अंतत: राजा और रानी का विवाह सह प्रेम संपन्न हुआ। परन्तु एक बात मन को विचलित किये है कि कमलेश जी दूल्हा दुल्हन को अपने साथ लिये गांव को प्रस्थान कर गये किंतु जाने से पहले रानी के चाचा को राजा का चेहरा तो दिखा देते जो उसके लिए किसी झटके से कम नहीं होता। खैर, ये तो शुरुआत है आज नहीं तो कल चाचा और चाची को राजा का चेहरा देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा ही। किंतु रानी की बहन का क्या? उस बच्ची का क्या? चाचा चाची तो कच्चा खा जायेंगे। पहले तो दो बहने थी तो एक दूसरे के सहारे सुख दुःख बांट लेती थी किंतु अब तो वो बच्ची बेचारी अकेले कैसे सहेगी चाचा चाची के जुल्मों सितम को। खैर, रानी ने छोटी बहन को स्तनपान एक माँ के तरह कराया हाँ वो अलग बात है की उसमें दूध नहीं।
अब रानी अपने नये सफर पर निकल चुकी है। जहाँ उसके ससुराल वाले बहु के साथ साथ बेटी का भी प्यार देंगे। जिसका मुझे पुरा विश्वास है। बस राजा को शायद थोड़ा समय लगेगा। मुझे हमारी रानी पर भी पुरा विश्वास है वो अपने प्यार समर्पण और सादगी से राजा को रानी से प्यार करने पर विवश कर देगी।
कहानी बहुत अच्छी है। ऐसे ही लिखते रहिए मित्र। समय समय पर अपडेट देते रहिए। पाठक लोग खुद बा खुद खिंचे चले आयेंगे।