया सुनती थी। जोकि रानी भी जवान थी उसका शरीर भरा था चुचियाँ बड़ी थी और गांड तो तर्बुज़ जैसी। इन आवाजो का रानी पर भी असर होता था। अपनी रंडी काकी की मस्त चुदासी आवाजो को सुन कर रानी की चूत मे भी पानी का रिसाव होता था। कभी कभार मस्त होकर रानी भी अपनी चुचियो को फटे ब्लाउस के ऊपर से ही दबाती थी। ये कहना गलत ना होगा की रानी वो सब कुछ जानती थी जो एक पति पत्नी के बीच मे होता था। वो जानती थी की चुदाई क्या होता है, वो जानती थी की लड़कियो को मोटे और लम्बे लन्ड ही क्यु पसंद होते है, वो जानती थी की चुदाई के वक़्त जितनी गंदी बाते करो उतना मजा आता है, वो ये भालीभति जानती थी की अगर जिंदगी मे खूब मजे लेना है तो चुदाई का होना बहुत जरूरी है, इसके साथ साथ और भी बहुत कुछ जानती थी अपनी रानी। मगर रानी कभी भी अपनी चूत मे उँगली नही करनी चाहि, मन तो बहुत करता था पर वो अपनी सील पैक चूत को अपने पति के लिए बचा कर रखना चाहती थी। वो अपने होने वाले पति को वो सारे सुख देना चाहती थी जो एक पत्नी अपने पति को देती है।

परंतु आज रानी अलग ही दुनिया मे खोयी थी अपने विचारो की दुनिया मे।उसको तो आज ये भी नही पता था की कब उसके काका की चूत चुदाई चालू हुई और कब काकी की बेलन चुदाई खत्म। आख़िर रानी सोच क्या रही थी??वो अपने काका की कही बातो को सोच रही थी।काका की सुनी बातो को बड़ी देर तक सोचती रही। काका ने कहा था की उसके होने वाले पति का नाम राजू है काका ने ये भी कहा था की ये लड़का एक नंबर का लफंगा, आवारा, गवार, दारूबाज है जो अपने माता पिता पर एक बोझ है। ये कहना गलत ना होगा की यही मुख्य कारण था जिससे रतन लाल और कमलावती इस शादी के लिए तैयार हो गये थे।

वही सोच रही थी जो एक लड़की अपनी शादी से पहले सोचती है। कि न जाने उसका होने वाला पति कैसा दिखता होगा? क्या वो भी रानी की ही तरह काला(सावला) होगा या फिर गोरा चिट्टा बहुत सुंदर दिखता होगा।क्या उसका पति उससे प्यार करेगा?या नहीं। या फिर उसको सिर्फ और सिर्फ एक रंडी बनाके रखेगा ((रानी के मन मे ये बात इसलिए आई क्युकी रानी ने ये बात बहुत बार सुन रखा था की एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का अपनी पत्नी को प्यार करना तो दूर की बात, सिर्फ और सिर्फ अपनी रखैल अपनी रंडी के सिवा और कुछ नही समझता। किसी रंडीखाने की रंडी की तरह जब मन करे तब चोदता है और बात ना मानने पर खूब पिटाई करता है)) क्या उसके सास ससुर उसको मानेंगे या फिर काका काकी की ही तरह उसके साथ नौकरो जैसा बर्ताव करेंगे?उसका होने वाला ससुराल कैसा दिखता होगा? क्या काका काकी के घर से बड़ा होगा या फिर छोटा होगा? अगर उस घर मे एक ही कमरा हुआ जहा सब लोग सोते होंगे तो वो अपने होने वाले पति से प्यारी कैसे करेगी? क्या उसका पति उसी एक कमरे मे सबके सामने उसको रंडी की तरह चोदेगा? या फिर चुपके से खेत मे लेजाकर? या फिर घर के पीछे? या फिर गाये के तबेले मे उसको कुतिया बनाकर चोदेगा? ये सवाल उसके मन मे आते ही उसने ये सोचा की उसके ससुराल मे गाये भैसों के तबेले होंगे की नही?क्या घर मे एक ही कमरा होने के कारण उसकी चुदाई उसके सास ससुर भी देखेंगे? क्या उसका कोई देवर भी होगा या ननद या फिर जेठ जेठानी? अगर होंगे तो वो सब भी उसकी चुदाई देखेंगे? एक पल रुकने के बाद उसने सोच की अगर जेठ जेठानी होंगे तो वो भी तो चुदाई करते होंगे क्या वो सबके सामने चुदाई करते होंगे? फिर उसने सोचा की हो सकता है की उस परिवार जिस परिवार मे वो जा रही थी उसमे चूत चुदाई का खेल सबके सामने किया जाता हो?

अगर घर मे चुदाई खुले आम होती होगी तो कोई भी मर्द किसी भी औरत को जब चाहे तब चोद सकता होगा जिस तरह जाहे उस तरह चोद सकता होगा कुलमिलाकर उस घर की औरते एक रंडी के समान होंगी। वो रंडी जिसे चूत चुदाई सुख तो खूब मिलता होगा पर साथ साथ ही उसे इज्जत और प्यार भी दिया जाता होगा। अगर एस हुआ तो रानी को भी अपने पति के सिवा दूसरे मर्दो ससुर, जेठ और देवरो से भी चुदना होगा। हो सकता है की उस घर की औरते कपड़े ही न पहनती हो माधर्जात नंगी होकर पूरे घर मे घुमती हो अपनी चूची और अपनी गांड दिखाते हो जिससे मर्दो को चोदने मे आसानी हो और वो जब जाहे जिसे जाहे आराम से चोद सके। क्या उस घर के मर्द भी नंगे घूमते होंगे अपना लन्ड दिखाते हुए जो की घर की औरते उस लटकते लन्ड को देखे और जब जाहे तब उस लटकते लन्ड को मुह मे भर कर खूब चुसे और अपनी चूत और गांड मे लन्ड डाल के अपनी खूब चुदाई करवाये। क्या वहा छोटे बच्चे भी होंगे जो ये सब देखते होंगे,खैर छोटे बच्चो की तो लुल्ली होती है वो कर भी क्या लेंगे। या हो सकता है की जब घर के सभी मर्द काम से बाहर चले जाये तो औरतें अपनी चुदासी को मिटाने के लिए उन्ही छोटे बच्चों की लुल्ली को मुह मे भर कर चुसती हो। या हो सकता है की उन्ही बच्चो से अपनी चुचियो को डबवाती हो और चुस्वाती हो। या हो सकता है की उन्ही छोटे बच्चो से अपनी चुते और गांडे चटवाती हो और उँगली करवाती हो। वो बच्चे भी मजे लेकर चूतों और गांड के छेदों मे उँगली करते हो और मजे से चाटते हो। हो सकता हो की ये छोटे बच्चे होंहि बड़े माधरचोद जो हर वक़्त चुचियो से दूध पीने के फिराक मे रहते हो। हो सकता होगा की इन बच्चो को जब कभी मूत आती होगी तो ये बच्चे घर की औरतो के पास जाते होंगे और कहते होंगे की मुझे मूत आई है और वे औरते बड़े प्यार से पहले तो बच्चो के गालो को चूमती होंगी और फिर उनको अपनी गोद मे बिठा कर उनकी लुल्ली को अपने मुह मे भर कर उनके मूत को पीजाति होंगी।

ध्यान दीजियेगा ये बाते ये सवाल सिर्फ और सिर्फ रानी के दिमाक मे चल रहा था। ये सब उसकी बस एक कल्पना मात्र थी । बेचारी रानी सचाई से अंजान थी उसे राजू और उसके परिवार के बारे मे बिलकुल भी कुछ पता नही था। बस एक बार वो राजू की पिताजी (कमलेश) से मिली थी जब राजू के पिताजी पहली बार रानी के काका के घर आये थे। राजू के पिताजी यानी अपने होने वाले ससुर से उसने बात भी की थी। बात चित से तो उसके ससुर बहुत सभ्य लगे और उनकी सभ्यता से अंदाजा लगाया जा सकता था की उनका परिवार कैसा होंगा परंतु अपने होने वाले पति राजू से नही मिली थी वो ये नही जानती थी की राजू कैसा है। असल मे रानी अपने काका की बातो से परेशान थी काका का कहना था की राजू एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का है परंतु राजू के पिताजी की सभ्यता के हिसाब से राजू संस्कारी होगा। वो कहते है न की आम के पेड़ों मे लगे आम भी खट्टे निकल जाते है तो पता नही क्या हो।

रानी की काकी (कमलावती) ये हमेसा से चाहती थी की इन लड़कियो को बेकार से बेकार घर मिले जिससे की ये बिल्कुल भी खुश न रह पाये। मगर भगवान को सायद ये मंजूर न था। रानी की किस्मत मे गरीब परिवार तो लिखा था मगर उसके साथ साथ एक संस्कारी, चरित्रवान, और बहुत ही प्रतिभाशाली सुंदर पति भी लिखा था। ये तो तय था की ये बात सिर्फ और सिर्फ राजू के माता पिता ही जानते थे की राजू कैसा है, ना ही हरामी काका काकी जानते थे और ना ही प्यारी भोलि रानी।

खैर जाहे जो हो रानी ने मन मे पक्का करलिया था की उसका होने वाला पति चाहे जैसे हो आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज, चाहे वो रानी को कितना भी मारे या उसको रंडी बनाके रखे वो उसको अपना पूर्ण रूप से पति मानेगी और एक अच्छी आदर्स पत्नी की तरह उसकी सेवा करेगी। कुल मिला कर भोलि और प्यारी रानी ने ये तो तय करलिया था की जाहे जो हो वो अपना तन ,मन और धन (जो उसके पास था ही नही) अपने होने वाले ससुराल पे न्युछावर करदेगी और अपने होने वाले पति, सास ससुर की खूब सेवा करेगी। चाहे जैसा ससुराल का प्रचलन हो वो उसको निभायेगी।

इन्ही विचारो और सवालो को सोचते हुए रानी न जाने कब नीद की आगोश मे चली गयी । और उसकी नीद तब खुली जब उसको छोटी(रानी की बहन) ने उठाया।



👉 क्या रानी के मन मे जो विचार आये थे वो सभी सच होंगे या फिर झूठ। उसके साथ सुसराल मे क्या होगा किसी को पता नही।

आगे जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे और पढ़ते रहे इस कहानी को।

मुझे स्पोर्ट करिये कहानी को like👍 , comments करिये और मजे लेकर कहानी को पढ़ते रहिये😘😘

आप सभी का बहुत बहुत ध्यनवाद मेरी इस कहानी को पढ़ने और प्यार देने के लिए ❤
Nice and superb update 👍👍👍👍
 

DB Singh

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कहानी की शुरुआत बहुत अच्छी हुई है। दो बहने जो अनाथ है अपने गुजर बसर करने के लिए चाचा चाची के यहाँ नौकरानी के तरह रहने को विवश है। जहाँ ना वक्त पे सही से खाना मिलता है ना ही पहनने को ढंग के कपड़े जिससे तन को ढका जा सके। चाचा जिसकी ह़वशी नजर अपनी भतीजी पर ही खराब है ऐसे माहोल में एक लड़की कैसे अपने आपको बचा के रखती होगी हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। चाची भी हवश से भरी पड़ी है जिसको अपना हवश शांत करने के लिए बेलन का सहारा लेना पड़ता है। खैर, रानी की समस्या ये है की वो साँवली है जिस वजह से उसका ब्याह नहीं हो रहा। ऐसे में उसकी चाची उसको काली कलूटी कह कर उसका मनोबल तोड़ती रहती है। रानी जिसकी आयु 23 हो चुकी है अब उसकी जिंदगी में बहार आने वाला है दुख के बादल छटने वाले हैं। जिस चीज की तमन्ना लिए वो जीये रही थी उसका सपनो का राजकुमार उससे ब्याह करने आ रहा है अपने प्यार के रंग में रंग कर उसके जीवन में खुशियाँ का रंग भरने आ रहा है। किंतु रानी के मन में चाचा चाची ने एक ऐसे लड़के की छवि प्रस्तुत किया है कि लड़का शराबी आवारा लफंगा है। जिससे रानी का चिंतित होना स्वाभाविक है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। लड़का जो राजू है वो बहुत संस्कारी और सभ्य है अपने माता पिता का आज्ञाकारी है। बस एक चीज की धारणा मन में पाल रखा है की लड़की गोरी और सुन्दर होनी चाहिए ऐसा अक्सर युवावस्था में होता है जैसे जैसे उम्र बढ़ेगा समझ जायेगा उतार चढ़ाव देखेगा तो समझ जायेगा की इंसान की महत्ता सूरत से नहीं उसकी सीरत से की जाती है। खैर, माता श्री के समझाने पर शादी के लिए स्वीकृति दे दिया है। परन्तु सोचनीय बात ये है की क्या वो रानी को पत्नी का दर्जा देगा? यदि हाँ तो कब तक ? राजू जो खुद गरीब परिवार से आता है घर और पत्नी की जिम्मेदारी कैसे उठायेगा ये भी सोचनीय बात होगी। राजू के पिता चाहते हैं कि उसका बेटा खेती करे जिसमें आमदनी भी होगा। और एक महत्वपूर्ण सवाल ये भी उठता है की रानी की शादी के बाद उसकी छोटी बहन का क्या होगा। क्या रानी अपने साथ ससुराल लेके जायेगी राजू और उसके पिता से कह के? दूसरी तरफ देखना बड़ा ही रोचक होगा जब राजू को रानी के साथ उसके चाचा चाची देखेंगे तब उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी? बहुत ही रोमांचक होगा।

घर सम्भालना बूढ़े माँ बाप की सेवा करना साथ में अब पत्नी की जरुरत को पूरा करना।

देखते हैं क्या और कैसे इन परिस्थितियों से पार पाता है राजू।
 

Miya bhai

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लाहाती गाँव छोटा और गरीब गाँव था। इस गाँव मे बने लगभग हर घर मिट्टी के थे। उन्ही घरों मे से एक घर काका रतन लाल और काकी कमलावती का था जिसमे सिर्फ एक छोटा कमरा (जिसमे रतन लाल और कमलावती रहते थे), एक रसोई और एक अटारी थी (जिसमे दोनो बहने रानी और छोटी रहती थी)।

अभी सुबह के सायद 5 बजे होंगे की छोटी की नीद खुल जाती है। आसमान एक दम साफ सुथरा दिख रहा था, नीद को और गहरी करने वाली ठंडी हवाए चल रही थी, चिड़ियों की चिड़चिड़ाहट आराम से सुनाई दे रही थी। पुरा घर सो रहा था सिवाय छोटी के, आज उसकी नीद पहले खुल गयी थी क्युकी आज उसके लिए बहुत खुशी का दिन था। उसने अपनी नज़रों को चारो तरफ घुमाया और अपने बगल मे लेटी अपनी बहन को देखा।

दोनो बहने छोटी और गंदी अटारी के जमीन पर बीछे फटे चादर पर लेटा करती थी। उसी फटे चादर पर उसके बगल मे उसकी दीदी (रानी) पेट के बल लेटी थी।रानी का एक पैर उपर उठा था जिससे उसका फटा पेटिकोट घुटनों के ऊपर चड़ आया था क्या कयामत दृश्य था। ये वादा ज़रूर कर सकता हु की इस वक़्त कोई आदमी रानी को इस तरीके से लेटे देखता तो पक्का उसको वही चोद देता। खैर कोई और नही बल्कि रानी की बहन छोटी ने ही देखा। कुछ देर तक तो वो अपनी बहन को घूरति रही और धीरे से बोला..

छोटी: क्या कयामत शरीर पायी है दीदी अपने, इतने बड़े बड़े मस्त चुचे उपर से उसके उपर काला सा प्यारा निप्पल मन करता मै ही इनको अपने मुह मे भर कर दिन रात चुसती रहू।

उसको अपनी दीदी पे इतना प्यार आया की नीचे झुक कर अपनी दीदी की नंगी पीठ को चूम लिया और ना कुछ तो लगभग दास बार चूमा होगा। इस क्रिया से रानी थोड़ी कसमसाई मगर गहरी नीद मे सोती रही। न जाने क्यु छोटी की नज़रे बार बार अपनी दीदी रानी के बड़े ,गोल और भरीभरकम चुतरो की ओर आकर्षित हो रही थी। अखिरकार उसने अपना चेहरा अपनी दीदी की गांड की तरफ मोड़ लिया जो दो बड़े बिल्कुल गोल तरबूज की तरह दिख रही थी। रानी का साया (पेटिकोट्) यथासंभव रानी के दो बड़े चुतरो को संभालने की कोसिस कर रहा था ये कहना गलत न होगा की रानी के बड़े चुतर बड़ी मुश्किल से कमलावती के उस फटे पेटीकोट मे कैद थे। कफि दूर से देखने पर भी ये अंदाज़ा लगाया जा सकता था की रानी के ये दो चूतड़ कितने बड़े और कितने गोल है। मुझे लगता है की आप लोगों ने भी ये अंदाज़ा लगा ही लिया होगा की रानी की गांड कैसी होगी।

खैर छोटी से रहा नही गया और उसने अपने एक हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी दीदी (रानी) की बड़ी गोल गांड पे हाथ रख दिया।
आह्ह् क्या अहसास था छोटी की तो आँखे कुछ पलो के लिये अपने आप बंद हो गयी यैसा लग रहा था मानो गांड और हाथ के बीच पेटिकोट हो ही ना। रानी के चूतड़ इतने नरम की मानो रुई का गदला हो और जाहिर सी बात है की रानी के दोनो चूतड़ इतने बड़े थे की गांड का छेद तो उनके बीच मे ही कही खो जाता होगा। अगर गांड के छेद को देखना हो तो दोनो चूतडो को हाथो से फैलाना पड़ता होगा तब जाके कही छेद दिखता होगा। चूतडो को कुछ देर सहलाने के बाद न जाने क्यु छोटी अपनी दीदी की बड़ी सी गांड को कस के मसल देती है और जिस पल उसने अपनी दीदी की गांड को मसला था उसी पल रानी के मुह से एक आह्ह् निकलती है मगर वो अब भी गहरी नीद मे सो रही होती हैं। दो तीन बार गांड मसलने के बाद छोटी अपनी दीदी को उठाने लगती है।

छोटी: दीदी ओ दीदी उठोगी भी की सोती ही रहोगी।

रानी: ह्म्म.. सोने दे ना छोटी क्यों परेशान कर रही है। कीसकी मईया चुद गयी जो इतना चिल्ला रही है। (नीद मे ही रानी बोलती है)

छोटी: अरे किसी की मईया नही चुदी है दीदी उठो तो आप पहले । लगता है आप भूल गयी हो की आज क्या है इसीलिए नही उठ रही हो नही तो आप कब का उठ जाती।

रानी ने कुछ नही बोला बस सोती रही। छोटी के सारे प्रयास निरर्थक हो रहे थे अपनी दीदी को उठाने मे।छोटी के मन मे एक शरारत सूझी उसने मन मे ही तय करलिया की हा यही सही रहेगा इससे दीदी पक्का उठ जायेंगी ।

छोटी अपना पुरा शरीर रानी की तरफ करके बैठ जाती है वो किसी चीज के लिये तैयार हो रही थी। वो अपना हाथ उपर उठाती है और बहुत तेजी से अपनी दीदी (रानी) की गांड पे एक चपाट लगाती है। जिस पल गांड पे हाथ पड़ा उसी पल गांड अैसे हिली मानो उसमे लैहर चल रही हो। रानी की बड़ी गोली गांड पे जैसे ही चपाट पड़ा उसी पल रानी की नीद खुल गयी। अपने सिर को उठा के चारो तरफ देखा तो पाया की उसकी छोटी बहन अपने मुह पे हाथ रख कर हस रही थी। रानी उठ के बैठी और नकली गुस्सा दिखाते हुए और अपनी बड़ी गांड को सहलाते हुए कहा की

रानी: क्यु री किस खुशी मे मेरी गांड पे तबला बजा रही है। इतनी तेज कोई मारता है भला मेरे को दर्द देके अपना हस रही है, हरामिन कही की। देख रही हु तो कुछ ज्यादा ही रंडी पना करने लगी है।

छोटी हस्ते हुए अपनी दीदी के गले मे अपने दोनो हाथ डाल कर बोलती है

छोटी: अरे मेरी प्यारी दीदी मैने अभी बस हल्के के गांड पे एक हाथ ही मारा है और इतना उछल रही हो, ये बातो जब जीजा जी आपकी इतनी बड़ी गांड को मारेंगे तब तो कुछ नही कहोगी जीजा जी को उल्टा मजे लेकर गांड मरवाओगी। है न? बोलो?

रानी का चेहरा अपने आप शर्म से नीचे झुक जाता है और उसके होठों पे मुश्कुरहट आ जाती है। अपनी दीदी के झुके चेहरे को उपर उठाते हुए और अपनी दीदी रानी की एक को चूची हल्के से दबाते हुए छोटी बोलती है..

छोटी: कुछ शर्म सुहागरात के लिए बचा कर रखो दीदी अभी इतना ना शर्माओ। मै तो आप की बहन हु मुझे क्या शर्मना। मै तो रोज आपकी गांड को नंगी देखती हु, गांड ही नही इन प्यारी बड़ी चुचियो को भी तो देखती हु। मेरे साथ ही आप हगने जाती हो, मेरे साथ की नाहती हो, तो मेरे से तो मत शर्माओ।

इतना सुनते ही रानी छोटी को पकड़ने के लिए होती है मगर छोटी रानी से बच निकल कर रानी को चिड़ाने लगती है और फिर दोनो बहने एक दूसरे को देख कर खूब हसने लगती है।

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आप लोग सोच रहे होंगे की रानी तो बहुत संस्कारी और चरित्रवान लड़की थी पर ये कैसी गंदी गंदी गालियों और कैसी गंदी बातें कर रही है। वो भी किससे अपनी छोटी बहन से, इस तरह की गंदी बातें कोई अपनी बहन से करता है भला। यैसा हो ही नही सकता की इतनी गंदी गंदी गाली देने वाली लड़की संस्कारी हो। कभी भी नही हो सकता। कभी भी नही।

हा आप लोगो का सोचना बिल्कुल सही है पर मै ये बात आप लोगो को साफ तौर पे बता दू की हमारी रानी बिल्कुल संस्कारी और चरित्रवान लड़की है। अक्सर दोनो बहने आपस मे इसी तरह बातें किया करती थी। ये कहना ज्यादा सही रहेगा की ये दोनो बहने कम, सहेली की तरह ज्यादा रहती थी। अब आप लोग ही बताइये अपने दोस्तो से आप लोग किस तरह बातें करते है एक दूसरे से गाली से ही तो बात करते है और खूब गंदी बातें भी तो करते है एक दूसरे से। बोलिये सही है की नही?

औरते भी तो इसी तरह दूसरी औरतो से गंदी गंदी बातें करती है। मेरा ये मानना है की औरते मर्दो से ज्यादा हरामी और चुदासी होती है ,हा बस आदमी अपनी इस आदत को अपने अंदर छिपा नही पाते, वहि औरते इस आदत और हरकत को अपने अंदर बखूबी छिपा लेती हैं जिससे वो भोलि और मासूम दिखती है। पर जोभी कहो औरतो के बिना हैं हम मर्द अधूरे होते हैं। हमें उनकी और उनको हमारे प्यार की ज़रूरत होती है।

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उठ जाने के बाद दोनो बहने लोटा लेके खेतो मे हगने के लिये चली जाती है, और जब वापिस आती है तब तक काका और काकी दोनो उठ चुके होते है। दातून करकर घर के कामो मे लग जाती है। झाडू लगाना, गोबर से घर की लिपाई करना, बर्तन धोना और कलेवा(सुबह का नास्ता) तैयार करने मे लग जाती है।

रानी आज बहुत खुश थी और सारे काम बहुत खुशी से कर रही थी। और हो भी क्यू ना जिस दिन कैदी को जेल से बहार निकाला जाता है उस दिन कैदी खुशी से फूला नही समाता है। हमारी रानी का भी वही हाल था वो भी इस जेल जैसे घर से आज आजाद हो जायेगी, वो जेलर जैसे काका काकी के चंग्गुल से बहुत दूर चली जायेगी, वो खुली हवा मे सांस ले पायेगी। आज उसकी शादी जो थी जिसका उस बेसब्री से इंतज़ार था ।

लेकिन रानी के रात के विचारो को ध्यान दिया जाये तो क्या ये प्रश्न नही उठता की क्या सच मूच रानी ये सब कर पायेगी? कही यैसा तो नही की एक जेल(अपने काका काकी के घर) से निकल कर दूसरे जेल(होने वाला ससुराल) मे कैद हो जायेगी?

खैर कामो को निपटा के दोनो बहने नहाने चली जाती है। जब से रानी की शादी तय हुई थी तब से रानी का काका(रतन लाल) रानी पे अपनी नज़रे जमाया हुआ था और जमाये भी क्यू न उसके घर से कुवारी, जवान, बड़ी चूची, बड़ी गांड वाली गदराइ लड़की जो जा रही थी। रतन लाल बड़ा ही बेटिचोद किस्म का आदमी था हर वक़्त किसी औरत या जवान लड़की की गांड और चूची देखने के फिराक मे रहता। वो था तो बुड्ढा मगर उसकी आँखे उल्लू से भी तेज थी किसी भी औरत या जवान लड़की को देख कर ये आसानी से बता सकता था की उनकी गांड और चूची कितनी बड़ी और कितनी मस्त है।

रतन लाल अपनी नज़रे चाह कर भी रानी के बदन के उपर से नही हटाना चाहता था। सब की तरह रतन लाल भी रानी की बड़ी सी गांड का दीवाना था। जब कभी रानी अपने काका को देखती तो वो यही पाती की बुड्ढा काका उसको चुदासी नज़रों से देख रहा होता कभी उसकी चूची को तो कभी उसकी बड़ी सी गांड को।

नहा लेने के बाद रानी और छोटी अभी अपनी गंदी सी अटारी को साफ ही कर रही थी की उनकी काकी वहा आ पहुँची। काकी के हाथो मे एक लाल रंग की पुरानी साड़ी थी। उस साड़ी को रानी को देते हुए काकी ने कहा..

काकी: ये ले ये साड़ी पहन ले। लाल शुभ माना जाता है। हमारा दिल कितना बड़ा है की तेरे लिए, इसके (छोटी की तरफ इशारा करते हुए) लिए और तुम दोनो की बहन के लिए क्या कुछ नही किया हमने। रहने के लिए घर दिया, जो हम खाते है वो खाना दिया, पहनने के लिये अपने कपड़े दिये लेकिन तुम लोग (चिड़ते हुए) कहा इस अहसान को मनोगी।

इतना कह कर काकी अपने कमरे मे चली जाती है। रानी जो अपनी काकी से न जाने कितने सालों से चिड़ते आ रही थी आज अचानक काकी के प्रति उसके दिल मे प्यार उमड़ आया था। काकी की दी हुई साड़ी को बड़े गौर से देखते हुए न जाने कहा खो जाती है उसको ध्यान तब आता है जब छोटी बोलती है.

छोटी: मुझे यकीन नही हो रहा ये अपनी ही काकी थी ना? कहीं मै सपना तो नही देख रही।

रानी: नही रे तू सपना नही देख रही थी ये अपनी ही काकी थी।

यकीन हो जाने के बाद छोटी साड़ी को देखते हुए बोलती है..
छोटी: दीदी देर क्यु कर रही हो अब तो साड़ी भी मिल गयी जल्दी करो इसे पहन कर दिखाओं ना कैसी लगती तो आप इसमे।

इतना कह कर छोटी अटारी के मुह पे खड़ी हो जाती है जाने कोई अगर अटारी के तरफ आये तो वो रानी को रोक सके। खैर इस बात की चिंता करने की कोई जरूरत नही थी अटारी की तरफ सिर्फ और सिर्फ काका की ही नज़रे होतीं थी और किस्मत से काका घर पर नही थे ।रानी छोटी की बात मानते हुए अटारी के अंधेरे मे छोटी के सामने अपने कपड़े उतार ने लगती है। अटारी मे इतना उजाला तो था की रानी के बदन को आराम से देखा जा सके।

रानी अपनी फटी साड़ी जो उसने पहन रखी थी उसको उतारी और वही जमीन पर रख दिया और अपने फटे ब्लाउस को खोलने लगी। अपनी दीदी को कपड़े उतारते हुए छोटी बड़े ध्यान से देख रही थी। रानी ने अभी फटे ब्लाउस के दी बटन ही खोले थे की तभी उसकी बड़ी चुचियाँ अपने आप बाहर उछल पड़ी मानो कैद से आजाद होगयी हो। फिर भी रानी फटे ब्लाउस को अपने शरीर से अलग करके जमीन पे रख देती है। मगर तभी छोटी जोकि इस दृश्य को बड़े ध्यान से देख रही थी आगे चलकर रानी के पास पहुँच कर बोलती है..

छोटी: (सीने पर लटकती चुचियों को देखते हुए) दीदी

रानी: हा बोल?

छोटी: (दीदी की आँखो मे बड़ी आस से देखते हुए कहती है) दीदी क्या मै आपकी इन चुचियों को एक आखरी बार मन भर कर चूस सकती हु?



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