#2
बिलासपुर से 40km दूर लाहाती गाव के एक छोटे से घर के एक कमरे मे पति पत्नी लड रहे है आईये देखते है..
पत्नी: लन्ड तो खडा होता नही तुम्हारा और हमेसा दूसरी औरत और लड़कियो को चोदने के फिराक मे रहते हो। जब लन्ड ही नही खडा होगा तो चोदोगे कैसे??
पति: कम बोला कर समझी। रांड नही तो। रंडी की औलाद, कुतिया साली। तेरे से कितनी बार कहा हु की मेरे से सही से बात किया कर। समझी?
पत्नी: क्या कम बोलू, सही तो बोल रही हु, अपनी बीवी को तो चोद नही पाते हो और चले हो दूसरी औरत को चोदने। कभी मुझ पे ध्यान दिया है पता नही कब से चूत मे उँगली करके चूत को सांत कर रही हु।
पति: रंडी माधरचोद कुतिया साली बहुत चुदासी है जा सांड का लन्ड लेले तब सायद तेरी चूत सांत होजाए। चुदासी है, बुड्ढी होगयी लेकिन चुदना है । चल लन्ड चूस के पानी निकाल ।
ये दृष्य मे दोनो पति पत्नी बिल्कुल नंगे है। पत्नी चारपाई पे बैठी है और पति पत्नी के सामने 5 इंच का पकपका लन्ड लिए खडा है
पति जो की 50 वर्ष ज्यादा का लगता है न शरीर मे दम है ना ही लन्ड मे। मगर ठरक इतनी की दूसरी जवान और कुवारी लड़कियो और औरतो को चोदना चाहता है। लन्ड ने तो मानो साथ देना ही छोड़ दिया बड़ी मुश्किल से खडा होता और खडा होते ही झर जाता है मानो कुछ हुआ ही नही ।
वहीं पत्नी जो की 45 वर्ष के आस पास होगी दिखने मे अभी भी बिल्कुल सुंदर और जवान। बड़ी बड़ी चुचियाँ, मस्त बदन और बड़ी सी गांड।जवान कहना गलत न होगा क्युकी जितनी चुदासी जवानी मे होती है उतनी ही चुदने की इच्छा इनके अंदर आज भी है। हमेसा से लंबा और मोटा लन्ड की चाहत थी मगर किस्मत से 5 इंच का बिन काम का लन्ड मिला जो ना तो इनके मन को भाता था और ना ही इनकी चूत की प्यास भुजाता पाता।
पत्नी अपने पति के पक पके लन्ड को छूना भी नही चाहती मगर उसका पति उसका मुह पकड़ कर अपना लन्ड उसके मुह मे डाल देता है।
ना चाहते हुए भी पत्नी उसके लन्ड को चूसने लगती है। अभी कुछ दो मिंट्स ही हुए होंगे की उसका पति उसके मुह मे झाड़ देता है। लन्ड का पानी निकाल जाने के बाद पति वैसा ही नंगा चारपाई पे करवट लेट के सो जाता है और अपनी पत्नी को गरम करके छोड़ जाता है। बेचारी पत्नी इस उमर मे इतनी सुंदर होने के बाद भी तड़पती रहती है चुदने केलिए बेताब रहती है। ये कहना गलत ना होगा की अगर कोई और आदमी इसके जगह होता तो इस उमर मे भी इतनी सुंदर बीवी को रात दिन सिर्फ चोदता ही रहता। उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को खूब दबता, चाटता और चूसता और अपने लन्ड को उसकी बड़ी सी गोली गांड और प्यारी सी चूत मे डाल कर सिर्फ चोदता रहता।
खैर कुछ देर बीतने के बाद उसके कानों मे अपने पति की खर्राटो की आवाज सुनाई देने लगी, अपने पति को मुड़ के देखती है और न जाने क्या सोच के अपनी नंगी गीली चूत को सहलाने लगती है। और अपनी चूत मे दो उँगली डाल के तेजी से आगे पीछे करने लगती है ।
पत्नी: अह्ह्ह् ...आह्ह् ....हाय रे ..आह्ह्...कोई चोदो मुझे चोदो ना अपना मोटा लंबा लन्ड मेरी चूत मे डालो ना चोदो चोदो खूब चोदो ..अह्ह्ह् ...आह्ह् ...अम्म्..
पूरे कमरे मे तेज सिक्सिकारियो कि अवाज गूंज रही थी। कमरे मे रोशनी थी एक तरफ पति नंगा ही सोया हुआ था तो दूसरी तरफ पत्नी माधर्जात नंगी हो कर अपनी चूत मे उँगली कर रही थी। अपनी एक हाथ की दो उंगलियो को चूत मे तेजी से चला रही थी तो दूसरे हाथ से अपनी दांयी चूची दबा रही थी । कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची के निप्पल को कस के मरोड़ रही थी । एक तो गोरा बदन उपर से काले निप्पल चूची और उसके बदन की खूबसूरती मे चार चंद लगा रहे थे। काले निप्पल्लो को इस तरह मरोड़ और नोच रही थी की मानो निप्पल्लो को चूची से अलग कर देगी। अभी कुछ 5 मिंट्स ही हुए होंगे की पत्नी अचानक रुक गयी अपनी चूत से अपनी दोनो उंगलिया निकली और उसमे लगे गिले और चिपचिपे सफेद रस को देखने के बाद अपने मुह मे भर कर मजे से चूसने लगी । चूसने के बाद पत्नी उठी और नंगी ही रसोई की तरफ चलने लगी । रसोई मे पहुँच कर..
पत्नी: ये बेलन नही दिख रहा, कहा रख दिया इन रंडी की बच्चियों ने (बेलन को अन्धेरे मे ढूंढते हुए)। इस रंडी की बच्ची ने कही अपने चूत मे तो नही डाल लिया, साली रंडी की गांड भी तो बहुत बड़ी है डाल ही लिया होगा ।
तभी बेलन मिल जाता है और पत्नी उसे लेकर वापिस अपने कमरे मे आ जाती है। 5 मिंट्स पहले जैसा उसने कमरा छोड़ा था बिल्कुल वैसा ही पाया अपने पति को नंगा सोते हुए । पत्नी नंगी ही बेलन को लेकर जमीन पर बैठ जाती हैं और बेलन को बड़ी हसरत देखते हुए बोलती है
पत्नी: एक तू ही है जो मेरी चूत को कुछ पल के लिए सांत तो करदेती है ।
ये कहते ही बेलन को लन्ड समझ कर अपने मुह मे लेकर चूसने लगती है और कुछ देर चूसने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिरा कर अपनी चूत के मुह पे रखती है और आह्ह् के साथ बेलन को अपनी चूत मे उतार देती है और बहुत तेजी से चूत मे बेलन को आगे पीछे करने लगती है..
पत्नी: अरे माई रे ....आह्ह् .....अह्ह्ह्....अम्म् चोदो और जोर से चोदो फाड़डड दो मेरी चूत को...आह्ह्....अगह्ह्ह् लेलो लेलो मेरी
चोदो मुझे अपनी रंडी बनाके चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....
पूरे कमरे मे उसकी सिसक्सिकारियो और चूत की चप चप की आवाज गूंज रही थी । कुछ देर के बाद बेलन को अपनी चूत से निकाल के अपने मुह मे लेके चूसने लगती है । और अपनी चुचियो को दबाते हुए बेलन के रस भरे हिस्से को खूब मजे से चुसती हैं।
पत्नी: पिलो बहुत तड़पाती है ये चूची इसको दबाओ खूब दबाओआह्ह् चोदो खूब चोदो आह्ह् । उसके मुह से ये शब्द अपने आप निकल रहे थे जो इस बात का सबूत थे की वो कितनी चुदासी होगी। उस वक़्त वो इतनी ज्यादा चुदासी थी की अगर उसको कुत्ते का लण्ड भी मिल जाता तो उसको अपनी चूत मे डाल के कुत्ते से ही चुदवा लेती।
थोड़ी देर बेलन को चूसने और चूची को दबाने के बाद वो घोड़ी बन जाती है । अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को सहलती है और गांड के छेद को कुरेदती है। अगर इस पल कोई उस औरत को इस तरह देखले अपनी बड़ी गोल और गोरी गांड को बाहर निकाले हुए तो उसको वही पटक के चोद दे और अपना लन्ड उसकी गांड मे डाल दे। अरे आप ही लोग इस तरह किसी औरत को देख ले तो वही पटक के चोदेंगे की नही। प्यार से गांड को सहलाने के बाद अपने चूतरो पे बहुत तेज से चपात लगाती है तीन चार चपाट गांड पे मारने के बाद बेलन पे ढेर सारा थूक गिराती है और अपने गांड के छेद पे बेलन को रगड़ती है। और फिर थोड़ी देर मजे लेने के बाद अपनी गांड मे बेलन को डालती है।
पत्नी: अह्ह्ह् और गांड मे बेलन को तेजी से आगे पीछे करने लगती है कुछ देर बाद गांड से बेलन को निकाल के वापिस अपनी चूत मे डाल लेती है और बेलन से ही अपने आपको चोदने लगती है आह्ह् ....आह्ह्....चोदो चोदो अपनी रंडी बनालो चोदो....आह्ह् अह्ह्ह्... और बहुत तेजी तेजी से अपनी चूत मे बेलन डालने लगती है और आख़िर मे एक तेज आह्ह् के साथ जमीन पे लेट जाती है ।
बेलन अभी भी औरत की चूत मे फसा था लेकिन उसकी चूत से सफेद रस बह रहा था जोकि इस बात का सबूत था की थोड़े देर के लिए ही सही मगर उसकी चूत सांत हो गयी होगी। थोड़ी देर तक लेटी रहने के बाद पत्नी उठती है और अपनी चूत मे फसे बेलन को निकाल ती है और उसमे लगे चूत के सफेद रस को मुह मे भर कर चूसने लगती है।चूस लेने के बाद बेलन को बगल मे रखती है और चरपाइ से अपने पेटिकोअट् को उठा कर अपनी चूत को साफ करती है ।
इस बेलन चुदाई के बाद उस औरत को बहुत संतुष्टि मिली थी न जाने क्यु पर उसकी आँखे मदहोसी मे बन्द होने लगी और आख़िर मे अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर अपने नंगे पति के बगल मे नंगी ही चरपाई पे सो जाती है ।
मुझे लगता है की आप लोगोने ये अंदाज़ा ज़ुरूर लगा लिया होगा की ये पति पत्नी आख़िर मे है कौन?? जी है ये पति पत्नी रानी के काका काकी और राजू के होने वाले सास ससूर रतन लाल और कमलावती थे। जो ये चूत चुदाई का खेल खेल रहे थे। ये बात तो तय थी की राजू को दूर दूर तक इस बात की भनक नही थी की जो लन्ड उसके पैरो के बीच मे लटक रहा था असल मे वही लन्ड की ज़रूरत कमलावती को थी ।
खैर इस चूत चुदाई और बेलन चुदाई का खेल लगभग रात के 10 बजे से 12 बजे तक चला होगा। जोकि गाव मे सभी लोगों को रात मे जल्दी सोने की आदत होती है जिस कारण ये चुदाई का खेल हर घर मे इस समय से चालू हो जाता होगा और रात रात तक चलता होगा ।
रतन लाल और कमलावती के घर मे सिर्फ रतन लाल और कमलावती ही नही जाग रहे थे बल्कि एक लड़की भी जाग रही थी जो की अपने ही ख्यालो मे खोयी हुई थी। वो लड़की रानी थी हालाँकि रोज रात को पूरे घर मे सिर्फ तीन लोग ही जागते थे। और रोज की यही दिनचर्या थी।
रानी अटारी मे लेटे लेटे रोज अपने काका काकी की गंदी गंदी बाते और सिक्सिकारिया सुनती थी। जोकि रानी भी जवान थी उसका शरीर भरा था चुचियाँ बड़ी थी और गांड तो तर्बुज़ जैसी। इन आवाजो का रानी पर भी असर होता था। अपनी रंडी काकी की मस्त चुदासी आवाजो को सुन कर रानी की चूत मे भी पानी का रिसाव होता था। कभी कभार मस्त होकर रानी भी अपनी चुचियो को फटे ब्लाउस के ऊपर से ही दबाती थी। ये कहना गलत ना होगा की रानी वो सब कुछ जानती थी जो एक पति पत्नी के बीच मे होता था। वो जानती थी की चुदाई क्या होता है, वो जानती थी की लड़कियो को मोटे और लम्बे लन्ड ही क्यु पसंद होते है, वो जानती थी की चुदाई के वक़्त जितनी गंदी बाते करो उतना मजा आता है, वो ये भालीभति जानती थी की अगर जिंदगी मे खूब मजे लेना है तो चुदाई का होना बहुत जरूरी है, इसके साथ साथ और भी बहुत कुछ जानती थी अपनी रानी। मगर रानी कभी भी अपनी चूत मे उँगली नही करनी चाहि, मन तो बहुत करता था पर वो अपनी सील पैक चूत को अपने पति के लिए बचा कर रखना चाहती थी। वो अपने होने वाले पति को वो सारे सुख देना चाहती थी जो एक पत्नी अपने पति को देती है।
परंतु आज रानी अलग ही दुनिया मे खोयी थी अपने विचारो की दुनिया मे।उसको तो आज ये भी नही पता था की कब उसके काका की चूत चुदाई चालू हुई और कब काकी की बेलन चुदाई खत्म। आख़िर रानी सोच क्या रही थी??वो अपने काका की कही बातो को सोच रही थी।काका की सुनी बातो को बड़ी देर तक सोचती रही। काका ने कहा था की उसके होने वाले पति का नाम राजू है काका ने ये भी कहा था की ये लड़का एक नंबर का लफंगा, आवारा, गवार, दारूबाज है जो अपने माता पिता पर एक बोझ है। ये कहना गलत ना होगा की यही मुख्य कारण था जिससे रतन लाल और कमलावती इस शादी के लिए तैयार हो गये थे।
वही सोच रही थी जो एक लड़की अपनी शादी से पहले सोचती है। कि न जाने उसका होने वाला पति कैसा दिखता होगा? क्या वो भी रानी की ही तरह काला(सावला) होगा या फिर गोरा चिट्टा बहुत सुंदर दिखता होगा।क्या उसका पति उससे प्यार करेगा?या नहीं। या फिर उसको सिर्फ और सिर्फ एक रंडी बनाके रखेगा ((रानी के मन मे ये बात इसलिए आई क्युकी रानी ने ये बात बहुत बार सुन रखा था की एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का अपनी पत्नी को प्यार करना तो दूर की बात, सिर्फ और सिर्फ अपनी रखैल अपनी रंडी के सिवा और कुछ नही समझता। किसी रंडीखाने की रंडी की तरह जब मन करे तब चोदता है और बात ना मानने पर खूब पिटाई करता है)) क्या उसके सास ससुर उसको मानेंगे या फिर काका काकी की ही तरह उसके साथ नौकरो जैसा बर्ताव करेंगे?उसका होने वाला ससुराल कैसा दिखता होगा? क्या काका काकी के घर से बड़ा होगा या फिर छोटा होगा? अगर उस घर मे एक ही कमरा हुआ जहा सब लोग सोते होंगे तो वो अपने होने वाले पति से प्यारी कैसे करेगी? क्या उसका पति उसी एक कमरे मे सबके सामने उसको रंडी की तरह चोदेगा? या फिर चुपके से खेत मे लेजाकर? या फिर घर के पीछे? या फिर गाये के तबेले मे उसको कुतिया बनाकर चोदेगा? ये सवाल उसके मन मे आते ही उसने ये सोचा की उसके ससुराल मे गाये भैसों के तबेले होंगे की नही?क्या घर मे एक ही कमरा होने के कारण उसकी चुदाई उसके सास ससुर भी देखेंगे? क्या उसका कोई देवर भी होगा या ननद या फिर जेठ जेठानी? अगर होंगे तो वो सब भी उसकी चुदाई देखेंगे? एक पल रुकने के बाद उसने सोच की अगर जेठ जेठानी होंगे तो वो भी तो चुदाई करते होंगे क्या वो सबके सामने चुदाई करते होंगे? फिर उसने सोचा की हो सकता है की उस परिवार जिस परिवार मे वो जा रही थी उसमे चूत चुदाई का खेल सबके सामने किया जाता हो?
अगर घर मे चुदाई खुले आम होती होगी तो कोई भी मर्द किसी भी औरत को जब चाहे तब चोद सकता होगा जिस तरह जाहे उस तरह चोद सकता होगा कुलमिलाकर उस घर की औरते एक रंडी के समान होंगी। वो रंडी जिसे चूत चुदाई सुख तो खूब मिलता होगा पर साथ साथ ही उसे इज्जत और प्यार भी दिया जाता होगा। अगर एस हुआ तो रानी को भी अपने पति के सिवा दूसरे मर्दो ससुर, जेठ और देवरो से भी चुदना होगा। हो सकता है की उस घर की औरते कपड़े ही न पहनती हो माधर्जात नंगी होकर पूरे घर मे घुमती हो अपनी चूची और अपनी गांड दिखाते हो जिससे मर्दो को चोदने मे आसानी हो और वो जब जाहे जिसे जाहे आराम से चोद सके। क्या उस घर के मर्द भी नंगे घूमते होंगे अपना लन्ड दिखाते हुए जो की घर की औरते उस लटकते लन्ड को देखे और जब जाहे तब उस लटकते लन्ड को मुह मे भर कर खूब चुसे और अपनी चूत और गांड मे लन्ड डाल के अपनी खूब चुदाई करवाये। क्या वहा छोटे बच्चे भी होंगे जो ये सब देखते होंगे,खैर छोटे बच्चो की तो लुल्ली होती है वो कर भी क्या लेंगे। या हो सकता है की जब घर के सभी मर्द काम से बाहर चले जाये तो औरतें अपनी चुदासी को मिटाने के लिए उन्ही छोटे बच्चों की लुल्ली को मुह मे भर कर चुसती हो। या हो सकता है की उन्ही बच्चो से अपनी चुचियो को डबवाती हो और चुस्वाती हो। या हो सकता है की उन्ही छोटे बच्चो से अपनी चुते और गांडे चटवाती हो और उँगली करवाती हो। वो बच्चे भी मजे लेकर चूतों और गांड के छेदों मे उँगली करते हो और मजे से चाटते हो। हो सकता हो की ये छोटे बच्चे होंहि बड़े माधरचोद जो हर वक़्त चुचियो से दूध पीने के फिराक मे रहते हो। हो सकता होगा की इन बच्चो को जब कभी मूत आती होगी तो ये बच्चे घर की औरतो के पास जाते होंगे और कहते होंगे की मुझे मूत आई है और वे औरते बड़े प्यार से पहले तो बच्चो के गालो को चूमती होंगी और फिर उनको अपनी गोद मे बिठा कर उनकी लुल्ली को अपने मुह मे भर कर उनके मूत को पीजाति होंगी।
ध्यान दीजियेगा ये बाते ये सवाल सिर्फ और सिर्फ रानी के दिमाक मे चल रहा था। ये सब उसकी बस एक कल्पना मात्र थी । बेचारी रानी सचाई से अंजान थी उसे राजू और उसके परिवार के बारे मे बिलकुल भी कुछ पता नही था। बस एक बार वो राजू की पिताजी (कमलेश) से मिली थी जब राजू के पिताजी पहली बार रानी के काका के घर आये थे। राजू के पिताजी यानी अपने होने वाले ससुर से उसने बात भी की थी। बात चित से तो उसके ससुर बहुत सभ्य लगे और उनकी सभ्यता से अंदाजा लगाया जा सकता था की उनका परिवार कैसा होंगा परंतु अपने होने वाले पति राजू से नही मिली थी वो ये नही जानती थी की राजू कैसा है। असल मे रानी अपने काका की बातो से परेशान थी काका का कहना था की राजू एक आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज लड़का है परंतु राजू के पिताजी की सभ्यता के हिसाब से राजू संस्कारी होगा। वो कहते है न की आम के पेड़ों मे लगे आम भी खट्टे निकल जाते है तो पता नही क्या हो।
रानी की काकी (कमलावती) ये हमेसा से चाहती थी की इन लड़कियो को बेकार से बेकार घर मिले जिससे की ये बिल्कुल भी खुश न रह पाये। मगर भगवान को सायद ये मंजूर न था। रानी की किस्मत मे गरीब परिवार तो लिखा था मगर उसके साथ साथ एक संस्कारी, चरित्रवान, और बहुत ही प्रतिभाशाली सुंदर पति भी लिखा था। ये तो तय था की ये बात सिर्फ और सिर्फ राजू के माता पिता ही जानते थे की राजू कैसा है, ना ही हरामी काका काकी जानते थे और ना ही प्यारी भोलि रानी।
खैर जाहे जो हो रानी ने मन मे पक्का करलिया था की उसका होने वाला पति चाहे जैसे हो आवारा, लफंगा, कमीना, दारूबाज, चाहे वो रानी को कितना भी मारे या उसको रंडी बनाके रखे वो उसको अपना पूर्ण रूप से पति मानेगी और एक अच्छी आदर्स पत्नी की तरह उसकी सेवा करेगी। कुल मिला कर भोलि और प्यारी रानी ने ये तो तय करलिया था की जाहे जो हो वो अपना तन ,मन और धन (जो उसके पास था ही नही) अपने होने वाले ससुराल पे न्युछावर करदेगी और अपने होने वाले पति, सास ससुर की खूब सेवा करेगी। चाहे जैसा ससुराल का प्रचलन हो वो उसको निभायेगी।
इन्ही विचारो और सवालो को सोचते हुए रानी न जाने कब नीद की आगोश मे चली गयी । और उसकी नीद तब खुली जब उसको छोटी(रानी की बहन) ने उठाया।
क्या रानी के मन मे जो विचार आये थे वो सभी सच होंगे या फिर झूठ। उसके साथ सुसराल मे क्या होगा किसी को पता नही।
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