Ajju Landwalia
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अचानक मेरी गीली चूत पर मुझे कुछ गर्म एहसास हुआ
ये बिनोद का काला लॅंड था जो अभी तक पेंट से बाहर निकल कर खड़ा हुआ था
मुझे गोद मे उठाने की वजह से उसका लॅंड सीधा मेरी चूत के इर्द गिर्द घूम रहा था
फिर उसने मेरे छेद को आख़िरकार ढूँढ ही लिया
एक पल के लिए वो रुक सा गया
हमारे दरमियाँ सिर्फ़ साँसों की आवाज़ आ रही थी
फिर उसके चेहरे के भाव अचानक बदलने लगे
आश्चर्य के कारण
क्योंकि मैने अपनी चूत के दरवाजे पर खड़े उसके लॅंड को अंदर निगलना शुरू कर दिया था
मैं अपना भार थोड़ा नीचे की तरफ करके उसके खड़े लॅंड पर फिसलने लगी
जैसे-2 वो लॅंड अंदर जा रहा था, मेरे होंठ ओ की मुद्रा में खुलने लगे
एक मीठे दर्द का एहसास फिर से मेरे पूरे शरीर में होने लगा
जितना दर्द पहली बार चुदाई में हुआ था, वैसा तो नही हुआ
पर हुआ ज़रूर
अब तो एक्सपीरियन्स हो चुका था मुझे
मैने सोचा भी नही था की ऐसे सुबह-2 स्कूल पहुँचते ही मैं बिनोद से इस तरह से चुदवा रही होऊंगी
पर जो भी था
इसमे एक अलग ही रोमांच और मज़ा मिल रहा था मुझे इस वक़्त
अब तक बिनोद समझ चूका था की लड़की पहले लॅंड ले चुकी है
बस इतना मोटा नही लिया है
इसलिए वो भी बड़े आराम -2 से अपने लॅंड को मेरी चूत में पिरोने लगा
मेरी साँसे उखड़ने को हो गयी जब उसका आधे से ज़्यादा लॅंड मेरे अंदर पहुँच गया
एक इंच और डालता तो सर का मुकाबला कर लेता पर उसके बाद भी करीब 3 इंच और था,
इसलिए मुझे अब डर भी लग रहा था की कहीं मेरी चूत से दोबारा खून ना निकालने लगे
ना बाबा ना
सुबह -2 इस झमेले में नही पड़ना था मुझे
इसलिए मैने अनमने मन से बिनोद को वहीं रुकने को कहा और एक झटके से अपने शरीर को पीछे करके उसके लॅंड को बाहर निकाल दिया
और नीचे उतर गयी
बेचारे का मुँह देखने लायक था
जैसे किसी जानवर के मुँह से माँस खींच लिया हो वापिस
पर वो कर भी क्या सकता था
मैं बोली : “देखो बिनोद, सब कुछ आराम से और सलीके से होना चाहिए, ये जगह इसके लिए सही नही है….इसलिए अभी नही…”
बेचारा क्या बोलता
इतना भी मिल गया था उसे, ये भी उसके लिए काफ़ी था
पर वो कहते है ना की शेर के मुँह पर खून लग जाए तो उसे शिकार किए बिना चैन नही मिलता
इसलिए उसने वो मज़ा दूसरे तरीके से लेने की सोची
और मेरी एक टाँग को उठा कर उसने अपने कंधे पर रखा और मेरे सामने पंजो के बल बैठ कर मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा
मेरी चीख गूँज गयी उस बाथरूम में
“आआआआआआअहह……..बिनोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड……..नाआआआआआआआआआअ……..न्न्लिएनननणणन्…..उम्म्म्मममममममममममममम”
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बाकी की चीख मेरे मुँह में घुट कर रह गयी
क्योंकि मेरी पूरी की पूरी चूत को उसने अपने मुँह में भर कर पान की तरह चबाना शुरू कर दिया था
उसने दाँत मेरी चूत के होंठो की मसाज कर रहे थे
चुभन पैदा करके मुझे सिसकने पर विवश कर रहे थे
धीरे-2 उसने मेरी दूसरी टाँग भी अपने दूसरे कंधे पर रख ली
अब मैं दीवार पर अपनी पीठ टिकाए, उसके सिर को पकड़े, अपनी गांड हवा में लटकाए उससे अपनी चूत चुस्वा रही थी
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बड़ा ही कामुक दृश्ये था वो
रोमांच भी महसूस हो रहा था काफ़ी
अभी जिस चूत में उसका लॅंड था, वहां उसकी जीभ घूम रही थी
ये एहसास सही था
भले ही बिनोद की जीभ भी लम्बी थी
पर उसके लॅंड जितनी नही
ये मज़ा भी दे रही थी
जैसे कोई छोटी सी मछली पानी से निकाल कर मेरी चूत के अंदर छोड़ दी गयी हो
ऐसे मचल रही थी उसकी जीभ मेरे अंदर
अपने बलिष्ट शरीर का परिचय देते हुए वो धीरे-2 उपर की तरफ खड़ा होने लगा
उसके साथ-2 मेरा शरीर भी उपर हवा में उठने लगा
और आख़िर मे जब वो पूरा खड़ा हो गया तो मेरा आधा शरीर क्यूबिकल में था और आधा बाहर
मुझे कोई बाहर से भी देख सकता था
पर इस वक़्त तो दूर -2 तक कोई नही था
सब प्रेयर में थे
जो अब लगभग ख़त्म होने वाली थी
अब वो घूमकर दीवार से जा लगा ताकि मैं अपने सामने हाथ करके डिवाईडर पर हाथ रखकर उसे पकड़ सकूं
ये एंगल सही था
अब मैं डिवाईडर पर हाथ रखकर अपनी चूत को उसके मुँह पर अच्छे से घिस्स पा रही थी
मज़े की बात ये थी की मेरे बूब्स अभी तक बाहर लटक रहे थे
मैं लगभग नंगी ही थी इस वक़्त
उपर से भी और नीचे से भी
अब मेरे अंदर की आग बारूद बनकर फटने को तैयार थी
और वो फटी भी
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एक जोरदार आवाज़ के साथ मेरी चूत से भरभराकर ढेर सारा पानी निकल कर बिनोद के चेहरे को भिगोने लगा
ऐसा लग रहा था जैसे मैने उसके चेहरे पर बियर की बॉटल खोल दी हो
वही नशीला सा एहसास
रसीलापन, झागपन
मेरे रस की एक-2 बूंस नशा बनकर उसके चेहरे को भिगो रही थी
और मुझे फिर उसके कराहने की आवाज़ भी सुनाई दी
मैने नीचे चेहरा करके देखा तो वो भी अपना लॅंड रगड़ने में लगा हुआ था
जाने कब से
और मेरे देखते -2 उसके लॅंड से ढेर सारा रस निकल कर सामने की दीवार को रंगने लगा
इतनी गाड़ी मलाई तो सुधीर सर की भी नही थी
काश मैं इसे टेस्ट कर पाती
साले ने बेकार में सारा माल दीवार पर फेंक दिया
मुझे ही पीला देता
खैर
अब तो कुछ हो नही सकता था
जब सब शांत हो गया तो उसने धीरे से मुझे नीचे उतरा
बाहर भी प्रेयर की आवाज़ बंद हो चुकी थी
कुछ ही देर में यहाँ फिर से भीड़ लगने वाली थी
इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े सही किए
बाहर जाकर अपने बाल बनाए और लगभग भागती हुई सी अपनी क्लास की तरफ चल दी
ये भी नही देखा की बाद में बिनोद कब निकला , कहाँ गया
मुझे बस चिंता थी की कोई हमें एक साथ वहां ना देख ले
पर मेरी चालाकी कुछ काम नही आई
सुधीर सर ने मुझे दूर से ही बाहर निकलते हुए देख लिया था
और बाद मे बिनोद को भी
अब मेरी शामत आने वाली थी
Gazab ki update he Ashokafun30 Bhai,
Binod ki to lottery lag gayi..................lekin use sudhir sir ne bhi dekh liya..........aage kya hoga ab..............
Keep posting Bhai